Saturday, August 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI में और मेरी प्यारी माँ--3

FUN-MAZA-MASTI


में और मेरी प्यारी माँ--3


चाची-राजा तुम देर कर रहे हो..देखो में कब से पिछवाडा उठाये बेठी हूँ..
चाचा- ओह..सोरी.अँधेरे में कुछ नहीं दिखता..लो में ..गया..
चाची - रुको पहले मेरे हाथ में दो..कही अँधेरे में गांड मे डाल दोगे..तो.. मे ..तो मर ही.जाउंगी..अब पीछे से धीरे डालना..एक ही धक्के में डाला तो..में चिलाउंगी..सब जग जायेंगे..और ऐसे ही बिना माल निकाले सोना पडेगा.
चाचा- नहीं मेरी रानी..देखो मेरा सुपाड़ा चला गया..पता चला..और ये पूरा लोडा..भी डाल दिया...
चाची- देखो मेरा हो गया है.आप भी ..थोदी जल्दी करना..
चाचा -ओके रानी ...में गाडी तेज चलाऊंगा..ले मेरी जान...
चाची-ठोको मेरे राजा मगर प्यार से..जान.. मेने कहाँ मेरा हो गया है...चुचे छोडो..ठुकाई करो..
चाचा-लो मेरी चूत रानी...आअह्ह..आअह्ह ..और कमरे में थपाक-थपाक की आवाजे आने लगी..
चाची-रुको ..ये क्या कर रहे हो पुरे मुहल्ले को बताओ गे...की तुम मुझे घोड़ी बना के चोद रहे हो...
चाचा-अब आवाज तो आएगी....जानू..
चाची-नहीं..रजा...कोई जग गया तो क्या सोचेगा हलके से और तेज करो..
चाचा-दोनों केसे..हो सकता है..जान...
चाची-जेसा तुम मेरे घर पर अपने ससुराल में चुपके से चोद देते हो.. से..
चाचा-वहां तो सब होते है ..इस्लिलिए.
चाची-तो यहाँ कोई नहीं है क्या??.
चाचा-में भूल गया..सोरी ..तुम..हैल्प करोना...
चाची- देखो तुम चूत में पूरा लोडा मत जाने दो..अपना सुपाडा और आधा लंड ही डालो..और फ़ास्ट अन्दर-बाहर करो..
चाचा-यु जीनियस माय डार्लिंग....आह्ह अहह.......आह्ह्ह...
चाची-आने दो ..कम ओंन फ़ास्ट..डार्लिंग चो.दो .. मुझे ...हाय ..कितना मजा रहा है..प्लीज..में दुबारा आसमान में जा रही हूँ..मेरे चुचे दबाओ ओह...स्स्स्स....आअह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह........
चाचा-चलो मेरी जान मेभी साथ मे..ही.. हु..आअह्ह............नो..ओह.नो.... हलकी सी पच-पच की आवाज आरही थी..अब वोभी बंद..हो गई.लगता था.दोनों धरती पर गये..कुछ देर बाद चाचा- थेंक्स एण्ड गुड नाईट डार्लिंग ..चाची-गुड नाईट..मोरे रंगीले सैया..

सब कुछ शांत हो गया था.लेकिन मेरे मन में शेतान जाग रहा था.में सोच रहाथा.इतना घमासान होने बाद भी दादी चेन से सो रही है? अजीब लगता था.क्योकि मेने दादी में दबी हुई जवानी का बस में अहसास किया था. क्या करूँ..कुछ समझ  में नहीं रहाथा.तो मेने अपना पैर दादी के पैर पर रख दिया,और क्या होता है ..इन्तजार करने लगा.दादी ने मेरे पैर को जटक दिया.मेरा अंदाजा गलत हुआ.फिर भी थोड़ी देरबाद ट्राय किया.इसबार दादीने खुदका पैर हटा लिया..में काफी निराश हुआ क्योकि मेरा प्लान दादी को चोद ने का था.अगर आज दादी को चोद लू तो फिर बरोडा जाकर माँ की चुदाई दादी के हो ने पर भी आसान हो जाये.पर यहाँ तो कुछ सेट नहीं होरहा था.
