Wednesday, April 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI कुंवारी युवती - मरवाने का आनंद -2

FUN-MAZA-MASTI

 कुंवारी युवती -  मरवाने का आनंद -2

 तुम तेज़ झटके से घुसाओ अगर फीर भी अंदर नहीं जाता है तो फाड़ दो मेरी चूत को. मैं जोश मैं आ कर बोल बैठी. मेरी बात सुनकर वो भी बहुत जोश मैं आ गया और उसने ज़ोर का धक्का मारा. एकदम जानलेवा धक्का था, भक्क से चूत के अंदर लंड का सुपादा समां गया, इसके साथ ही मेरे मुँह से चीख भी निकल गयी. चूत की ओर देखा तो पाय की बीच से फट गयी थी और ख़ून निकल रहा था. ख़ून देखने के बाद तो मेरी घबराहट और बढने लगी मगर कीसी तरह मैंने अपने आप पर काबू कीया. उसके लंड ने चूत का थोडा सा ही सफ़र पूरा कीया था और उसी मैं मेरी हालत खराब होने लगी थी. चूत के एकदम बीचों बीच धंसा हुआ उसका लंड खतरनाक लग रहा था. मैं दर्द से कराह-हटे हुए बोली, My god ! मेरी चूत तो सचमुच फट गयी उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ दर्द सेहन नहीं हो रहा है. अगर पूरा लंड अंदर घुसाओगे तो लगता है मेरी जान ही नीकल जायेगी. नहीं यार! मैं तुम्हे मरने थोड़े ही दूंगा. वो बोला और लंड को हिलाने लगा तो मुझे ऐसा अनुभव हुआ जैसे चूत के अंदर बवंडर मचा हुआ हो. जब मैंने कहा की थोड़ी देर रूक जाओ, उसके बाद धक्के मारना तो उसने लंड को जहाँ का तहां रोक दीया और हाथ बढ़ा कर मेरी चूची को पकड़ कर दबाने लगा. चूची मैं कठोरता पूरे शबाब पर आ गयी थी और जब उसने दबाना शुरूकिया तो मैंने चूत की ओर से कुछ रहत महसूस की. कारण मुझे चूचियों का दब्वाया जान अच्चा लग रहा था. मेरा तो यह तक दील कर रहा था की वो मेरे निप्प्ले को मुँह मैं लेकर चूसता. इससे मुझे अनंद भी आता और चूत की ओर से ध्यान भी बाँट-ता. मगर टांग उसके कंधे पर होने से उसका चेहरा मेरे निप्प्ले तक पहुंच पाना एक प्रकार से नामुमकीन ही था. तभी वो लंड को भी हिलाने लगा. पहले धीरे धीरे उसके बाद तेज़ गति से. चूची को भी एक हाथ से मसल रहा था. चूत मैं लंड की हलकी हलकी सरसराहट अच्छी लगने लगी तो मुझे अनंद आने लगा. पहले धीरे और उसके उसने धक्को की गति तेज़ कर दी. मगर लंड को ज्यादा अंदर करने का प्रयास उसने अभी नहीं कीया था. एक एक वीनय बोला, तुम्हारी चूत इतनी कम्सिन और tight है की क्या कहूं?
उसकी बात सुनकर मैं मुस्करा कर रह गयी. मैंने कहा, मगर फीर भी तो तुमने फाड़ कर लंड घुसा ही दीया.
अगर नहीं घुसाता तो मेरे ख़्याल से तुम्हारे साथ मैं भी पागल हो जाता.
मैं मुस्करा कर रह गयी.वो तेज़ी से लंड को अंदर बहार करने लगा था. अब चूत मैं दर्द अधीक तो नहीं हो रहा था हाँ हल्का हल्का सा दर्द उठ रहा था. मगर उससे मुझे कोई परेशानी नहीं थी. उसके मुकाबले मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ देर मैं ही उसने लंड को ठेल कर काफी अंदर कर दीया था. उसके बाद भी जब और ठेल कर अंदर घुसाने लगा तो मैं बोली, और अंदर कहां करोगे, अब तो सारा का सारा अंदर कर चुके हो. अब बाक़ी क्या रह गया है?
