FUN-MAZA-MASTI
सीता --एक गाँव की लड़की--27
शाम में श्याम जल्दी ही आ गए...फिर हम दोनों तैयार हुए और निकल पड़े श्याम के साथ..खाना बाहर ही खाते...और आज पूजा के साथ मैं जींस-टीशर्ट पहनी थी..वो भी श्याम के कहने पर...
हम दोनों हल्की मेकअप ली थी रात की वजह से...कैम्पस के बाहर सड़क पर एक 4- व्हीलर लगी थी...जिसे देख मैं श्याम की ओर देखते हुए निगाहों से सवाल कर ली...वो बिना कुछ बोले हां में कहते हुए बैठने का इशारा कर दिए...
मैं और पूजा पीछे बैठी और श्याम आगे...फिर गाड़ी चल पड़ी...मामूली सी नौकरी की बदौलत फिलहाल अपनी तो सोच ही नहीं सकती थी...शायद श्याम हमें भाड़े की ही सही पर ढ़ेर सारी प्यार निछावर कर रहे थे ऐसे बाहर ले जाकर...
कुछ ही देर में हम सब एक अच्छे से रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी थी...हम तीनों अंदर गए और एक कोने में बनी केबिन में घुस गई...अगले ही क्षण एक स्टाप आया और ऑर्डर ले कर चला गया...मैंने समय देखी तो 7 बज रहे थे...मूवी 8 बजे से शुरू होती है..
करीब आधी खाना खाने के बाद श्याम बाहर की तरफ झाँकें, और फिर सीधे होते हुए तेजी से अपनी जेब से एक दारू की छोटी बोतल निकाले और जल्दी से तीनों ग्लास में उड़ेल दिए...एक ही बार में पूरी समाप्त...वापस खाली बोतल पॉकेट में...
श्याम: "यहाँ अलॉव नहीं है पर मैं जब भी आता हूँ तो अक्सर ऐसे ही मार लेता हूँ...अब जल्दी से तुम दोनों उठाओ....."कहते हुए श्याम अपनी ग्लास उठा लिए...मैं और पूजा एक-दूसरे को देख दबी हंसी हंस दी और फुर्ती से गिलास उठा गटकने लगी...
पैग लगाने से मेरी नसों में खून दौड़ने लगी थी...और फिर खाना खाने लगे...खाना जब खत्म हुई तो हाथ मुंह साफ करने के बाद जब बाहर निकल समय देखी तो ओह गॉड 8:30 बज रहे थे...
"पूजा,साढ़े बज गए...अब मूवी कैसे जाएंगे..."मैं बगल में खड़ी पूजा से बोली जबकि श्याम अभी काउन्टर पर बिल दे रहे थे..पूजा मेरी बात सुनते ही चौंक पड़ी...
पूजा: "क्या...? ये जीजू भी ना...थोड़ी सी पीने चक्कर में सारा मजा किरकिरा कर दिए...यू नो दीदी...मैं क्या-2 सोच के रखी थी कि अंदर जीजू से ये करूंगी,वो करूंगी...कितना मजा आता सैकड़ों पब्लिक के बीच में कर रही होती...ओफ्फ.."
"आने दो फिर पूछती हूँ...जब केवल खाना ही खिलानी थी तो मूवी का बहाना क्यों किए..."मैं भी गुस्से में आती हुई बोली...तभी सामने श्याम आते हुए दिखे...जैसे ही पास आए मैं गुस्से से सवालों की झड़ी लगा दी...बीच-2 में पूजा भी सपोर्ट कर रही थी...
श्याम कुछ बोले बिना मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखे जा रहे थे...जिससे मैं और आग बबूला हो बोली,"ओ हैलो मिस्टर, अभी आप अपने प्यार को अपने पास ही रखिए...बाद में दिखाइएगा...चलिए घर अब..."
और मैं भड़कती हुई पूजा के हाथ पकड़ बाहर कुछ मीटर दूर सड़क की तरफ मुड़ गई...इतने में ही श्याम तेजी से हम दोनों के आगे आ खड़े होते हुए बोले,"सॉरी डिअर, मेरा इरादा ऐसी बेहूदा हरकत की बिल्कुल नहीं थी...पर पीने बाद खाने की रफ्तार धीमी हो गई और समय मालूम ही नहीं पड़ी..."
मैं उनकी बात सुन मुँह बिचकाती हुई उन्हें क्रॉस कर बगल से आगे निकल गई..पर एक बार फिर श्याम हम दोनों के सामने खड़े थे...
श्याम: "जानू, मेरे दिमाग में एक मस्त आइडिया है जो मूवी से भी मस्त मजा देगी..कहो तो सु...." आगे कुछ कहते कि बीच में ही पूजा रोकती हुई बोली,"जरूरत नहीं जीजू...आप अपनी आइडिया अपने गांड़ में रख लो...बॉय..आपको चलनी है तो मेरे पीछे आ जाओ..."
पूजा की बात सुन मैं हंसना चाहती थी जोर की पर चोरी से ही मुस्कुरा कर रह गई...और पूजा के खिंचने से आगे सड़क किनारे तक आ पहुँची...अब बस किसी ऑटो का इंतजार कर रही थी...तब तक श्याम पुनः आगे आते हुए बोले,"ओए होए मेरी तीखी मिर्ची शाली साहिबा...आपकी अदा तो गुस्से में और कयामत बरपाती है...मन तो होती है यहीं पटक के चोद दूँ..."
