Tuesday, April 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI मामी की गदराई गांड-5

FUN-MAZA-MASTI

 मामी की गदराई गांड-5
 “हेलो मामी, आज कैसे याद किया आपने ?”

“तुम्हारीही तो याद आती है बेटा सुबह शाम. मुझे नहीं आयी तो मेरी ये मुनिया याद दिलाती है.. आजाओ जल्दी यहाँ और मेरी इस मुनिया की प्यास बुझा जाओ..”

“हाँ मामीजी, मुझे भी आपकी रसभरी मुनिया और गदरायी गांड सोने नहीं देती. क्या करे अब काम छोडके तो आ नहीं सकते..”

“बहोत आग हो रही है बेटा, देखो आ सको तो”

“में समझ सकता हूँ मामी, मेरे हाथ भी आपके मोटे मोटे चुतड सहलाने केलिए बेकाबू हो जा रहे है, लेकिन थोड़े दिन आ नहीं सकता, तब तक मामाजी से ही अपनी मुनिया आग बुझवालो”

“उनसे होता तो क्या परेशानी थी.. साड़ी ऊपर कर के दो-चार बार आगे पीछे किया नहीं की झड जाते है.. वो क्या बुझाएँगे मेरी प्यास. अस्लम चाचा जाने के बाद बुरा हाल हो गया है..”

“कोई और पकड्लो अब, में तो हर वक़्त आ नहीं सकता इतने दूर.., आपने नए घर में रहने जाने के बाद किरायेदार रखे थे ना कॉलेज के लड़के? उनमे से कोई पकड्लो, या सभी को ही ;-) क्यूँ मामीजी?”

“छट बदमाश, अभी एक ही लड़का रहता है.. और वो भी अभी बच्चा है.. उसे थोड़ी ही पसंद आएगी मोटी, 44 साल की तेरी मामी?”

“क्या बात कर रही हो मामी? अपना गुनगान सुनना चाहती हो क्या मुझसे, जो ऐसे बात कर रही हो? मुझे पूरा यकीन है वो लड़का आपकी गांड को मन ही मन सामने लाकर दिन में बहोत बार मूठ मारता होगा.. आपकी गांड है ही ऐसी.. देखके ही हालत ख़राब हो जाती है, और अभी वो 22 साल का होगा.. इस उम्र में तो आप जैसी ही औरते पसंद होती है लड्कोंको.”

“देखती हूँ, अब किसीसे तो प्यास बुझानी पड़ेगी”

“देखो, मुझे पक्का यकीन है वो लड़का आपके चूतडों के पीछे पागल होगा”

“ठीक है, देखते है..”

“हाँ. और मुझे बताना मत भूलना क्या क्या हुआ वो. और बताओ क्या चल रहा है? क्या कर रही हो आप?”

“तुम बताओ तुम क्या कर रहे हो?”

“में तो आपका फ़ोन आया देखकर ही नंगा होकर मूठ मारने लगता हूँ आपसे बात करते करते”

“हाय मेरा भांजा.. में भी अभी बिना कपडोंके हूँ” मामीजी शरमाकर बोली.

“सच्ची? निकर भी नहीं पेहेनी आपने?”

“नहीं”

“आह, मामी आपने तो मेरा तना हुआ लंड और तना कर दिया”

“आजाओ मेरे पास, तुम्हारे लंड को खाली करने में तुम्हारी मदत करतो हूँ”

“बहोत दिल करता है मामी, लेकिन फिर कभी.”

“अच्छा”

“अच्छा , तो फिर रात को बात करेंगे, उस लडके के साथ बात बनी तो बता देना. बाय”

“बाय बेटा, रात को करती हूँ कॉल”


मन हि मन अपने तक़दीर को कोसते मैने फोन रख दिया. इतने साल जिसके नाम पे मूठ मारी वो मेरी मामी जब चाहे तब अपनी मोटी टांगे फैलाने केलीये तैय्यार थी, लेकीन हम अलग अलग शहर में रहते थे इसलिये रोज रोज ये मुमकिन नही था.. मुझे उस किरायेदार लडके (जिसका नाम महेश है.) पे बहोत जलन हो रही थी.. साले से मेरी मामी खुद हि अपनी च्युत चुसवाने के लिये बेताब थी. साले कि किस्मत में आज सुनेहरा पान जुडने वाला था..पर में भी मामी से उनकी चुदाई कि कहानी सुनने के लिये बेताब था.

रात को मामीने कॉल करके दोपेहर क्या हुआ वो बताया...