एक इंच बाक़ी रह गया है. कहते ही उसने मुझे कुछ बोलने का मौका दीये बग़ैर ज़ोर से झटका मार कर लंड को चूत की गहरायी मैं पहुँचा दीया. मैं चीख कर रह गयी. उसके लंड के ज़ोरदार प्रहार से मैं मस्त हो कर रह गयी थी. ऐसा अनंद आया की लगा उसके लंड को चूत की पूरी गहरायी मैं दाखील करवा ही लूं. उसी मैं मज़ा आएगा. यह सोच कर मैंने कहा, हाऐईईइ.. और अंदर…. घुसाआअऊऊऊ. गहरायी मैं पहुँचा दो.
उसने मेरी जांघों पर हाथ फेरा और लंड को ज़ोर से ठेला तो मेरी चूत से अजीब तरह की आवाज़ नीक्ली और इसके साथ ही मेरी चूत से और भी ख़ून गिरने लगा. मगर मुझे इससे भी कोई परेशानी नहीं हुई थी, बल्की यह देख कर मैं अनंद मैं आ गयी की चूत का सुराख पूरा खुल गया था और लंड सारा का सारा अंदर था. एक पल को तो मैं यह सोच कर ही रोमंचित हो गयी की उसके बम्बू जैसे लंड को मैंने अपनी चूत मैं पूरा डलवा लीया था. उस पर से जब उसने धक्के मारने लगा, तो एहसास हुआ की वाकई जो मज़ा चुदाई मैं है वो कीसी और तरीके से मौज-मस्ती करने से नहीं है. उसका ८ इंच लंड अब मेरी चूत की गहराई को पहले से काफी अच्छी तरह नाप रहा था. मैं पूरी तरह मस्त होकर मुँह से सिस्कारी निकालने लगी. पता नहीं कैसे मेरे मुँह से एकदम गन्दी गन्दी बात निकलने लगी थी. जिसके बारे मैं मैंने पहले कभी सोचा तक नहीं था. फ्ह्ह्हाद्द्द्द्द… दूऊऊओ मेरीईईइ चूऊओत्त्त्त्त्त्त् कूऊऊऊ आआह्ह्ह्ह्ह्ह् प्प्प्पीईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊओ और्र्र्र्र्र तेज़ पेलो टुकड़े टुकड़े कर दो मेरी चूऊऊत्त्त्त्त्त्त्त् कीईईईईईईई.

मैं झड़ने के करीब पहुंच गयी तो मैंने वीनय को और तेज़ गति से ढके मरने को कह दीया,अब लंड मेरी छुट को पार कर मेरी बच्चेदानी से टकराने लगा था, तभी चूत मैं ऐसा संकुचन हुआ की मैंने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच मैं कास लीया. पूरी चूत मैं ऐसी गुद्गुदाहत होने लगी की मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मुँह से ज़ोरदार सिस्कारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधीक खराब होने लगी तो मेरी रुलायी चुत नीक्ली. वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे रो देने पर उसने लंड को रोक लीया और मुझे मानाने का प्रयास करने लगा. मैं उसके रूक जाने पर खुद ही शांत हो गयी और धीरे धीरे मैं अपने बदन को ढीला छोड़ने लगी. कुछ देर तक वो मेरी चूत मैं ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुछ देर तक सांस लेटी रही. फीर जब मैंने उसकी ओर ध्यान दीया तो पाय की उसका मोटा लंड चूत की गहराई मैं वैसे का वैसा ही खड़ा और अकादा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, कहो तो अब मैं फीर से धक्के मारने शुरू करूं. मारो, मैं देखती हूँ की मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.