पूजा गुस्से में आँख लाल पीली करती बोली,"ओके, जींस खोल रही हूँ...मुझे चुदनी है यहाँ सबके सामने..." और फिर पूजा अपनी जींस की बटन खोलने लगी...मैं देखी तो तेजी से पूजा की हाथ पकड़ खींच ली...
आसपास नजर दौड़ाई कि कोई देख तो नहीं रहा..पर यहाँ सब अपने में मस्त था...तभी मेरी नजर सामने एक छोटी सी पान की दुकान पर गई जहाँ से एक आदमी लगातार घूरे जा रहा था...मेरी नजर उससे मिलते ही वो गंदी सी हंसी हंस पड़ा....
मैं उससे नजर हटा श्याम की तरफ देखते हुए बोली,"आपको चलना है या नहीं...अगर नहीं जाना तो प्लीज हमें जाने दीजिए...यहां सब देख रहे हैं..."
मेरी बात सुनते ही श्याम मेरी तरफ आगे बढ़े और बोले,"शाली साहिबा की खुजली मिटाए बिना थोड़े ही जाऊंगा...कुछ ही दूर आगे रेड लाइट एरिया है...चलो वहीं जा के पेलता हूँ तुम दोनों को...सोचो जब तुम कोठे पर चुदेगी तो कैसा फील करोगी...बिल्कुल रंडी की तरह...बोलो पसंद है आइडिया...वहां एक कोठे मालकिन से जान पहचान है, वो कमरा दे देगी..."
एकदम धाँसू...मेरी तो सुन के ही बूर में सनसनी की लहर दौड़ गई...मन ही मन गाली दे रही थी शाले पहले क्यों नहीं बताया... मैं तो तैयार थी...बस पूजा की हाँ जानने उसकी तरफ देखने लगी...पूजा भी रेडी ही थी मुझे मालूम थी पर फिर भी पूछनी जरूरी थी..पूजा की आँखें चमकने लगी थी रजामंदी में पर बोली कुछ नहीं...
हम दोनों को यूँ घूरते देख श्याम बीच में हल्के से टोकते हुए बोले,"चलो रण्डियों, अपने कर्म-स्थल पर..."जिससे हम दोनों एक साथ उनकी तरफ देख हौले से मुस्कुरा दी, जिसके जवाब में वो भी मुस्कुराते हुए आगे की तरफ बढ़ गए...
हम दोनों भी खुशी-खुशी चल पड़ी...तभी पूजा हौले से मेरे कान में बोली,"अच्छा हुआ जो मूवी छूट गई...क्यों?" मैं पूजा की बात सुनते ही हँसते हुए उसकी तरफ देख हाँ में मूंडी हिला दी...तभी पता नहीं क्या सूझी पीछे की तरफ पलटी...
ओह नो...वो पान की गुमटी पर खड़ा व्यक्ति कुछ ही दूरी पर पीछे पीछे चला आ रहा था...मैं पूजा को बिना कुछ बताए आगे बढ़ श्याम के ठीक बगल में हो गई..फिर श्याम से नजरें मिलाती साथ साथ मुस्कुरा दिए...
श्याम किसी को फोन कर रहे थे, पता नबीं किसे...शायद कोठे मालकिन...ओफ्फ...मैं भी ना...किसी दूसरे को भी तो कर सकते हैं ना..पर इस वक्त तो नहीं कर सकते हैं दूसरे को....
श्याम: "राम-राम आंटी जी,क्या हाल है?" तभी श्याम फोन पर बोल दिए..ये तो आंटी को ही कर रहे थे...मैं उनकी तरफ नजर डाली तो वे हमारी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...
श्याम: "अपना भी ठीक है आंटी, बस एक छोटा सा मदद चाहिए आंटी अभी.."
श्याम कान में ही फोन सटा कर बात कर थे जिससे मैं उधर की आवाजें नहीं सुन रही थी...
श्याम: " आंटी एक रूम चाहिए अभी...दो मस्त लौंडिया हाथ लगी है.." श्याम की बात सुनते ही मैं और पूजा एक साथ मुस्कुरा पड़ी...इसकी वजह थी वो छुपा रहे थे कि मैं उनकी बीवी और पूजा बहन थी...
श्याम: "नहीं आंटी लोकल नहीं है...बाहर से आई है...और कल चली जाएगी..आप तो जानती ही है कि मुझे चोदने का कितना शौक है...और लोकल में तो सब को कर ही चुका हूँ...तो सोचा...."
हम्म्म...जनाब तो एक दम तेज दिमाग लगा दिए थे...अब शायद हम दोनों को भी इस बनावटी हालात को मैनेज करनी होगी आंटी के सामने...मैं और पूजा एक-दूसरे को ताकते हुए फैसला भी कर ली थी स्थिति को मैनेज करने की...
श्याम: "अच्छा आंटी 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ..फिर बात करते हैं...बॉय.." और फिर श्याम फोन रख दिए...फोन रखते ही श्याम हँस पड़े जिससे हम दोनों भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई...
