Sunday, April 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --6

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --6
 ये मानसी का पहला एक्सपीरियंस था... और पहले एक्सपीरियंस में ही राका ने उसे जन्नत का एहसास दिला दिया था... दोनों एक दूसरे में इतने मस्त हो गए थे कि समय का पता ही नहीं चला... रात के नौ बज रहे थे... राका और मानसी अभी भी एक दूसरे की बाहों में पड़े मस्ती कर रहे थे... एक दूसरे के जिस्म की गर्मी का मजा ले रहे थे....
“साले डिनर नहीं करना?” रिषभ चिल्लाते हुए बोला....
राका थोड़ा होश में आया और फोन में टाइम देखा... “ओ तेरी.. 9.30 हो गया...”
“व्हाट??? 9.30.. ओ माय गॉड... मैं तो गई काम से...” मानसी परेशान होती हुई उठी...
“क्या हुआ जान...” राका ने मानसी के चेहरे से जुल्फें हटाते हुए प्यार से पूछा
“पीजी में 9 बजे तक एंट्री होती है यार... अब मैं क्या करू... और अगर मैं अनहि पहुची तो वो कमीनी वार्डन घर में मम्मी को फोन कर देगी” मानसी परेशान होती हुई बोली...
“ओह मेरी जान... अभी चल मैं छोड़ देता हूँ चलके... बोल देना ट्रैफिक में फंस गई थी...” राका ने कूल वे में कहा...
“पागल हो गए हो क्या... जानते नइ हो तुम मेरी वार्डन को... एक नंबर की चुड़ैल है... इस समय तुम्हारे साथ देखा उसने मुझे तो पक्का घर फोन करके उल्टा सीधा बोलेगी मम्मी को...”
“फिर तू मम्मी को ही फोन करके क्यों नहीं बोल देती कि तू आज पीजी वापस नहीं जायेगी... फ्रेंड के यहाँ रुकी है...” राका आईडिया देता है...
“वाव..राका... ये आईडिया मेरे दिमाग में क्यों नहीं आया... योर सो जीनियस....” राका के गाल को एक्साइटमेंट में किस करती हुई बोली...
“अब फोन कर और प्रॉब्लम सोल्व कर जल्दी.. वरना तेरी वो चुड़ैल वार्डन तेरी माँ चोद देगी..” राका मानसी का एक बूब दबाता हुआ मस्ती में बोला...
“शट अप..राका..” मानसी राका से थोड़ी नाराजगी जताती है.... जिसे राका मजाक में टाल देता है..
फिर मानसी फोन उठाती है और पहले वार्डन को फोन करती है... और उसे बताती है कि वो आज रात नहीं आ पायेगी.. और फिर अपनी माँ को फोन करती है.. और उन्हें भी बता देती है...कि वो एक फ्रेंड के यहाँ रुकी हुई है!
“ओह डार्लिंग... भूख लगी है मेको....” मानसी राका की आँखों में झांकते हुए प्यार से बोली...
“उम्म्म.... भूख तो मुझे भी लगी है मेरी जान...” राका आँख मरते हुए बोला... और मानसी को अपने पास खींच कर दबोच लिया...
“ओहो... प्लीज़.... अभी नहीं...” मानसी रिक्वेस्ट करती है....
राका अपनी पकड़ थोड़ी ढीली करता है... और प्यार से पूछता है....
”क्या खाएगी? कहीं बाहर चलें? या आर्डर करना है?”
“उम्म्म.... पिज़्ज़ा? पिज़्ज़ा आर्डर करें”
“एनीथिंग बेबी....” राका बोला...
“उम्म्म... तो फिर पिज़्ज़ा ही आर्डर कर दो... 1 लार्ज... फार्महाउस चीज़बर्स्ट” मानसी बोली
“एक लार्ज... चीज़ बर्स्ट.... ओय.. वैसे आज तो दिन में दो बार खा चुकी है तू ये.... अब फिर से??” मानसी को टीज़ करता हुआ राका बोला... और उसका हाथ अपने लंड पे रख देता है...
“कितने नॉटी हो तुम...” मानसी आँखे मटकाते हुए बोली... और उसके लंड से हाथ हटा लिया...
