FUN-MAZA-MASTI
सुदामा मौसी का ज्ञान पार्ट --2
गतांक से आगे........................... ....
उन्होने मेरे लंड को छोड़ दिया मैने अपने पाजामे का नाडा बाँध लिया लेकिन शर्ट वैसे ही उपर बँधी रही नूनी तनी हुई दिखाई दे रही थी उनकी चुननी गले मे लिपटी थी चलने मे दोनो चूचियाँ हिल रही थी मुझे लग रहा था की वो कड़ी भी हो गई है '' वह बोली '' पटना मे तो तेरह साल के लड़के लड़किया चुदाई का खेल खेल खेलने लगते हैं '' तुम तो गाँव मे रहते हो यहाँ तो किसी को कही आने जाने की मनाही भी नही है किसी को भी चोद सकते हो''
'' कोई तैय्यार नही होती और मुझे डर भी लगता है ''
'' मन तो होता है ''ये कह कर वो चुप हो गई मैं नही समझ पाया की वो मेरे
या अपने मन की बात कर रही है हम बाग मे पहुच गये वहाँ छप्पर के नीचे
चारपाई पड़ी हुई थी दो खाद की बोरी के बने बिस्तर थे हम लोगो को देखते ही
मटरू काका की पत्नी खड़ी हो गई और बात करने लगी पता चला की खेत सीचने है
लेकिन बिजली ही नही है मटरू काका देखकर गांजा पीने गये है यह सूचना देकर
वह इधर उधर की बाते करने लगी उनकी मज़े की बाते चल रही थी कि तभी नाना के
साथ सुदामा मौसी आती दिखी नाना आए थे मटरू काका से खेतो की सिंचाई के लिए
बात करने '' लेकिन उन्हे वहाँ न पाकर बहुत नाराज़ हुए और फिर वही हमारे
पास बैठ कर इधर उधर की बाते करने लगे जब मटरू आए तो उन्हे डाँटकर सिंचाई
का ध्यान रखने के लिए हम लोगो का भी ध्यान रखने के लिए कहकर चले गये
नाना के जाते ही बिजली आ गई काकी घर चली गई वह पानी चलाकर गई
'' चलो हम लोग भी नहाए '' नीलम दीदी ने कहा''
'' घर ही बता देती तो वहाँ से कपड़े लेकर आते '' क्या पहनकर नहाएँगे?''
सुदामा मौसी बोली ''
''चुन्नी तो है''
मेरे पास गमछा है गर्मियो मे मैं अपने साथ हमेशा गमछा रखता था
'' टंकी मे मज़ा आता है' इस बार सुदामा मौसी बोली
हम लोग पंप पर पहुचे तो वहाँ पर मटरू काका थे वह हम लोगो को देखकर खुश हो
गये और बोले '' बिटन हम जेया रहे हैं नशा करने , गये थे मिला ही नही ,
पानी तो खोल ही दिया है , चल रहा है बस हम यू गये और यू आए बाबू साहब से
ना कहना '' वो चले गये
उनके जाते ही मैने सबसे पहले कपड़े निकाले और गमछा पहन कर पानी मे उतर
गया टंकी गहरी थी पानी गले तक था
सुदामा मौसी थोड़ा हिचकिचाई तो नीलम दीदी ने उन्हे उकसाया उन्होने चुन्नी
कमर मे लपेट कर अपनी शलवार उतार दी और जम्पर भी उतार दिया अब उनके शरीर
पर समीज़ रह गई उनकी गोल बड़े आम की तरह छातियों की आक्रति साफ दिख रही
थी उसके नीचे और कुछ भी नही था . नीलम दीदी ने भी वैसा ही किया लेकिन
उनकी पीली रंग की समीज़ के नीचे बनियान थी जो साफ दिख रही थी उनके पानी
मे उतरते ही सब साफ दिखने लगा चुन्नी बार बार उपर आ जाती थी और मेरा गमछा
भी , हम लोग पानी मे खेलने लगे . सुदामा मौसी ने पानी के अंदर नीलम दीदी
की चुन्नी खींच ली . वह तुनकने लगी ''बुआ मैं नंगी हो गई दो ना ''
'' चल हट'' यह कह कर वो दीवार पर बैठ गई . भीगने के कारण उनकी समीज़ उनकी
चूचियो को ढकने मे नाकाम हो रही थी दोनो चुचिया साफ दिखाने लगी
मैं देखने लगा तो नीलम दीदी बोली '' क्या देख रहे हो राज ?''