अब आखरी बार किस्मत अजमाई..दादी के चुत्तड मेरी तरफ थे...उन पर हाथ रखा दादीने कुछ नहीं किया..धीरेधीरे सहलाने लगा..थोड़ी सेर बाद में उनसे सट गया...अब..दादी...के मन में भी जवानी ने अंगडाई ली..उन में भी कामाग्नि जल रही थी.इसबार तो उन्होंने भी पिछवाडा लंड पे दबा दिया. मेरे लिए ग्रीन सिंग्नल था तो मेने देर नहीं की दादी की saadi को उपर किया और चुत्तड़ो को सहलाने लगा.दादी कभी पेंटी नहीं पहनती..सो चुत्तड नंगे ही थे...कितने बड़े-बड़े थे चुत्तड..बड़े थे पर एकदम मुलायम लिससे थे.मेरा हाथ अपने आप फिसल रहाथा.दादी गरूम थी में उन्हें ओऊ गरूम कर रहा था..आब दादी ने मेरे लोअर में हाथ डाला और लंड को बाहर निकाला दबाने और सहलाने लगी.मेने अपना हाथ उनके चूचो पर ले गया ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.दादी ने निचेके हुक खोल दिए और बड़े-बड़े चूचो को आझाद कर दिया.मेरे हाथमे तो पूरा नहीं समा रहा था.फिर भी में दबाता रहा..सहलाता रहा..दादी मेरी तरफ घूम गई और मेरे लंड को चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी..लेकिन दादी के मोटापे की वजह से लंड चूत तक नहीं पहुचपाता था. दादी लंड को खीच कर चूत के पास ले जाती..पर नहीं हो पाया.दादी ने एक पैर मेरे ऊपर रखा दिया और कोशिश की लेकिन इसबार लंड सिर्फ चूत को छु पाया.पर गुस नहीं पाया.में हैरान था.दादी पलट गई,चुत्तड़ो को मेरी तरफ कर दिया अब मेने ट्राय किया लेकिन गांड तक पहुच पाया..अब दादी भी हैरान थी...उन्होंने अपना एक पैर आगे मोड़ दिया और लंड को चूत पर खिच लिया.. लेकिन इसबार भी लंड का सुपाड़ा चूत के फोंको तक ही पंहुच पाया...हम दोनों परेशान थे..
यार, एसा तो कभी होता है..जब चूत लंड लेने को रेडी हो और लंड भी खड़ा होने बावजूद चूत में ना जा सके..?? अपने लोडे को में फांके ऊपर ही घिस रहा था. दादी ने फिर ट्राय किया लंड को खीचा..लेकिन असफल..अब तो मुझे अपने आप पर गुस्सा भी रहा था.की सारा दिन जिस चूत को चोद ने की सोच रहा था.वो चुत चुदने को तेयार थी और में चोद नहीं पाता था..दादी ने फिर एक बार ट्राय किया ....लेकिन व्यर्थ..अब शायद दादी को भी गुस्सा आया उन्होंने मुझे धक्का दे दिया.मुझे लगा गया काम से बेटे..दादी ने तुझे रिजेक्ट कर दिया..पर ये क्या अगले ही पल दादी,उठी और मेरे लंड पर बेठ गई..पूरा लंड चूत में एक हि झटकेमें घुस गया..दादी उछल पड़ी..लंड बाहर निकाल गया..में समझ  गया था.दादी ने मेरे लंड का अंदाजा गलत लगाया था.उन्होंने सोचा होगा की घुस नहीं रहा इसलिए छोटा होगा..पर ये तो पुरे 21 cm.का था. तो झटका लगना मुनासिब था. तो ..अब दादी मेरी जांगो के उपर थी..और लंड के सुपाडे को चुत पर मसल रही थी.चूत पानी निकाल रही थी.उन्होंने धीरे से सुपाडे को अंदर किया फिर आधा लंड घुसाया ..और धीरे-धीरे करके पूरा लंड अपनी चूत में लेलिया..मुझे मजा गया..