दोनों की मस्ती ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी...
इतने में रिषभ फिर से बाहर से चिल्लाते हुए बोला...
“BC.. डिनर नहीं करना क्या तुम दोनों को? फिर रात में मेरे अंडे मत खा जाना...”
“चल साले... मैं क्यों खाऊंगा तेरे अंडे? और ये.. ये तो मेरे खाएगी... तेरे क्यों खाएगी?” राका चिल्लाते हुए बोला.. और बिस्तर से उठ के शॉर्ट्स पहने...
“पिज़्ज़ा खायेगा?” राका ने बहार आके रिषभ से पूछा...
“एक लार्ज.. फार्महाउस... चीज़ बर्स्ट...” रिषभ राका को चिढ़ाते हुए बोला..
“साले BC.. तू नहीं सुधरेगा...” राका पानी पीते हुए बोला...
“वैसे कांग्रेट्स यार...”
“थैंक यू थैंक यू.. और चल आर्डर कर दे पिज़्ज़ा...”
“कौन सा?... लार्ज... चीज़ बर्स्..........” रिषभ फिर से राका को टीज़ करता है
“साले.....”
इतने में मानसी बाहर आ जाती है...
उसने राका की टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए थे... जो कि काफी लूज़ हो रहे थे उसे.. पर हमेशा की तरह माल लग रही थी.. बालों की हालत और उसकी चाल को देखकर कोई भी बता सकता था कि अभी कुछ देर पहले वो क्या गुल खिला रही थी...
“ओह... हाय मानसी....” रिषभ आगे आके मानसी से हाथ मिलाता है और उसकी कोमलता को महसूस करता है!
“मानसी... ये रिषभ.. मेरा बेस्ट फ्रेंड... या यूं कहो तो मेरा भाई...” राका इंट्रोड्यूस कराते हुए बोला..
“ओह... हेलो रिषभ...” स्माइल करती हुई बोलती है...
“आई होप यू बोथ हैड वंडरफुल डे टुडे....” राका दोनों को टीज़ करता हुआ बोला...
मानसी शर्मा गई.. और राका मानसी के बगल में आके बोला “ऑफ़कोर्स वी हैड”

फिर रिषभ ने फोन उठाया और पिज़्ज़ा आर्डर कर दिया- “2 लार्ज फार्महाउस... चीज़ बर्स्ट”. आर्डर देते समय उसने “2” पर कुछ जादा ही जोर लगाया... और उस समय वो मानसी को ही देख रहा था... मानसी को समझने में देर नहीं लगी कि रिषभ क्या कहना चाहता है..उसने भी एक हलकी सी स्माइल दी और राका के बगल में आके बैठ गई!

20 मिनट में पिज़्ज़ा आ गया...
फर्जी बकचोदी करते हुए तीनो ने डिनर किया... और फिर राका मानसी को लेकर वापस बेडरूम में आ गया...
“आल द बेस्ट मेरे दोस्त...” रिषभ बाहर से चिल्लाया!
राका ने स्माइल करते हुए दरवाजा अन्दर से लॉक कर लिया!
“कमीना है साला.. माइंड मत करना इसकी बातों को...” राका मुस्कुराते हुए मानसी से बोला
“ओहो.. डार्लिंग... फ्रेंड्स तो होते ही कमीने हैं... और जो कमीने नहीं होते वो फ्रेंड्स नहीं होते” स्माइल करती हुई मानसी बोली
“ओये होए.... क्या बात है...लव यू जान... लव यू लाइक एनीथिंग” मानसी के बगल में आते हुए राका ने कहा...
“लव यू टू राकू...डार्लिंग....”
“राइड पे चलें?” राका आँख मारते हुए बोला..
“लॉन्ग राइड पे?” मासूमियत के साथ मानसी ने पूछा...
“हां मेरी जान.... लॉन्ग....लॉन्ग राइड पे....”
राका का लंड तन चुका था... और मानसी अपनी जांघ पर उसकी कड़कता को महसूस भी कर रही थी...
अपनी जांघ को हटाते हुए बोली- “पर एक शर्त है... राइड मैं करूंगी....”
राका मुस्कुराया... और बेड पे चित होके टाँगे पसार के लेट गया....
