FUN-MAZA-MASTI
चाचा—कोई बात नहीं जानू ..लेकिन में तो घबरा गया था..की मेरी हसंती-खेलती रानी को.. अचानक क्या हो गया..?? अब केसा लग रहाहै?? चलो सोजाते है..
चाची—नहीं जानू..तुम्हे..आसमान की सेर कराके ही सो जाउंगी...,( मुझे और दादी को राहत हुई चलो सब ठीक तो है....)
चाचा—नहीं रानी..तुम्हे दर्द होगा...
चाची-- नहीं होगा.. मेरे रंगीले राजा...देखो ये भी तेयार हो गया है..
चाचा—तेरे जेसी जीवनसाथी पा के मेतो धन्य हो गया...कितना ख्याल रखती हो..
चाची- जी मेरे मालिक..ख्याल..तो रखना ही पडेगा..अगर घरमें भूखे रहे तो..बाहर मुंह मारोगे...
चाचा—नहीं जानू..तुम घरमे ही रोज नया-नया परोसती हो तो...में बाहर जाने का सोचभी नहीं सकता....में जेसा कहता हु तुम हंमेशा..वेसा करने को तैयार हो जातिहो..सचमे रानी में बहुत खुशनसीब हूँ...
चाची—मुझे मालुम है मैने अभी तक मेरी एक चीज आपको..नहीं दी है लेकिन वो..भी आपको बहुत जल्द मिलने वाली है...
चाचा—क्या..नया..खिलाने वाली हो..??जरा बताओ तो सही..
चाची— मुझे मालुम है जब मुझे घोड़ी बनाते हो तो लंड को मेरी गांड पे घुमाते हो..लेकिन अब..कुछ ही दिनोंमें में आपसे गांड भी मरावाउंगी...थोडा इन्तजार करना पडेगा...
चाचा- पर कुछ दिनों पहले जब मेने गांड में उंगुली डाली थी.तो तुम रो..पड़ी थी..और वहां से खून भी निकलाथा.
चाची—लेकिन आज...जानू लाओ तुम्हारी उंगुली...मेरे मुह में डालो..उस पर थूंक लगा देती हूँ...फिर तुम इसे मेरे पीछे धीरे से डालना..
चाचा- ये तो चमत्कार हो गया..केसे हुआ..ये....मेरे..ऊँगली पूरी चली गई..और तुमने आह तक नहीं की...
चाची—मेरी जान तेरे लिए..तो कुछ भी करने को तैयार हु..ये क्या चीज है..अब उंदरडाले अनाड़ी जेसे..बेठे...मत रहो.थोडा अंदर-बाहर भी करो..मुझे मजा आरहा है....
चाचा – लेकिन..तुम्हारा दर्द कहाँ गया...केसे हुआ...बताओना जानू...
चाची—ये एक लम्बी कहानी है...फिर कभी..
चाचा—नहीं येतो तुम्हे बताना ही पडेगा..
चाची—तो,सुनो...उसदिन जब खून निकाल आयाथा.तो तुमने मुझे बोरोप्लस लगाने को दी थी...उस रात तो तुमने ही गांड पे लगा दी थी...लेकिन दुसरे दिन..बाथरूम में नहाते वक्त..मेने खुद लगाई...तीसरे दिन दर्द नहीथा..फिरभी मेने ट्यूब गांड पे लगाईं..अगलेदीन सब ठीक होगया..था..चेक करने केलिए...मेने अपनी उंगुली..गांड पे घुमाई ..गुद-गुद्दी सी हुई अच्छा लगा..तो थोड़ी ट्यूब उंगली पे लेके...गांड के छेद पर घुमाने लगी...मजा आरहाथा...जान..