तभी श्याम की नजर एक शोरूम पर पड़ी..वे हम दोनों को उधर चलने कह बढ़ गए..ये रेडिमेड कपड़ो की बड़ी सी शोरूम थी..हम तीनों अंदर पहुँचे...कस्टमर एक भी नहीं थे..यानि ये भी कुछ देर में बंद होने वाली थी..
श्याम काउंटर के पास जाते ही हेडस्कॉर्फ दिखाने बोले...हम्म्म..समझ गई...ताकि कोई पहचान ना ले दूसरे दिन हमें...कई तरह की हेडस्कॉर्फ सामने बिखेर दिया उसने...हम दोनों ने एक काली और एक पिंक आसमानी कलर की चूज की और अपने चेहरे ढ़क ली...श्याम बिल पे किए और बाहर निकल गए...
बाहर आते ही मेरी नजर उस आदमी को ढूढ़ने लगी जो कुछ देर पहले पीछा कर रहा था...पर वो दूर दूर तक नदारद था..चलो अच्छा हुआ पीछा छूटा कमबख्त से...ख्वामोखाह परेशानी में डाल रहा था...
करीब पाँच मिनट के बाद हम सब एक गली की तरफ मुड़ गए जो गुप्प अँधेरा था...आगे कुछ दूरी पर एक घर में जल रही लाइट से हल्की रोशनी सड़को पर पड़ रही थी पर वो उतनी तेज नहीं थी कि साफ साफ कुछ दिखाई दे सके...
उस घर के समीप पहुँचते ही मेरी नजर उधर घूम गई, पर वहाँ बिल्कुल सन्नाटा था...घर भी कोई खंडहर लग रही थी...बस लाइट की वजह से ही समझ सकती थी कि कोई रहता है...खैर इन बातों को पीछे छोड़ आगे चल पड़ी...
डर भी लग रही थी इस वीरानी अँधेरे से...कुछ दूर और चली तो श्याम बाएँ की ओर मुड़ गए...हम्म्म...सामने काफी दूर तक सड़क नजर आई अब...सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तो दिख रही थी पर जल एक भी नहीं रही थी...वो तो हर घर से निकल रही रोशनी सड़कों पर हल्की उजाला ला रही थी....
हाँ जहाँ मुड़ी वहाँ की जरूर जल रही थी जिसके नीचे खड़े 4 लोग आपस में बात कर रहे थे...तभी उनमें से एक बोला,"ऐ हिरो... रूक.."
मैं और पूजा तो बक सी रह गई और झट से रूक गई...जबकि श्याम बिल्कुल ही निडर बन आराम से रूकते हुए उसगी तरफ बढ़ गए...मैं कुछ अनहोनी की डर से श्याम को रोकना चाहती थी पर वो तब तक वो उसके सामने जाते हुए कड़क आवाज में पूछे,"क्या बात है?"
तभी उनमें से एक बोला," कहाँ से लाए दोनों को...जरा देखूँ तो कौन है..." कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ा जिससे श्याम तुरंत ही अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा रोकते हुए बोले,"देखने से पहले ये जान तो ले कि ये किस कोठे की है...फिर देख लेना इसकी सूरत..."
वो रूकता हुआ श्याम की घूरता हुआ पूछा,"कहां की है.." तभी श्याम खिसक के उसके ठीक सामने जाते हुए दांत पीसते हुए बोले,"तुम सबकी नानी शबनम आंटी की है ये.." फिर क्या...इतना सुनते ही उसके चेहरे की रंगत हवा हो गई और वो पीछे हो गया बिना कुछ आवाज किए....
जिसे देख श्याम हल्के से मुस्कुराए और फिर हम दोनों को इशारा कर चल दिए...हम दोनों भी तेजी से मुड़ते श्याम के बगल में हो गई..फिर श्याम से बोली,"अगर कोई पुलिस वाला रहता तो..."
श्याम मेरी डर को भांपते हुए नजर घुमाते हुए बोले,"जानू, ये शबनम आंटी के डर से पुलिस क्या, कोई एस.पी. भी इधर आने से डरता है...इसकी एक वजह है आंटी समय पर उसका हिस्सा पहुंचा देती और दूसरी यहाँ का सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी से आंटी की जान पहचान..."
हम्म्म्म...मतलब पावरफूल हैं आंटी...मैं उनकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाई या कुछ और पूछ नहीं पाई...तभी मेरी नजर दोनों तरफ से आ रही रोशनी का पीछा करने लगी..घर अधिकतर दो मंजिला थी...
कुछ पुरानी तो कुछ ठीक ठाक...और सब घरों में कुछ औरतें अपनी खुली जिस्म लिए बैठी थी...एक-दो की तो आवाज भी सुनाई पड़ी.."आ जाओ साब, आपकी उस दोनों से ज्यादा मजे दूँगी और पैसे भी कम लगेंगे...आ जा..."
पर श्याम बिना उसकी तरफ देखे बढ़े जा रहे थे...कुछ औरतें जो मालकिन टाइप लग रही थी वो गौर से हम दोनों की तरफ घूरे जा रही थी..शायद पहचानने की कोशिश कर रही थी...तभी श्याम एक तीन मंजिले घर की तरफ रूख कर दिए...