हाथ बढ़ाके बेड के गद्दे के नीचे से एक कंडोम का पैकेट निकाला.... और मानसी को थमा दिया...
“ये क्या है?” मानसी पहली बार कंडोम देख रही थी...
“जानू... ये हेलमेट है तेरे केले का... ये मेरी चीज़ को तेरी चूत में बर्स्ट होने से बचाता है...”
मानसी शर्मा गई.... उसे वो पिज़्ज़ा वाली बात फिर से याद आ गई...
इसी बीच राका ने अपने शॉर्ट्स उतार कर फेंक दिए...
“ओ माई गॉड.... पहले क्यों नी लगाया था इसे..” परेशान होती हुई बोली
“अरे मेरी जान... कल मोर्निंग में पिल्स ले लेना... टेंशन की कोई बात नहीं है..”
“पर.....”
“अरे पर वर छोड़ न अब...” और राका ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी जीभ उसके मुह में घुसा दी...
अगले ही पल दोनों एक दूसरे को मगन हो कर चूम रहे थे.... मानसी को गरम होते देर नहीं लगी... फिर से दोनों एक दूसरे में खो चुके थे.... चूमते हुए ही राका ने मानसी के शॉर्ट्स भी नीचे सरका दिए और टी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसके कोमल बूब्स को मसल रहा था....
मानसी की चूत अब उसे जवाब दे रही थी... उससे और सब्र नहीं हुआ... और उसने चुम्बन तोड़ा और नीचे अपने खिलौने के पास आ गई... उसे अपने हाथो से थोड़ा टीज़ किया... और किस किया...
राका ने कंडोम का पैकेट खोल कर कंडोम मानसी को थमा दिया....
मानसी कंडोम को हाथ में लेकर देख रही थी.... उसे नहीं पता था कि इसे कैसे लगाना है.... राका ने फट से उसके हाथ से कंडोम लिया और अपने लंड की टिप पर रख कर उसे नीचे तक रोल ऑफ किया...
“इट्स रेडी मेरी जान.... राइड ओवर इट!!!...”
मानसी की बेचैनी और चूत की प्यास ने उसे तुरंत लंड पर बैठा दिया....
लंड पूरा उसकी चूत में सरक चुका था... वो वैसे ही बैठ कर हौले हौले अपनी गांड हिला रही थी... उसके चुत्तड जब राका के जिस्म से रगड़ खाते तो उसे और भी मजा आता... मानसी जब उछल उछल कर चुदती तो राका के अन्डू उसके गांड के छेद में लगते.... इसी पोज़ में मानसी ने राका के लंड को अपनी चूत के कोने कोने से रगड़ाया... पंद्रह मिनट तक राइड करती रही... फिर राका ने उसे अपने नीचे ले लिया... और मिशनरी में उसे चोदा और झड़ गया... मानसी तीसरी बार चुदी थी... पर उसका मन नहीं भरा था... पर वो अपने मन को खुल कर बताने में शर्मा भी रही थी...राका भी अपनी नइ माल को जादा तंग करना नहीं चाह रहा था... वैसे भी कौन सा कहीं भागी जा रही थी वो... सुबह का फुटबाल मैच.. और फिर तीन बार की चुदाई...इन सबने उसे आज थोड़ा थका भी दिया था... दोनों बारी बारी बाथरूम गए... खुद को थोड़ा फ्रेश किया... और वापस एक दूसरे की बाहों में सो गए!


उधर ठाकुर की परमीशन मिलने के बाद मालती की ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी...उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ठाकुर ने हाँ कह दी है... अब वो खुद पे गर्व महसूस कर रही थी...काफी लम्बे समय के बाद वो फिर से राजनीति में कदम रखने जा रही थी! कॉलेज की राजनीति नहीं असल जिन्दगी की राजनीति में! एक हाथ में मोबाइल था और दूसरे हाथ में विधायक लल्लन सिंह का विजिटिंग कार्ड और चेहरे पर ख़ुशी! बार बार मोबाइल पर नंबर टाइप करती और फिर न जाने क्या सोच कर नंबर हटा देती!