में निचे लेटा हुआ था. और दादी मेरी चुदाई कर रही थी..में उनके बड़े-बड़े स्तनों को सहला-दबा रहा था.दादी उछल-उछल कर लंड लेरही थी..कभी में उनके चुत्तड़ो को भी दबा लेता.और आदत के मुताबिक़ गांड पर भी उंगली फेर देता.थोड़ी देर बाद दादी पलट गई..अब उन के चुत्तड मेरी तरफ थे.और वो उछल रही ही...मुझे बहुत मजा रहा था...अब मेने अपनी ऊँगली मुह में डाली थूंक लगाया और दादी की गांड पर रगड़ ने लगा...फिर मेने उंगली दादी की गांड पे दबा दी..दादी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. में समझ  गया दादी आउट होने वाली है..उनकी सांसे तेज चल रही थी पर मुहसे कोई आवाज नहीं निकाल रही थी..मेरे लंड पर उनकी चूत का मार भी तेज हो गया...अब वो रुक गई में समझ  गया..
वो आसमान की सेर कर आई थी.बाकि में रहा था. अब कमरे में सब आसमान की सेर किये हुए थे.में ही बाकी रह गयाथा...लेकिन मुझे यकीं था दादी जरुर मुझे भी आसमान की सेर करा एगी...अब दादी लंड पर बेठे-बेठे ही फिरकनी घूम गई..उनके मम्मे मेरे सामने थे.में उन्हें दबा ने लगा और वो मेरे लंड को उपर से चोद ने लगी...थी थोड़ी ही पच-पच की आवाज आई तो उन्होंने लंड निकाल दिया चूत और लंड दोनों को पेटीकोट से साफ़ कर दिया. फिर अन्दर धीरे से घुसा दिया और चोद ने लगी...अब तो वो चुत्तड़ो को एसा घुमाती की मेरा लंड पानी छोड़ने को तेयार हो गया था.मेभी बिना आवाज किये निचे से कूद-कूद कर ठोक ने लगा..ओये..क्या मस्तानी चुदाई होरही थी..दादी को समझ  ते देर नहीं लगी में भी आसमान पर पहुचने वाला हु..उन्होंने लंड चूत से निकाल दिया..और जांगो पर बेठ गई लंड मुह में लेलिया.चूसने लगी क्या ...लंड चूसती थी...बापरे ..एसी चुसाई मेने कभी देखि है ना सुनी है...मेरा लंड उनके हाथो में था आधा उनके मुहमे..होठों को ऐसे सिकुड़ा था.. की बता नहीं सकता..वो आधे लोडे को ही चूस रही थी पर बहुत जोरदार चुसाई थी...मुझसे रहा नही गया मेने पानी छोड़ दिया...वो सारा माल पि गई..और लंड को पेटीकोट से साफ़ करदिया...खड़ी हुई साडी को ठीक किया,ब्लाउज को बी बंद किया और मेरे पास लेट गई..में भी दादी के पेट पर हाथ रख कर सो गया......

सुबह मेरी नींद टूटी तो चाची मुझे जगा रही थी.दादी ने कहा उसका क्या काम है सोने दे थोड़ी देर. दादी का ये कहना मुझे बहुत अच्छा लगा.में पड़ा रहा.करीब आधे घंटे बाद उठा. चाची ने चाय बना दी .दादी किचन में कुछ हैल्प कर रही थी.चाचा बाहर गये थे.में तेयार हो के घुमने निकाल गया.जब वापस आया तो खाना तेयार था.चाचाजी अपने काम पर निकाल गये थे.मेरे चाचा जी इंजीनियर है एक बड़ी कम्पनी में अच्छा जॉब कर रहे है.चाची कोलेज तक पढ़ी है.वो घरकाम ही करती है.मेने खाना खाया और कमरे में आया गया.चाची बर्तन साफ़ कर रही थी.दादी कमरे में बेठी अखबार पढ़ रही थी.अपनी आदत के मुताबिक साडी घुटनों तक उठा रखी थी.मेंने अखबार का एक पन्ना लिया और सामने बेठ गया.दादी की सांवली जांघे दिख रही थी.अखबार के पन्ने से नजरें उठा कर उसे देख रहा था.उनको पता चल गया में क्या देखा रहा हु...उन्होंने मेरी तरफ़ आँखे निकाल कर देखा..मेरे मन में डर की लहर दोड गई. में सामनेसे उठ गया.और दूसरी और बेठ गया.मेने देखा दादी मुस्कुरा रही थी...चाची आई उन्होंने टीवी ओं किया देखने लगी...में व्ही लेट गया और सो गया.



