Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI वीरान हवेली --पार्ट-2

FUN-MAZA-MASTI

 वीरान हवेली --पार्ट-2
 



थोड़ी ही देर में वोह सब वहीं पहुँच चुके थे जहां खेत के बीचों -बीच कुच्छ गन्ने उखाड़ कर कुछ साफ़ जगह बनायी गयी थी !. खेत के गन्ने इतने ऊंचे थे की अगर कोई भूले भटके आस पास आ भी जाए , उसे कुच्छ दिखाई देने का सवाल ही नहीं उठता था !रूपाली और कमला को बीच में बैठा कर , उन्होंने शराब की बोतलें खोल ली ! सत्तू ने एक बड़ा सा घूँट लगाया और कड़वा सा मुंह बनाते हुए , बोतल रूपाली के होंठो पे लगायी और बोला ,"ले , पी ले …" ये सब अचानक हुआ था , इसलिए कुच्छ ज़हर जैसे कडवे घूँट रूपाली के अन्दर चले ही गए ! खांसते हुए उसने थूकते हुए कहा ,"देखो ….कल हवेली आ जाना और हम तुम सबको 2000 रुपये देंगी !हम वादा करते हैं , बात यहीं ख़तम हो जायेगी , पंचायत नहीं होगी ."

मुंगेरी झट से बोला ,"पैसन की कोई बात नहीं ठकुराइन ,…….अरे सत्तू , जाने दो इन्हें ." सत्तू गुर्राया ,"चुप साले , हीजड़ा की माफिक बात करे है हमेसा …..अब इस पार या उस पार ………………….ठकुराइन , लाख टके की चूत के बदले दुई हज़ार रुपैय्या ? कच्ची हैं आप हिसाब की ….."



अब बहुत ही हलकी रौशनी बची थी सूरज की ! रूपाली समझ चुकी थी अब कुच्छ नहीं हो सकता था !खुद को कोसे रही थी की क्यूँ घर से निकली ! कमला , जो रूपाली के आने तक इतने हाथ पैर मार रही थी , भी अब ढीली पड़ चुकी थी !. उसको लग रहा था अगर वो भाग भी जाए तो ये गलत होगा , क्योंकि ठकुराइन , जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी उसकी खातिर दाँव पे लगा दी थी , फिर भी लुट जायेंगी .


कालू और मोतिया नशे की हालत कें उन खूंखार कुत्तों की तरह लग रहे थे जो किसी घायल चिड़िया को मारने से पहले उसको कुछ देर के लिए दांत दिखाते हैं और गुर्राते हैं . कालू अपनी लुंगी हटा चुक्का था . रूपाली ने नफरत से उसकी तरफ देखा . नीच जात के कालू ने नारंगी रंग का कच्चा पहन रखा था .बैठी हुई रूपाली को उसने छोटी पकड़ कर उठाया , खुद बैठ गया और उसको अपनी nangi, काली जांघ पे बिठा लिया . रूपाली सन्न रह गयी .


सत्तू सामने की तरफ से आया और उसने कालू की पीठ को इस तरह से जकड लिया की रूपाली उन दोनों के बीच में भींच गयी . रूपाली के पीठ , कालू के बदबूदार सीने से चिपकी हुई थी और सत्ती ने अपने काले , भद्दे होंठ , उसके खूबसूरत , रसीले होंठो पर चिपका दिए . सस्ती शराब की बदबू और काले पसीनेदार बदनों से निकलती हुई सडांध ने रूपाली का माथा चकरा दिया था …..उसे लगा उसको उलटी आ जाएगी . सत्तू रूपाली के होंठ चूस रहा था . कालू ने अपने हाथ सरकाए और रूपाली के मम्मे सहलाने लगा . रूपाली की पीठ से उसे पोंड्स की भीनी भीनी महक आ रही थी और उसने ज़िन्दगी में कभी भी इतनी खूबसूरत और खुशबूदार औरत का दीदार किया ही नहीं था . उसकी हालत उस पागल मक्खी जैसी थी जो जानती है की शहद से चिपटने का अंजाम मौत है मगर फिर भी वो कुच्छ और नहीं सोच पाती .


कालू पागलों की तरह रूपाली के बोबले ट्रक के भोंपू की तरह बजाने लगा और रूपाली की हर सिसकी , सत्तू के बदबूदार होंठों तक पहुँच कर रुक जाती थी . सत्तू ने रूपाली की खूबसूरत जीभ को अपने तम्बाखू से सादे हुए दांतों के बीच पकड़ लिया और उसको चूसने लगा . इतना भरोसा था अब उन सबको की आराम से फिर शाराब पीने लगे और फिर से रूपाली को थोड़ी सी शराब पिला दी . सत्तू के बदबूदार चुम्बन के बाद रूपाली का गला ऐसे सूख रहा था की इस बार उसको ये कडवी शराब भी इतनी बुरी नहीं लगी . 


