Sunday, April 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --7

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --7

 “ओहो... कैसे कैसे लोग होते हैं.. और इन वीआईपी लोगों का तो अलग ही ड्रामा रहता है... उस दिन बोल रहे थे पर्सनल नंबर है... और नंबर था ओफिस का.. और अभी... मुझे डायरेक्ट लल्लन जी का नंबर नहीं दे सकता था क्या ये? ड्राईवर को फोन कर लेना... वो मिलवा देगा... हुह...” मालती मन में बडबडा रही थी और इस सबसे वो इम्प्रेस भी हो रही थी...
फिर अफरोज का भेजा नंबर उसने अपने फोन पर सेव किया... और फिर प्रिया को बोल कर होटल से निकल ली... सजने के लिए उसके पास 2 घंटे का समय था...
और उसने इस समय का भरपूर प्रयोग किया...
बगलों और झांटों के बाल साफ़ करने के बाद करीब आधा घंटा बाथ टब में उसने बिताये! वो बाथ टब में लेटी लेटी सोच रही थी कि क्या पहने? फिर शायद जब उसने डिसाइड कर लिया कि आज वो क्या पहनेगी.. फिर वो बाथटब से बाहर निकली.... निकल कर बाथरोब लपेटा... और पूरे जिस्म को सुखाया...
सफ़ेद पैडेड ब्रा... और नीचे ब्लैक पैंटी! उसके ऊपर सफ़ेद कॉटन की कुर्ती जिसमे सफ़ेद धागों से ही कढ़ाई थी.. और जिसके ऊपर से उसकी सफ़ेद ब्रा भी झलक रही थी... और नीचे लाल चूड़ीदार पैजामी... और ऊपर लाल दुपट्टा! बाल उसने पहले बांधे... फिर न जाने क्या सोंच कर उन्हें खुला ही छोड़ दिया... हाथो में लाल नेलपोलिश उसे और भी सुन्दर बना रही थी!
फिर उसने घड़ी देखी और सिटी क्लब को निकल ली!
सिटी क्लब पहुच कर अपनी कार पार्क की और ड्राईवर को फोन मिलाया! ड्राईवर उसे विधायक के पास लेकर गया!
“ओहो.... आइये आइये.... मोहतरमा....” मालती को ऊपर से नीचे तक ताड़ते हुए अपने चिरपरचित अंदाज में उसने मालती का स्वागत किया
“नमस्ते सर.... मेरे लिए समय निकालने के लिए शुक्रिया” मालती मुस्कुराती हुई बोली...
दोनों इस समय क्लब के प्राइवेट लाउंज में थे... दो काउच आमने सामने पड़े थे और बीच में एक मेज... हलकी नीली और लाल रौशनी माहौल को रंगीन करने की कोशिश कर रही थी!
विधायक बैठा और मालती को भी बैठने को बोला...
दोनों आमने सामने बैठे थे...
“हाँ तो मोहतरमा... कैसे आना हुआ....”
“क्यों... नहीं मिल सकती? आपने ही तो बोला था उस दिन... और फिर आपने मुझे अपना नंबर भी दिया था.. पर जब मिलाया तो वो आपके ऑफिस का निकला...” मालती थोड़े शिकायती अंदाज में बोले जा रही थी... और विधायक उसकी इस अदा के धीरे धीरे मुस्कुरा कर मजे ले रहा था...
“...और मेरा नाम मोहतरमा नहीं... मालती है..”
“हाहाहा... अच्छा तो मालती जी... अब हमें माफ़ भी कर दीजिये....” विधायक थोड़ा हँसते हुए मालती की चुटकी लेता हुआ बोला...
“ओहो कैसी बात कर रहे हैं आप... शर्मिंदा मत करिए लल्लन जी...”
विधायक मुस्कुरा रहा था... और मालती की खूबसूरती से अपनी आँखे सेंक रहा था...
“उम्.... उस दिन आपने मुझे पॉलिटिक्स ज्वाइन करने की सलाह दी थी... लल्लन जी...मैंने काफी सोचा.... और फिर रोक नहीं पाई खुद को...” मालती मुस्कुराती हुई बोली...
मालती की बात सुनकर लल्लन की आँखे चमक गईं... वो खुद को रोक नहीं पाया और अपने काउच से उठ कर मालती के बगल में पड़ी खाली जगह में आकर बैठ गया....
“अरे ये तो अच्छी बात है... तुम जैसी औरतों को तो राजनीति में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए.... मैं तुम्हारे डिसीजन का स्वागत करता हूँ...”