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में और मेरी प्यारी माँ--4
में कमरे में बेठा था.दादी आई चाची बर्तन साफ़ कर रही थी..दादी मेरे सामने साड़ी घुटनों से उपर उठा के अखबार में मुह डाले बेठ गई..में उनकी और देखने लगा...सांवली जांघे दिखाई दी..दादीने मेरी और आँखे निकाली....मेरे चेहरे पे रूठने के भाव आगये.. में भिखारीयों जेसा मुह बनाके उनकी और देखने लगा..फिर...खड़ा होने लगा...तो दादीने वहीँ बेठने का इशारा किया..मुस्कुराई..और जांगो को थोडा खोल दिया..अब चूत दिखाई देती थी..क्या..मस्त चूत थी..काली..और जाँघो के बीच फूली हुई पावरोटी जेसी...चूत में से थोड़ी चमड़ी बाहर निकली हुईथी...माँ की चूत से उनकी चूत काफी बड़ी थी..चूत के ऊपर छोटे-छोटे काले बाल थे..उन्हें साफ़ किये शायद हफ्ता हो गया था...पहली बार में दादी की चूत देख रहा था...वेसे रात के अंधेरेमे दोबार चोद दियाथा...लकिन देख रहाथा..पहलीबार..मेरा लंड सलामी दे रहाथा..मे पेंट के उपरसे ही लंड को सहलाने लगा...दादी देखकर मुस्कुरा रही थी...मेंरी हालत और ख़राब होने वाली थी..दादीने हाथ निचे कर के चूत में अपनी उंगली डाल दी...और मेरे देखते ही अंदर-बाहर करने लगी....मेंने भी पेंट में हाथ डालकर लंड हो सहलाने-दबाने लगा...हम एक-दुसरे की आँखों में देखकर मनो चुदाई कर रहे थे...दादी का मुह लाल हो गया..शायद वो जड़ने को तैयार थी..पर उंगली निकाल ली..और साड़ी ठीक करदी..मेने भी हाथ पेंटसे निकाल दिया....इतने मे ही चाची आगई..मुझे तो ऐसा लगा जेसे बाल-बाल बच गये...दोनों अखबार में मुह डाले देर तक बेठे रहे चाची टीवी देखने लगी.
...नोर्मल होने के बाद....दादी ने चुप्पी तोड़ी..बहु आज..गर्मी बहुत है...हाँ मांजी..आपको कपडे बदलने है? मेरे पास एक नया गाउन है जो अभी मेने फिट नहीं करवाया शायद आपको सूट होजायेगा..वेसे साड़ी में गर्मी ज्यादा लगती होगी...दादी..हाँ देखना मेरा ब्लाउज तो पसीने से गिला होता जारहा है..सचमे दादी के कांख से बाहों तक और चूचीका भी कुछ हिस्सा गिला हो गया था..चाची ने कोटन का गाउन दिया दादी दुसरे रूम्मे गई और चेंज करके आगई..गाउन कुछा ज्यादा ही सूट कर रहाथा ...उनके बड़े-बड़े दूध और मोटे-मोटे चुत्तड क्या गजब के लग रहे थे...गाउन की बाहै नहीं थी दादी की कंधो तक नंगी बाहै..ओह क्या नजारा था...में तो आँखे फाड़-फाड़ कर देखता ही रह गया..दादी मुस्कुराई बोली क्या देख रहा है.???.....जी करता था बोलदू की क्या.....सॉलिड माल..लग..रही हो.. पर मेने कहा- दादी आपको गाउन में पहलीबार देखा..तो चाची..भी..कुछ अजीब सी नजरों से देख रहीथी..वो.. हंस रहीथी..दादीने उनकी और देखा..बोली...-क्यों? बहु, में क्या बहुत मोटी दिखती हूँ..?
चाचिने कहा- एसा.. नहीं माँज़ी..इनमे..आपकी उमर कम दिख...रही है... में बोलनेवाला था और जिस्म ज्यादा दिख रहाहै...पर नहीं बोला.
दादी हंसकर बोली-..तो क्या...तु मुजे बुड्ढी समझ रही..थी..
चाची-..आप भी न मांजी..वेसे आपकी उमर क्या है..दादी- ५१ साल...तब तो आप जवान ही हो..क्यों की गवर्मेंट भी ६० साल के बाद रिटायरमेंट देती है....और दोनों ठहाके मारकर हंसने लगे मेभी हंसने लगा...
दादी- ने मेरी तरफ देखा बोली राहुल बता इसे में कितनी जवान हूँ.....मेक्या बोलता?? <ये...की..साली रांड की तरह लंडको ऊपर से कूद-कूद कर उसे चोद सकती है..> वो खुद बोली बरोडा से अहमदाबाद तक बस में खड़ी-खड़ी आई हु..क्यों..राहुल..
में – हाँ,चाची...वेसे बसमे बेठने की जगह ही नहीं थी..
चाची- सच में मांजी आपमें..आज भी इतनी ऊर्जा है..पता नहीं हम आपकी उमर में केसे होंगे...फिर हमारे ज़माने में.....से ले कर...आजके ज़माने तक की बाते होने लगी.... में भी कभी-कभी हाँ-ना करता रहा.......चाची ने कहा तुझे भी पेंट बदलना हो तो तेरे चाचा की लुंगी दूँ..? मेने कहा जी दीजिए.... मेंने लुंगी पहन ली...वक्त गुजरने लगा और वेसे भी गर्मी की वजह से नींद तो आणि नहीं थी... चाची फ्रिज से आइसक्रीम निकाल लाइ सब ने खाया....सब बातें कर रहेथे..४:३० बज गये चाचा का फोन आया वो ७:३० बजे आ रहे है.. चाची बोली- मांजी ऐसी गर्मी में तो नहाना चाहिए..दादी ने कहा-तू नहा ले बाद में में नहाती हूँ..चाची बथारुममें चली गई..........................