हालाँकि मैं ये सब समझ गया कि यह सब ये दोनो जानबूझ कर रही है लेकिन मैने
चोन्कने का नाटक करते हुए कहा '' ''कुछ नही''
तब सुदामा मौसी ने पानी मे उतर कर नीलम दीदी कोपकड़ कर उठा कर दीवार पर
बिठा दिया और उनकी मटके जैसी मस्त चूचियो को पकड़ कर बोली ''ले राज तू भी
पकड़ ''
मैं हिचकिचाया तो मुझे एक हाथ से खिचकर पास कर लिया और मेरा हाथ पकड़ कर
नीलम दी की चुचियो पर रख दिया बोली '' रगड़ दे मेरे लाल करदे इन्हे लाल
''
नीलम दीदी खिलखिलाने लगी और पानी मे उतर कर सुदामा मौसी को पकड़ कर दीवार
के किनारे सटा कर थोड़ा उपर उठाकर समीज़ को उपर उठा दिया सुदामा मौसी की
नंगी चुचिया मेरे सामने आ गई वह एक हाथ से उनकी चुचिया सहलाने लगी और
दूसरे हाथ से मेरी नूनी को पकड़ कर खींचते हुए बोली '' आ ना मसल अपनी
मौसी की चुचियाँ ''
मेरी नूनी को छोड़कर मेरा हाथ पकड़ कर सुदामा मौसी की नंगी चुचियो पर रख
दिया मैने सोचा अब बहुत हो गया बेटा ''मैं सुदामा मौसी की चुचिया सहलाने
लगा और एक हाथ से नीलम दीदी भी सहलाने लगी .
सुदामा मौसी की आँखे बंद होने लगी वह इस तरह हिल रही थी कि मुझे लगा की
नीलम दीदी पानी के अंदर अपनी दो उंगलिया उनकी योनि मे डालकर हिला रही थी
उन्होने मुझे इशारा किया की मैं सुदामा मौसी की चुचियो को मुँह मे लेकर
चुसू . मैने उन्हे गौर से देखा तो वह तन गई थी और फूल भी गई थी उनके आगे
दाने तन गये थे उनके मुँह से अजीब तरह की आवाज़े भी निकल रही थी मैं एक
चुचि को मुँह मे लेकर चूसने लगा और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा .
नीलम दीदी मेरी नूनी को अपने हाथ मे लेकर सहलाने लगी फिर मेरे हाथ को
पकड़ कर अपनी मटकी जैसी चुचियो को मसलवाने लगी और फिर मेरी नूनी को अपने
हाथो से तेज़ी से सहलाने लगी मैं भी सुदामा मौसी की चुचियो को पीते हुए
नीलम दीदी की चुचियो की कपड़े के उपर से ही मसलने लगा बड़ी मस्त चुचिया
थी मन कर रहा था की सुदामा मौसी की चुचियो को खा जाउ और नीलम दीदी की
चुचियो को निचोड़ लूँ . कुछ देर बाद सुदामा मौसी एकाएक सुस्त सी पड़ गई
तो नीलम दीदी ने कहा '' गई''
फिर नीलम दीदी ने मुझे उठा कर दीवार पा बिठा दिया और मेरा गमछा सामने से
हटा दिया तो मेरी नूनी नंगी हो गई . झान्ट के बाल पानी मे भीगने के कारण
चिपक गये थे अभी मेरी झान्टे बड़ी और घनी नही हुई थी नीलम दीदी ने कहा
''बुआ इसका मुट्ठामार''
'' कैसे ''
'' तेज़ी से आगे पीछे करके ''
सुदामा मौसी मेरे लंड को हिलाने लगी इसी बीच नीलम दीदी ने अपनी समीज़ और
बॉडी उपर चढ़ा ली और फ़ुटबाल के जैसी उनकी मस्त चुचियाँ भल्ल से बाहर
निकल आई मैं दोनो चुचियो को हाथो मे लेकर दबाने लगा मसलने लगा मेरी नूनी