“ओह थैंक यू..लल्लन जी... आपने मुझे मोटिवेट किया... वरना मैं तो इस बारे में कभी सोचती ही नहीं...”
“अरे थैंक यू.. वैंक यू छोड़िये मालती जी... अब ये बताइये क्या लेंगी आप? कुछ सॉफ्ट या हार्ड? वैसे इस मौके पर तो हार्ड ही ठीक बैठेगा...” लल्लन ने मालती का हाथ पकड़ते हुए कहा...
मालती मुस्कुराई... और अपना दूसरा हाथ लल्लन के हाथ के ऊपर रख के बोली...
“दिन में हार्ड नहीं लेती लल्लन जी... सॉफ्ट ही ठीक रहेगा अभी...”
“हाहा... चलिए फिर... आपकी जैसी मर्जी...”
वो काउच पे पास लगी बटन को दबाता है.... कुछ देर बाद वेटर आता है... विधायक उसे आर्डर देता है....
अगले ही पल... मालती के हाथ में कोक और लल्लन के हाथ में व्हिस्की स्कॉच थी!
“वैसे आप ड्रिंक तो करती होंगी न....”
“जी कभी कभी...”
“तो आज वो कभी नहीं हो सकता...?” विधायक ने सवाल किया...
मालती विधायक को कोई उल्टा जवाब नहीं देना चाहती थी... इसलिए उसने कहा...
“अच्छा ठीक है... पर बिलकुल थोड़ी सी....”
“हाहाहा... हाँ अब हुई न बात....” और उसने अपना गिलास ही मालती की ओर बढ़ा दिया...
मालती ने मुस्कुराते हुए उसके गिलास से एक सिप ली....
“हाँ.. तो आप कल सुबह आ जाइये पार्टी ऑफिस... पार्टी की मेम्बरशिप के लिए” विधायक ने कहा...
“जी....” मालती ने धीरे से जवाब दिया!
“तुम्हारे लिए ख़ास जगह सोची है हमने...कल पार्टी ऑफिस में मिलो.. सब समझाता हूँ तुम्हे”
“ओह... शुक्रिया लल्लन जी...”
एक हाथ से वो मालती के एक हाथ को सहला रहा था... और उसकी नजरें... मालती के उरोजों के बीच की खाई में झाँकने से खुद को रोक नहीं पा रही थी...
“मालती... देखो... राजनीती आसान नहीं है.... इसमें बहुत कुछ खोना पड़ता है...” मालती की बाईं जांघ पर हाथ रखते हुए वो बोला...
“कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है लल्लन जी... अब कुछ खोके फिर जो संतुष्टि मिलेगी... वो ही चाहिए मुझे... पैसे...प्रॉपर्टी तो ये छोड़कर गए हैं मेरे लिए”
“बस यही... यही चाहिए होता है... एक अच्छा नेता बनने के लिए....तुम बहुत आगे जाओगी मालती” जांघ को सहलाते हुए बोला
“थैंक यू लल्लन जी....” मुस्कुराते हुए वो बोली...और लल्लन के हाथ में अपना हाथ रख दिया!
विधायक ने उसके हाथ रखते ही मालती की जांघ को मानो मसल ही दिया...
वो खुद पर काबू रखता है... क्योंकि वो जानता है कि जल्दबाजी का काम हमेशा खराब होता है... और फिर औरत के मामले में कदम संभल कर ही उठाना चाहिए!
उसने खुद को संभाला... और अपना हाथ मालती की जांघ से हटा लिया! और फिर मुस्कुराते हुए अपनी मुछों को ऊपर गोल उमेठा... और मालती के जिस्म पर ऊपर से नीचे एक सरसरी निगाह फेरते हुआ रुतबे में बोला...
“अच्छा तो मालती...तुम कल सुबह मेरे ऑफिस में मिलो... सुबह नौ बजे..”
वो उठा... मानो इशारा कर रहा हो कि मीटिंग का समय ख़तम हो गया है...
मालती का उठने का मन तो नहीं हो रहा था... पर वो इशारे को समझी और उठी..
विधायक लल्लन सिंह से हाथ मिलाया... और फिर इजाज़त लेके वहां से सीधे होटल आ गई!
आज विधायक की मर्दानगी ने उसके दिलो-दिमाग पे गहरा असर डाला था...