चाचिने कहा- एसा.. नहीं माँज़ी..इनमे..आपकी उमर कम दिख...रही है... में बोलनेवाला था और जिस्म ज्यादा दिख रहाहै...पर नहीं बोला.
दादी हंसकर बोली-..तो क्या...तु मुजे बुड्ढी समझ रही..थी..
चाची-..आप भी न मांजी..वेसे आपकी उमर क्या है..दादी- ५१ साल...तब तो आप जवान ही हो..क्यों की गवर्मेंट भी ६० साल के बाद रिटायरमेंट देती है....और दोनों ठहाके मारकर हंसने लगे मेभी हंसने लगा...
दादी- ने मेरी तरफ देखा बोली राहुल बता इसे में कितनी जवान हूँ.....मेक्या बोलता?? <ये...की..साली रांड की तरह लंडको ऊपर से कूद-कूद कर उसे चोद सकती है..> वो खुद बोली बरोडा से अहमदाबाद तक बस में खड़ी-खड़ी आई हु..क्यों..राहुल..
में – हाँ,चाची...वेसे बसमे बेठने की जगह ही नहीं थी..
चाची- सच में मांजी आपमें..आज भी इतनी ऊर्जा है..पता नहीं हम आपकी उमर में केसे होंगे...फिर हमारे ज़माने में.....से ले कर...आजके ज़माने तक की बाते होने लगी.... में भी कभी-कभी हाँ-ना करता रहा.......चाची ने कहा तुझे भी पेंट बदलना हो तो तेरे चाचा की लुंगी दूँ..? मेने कहा जी दीजिए.... मेंने लुंगी पहन ली...वक्त गुजरने लगा और वेसे भी गर्मी की वजह से नींद तो आणि नहीं थी... चाची फ्रिज से आइसक्रीम निकाल लाइ सब ने खाया....सब बातें कर रहेथे..४:३० बज गये चाचा का फोन आया वो ७:३० बजे आ रहे है.. चाची बोली- मांजी ऐसी गर्मी में तो नहाना चाहिए..दादी ने कहा-तू नहा ले बाद में में नहाती हूँ..चाची बथारुममें चली गई..........................
.पानी की आवाज आने लगी..में उठा..दादी का हाथ पकड़कर खड़ा कर दिया और.. कसकर बाहोंमे भर लिया.उन्होंने भी अपने हाथ मेरे गले में डाल दिए....और मुझसे चिपककर खड़ी हो गई..ये हमारा पहला आलिंगन था...कुछ देर तक इसे ही खड़े रहे..में उनकी पीठ और चुत्तड़ो को सहलाता रहा....वोभी मुझे दबाने और अपने बदन से भिड़ने लगी..में उनके कांख को सूंघने लगा..छोटे-छोटे बाल थे...पसिनेसे भीग गयेथे..मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी..में कांख को चाटने लगा.. उनकी साँसे तेज होने लगी..दादी मेरे कानमें फुसफुसाई बस करो..रात पड़ेगी..मेने उनको चूमा..दोनों होठो पे इमरान हाश्मी वाला किस किया....मेरी जीभ उनके मुंहमे डालकर उनकी जीभ पर घिसने लगा..दादी मेरी लुंगी में उभरे हुए लंड पे चूत घिस रहीथी.में हाथो से उनके चुत्तड़ो को अपनि तरफ जोर से दबा रहाथा....दादी की हालत ख़राब हो गई...साँसे ज्यादा तेज हो गईथी..कुछदेर तक एसा चलता..रहा..उन्होंने मुझे धक्का दे दिया...में गिरते-गिरते संभल गया...उन्होंने फिर पास आकर मेरे कानमे कहा ये क्या कर दिया? देख में झड गई हु....उनका गाउन चुतके पास गिला हो गया था..पानी का बड़ा सा धब्बा बन गया था...वो मेरी तरफ देख रहीथी...............