मेरे मामाने हाल में हि नया घर बनाया था. वैसे तो घर में वो और मामीजी हि रहते थे लेकीन उन्होने घर तो बडा बनाया था. घर में कुल छः कमरे थे, उसमे से दो उन्होने किराये पे दिये थे. अभी वहा सिर्फ महेश ही रेहता था. मामाजीने घर बनाते वक़्त वो दो कमरे किराये पे देने है ये नही सोचा था. वो दो कमरे भी मुख्य घर का हि हिस्सा थे. इसीलिये दोनो कमरो में कभीभी आ जा सकते थे जब वो दो कमरे किराये पे नही होते. उस दो कमरे में से एक लिविंग रूम थी जिसका दरवाजा मामिजीके घर के लिविंग रूम में खुलता था और दुसरा कमरा किचेन था जिसका दरवाजा ठीक मामीजी के बेडरूम के सामने खुलता था.

जबसे महेश किरायेदार बनके आया था उस दोनो कमरे के दरवाजे जो मामीजी के घर में खुलते थे वो सिर्फ सिटकनी लगाकर बंद किये हुये थे. महेश इंजिनीअरिंग कॉलेज का छात्र था. एक महिने पेहले हि वो किरायेदार बनके आया था मामीजी के घर. सुबह कॉलेज कर के दोपहर २ बजे तक वो घर आ जाता था. मामीजी भी दिनभर अकेली हि होती थी. जब पिने का पानी भरना हो या इसी किसी कारन से मामीजी और महेश कि मुलाकात होती थी. लेकिन अब तो साले की किस्मत ही खुलनेवाली थी. साले की मुलाकात तो अब रोज मामीजी के मुनिया और गांड से ही होनेवाली थी.

उस दोपहेर जब महेश कॉलेज से वापस आया तो मामीजी उसका इंतेजारही कर रही थी. थोडी देर बाद उन्होने दरवाजा खटखटाया..

“क्या बात है चाचीजी?”

“बेटा तुम्हारे बाथरूम में पानी आ रहा है क्या?, न जाने हमारे बाथरूम के नल को क्या होगया है. टंकी में तो पानी है ऊपर , लेकिन नल से नहीं आ रहा है.”

“क्या पता क्या हुआ है चाचीजी, मेरे यहाँ तो है पानी.”

“थोड़े बर्तन मांजने थे मुझे, यहाँ ही मांजने आ जाती हूँ फिर ”

“ठीक है चाची, लेकिन आप क्यूँ कर रही ये सब, बाई नहीं आयी क्या?”

“आयी तो थी, लेकिन पानी नहीं था इस्सलिये वापस गयी, अब क्या करे मुझे ही करना पड़ेगा सब. आती हूँ में बर्तन लेकर. लेकिन बेटा तुम्हे कुछ डिस्टर्ब नहीं होगा ना पढाई में?”

वैसे तो मामीजीने ही उपर का वाल्व बंद किया था जिससे उनके बाथरूम में पानी आता था.

“नहीं नहीं चाची, अभी कहा पढाई करूँगा में, आप आजाइए.”

मामीजी फिर बर्तन लेकर आगयी महेश के बाथरूम में.. और जैसे हर एक भारतीय आंटी बर्तन या कपडे धोने से पहले अपनी साड़ी घुटनोंके ऊपर लेकर दोनों टांगो के बीच लेकर बेठती है वैसे बेठ गयी.. महेश अभीभी उधर ही था. पेहली बार वो मामीजी की गोरी गोरी टांगे देख रहा था. लेकिन शायद उसे ऐसे उधर खड़ा रहना ठीक नहीं लगा इस्सिलिये वो जाने लगा. तभी मामीने अपनी साड़ी थोड़ी और ऊपर ली और जो वो दरवाजे तरफ अपनी साइड कर के बैठी थी वो उस तरफ मुंह कर के बेठ गयी. और महेश को कहा,

“कुछ काम नहीं है तो ठहरो ना महेश, मेरा भी काम जल्दी होगा बाते करते करते.”