मालती ने आखिरकार अपनी कशमकश को काबू में करते हुए फोन किया... फोन लल्लन सिंह की सेक्रेटरी ने उठाया! मालती ने खुद का परिचय दिया और अपॉइंटमेंट के लिए रिक्वेस्ट की!
“जी विधायक जी आज फ्री नहीं हैं... आज मुलाक़ात नहीं हो पायेगी आपकी उनसे” सेक्रेटरी बोली!
“अरे आप एक बार उनसे बताइये तो कि मैं मिलना चाहती हूँ...”
“अरे बोला न... समझ में नहीं आता आपको एक बार में? नहीं हो पायेगी आज मुलाकात” सेक्रेटरी थोड़ा झल्लाती हुई बोली!
“अरे रूपा... क्या हुआ... कौन परेशान कर रहा है तुम्हे?” पास में बैठे अफ़रोज ने सेक्रेटरी रूपा से पूछा!
“अरे अफ़रोज... कोई नहीं यार... लोग भी न... एक बार में समझ नहीं आती बात”
सेक्रेटरी अफरोज से थोड़ा थकी हुई आवाज में बोली...
“ला... मैं समझाता हूँ....” अफ़रोज उठ कर रूपा के पास आता है!
“ज़रा आराम से....” रूपा स्माइल देती हुई बोली और अफरोज को फ़ोन थमा दिया!
“हेलो... हाँ भाई एक बार में समझ में नहीं आता कि आज नहीं मिलेंगे विधायक जी” अफरोज थोड़ा हड्काता हुआ बोला!
“अरे अफरोज.. मैं मालती.... वो परसों शाम को आई थी विधायक जी से मिलने... वो ....” मालती थोड़ा समझाती हुई बोली
“ओह तो आप हैं मोहतरमा... कहिये अब क्या समस्या आ गई...”
“जी वो लल्लन सिंह जी से मिलना था... कुछ जरूरी काम था... अगर अपॉइंटमेंट मिल जाता तो..... प्लीज़.....” मालती सेक्सी टोन में रिक्वेस्ट करती है!
“जी वैसे तो विधायक जी आज किसी से मिलते नहीं हैं... पर अब आप इतना कह रही हैं तो मैं उनसे एक बार पूछ लेता हूँ!”
“ओह थैंक यू वैरी मच अफरोज...”
फिर अफरोज ने फोन काट दिया!
करीब 5 मिनट बाद मालती के फोन में एक अननोन नंबर से फोन आया...
“हेल्लो...” मालती फ़ोन उठाती है
“हाँ मैडम...मैं अफरोज...”
“हाँ अफरोज... क्या हुआ.... फ्री हैं विधायक जी?”
“हां... पर वो आज ऑफिस नहीं आते... अगर आपका मिलना इतना ही जरूरी है तो सिटी क्लब में दो बजे मिल सकती हैं!”
“ओह थैंक यू सो मच... मैं वहीँ मिल लूंगी... और फिर सिटी क्लब मेरे होटल के पास में भी है!”
“मैं उनके ड्राइवर का नंबर आपको अभी सेंड कर देता हूँ... वहाँ पहुच के उसे फोन कर लेना... वो आपकी मुलाक़ात करवा देगा!” अफरोज बोला...
“ओके... थैंक्स!” और फिर मालती ने फोन काट दिया!

“ओहो... कैसे कैसे लोग होते हैं.. और इन वीआईपी लोगों का तो अलग ही ड्रामा रहता है... उस दिन बोल रहे थे पर्सनल नंबर है... और नंबर था ओफिस का.. और अभी... मुझे डायरेक्ट लल्लन जी का नंबर नहीं दे सकता था क्या ये? ड्राईवर को फोन कर लेना... वो मिलवा देगा... हुह...” मालती मन में बडबडा रही थी और इस सबसे वो इम्प्रेस भी हो रही थी...
फिर अफरोज का भेजा नंबर उसने अपने फोन पर सेव किया... और फिर प्रिया को बोल कर होटल से निकल ली... सजने के लिए उसके पास 2 घंटे का समय था...
और उसने इस समय का भरपूर प्रयोग किया...