रूपाली की गोरी चूत और सुनहरी गांड ने कभी किसी काले लंड को अपने पास तक नहीं फटकने दिया था . और आज ये बदबूदार , नीच जात के गंदे आदमी उसके साथ मनमानी कर रहे थे . मजबूरी में रूपाली के आंसू छलक आये .

"जाने दो हमें ….हमें हवेली पहुंचना है …." रुंधी हुई आवाज़ में एक नाकाम कोशिश की उसने . मोतिया बोला ,"हाँ हाँ , तेरे खसम , ससुर और देवर के भूत तेरा इंतज़ार कर रहे हैं वहाँ ना ? चुप कर रंडी ."

तीन बोतल शराब गटक चुके थे वो चारों लोग . मुंगेरी को उन्होंने पैसे दिए और जल्दी से 4 बोतल शराब , मुर्गी -रोटी ले आने को कहा और वो झट से गाँव की और चल दिया . शराब में मुंगेरी के praan बसते थे मानो!
कालू ने हँसते हुए मोतिया से कहा ,"मोतिया …..ज़रा ठकुराइन को तोहार लौड़ा की मार तोह दिखाई देब भाई ……", और मोतिया ने पहले कमला की अंगिया -चोली हटा दी और फिर उसका लहंगा भी . हलकी रौशनी में कमला का सांवला , गदराया बदन मादर -जात नंगा था और वोह सिसक रही थी . मज़बूत सांवले स्तन जिनपर काली सी गोल चूचियां थी …….सपाट , सांवला पायते (stomach), सांवली मांसल , भरी -भरी जांघें और डरी हुई , हिरनी जैसी आँखें . मोतिया को ऐसी मस्त जवानी की कोई कदर थी ही नहीं …….रोमांटिक तरीके से चूमने , चूसने की जगह , साला कमला की चूत में ऊँगली घुसेड कर सिर्फ ये कोशिश कर रहा था की वो जल्दी से कुच्छ गीली हो जाए , ताकि वो अपना लौड़ा उसके अन्दर दाल के चोद दे बस …….!मोतिया ने कमला के होंठों को अपने होंठों के बीच में लिया , दोनों हाथों से उसकी जाँघों को अलग किया और अपने एक हाथ में ढेर सारा थूक लेकर उसकी कोरी चूत और अपने काले मूसल लंड pe रगड़ने लगा . उसके बाद उसने अपना काला मोटा लौड़ा कमला की चूत के मुंह पे रखा और धीरे से कुच्छ अन्दर किया ……कमला की फटी हुई आँखें और सिसकियाँ बता रही थी कितना दर्द हो रहा है उसको ……….मोतिया ने कमला के बंद दरवाज़े पे दबाव बढ़ाया …..और अचानक ,"ले मादरचोद ……." कह कर कमला का बंद दरवाज़ा फाड़कर वो उसके अन्दर घुस गया .....!

"उई मैया आआआअ......... रीईईईईई ……………..मर गयीईईईईई ………आआआआआआआआआआआआआआ न्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......ह्ह्ह्हहह्ह्ह्ह.आआआआअ...,….माआआआआ …………….मैय्य्यय्यय्य्य्यआआआआआआआआआआ रीईईईईईईए …………अररर ईई .फाड़ दी रे मेरीईईई …." कमला का भयानक आर्तनाद जारी था और मोतिया अब उसके आखरी परखच्चे ढीले करने में मशगूल था . थाप्प , थाप्प , थाप्प थप्प ……मोतिया की काली जांघें कमला की सांवली जाँघों से टकरा रही थी ………फच्च -फक्क . फुच्छ -फुक्क फुच्छ -फुच्छ फक्क -फक्क ….काला मोटा लौड़ा , सांवली , सख्त चूत के अन्दर से संगीतमय आवाजें निकाल रहा था ……..पहली बार मोतिया ने कमला के दाहिने मम्मे को चूसना शुरू किया और उसकी काली चूचियों को चूसने -काटने लगा . कमला की कोरी चूत से खून रिस रहा था पर मोतिया को कोई फ़िक्र नहीं थी . अब वो उसको अपने लंड की झड तक चोद रहा था और कभी कमला के मम्मी चूसता , कभी उसकी गरदन और होंठ पे काट खाता .


