Sunday, April 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --9

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --9

 कुछ समय बाद लल्लन मालती के जिस्म से अलग हुआ.. अब तक उसका लंड ठंडा पड़ चूका था... उसने मालती को इशारा किया... मालती इशारा मिलते ही मुस्कुराई... और उठ कर लल्लन के लंड के पास पहुच गई... अब लल्लन लेता था... और मालती उसकी दोनों टांगो के बीच में बैठी थी...
“अरे देख क्या रही हो मेरी जान... अपनी चूत का रस साफ़ नहीं करोगी?” लल्लन ने अपनी जांघ को मालती के जिस्म पर सहलाया...
मालती ने झुक कर लल्लन के हथियार को चूमा... और फिर अपनी जीभ से चांट कर साफ़ किया... इतना तगड़ा लॉलीपॉप... कॉलेज के बाद आज मिला था उसे... बिना देर लगाए उसने लंड अपने मुह में ले लिया!
“अरे हमने तो केवल सफाई करने को कहा था... लगता है दिल भरा नहीं अभी तुम्हारा...” लल्लन ने दोनों टांगों से मालती के मुह को अपने लंड पर दबा दिया....
स्लर्र्र्र..... सप्प्प्प.... ऊह्ह... मालती ने जैसे ही लंड को चूसना शुरू किया लल्लन नि नसों में फिर से खून भर गया... मालती की जीभ लल्लन के लंड की एक एक नस को महसूस कर रही थी... लल्लन का शैतान फिर से जाग चुका था.... उसने अपने एक पैर से मालती को अपने लंड से अलग किया...
चट्ट.... चटाक... मालती की गांड पर लल्लन ने दो चपेट मारे...
इशारा काफी था मालती के लिए... वो समझ चुकी थी... कि अब बारी उसकी गांड की है...वो ठीक थी... लल्लन जी अब उसकी गांड मारने वाले थे... लल्लन ने अपने हाथ फिर मालती के चुत्तडों पर फिराये...
इशारा समझते हुए मालती ने अपने चुत्तड ऊपर उठा लिए... अभी कल ही तो ठाकुर ने उसकी गांड मारी थी.... और आज अब लल्लन जी... हाय इनका लंड तो ठाकुर जी के लंड से भी बड़ा है....
“लल्लन जी.... पीछे नहीं.... प्लीज़.....” मालती ने कोमल आवाज में धीरे से गुजारिश की...
“क्यों पीछे क्या कांटे लगा रखे हैं तूने?” हाहा... एक ऑफ जोर की चमाट मारी मालती की गांड में!
मालती ने अपनी गांड और उचका ली...
लल्लन मुस्कुराया....
मालती ने अपनी गांड पर लल्लन का लंड महसूस किया...लल्लन ने मालती की गांड में अपने दोनों अंगूठे डाल कर उसे थोड़ा फैलाने की कोशिश की... पर मालती ने अपना गुदाद्वार अन्दर की ओर भींच रखा था... इतनी आसानी से गांड देने वालों में नहीं थी वो... लल्लन ने फिर से स्पैकिंग की...
“आउच...आह लल्लन जी...” चपाट पड़ते ही मालती ढीली पड़ गई... लल्लन जी ने पास में रखे तेल की बोतल से थोड़ा तेल मालती की गांड में गिरा दिया...
लल्लन जी के ने दोनों हाथों को ऊपर ले जाते हुए मालती के दोनों स्तनों को जकड़ लिया... और पीछे से हौले हौले गांड में लंड सरकाने लगे...
इतनी बार गांड मरवाने के बाद भी मालती की गांड कसी हुई थी... पर लल्लन का पौरुष भी कहाँ कम था.. थोड़ी कोशिश के बाद ही लल्लन का लंड मालती की गांड में था... दोनों हाथ ऊपर उसके स्तनों पर शरारत कर रहे थे... मालती की पीठ लल्लन के सीने से सटी हुई थी... वो पीछे से कभी मालती के गले को चूमता... कभी उसकी गर्दन चान्टता.. तो कभी हौले से उसके कान चबा लेता... मालती चरम पर थी... अपने एक हाथ से वो अपनी चूत मसल रही थी और एक हाथ से बेडशीट भींच रखी थी... लल्लन ने चोदना शुरू किया...
आह... मर गई... उई मा.... औह...आह....
लल्लन धक्के लगा रहा था... मालती अपनी चूत मसले जा रही थी.. लल्लन के दोनों हाथ उसकी चूचियां मसल रहे थे... लल्लन का लंड जब अन्दर तक जाता तो मालती की जान निकल जाती... उसे इसमें मजा आ रहा था... लल्लन अब पूरे जोश में था... पूरी लगन के साथ वो छोड़ रहा था मालती को अब... पूरे कमरे में मालती की चीखें गूँज रही थी...
आह... ऊह... आः.... उफ्फ्फ.... दोनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे...
लल्लन ने लंड को मालती की गांड से निकाला ... और मालती की चूत में पेल दिया... अब वो मालती के जिस्म से चिपका पीछे से धक्के मार रहा था... अपने पौरुष में जकड़ रखा था उसने मालती को... औउह... मालती भी पूरा साथ दे रही थी उसे... लल्लन ने पोजीशन बदली... उसने वैसे ही मालती को उठाया... और खुद लेट गया... और मालती को अपने ऊपर बैठा लिया...
अब वो मालती के चेहरे को देख रहा था... दोनों हाथ मालती की कमर पर थे... नीचे से लल्लन ने स्ट्रोक मारना शुरू किया... तो मालती से भी रुका नहीं गया... वो लल्लन के लंड पर गांड मटकाने लगी... वो उसके लंड की एक एक नस को एक बार फिर महसूस कर रही थी... उम्म्ह... मालती की आन्हें और भी तेज हो गई... वो झड़ रही थी... मालती को झड़ता देख लल्लन भी खुद को रोक नहीं पाया... मालती अब फिर से लल्लन के नीचे थी... और लल्लन जोर जोर से अपना लौड़ा मालती की चूत में पेलता हुआ एक बार फिर से झड़ गया!
मालती की चूत ने सारा वीर्य अन्दर निगल लिया!
उसने लल्लन के होंटों को मुस्कुराते हुए चूमा –मानो शुक्रिया अदा कर रही हो! लल्लन ने भी शरारत के साथ उसके होंट को अपने दांतों से काट लिया...
मालती उठी और पास के बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ किया...जबकि लल्लन वहीँ लेटा रहा...
मालती बाथरूम से आकर लल्लन के पास ही लेट गई....दोनों एक दूसरे के जिस्म में लिपटे कब सो गए पता भी नहीं चला!