बगलों और झांटों के बाल साफ़ करने के बाद करीब आधा घंटा बाथ टब में उसने बिताये! वो बाथ टब में लेटी लेटी सोच रही थी कि क्या पहने? फिर शायद जब उसने डिसाइड कर लिया कि आज वो क्या पहनेगी.. फिर वो बाथटब से बाहर निकली.... निकल कर बाथरोब लपेटा... और पूरे जिस्म को सुखाया...
सफ़ेद पैडेड ब्रा... और नीचे ब्लैक पैंटी! उसके ऊपर सफ़ेद कॉटन की कुर्ती जिसमे सफ़ेद धागों से ही कढ़ाई थी.. और जिसके ऊपर से उसकी सफ़ेद ब्रा भी झलक रही थी... और नीचे लाल चूड़ीदार पैजामी... और ऊपर लाल दुपट्टा! बाल उसने पहले बांधे... फिर न जाने क्या सोंच कर उन्हें खुला ही छोड़ दिया... हाथो में लाल नेलपोलिश उसे और भी सुन्दर बना रही थी!
फिर उसने घड़ी देखी और सिटी क्लब को निकल ली!
सिटी क्लब पहुच कर अपनी कार पार्क की और ड्राईवर को फोन मिलाया! ड्राईवर उसे विधायक के पास लेकर गया!
“ओहो.... आइये आइये.... मोहतरमा....” मालती को ऊपर से नीचे तक ताड़ते हुए अपने चिरपरचित अंदाज में उसने मालती का स्वागत किया
“नमस्ते सर.... मेरे लिए समय निकालने के लिए शुक्रिया” मालती मुस्कुराती हुई बोली...
दोनों इस समय क्लब के प्राइवेट लाउंज में थे... दो काउच आमने सामने पड़े थे और बीच में एक मेज... हलकी नीली और लाल रौशनी माहौल को रंगीन करने की कोशिश कर रही थी!
विधायक बैठा और मालती को भी बैठने को बोला...
दोनों आमने सामने बैठे थे...
“हाँ तो मोहतरमा... कैसे आना हुआ....”
“क्यों... नहीं मिल सकती? आपने ही तो बोला था उस दिन... और फिर आपने मुझे अपना नंबर भी दिया था.. पर जब मिलाया तो वो आपके ऑफिस का निकला...” मालती थोड़े शिकायती अंदाज में बोले जा रही थी... और विधायक उसकी इस अदा के धीरे धीरे मुस्कुरा कर मजे ले रहा था...
“...और मेरा नाम मोहतरमा नहीं... मालती है..”
“हाहाहा... अच्छा तो मालती जी... अब हमें माफ़ भी कर दीजिये....” विधायक थोड़ा हँसते हुए मालती की चुटकी लेता हुआ बोला...
“ओहो कैसी बात कर रहे हैं आप... शर्मिंदा मत करिए लल्लन जी...”
विधायक मुस्कुरा रहा था... और मालती की खूबसूरती से अपनी आँखे सेंक रहा था...
“उम्.... उस दिन आपने मुझे पॉलिटिक्स ज्वाइन करने की सलाह दी थी... लल्लन जी...मैंने काफी सोचा.... और फिर रोक नहीं पाई खुद को...” मालती मुस्कुराती हुई बोली...
मालती की बात सुनकर लल्लन की आँखे चमक गईं... वो खुद को रोक नहीं पाया और अपने काउच से उठ कर मालती के बगल में पड़ी खाली जगह में आकर बैठ गया....
“अरे ये तो अच्छी बात है... तुम जैसी औरतों को तो राजनीति में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए.... मैं तुम्हारे डिसीजन का स्वागत करता हूँ...”
“ओह थैंक यू..लल्लन जी... आपने मुझे मोटिवेट किया... वरना मैं तो इस बारे में कभी सोचती ही नहीं...”
“अरे थैंक यू.. वैंक यू छोड़िये मालती जी... अब ये बताइये क्या लेंगी आप? कुछ सॉफ्ट या हार्ड? वैसे इस मौके पर तो हार्ड ही ठीक बैठेगा...” लल्लन ने मालती का हाथ पकड़ते हुए कहा...
मालती मुस्कुराई... और अपना दूसरा हाथ लल्लन के हाथ के ऊपर रख के बोली...