उसने दुबारा जब धक्के मारने स्टार्ट कीए तो मुझे अग जैसे मेरी चूत मैं कांटे उग आये हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दीया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बहार निकलना स्वीकार कर लीया. जब उसने बहार निकाला तो मैंने रहत की सांस ली. उसने मेरी टांगो को अपने कंधे से उतार दीया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं समझ नहीं पाई की वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांड को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लीये मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी. मैंने खुद ही अपनी गांड को ऊपर कर लीया और कोशिश करी की गांड का छेद खुल जाये. उसने लंड को मेरी गांड के छेद पर रख्खा और अंदर करने के लीये हल्का सा दबाव ही दीया था की मैं सिसकी लेकर बोली, थूक लगा कर घुसाओ.
उसने मेरी गांड पर थूक चुपड़ दीया और लंड को गांड पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्कील से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुछ देर मैं ही उसने थोडा सा लंड अंदर करने मैं सफलता प्राप्त कर ली थी. फीर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांड के अंदर रगड़ खाने लगा तभी उसने अपेख्शाकरत तेज़ गाती से लंड को अंदर कर दीया, मैं इस हमले के लीये तैयार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सात की पुष्ट को सख्ती से पकड़ लीया था मैंने. अगर नहीं पकद्ती तो जरूर ही गिर जाती. मगर इस झटके का एक फायदा यह हुआ की लंड आधा के करीब मेरी गांड मैं धंस गया था. मेरे मुँह से दर्द भरी सिस्कारियां निकलने लगी … फट गयी मेरी गाआआअन्न्न्न्न्द्द्द्द्द्.. हाआआऐईईईईईइ ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. उसने अपना लंड जहाँ का तहां रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट कीए. मुझे अभी अनंद ही आना शुरू हुआ था की तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपादा मेरी गांड मैं फूल पिचक रहा था, आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेर्र्र्र्रीईईईईई जाआअन्न्न्न्न्न्न्न्न् म्म्म्म्म्म्म्म्म आआआआआअ कहता हुआ वो मेरी गांड मैं ही झाड़ गया. मैंने महसूस कीया की मेरी गांड मैं उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांड मरवाने का अनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे अनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड नीकाल लीया. मैं कपडे पहनते हुए बोली, तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.
वो मुस्कुराने लगा. बोला, क्या कर्ता, तुम्हारी कम्सिन जवानी को देख कर दील पर काबू रखना मुश्कील हो रहा था. कयी दीनो से चोदने का मन था, आज अच्च्चा मौका था तो छोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम इमानदारी से बताओ की तुम्हे मज़ा आया या नहीं?
उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपडे पहनती रही. मैं मुस्करा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, बोलो ना ! मज़ा आया? 

हाँ मैंने हौले से कह दीया. तो फीर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो की तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर मैं ही रहोगी. फीर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे. मैं उसकी बात सुनकर मुस्करा कर रह गयी. बोली, दोनो तरफ का बाजा बजाचुके हो फीर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?
नहीं ! बल्की अब तो और ज्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैंने इसका स्वाद नहीं लीया था, इसीलिये मालूम नहीं था की चूत और गांड चोदने मैं कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है की तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.
नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है
तुम झूठ बोल रही हो. दील पर हाथ रख कर कहो
मैंने दील की झूठी क़सम नहीं खाई. सच कह दीया की वाकई मेरा मन नहीं भरा है. मेरी बात सुना-ने के बाद वो और भी जिद्द करने लगा. कहने लगा की Please मान जाओ ना ! बड़ा मज़ा आएगा. सारी रात रंगीन हो जायेगी.
मैं सोचने लगी. वैसे तो मैं रात को अपनी सहेलियों के पास कयी बार रूक चुकी थी मगर उसके लीये मैं मम्मी को पहले से ही बता देती थी. इस प्रकार आइं मौक़े पर मैंने कभी रात भर बहार रहने का प्रोग्रॅम नहीं बनाया था. सोचते सोचते ही मैंने एक एक प्रोग्रॅम बाना लीया. मगर बोली, सवाल यह है की हम लोग रात भर रहेंगे कहां? होटल मैं?
होटल मैं रहना मुश्कील है. खतरा भी है. क्योंकी तुम अभी कम्सिन हो. मेरे दोस्त अजय का एक बंग्लोव खाली है. मैं उसे फ़ोन कर दूंगा तो वो हमारे पहुँचने से पहले सफाई वगेरह करवा देगा. उसकी बात मुझे पसंद तो आ रही थी मगर दील गवारा नहीं कर रहा था. एका एक उसने मेरे हाथ मैं अपना लंड पकडा दीया और बोला, घर के बारे मैं नहीं, इसके बारे मैं सोचो. यह तुम्हारी चूत और गांड का दीवाना है. और तुम्हारी चूत मारने को उतावला हो रहा है.
उसके लंड को पकड़ने के बाद मेरा मन फीर उसके लंड की ओर मुड़ने लगा. उसे मैं सहलाने लगी. फीर मैंने हाँ कह दीया. उसके लंड को जैसे ही मैंने हाथ मैं लीया था, उसमें उत्तेजना आने लगी. वो बोला, देखो फीर खड़ा हो रहा है. अगर मन कर रहा है तो बताओ चलते चलत एक बार और चुदाई का मज़ा ले लीया जाये.
यह कहते हुए उसने लंड को आगे बढ़ा कर चूत से सटा दीया. उस वक़्त मैंने jeans और पैंटी नहीं पहनी थी. वो चूत पर लंड को रगड़ने लगा. उसके रगड़ने से मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, मेर मन मैं चुदाई का विचार आने लगा था. मगर मैंने अपनी भावनाओं पर काबू पाने का प्रयास कीया. उसने मेरी चूत मैं लंड घुसाने के लीये हल्का सा धक्का मारा. मगर लंड एक ओर फिसल गया. मैंने जल्दी से लंड को दोनो हाथो से पकड़ लीया, और बोली, चूत मैं मत डालो. जब रात रंगीन करने का मन बाना ही लीया है तो फीर इतना बेताब क्यों हो रहे हो. या तो इसे ठण्डा कर लो या फीर मैं कीसी और तरीके से इसे ठण्डा कर देती हूँ. तुम कीसी और तरीके से ठण्डा कर दो. क्योंकी ये खुद तो ठण्डा होने वाला नहीं है.
मैं उसके लंड को पकड़ कर दो पल सोचती रही फीर उस पर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. वो बोला, क्या कर रही हो?
मैंने एक सहेली से सुना है की लड़के लोग इस तरह झटका देकर मुट्ठ मारते हैं और झाड़ जाते हैं.
वो मेरी बात सुनकर मुस्करा कर बोला, ऐसे चुदाई का मज़ा तो लीया जाता है मगर तब, जब कोई प्रेमीका ना हो. जब तुम मेरे पास हो तो मुझे मुट्ठ मारने की क्या जरूरत है?
समझो की मैं नहीं हूँ?
ये कैसे समझ लूं. तुम तो मेरी बाहों मैं हो. कह कर वो मुझे बाहो मैं लेने लगा. मैंने मना कीया तो उसने छोड़ दीया. वो बोला, कुछ भी करो. अगर चूत मैं नहीं तो गांड मैं… कह कर वो मुस्कुराने लगा. मैं शर्म कर बोली, धात.
तो फीर मुँह से चूस कर मुझे झाड़ दो. मैं नहीं नहीं करने लगी. आखीर मैं गांड मरना मैंने पसंद कीया. फीर मैं घोड़ी बनकर गांड उसकी तरफ कर घूम गयी. उसने मेरी गांड पर थोडा सा थूक लगाया और अपने लंड पर भी थोडा सा थूक चुप्दा और लंड को गांड के छेद पर टिका कर एक ज़ोरदार धक्का मारा और अपना आधा लंड मेरी गांड मैं घुसा दीया. मेरे मुँह से कराह नीकल गयी आआआआआईईईईईईई मुम्म्म्म्म्म्य्य्य्य्य्य्य्य माआर्र्र्र दियाआआआअ फ़ाआअद्द्द्द्द्द्द् बहुत दर्द कर रहा है. उसने दो तीन झटको मैं ही अपना लंड मेरी गांड के आकिरी कोने तक पहुँचा दीया, ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरी आन्तादियों को चीर डाल रहा हो. मैंने गांड मैं लंड दल्वाना इसलिए पसंद कीया था, की पिछली बार मैं गांड मरवाने का पूरा अनंद नहीं ले पाई थी और मेरा मन मचलता ही रह गया था, वो झाड़ जो गया था.