मामीजी सिर्फ टटोल रही थी महेश को. अगर उसके मन में मामीजी को चोदना होता तो वो रूक जाता.
मामीजी जब अपनी साड़ी थोड़ी और ऊपर करके घूम रही थी तभी महेश को और “अन्दर” तक दिख गया था. मामीजी की फूल-पत्ती वाली चड्डी गुलाबी चड्डी देखकर महेश भी उधर ही रूक कर यहा-वहा की बाते करने लगा. मामीजी काम करते वक़्त महेश की तरफ नहीं देख रही थी. बीच में सिर्फ एक ही बार देखा था. उसीमे ही उनको पता चल गया था की महेश उनकी मोटी टांगो पर ही नजर जुटाके देख रहा है. महेश की हालत भी बुरी होगयी थी. मामीजी की वो गदरायी टांगे देखकर उसके बर्म्युडा का तो तम्बू बन चूका था. लेकिन वो कुछ कर भी नहीं सकता था. उसे तो मामीजी के मन में क्या चल रहा है पता नहीं था. मामीजी काम होने के बाद बर्तन किचन में रख कर वापस आकर फिर महेश के बाथरूम में चली गयी और दरवाजा बंद कर दिया. महेश बाहर ही खड़ा था अभी तक. एक-दो सेकंड्स में ही पानी छोड़ने की आवाज आगयी उस्सको. उस्से झट से पता चल गया ये तो मामीजी के मुतने की आवाज है. वैसे तो मामीजी मूतते वक़्त पानी का नल खुला रखती ताकि उनके मुतने की आवाज बाहर तक ना जाये. लेकिन आज तो मामीने एक ही दिन में महेश को सिड्यूस करने की ठान ली थी शायद.


“थैंक यू मेरे राजा बेटा, बहोत बड़ा काम होगया मेरा तुम्हारे बजह से” मामीजी बाहर आकर बोली.

“कोई बात नहीं चाचीजी”

“ये क्या नया लैपटॉप ले लिया क्या?”

“हाँ चाचीजी, इन्टरनेट के सिवा काम चलता नहीं ना अब इस्सलिये लेना पड़ा.”

“बेटा, मुझे भी सिखादो इन्टरनेट क्या होता है वो..”

“जरूर चाचीजी एक-दो दिन में ही कनेक्शन मिल जायेगा, आपको भी बता दूंगा तब”

“ठीक है बेटा, में अब जाकर आराम करती हूँ, तुम आजाना चाय पिने मेरे यहाँ ही.”

“नहीं नहीं चाचीजी, आप क्यूँ तक्कल्लुफ़ कर रही है.”

“बड़ोंका का केहना मानते है, आजाना श्याम को”

“ठीक है चाचीजी.”

साला मन ही मन मामीजी की मोटी गांड सूंघ रहा था और ऊपर से बहोत ही संस्कारी होने का ढोंग कर रहा था.
जैसे ही मामीजी वहा से चली गयी महेश झट से दरवाजा बंद कर के बाथरूम में घुस गया मूठ मारने के लिए. मामीजी भी अपने डाइनिंग रूम में खडी रह के वो क्या कर रहा है इस्सका अंदाजा ले रही थी. जैसे ही उन्हें बाथरूम के दरवाजा बंद होने की आवाज आयी वो मुस्कुराके अपने काम में जुट गयी. मामीजी ने उसकेलिए एक सरप्राइज रखा था बाथरूम में.


मामीजी की गदरायी टांगे और मोटी मोटी जांघे देखके महेश का सामान तो तन गया था. उसे मूठ मारके खाली करने वो बाथरूम में घुस गया..sms करने के बहाने उसने छुप छुप के मामीजी नंगे पैरों की तस्वीरे ली थी मोबाइल पे. उनको देखके वो अपने लंड को हिलाने ही लगा था की उसकी नजर बाथरूम में जो खिड़की थी उधर चली गयी. मामीजीने मूतते वक़्त अपनी निकर उतारी थी और जाते वक़्त पेहनी ही नहीं थी. उधर ही बाथरूम खिड़की पे फोल्ड करके रखी थी. महेश को अपनी आँखोंपे भरोसाही नहीं हो रहा था. वो मामीजी की निकर देखके उसका लंड अब और भी ज्यादा फूल गया. इतनी उत्तेजना उसने अपने लंड में कभीभी महसूस नहीं की थी. उसने उस निकर का टैग देखा. ११० cm की थी वो निकर. क्रोच पे कोई दाग नहीं देखकर थोड़ी नाराजी हुयी उसको. बहोत ही साफसुतरी थी मामीजी की निकर. बहोत मन हो गया था उसे अपना माल मामीजीके निकर में छोड़ने का,लेकिन उसने अपने आपको रोक लिया. मूठ मारके जब बाहर आया महेश तो वो सोच में पड गया. अभी १ घंटे में जो कुछ भी हुआ वो देखकर उस्से हैरानी हो रही थी. और मन ही मन वो मामीजी को चोदने के सपने भी देखने लग गया था. मामीजी की पिछेसे उस्सने कुछ तस्वीरे ली थी. साड़ी में लिपटी उनकी गांड देखकर उसका लंड फिरसे फुद्फुदाने लग गया था. एक घंटे में उस्सने फिरसे दो-तिन बार मामीजी को मन ही मन नंगा कर उनके नाम पे मूठ मारी. पाच बजे उसने मामीजी के घर में खुलने वाला दरवाजा खोला. मामीजीने उनके तरफ से सिटकनी नहीं लगायी थी दरवाजे को इस्सलिये वो खुल गया. मामीजी सामने ही झाड़ू लगा रही थी. महेशकी तरफ पीठ थी उनकी और वो पूरी ९० डिग्री में झुकी थी. मामीजी की फैली हुयी गांड का नजारा देखकर महेश का लंड फिरसे नाचने लग गया. महेश की आहट सुनकर मामीजी ने पलट के देखा उसे,