“दिन में हार्ड नहीं लेती लल्लन जी... सॉफ्ट ही ठीक रहेगा अभी...”
“हाहा... चलिए फिर... आपकी जैसी मर्जी...”
वो काउच पे पास लगी बटन को दबाता है.... कुछ देर बाद वेटर आता है... विधायक उसे आर्डर देता है....
अगले ही पल... मालती के हाथ में कोक और लल्लन के हाथ में व्हिस्की स्कॉच थी!
“वैसे आप ड्रिंक तो करती होंगी न....”
“जी कभी कभी...”
“तो आज वो कभी नहीं हो सकता...?” विधायक ने सवाल किया...
मालती विधायक को कोई उल्टा जवाब नहीं देना चाहती थी... इसलिए उसने कहा...
“अच्छा ठीक है... पर बिलकुल थोड़ी सी....”
“हाहाहा... हाँ अब हुई न बात....” और उसने अपना गिलास ही मालती की ओर बढ़ा दिया...
मालती ने मुस्कुराते हुए उसके गिलास से एक सिप ली....
“हाँ.. तो आप कल सुबह आ जाइये पार्टी ऑफिस... पार्टी की मेम्बरशिप के लिए” विधायक ने कहा...
“जी....” मालती ने धीरे से जवाब दिया!
“तुम्हारे लिए ख़ास जगह सोची है हमने...कल पार्टी ऑफिस में मिलो.. सब समझाता हूँ तुम्हे”
“ओह... शुक्रिया लल्लन जी...”
एक हाथ से वो मालती के एक हाथ को सहला रहा था... और उसकी नजरें... मालती के उरोजों के बीच की खाई में झाँकने से खुद को रोक नहीं पा रही थी...
“मालती... देखो... राजनीती आसान नहीं है.... इसमें बहुत कुछ खोना पड़ता है...” मालती की बाईं जांघ पर हाथ रखते हुए वो बोला...
“कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है लल्लन जी... अब कुछ खोके फिर जो संतुष्टि मिलेगी... वो ही चाहिए मुझे... पैसे...प्रॉपर्टी तो ये छोड़कर गए हैं मेरे लिए”
“बस यही... यही चाहिए होता है... एक अच्छा नेता बनने के लिए....तुम बहुत आगे जाओगी मालती” जांघ को सहलाते हुए बोला
“थैंक यू लल्लन जी....” मुस्कुराते हुए वो बोली...और लल्लन के हाथ में अपना हाथ रख दिया!
विधायक ने उसके हाथ रखते ही मालती की जांघ को मानो मसल ही दिया...
वो खुद पर काबू रखता है... क्योंकि वो जानता है कि जल्दबाजी का काम हमेशा खराब होता है... और फिर औरत के मामले में कदम संभल कर ही उठाना चाहिए!
उसने खुद को संभाला... और अपना हाथ मालती की जांघ से हटा लिया! और फिर मुस्कुराते हुए अपनी मुछों को ऊपर गोल उमेठा... और मालती के जिस्म पर ऊपर से नीचे एक सरसरी निगाह फेरते हुआ रुतबे में बोला...
“अच्छा तो मालती...तुम कल सुबह मेरे ऑफिस में मिलो... सुबह नौ बजे..”
वो उठा... मानो इशारा कर रहा हो कि मीटिंग का समय ख़तम हो गया है...
मालती का उठने का मन तो नहीं हो रहा था... पर वो इशारे को समझी और उठी..
विधायक लल्लन सिंह से हाथ मिलाया... और फिर इजाज़त लेके वहां से सीधे होटल आ गई!
आज विधायक की मर्दानगी ने उसके दिलो-दिमाग पे गहरा असर डाला था...
वो उन आँखों को भुला नहीं पा रही थी.. वो विधायक का अपनी मुछे बार बार ऊपर उमेठना... वो चोरी छिपे उसके जिस्म पे नजरें डालना.. और फिर वो... जब लल्लन जी ने उसकी जांघ को मसल ही दिया था... उसके दिमाग में बार बार वो सब बातें आ रही थी! वो मुस्कुरा रही थी!