कड़क होकर उपर उठ गई . सुदामा मौसी अपने हाथ तेज चलाने लगी अंत मे मैने
भल्ल भल्ल कर अपना वीर्य बाहर फॅंक दिया
मेरा वीर्य कुछ पानी मे और कुछ नीलम दीदी के मुँह पर पड़ा मैं सुस्त हो
गया हालाँकि मैने दोस्तो के साथ कई बार हॅंडप्रेक्टिस की थी लेकिन ऐसा
मज़ा पहली बार आया था
'' कैसा लगा '' नीलम दी ने पूछा
'' स्वर्ग मे पहुँच गया था '' मैने कहा
''अपनी सुदामा मौसी को चोदेगा'' नीलम दी ने कहा
मेरे कुछ कहने से पहले ही सुदामा मौसी ने कहा ''हाँ तेरी नीलम दीदी के तो
बुर है ही नही''
मैं जानती हूँ कि मेरी बुर नही चूत है ''मैं दो लोगो से चुद चुकी हूँ बुआ
'' लेकिन तुम्हारी तो बुर है ऐसी कच्ची बुर को तो राज शर्मा ही चोदेगा अब
राज ही इसे चूत बनाएगा
'' हाई राम तुम्हे दो लोगो ने चोदा है''मैने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा
'' लेकिन अभी तो तुम्हारी शादी भी नही हुई है''
'' शादी तो तेरी भी नही हुई है फिर तू क्यू अपने लॅंड से भल्ल भल्ल करके
वीर्य फेंक रहा है रे हरामी'' मौसी ने दुलार भरे अंदाज मे कहा
'' अच्छा अब बाते छोड़ो और दोनो मुझे ठंडा करो '' नीलम दी ने कहा
तब मैं उनकी एक चुचि मुँह मे लेकर चूसने लगा और दूसरी को हाथ मे लेकर
मसलने लगा मौसी शायद पानी के अंदर उनकी चूत मे उंगली डालकर हिलाने लगी
थीं उनकी आँखे बंद होने लगी और वो बाड़-बड़ाने लगी '' हाई राम जी इतना
आनंद तो चुदाई मे भी नही आ रहा था चाचजी तो खाली अंदर डाल कर हिलाते है
बहुत हुआ तो किस हुआ '' हाई राम जी हाई राम'' और वह मेरे मुँह को अपनी
चुचियो से हटाकर अपने मुँह के पास ले गई फिर अपनी जीभ मेरे मुँह मे डालकर
चूसने लगी . मैं हाथो से उनकी मखमली चुचियो को सहलाने लगा वह एकाएक ढीली
पड़ती हुई बोली '' मैं गई ''
तीनो ही झड़कर ठंडे होकर एक दूसरे को नोचते दबाते हुए खेलने लगे तभी दूर
से मटरू काका आते दिखे हमने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और उनके आने से
पहले हम तीनो बाग की तरफ चल दिए वह आए तभी शायद बिजली चली गई कुछ देर
प्रतीक्षा की फिर हमारेपास आए हम लोग खाना खा रहे थे वो बोले '' बीट्टो
अब राज बाबू भी है मैं गाँव जा रहा जैसे ही बिजली आ जाएगी मैं आ जाउन्गा
''' वह चले गये . दोपहरी का सूरज सिर पर आ गया था दूर खेतो मे काम करने
वाले किसान भी आप घरो को चले गये बाग मे पेढो की छाँव से ठंडक थी मुझे
पिशाब लगा तो मैं एक तरफ जाने लगा सुदामा मौसी ने कहा ''' कहाँ ''
मैने कहा '' पिशाब करने ''
वह बोली'' यही कर लो मैं देखूँगी तुम्हारा मूत कितनी दूर जाएगा ''