असमन्जस में थी की गुस्सा करे या मुस्कुराये...में थोडा घबरा गया.. पर दादी मुस्कुराई..मेरे नजदीक आई और लुंगी उठा कर लंड को देखने लगी..हाथमे पकड लिया..मेरे कान में फुसफुसाई..बहुत बड़ा है...मेरी बड़ी..चूत के लिए ऐसा...बड़ा ही हथियार चाहिए था.... अच्छा हुआ घरमें ही मिलगया....और दबाने-सहलाने लगी...कभी अन्गुठेसे सुपाडे को मसल देती..कभी मेरे आंडो को थपथपाती..में चूत में ऊँगली करना चाहता था.लेकिन दादीने मना करदी...अभी भी बाथरुमसे पानी गिरने आवाज आरही थी...उन्होंने मेरे कान में कहा..में तेरा चूस लेती हूँ..पर रात की तरह..मुंहसे आवाज मत निकालना...मेने हाँ में गर्दन हिलाई..दादीने कहा काम पूरा होते ही लोडे को संभाल कर दबा लेना कही बहु को पता ना चल जाए..फिर वो मुझे बाथरूम के पास ले गई... ताकि चाची के आने डर न रहे ...चाची अंदर नहा रही थी...दादी बेठ गई मेरा लंड बाहर निकालकर चुसना सुरु कर दिया...मेने उनके सर को पकड़ा उन्होंने मेरे हाथ हटा दिए...सुरुआत में सुपाड़ा मुहमे लिया फिर आधा लंड ...फिर पूरा लंड मुंहमे लेकर मजे से चूसने लगी....हमे चाची का डर भी लग रहा था ओर मजा भी आरहा था....कुछ् देरबाद मेरी साँसे तेज होने लगी.. मेभी चुत्तड हिलाने लगा वो समझ गई...लंड को आधा पकड लिया होंठो को सख्त किया और जल्दी से लंड को मुंह में अंदर-बाहर करने लगी....मेरा माल छुट गया फिर भी वो लोडे को चूसते ही रही....मेने उनके मुंह की और देखा पूरा मुंह मेरे वीर्य से भर गयाथा..और उसमे लंड को अंदर-बाहर करने से होंठो पर झांक बनी हुई थी...उन्होंने मेरे लंड को निकाला और मेरे सामने देखते हुए...पूरा माल घटकर पि गई.....मुस्कुराई...और आंखमारी....फिर...होंठो पर लगे झांक को भी जीभ से चाट लिया..मुस्कुराई...और लोडे को चाटकर साफ़ कर दिया...जब वो खड़ी हुई तो....तो मेने भी होठों पर किस करदिया..मे रुम में चला आया..पीछे वो भी आ गई....चाची अभी बाथरुममे थी....मेने दादी को फिर कस के पकड़ा और कानमें थेंक्यु कहा मेरा हाथ चुत्तड़ो पर गया कुछ गिला-गिला लगा...मेने उनको घुमादिया तो चुत्तड़ो के पास......भी गाउन गिला होगया था...और बड़ा धब्बा बन गया था...मेने इशारे से पूछा...ये क्या...??..तो उन्होंने बताया... जब तेरे लंडने मेरे मुंह में माल डाल दिया तब मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया..और में दुबारा झड गई....मेने कहा आपमें सचमुच जवानी की ऊर्जा कूट-कूट कर भरी हुई है...उन्होंने कहा तेरे लिए...संभालकर रखी है...मेने दुबारा किस किया...बाथरूम से पानी आवाज बंद हो गई वो जल्दीसे टॉवेल लेकर बाथरूम के दरवाजे पर चली गई...चाची को आवाज दी ..चाची ने कहा जी मांजी में निकाल ही रही हूँ...जेसे ही चाची निकली दादी जट से अंदर घुस गई..ताकि चाची की नजर गिले हुए गाउन पर ना पड़े.... दादी नहाकर आई मेभी नहाने चला गया..बाहर आया..कपडे पहने...