सुबह लल्लन की जल्दी उठने की आदत थी... उसकी नींद पांच बजे खुल गई... अपने बगल में मालती को नंगा देख कर उससे रहा नहीं गया... उसने मालती को भी अपने लंड की चुभन ने जगा दिया!
“ओहो... क्या है... सोने दीजिये न...” मालती आँखे बंद किये किये बोली!
“हाँ मेरी रानी...सो लेना पर ये जो सुबह सुबह तेरी वजह से जाग गया है उसका क्या?”
“उम्म्म... आप भी बड़े नौटी हो...”
लल्लन ने पीछे से मालती को अपनी बाहों में ले लिया और अपनी एक टांग मालती के ऊपर चढ़ा ली!
“मानेंगे नहीं आप... छोड़िये न...” मालती बोली!
“हेहे... छोड़ने के लिए थोड़े न पकड़ते हैं हम..” लल्लन ने अपना डायलॉग मारा!
मालती की नींद ये सुनते ही पूरी तरह खुल गई... और दिल की धड़कन भी बढ गई!
“उम्म्म.. सुबह सुबह नीयत खराब?”
“उम्म्ह जानेमन... तुम जैसी माल बिस्तर पे हो तो किसकी नियत नहीं खराब होगी...”
लल्लन का लंड मालती की चूत पे दस्तक दे रहा था... मालती ने अलग होने की कोशिश की पर लल्लन ने उसे अछे से अपनी गिरफ्त में ले रखा था...
लल्लन ने पीछे से ही मालती की चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया...
“आह... कितने बदमाश हो आप” मालती हलकी आह के बाद बोली...
“ये तो सारा जहाँ जनता है मेरी जान...”
और फिर लल्लन ने मालती को ऐसे ही स्पून पोजीशन में 10 मिनट तक चोदा...
चुदाई के बाद मालती ने लल्लन के लौड़े को अपनी जीभ से साफ़ किया...
अब तक लल्लन का प्रेशर बन चुका था...वो मालती को वहीँ छोड़ कर बाथरूम में हगने चला गया...
फिर दोनों ने साथ में ही नहाया...