अब हमारे बीच की शरम लगभग ख़तम हो गई थी मैने कहा '' मैं भी देखूँगा जब
तुम मुतती हो तो कितनी ज़ोर से सीटी बजाती हो '' दोनो खिलखिला कर हँसने
लगी
मैं छप्पर से बाहर आकर मुतने लगा वह दोनो मेरे मुतते हुए लंड को देखने
लगी फिर मैं अंदर आकर चारपाई पर बैठा तो मुझे ज़मीन पर बिस्तर पर बिठा कर
नीलम दीदी ने मेरा पाजामा निकाल दिया और मुझे गीला गमछा पहना दिया मेरा
लंड खुल गया सुदामा मौसी उसे उंगलियो मे फँसाकर छेड़ने लगी दूसरी तरफ
अपनी भारी चुचियो से कपड़ा हटाकर कुतिया की तरह बनकर मेरे मुँह पर चुचियो
को झुलाते हुए रगड़ने लगी कड़े होकर उनके दाने काले जामुन के आकार के हो
गये थे
उनमे रक्त भर गया और वो फूल गई पत्थर की तरह कड़ी हो गई सुदामा मौसी भी
अकड़ने लगी तो नीलम दी ने उन्हे वही लिटाकर उनकी शलवार को पैरो से निकाल
दिया उनकी काली झान्टो से भरी चूत मेरे सामने आ गई उनकी चूत का दाना उभर
कर बाहर निकल आया था दी ने मुझे सहलाने का इशारा किया तो मैं अपनी हथेली
से उनकी चूत का मसाज करने लगा मैं हथेली के निचले हिस्से से चूत को
रगड़ने लगा हथेली को अंदर दबाया तो चूत के अंदर का लाल हिस्सा दिखाई देने
लगा इसी बीच नीलम दी ने उनकी चुचियो को आज़ाद कर दिया और उनकी कड़ी
चुचियो पर अपनी चुचिया रगड़ने लगी
सुदामा मौसी ने नीचे से ही नशीली आवाज़ मे कहा '' राज इसकी बेल की तरह
कड़ी चुचियो को फोड़ डाल ''
'' इसकी भंडारे जैसी चूत को रगड़ रगड़ फाड़ दे मैं तो हू ही अपनी चूत
तुझसे चुदवाने के लिए '' नीलम दी ने कहा
मौसी ने नशीली आवाज़ मे कहा '' इसके पॅपीट को फोड़ दे तो मैं मटरू काका
की बेटी की अमरूद जैसी छोटी छोटी चुचियो को तुझसे दबवाने की व्यवस्था कर
दूँगी ''
'' मुझे मौसी और दीदी के अलावा किसी और को नही चोदना है '' मैने कहा
'' चल तो बता पहले किसको चोदेगा दो लंड का स्वाद ले चुकी चूत या अनतच
कुँवारी चूत को '' नीलम दी ने मस्तानी आवाज़ मे कहा '' चुदासी तो दोनो ही
हो गई हैं ''
मैं मौसी की चूत को अपनी हथेली से रगड़ रहा था वह उत्तेजना मे मुँह से
हों हों की आवाज़ निकाल रही थी एकाएक वह सुस्त पड़ गई इसका मतलब था कि वो
झाड़ गई थी नीलम दी ने फटाफट अपनी शलवार को निकाला और अपनी टाँगो को
फैलाकर मेरे लंड पर अपनी चूत का निशाना बाँध कर बैठ गई . फॅक से मेरा लंड
उनकी चूत मे समा गया और वो मेरे लंड
उछाल कूद करने लगी घापाघाप ऊपर नीचे उठक बैठक करने लगी मेरा तो उत्तेजना
के मारे बुरा हाल था
सुदामा मौसी बाहर जाकर देख आई कही कोई आस पास तो नही आ रहा और फिर हमारे
पास आकर हमारी चुदाई को देखने लगी नीलम दी ने हाफ्ते हुए कहा '' बुआ तुझे
तो मैं राज से कुतिया बनाकर चुदवाउन्गि'' .. ........