वो उन आँखों को भुला नहीं पा रही थी.. वो विधायक का अपनी मुछे बार बार ऊपर उमेठना... वो चोरी छिपे उसके जिस्म पे नजरें डालना.. और फिर वो... जब लल्लन जी ने उसकी जांघ को मसल ही दिया था... उसके दिमाग में बार बार वो सब बातें आ रही थी! वो मुस्कुरा रही थी!
“विधायक जी मुझे पार्टी में कौन सी जगह देंगे... किस स्पेशल जगह की बात कर रहे थे वो....” वो सोच रही थी... कयास लगा रही थी.. एक्साईटेड हो रही थी! 

सुबह का नौ बजा था... मालती विधायक के ऑफिस पहुचती है... हमेशा की तरह अफरोज ने फिर से मालती को टोका... वेलकम किया और फिर वो उसे लेकर विधायक के चेम्बर में घुस गया! विधायक के साथ एक करीब 55 साल की महिला बैठी हुई थी... मालती के घुसते ही, विधायक मालती के पास आया... और उसके कन्धों पर हाथ रखते हुए उसे उस महिला के पास ले गया....
“तो ये हैं मालती जी... जिनके बारे में मैंने बताया था आपको” विधायक उस महिला से कहता है!
“मालती.... ये कादम्बरी जी हैं... हमारी पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्याछा!”
मालती ने उस महिला को मुस्कुराते हुए नमस्ते कहा. कादम्बरी जी ने उसे थोड़ी अलग निगाहों से देखा!
फिर तीनो लगभग एक घंटे तक बातें करते रहे! कादम्बरी ने इस एक घंटे में मालती को जांचा परखा.. और उसके व्यवहार से काफी खुश हुई! और फिर मालती को बधाई और शुभकामनाएं दे कर वो चली गईं!
अब केवल विधायक और मालती बचे थे! मालती की ख़ुशी उसके चेहरे से साफ़ दिख रही थी!
“तो मालती अब तुम्हे तय करना है कि तुम क्या करना चाहोगी? पॉलिटिक्स दो तरह की होती है हमारी पार्टी में!... एक सक्रिय... जिसमे प्रतिदिन भागदौड़... लोगों से मिलना... रणनीतियाँ तैयार करना... होता है... और दूसरा... जिसमे समाजसेवा का दिखावा होता है... महिला मोर्चा... एनजीओ... और चीजें होती हैं इसके अन्दर! तो अब तुम्हे डिसाइड करना है...” विधायक ने मालती के मन को जानने के लिए उससे ऐसा सवाल पूछा!
मालती के सामने दुविधा सी हो गई... क्या चुने...
“ओहो लल्लन जी.. मुझे ऐसा काम दीजिये जिसमे मैं सीधे आपकी सेवा कर सकूं...और फिर आपके मार्गदर्शन में मैं कुछ नया भी सीखूंगी” मालती चापलूसी भरे अंदाज में बोली!
“सेवा लेना तो हमें अच्छी तरह आता है मालती... वैसे अच्छा लगा सुन के” मुस्कुराते हुए विधायक नजरें मालती के जिस्म से सेंकी!

“खैर अब तुमने डिसाइड कर ही लिया है तो ठीक है... हम तुम्हे अपने करीब ही रखेंगे..” वो फिर मुस्कुराया!
मालती भी मुस्कुरा रही थी... अपनी अदाओं से लल्लन को रिझा रही थी.. आज भी उसने वही सफ़ेद कुर्ती... लाल दुपट्टा... और लाल टाईट चूड़ीदार पैजामी पहनी हुई थी! अभी वो सोफे पर विधायक के सामने बैठी थी... बाईं टांग को दाई टांग पर चढ़ाया हुआ था... उसकी जांघे लल्लन को बार बार मानो आमंत्रित कर रही थीं! पुशअप ब्रा ने उसके बूब्स और भी उभरे हुए लग रहे थे! लल्लन था ठरक बार बार जाग रहा था.... पर पता नहीं क्यों अपने ठरक पर काबू था आज लल्लन को... कोई और होती तो अब तक वो रगड़ चूका होता... पर शायद उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था!
“देखो मालती... पहले मुझे तुम्हे परखना होगा... देखना होगा कि तुम क्या कर सकती हो मेरे लिए... मेरी पार्टी के लिए.. फिर ही मैं तुम्हे कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकता हूँ!” विधायक लल्लन सिंह ने गंभीर होते हुए कहा... और मालती के हाथ पे एक बार फिर हाथ रख दिया!
मालती सुन रही थी....विधायक बोल रहा था!