ये भी तो उतनी ढ़ंग की नहीं थी...पर हाँ खंडहर बिल्कुल नहीं लगती थी...गेट पर खड़े दो मर्द बिल्कुल पहलवान की तरह खड़े थे...वो श्याम को देखते ही बोला,"क्या साब, क्या हाल है..."
श्याम मुस्काते हुए बोले,"एकदम झकास उस्मान भाई..." तभी उनमें से दूसरा बोल पड़ा,"भाई, आज तो छोकरी साथ लाए हो...कहाँ की है..." जिसे सुन श्याम रूके और फिर कुछ सोचते हुए हम दोनों की तरफ की आए...अपना हाथ बढ़ा एक झटके में हेडस्कार्फ खींच दिए...
श्याम: "पहचानो तो..." वे दोनों एक टक पहचानने की बजाए भूखी नजरों से घूरने लगे...मैं ज्यादा देर तक नजरे नहीं मिला पाई उससे..तो नजरें आगे की तरफ कर दी..आँखें चुराती तो समझ जाते की ये रंडी नहीं है...फिर कुछ देर बाद श्याम बोले...
श्याम: "उस्मान भाई...ये बाहर की लौंडिया है..खास अपने लिए बुलाया हूँ और सोचा आंटी को भी दिखा दूँ ताकि वो भी ऐसी कड़क माल रखें..." जिसे सुन दोनों हकलाते हुए हाँ में हाँ मिला दिए, पर कुछ बोल ना सके...
फिर श्याम को कुछ शरारत सूझी..वो मेरी बांह पकड़े और उससे सटाते हुए बोले,"छू कर देख लो उस्मान भाई...एकदम घरेलू माल है...बिल्कुल आपकी पसंद की है...एक दिन आंटी से छुट्टी ले कर फुर्सत में रहना...बुलवा दूंगा खास आपके लिए...आप आधे पैसे दे देना...बस...."
उफ्फफ...क्या तगड़ा था वो...सटते ही उसने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कस लिया अपने से...लुंगी में से उसका धारदार लंड सीधा मेरी जींस को फाड़ती चुत तक पहुंच गई...और उससे भी ज्यादा उत्तेजित तो इस बात से हो गई कि कैसे मेरे पति मुझे रंडी बना कर पराये मर्द को सौंप दिए...
अचानक उसने अपना हाथ मेरी गर्दन पर रख हौले से नीचे करने लगा..मेरी तो हालत खराब हो गई खुरदुरे हाथ की छुअन पा कर...मैं अपनी बंद होती आँखें खोलने की कोशिश करने लगी जो मदहोशी से बंद हो रही थी...ऐसे में मैं बिल्कुल नशीली लग रही थी...
तभी मेरी चुची को कुछ रगड़न महसूस हुई...क्या ये मेरी चुची....ओह नो...तभी उसकी उंगली मेरी टी-शर्ट के गले पर महसूस हुई...ये क्या...जब उंगली ऊपर ही है तो अंदर क्या डाल दिया इसने जो रगड़ती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही है...
मैंने काफी कोशिश कर आँखें नीचे कर अपनी चुची पर की...ओह..ये तो मेरी टी-शर्ट के अंदर घुसी मंगल सूत्र को बाहर खींच रहा था..तभी उसने मंगलसूत्र पूरी बाहर कर मेरी दोनों चुची के बीच रख मेरी चुची दबा दिया...
मैं सिहर सी गई इस चुभन से...तभी उसने मुझे पलट मेरी गांड़ पर अपना लंड चिपका दिया और अपना हाथ मेरी चुची के ठीक निचले हिस्से पर रखते हुए बोला,"साब, अब देखो...एकदम मेरे ख्यालों वाली..."
मैं उसके सीने से चिपकी श्याम की तरफ देख मुस्कुराने लगी..जबकि पूजा को वो दूसरा आदमी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल देख रहा था...श्याम की नजर मुझ पर पड़ते ही मवो मुस्कुरा कर वाव कह पड़े...
उस्मान: "साब, अब ले जाओ दोनों को वरना आप का पैसा बरबाद हो जाएगा...पूरी रात छोड़ूंगा नहीं इसे..."कहते हुए उसने मुझे श्याम की तरफ धकेल दिया..मैं सीधी श्याम के बांहों में आ गई...श्याम हंसते हुए ओके कहे और पूजा को चलने बोले...
पूजा पूरे मस्त हो गई थी पर मजबूरी थी छोड़ने की, मेरी हालत भी बिगड़ ही चुकी थी...मन मसोस कर वो अलग हुई और धीरे से उस आदमी के होंठ पर किस कर अलग हो गई बिल्कुल रंडी की तरह जो कहीं नहीं शरमाती...
फिर श्याम के हाथों से हेडस्कॉर्फ ली और उनके साथ सीढ़ी की तरफ चल दी...सीढ़ी चढ़ते जब वापस उस्मान की तरफ देखी तो मेरी हंसी निकल पड़ी..वो दोनों अपना-2 लंड बाहर निकाल हिला रहा था...मुझे हंसते देख पूजा भी पलट गई...
पूजा के पलटते ही वो दोनों अब हमारी तरफ घूर रहे थे...जिसे देख पूजा एक फ्लाइंग किस दोनों तरफ उछाल दी..जिससे वो कराहते हुए अपना पानी छोड़ दिए...फिर हम दोनों आगे की तरफ भागती हुई चढ़ने लगी...