मालती ने लल्लन को एक रात में ही अपने हुस्न का दीवाना बना लिया था, लल्लन का बस चलता तो वो दिन रात बस उसे चोदता रहता...और मालती को भी लल्लन का लंड कुछ जादा ही पसंद आ गया था.. और उससे भी ज्यादा लल्लन जी के अंदाज की वो कायल हो गई थी!
बीती रात की याद उसके चेहरे पर बार बार मुस्कान ला रही थी!

उधर अफरोज़ सुबह सुबह फार्महाउस पंहुचा...
मालती की साड़ी अभी भी पूल के पास ही जमीन पर पड़ी थी!
“हाहा... चुद गई साली...” मालती की साड़ी को जमीन पर बिखरा देख उसके मन में ख़याल आया! उसने लल्लन जी को फोन किया... फोन रिसीव नहीं हो रहा था...
हो भी कैसे ... लल्लन जी तो बाथटब में लेटे मालती की ले जो रहे थे...


मालती मानो हनीमून मना रही थी लल्लन के साथ... पर ये शादी वाला हनीमून नहीं थी... ये तो पोलिटिकल हनीमून था उसका... लल्लन जी को समर्पित कर दिया था उसने खुद को... दीवानी हो गई थी वो लल्लन जी की मर्दानगी की!

मालती फार्महाउस से सीधे अपने होटल गई... और फिर चेंज करके वापस पार्टी ऑफिस पहुंची...लल्लन ने इस सबके लिए उसे डेढ़ घंटे का समय दिया था... और वो समय से पहले ही ऑफिस पहुच गई!
आज से इलेक्शन की कैम्पेनिंग शुरू होनी थी... और इसीलिए ऑफिस में भीड़ भी बहुत थी! मालती सीधे विधायक जी के केबिन पहुची...
कमरे में विधायक लल्लन के अलावा अफरोज और कुछ एक दो ख़ास कार्यकर्ता मौजूद थे... मालती ने आज हलकी गुलाबी साड़ी पहनी थी...और हमेशा की तरह आज भी वो गजब की लग रही थी!
“गुड मोर्निंग विधायक जी...” मालती मुस्कुराती हुई बोली...
“गुड मोर्निंग...गुड मोर्निंग... आइये मोहतरमा... आपका ही इंतज़ार हो रहा था”
मालती मुस्कुराई...
हाँ तो आज से मेरे ऑफिस की सारी जिम्मेदारी मालती ही संभालेगी... वो साला मुरारी अब बुढा गया है...
“हाहाहा...” सबने जोर के ठहाके लगाए...
“मालती तुम इसके साथ साथ ऑफिस में आये सारे लेटर्स और एप्लीकेशन भी देखोगी..” लल्लन ने मालती को उसका काम समझाते हुए कहा..
मालती ने सहमति दी...
ऑफिस में लेटर अप्लिकेशन तो आते नहीं थे...जो आते भी थे वो कूड़ेदान में ही जाते थे... लल्लन ने मालती को फुर्सत का काम दिया था..!
“पर लल्लन जी... वो...” मालती बोली
“क्या...”...
“वो मैं चाहती थी कि आपके साथ कैम्पेन में आपकी हेल्प करू...”
“हाहाहा.... हाँ क्यों नहीं... बिलकुल... पर क्या है कि तुम पार्टी में अभी नइ हो... थोड़ा समय गुजारो... तुम्हे भी मौका मिलेगा... पहले जानने तो दो लोगों को कि तुम हो कौन...और वैसे भी यहाँ हमरे इलाके में तो जरूरत ही नहीं होती कैम्पेन की... सारा का सारा वोट हमी को मिलता है....” लल्लन ने मालती को समझाया!
बात भी सही थी... जीतना तो लल्लन को ही होता था... कोई कितनी भी कोशिश कर ले!
“और अब तुम पर्सनल सेकेटरी हो हमारी... सीख जाओगी यहाँ की राजनीति भी..” लल्लन ने कहा!
मालती मुस्कुराई!
दिन भर यूं ही ऑफिस में काम चलता रहा... लल्लन ने एक दो पब्लिक मीटिंग भी की...मालती भी दिन भर लल्लन के आस पास ही थी पर कई बार कोशिश के बावजूद भी लल्लन को मालती के साथ शरारत का वक्त नहीं मिला... इतनी व्यस्तता और भागादौड़ी में रात के 10 कब बज गए पता ही नहीं चला...
पार्टी ऑफिस में अब कुछ लोग ही बचे थे...
“उम्म्म... लल्लन जी! गजब की फैन फोल्लोविंग है आपकी... मुझे पूरा यकीन है इस बार भी आप ही जीओगे” मालती मस्का लगाती हुई बोली!
“हाहाहा...वो तो बच्चा बच्चा जानता है यहाँ... वोट पड़ेगा तो हमारे लिए ही पड़ेगा” लल्लन ने मालती की कमर पर हाथ सहलाते हुए कहा!
मालती मुस्कुराई....”डिनर नहीं करेंगे आप? 10 बज गए हैं...”
“भूख तो बहुत लगी है हमें...” मालती की आँखों में झांकते हुए लल्लन ने कहा...!
“तो चलिए न...” मालती मुस्कुराकर बोली... “आपको आज स्पेशल डिनर कराती हूँ... दिन भर की थकान छू मंतर हो जाएगी..”
“हाहाहा... इरादे ठीक नहीं लग रहे हमें तुम्हारे...” मालती को टीज़ करते हुए लल्लन बोला!
“अच्छा जी... आप करो तो रासलीला, और मैं करू तो कैरेक्टर ढीला?” मालती ने लल्लन को टीज़ किया!
“अच्छा अच्छा ठीक है...ठीक है...” लल्लन अपना लंड खुजाते हुए बोला!
“तो चलें?” मालती ने पूछा!
“लगता है तुम्हे भी जोरों की भूख लगी है...” मालती की गांड को दबाते हुए लल्लन बोला!
मालती मुस्कुराई... और फिर अपना बैग उठाया, मानो चलने के लिए बिलकुल तैयार हो! उसके मन में शरारत थी... उसे लल्लन का लंड याद आ रहा था...
पर लल्लन भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था, ठरकी था, पर चूतिया नहीं... अपना अच्छा भला अच्छी तरह से जनता था! कल रात की चुदाई से उसे ये तो पता चल ही गया था कि मालती कितनी बड़ी चुदक्कड है... और उसे ये भी अंदाजा था कि उसने घाट-घाट का पानी पिया होगा! कॉलेज की पॉलिटिक्स... और फिर अब ठाकुर के होटल की मैनेजर.. इस सबके बाद अब वो उसकी पर्सनल सेकेटरी थी...और अब उसकी औकात लल्लन की नज़र में एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं थी.
और फिर अपने ऊपर किसी तरह की मुसीबत नहीं चाहता था वो, और खासकर चुनावों तक!
पर दीवाना तो वो भी हो गया था मालती के हुस्न का...और हुस्न के दीवानो का ठरक तो आप अच्छे से जानते हैं, उन्हें मतलब होता है अपना ठरक शांत करने से! बस! क्यों सही कहा न मैंने?
मालती ने लल्लन से एक बार फिर डिनर के लिए पूछा... पर तभी शहर का एसपी ऑफिस आ गया!
“नमस्कार विधायक जी... पाई लागू...” एसपी ने आकर विधायक के पैर छुए!
“आइये आइये... कहिये कैसे आना हुआ...”
“बस आपका आशीर्वाद लेने चले आये”
एसपी मालती को देख कर चौंक गया...
“अरे मोहतरमा आप यहाँ? फिर से होटल में कुछ प्रॉब्लम हो गई क्या?”
“अरे नहीं नहीं...लल्लन जी के होते हुए ऐसा हो सकता है अब?” मालती मुस्कुरा कर बोली...

“हाहाहा... अब मोहतरमा यहीं मिलेंगी... पॉलिटिक्स ज्वाइन करवा दी है हमने इन्हें... टैलेंट बर्बाद जा रहा था इनका...” मालती की गांड में हाथ फेरते हुए लल्लन बोला... और फिर लल्लन और एसपी दोनों ठहाके लगा कर हंसे...! मालती मुस्कुराइ... मुस्कुराने के अलावा कर भी क्या सकती थी!