मैं इसका भी मज़ा लूंगी ये सोच कर मैं उसका support करने लगी. गांड को पीछे की ओर धकेलने लगी. वो काफी देर तक तेज़ तेज़ धक्के मारता हुआ मुझे आनंदित कर्ता रहा, मैं खुद ही अपनी २ उँगलियाँ चूत मैं दाल कर अंदर बहार करने लगी, एक तो गांड मैं लंड का अंदर बहार होना और दूसरा मेरा उँगलियों से अपनी चूत को कुचलना दो तरफा अनंद से मैं जल्द ही झड़ने लगी और झाड़ते हुए बद्बदाने लगी, ह्ह्ह्हाआऐईईईईई तेरी गाआअन्न्न्न्न्न्न्द्द्द्द्द्द्द्द् आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् लंड कैसे कास कास कर जा रहा है म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म कहता हुआ वो मेरी पीठ पर ही गीर पड़ा और हांफने लगा. थोड़ी देर ऐसे ही पडे रहने के बाद, हम दोनो ने अपने अपने कपडे पहने और वहाँ से वापस आ गई. ड्राइवर का घर पास मैं ही था. उसके पास जाकर मैंने उसे कार दे कर कहा की हम लोग आज कहीँ पार्टी मैं जा रहे हैं. मैंने उसे समझा दीया की वो घर मैं कह दे की मैं एक सहेली के घर चली गयी हू. आज रात उसके घर पर ही रहूंगी. फीर मैंने उसे ५०० का कै नोट पकडा दीया. रुपये पाकर वो खुश हो गया, बोला, मैडम जी ! आप बेफिक्र हो जाईये. मैं सब संभल लूँगा. मालकिन को ऐसा सम्झौंगा की वो कुछ नहीं कहेंगी आपको. उसके बाद हम दोनो वहाँ से नीकल गई. एक जगह रूक कर वीनय ने टेलीफोन बूथ से अपने दोस्त को फ़ोन कर दीया. उसके बाद उसने मुझे बताया की उसका दोस्त मौजूद था और उसने कह दीया है की वो सारा इंतज़ाम कर देगा. सारे इंतज़ाम से तुम्हारा क्या मतलब?