कालू की नंगी जांघ पे रूपाली बैठी थी और उसको साफ़ महसूस हो रहा था कालू का काला , akadta हुआ लंड ! कालू से रहा नहीं जा रहा था , उसने ब्लाउज के हूक खोले , ब्लौसे हटाया और ब्रा -ब्लाउज हटा के रूपाली के बंद कबूतरों को आज़ाद कर दिया . अब रूपाली ऊपर से नंगी थी . गोरी पीठ को चूम चूम के कालो दीवाना हुआ जा रहा था . सत्तू ने अपनी बोतल अलग राखी और रूपाली के मम्मे बारी बारी से चूसने लगा . नफरत और अपमान से रूपाली  सिसक रही थी ....! कालू ने रूपाली की गरदन को चूमना चूसना शुरू कर दिया था और सत्तू के तम्बाखू से सड़े हुए दांत उसकी गुलाबी चूचियों को काट रहे थे . रूपाली ने आँखें बंद कर ली थी और अजीब से सिहरन महसूस कर रही थी . दोनों चमारों का गोरी ठकुराइन को अध् -नंगा देख कर वैसे ही बुरा हाल था …उधर मोतिया ने कमला की चूत के परखच्चे उड़ा दिए थे . खून और उसका रस , चूत से रिस रहे थे और धीरे धीरे उसके सांवले चूतडों के बीच छिपे काले से छेड़ पे मिल रहे थे . मोतिया ने अपनी जीभ उसके मुंह के अन्दर घुसा राखी थी और लंड उसकी चूत को दना दन , गपा गप चोद रहा था ……कमला को चुदाई का कोई अनुभव नहीं था अब मोतिया का भीगा लंड कमला की चिकनी चूत में सटा सट जा रहा था ..कमला ने भी अपनी टांगे फैला ली थी ! फुच्छ -फुच्छ फुच्छ -फुच्छ फ़च्छ -फ़च्छ फक्क -फक्क ,थप्प- थप्प ,चप्प--चप्प की आवाजों के बीच उसने अचानक महसूस किया उसका पेशाब निकलने वाला है …….मोतिया ने उसके बाए मम्मे को चूसना शुरू कर दिया मगर चुदाई जारी थी ….. थप -थप -थप्प -थप्प -थप …….फुच्छ -फुच्छ फक्क -फक्क फट -फट पक्क -पक्क फुच्छ -फुच्छ धप्प-धप्प ……………..अचानक कमला के मुंह से निकला …आआआआआआआअ... ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.. …..अब उसे दर्द की जगह शरीर में सुरसरी और आनंद महशुश हो रहा था और उसे लगा उसने पेशाब कर दिया है ……मगर दरअसल वो अथाह आनंद के कारन छूट चुकी थी …..ये , उस बेचारी का पहला सेक्स अनुभव था ………मोतिया के धक्के वीभत्स हो चुके थे ……..तेज़ , तेज़ , और तेज़ ….अचानक वो चिल्लाया ,"आआआ....ह्ह्ह्ह रंडीईईईईई ………..", और कमला ने महसूस किया मानो मोतिया का लौड़ा उसके अन्दर लगातार थूक रहा था ……गरम -गरम -चिप छिपा वीर्य ……मोतिया का वीर्य ………..कमला के अन्दर ……..छटपटा कर कमला ने निकालने की कोशिश की , मगर उस हरामजादे को कोई परवाह नहीं थी . बेरहमी से उसने कमला के चूतड पकड़ कर अपनी और भींच लिए और हर बूँद उसके अन्दर ही रहने दी . पूरी तरह से खल्लास होने के बावजूद , कमीना दस मिनिट तक कमला के पूरे नंगे बदन पे बेरहमी से चिपका रहा ………………

सत्तू और कालू रूपाली की साड़ी और पेटीकोट हटा चुके थे . अब वो भी कमला की तरह मादर -जात नंगी थी . उसीकी साड़ी और पेटीकोट को नीचे बिच्चा कर दोनों ने उसको नीचे लिटा दिया था . साड़ी पे लेटने के बावजूद , रूपाली को अपनी पीठ पे खेतों के कंकर -पत्थर चुभते हुए महसूस हुए . 

कालू ने उसकी गोरी जांघें देखि तो पागल हो उठा . उसने रूपाली के गोरे पैरो और जांघो को चूमना -चूसना शुरू कर दिया . सत्तू रूपाली के गालों को हाथो से चिकोटी काट रहा था और कभी कभी उसके मम्मों को भोंपू की तरह बजा देता था . रूपाली की गोरी चूत पे , छोटी छोटी काली झांटे थी और उनको देखते ही कालू का दिमाग खराब हो गया . उसने चूत का एक हिस्सा मुंह में दबाया और ऐसे चूसने लगा मानो किसी बच्चे के मुंह में रसीली टोफ्फी आई हो . फिर अपनी जीभ रूपाली की चूत में उसने पूरी घुसा दी और रूपाली की सिस्कारियां निकालने लगी . ऊँगली पे थूक लगा के रूपाली की गांड के सुनहरे , भूरे छेद से खेल रहा ठा कालू और जीभ पूरी तरह से गुलाबी चूत को चोद रही थी . रूपाली पूरी तरह घन -घना उठी .

रूपाली ने नज़र घुमा के देखा ……कमला लेटी हुई थी और बेबसी की हालत में उसको देख रही थी …..उसके ठीक पीछे मोतिया लेटा हुआ था और बेशर्मी से मुस्कुराते हुए उसको एकटक देख रहा था ……जैसे ही रूपाली की आँख उसकी आँख से मिली , वो बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोला ,"क्यूँ ठकुराइन ? पंचायत में बोलोगी कैसे कालू चूत चूसा रहा आपकी ? हाहा हाहा ." रूपाली ने नफरत से दूसरी तरफ नज़रें घुमा ली!







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