“तुम पढी लिखी हो...चीजों को समझती हो... पार्टी को तुम जैसी कार्यकर्ता की जरूरत है मालती... पर मालती... मुझे शक है... कि तुम ये सब संभाल पोगी या नहीं”
“अरे आप मुझे एक मौका तो दीजिये लल्लन जी...आपको शिकायत का एक मौका नहीं मिलेगा... वादा करती हूँ” मालती अपनी हसीन अदा में बोली!
“ओके... तो ठीक है... ये... ये पार्टी का दस्तावेज है... इसमें पार्टी के बारे में एक एक चीज लिखी हुई है... पहले तो तुम्हे ये सब पढना होगा.. और समझना होगा... मैं समझता हूँ कि आज शाम तक तुम पढ़ लोगी इसे...” विधायक मुस्कुराया और मालती के हाथ में कोई 50 पन्ने की पतली सी किताब थमा दी!
“जी... मैं आज शाम तक इसे कर लूंगी” मुस्कुराते हुए मालती बोली!
“मुझे यही चाहिए तुमसे... और हाँ... इसे ख़तम करने के बाद अफरोज तुम्हे बाकी तौर तरीके भी समझा देगा... और मैं चाहता हूँ कि तुम अभी यहीं ऑफिस में रुको... और यहाँ के तौर तरीकों से भी फैमिलियर हो जाओ...मुझे अभी निकलना होगा...शाम को मिलता हूँ!” और फिर विधायक मालती को वहीँ छोड़कर चला गया!

लल्लन ने आज काफी दिनों बाद इतना फोर्मली बात की होगी किसी से... वरना उसकी पहचान तो एक दबंग नेता की है... क्या अफसर-क्या मंत्री सब उसके लौड़े के नीचे ही रहते हैं! औरत को वो बिस्तर गरम करने की चीज से जादा कुछ नहीं समझता! पर मालती से वो पता नहीं क्या हासिल करना चाहता था... क्यों इतना सुधरा हुआ व्यवहार कर रहा था! खैर मालती को भी उसका हर अंदाज भा रहा था... मालती को बचपन से ही पॉवर अट्रैक्ट करती आई है ये मैं आपको पहले भी बता चुकी हूँ...और शायद यही कारण था कि लल्लन ने भी उसकी चूत के किसी कोने में अपनी जगह बना ली थी!
और आज उसका यहाँ पहला दिन था और उसे अच्छा लग रहा था... अफरोज ने उसे पार्टी और ऑफिस के सारे तौर तरीके समझा दिए! कुछ चीजें उसे थोड़ी अजीब भी लगीं पर उसे उनसे कोई ऐतराज भी नहीं था!

शाम 5 बजे विधायक वापस ऑफिस आया! मालती ने उसे अपने हाथों से पानी दिया... मालती को घूरते हुए वो एक घूँट मेंही सारा पानी पी गया!
और फिर मालती से पार्टी के बारे में कुछ बेसिक सवाल पूछे... मालती ने उनके सारे जवाब दे दिए! विधायक ने ये एक्स्पेक्ट नहीं किया था... हुस्न के साथ दिमाग.. पहली बार देख रहा था वो...उसने सोचा था कि मालती जवाब नहीं दे पाएगी... और फिर आज की रात मालती की गांड मारने का एक बहाना मिल जाएगा! हेहे... उसे क्या पता था कि अगर वो अभी मालती की गांड मारे तो भी वो हंसी ख़ुशी मरवा लेगी... आखिर वो गांड ही तो मरवा रही थी अपनी इतने दिनों से.. पहले कॉलेज में.. फिर रामीज... और फिर ठाकुर! विधायक ने फिर मालती को जाने को बोला... और फिर खुद भी ऑफिस से निकल लिया! उसे समझ नहीं आ रहा था कि मालती को अपने बिस्तर तक कैसे लाये... उसे खुद पे हंसी भी आ रही थी!


घर पर ठाकुर मालती का इंतज़ार कर रहा था... वो दोपहर में ही आ गया था..वो मालती को फोन कर सकता था पर वो देखना चाहता था कि मालती कब वापस आती है... पिछले दो तीन दिनों से वो मालती की गतिविधियों पर नज़र रख रहा था...मालती का समय अब होटल में कम समय और विधायक के ऑफिस जादा बीत रहा था, रांड कही हाथ से निकल न जाए इसलिए वो सारे काम छोड़ कर आज मालती की खबर लेने आया था! और फिर मालती की बेवकूफी की वजह से उसे पिछले हफ्ते जो नुक्सान हुआ था उसकी सजा भी तो देनी थी उसे..! दोगुना घाटा हुआ था उसे... रंगदारी जो देनी थी वो तो गई और ऊपर से होटल का रेनोवेशन कराना पड़ा...बात पैसों की नहीं थी... बात कुछ और थी... जिसे वो अपना खिलौना समझ रहा था.. उसके पर निकलते हुए देखकर उसे बेचैनी हो रही थी!