शाम को उठा तो चाची ने चाय बना दी. साथ में कुछ स्नेक्स भी लायी हम ने नास्ता किया..चाची ने कहा तेरे चाचाजी देर से आयेंगे.मुझे कुछ काम से बाजार जाना है. मांजी आप साथ चलेंगी?दादी नहीं बेटा राहुल को ले जा..चाची ने कहा राहुल तुम बाइक निकालो में तेयार होके आती हूँ..हम बाजार गये चाची ने जरुरी सामान ख़रीदा वापस आये. बाइक पर चाची पीछे बेठी थी लेकिन कभी अपने आप को मुझसे टच नहीं होने दिया.और मेने भी ऐसा ट्राय नहीं किया...शाम ;३० बजे को चाची ने कहा मांजी खाना तेयार करदू....वो तो १० बजे के बाद आयेंगे. दादी ने कहा हाँ चलो खा लेते है ... खाना खाया और टीवी देखने लगे... १०:३० बजे चाचाजी आगये उन्होंने खाना खाया मुझे कहा बाहर चले? दादी ने कहा नही देर हो गयी है तू भी आराम कर. चाचाजी लेट गये कल की तरह ही मे दीवार के पास और सब अपनी-अपनी जगह चाचा ने लाइट ऑफ़ कर दी सब सो गये......काफी देर बाद चाची की फुसफुसाहट सुनाई दी.

चाची -- सो जाओ जान..काफी देर हो गई है..तुम थके होंगे.. चाचा-ववही थकान तो उतारनी है. चाची-तुम भी....ना.. ठीक है जल्दी से..ओह जान टांगो के पास क्या करते हो... चाचा- आज तो तेरी चुसनी है मुझे... चाचीनहीं देखो अभी बाल भी मेने साफ नहीं किये..हफ्ता होगया है.. चाचा- रानी झूठ क्यों बोलती हो अँधेरे में..दिखाई नहीं देता पर हाथ लगाने से पता लग जाता है...तुमने आज ही सेव किया है.. चाची- वाह.. मेरे राजा बड़े होंशियार हो.. ठीक है अब जल्दी प्लीज... चाचा- चल चड्डी निकाल...और मेरे को मुह मारने दे... चाची- एकदम खूब हंस दी..ही..हही..हिह्ह.. चाचा- क्या हुआ ?? क्यों हंस रही हो..... चाची- तुम्हारी मुछे बड़ी हो गयी है....तो.. तो...मुझे गुदगुदी हो रही है... चाची फिर हंस ने लगी.. और बोली- जान अभी ये एरिया सेंसेटिव हो गया है...थोड़ी देर बाद मुह लगना..तब तक आपका गन्ना मुझे दो में चुस्ती हूँ.. चाचा-ले मेरी जान आज तो गन्ने का सारा रस पि ले... चाचीनहीं...डार्लिंग...रस मुहं में मत डालना मुझे अच्छा नहीं लगता..सिर्फ चुसाई कर देती हु..तू मेरे टेनिस बोल से खेलो..सहलाओ मगर ज्यादा दबाना मत.. चाचा- हाँ क्यों...की बड़े हो जायेंगे ओके जान .. चाची लंड चूस रही थी चाची- अब चूत पे मुंह लगाओ जान बहुत गरूम हो गई है और पानी छोड़ रही है.. चाचा-ठीक है जोहुकुम रानी साहिबा.. चाची- जेसे में तुम्हारे मुह को हटाने को बोलूं हटा लेना और अपना लंड पेल देना..उई..चाचा- क्याहुआ चाची- देखते भी नहीं मेरे पैर पे बेठ गये.. चाचाओके..अब तकिया चुत्तड़ो के निचे लगाओ और चूत को थोडा उपर करो... चाचीये लीजिए लेकिन चोदते वक्त तकिया हटा देना.जानू वरना मेरी..चीख निकाल जाएँगी.. चाचाजी मजे से चूत चाट रहे थे..