मतलब खाने पीने से है. वीनय ने मुस्करा कर कहा. हम दोनो एक आटो के ज़रीये उसके दोस्त के बंग्लोव मैं पहुंच गई. अच्चा खासा बंग्लोव था, काफी अच्छी तरह सजा हुआ. वीनय के दोस्त ने हम दोनो का स्वागत कीया. वो भी आकर्षक लड़का था. वो वीनय से तो खुलकर बात करने लगा मगर मुझसे बात करने मैं झीझक रहा था. अन्दर जाने के बाद मैंने कहा की मैं अपने घर फ़ोन करना चाहती हूँ. उसने सहमति जताई तो मैंने मम्मी को फ़ोन करके कह दीया की मैं आज रात नीमा के घर मैं हूँ और कल सुबह ही आऊंगी. मम्मी कुछ खास विरोध नहीं कर पाई. नीमा का नाम मैंने इसलिए लीया था की उसके घर का फ़ोन नुम्बेर मम्मी के पास नहीं था. वो उससे फ़ोन करके पूछ नहीं सकती थी की मैं उसके पास हूँ या नहीं. फीर एक एक विचार आया की अगर मेरी मम्मी को मील गयी तो उसमें फ़ोन नुम्बेर है. इसलिए मैंने नीमा को भी इस बारे मैं बता देना ठीक समझा. नीमा को फ़ोन कीया तो वो पहले तो हंसने लगी फीर बोली, लगता है वीनय के साथ मौज मस्ती करने मैं लगी हुई है. अकेले अकेले मज़े लेगी अपनी सहेली का कुछ ख़्याल नहीं है तुझे. वो बड़ी Sexy लडकी थी. मैंने भी हंस कर कहा, अगर तेरा मन इतना बेताब हो रह है चुदवाने का तो फीर तू भी आजा, वैसे भी यहाँ दो लड़के हैं. एक तो विनय है और दूसरा उसका दोस्त. आजा तो तेरा भी काम बन जाएगा. मैं उसे तेरे लिए मना कर रखती हूँ. वो मान जाएगा? क्यों नहीं मानेगा यार. तेरी जैसे लडकी की चूत को देखकर कोई भी लड़का चोदने के लिए मन नहीं करेगा. तू है ही ऐसी की, कोई मन करे ये नामुमकिन है. ठीक है तो फिर मैं भी घर में कोई ना कोई बहन बाना कर आ रही हूँ. उसने फ़ोन काट दीया. मैंने उसके बारे मैं वीनय को बताया, तो वो अपने दोस्त को बोला ले यार अजय तेरा भी इंतज़ाम हो गया है. इसकी एक सहेली है नीमा, वो आ रही है. अजय के चहरे पर निखार आ गया. बेड रुम मैं आ कर हम तीनो बातें करने लगे. कुछ देर मैं ही अजय से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी. उसने बताया की वो भी पहले एक लडकी से प्यार कर्ता था मगर बाद मैं उसने धोखा दे दीया तो उसने कीसी और को प्रेमीका बनने के बारे मैं सोंचा ही नहीं.
थोड़ी देर तक बैठे बैठे मुझे बोरियत महसूस होने लगी. वीनय ने मेरी मानो स्तीथी भांप ली. वो अपने दोस्त से बोला, यार अजय ! ज़रा उस तरफ देखना. अजय दूसरी ओर देखने लगा तो वीनय ने मुझे बाहो मैं ले लीया और मेरी चूचियों को दबन लगा. होंठो को भी हौले हौले कीस करने लगा. तभी वहाँ नीमा आ गयी. वीनय मुझसे लिप्त हुआ था, उसे देखकर हम दोनो अलग हो गई. मैंने कहा, हम तेरी ही राह देख रहे थे, वह भे बेचैनी से. उसके बाद मैंने उसका परिचय वीनय और अजय से करवाया. मैं देख रही थी की अजय गहरी निगाहों से नीमा की ओर देखे जा रहा था. साफ ज़ाहिर हो रहा था की नीमा उसे बहुत पसंद आ रही है. एक एक मैं बोली, यार, तुम दोनो ने एक दुसरे को पसंद कर लीया है तो ओहीर तुम दोनो दूर दूर क्यों खडे हो. ऎन्जॉय करो यार. यह कहते हुए मैं नीमा को अजय की ओर धकेल दीया. अजय ने जल्दी ही उसे बाहों मैं ले लीया. वी दोनो झिझ्कें नहीं यह सोच कर मैं भी वीनय से लिपट गयी और उसके होंठो को चूमने लगी. वीनय मेरी चूची दबाने लगा तो अजय ने भी नीमा के मम्मो पर हाथ रख दीया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. मैं नीमा की ओर देखकर मुस्कुराई. नीम भी मुस्कुरा दी फीर अजय के बदन से लिपट कर उसे चूमने लगी. Un दोनो की शर्म खोलने और दोनो को ज्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं वीनय के कपडे उतारने लगी. कुछ देर मैं मैंने उसके कपडे उतार दीये और लंड को पकड़ कर सहलाने लगी तो वो भी मेरी चूचियों को बेपर्दा करने लगा। 





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