--
(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज शर्मा
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सुदामा मौसी का ज्ञान पार्ट --2
गतांक से आगे...........................
उन्होने मेरे लंड को छोड़ दिया मैने अपने पाजामे का नाडा बाँध लिया लेकिन शर्ट वैसे ही उपर बँधी रही नूनी तनी हुई दिखाई दे रही थी उनकी चुननी गले मे लिपटी थी चलने मे दोनो चूचियाँ हिल रही थी मुझे लग रहा था की वो कड़ी भी हो गई है '' वह बोली '' पटना मे तो तेरह साल के लड़के लड़किया चुदाई का खेल खेल खेलने लगते हैं '' तुम तो गाँव मे रहते हो यहाँ तो किसी को कही आने जाने की मनाही भी नही है किसी को भी चोद सकते हो''
'' कोई तैय्यार नही होती और मुझे डर भी लगता है ''
'' मन तो होता है ''ये कह कर वो चुप हो गई मैं नही समझ पाया की वो मेरे
या अपने मन की बात कर रही है हम बाग मे पहुच गये वहाँ छप्पर के नीचे
चारपाई पड़ी हुई थी दो खाद की बोरी के बने बिस्तर थे हम लोगो को देखते ही
मटरू काका की पत्नी खड़ी हो गई और बात करने लगी पता चला की खेत सीचने है
लेकिन बिजली ही नही है मटरू काका देखकर गांजा पीने गये है यह सूचना देकर
वह इधर उधर की बाते करने लगी उनकी मज़े की बाते चल रही थी कि तभी नाना के
साथ सुदामा मौसी आती दिखी नाना आए थे मटरू काका से खेतो की सिंचाई के लिए
बात करने '' लेकिन उन्हे वहाँ न पाकर बहुत नाराज़ हुए और फिर वही हमारे
पास बैठ कर इधर उधर की बाते करने लगे जब मटरू आए तो उन्हे डाँटकर सिंचाई
का ध्यान रखने के लिए हम लोगो का भी ध्यान रखने के लिए कहकर चले गये
नाना के जाते ही बिजली आ गई काकी घर चली गई वह पानी चलाकर गई
'' चलो हम लोग भी नहाए '' नीलम दीदी ने कहा''
'' घर ही बता देती तो वहाँ से कपड़े लेकर आते '' क्या पहनकर नहाएँगे?''
सुदामा मौसी बोली ''
''चुन्नी तो है''
मेरे पास गमछा है गर्मियो मे मैं अपने साथ हमेशा गमछा रखता था
'' टंकी मे मज़ा आता है' इस बार सुदामा मौसी बोली
हम लोग पंप पर पहुचे तो वहाँ पर मटरू काका थे वह हम लोगो को देखकर खुश हो
गये और बोले '' बिटन हम जेया रहे हैं नशा करने , गये थे मिला ही नही ,
पानी तो खोल ही दिया है , चल रहा है बस हम यू गये और यू आए बाबू साहब से
ना कहना '' वो चले गये
उनके जाते ही मैने सबसे पहले कपड़े निकाले और गमछा पहन कर पानी मे उतर
गया टंकी गहरी थी पानी गले तक था
सुदामा मौसी थोड़ा हिचकिचाई तो नीलम दीदी ने उन्हे उकसाया उन्होने चुन्नी
कमर मे लपेट कर अपनी शलवार उतार दी और जम्पर भी उतार दिया अब उनके शरीर
पर समीज़ रह गई उनकी गोल बड़े आम की तरह छातियों की आक्रति साफ दिख रही
थी उसके नीचे और कुछ भी नही था . नीलम दीदी ने भी वैसा ही किया लेकिन
उनकी पीली रंग की समीज़ के नीचे बनियान थी जो साफ दिख रही थी उनके पानी
मे उतरते ही सब साफ दिखने लगा चुन्नी बार बार उपर आ जाती थी और मेरा गमछा
भी , हम लोग पानी मे खेलने लगे . सुदामा मौसी ने पानी के अंदर नीलम दीदी
की चुन्नी खींच ली . वह तुनकने लगी ''बुआ मैं नंगी हो गई दो ना ''
'' चल हट'' यह कह कर वो दीवार पर बैठ गई . भीगने के कारण उनकी समीज़ उनकी
चूचियो को ढकने मे नाकाम हो रही थी दोनो चुचिया साफ दिखाने लगी
मैं देखने लगा तो नीलम दीदी बोली '' क्या देख रहे हो राज ?''