“आजा मेरी रानी... कब से तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ!” ठाकुर ने अपनी जांघ को सहलाते हुए कहा... अभी ठाकुर ने एक बाथरोब पहना हुआ था... सामने से नॉट खुली हुई थी... एक पैर दूरसे पर चढ़ाए हुए.. और एक हाथ में नीट ओल्डमोंक!
“ओह ठाकुर जी .... आप... व्हाट एन सरप्राइज़” मालती सरप्राइज़ड होती हुई बोली...
वो जैसे ही ठाकुर के पास पहुची... ठाकुर ने उसे अपनी गोद में खींच लिया... और उसके गाल को हलके से काट लिया...
मालती भी पिछले कुछ दिनों से तड़प रही थी इस सबके लिए... उसने ठाकुर के गले में अपनी बाहें लपेट लीं... और हलके से ठाकुर के होंठो को चूसने लगी... ठाकुर ने मालती का पल्लू हटाते हुए ब्लाउज की दोनों बाहों को कन्धों से नीचे सरका दिया जिससे उसके बूब्स और भी बाहर आ गए... वो उसके दोनों नंगे कन्धों को चांट रहा था... और चूम रहा था... और उसके दोनों हाथ मालती की साड़ी के अन्दर जाकर उसकी कमर मसल रहे थे...
उम्म्ह.... इस पांच मिनट के फोरप्ले ने ही मालती की भट्टी में आग लगा दी... नीचे पैंटी गीली हो चुकी थी...
“उम्म्ह... अन्दर चलें बेडरूम में”
“सुहागरात मनानी है?” ठाकुर ने अपने अंदाज में कहा और फिर से अपने काम में लग गया...
“कब तक शादी के बिना सुहागरात मनाएंगे हम ?” मालती बोली!
ये सवाल ठाकुर को कुछ रास नहीं आया....अब लंड की गर्मी उसके दिमाग में चली गई थी...आज से पहले कामक्रीडा के वक्त मालती ने कभी ऐसे वाहियात सवाल नहीं पूछे थे ठाकुर से... और आज भी पूछ के उसने अपनी शामत ही बुलाई थी...

चिर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र....... एक झटके में उसने मालती का ब्लाउज चीर दिया... और मालती के गाल पर दो थप्पड़ जड़ दिए...
“बेहेन की लौड़ी.... साली दो टाके की रांड.... सुहागरात नहीं मनाता हू तेरे साथ... चोदता हूँ तुझे समझी...”... और फिर दो थप्पड़ मारे ...
मालती के गालों पर ठाकुर की उँगलियों के निशान की लाली पड़ गई... और आँखों में आंसू... वो उठा... और मालती के बाल पकड़कर उसे घसीटते हुए बेडरूम तक ले गया....
“साली.. सुहागरात मनाएगी... रांड है तू मेरी... रांड... समझी....” और उसने मालती की साड़ी पकड़ के खींच दी... मालती बेड के बगल में पड़े सोफे के पास गिरी जाके.... वो अब केवल पेटीकोट में थी... आँख में आंसू..! ठाकुर को पास आता देख वो रो पड़ी.... हाथ जोड़ लिए... और माफ़ी मांगने लगी.... “माफ़ कर दीजिये ठाकुर जी... गलती हो गई...” सुबक रही थी वो...
“हर गलती माफ़ी लायक नहीं होती.....छिनार...गलती की सजा मिलती है सजा”
और उसने उसके पेटीकोट का नारा भी खींच दिया...
फिर उसके बाल पकडे और खड़ा किया.... पर मालती के घुटनों में अब जान बची नहीं थी... वो फिर लड़खड़ा गई...
ठाकुर ने फिर बाल पकड़े और बेड तक घसीटता हुआ ले गया...मालती रो रही थी... गिडगिडा रही थी... पर ठाकुर आज इसी लिए तो आया था... मालती को उसकी औकात दिखाने...