“आओ महेश बेटा, तुम्हे ही बुलानेवाली थी झाड़ू लगाके में.”

“अच्छा.. चाचाजी नहीं आते क्या चाय पिने शाम को?”

“नहीं आते. सुबह जो जाते है वो दुकान पर तो रात में ८ बजे ही आते घर. दोपहर सिर्फ खाना खाने आजाते है. दिनभर में अकेली ही होती हूँ. हमे भी २-३ महीने ही होगये है यहाँ रहने आकर. मेरे भी ज्यादा पहेचान नहि है किसीसे यहाँ. इस्सलिये तुम्हे बुला लिया चाय पे. रोज आजाया करो, क्या?”

महेश को तो क्या चाहिए था. रोज मामीजी की साड़ी में लिपटी ही सही गांड देखने के लिए वो तो कुछ भी कर सकता था. चाय पिने आना तो मामूली बात थी.

“ठीक है चाचीजी. मुझे भी रोज घर की चाय पिने मिल जाएगी आप की बजह से”

“वो भी है. आओ किचन में बेठो. झट से में झाड़ू लगाती हूँ और गरमा गरम चाय बनती हूँ. किचन में ही झाड़ू लगाना रह गया है मेरा.”

मामीजी के गांड के तस्वीरे निकालने के लिए महेशने अपना मोबाइल निकाला और किचेन में जो खुर्ची रखी थी उसपे बेठ गया. मामीजी भी किचेन में झाड़ू लगाने आगयी. महेश की तरफ मुंह करके झाड़ू लगाना छोडके मामीजी ने जान बुझकर अपनी मोटी गांड की थी उसके तरफ. मामीजीके फैली हुयी गांड को देखकर अब महेश से रहा नहीं जा रहा था..


महेश को अपनी साडी में लीपटी गांड दिखाकर मामीजी चाय बनाने लगी. पानी उबालने रखकर वो चाय पत्ती और शक्कर लेने, जहा महेश बैठा था वहा आयी. महेश के पीछे हि शेल्फ था उसमे मामीजीने जान बुझकर शक्कर और चाय पत्ती रखी थी. वो लेते हुये वो बिलकुल चीपकी हुयी थी महेशसे. उनकी उभरी हुयी गांड सिर्फ 3-4 इंच हि दूर थी महेश के हाथोंसे. उसे तो उन मोटे मोटे चुतडोंको सहलाने का बहोत मन कर रहा था. उसका लंड तो बहोत हि तडप रहा था अब. चाय पत्ती , शक्कर डालकर मामीजी महेश कि तरफ गांड करके किचन टेबल साफ करने लगी. जैसे हि मामीजी के हाथ चलते मामीजी के मोटे चुतड पीछे से डोलने लगते. महेश का तो बहोत बुरा हाल हो रहा था. कब इस कुतीया कि कुतीया बनाकर गांड चोदने मिलेगी यही सोच रहा होगा वो मनमे. मामीजी को भी उसके हालत का पता उसका का बीच में हि उभरा हुआ तंबू देखकर लग गया था. मामीजी भी नंगा होकर महेश के जैसे जवान लडके के बाहोमे समा जाने के लिये बेताब थी. महेश का उभरा हुआ तना लंड देखने के लिये बेसब्र हो रही थी.

चाय पीकर महेश अपने रूम में चला गया. रूम में जाते हि पेहले उसने मामीजी के फोटो देखकर मूठ मारना शुरू कर दिया. इस बार उसने अपना सारा पानी गिर जाने के बाद अपना लंड मामीजी की निकर से साफ़ कर दिया. मामीजी की निकर अभीभी उधर ही थी. थोड़ी देर बाद मामीजी फिर से महेश के रूम का दरवाजा खटखटाया.

“बेटा जबतक हमारे बाथरूम में पानी नहीं आता तुम्हारा दरवाजा खुला ही रखो, ठीक है?” जैसे ही महेशने दरवाजा खोला, मामीने उसे पूछा.