हालाँकि मैं ये सब समझ गया कि यह सब ये दोनो जानबूझ कर रही है लेकिन मैने
चोन्कने का नाटक करते हुए कहा '' ''कुछ नही''
तब सुदामा मौसी ने पानी मे उतर कर नीलम दीदी कोपकड़ कर उठा कर दीवार पर
बिठा दिया और उनकी मटके जैसी मस्त चूचियो को पकड़ कर बोली ''ले राज तू भी
पकड़ ''
मैं हिचकिचाया तो मुझे एक हाथ से खिचकर पास कर लिया और मेरा हाथ पकड़ कर
नीलम दी की चुचियो पर रख दिया बोली '' रगड़ दे मेरे लाल करदे इन्हे लाल
''
नीलम दीदी खिलखिलाने लगी और पानी मे उतर कर सुदामा मौसी को पकड़ कर दीवार
के किनारे सटा कर थोड़ा उपर उठाकर समीज़ को उपर उठा दिया सुदामा मौसी की
नंगी चुचिया मेरे सामने आ गई वह एक हाथ से उनकी चुचिया सहलाने लगी और
दूसरे हाथ से मेरी नूनी को पकड़ कर खींचते हुए बोली '' आ ना मसल अपनी
मौसी की चुचियाँ ''
मेरी नूनी को छोड़कर मेरा हाथ पकड़ कर सुदामा मौसी की नंगी चुचियो पर रख
दिया मैने सोचा अब बहुत हो गया बेटा ''मैं सुदामा मौसी की चुचिया सहलाने
लगा और एक हाथ से नीलम दीदी भी सहलाने लगी .
सुदामा मौसी की आँखे बंद होने लगी वह इस तरह हिल रही थी कि मुझे लगा की
नीलम दीदी पानी के अंदर अपनी दो उंगलिया उनकी योनि मे डालकर हिला रही थी
उन्होने मुझे इशारा किया की मैं सुदामा मौसी की चुचियो को मुँह मे लेकर
चुसू . मैने उन्हे गौर से देखा तो वह तन गई थी और फूल भी गई थी उनके आगे
दाने तन गये थे उनके मुँह से अजीब तरह की आवाज़े भी निकल रही थी मैं एक
चुचि को मुँह मे लेकर चूसने लगा और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा .
नीलम दीदी मेरी नूनी को अपने हाथ मे लेकर सहलाने लगी फिर मेरे हाथ को
पकड़ कर अपनी मटकी जैसी चुचियो को मसलवाने लगी और फिर मेरी नूनी को अपने
हाथो से तेज़ी से सहलाने लगी मैं भी सुदामा मौसी की चुचियो को पीते हुए
नीलम दीदी की चुचियो की कपड़े के उपर से ही मसलने लगा बड़ी मस्त चुचिया
थी मन कर रहा था की सुदामा मौसी की चुचियो को खा जाउ और नीलम दीदी की
चुचियो को निचोड़ लूँ . कुछ देर बाद सुदामा मौसी एकाएक सुस्त सी पड़ गई
तो नीलम दीदी ने कहा '' गई''
फिर नीलम दीदी ने मुझे उठा कर दीवार पा बिठा दिया और मेरा गमछा सामने से
हटा दिया तो मेरी नूनी नंगी हो गई . झान्ट के बाल पानी मे भीगने के कारण
चिपक गये थे अभी मेरी झान्टे बड़ी और घनी नही हुई थी नीलम दीदी ने कहा
''बुआ इसका मुट्ठामार''
'' कैसे ''
'' तेज़ी से आगे पीछे करके ''
सुदामा मौसी मेरे लंड को हिलाने लगी इसी बीच नीलम दीदी ने अपनी समीज़ और
बॉडी उपर चढ़ा ली और फ़ुटबाल के जैसी उनकी मस्त चुचियाँ भल्ल से बाहर
निकल आई मैं दोनो चुचियो को हाथो मे लेकर दबाने लगा मसलने लगा मेरी नूनी