मालती को उसने कुतिया बनाया... पर मालती फिर लड़खड़ा गई... और बेड पे ही गिर गई... तकिया उठाके मालती के नीचे लगाई जिससे उसकी गांड उचक गई... पास की टेबल पर रखे फलों की टोकरी से उसने एक केला उठाया और मालती की गांड में पूरा ठांस दिया...
“आआआआआउ........... आआआआआउ...........” मालती चिल्ला उठी... उसने ये एक्स्पेक्ट नहीं किया था... ठाकुर ने केले को चारो ओर घुमाया.. जिससे मालती का दर्द और बढ़ गया और वो और जोर से चीखी...”बोल... करेगी दोबारा ऐसी गलती? लड़ाएगी जबान?”
“नही... आह.... कभी नहीं.... प्लीज़..प्लीज़ ठाकुर जी... केला निकाल लीजिये... आह... मर जाउंगी....” ठाकुर केला गोल गोल घुमा रहा था.... मालती दर्द से बेचैन हो कभी चीखती तो कभी बेडशीट भीचती... आँखों से आंसू बह रहे थे...
“बोल... करेगी दुबारा ऐसी गलती...?”
“नहीं...नहीं.... ठा..कुर.... जी..... क भी ...न...ही...” वो फिर गिडगिडाई
फिर ठाकुर ने मुस्कुराते हुए मालती की गांड से केला निकाला... मालती थोड़ा रिलैक्स हुई ही थी कि उसने अपना लंड मालती की गांड में डाल दिया... और मालती के ऊपर गिर गया... मालती बेड और ठाकुर के बीच दबी हुई थी... ठाकुर उसकी गांड में हौले हौले.... गहरे गहरे धक्के मार रहा था.... मालती हर धक्के के साथ आंहे भर रही थी... ठाकुर उसे रौंद रहा था अपने जिस्म तले.... दोनों हाथों से मालती के दोनों हाथ लॉक किये हुए थे... और गांड में अपना लंड लॉक किया हुआ था... धक्के तेज हुए... मालती की आंहे भी पूरे कमरे में गूंजने लगीं... हाथ अब मालती की चूचियों पर आ गए थे.... ठाकुर चरम पार पहुच रहा था... जैसे जैसे चरम के पास पहुच रहा था... वैसे वैसे जोश बढ़ता जा रहा था... धक्कों की रफ्तार और गहराई..मालती की आहें.. और बेड की चरर-मरर की आवाज भी!
मालती को इस सजा में कब मजा आने लगा उसे भी पता नहीं चला... “आह... ऊह” की आवाज साथ उसका मजा और भी बढ़ जाता... लंड जब अन्दर जाता तो फक्क... फक्क... की आवाज के साथ ठाकुर का अगवाड़ा मानो मालती के पिछवाड़े के साथ ताली बजा रहा हो! आगे मालती की चूत में आग लगी हुई थी... वो अब अपने एक हाथ से अपनी चूत मसल रही थी... अगले 10 मिनट तक ये खेल चला और फिर ठाकुर एक गहरे धक्के के साथ मालती की गांड में ही झड़ गया... और मालती के ऊपर गिर गया...इसी की साथ मालती की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था!
ठाकुर ने लंड निकाला और फिर साइड में लेट गया... और मालत को इशारा किया... मालती उठी और उसने ठाकुर का लंड चाट कर साफ़ किया... मालती की जीभ का स्पर्श पाते ही एक बार फिर से ठाकुर का शैतान जाग उठा.. लंड की नसों में एक बार फिर खून भर गया था अब... उसने देर नहीं लगाई... मालती को खींच के अपने नीचे लिया और लंड मालती की चूत में डाल दिया...
अब वो दोनों मिशनरी पोजीशन में थे.... मालती की दोनों टांगे हवा में... ठाकुर का लंड मालती की चूत में... मालती के दोनों हाथ ठाकुर की पीठ पर... ऐसे मानो ठाकुर को अपनी ओर खींच रही हो... ठाकुर कभी उसके बाएं कंधे को चूसता तो कभी उसके बाएं कंधे को.... मालती चुद रही थी... ठाकुर चोद रहा था.. . वो अब तक 2 बार झड चुकी थी... पर ठाकुर... वो अपने मोटे लम्बे लंड से मालती को चोदे जा रहा था... दोनों उसका सीना मालती की चूचियां मसल रहा था...