“विधायक जी मुझे पार्टी में कौन सी जगह देंगे... किस स्पेशल जगह की बात कर रहे थे वो....” वो सोच रही थी... कयास लगा रही थी.. एक्साईटेड हो रही थी!



उधर ठाकुर की परमीशन मिलने के बाद मालती की ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी...उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ठाकुर ने हाँ कह दी है... अब वो खुद पे गर्व महसूस कर रही थी...काफी लम्बे समय के बाद वो फिर से राजनीति में कदम रखने जा रही थी! कॉलेज की राजनीति नहीं असल जिन्दगी की राजनीति में! एक हाथ में मोबाइल था और दूसरे हाथ में विधायक लल्लन सिंह का विजिटिंग कार्ड और चेहरे पर ख़ुशी! बार बार मोबाइल पर नंबर टाइप करती और फिर न जाने क्या सोच कर नंबर हटा देती!
मालती ने आखिरकार अपनी कशमकश को काबू में करते हुए फोन किया... फोन लल्लन सिंह की सेक्रेटरी ने उठाया! मालती ने खुद का परिचय दिया और अपॉइंटमेंट के लिए रिक्वेस्ट की!
“जी विधायक जी आज फ्री नहीं हैं... आज मुलाक़ात नहीं हो पायेगी आपकी उनसे” सेक्रेटरी बोली!
“अरे आप एक बार उनसे बताइये तो कि मैं मिलना चाहती हूँ...”
“अरे बोला न... समझ में नहीं आता आपको एक बार में? नहीं हो पायेगी आज मुलाकात” सेक्रेटरी थोड़ा झल्लाती हुई बोली!
“अरे रूपा... क्या हुआ... कौन परेशान कर रहा है तुम्हे?” पास में बैठे अफ़रोज ने सेक्रेटरी रूपा से पूछा!
“अरे अफ़रोज... कोई नहीं यार... लोग भी न... एक बार में समझ नहीं आती बात”
सेक्रेटरी अफरोज से थोड़ा थकी हुई आवाज में बोली...
“ला... मैं समझाता हूँ....” अफ़रोज उठ कर रूपा के पास आता है!
“ज़रा आराम से....” रूपा स्माइल देती हुई बोली और अफरोज को फ़ोन थमा दिया!
“हेलो... हाँ भाई एक बार में समझ में नहीं आता कि आज नहीं मिलेंगे विधायक जी” अफरोज थोड़ा हड्काता हुआ बोला!
“अरे अफरोज.. मैं मालती.... वो परसों शाम को आई थी विधायक जी से मिलने... वो ....” मालती थोड़ा समझाती हुई बोली
“ओह तो आप हैं मोहतरमा... कहिये अब क्या समस्या आ गई...”
“जी वो लल्लन सिंह जी से मिलना था... कुछ जरूरी काम था... अगर अपॉइंटमेंट मिल जाता तो..... प्लीज़.....” मालती सेक्सी टोन में रिक्वेस्ट करती है!
“जी वैसे तो विधायक जी आज किसी से मिलते नहीं हैं... पर अब आप इतना कह रही हैं तो मैं उनसे एक बार पूछ लेता हूँ!”
“ओह थैंक यू वैरी मच अफरोज...”
फिर अफरोज ने फोन काट दिया!
करीब 5 मिनट बाद मालती के फोन में एक अननोन नंबर से फोन आया...
“हेल्लो...” मालती फ़ोन उठाती है
“हाँ मैडम...मैं अफरोज...”
“हाँ अफरोज... क्या हुआ.... फ्री हैं विधायक जी?”
“हां... पर वो आज ऑफिस नहीं आते... अगर आपका मिलना इतना ही जरूरी है तो सिटी क्लब में दो बजे मिल सकती हैं!”
“ओह थैंक यू सो मच... मैं वहीँ मिल लूंगी... और फिर सिटी क्लब मेरे होटल के पास में भी है!”
“मैं उनके ड्राइवर का नंबर आपको अभी सेंड कर देता हूँ... वहाँ पहुच के उसे फोन कर लेना... वो आपकी मुलाक़ात करवा देगा!” अफरोज बोला...
“ओके... थैंक्स!” और फिर मालती ने फोन काट दिया!









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