कड़क होकर उपर उठ गई . सुदामा मौसी अपने हाथ तेज चलाने लगी अंत मे मैने
भल्ल भल्ल कर अपना वीर्य बाहर फॅंक दिया
मेरा वीर्य कुछ पानी मे और कुछ नीलम दीदी के मुँह पर पड़ा मैं सुस्त हो
गया हालाँकि मैने दोस्तो के साथ कई बार हॅंडप्रेक्टिस की थी लेकिन ऐसा
मज़ा पहली बार आया था
'' कैसा लगा '' नीलम दी ने पूछा
'' स्वर्ग मे पहुँच गया था '' मैने कहा
''अपनी सुदामा मौसी को चोदेगा'' नीलम दी ने कहा
मेरे कुछ कहने से पहले ही सुदामा मौसी ने कहा ''हाँ तेरी नीलम दीदी के तो
बुर है ही नही''
मैं जानती हूँ कि मेरी बुर नही चूत है ''मैं दो लोगो से चुद चुकी हूँ बुआ
'' लेकिन तुम्हारी तो बुर है ऐसी कच्ची बुर को तो राज शर्मा ही चोदेगा अब
राज ही इसे चूत बनाएगा
'' हाई राम तुम्हे दो लोगो ने चोदा है''मैने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा
'' लेकिन अभी तो तुम्हारी शादी भी नही हुई है''
'' शादी तो तेरी भी नही हुई है फिर तू क्यू अपने लॅंड से भल्ल भल्ल करके
वीर्य फेंक रहा है रे हरामी'' मौसी ने दुलार भरे अंदाज मे कहा
'' अच्छा अब बाते छोड़ो और दोनो मुझे ठंडा करो '' नीलम दी ने कहा
तब मैं उनकी एक चुचि मुँह मे लेकर चूसने लगा और दूसरी को हाथ मे लेकर
मसलने लगा मौसी शायद पानी के अंदर उनकी चूत मे उंगली डालकर हिलाने लगी
थीं उनकी आँखे बंद होने लगी और वो बाड़-बड़ाने लगी '' हाई राम जी इतना
आनंद तो चुदाई मे भी नही आ रहा था चाचजी तो खाली अंदर डाल कर हिलाते है
बहुत हुआ तो किस हुआ '' हाई राम जी हाई राम'' और वह मेरे मुँह को अपनी
चुचियो से हटाकर अपने मुँह के पास ले गई फिर अपनी जीभ मेरे मुँह मे डालकर
चूसने लगी . मैं हाथो से उनकी मखमली चुचियो को सहलाने लगा वह एकाएक ढीली
पड़ती हुई बोली '' मैं गई ''
तीनो ही झड़कर ठंडे होकर एक दूसरे को नोचते दबाते हुए खेलने लगे तभी दूर
से मटरू काका आते दिखे हमने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और उनके आने से
पहले हम तीनो बाग की तरफ चल दिए वह आए तभी शायद बिजली चली गई कुछ देर
प्रतीक्षा की फिर हमारेपास आए हम लोग खाना खा रहे थे वो बोले '' बीट्टो
अब राज बाबू भी है मैं गाँव जा रहा जैसे ही बिजली आ जाएगी मैं आ जाउन्गा
''' वह चले गये . दोपहरी का सूरज सिर पर आ गया था दूर खेतो मे काम करने
वाले किसान भी आप घरो को चले गये बाग मे पेढो की छाँव से ठंडक थी मुझे
पिशाब लगा तो मैं एक तरफ जाने लगा सुदामा मौसी ने कहा ''' कहाँ ''
मैने कहा '' पिशाब करने ''
वह बोली'' यही कर लो मैं देखूँगी तुम्हारा मूत कितनी दूर जाएगा ''
अब हमारे बीच की शरम लगभग ख़तम हो गई थी मैने कहा '' मैं भी देखूँगा जब
तुम मुतती हो तो कितनी ज़ोर से सीटी बजाती हो '' दोनो खिलखिला कर हँसने
लगी