_____[....क्रमशः]_____
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हम दोनों हल्की मेकअप ली थी रात की वजह से...कैम्पस के बाहर सड़क पर एक 4- व्हीलर लगी थी...जिसे देख मैं श्याम की ओर देखते हुए निगाहों से सवाल कर ली...वो बिना कुछ बोले हां में कहते हुए बैठने का इशारा कर दिए...
मैं और पूजा पीछे बैठी और श्याम आगे...फिर गाड़ी चल पड़ी...मामूली सी नौकरी की बदौलत फिलहाल अपनी तो सोच ही नहीं सकती थी...शायद श्याम हमें भाड़े की ही सही पर ढ़ेर सारी प्यार निछावर कर रहे थे ऐसे बाहर ले जाकर...
कुछ ही देर में हम सब एक अच्छे से रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी थी...हम तीनों अंदर गए और एक कोने में बनी केबिन में घुस गई...अगले ही क्षण एक स्टाप आया और ऑर्डर ले कर चला गया...मैंने समय देखी तो 7 बज रहे थे...मूवी 8 बजे से शुरू होती है..
करीब आधी खाना खाने के बाद श्याम बाहर की तरफ झाँकें, और फिर सीधे होते हुए तेजी से अपनी जेब से एक दारू की छोटी बोतल निकाले और जल्दी से तीनों ग्लास में उड़ेल दिए...एक ही बार में पूरी समाप्त...वापस खाली बोतल पॉकेट में...
श्याम: "यहाँ अलॉव नहीं है पर मैं जब भी आता हूँ तो अक्सर ऐसे ही मार लेता हूँ...अब जल्दी से तुम दोनों उठाओ....."कहते हुए श्याम अपनी ग्लास उठा लिए...मैं और पूजा एक-दूसरे को देख दबी हंसी हंस दी और फुर्ती से गिलास उठा गटकने लगी...
पैग लगाने से मेरी नसों में खून दौड़ने लगी थी...और फिर खाना खाने लगे...खाना जब खत्म हुई तो हाथ मुंह साफ करने के बाद जब बाहर निकल समय देखी तो ओह गॉड 8:30 बज रहे थे...
"पूजा,साढ़े बज गए...अब मूवी कैसे जाएंगे..."मैं बगल में खड़ी पूजा से बोली जबकि श्याम अभी काउन्टर पर बिल दे रहे थे..पूजा मेरी बात सुनते ही चौंक पड़ी...
पूजा: "क्या...? ये जीजू भी ना...थोड़ी सी पीने चक्कर में सारा मजा किरकिरा कर दिए...यू नो दीदी...मैं क्या-2 सोच के रखी थी कि अंदर जीजू से ये करूंगी,वो करूंगी...कितना मजा आता सैकड़ों पब्लिक के बीच में कर रही होती...ओफ्फ.."
"आने दो फिर पूछती हूँ...जब केवल खाना ही खिलानी थी तो मूवी का बहाना क्यों किए..."मैं भी गुस्से में आती हुई बोली...तभी सामने श्याम आते हुए दिखे...जैसे ही पास आए मैं गुस्से से सवालों की झड़ी लगा दी...बीच-2 में पूजा भी सपोर्ट कर रही थी...
श्याम कुछ बोले बिना मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखे जा रहे थे...जिससे मैं और आग बबूला हो बोली,"ओ हैलो मिस्टर, अभी आप अपने प्यार को अपने पास ही रखिए...बाद में दिखाइएगा...चलिए घर अब..."
और मैं भड़कती हुई पूजा के हाथ पकड़ बाहर कुछ मीटर दूर सड़क की तरफ मुड़ गई...इतने में ही श्याम तेजी से हम दोनों के आगे आ खड़े होते हुए बोले,"सॉरी डिअर, मेरा इरादा ऐसी बेहूदा हरकत की बिल्कुल नहीं थी...पर पीने बाद खाने की रफ्तार धीमी हो गई और समय मालूम ही नहीं पड़ी..."
मैं उनकी बात सुन मुँह बिचकाती हुई उन्हें क्रॉस कर बगल से आगे निकल गई..पर एक बार फिर श्याम हम दोनों के सामने खड़े थे...
श्याम: "जानू, मेरे दिमाग में एक मस्त आइडिया है जो मूवी से भी मस्त मजा देगी..कहो तो सु...." आगे कुछ कहते कि बीच में ही पूजा रोकती हुई बोली,"जरूरत नहीं जीजू...आप अपनी आइडिया अपने गांड़ में रख लो...बॉय..आपको चलनी है तो मेरे पीछे आ जाओ..."
पूजा की बात सुन मैं हंसना चाहती थी जोर की पर चोरी से ही मुस्कुरा कर रह गई...और पूजा के खिंचने से आगे सड़क किनारे तक आ पहुँची...अब बस किसी ऑटो का इंतजार कर रही थी...तब तक श्याम पुनः आगे आते हुए बोले,"ओए होए मेरी तीखी मिर्ची शाली साहिबा...आपकी अदा तो गुस्से में और कयामत बरपाती है...मन तो होती है यहीं पटक के चोद दूँ..."
पूजा गुस्से में आँख लाल पीली करती बोली,"ओके, जींस खोल रही हूँ...मुझे चुदनी है यहाँ सबके सामने..." और फिर पूजा अपनी जींस की बटन खोलने लगी...मैं देखी तो तेजी से पूजा की हाथ पकड़ खींच ली...
आसपास नजर दौड़ाई कि कोई देख तो नहीं रहा..पर यहाँ सब अपने में मस्त था...तभी मेरी नजर सामने एक छोटी सी पान की दुकान पर गई जहाँ से एक आदमी लगातार घूरे जा रहा था...मेरी नजर उससे मिलते ही वो गंदी सी हंसी हंस पड़ा....
मैं उससे नजर हटा श्याम की तरफ देखते हुए बोली,"आपको चलना है या नहीं...अगर नहीं जाना तो प्लीज हमें जाने दीजिए...यहां सब देख रहे हैं..."
मेरी बात सुनते ही श्याम मेरी तरफ आगे बढ़े और बोले,"शाली साहिबा की खुजली मिटाए बिना थोड़े ही जाऊंगा...कुछ ही दूर आगे रेड लाइट एरिया है...चलो वहीं जा के पेलता हूँ तुम दोनों को...सोचो जब तुम कोठे पर चुदेगी तो कैसा फील करोगी...बिल्कुल रंडी की तरह...बोलो पसंद है आइडिया...वहां एक कोठे मालकिन से जान पहचान है, वो कमरा दे देगी..."
एकदम धाँसू...मेरी तो सुन के ही बूर में सनसनी की लहर दौड़ गई...मन ही मन गाली दे रही थी शाले पहले क्यों नहीं बताया... मैं तो तैयार थी...बस पूजा की हाँ जानने उसकी तरफ देखने लगी...पूजा भी रेडी ही थी मुझे मालूम थी पर फिर भी पूछनी जरूरी थी..पूजा की आँखें चमकने लगी थी रजामंदी में पर बोली कुछ नहीं...
हम दोनों को यूँ घूरते देख श्याम बीच में हल्के से टोकते हुए बोले,"चलो रण्डियों, अपने कर्म-स्थल पर..."जिससे हम दोनों एक साथ उनकी तरफ देख हौले से मुस्कुरा दी, जिसके जवाब में वो भी मुस्कुराते हुए आगे की तरफ बढ़ गए...
हम दोनों भी खुशी-खुशी चल पड़ी...तभी पूजा हौले से मेरे कान में बोली,"अच्छा हुआ जो मूवी छूट गई...क्यों?" मैं पूजा की बात सुनते ही हँसते हुए उसकी तरफ देख हाँ में मूंडी हिला दी...तभी पता नहीं क्या सूझी पीछे की तरफ पलटी...
ओह नो...वो पान की गुमटी पर खड़ा व्यक्ति कुछ ही दूरी पर पीछे पीछे चला आ रहा था...मैं पूजा को बिना कुछ बताए आगे बढ़ श्याम के ठीक बगल में हो गई..फिर श्याम से नजरें मिलाती साथ साथ मुस्कुरा दिए...
श्याम किसी को फोन कर रहे थे, पता नबीं किसे...शायद कोठे मालकिन...ओफ्फ...मैं भी ना...किसी दूसरे को भी तो कर सकते हैं ना..पर इस वक्त तो नहीं कर सकते हैं दूसरे को....
श्याम: "राम-राम आंटी जी,क्या हाल है?" तभी श्याम फोन पर बोल दिए..ये तो आंटी को ही कर रहे थे...मैं उनकी तरफ नजर डाली तो वे हमारी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...
श्याम: "अपना भी ठीक है आंटी, बस एक छोटा सा मदद चाहिए आंटी अभी.."
श्याम कान में ही फोन सटा कर बात कर थे जिससे मैं उधर की आवाजें नहीं सुन रही थी...
श्याम: " आंटी एक रूम चाहिए अभी...दो मस्त लौंडिया हाथ लगी है.." श्याम की बात सुनते ही मैं और पूजा एक साथ मुस्कुरा पड़ी...इसकी वजह थी वो छुपा रहे थे कि मैं उनकी बीवी और पूजा बहन थी...
श्याम: "नहीं आंटी लोकल नहीं है...बाहर से आई है...और कल चली जाएगी..आप तो जानती ही है कि मुझे चोदने का कितना शौक है...और लोकल में तो सब को कर ही चुका हूँ...तो सोचा...."
हम्म्म...जनाब तो एक दम तेज दिमाग लगा दिए थे...अब शायद हम दोनों को भी इस बनावटी हालात को मैनेज करनी होगी आंटी के सामने...मैं और पूजा एक-दूसरे को ताकते हुए फैसला भी कर ली थी स्थिति को मैनेज करने की...
श्याम: "अच्छा आंटी 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ..फिर बात करते हैं...बॉय.." और फिर श्याम फोन रख दिए...फोन रखते ही श्याम हँस पड़े जिससे हम दोनों भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई...
तभी श्याम की नजर एक शोरूम पर पड़ी..वे हम दोनों को उधर चलने कह बढ़ गए..ये रेडिमेड कपड़ो की बड़ी सी शोरूम थी..हम तीनों अंदर पहुँचे...कस्टमर एक भी नहीं थे..यानि ये भी कुछ देर में बंद होने वाली थी..
श्याम काउंटर के पास जाते ही हेडस्कॉर्फ दिखाने बोले...हम्म्म..समझ गई...ताकि कोई पहचान ना ले दूसरे दिन हमें...कई तरह की हेडस्कॉर्फ सामने बिखेर दिया उसने...हम दोनों ने एक काली और एक पिंक आसमानी कलर की चूज की और अपने चेहरे ढ़क ली...श्याम बिल पे किए और बाहर निकल गए...
बाहर आते ही मेरी नजर उस आदमी को ढूढ़ने लगी जो कुछ देर पहले पीछा कर रहा था...पर वो दूर दूर तक नदारद था..चलो अच्छा हुआ पीछा छूटा कमबख्त से...ख्वामोखाह परेशानी में डाल रहा था...
करीब पाँच मिनट के बाद हम सब एक गली की तरफ मुड़ गए जो गुप्प अँधेरा था...आगे कुछ दूरी पर एक घर में जल रही लाइट से हल्की रोशनी सड़को पर पड़ रही थी पर वो उतनी तेज नहीं थी कि साफ साफ कुछ दिखाई दे सके...
उस घर के समीप पहुँचते ही मेरी नजर उधर घूम गई, पर वहाँ बिल्कुल सन्नाटा था...घर भी कोई खंडहर लग रही थी...बस लाइट की वजह से ही समझ सकती थी कि कोई रहता है...खैर इन बातों को पीछे छोड़ आगे चल पड़ी...
डर भी लग रही थी इस वीरानी अँधेरे से...कुछ दूर और चली तो श्याम बाएँ की ओर मुड़ गए...हम्म्म...सामने काफी दूर तक सड़क नजर आई अब...सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तो दिख रही थी पर जल एक भी नहीं रही थी...वो तो हर घर से निकल रही रोशनी सड़कों पर हल्की उजाला ला रही थी....
हाँ जहाँ मुड़ी वहाँ की जरूर जल रही थी जिसके नीचे खड़े 4 लोग आपस में बात कर रहे थे...तभी उनमें से एक बोला,"ऐ हिरो... रूक.."
मैं और पूजा तो बक सी रह गई और झट से रूक गई...जबकि श्याम बिल्कुल ही निडर बन आराम से रूकते हुए उसगी तरफ बढ़ गए...मैं कुछ अनहोनी की डर से श्याम को रोकना चाहती थी पर वो तब तक वो उसके सामने जाते हुए कड़क आवाज में पूछे,"क्या बात है?"
तभी उनमें से एक बोला," कहाँ से लाए दोनों को...जरा देखूँ तो कौन है..." कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ा जिससे श्याम तुरंत ही अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा रोकते हुए बोले,"देखने से पहले ये जान तो ले कि ये किस कोठे की है...फिर देख लेना इसकी सूरत..."
वो रूकता हुआ श्याम की घूरता हुआ पूछा,"कहां की है.." तभी श्याम खिसक के उसके ठीक सामने जाते हुए दांत पीसते हुए बोले,"तुम सबकी नानी शबनम आंटी की है ये.." फिर क्या...इतना सुनते ही उसके चेहरे की रंगत हवा हो गई और वो पीछे हो गया बिना कुछ आवाज किए....
जिसे देख श्याम हल्के से मुस्कुराए और फिर हम दोनों को इशारा कर चल दिए...हम दोनों भी तेजी से मुड़ते श्याम के बगल में हो गई..फिर श्याम से बोली,"अगर कोई पुलिस वाला रहता तो..."
श्याम मेरी डर को भांपते हुए नजर घुमाते हुए बोले,"जानू, ये शबनम आंटी के डर से पुलिस क्या, कोई एस.पी. भी इधर आने से डरता है...इसकी एक वजह है आंटी समय पर उसका हिस्सा पहुंचा देती और दूसरी यहाँ का सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी से आंटी की जान पहचान..."
हम्म्म्म...मतलब पावरफूल हैं आंटी...मैं उनकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाई या कुछ और पूछ नहीं पाई...तभी मेरी नजर दोनों तरफ से आ रही रोशनी का पीछा करने लगी..घर अधिकतर दो मंजिला थी...
कुछ पुरानी तो कुछ ठीक ठाक...और सब घरों में कुछ औरतें अपनी खुली जिस्म लिए बैठी थी...एक-दो की तो आवाज भी सुनाई पड़ी.."आ जाओ साब, आपकी उस दोनों से ज्यादा मजे दूँगी और पैसे भी कम लगेंगे...आ जा..."
पर श्याम बिना उसकी तरफ देखे बढ़े जा रहे थे...कुछ औरतें जो मालकिन टाइप लग रही थी वो गौर से हम दोनों की तरफ घूरे जा रही थी..शायद पहचानने की कोशिश कर रही थी...तभी श्याम एक तीन मंजिले घर की तरफ रूख कर दिए...
ये भी तो उतनी ढ़ंग की नहीं थी...पर हाँ खंडहर बिल्कुल नहीं लगती थी...गेट पर खड़े दो मर्द बिल्कुल पहलवान की तरह खड़े थे...वो श्याम को देखते ही बोला,"क्या साब, क्या हाल है..."
श्याम मुस्काते हुए बोले,"एकदम झकास उस्मान भाई..." तभी उनमें से दूसरा बोल पड़ा,"भाई, आज तो छोकरी साथ लाए हो...कहाँ की है..." जिसे सुन श्याम रूके और फिर कुछ सोचते हुए हम दोनों की तरफ की आए...अपना हाथ बढ़ा एक झटके में हेडस्कार्फ खींच दिए...
श्याम: "पहचानो तो..." वे दोनों एक टक पहचानने की बजाए भूखी नजरों से घूरने लगे...मैं ज्यादा देर तक नजरे नहीं मिला पाई उससे..तो नजरें आगे की तरफ कर दी..आँखें चुराती तो समझ जाते की ये रंडी नहीं है...फिर कुछ देर बाद श्याम बोले...
श्याम: "उस्मान भाई...ये बाहर की लौंडिया है..खास अपने लिए बुलाया हूँ और सोचा आंटी को भी दिखा दूँ ताकि वो भी ऐसी कड़क माल रखें..." जिसे सुन दोनों हकलाते हुए हाँ में हाँ मिला दिए, पर कुछ बोल ना सके...
फिर श्याम को कुछ शरारत सूझी..वो मेरी बांह पकड़े और उससे सटाते हुए बोले,"छू कर देख लो उस्मान भाई...एकदम घरेलू माल है...बिल्कुल आपकी पसंद की है...एक दिन आंटी से छुट्टी ले कर फुर्सत में रहना...बुलवा दूंगा खास आपके लिए...आप आधे पैसे दे देना...बस...."
उफ्फफ...क्या तगड़ा था वो...सटते ही उसने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कस लिया अपने से...लुंगी में से उसका धारदार लंड सीधा मेरी जींस को फाड़ती चुत तक पहुंच गई...और उससे भी ज्यादा उत्तेजित तो इस बात से हो गई कि कैसे मेरे पति मुझे रंडी बना कर पराये मर्द को सौंप दिए...
अचानक उसने अपना हाथ मेरी गर्दन पर रख हौले से नीचे करने लगा..मेरी तो हालत खराब हो गई खुरदुरे हाथ की छुअन पा कर...मैं अपनी बंद होती आँखें खोलने की कोशिश करने लगी जो मदहोशी से बंद हो रही थी...ऐसे में मैं बिल्कुल नशीली लग रही थी...
तभी मेरी चुची को कुछ रगड़न महसूस हुई...क्या ये मेरी चुची....ओह नो...तभी उसकी उंगली मेरी टी-शर्ट के गले पर महसूस हुई...ये क्या...जब उंगली ऊपर ही है तो अंदर क्या डाल दिया इसने जो रगड़ती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही है...
मैंने काफी कोशिश कर आँखें नीचे कर अपनी चुची पर की...ओह..ये तो मेरी टी-शर्ट के अंदर घुसी मंगल सूत्र को बाहर खींच रहा था..तभी उसने मंगलसूत्र पूरी बाहर कर मेरी दोनों चुची के बीच रख मेरी चुची दबा दिया...
मैं सिहर सी गई इस चुभन से...तभी उसने मुझे पलट मेरी गांड़ पर अपना लंड चिपका दिया और अपना हाथ मेरी चुची के ठीक निचले हिस्से पर रखते हुए बोला,"साब, अब देखो...एकदम मेरे ख्यालों वाली..."
मैं उसके सीने से चिपकी श्याम की तरफ देख मुस्कुराने लगी..जबकि पूजा को वो दूसरा आदमी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल देख रहा था...श्याम की नजर मुझ पर पड़ते ही मवो मुस्कुरा कर वाव कह पड़े...
उस्मान: "साब, अब ले जाओ दोनों को वरना आप का पैसा बरबाद हो जाएगा...पूरी रात छोड़ूंगा नहीं इसे..."कहते हुए उसने मुझे श्याम की तरफ धकेल दिया..मैं सीधी श्याम के बांहों में आ गई...श्याम हंसते हुए ओके कहे और पूजा को चलने बोले...
पूजा पूरे मस्त हो गई थी पर मजबूरी थी छोड़ने की, मेरी हालत भी बिगड़ ही चुकी थी...मन मसोस कर वो अलग हुई और धीरे से उस आदमी के होंठ पर किस कर अलग हो गई बिल्कुल रंडी की तरह जो कहीं नहीं शरमाती...
फिर श्याम के हाथों से हेडस्कॉर्फ ली और उनके साथ सीढ़ी की तरफ चल दी...सीढ़ी चढ़ते जब वापस उस्मान की तरफ देखी तो मेरी हंसी निकल पड़ी..वो दोनों अपना-2 लंड बाहर निकाल हिला रहा था...मुझे हंसते देख पूजा भी पलट गई...
पूजा के पलटते ही वो दोनों अब हमारी तरफ घूर रहे थे...जिसे देख पूजा एक फ्लाइंग किस दोनों तरफ उछाल दी..जिससे वो कराहते हुए अपना पानी छोड़ दिए...फिर हम दोनों आगे की तरफ भागती हुई चढ़ने लगी...
_____[....क्रमशः]_____
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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