चाची स्स्स्स..आह्ह्ह..आह्ह.कर रही थी. उनकी सांसे तेज होने लगी.. चाची-ओह्ह...डार्लिंग...स्स्स्स....लल्ल..लोड़े से चोदो मुझे..ओह्ह्ह..अब नहीं...डाल दो..अंदर ओह्ह्ह ऐसे ही...ठोको जोर से..ओह्ह्ह...स्स्स्स....आह्ह्ह.... चाचा- ले मेरी रानी..ऐनी को पूरा अंदर डाल के निचोड़ देता हु...आज तो..तेरी फाड़..दूंगा..आह्ह्ह..आह्ह्ह... चाचीओह्ह मुझे आस..मा.. पे ले..जाओ जानू..आह्ह्ह्हह....स्स्स्स चाचा-आज तो..मेभी साथ चल्ताहू जान..आह्ह्ह...ओह्ह्ह.. हलकी सी पच-पच..की आवाज होने लगी थी.... चाची- .ओह...कम ओन...डार्लिंग..आह्ह्ह्ह. .........फ़ास्ट...ओह ..........ऊऊऊऊ.....स्टॉप... स्टॉप... प्लीज..स्टॉप..राजा....बस करो.. चाचाजी रुक गये थे.दोनों की तेज सांसो की आवाज रही थी..थोड़ी देरबाद,चाची-मजा गया जानू..चाचा- चलो घूम जाओ.... चाची-आज कुछ नहीं चलो सो जाओ..चाचा-जानू मेरा पानी नहीं निकला है ..अभी बाकी है... चाची-मेरी चूत तो अंदर तक पूरी भर गई है ये पानी क्या?बाथरूम के नल से आया है... चाचा- तो तुझे पता चल गया..सोरी..चाची- आप मर्दों को चूत का पानी निकला या नहीं पता चले या चले....लेकिन.. हमें आपका पता चल ही जाता है की रोकेट फट गया है..चाचा-पर मुझे घोड़ी पे सवार होना अच्छा लगता है ....चाची-वेसे आपके लंड की मार मेरे चुत्तड़ो को भी अच्छी लगती है... चाचा- तो,चलों हो..जाए...चाची- नहीं, चलों सो..जाएँ.......गुड नाईट..

मेने दादी के सीने पर हाथ रखा..ब्लाउज नहीं था..में मसल ने लगा...उन्होंने मेरे लंड को हाथ में लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी...में हाथ निचे ले गया..साडी उपर ही उठी हुई थी चूत को सहलाने लगा..चूत गीली हो गई थी..मेने ऊँगली डालने की कोशिश की लेकिन मुझे खड़ा होना पड़ा तब उंगली घुसा सका..वो मेरे लंडको मुठिया रही थी में ऊँगली कर रहा था.उन्होंने मेरे लोडे को खिंचा ..ये उंदर डाल ने का इशारा था.लेकिन आज भी परेशानी पीछा छोड़ने वाली नहीं थी.में उनके ऊपर चढ़ गया उन्होंने पैर खुले किये मेने लंड चूत पे लगाया और अंदर डालने लगा उन्होंने लंड को पकड लिया और पहले सुपाडे को चूत पे घिसा और धीरेसे आधा लंड चूत में ले लिया..में उनके बड़े-बड़े चूचो को दबाने लगा..और ऊपर लेट गया..मेने चोदना सुरु किया लेकिन उनके मोटापे की वजह से लंड पूरा नहीं घुस रहाथा..उन्होंने पेरो को और खुल्ला किया..मेरा लोडा थोडा ज्यादा अंदर गया..लेकिन फिर भी..पूरा नहीं घुस पाया..क्या बताऊँ दोस्तों मुझे पहली बार लगा मोटी ओरतों को चोदना कोई बच्चोका खेल नहीं है...उन्होंने मुझे निचे उतार दिया..और कल की तरह उपर बेठ गई और धीरे से लंड कोअपनी चूत में पूरा ले लिया..