कमरा एक बार फिर से मालती की आहों और पलंग की चरमराहट से गूँज उठा था! “आह ..ठाकुर जी... उफ्फ्फ.....” “ले मेरी रांड.... ले...” दोनों चरम पर पहुच रहे थे.... और फिर ठाकुर ने मालती की चूत में ही सारी आग उगल दी....
और फिर दोनों वैसे ही सो गए!
 

 रात भर मालती ठाकुर के जिस्म से लिपटी सोती रही... सुबह तड़के 5 बजे जब ठाकुर ने उसकी गांड में चपाट मारी टैब उसकी नींद खुली... उसकी आँखों के सामने ठाकुर का लंड था... उसने देर नहीं लगाई... नींद में ही उसने ठाकुर को ब्लोजॉब दिया... और फिर ठाकुर ने उसकी एक बार फिर से ठुकाई की... और फिर ठाकुर ने मालती को उसकी कीमत एक बार फिर याद दिलाई... और वो मालती को समझा कर वापस चला गया...
ट्रिंग ट्रिंग.... ट्रिंग ट्रिंग.....
मालती नहा रही थी.... बहार उसके फोन की घंटी बजे जा रही थी..
ट्रिंग ट्रिंग...
उफ्फ्फ... अब किस्का फोन है... वो भी इतनी सुबह सुबह...
मालती जब नहाकर बाहर निकली, तब भी फोन की घंटी बज ही रही थी...
ओह... अफरोज... इतनी सुबह सुबह क्यों फोन कर रहा है...
“हेल्लो....” मालती ने सेक्सी आवाज में फोन उठाया...
“कितनी देर से फोन कर रहा हूँ... कहाँ थी मालती जी?”
“अरे वो मैं बाथरूम में थी... अफरोज... सो सॉरी”
“हाँ तो मैंने ये बताने के लिए फोन किया है कि आज पार्टी की इम्पोर्टेंट मीटिंग हो रही है... विधायक जी के फार्महाउस पे... कुछ बड़े नेता आ रहे हैं...”
“ओह... ये तो अच्छी बात है....”
“मालती... विधायक जी चाहते हैं कि वहाँ का इंतजाम तुम देखो आज... स्वागत-खाना-पीना... समझ रही हो न...”
“हाँ.. पर...”
“पर क्या?”
“इतनी जल्दी? आज ही है न मीटिंग”
“हाँ मैडम.... आज ही है... और 2 बजे से पहले सारे इंतजाम हो जाने चाहिए...”
“इतनी जल्दी....”
“अरे 3 लोग आ रहे हैं... 300 नहीं...” अफरोज़ बोला
“हाहाहा... अफरोज.. तुम भी न... तुमने तो मुझे डरा ही दिया था.. चलो मैं करवा दूँगी अरेंजमेंट्स...” मालती मुस्कुराते हुए बोली...
और फिर अफरोज़ ने फोन काट दिया!
3 लोगों के लिए तैयारी में जादा समय नहीं लगा...
अफरोज़ ने बताया था कि कोई बड़े नेता आ रहे हैं... इसलिए मालती ने आज सफ़ेद रंग की साड़ी पहनी थी...सफ़ेद साड़ी में उसका भरा बदन और भी मादक लग रहा था... वो भी कम ठरकी नहीं थी, मर्दों को रिझाने का एक मौका नहीं छोडती थी... तो आज की मीटिंग को वो ऐसे कैसे जाने देती!
लल्लन फार्महाउस पंहुचा...
मालती ने जो अरेंजमेंट किये थे... जो स्वागत व्यवस्था की थी अतिथियों के लिए... वो लल्लन को बहुत पसंद आई! और मालती को देख के तो... उफ़... उसका बस चलता तो अभी चोद देता उसे!
पर अभी इसका सही वक्त नहीं था...
आज उसने अपने ख़ास दोस्तों को बुलाया हुआ था... अगले चुनावों की कुछ रणनीतियों के लिए! जैसा कि मैं पहले भी बता चुकी हूँ कि लल्लन बाहुबली था... उसके पास 5-6 विधायक थे जो कि उसके इशारों पे नाचते थे...इसलिए राजनीति में उसका कद काफी ऊंचा था... और आज उसने अपने जैसे ही बाहुबलियों को बुलाया हुआ था... पिछले चुनावों में इन चारों ने मिलकर सारा खेल सेट किया था.. और लल्लन इस बार भी इसी किसी जुगाड़ में था!