मैं छप्पर से बाहर आकर मुतने लगा वह दोनो मेरे मुतते हुए लंड को देखने
लगी फिर मैं अंदर आकर चारपाई पर बैठा तो मुझे ज़मीन पर बिस्तर पर बिठा कर
नीलम दीदी ने मेरा पाजामा निकाल दिया और मुझे गीला गमछा पहना दिया मेरा
लंड खुल गया सुदामा मौसी उसे उंगलियो मे फँसाकर छेड़ने लगी दूसरी तरफ
अपनी भारी चुचियो से कपड़ा हटाकर कुतिया की तरह बनकर मेरे मुँह पर चुचियो
को झुलाते हुए रगड़ने लगी कड़े होकर उनके दाने काले जामुन के आकार के हो
गये थे
उनमे रक्त भर गया और वो फूल गई पत्थर की तरह कड़ी हो गई सुदामा मौसी भी
अकड़ने लगी तो नीलम दी ने उन्हे वही लिटाकर उनकी शलवार को पैरो से निकाल
दिया उनकी काली झान्टो से भरी चूत मेरे सामने आ गई उनकी चूत का दाना उभर
कर बाहर निकल आया था दी ने मुझे सहलाने का इशारा किया तो मैं अपनी हथेली
से उनकी चूत का मसाज करने लगा मैं हथेली के निचले हिस्से से चूत को
रगड़ने लगा हथेली को अंदर दबाया तो चूत के अंदर का लाल हिस्सा दिखाई देने
लगा इसी बीच नीलम दी ने उनकी चुचियो को आज़ाद कर दिया और उनकी कड़ी
चुचियो पर अपनी चुचिया रगड़ने लगी
सुदामा मौसी ने नीचे से ही नशीली आवाज़ मे कहा '' राज इसकी बेल की तरह
कड़ी चुचियो को फोड़ डाल ''
'' इसकी भंडारे जैसी चूत को रगड़ रगड़ फाड़ दे मैं तो हू ही अपनी चूत
तुझसे चुदवाने के लिए '' नीलम दी ने कहा
मौसी ने नशीली आवाज़ मे कहा '' इसके पॅपीट को फोड़ दे तो मैं मटरू काका
की बेटी की अमरूद जैसी छोटी छोटी चुचियो को तुझसे दबवाने की व्यवस्था कर
दूँगी ''
'' मुझे मौसी और दीदी के अलावा किसी और को नही चोदना है '' मैने कहा
'' चल तो बता पहले किसको चोदेगा दो लंड का स्वाद ले चुकी चूत या अनतच
कुँवारी चूत को '' नीलम दी ने मस्तानी आवाज़ मे कहा '' चुदासी तो दोनो ही
हो गई हैं ''
मैं मौसी की चूत को अपनी हथेली से रगड़ रहा था वह उत्तेजना मे मुँह से
हों हों की आवाज़ निकाल रही थी एकाएक वह सुस्त पड़ गई इसका मतलब था कि वो
झाड़ गई थी नीलम दी ने फटाफट अपनी शलवार को निकाला और अपनी टाँगो को
फैलाकर मेरे लंड पर अपनी चूत का निशाना बाँध कर बैठ गई . फॅक से मेरा लंड
उनकी चूत मे समा गया और वो मेरे लंड
उछाल कूद करने लगी घापाघाप ऊपर नीचे उठक बैठक करने लगी मेरा तो उत्तेजना
के मारे बुरा हाल था
सुदामा मौसी बाहर जाकर देख आई कही कोई आस पास तो नही आ रहा और फिर हमारे
पास आकर हमारी चुदाई को देखने लगी नीलम दी ने हाफ्ते हुए कहा '' बुआ तुझे
तो मैं राज से कुतिया बनाकर चुदवाउन्गि'' ..
--
(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज शर्मा
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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