और मुझे चोदने लगी..में उनके बड़े-बड़े बोल..चुचे.. मसल रहा था..थोडा कूदने बाद उन्होंने साइड बदल दी..चुत्तड मेरे बाजू गये...में चुत्तड़ो को सहलाने दबाने लगा ..और गांड पे उंगली..घुमाने लगा...दबाने लगा..अब उनका मेरे लंड पे उछलना तेज हो रहाथा.में समझ  रहा था वो...की अब उनका काम पूरा होने वाला है..उनकी साँसे तेज चल रही थी.बड़े जोरों से कूद रहीथी...उनकी चूत से पानी निकाल रहाथा.मेरे आंड भी गिले हो गये..इतना माल छोड़ दिया..फिर मेरे लंड पे आराम से बेठ गई...हांफ रही थी...थोड़ी देरबाद चुत्मे लंड होते हुए मेरी और घूम गई..मुझे उनकी ये अदा बहुत पसंद आगइ थी...मेने उनके चुत्तड़ो को पकड़ा और खीचा..वो समझ  नहीं पाई ... तो मेने उनके कन्धे पकडे और घुमाने लगा वो समझ  गई..दुबारा लंड चूत में रखे ही....घुम कर पीछे हो गई..फिर आगे की तरफ घुम गई..वो .... मेने दुबारा चुत्तडो को इशारा किया इसबार तो मेरा लंड   चूत में रखे हुए वो पूरा सर्कल घूम गई.... मुझे कितना मजा रहा था क्या बताऊँ.....फिर उन्होंने मेरे लंड को चूत से निकाला और अपने पेटीकोट से चूत और लंड दोनों को साफ़ कर दिया..क्यों की कल चुदाई में पच-पच की आवाज रहू थी..तो पहले से ही ..ये कम कर दिया..अब मेरे लंड को धीरे से चूत में डाला और उछल-उछल कर मुझे चोद ने लगी....मुझे बहुत मजा आरहा था..मेने भी निचे से ठोकना शुरू किया वो समझ  गई..कल की तरह...उन्होंने चूत से लंड निकाल कर अपने मुहमे भर लिया..और जल्दी-जल्दी चूसने लगी...मेने अपना पूरा माल उनके मुहमें डाल दिया..अपने कपडे ठीक किये..और मेरे बगलमे सो गई...मेभी उनके जांगो पर पैर रख कर सो गया...

.सुबह उठा तो सब अपने काममें लगे थे..मेभी रेडी हो गया..चाचा खाना खा रहे थे..मे चाय पि रहाथा. दादी बाथरूम गई मेरे कपडे धो रहीथी..चाचा बोले सारा दिन परेशां हो जाता होगा..चाची ने कहा कल तो घुमने निकाल गया था..चाचा ऐसे निकाल ही जाना पेसे चाहिए..मेने मना किया..फिर भी वो देने लगे..मेने नहीं लिए..तो चाचा ने कहा ठीक है जरूरत हो तो चाचीसे मांग लेना...और वो चले गये..में कमरे में गया..तो दादी घुटनों तक साड़ी चढ़ाएं अखबार देख रही थी..वो बोली, आज घुमने नहीं जाना..मेने कहा ना दादी..आज तो अभी से गर्मी लग रही है..इतने में चाची आई बोली हा आज तो ज्यादा ही गर्मी है..रहू तू बाहर नहीं जा रहा?..में उनकी और देखने लगा..वो मुस्कुराई कहा ले कुछ पैसे लेजा और आइसक्रीम का बड़ा पेक ले ..दोपहर को खायेंगे.. दादी..हाँ जा ले वर्ना दोपहर की धुप में जाना पडेगा..हंसने लगी..में बाहर गया और आइसक्रीम ले आया..फिर सब ने खाना खाया..








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