मीटिंग शुरू हो चुकी थी... मालती लल्लन के पीछे खड़ी हुई थी... और बांकी चारो एक बड़ी राउंड टेबल के आस पास बैठे हुए थे... बाकी तीनो की नजरें बार बार मालती की ओर पहुच ही जातीं.. और मालती मुस्कुरा कर उनके नयनों को सुख देती! अभी तक विधायक ने मालती का इंट्रो नहीं कराया था अपने बाहुबली दोस्तों से! करीब एक घंटे तक मीटिंग चली... और फिर आखिर सहमति बन ही गई कि इस बार फिर से चारो किसी बड़ी पार्टी के साथ न जाकर अपना गुट अलग ही रखेंगे, और चुनाव के बाद ही तय करेंगे कि क्या करना है!
“चलिए अब जब आम सहमति बन ही गई है तो मिठाई लाऊँ मैं?” मालती मुस्कुराती हुई बोली...
“हाँ हाँ.... इंतज़ार क्या कर रही हो मालती... मुह मीठा कराओ हम सबका...”
मालती मिखाई लेकर आती है...
“ये मालती जी हैं...मालती मिश्रा...समाजसेवा में रूचि है इनकी... तो हमने पॉलिटिक्स जोइन करवा दी.... और कॉलेज टाइम में प्रेसिडेंट भी रह चुकी हैं...” विधायक ने मालती का परिचय कराया...
मालती सबको मिठाई देती है.... वैसे मिठाई तो वो पिछले एक घंटे से दे रही थी... अपने हुस्न से!
“ओह ये तो अच्छी बात है... सेवा करो लल्लन जी की... बहुत आगे जाओगी” मालती की कमर पर हाथ रखते हुए उनमे से एक ने कहा!
“जी” मालती ने शालीनता के साथ जवाब दिया... और एक पीस मिठाई और रख दी!
“अरे भाई परेशान क्यों होते हो... पूरा इंतजाम करवाया हुआ है हमने...”लल्लन चुटकी लेता हुआ बोला!
चारों जोर के ठहाकों के साथ हंसे! पर मालती को बात समझ नहीं आई!
मिठाई के बाद थोड़ा खाना पीना हुआ.... मालती पूरे समय लल्लन के साथ ही थी... लल्लन के लिए अब संयम थोड़ा मुश्किल हो रहा था! आज की रात फार्महाउस में चुदाई का प्रोग्राम तो पहले से था.... और शायद मालती को भी इस बात का आभास अब तक हो चुका था... क्यूंकि जब वो पहली बार लल्लन के ऑफिस गई थी तब किसी ने फार्महॉउस का जिक्र किया था!
लल्लन सिंह अभी भी मालती को चोदने की हालत में नहीं था... उसे कोई बहाना नहीं मिल रहा था... हाहाहा... वैसे भी वो नेता आदमी था... लौंडिया को ये कभी एहसास नहीं होने देता था कि लल्लन को उसकी जरूरत है... बल्कि वो बात को वहां तक ले जाता था... जब लौंडिया को खुद लगे कि लल्लन को नहीं उसे लल्लन की जरूरत है! चुदवाने वालियों की कमी नहीं थी... आज भी दो एस्कॉर्ट लल्लन ने अपने ख़ास मेहमानों की मेहमान नवाजी के लिए बुलाई थीं!
शाम ढलते ही शराब और शबाब का सुरूर चढ़ने लगा! लल्लन ने मालती को अफरोज़ के साथ पार्टी की कुछ फाइलें लाने के लिए ऑफिस भेज दिया! वो नहीं चाहता था कि उसके हरामी बाहुबली दोस्त मालती पे चांस मारें! फार्महॉउस के पीछे... स्विमिंग पूल के पास बैठका लगा हुआ था, दो लौंडियाँ सामने मुजरा कर रही थीं! सबके लंड लगभग खड़े हो चुके थे... लल्लन को हटा के तीन लोग और थे... तीन लंड और दो लौंडिया...ये तो नाइंसाफी थी! लल्लन के एक दोस्त ने मालती के लिए इशारा भी किया लल्लन को... पर लल्लन ने हंसी में टाल दिया-
“अरे भाई हर महिला कार्यकर्ता रंडी नहीं होती”!
थोड़ी देर के बाद वो दोनों लौंडियाँ तीनों को लेकर अन्दर कमरे में चली गईं!
बाहर लल्लन सिंह जी अकेले पूल के बगल में बैठे मालती के ख्यालों में डूबा हुआ सिगरेट पी रहा था... शराब के बाद थोड़ा जज्बाती जरूर हुआ था पर होश में था वो!








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