“कोई बात नहीं चाचीजी. खुला ही रखता हूँ दरवाजा.”

“थैंक यू बेटा. में फ्रेश होकर आती हूँ फिर” ऐसा कहके मामीजी महेश के बाथरूम में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया.

अंदर जाते पहले मामीजीने अपने निकर का मुआयना किया और उनको झट से पता चल गया महेश ने अपना पानी उनके निकर में छोड़ा था. मामीजीने खुश होकर वो निकर पेहेन ली, उससे पहले दोपहर की तरह नल बिना खोले ही उन्होंने मूत लिया.
महेश बाहर ही खड़ा रह के मामीजी मूती तो उसकी आवाज सुनने के लिए बेताब हुए जा रहा था. मामीजी ने भी उसे नाराज नहीं किया था.

अगले दिन सन्डे था और मामाजी काम के सिलसिले में शहर जाने वाले थे. इसीलिए उन्होंने मामीजी को खेत में जाके आने के लिए कह दिया. मामीजी को ये अच्छा मोका था महेश से नजदिकिया बढ़ाने के लिए. वैसे तो मामीजी बहोत स्वीट है लेकिन उनका दिमाग पानी से भी तेज चलता था. वो ये मोका हाथ से नहीं निकल देना चाहती थी. अगले दिन सुबह मामाजी चले जाने के बाद मामीजी महेश के बाथरूम में ही नहाने चली गयी. और कल की तरह अपनी निकर महेश को तडपाने के लिए उधर ही रख दी.


नहाने के बाद उन्होंने महेश को पूछा. “ बेटा, आज चाचाजी शहर गए हुए है, इसीलिए मुझे खेत में जाना पड़ेगा. गन्ना लगाया है ना, पानी छोड़ने जाना पड़ता है. मेरे साथ आओगे क्या? आधे घंटे में वापिस आ जायेंगे.” महेश थोड़े ही मना करने वाला था. वो झट से तैय्यार हो गया.

“जरूर चाचीजी , झट से नहा लेता हूँ में और फिर चलेंगे”

बाथरूम में आज फिर से मामीजी की चड्डी देखके महेश को मामीजी के इरादों का थोडा बहुत अंदाजा होने लगा, लेकिन उसने ‘अपना इतना नसीब कहा के इस कुतिया को चोदने मिल जाये’ ये सोचकर उसने अपने आप पर यकीन नहीं किया. लेकिन अब बहोत ही तड़प रहा था वो मामीजी की गांड को याद करके. उसी चक्कर में मामीजी की निकर की बहोत बार सूंघ ली उसने. एकदम से उसके मन में एक कामोत्तेजक खयाल आया. नहाने के बाद उसने मामीजी की ही चड्डी पेहेन ली. मामीजी की ही चड्डी पहेन के उनके साथ ही रहने का खयाल उसे बहोत उत्तेजना दे रहा था. घर आने के बाद जल्दी निकालकर रख दूंगा ये सोचकर उसने मामीजी की ही चड्डी पहेनली और तौलिया लपेटकर बाहर आगया.थोड़ी ढीली हो रही थी लेकिन कुछ प्रॉब्लम नहीं था.मामीजी बाहर ही उसके रूम में बेठी थी उसकी राह देखे. वो जल्दी से दुसरे कमरे में जाके कपडे पहनने के लिए. जैसे ही उसने तोलिया निकाला मामीजी “जल्दी करो बेटा, जल्दी जाकर जल्दी वापिस आते है” ऐसा कहते कहते उसके पीछे आगयी. और क्या महेश तो सास लेना ही जैसे भूल गया. सिर्फ चड्डी पे वो मामीजी के सामने खड़ा था और वो चड्डी भी मामीजी की ही थी. मामीजी ये देखके हसने लग गयी. “बेटा ये क्या, ये तुम्हारी अंडरवियर नहीं है, गलती से मेरी पहेनली क्या?” महेश तो शर्मसार हो गया. “हाँ चाचीजी, शायद दूसरी पेहेन ली मेने. में जल्दी से मेरी पेहेन के आता हूँ.”

“अब कहा चले, पहले ही देर हो गयी है, अब रहने दो पहेन ली है तो, कोई बात नहीं”

महेश को तो खुद पे यकीं नहीं हो रहा था मामीजी की बात को सुनके. वो वैसा ही खड़ा रहा वह पर..

“अब क्या सोच रहे हो, जल्दी से पेंट पहनो नहीं तो अंडरवियर फिसल जाएगी.” मामीजी मुस्कुराकर बोली.

महेश भी मुस्कुराकर तय्यार होगया.
 
 
 
 










हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator