Wednesday, April 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --4

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --4
 मनीषा का दिल न चाहते हुए भी बेईमान हो रहा था... उसके मन में बस अब राका था... राका से वो पूरी तरह इम्प्रेस थी.... आखिर राका था ही ऐसा...अब उसे राका जैसा ही बॉयफ्रेंड चाहिए बस... राका जैसा क्यों? राका.... हाँ राका ही चाहिए... मानसी ख्यालों में डूबी हुई थी.. तभी उसे शरारत सूझी..... उसके पास एक दूसरा सिम पड़ा हुआ था... वो उसने अपने फ़ोन में डाला ... और राका को मिसकाल मारी.... राका ने अननोन नंबर देखा....
“ओये रिषभ यार ये अननॉन नंबर से मिसकाल कौन मार रहा है इतनी रात को...” (राका आज भी रिषभ के फ्लैट पे ही था)
“अबे तू नंबर बता... मैं अभी पता लगता हूँ किसका नंबर है....”
राका ने रिषभ को नंबर बताया.... रिषभ ने एक मोबाइल एप की मदद से २ सेकण्ड में पता लगा लिया....
“ओ भेन्चोद... ये तो वो तेरी 1st इयर वाली मनीषा का नंबर है”
“क्या बात कर रहा है? उसका नंबर सेव है मेरे सेल में...”
“ले खुद देख ले....” रिषभ ने राका को फ़ोन दिखाया.....
“ओ तेरी.... मतलब.....”
“अबे साले..... इतना वेट कराएगा तो सो जाएगी....काल बैक कर..”
राका ने तुरंत काल बैक किया.....
“हेल्लो जानेमन....”
“उम्.... कौन?” (राका ने भी फ़ोन रिषभ के फोन से किया था... )
(मानसी की सेक्सी आवाज सुन के राका का लंड तुरंत हरकत में आ गया...)
“वही जानेमन..... जिसे अभी तुमने मिस्काल दी थी”
“राका ....?”
“हाँ.... राका बोल रहा हूँ....”
“तो अपने फोन से क्यों नि किया अपने फोन?”
“तूने कोण सा अपने फोन से मिस्काल दी थी मुझे”
“उम्म्म..... वो तो बस ....”
“वो तो क्या... चल ठीक है... सेव कर लिया मैंने ये नम्बर भी तेरा...नम्बर देने के लिए ही दी थी न तूने मिस्काल?”
“उम्म्म..... याद आ री थी आपकी...”
“उफ़.... याद तो हमें भी बहोत आ रही थी.... पर...”
“पर क्या..?”
“कुछ नहीं.... तू सोई नहीं अभी तक?”
“उम्म्म.. बोला न याद आ री थी आपकी... इसलिए नींद नि आरही”
(बेचारी मानसी को क्या पता की वो अनजाने में क्या करने जा रही है.... अनजाने में या जानबूझ कर.. ये तो मानसी ही जाने..)
“ओह... नींद नइ आ रही तुझे...”
“ह्म्म्म”
“कही तुझे किसी से प्यार तो नहीं हो गया...?”
“उम्म्म.....” (मानसी ने कुछ जवाब नहीं दिया)
“आपकी कोई गल्फ्रेंड है?”
“थी पहले एक... अब नई ढून्ढ रहा हूँ”
“क्यों? ब्रेकअप हो गयाक्या?”
“अरे मेरी जान, मैं सिंगल हूँ.... तुझे यही पता करना है न?”
“हीही.. आप भी न....”
“अच्छा तू बता... तेरा कोई बॉयफ्रेंड है?”
“नोप...”
“तो बनाया क्यों नहीं? सीधे शादी करेगी क्या?”
“कोई मिला ही नहीं आप जैसा?”
“ओह.. क्या बोली तू ? जरा एक बार फिर से बोलना”
मानसी शर्मा गई.....
“उम्म्म... कुछ नहीं जी.... वो तो मैं बस....”
“चल अब सोने दे.... पका मत...” राका ने कहा
“पका री हूँ मैं?.. जाइये नहीं पकाऊंगी... गुड नाईट....”
“गुड नाईट... टेक केयर.... कल मोर्निंग 9.30.... पार्किंग में मिलना...” और राका ने फोन काट दिया...

ये क्या हुआ.... राका ने तो भाव ही नहीं दिया मानसी को.... पर राका का ये अंदाज भी मानसी को बहुत पसंद आया..... राका के बारे में सोंचती हुई अपने दोनों हाथो को अपनी जांघो के बीच दबा कर वो कब सो गई उसे पता भी नहीं चला...
सुबह मानसी की नींद 9 बजे खुली.....
“ओह मईगॉड.....तनीशा..... लेट हो गई..... राका ने मेको 9.30 पे मिलने को बोला था.....” मानसी चिल्लाई..... और सीधे बाथरूम में घुस गई..... 9.30 तो उसे बाथरूम से निकलते निकलते ही बज गए.... बाथरूम से निकलते ही मानसी ने राका को काल किया....
“हेलो..... कहाँ है तू? पार्किंग में मिलने को बोला था तुझे..”
“म सो सॉरी राका.... लेट हो गई.... मैं अभी घर पे ही हूँ... अभी मेको आधा घंटा लगेगा कॉलेज आने में”
“चल आ.... एंड मेरे को फुटबॉल ग्राउंड के पास मिलना...”
“ओके सर...”
“फिर सर? बोला था न..सजा मिलेगी... अब जल्दी आ...”
और राका ने फोन काट दिया!

मानसी अब अल्मिरा के सामने खड़ी थी और वो ये डिसाइड नहीं कर पा रही है कि कौन सी ड्रेस पहने.... फाइनली उसने एक सफ़ेद टॉप पहना.. जिसके ऊपर से उसकी लाल ब्रा दिख रही थी.... और नीचे रेड जींस..... बाल गीले होने की वजह से खुले ही रखे....
तनीषा और मानसी दोनों कॉलेज पहुचे..... तनीषा क्लास की तरफ और मानसी.... हाँ सही पहचाना आपने.... वो सीधे फुटबाल ग्राउंड की ओर चली गई.....
राका मानसी को देखते ही मानसी के पास आया...और हाय बोला...
मानसी ने भी स्माइल के साथ हाथ वेव करते हुए हाई बोला...
“यहाँ क्यों बुलाया मुझे?”
“अरे आज हमारा मैच है....”
(ये राका का मानसी को इम्प्रेस करने का जाल था.... क्योंकि वो जनता था... की एक बार अगर मानसी ने उसका मैच देख लिया तो वो उस पर फ़िदा हो जाएगी... उसे क्या पता था... कि मानसी बेचारी तो पहले से ही उसपे फ़िदा है)
“ओह रियली? मैंने बोहोत सुना है तुम्हारे बारे में....”
“इसीलिए तो बुलाया है तुम्हे.... आज देख भी लो
“तो कब से है?”
“अरे पगली यहाँ नहीं है... हम बाहर जा रहे है.... एंड अब तुझे डिसाइड करना है कि तू चल रही है हमारे साथ या नहीं....”
“उम्म्म... बाहर.... मतलब दूसरे कॉलेज में....”
“हाँ डिअर...एंड डोंट वरी शाम तक हम लौट भी आएंगे...”
मानसी न बोल नहीं सकती थी.....ये बात राका को भी पता थी!


मैच शुरू हो गया था.... और राका का जलवा भी.... पूरे ग्राउंड में बस राका ही छाया हुआ था.... मेजबान टीम पसीना पसीना हो गई थी....
राका से बाल को निकालना... हर किसी के बस की बात नहीं थी...
टीम के बाकी मेम्बेर्स राका को बाल पास करते... और राका बाल को ठिकाने लगा देता.... जी हाँ गोल मार देता....
मानसी तो बस..... वैसे तो उसे फुटबाल में कोई इंटरेस्ट नहीं था... पर आज उसे गेम देखने में अलग ही मजा आ रहा था...उसकी नजरें बस राका पे टिकी थीं.... शॉर्ट्स और स्लीवलेस में राका को दौड़ते हुए देख कर कोई भी लड़की खुद को रोक नहीं सकती थी.... राका आज पूरी फार्म में था... राका ने 4 गोल मारे... वो भी विरोधी टीम को नचा नचा कर... 4-0 का स्कोर विरोधी टीम को और भी परेशान कर रहा था
मैच ख़तम होने की सीटी बजते ही सभी ने राका को अपने कन्धों पर उठा लिया... राका भी पूरे रंग में मस्ती कर रहा था....
इस सबके बाद राका मानसी के पास आया....
“ओह... यू प्लेड माइंड ब्लोविंग...राका....... राका यू रॉक.... आई लव यू.....” और मानसी ने ख़ुशी से राका को गले लगा लिया....
“लव यू टू डार्लिंग......” और राका ने मानसी को अपनी बाहों में जकड लिया.... मानसी के बूब्स राका के सीने से दब गए..... राका पसीने से पूरा नहाया हुआ था.... पर मानसी को उसके पसीने बी महक भी अच्छी लग रही थी.... दो मिनट तक मानसी राका की बाहों के जकड़ में थी.... राका के शरारती हाथ उसकी पीठ पे शरारत कर रहे थे.....
फिर राका ने मानसी को अपनी गिरफ्त से आजाद किया.... और फिर से फुसफुसाया.... “लव यू डार्लिंग.... आज की जीत मैं तुम्हे डेडीकेट करता हूँ....”
मानसी ने मुस्कुराते हुए थैंक्स बोला.....
“केवल थैंक्स से काम नहीं चलेगा डिअर... इतने स्पेशल डेडिकेशन के लिए सिर्फ थैंक यू”
मानसी मुस्कुराई... और बोली.... “अब आगे का क्या प्लान है? मैच तो ख़तम हो गया?
“अरे हमारा मैच तो अब शुरू हुआ है.. ” राका ने आँख मरते हुए कहा... और मानसी की कमर को अपने दायें हाथ से पकड़ा और अपनी सफारी की ओर चल दिया.....
मानसी ने राका को एक्साइटमेंट में कब प्रोपोज कर दिया था उसे खुद भी पता नहीं चला... और वो रह रह कर अपनी इस हरकत पे मचल रही थी...
राका ने मानसी के प्रोपोज़ल को एक्सेप्ट भी कर लिया था...राका का हाथ अपनी कमर पे उसे और भी अच्छा लग रहा था... वो कॉलेज के रोनाल्डो- राका की गर्लफ्रेंड थी अब!

राका ने गाडी का गेट मानसी के लिए खोला.... मानसी थैंक्यू बोलती हुई अन्दर बैठ गई...
“कहाँ चल रहे है अब हम?”
“तुम बोलो... कहाँ चलना है....?”
“वैसे मैं ये कह री थी... की.... तुम्हे शावर ले लेना चाहिए... पूरे पसीने पसीने हो रखे हो....”
राका ने मानसी को देखा... और मुस्कुराया.....
“वैसे पसीना पसीना तो ये हसीना भी हो रखी है.... ”
मानसी कब एक्साईटमेंट में पसीना पसीना हो गई उसे खुद पता नहीं चला
मानसी को जब ये रेअलाइज़ हुआ की वो भी पसीना पसीना है....तो वो शर्मा गई... उसकी लाल ब्रा अब और भी साफ़ दिख रही थी....

“तो चलें? शावर लेने?” राका मानसी को टीज़ करते हुए बोला...
“तुम भी ना..... कुछ भी बोलते हो....”
“क्या गलत कह दिया मैंने? मैं तुझे तेरे पीजी में छोड़ दूंगा.... और मैं अपने हॉस्टल!”
मानसी तो साथ में शावर का सोच रही थी..... हेहे.... वो भी न बेचारी....
राका ने गाड़ी सीधे मानसी के पीजी की ओर बढ़ा दी.... और मानसी को उसके पीजी ड्राप करते हुए वो अपने हॉस्टल चला गया.... वो कोई जल्दबाजी करना नहीं चाहता था...


 मानसी सीधे बाथरूम में घुस गई... उसकी चूत गीली हो चुकी थी.... शावर के नीचे वो आज राका के साथ बिताये पलों को याद कर रही थी....उसके दिल में हलचल मची हुई थी... राका ने उसके अन्दर की आग को भड़का दिया था... आज उसे नहाने में डेली से जादा समय लगा....
उधर राका ने जल्दी से शावर लेके चेंज किया और मानसी को कॉल किया ... मानसी अभी ही नहा के निकली थी... खुद को पिंक टॉवल में लपेट रखा था...
“हेल्लो..” मानसी ने फोन उठाया
“हेल्लो...जानेमन...”
“हाँ जी बोलिए....”
“ओये होए.... क्या बात है... बीवी जैसे बात कर री है...”
“शाट आप... राका....”
“हाहाहा.... ओकेओके... डार्लिंग मजाक कर रहा था... अच्छा सुन.... अभी मैं आ रहा हूँ 30 मिनट में.... लंच के लिए...”
“व्हाट? यहाँ मेरे पीजी? मेको खाना बनाना नी आता..”
“अरे पगली... तू रेडी हो जा... पिक करने आ रहा हूँ...””
“ओह... मैं भी ना....” मानसी खुद की बेवकूफी पे हंसी... “अच्छा ठीक है... डिअर.... मैं तैयार हो री हूँ बस.... बाय.... सी यू”
राका ने फोन काट दिया!
उफ्फ्फ.... अब क्या पहने.... आज दूसरी बार उसे ये डिसाइड करना पड़ रहा था....
उम्म्म.... लंच के लिए जा रहे हैं... राका पक्का किसी अच्छी जगह ले जायेगा..... ये वाली ड्रेस ठीक रहेगी..... मानसी ने एक ब्लैक मिडी सिलेक्ट की... स्लीवलेस और शोल्डर लेस ड्रेस में मनसी का हुस्न निखर कर बाहर आ रहा था.... कंधे पर केवल पतले ब्लैक स्ट्रैप थे.... और नीचे..... नीचे मिडी उसकी गोरी जांघो को और भी गोरा कर रही थी.... घुटनों से 6इंच ऊपर थी उसकी ड्रेस.... अन्दर रेड जी-स्ट्रिंग पहनी हुई थी... ऊपर ब्लैक टीशर्ट-ब्रा जो कि मिडी का ही एक पार्ट लग रही थी!
तैयार होने में कब 45 मिनट बीत गए पता ही नहीं चला.... जी हाँ राका को पता था की लडकियां कम से कम 45 मिनट तो लेती ही हैं तैयार होने में... नीचे से राका हॉर्न बजाये जा रहा था.... मानसी ने जब हॉर्न सुना... तो उसके चेहरे पे अलग सी मुस्कान आ गई... उसने फिर से खुद को मिरर पे देखा और फिर वो बहार निकली!
मानसी को देख के राका की आँखे खुली की खुली रह गई..... मानसी भी राका को देख के कुछ इसी हालत में थी.... राका अपनी सफारी पे टेक लगाए एक पैर पे खड़ा था.... उसने सफ़ेद शर्ट पहनी हुई थी... और नीला जींस.... गजब का लग रहा था आज वो भी.... जेल से गीले बाल उसे और भी सेक्सी बना रहे थे.... और उसके हाथ में थी एक “रोज़ स्टिक”!
मानसी जैसे ही राका के पास पहुची.... राका ने गुलाब मानसी को दिया.... और एक बार फिर से “आई लव यू” बोला.... मानसी ने गुलाब कबूल किया और राका के गले लग गई..... गले लग कर वो भी धीरे से बोली.... “लव यू टू राका....” राका ने मानसी का माथा चूम लिया और फिर उसके लिए गाडी का गेट खोला...
मानसी राका की आँखों में देखती हुई गाडी में बैठ गई.... राका उसे शहर के सबसे अच्छे रेस्टोरेंट में ले गया.... और दोनों ने लंच किया और ढेर सारी बातें की...!
पूरे वक्त मानसी का हाथ राका के हाथों में था... राका ने मानसी की कोमलता को अच्छे से महसूस कर लिया था इतनी देर में.... लंच के समय राका का लंड न जाने कितनी बार खड़ा हुआ... और मानसी के लिए अपनी प्यास को जाहिर किया ... मानसी के दिल में भी कई बार हलचल हुई.... मानसी तो मानो राका के प्यार में पागल ही हो गई थी... हम लड़कियों की यही एक कमी है.... भावनाओं पे काबू नहीं रहता...
“डेज़र्ट में क्या लोगी....” राका ने मानसी की आँखों में झाँक के पूछा...
मानसी के जवाब देने से पहले ही राका ने रेस्टोरेंट का स्पेशल डेज़र्ट आर्डर कर दिया....
लंच ख़तम होने के बाद दोनों फिर अब गाड़ी में थे...
“राका... कही ड्राइव पे चलें...”
“तूने तो मेरे मन की बात छीन ली...ओल्ड फोर्ट चलें?”
मानसी के कुछ कहने से पहले ही राका ने 5वें गियर पे गाड़ी आगे बढ़ा दी...
पुराना किला शहर से 20किलोमीटर दूर था... बगल से नदी गुजरती थी... किला कोई तीन सौ साल पुराना था...राका ने इस किले में
“उईइ माँ ..... थोड़ा धीरे चलाओ न...”
“क्यों डर लगता है क्या?”
“जी नहीं... ऐसा नहीं है”
“तो फिर कैसा है...”
“ओहो राका... तुम नहीं मानोगे...”
राका ने स्पीड कम कर दी....
गियर बदलने के बहाने राका ने 5-6 बार मानसी की जांघ की कोमलता को महसूस कर ही लिया और मानसी को भी राका की इस शरारत में मजा आ रहा था... राका ने गाडी पार्क की... और मानसी को लेके किले के अन्दर की ओर चल दिया... राका को किले का कोना कोना पता था... पहले तो उसने मानसी को पूरा किला घुमाया... और फिर किले की दूसरी मंजिल पे मानसी के साथ बैठ गया.... यहाँ से नदी का खूबसूरत नजारा साफ़ दिख रहा था.... “वाव... कितनी ब्यूटीफुल जगह है...” मानसी बोली...
मानसी की जुल्फों को हटाते हुए राका रोमांटिक अंदाज में: “जान तुमसे जादा नहीं.... मुझे तो बस तुम दिख रही हो...”
मानसी ने मुस्कुराते हुए अपना सर राका के कंधे पे रख दिया.... उसका एक हाथ राका के हाथ पे था और दूसरा हाथ राका के दूसरे हाथ के ऊपर था... जो कि राका ने उसकी जांघ पे रखा हुआ था.... राका मानसी को टीज़ कर रहा था.... जिसमे मानसी को मजा आ रहा था....
राका ने अपने जादू से मानसी को अपना दीवाना बना दिया था... राकाके हर स्पर्श से मानसी के निप्पल्स और तन जाते.... धड़कन और तेज़ हो जाती....
मानसी भी राका को टीज़ करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी.... उसे इस खेल में मजा आ रहा था.... मौके को भांपते हुए राका ने अपना एक हाथ मानसी की ड्रेस के अन्दर डाल दिया.... राका की इस हरकत से मानसी चौंक गई.... मानसी के चौंकते ही राका ने उसे एक झटके में अपनी तरफ मोड़ा.. और उसे चूम लिया... मानसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब इतनी जल्दी कैसे हो गया... पर उसे मजा आ रहा था...
राका मानसी के कोमल लिप्स को आहिस्ता आहिस्ता अपने लिप्स से चबा रहा था...मानसी भी उसका पूरा साथ दे रही थी...राका के दोनों हाथ मानसी की कमर पर थे... और मानसी के दोनों हाथ राका के सर पे.... वो राका को अपनी ओर खींच रही थी.. और राका उसकी कमर को अपनी ओर खींच रहा था.... दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे.... मानसी के रसीले होंठो को चूम कर राका जन्नत में था... दोनों की जीभ एक दूसरे के साथ सर्पसम्भोग कर रही थी... कभी मानसी की जीभ को राका अपने मुह में लेके जोर से चूसता.. तो कभी अपनी जीभ को मानसी के मुह में ऐसे अन्दर बहार करता जैसे जीभ से ही मानसी का मुह चोद रहा हो... मानसी की हालत खराब हो रही थी...उसे इतनी बेचैनी कभी नहीं हुई थी....
वो राका के प्यार में डूब सी गई थी... वो बस राका को चूमते रहना चाहती थी... दिन रात.... हर समय!
राका ने किस तोड़ा और अब वो मानसी के गले और कंधे को चूम रहा था.... और अपनी जीभ से चांट रहा था.... “उफ्फ्फ” “...मानसी आह.....” “उई.... ओह राका.... आह....” मानसी के दोनों हाथ राका की पीठ पे थे.....

राका जब और नीचे आया तो उसे महसूस हुआ कि मानसी की ड्रेस में साइड से चेन है... मानसी के बायीं बगल के नीचे से राका ने एक झटके में चेन नीचे खींच दी.... “उम्म्ह... राका .... यहाँ नहीं....” मानसी फुस्फुसाई...
“यहाँ नहीं” सुनते ही राका के दिल की घंटी बजी और उसने मानसी को तुरंत छोड़ दिया... और बोला... “लगा ले चेन वापस....”
मानसी को ये थोडा अजीब लगा....उसने चेन ऊपर चढ़ा ली....
राका ने मानसी की कमर में हाथ डाला.... और बोला.. “चल फिर कहीं और चलें”
राका मानसी को लेके सीधा हर्षित के फ्लैट पंहुचा.... मानसी राका के इरादों को समझ रही थी.. पर आज वो भी हद से गुजर जाना चाहती थी...
फ्लैट के अन्दर पहुचते ही... राका ने एक झटके में चेन फिर से नीचे खींच दी.... और मुस्कुराते हुए बोला... “यहाँ ठीक है?...” और मानसी को आँख मारी
“कितने नॉटी हो तुम...” मानसी बोली!
राका ने मानसी को फिर से चूम लिया... चूमते हुए ही उसकी ड्रेस उतार दी...
मानसी अब ब्लैक ब्रा और रेड पैंटी में राका की बाहों में थी... राका के हाथ अब दोनों साइड से मानसी की पैंटी के अन्दर दस्तक दे रहे थे....
वो मानसी को टीज़ कर रहा था...
मानसी ने भी राका की शर्ट के बटन खोल दिए.... राका ने शर्ट उतार फेंकी...
राका मानसी को चांट रहा था... उसके कोमल जिस्म को अपने होंटों से काट रहा था... ये सब करते हए ही वो मानसी को बेडरूम तक ले पंहुचा....
“जानू मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है...”
“क्या है”
“मेरा पैंट खोल जानू....”
“उम्म्म... नॉटी यू... राका...”
“अरे मेरी जान.... खोल न....”
मानसी खुद को रोक नहीं पाई.... उसने राका के जींस का बटन खोल दिया.... और ज़िप भी नीचे कर दी.... बाकी काम राका ने खुद कर लिया... जींस उतार दी... अब वो ब्लैक फ्रेंची पे था.... जो केवल उसके साढ़े सात इंच के तगड़े लंड को ढके हुए थी.... मानसी शर्मा गई....
“जान नीचे देखो न.... इट्स फॉर यूं... अब से ये सिर्फ तुम्हारा है” और राका ने मानसी का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया....
मानसी उसके लंड को फ्रेंची के ऊपर से ही फील कर रही थी.... राका ने धीरे से मानसी के चुत्तड पे चपाट मारी.... “ओह मेरी जान.... गेट ओं योर नीज़... एंड फील आईटी विद योर माउथ”
मानसी तो मानो राका के वश में थी.... उसने देर नहीं लगाई... अब वो घुटनों पे थी... और सामने था राका का प्रेम-हथियार! राका ने खुद ही अपनी फ्रेंची नीचे सरका दी! और अपने ताने हुए लंड को मानसी के चेहरे पे टच कराया...
“अरे जानू....करो न....” राका ने रिक्वेस्ट की...
मानसी का ये फ़स्ट टाइम था... इसलिए वो थोडा सा झिझक रही थी.... पर राका की रिक्वेस्ट को ठुकरा नहीं पाई वो....
उसने राका के लंड को थोड़ा झिझकते हुए चूमा...
“यूज़ योर टंग बेबी... टेक इट इन योर माउथ” राका मानसी को सिखा रहा था...
मानसी ने जैसे ही अपना मुह खोला... राका ने अपना लंड मानसी के मुह में ठांस दिया... आगे का काम मानसी के लिए आसान हो गया... अब वो राका के लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी.... उसके लंड की नसों को महसूस कर रही थी...

राका के लिए अब सब्र करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था.... उसने मानसी के मुह से अपना लंड निकाला और मानसी को उठा के बिस्तर पे पटक दिया.... और खुद भी मानसी के ऊपर आ गया...
मानसी का जिस्म राका ने अपने जिस्म में जकड़ा हुआ था.. उसकी दायें हाथ की उंगलिया मानसी की चूत में हरकत कर रही थी.... मानसी की बेचैनी को महसूस करते हुए राका ने अपना लंड मानसी की चूत में रखा... और धीरे धीरे हौले हौले अन्दर डालने के लिए धक्के लगाए.... राका को ये जानने में देर नहीं लगी की मानसी की चूत एकदम फ्रेश है.... मानसी जैसी माल कुवारी होगी , ये उसने नहीं सोचा था.... उसने दो झटकों में मानसी का कौमार्य ले लिया.... अब मानसी कुवारी नहीं थी... राका का पूरा लंड मानसी की चूत के अन्दर था.... मानसी की चीख पूरी सोसाइटी में गूंजी होगी...इतना तेज़ चिल्लाई थी वो....इस दर्द से उसकी आँखों में आन्सू आ गए थे... राका अपना लंड पूरा अन्दर डाल के थोड़ा रिलैक्स हुआ और मानसी को चूमने चाटने लगा.... उसने मानसी की आँखों में देखा.... और फिर उसे चूम लिया.... लिप्स लॉक होते ही... राका ने स्ट्रोक्स मरने शुरू किये.... लंड जब पूरा अन्दर जाता तो मानसी की आँखे पूरी खुल जाती.... उसकी चीख दोनों के चुम्बन में कही खो जाती.... राका दोनों हाथो से मानसी को जकड़ लेता जब लंड पूरा अन्दर डालता....
“आह..... उह.... उई माँ..... आह.... ऊऊ.... आह.... उम्म्मम्ममम्म म्मम्मआःह्ह” चुम्बन तोड़ते ही मानसी की आवाजों से कमरा गूँज उठा....
राका किसी घोड़े की तरह से चोद रहा था.... मानसी को भी अब चुदवाने में मजा आ रहा था.... ये उसके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं था...
“उह... आह..उफ्फ्फ...” मानसी की आवाजों से राका के स्टैमिना का पता कोई भी लगा सकता था... पिछले 20 मिनट से राका लगातार धक्के मार रहा था... मानसी का पानी अब तक दो बार निकल चुका था...
वो भी अब गांड उचका उचका के चुदवा रही थी....
राका इतनी कसी हुई चूत के पूरे मजे ले रहा था.... राका भी अब बस झड़ने वाला ही था....
उसने धक्के और तेज़ कर दिए.... कमरे में दोनों की आवाजे गूँज रही थी.... फ़प... फ़प... करके राका के अन्डू मानसी की चूत के नीचे के हिस्से पे टकरा रहे थे...
आह.... ऊऊ... ओह... आह..... उम्म्ह..... और राका ने मानसी की चूत को अपने प्रेम रस से भर दिया... और मानसी के ऊपर निढाल होक गिर गया....
मानसी भी एक बार और झड़ी.... और राका को अपने ऊपर दबा लिया...
दोनों एक दूसरे की बाहों में इसी तरह निढाल होके सो गए!

 ............................................
“आह... उफ्फ्फ ऊईइ मा... ठाकुर जी.... आह...” मालती ठाकुर के नीचे दबी कामक्रीडा का आनंद ले रही थी... आज वो पूरे 20 दिन बाद चुद रही थी... और आज ठाकुर उसे चोदने ही आया था.... नए शहर में मालती को अभी तक कोई नया लंड नसीब नहीं हुआ था...
“पता है मैंने आपको कितना मिस किया...”
“जानता हूँ मेरी रांड...तभी तो आ गया आज तेरे पास”
और फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए....
ठाकुर ने 20 दिन की कसर आज एक दिन में ही पूरी कर दी.... वो मालती को चौथी बार चोद रहा था...
रात रंगीन करने के बाद ठाकुर फिर वापस चला गया...
आज होटल की हॉस्पिटैलिटी मैनेजर प्रिया का शक यकीन में बदल गया.... उसे पहले से ही अंदाजा था कि ठाकुर और मालती के बीच में कुछ तो है... आज उसने देख भी लिया था...
सुबह के नौ बज रहे थे... तभी होटल में करीब 40 साल का एक हट्टा-कट्टा आदमी आया, उसने कुरता पैजामा पहन रखा था... कुरते के बगल से उसकी रिवाल्वर झाँक रही थी... वो आके सीधे प्रिया के केबिन में जाके बैठ गया....
ये अफरोज था... शहर के बाहुबली विधायक का खास आदमी... हर महीने वो अपना हिस्सा लेने होटल आता था... और आज भी वो पैसे लेने ही आया था...
उसके आते ही प्रिया मालती के केबिन गई और चेक साइन करने को बोली...
मालती के लिए ये नया था.... उसने साइन करने से मना कर दिया.... प्रिया ने मालती को समझाने की काफी कोशिश की पर वो नहीं मानी... और सीधे अफरोज के सामने जा पहुची,,,
मालती: कुछ नहीं मिलेगा आपको यहाँ...
अफरोज: अरे पगला गई है क्या... जानती है तू क्या बोल रही है?
मालती: हाँ... जानती हूँ क्या बोल रही हूँ.... अब यहाँ की मालिक मैं हूँ .... और आज से कोई हिस्सा विस्सा नहीं मिलेगा इधर, दुबारा शकल मत दिखाना अपनी
अफरोज: (गुस्से में...) साली.... नइ है तू यहाँ... जितना जल्दी हो समझ जा इधर के कायदे... वरना हम लेने पे आ गये तो तेरी भी न छोड़ेंगे.. समझी...
मालती: शाट अप... एंड गेट आउट... अभी इसी वक्त
अफरोज तमतमाता हुआ होटल से निकल गया....
करीब आधे घंटे बाद एक दर्जन गुंडे होटल में आके तोड़ फोड़ करने लगे.. और होटल स्टाफ के साथ भी मारपीट की...
मालती ने पुलिस को इस बारे में इन्फॉर्म किया... पर उसे नहीं पता था की यहाँ पुलिस तो विधायक के इशारे के बिना कोई एक्शन नहीं लेती...
होटल की बिजली सप्लाई भी काट दी गई....
फिर मालती ने ठाकुर को फोन किया और पूरी कहानी सुनाई... मालती का साथ देने की बजाय ठाकुर मालती पे चिल्लाने लगा...
ठाकुर: तू नौकरानी है वहा.... मालकिन नहीं समझी.... कौन भरेगा इतना नुक्सान? और पैसे देने न देने का डिसाइड मैं करूंगा.... तू होती कौन है?
मालती : अरे आप तो उल्टा मेरे पे चिल्ला रहे हैं...
ठाकुर: और क्या पूजा करूँ तेरी.... रांड साली... जा पैसे ले.... अगले महीने के भी ले लेना... और विधायक जी के घर पे खुद जाके पैसे दे और माफ़ी मांग! समझी! और ठाकुर ने फोन काट दिया!
मालती को ठाकुर पे बहुत गुस्सा आया... पर बेचारी कर भी क्या सकती थी... जो गलती उसने की थी उसे सुधारना तो पड़ेगा ही....






हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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