दादी मेरी तरफ देखकर बोली, क्यों अब अच्छा लग रहा है ना ....मेने मुस्कुराते कहा, हाँ दादी अब गर्मी से कुछ राहत मिली...दादी हंसने लगी और बोली - बेटा रात को इससे अच्छी ठंडक मिलेगी...,में हंसने लगा..इतने में चाची चाय लेकर आई चाय डालते हुए बोली मांजी आपको कैसा लगा ...दादी मेरी और देखकर बोली...मुझे अच्छी ठंडक लग रही है...मानो बदन की सारी गर्मी निकाल गई....में उनकी और देखकर मुकुरारहा था. चाची-मेने कहाथा ना नहाने से अच्छा लगेगा...चाची को क्या मालूम दादी किस गर्मी की बात कर रही है...वो तो रोज आसमान की सेर कर आती है..उनको क्या मालूम की गर्मी केसी लगती है...?? असमन्जस में थी की गुस्सा करे या मुस्कुराये...में थोडा घबरा गया.. पर दादी मुस्कुराई..मेरे नजदीक आई और लुंगी उठा कर लंड को देखने लगी..हाथमे पकड लिया..मेरे कान में फुसफुसाई..बहुत बड़ा है...मेरी बड़ी..चूत के लिए ऐसा...बड़ा ही हथियार चाहिए था.... अच्छा हुआ घरमें ही मिलगया....और दबाने-सहलाने लगी...कभी अन्गुठेसे सुपाडे को मसल देती..कभी मेरे आंडो को थपथपाती..में चूत में ऊँगली करना चाहता था.लेकिन दादीने मना करदी...अभी भी बाथरुमसे पानी गिरने आवाज आरही थी...उन्होंने मेरे कान में कहा..में तेरा चूस लेती हूँ..पर रात की तरह..मुंहसे आवाज मत निकालना...मेने हाँ में गर्दन हिलाई..दादीने कहा काम पूरा होते ही लोडे को संभाल कर दबा लेना कही बहु को पता ना चल जाए..फिर वो मुझे बाथरूम के पास ले गई... ताकि चाची के आने डर न रहे ...चाची अंदर नहा रही थी...दादी बेठ गई मेरा लंड बाहर निकालकर चुसना सुरु कर दिया...मेने उनके सर को पकड़ा उन्होंने मेरे हाथ हटा दिए...सुरुआत में सुपाड़ा मुहमे लिया फिर आधा लंड ...फिर पूरा लंड मुंहमे लेकर मजे से चूसने लगी....हमे चाची का डर भी लग रहा था ओर मजा भी आरहा था....कुछ् देरबाद मेरी साँसे तेज होने लगी.. मेभी चुत्तड हिलाने लगा वो समझ गई...लंड को आधा पकड लिया होंठो को सख्त किया और जल्दी से लंड को मुंह में अंदर-बाहर करने लगी....मेरा माल छुट गया फिर भी वो लोडे को चूसते ही रही....मेने उनके मुंह की और देखा पूरा मुंह मेरे वीर्य से भर गयाथा..और उसमे लंड को अंदर-बाहर करने से होंठो पर झांक बनी हुई थी...उन्होंने मेरे लंड को निकाला और मेरे सामने देखते हुए...पूरा माल घटकर पि गई.....मुस्कुराई...और आंखमारी....फिर...होंठो पर लगे झांक को भी जीभ से चाट लिया..मुस्कुराई...और लोडे को चाटकर साफ़ कर दिया...जब वो खड़ी हुई तो....तो मेने भी होठों पर किस करदिया..मे रुम में चला आया..पीछे वो भी आ गई....चाची अभी बाथरुममे थी....मेने दादी को फिर कस के पकड़ा और कानमें थेंक्यु कहा मेरा हाथ चुत्तड़ो पर गया कुछ गिला-गिला लगा...मेने उनको घुमादिया तो चुत्तड़ो के पास......भी गाउन गिला होगया था...और बड़ा धब्बा बन गया था...मेने इशारे से पूछा...ये क्या...??..तो उन्होंने बताया... जब तेरे लंडने मेरे मुंह में माल डाल दिया तब मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया..और में दुबारा झड गई....मेने कहा आपमें सचमुच जवानी की ऊर्जा कूट-कूट कर भरी हुई है...उन्होंने कहा तेरे लिए...संभालकर रखी है...मेने दुबारा किस किया...बाथरूम से पानी आवाज बंद हो गई वो जल्दीसे टॉवेल लेकर बाथरूम के दरवाजे पर चली गई...चाची को आवाज दी ..चाची ने कहा जी मांजी में निकाल ही रही हूँ...जेसे ही चाची निकली दादी जट से अंदर घुस गई..ताकि चाची की नजर गिले हुए गाउन पर ना पड़े.... दादी नहाकर आई मेभी नहाने चला गया..बाहर आया..कपडे पहने...
शाम को चाचाजी आगये..सब साथ में खाना खाने लगे..चाचा ने बताया कल उन्होंने छुट्टी लेली है...और सामन ट्रांसफर करने केलिए टेम्पो वाले को भी कह दिया है...वो साथ में दो मजदुर भी लाएगा वेसे शादी का मोसम है इसलिए मजदुर मिलना मुश्किल है..मेने कहा में हैल्प करने के लिए तो आया हु..चाचा -- वोतो है लेकिन मजदुर आजाये तो अच्छा है.. ऐसी कुछा बातें होती रही फिर सब सो गये??.... नहीं..वो आसमान की सेर करने कि सोच रहेथे ...हम गर्मी भगाने की सोच रहे थे...आज कुछ जल्दी ही..आसमान में जाने की तयारी होने लगी....
चाची-ओह..आपका ड्रामा सुरु हो गया..पहले चेक तो करो..वो सोये है या नहीं...
चाचा-तू..भी..ना उनके आने के दो...दिन से तेरी ठुकाई कर रहा हु..तू खामखा शक करती है..देख वो आराम से सोये..है...
चाची- अँधेरे में क्या देखू?..
चाचा-हाँ यार,तुझे नंगा देखे कई दिन हो गये...चलोना किचन में चलते है..
चाची-अँधेरे मेभी इसी को ठोकना है उजाले मेभी इसीको..राजा...अभी काम करो..और मुजेनंगी देखना है तो सुबह जल्दी उठजाना..
चाचा- ओके..डार्लिंग..आओ तुझे में अपनी गोदी में बेठा के प्यार करताहू...
चाची- क्यूँ लेटे हुए चूत मारने में तकलीफ होती है क्या...
चाचा-क्यों मुड ख़राब कर रही हो..
चाची –रूठो मत मेरि जान येचुत तुम्हारी तो है जेसे चाहो चोदते रहो...
चाचा- हाँ..ऐसे ही सामने मुह करके बेठा जाओ..पहले थोडा संतरे का रस पिलाओ..
चाची- पीले-पीले ओ मेरे राजा...मेरे चुचों से ...आह ऐसे ही पुरे चुचे को मुहमे भर के चुसो..ओह..
चाचा-तेरे छोटे-छोटे संतरों का रस पीना मजा आजाता है...
चाची-इसलिए..तो बड़ा नहीं होने देती..जानू..तुम जब पूरा संतरा आह्ह..उह्मे भर लेते हो तो..आह्ह्ह..निकाल जातिहै ..और..
चाचा-और क्या रानी..चाची और चूत गीली हो जाती है...
चाचा- सचमे?..चलो खड़ी होजाओ चूत का भी रस चूसता हु...
चाची- लो ...जी भर के चूस लो..चाचा-एक पैर मेरे कन्धे पर रखदो...हाँ ऐसे ही...
चाची- ओह..आह्ह..ऐसे तो आप की पूरी..जीभ अंदर तक जाती है..ओह्ह.. जानूतू..म.आज जल्दी ही मुझे ..आह्ह..आसमान में पंहुचा दोगे...ओह्ह..
चाचा- नहीं जान जल्दबाजी मत करो... आजाओ...गोदी में बेठ जाओ ...
चाची—ओह ..लो..जी..तुम्हारी गोदी में आ गई....अब मेरे संतरे..को मुहमे भर लो..जान्न्न...आह...
चाचा-मजा आ..रहा..हैडार्लिंग ऐसे ही चुत्तड़ो को आगे-पीछे करती...रहो..तुम्हारी..चुतपे.. लंड को रगडती....रहो..
चाची-.ससस्स...आ.हह..राजा...तु म्हारा लंड..कितना गरूम है...ओह्ह...मेरी चूत...से...रगड़ता..हुआ....तुम् हारा..सुपाड़ा...गांड को छूता है....आह्ह्हह्ह्ह्ह...बहुत मजा आरहा है...जान...
चाचा-हाय मेरी..रानी..बस ऐसे ही चुत्तड़ो को हिलाती..रहो...ओह्ह....
चाची-औ..डार्लिंग...स्स्स्स.... आह्ह्ह्ह..मेरे..संतरों.आह्ह्ह. ..को मुहमे डालकर..चुसो....आह्ह्ह...अपने हाथ...से..अहह..मेरे चुत्तड़ो..स्स्स्स...अपन लोड़े..पे..घिसो...ओह जान...बस इसे ही करते रहो.....
चाचा—ओह मेरी रानी ....आह्ह्ह..लो...और तेज..तेरी चूत...के..पानी...से पूरा गिला होगयाहै...अंदर डाल दू...
चाची—नहीं...जानू..आह्ह्ह...एसा ही करने दो मुझे....आह्ह्ह्ह....आज तो..तुम्हारे गरूम लोडे पे सस्स्स्स..सवार होके आह्ह...आसमान में जा रही हूँ..जान...आह्ह्ह..अब डिस्टर्ब मत करो..एसा ही करते.... रहो....ओह्ह्ह.....ओह्ह्ह्ह..., चाची की साँसे तेज चल रही थी...शायद वो आसमान पे पहुचने वाली थी..चाची—ओह ...सस्स्स्स....आह्ह्हह्ह...ओह् ह्ह...ओह्ह्ह...ओह्ह..नो..जान.. .आह्ह..उईईई..माँ...स्टॉप..राजा ....स्टॉप... कुछ देर बाद
चाचा—जानू ...क्या...अब .मेरे लंड को अपनी चूत में घुसने की इजाजत है...
चाची—हाँ पर आहिस्ता...धीरे..से..एक ही झटके में नहीं..
चाचा—लो ये मेरा सुपाड़ा गया....और ये...लंड..भी...घु...
चाची—उईईईइ..मम्मी....मम्मी..ना ...मर गैईई.. (..चाची इतनी बड़ी जोर से चीखीथी की में और दादी दोनों खड़े हो गये...अगर मेने दादी के मुह पर हाथ नहीं रखा होतातो वो बोल भी जाती..क्या हुआ...बहु??? )..चाचा ने झटसे मोबाइल ओंन किया उजाले में चाची को देखने लगे..में और दादी लेट गये...लेकिन में चुपकेसे देखने लगा क्या हुआ...है..चाची के आँखों से आंसू निकाल रहेथे..
चाचा-तू..भी..ना उनके आने के दो...दिन से तेरी ठुकाई कर रहा हु..तू खामखा शक करती है..देख वो आराम से सोये..है...
चाची- अँधेरे में क्या देखू?..
चाचा-हाँ यार,तुझे नंगा देखे कई दिन हो गये...चलोना किचन में चलते है..
चाची-अँधेरे मेभी इसी को ठोकना है उजाले मेभी इसीको..राजा...अभी काम करो..और मुजेनंगी देखना है तो सुबह जल्दी उठजाना..
चाचा- ओके..डार्लिंग..आओ तुझे में अपनी गोदी में बेठा के प्यार करताहू...
चाची- क्यूँ लेटे हुए चूत मारने में तकलीफ होती है क्या...
चाचा-क्यों मुड ख़राब कर रही हो..
चाची –रूठो मत मेरि जान येचुत तुम्हारी तो है जेसे चाहो चोदते रहो...
चाचा- हाँ..ऐसे ही सामने मुह करके बेठा जाओ..पहले थोडा संतरे का रस पिलाओ..
चाची- पीले-पीले ओ मेरे राजा...मेरे चुचों से ...आह ऐसे ही पुरे चुचे को मुहमे भर के चुसो..ओह..
चाचा-तेरे छोटे-छोटे संतरों का रस पीना मजा आजाता है...
चाची-इसलिए..तो बड़ा नहीं होने देती..जानू..तुम जब पूरा संतरा आह्ह..उह्मे भर लेते हो तो..आह्ह्ह..निकाल जातिहै ..और..
चाचा-और क्या रानी..चाची और चूत गीली हो जाती है...
चाचा- सचमे?..चलो खड़ी होजाओ चूत का भी रस चूसता हु...
चाची- लो ...जी भर के चूस लो..चाचा-एक पैर मेरे कन्धे पर रखदो...हाँ ऐसे ही...
चाची- ओह..आह्ह..ऐसे तो आप की पूरी..जीभ अंदर तक जाती है..ओह्ह.. जानूतू..म.आज जल्दी ही मुझे ..आह्ह..आसमान में पंहुचा दोगे...ओह्ह..
चाचा- नहीं जान जल्दबाजी मत करो... आजाओ...गोदी में बेठ जाओ ...
चाची—ओह ..लो..जी..तुम्हारी गोदी में आ गई....अब मेरे संतरे..को मुहमे भर लो..जान्न्न...आह...
चाचा-मजा आ..रहा..हैडार्लिंग ऐसे ही चुत्तड़ो को आगे-पीछे करती...रहो..तुम्हारी..चुतपे.. लंड को रगडती....रहो..
चाची-.ससस्स...आ.हह..राजा...तु
चाचा-हाय मेरी..रानी..बस ऐसे ही चुत्तड़ो को हिलाती..रहो...ओह्ह....
चाची-औ..डार्लिंग...स्स्स्स....
चाचा—ओह मेरी रानी ....आह्ह्ह..लो...और तेज..तेरी चूत...के..पानी...से पूरा गिला होगयाहै...अंदर डाल दू...
चाची—नहीं...जानू..आह्ह्ह...एसा ही करने दो मुझे....आह्ह्ह्ह....आज तो..तुम्हारे गरूम लोडे पे सस्स्स्स..सवार होके आह्ह...आसमान में जा रही हूँ..जान...आह्ह्ह..अब डिस्टर्ब मत करो..एसा ही करते.... रहो....ओह्ह्ह.....ओह्ह्ह्ह...,
चाचा—जानू ...क्या...अब .मेरे लंड को अपनी चूत में घुसने की इजाजत है...
चाची—हाँ पर आहिस्ता...धीरे..से..एक ही झटके में नहीं..
चाचा—लो ये मेरा सुपाड़ा गया....और ये...लंड..भी...घु...
चाची—उईईईइ..मम्मी....मम्मी..ना
चाचा ने उनको लिटा दिया और अपनी नंगी गोदमें सिर लेलिया...चूमने लगे...चूत पर हाथ फेरनेलगे...मोबाईल बंद हो गया...मेने दादी के सिनेपर हाथरखा उनकी धड़कने तेज चलरही थी..में भी उनके सिर को सहलाने लगा ..काफी देरबाद चाचा उठे पानीकी बोतल ले आये और चाची को पानी पिलाया...फिर गोद में सिरलेके बेठगये... चाचा—क्या हुआ..रानी..मेने तो धीरे हि डालाथा...चाची—जब आपने मुझे गोदीमे बैठाया तो बड़ा अच्छा लगरहा था..आपका लंड चूत पे था..और आगे-पीछे होते वक्त गांड को छू रहाथा..मजा आरहा था..और मेरा..स्खलन भी होगया..लेकिन जब आपने अंदर डाला तब..तो मेरी जान ही निकाल गई....गोदीमे बेठी होने की वजह से वो सीधा..अंदर तक चला गया और..सुपाड़ा..तो बच्चेदानी तक पहुच गयाथा..मुझे लगा जेसे..चूत तो फट हीगई लेकिन बच्चेदानी को भी फाड़देगा..और मेरे मुंह से चीख निकाल गई...सोरी जान..तुम्हारा मुड ख़राब हो गया..
चाची—नहीं जानू..तुम्हे..आसमान की सेर कराके ही सो जाउंगी...,( मुझे और दादी को राहत हुई चलो सब ठीक तो है....)
चाचा—नहीं रानी..तुम्हे दर्द होगा...
चाची-- नहीं होगा.. मेरे रंगीले राजा...देखो ये भी तेयार हो गया है..
चाचा—तेरे जेसी जीवनसाथी पा के मेतो धन्य हो गया...कितना ख्याल रखती हो..
चाची- जी मेरे मालिक..ख्याल..तो रखना ही पडेगा..अगर घरमें भूखे रहे तो..बाहर मुंह मारोगे...
चाचा—नहीं जानू..तुम घरमे ही रोज नया-नया परोसती हो तो...में बाहर जाने का सोचभी नहीं सकता....में जेसा कहता हु तुम हंमेशा..वेसा करने को तैयार हो जातिहो..सचमे रानी में बहुत खुशनसीब हूँ...
चाची—मुझे मालुम है मैने अभी तक मेरी एक चीज आपको..नहीं दी है लेकिन वो..भी आपको बहुत जल्द मिलने वाली है...
चाचा—क्या..नया..खिलाने वाली हो..??जरा बताओ तो सही..
चाची— मुझे मालुम है जब मुझे घोड़ी बनाते हो तो लंड को मेरी गांड पे घुमाते हो..लेकिन अब..कुछ ही दिनोंमें में आपसे गांड भी मरावाउंगी...थोडा इन्तजार करना पडेगा...
चाचा- पर कुछ दिनों पहले जब मेने गांड में उंगुली डाली थी.तो तुम रो..पड़ी थी..और वहां से खून भी निकलाथा.
चाची—लेकिन आज...जानू लाओ तुम्हारी उंगुली...मेरे मुह में डालो..उस पर थूंक लगा देती हूँ...फिर तुम इसे मेरे पीछे धीरे से डालना..
चाचा- ये तो चमत्कार हो गया..केसे हुआ..ये....मेरे..ऊँगली पूरी चली गई..और तुमने आह तक नहीं की...
चाची—मेरी जान तेरे लिए..तो कुछ भी करने को तैयार हु..ये क्या चीज है..अब उंदरडाले अनाड़ी जेसे..बेठे...मत रहो.थोडा अंदर-बाहर भी करो..मुझे मजा आरहा है....
चाचा – लेकिन..तुम्हारा दर्द कहाँ गया...केसे हुआ...बताओना जानू...
चाची—ये एक लम्बी कहानी है...फिर कभी..
चाचा—नहीं येतो तुम्हे बताना ही पडेगा..
चाची—तो,सुनो...उसदिन जब खून निकाल आयाथा.तो तुमने मुझे बोरोप्लस लगाने को दी थी...उस रात तो तुमने ही गांड पे लगा दी थी...लेकिन दुसरे दिन..बाथरूम में नहाते वक्त..मेने खुद लगाई...तीसरे दिन दर्द नहीथा..फिरभी मेने ट्यूब गांड पे लगाईं..अगलेदीन सब ठीक होगया..था..चेक करने केलिए...मेने अपनी उंगुली..गांड पे घुमाई ..गुद-गुद्दी सी हुई अच्छा लगा..तो थोड़ी ट्यूब उंगली पे लेके...गांड के छेद पर घुमाने लगी...मजा आरहाथा...जान..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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