“क्या लेंगे एसपी साहब?”
“आप तो जानते हैं विधायक जी...”
“हाहाहा... हाँ जानते हैं... अच्छे से जाने हैं एसपी साहब”
“अरे जरा ब्लैक डॉग से दो पेग बना लाना....” लल्लन ने मालती को इशारा किया!
“हाँ तो कहिये... इतनी रात कैसे आना हुआ?”
“अरे लल्लन जी...वो थोड़ी प्रॉब्लम हो गई है”
“कैसी प्रोब्लम?”
“अरे हमपे ऊपर से दबाव डाल रहे हैं... वो अफरोज को गिरफ्तार करने का..”
मालती ड्रिंक्स ले आई...
लल्लन ने मालती को घर जाने को बोला... और अफरोज को कहा कि मालती को घर तक छोड़ दे! लल्लन के बोलने के अंदाज से मालती समझ गई कि आज की रात उसे अकेले ही गुजारनी पड़ेगी! वो अफरोज के साथ घर चली गई!
मालती के जाने के बाद बात फिर शुरू हुई...
“अरे अब क्या नया बवाल है? वो वाला मामला तो बंद करवा दिया था न हमने!”
“अरे विधायक जी... इलेक्शन का टाइम है... और ये पॉलिटिक्स तो आप जानते ही हैं... सब कांस्पीरेसी है आपके खिलाफ” एसपी बोला!
“हाँ जानता हूँ... और ये किसका काम होगा ये भी अच्छे से जानता हूँ!” लल्लन गुस्से में बोला...!
“लल्लन जी हम तो बस आपको इन्फॉर्म करने आये थे...”
“इनाम मिलेगा तुम्हे इसका...”
“अफरोज को कैसे बचाना है ये अब तुम्ही को सोचना है... कहेका हम तो चुनाव में वस्त हैं, और एक बार चुनाव निपट गए फिर किसी की हिम्मत ना होगी एक शब्द बोलने की!”
“आप निश्चिन्त रहिये विधायक जी... बस अफरोज मियां से कह दीजियेगा कि सतर्क रहें कुछ दिन”
और फिर एसपी इजाज़त लेकर चला गया!
अब तक अफरोज भी मालती को छोड़ कर वापस आ चूका था!
“आओ अफरोज....आओ... बुरी खबर है तुम्हारे लिए”
“क्या फिर से??”
“हाँ.. अभी एसपी उसी सिलसिले में आया था!... बस थोड़ा संभल कर रहो चुनावों तक... यही सलाह है मेरी तुम्हारे लिए!”
“जी मालिक!”
“और मालती को छोड़ आये?”
“हाँ छोड़ आया... “
“यार मुझे न जाने क्यों ये औरत ठीक नहीं लग रही” लल्लन ने अफरोज से कहा!
“जी अब मैं क्या बोलूं... मेरे से जादा अच्छे से आप जानते है उसे” अफरोज मुस्कुराकर बोला!
“चालू लगती है मुझे ये... और चालबाज भी”
“हो सकता है मालिक... औरत के दिमाग में क्या चल रहा है ये पता लगाना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है” अफरोज बोला!
“हाहाहा...ठीक कह रहे हो...” लल्लन बोला!
अफरोज लल्लन का सबसे करीबी था... दोनों अच्छे दोस्त भी थे... दोनों की दोस्ती कोलेज में हुई थी... लल्लन का जूनियर था अफरोज पर हरमपने में कहीं से कम नहीं! और यही कारण था दोनों की दोस्ती का! लल्लन के घरवाले राजनीति में पहले से थे इसलिए अफरोज भी लल्लन के साथ ही हो लिया!
और जिस केस की बात हो रही थी वो था एक परिवार के मर्डर का! हां पूरे परिवार के मर्डर का! हुआ ये था कि पिछले साल न्यू इयर के दिन दारू के नशे में अफरोज और उसके दोस्तों ने अपने ही एक दोस्त के घर में घुस कर उसकी बहन को जबरजस्ती चोद दिया था.. जब वो वापस आया तो फिर दोनों में कहा सुनी हुई... और फिर अफरोज और उसके दोस्तों ने मिलकर उस लड़के को जैम कर पीटा.. और फिर उसी के सामने उसकी बहन और माँ दोनों को कुतिया बना कर चोदा था! और फिर तीनों को गोली मार दी! ये केस उस समय थोड़ा उछला पर पुलिस से सेटिंग और ऊंची पहुच के चलते मामला दब गया था!
लल्लन नहीं चाहता था कि चुनाव के समय ऐसी कोई बात उछले! वैसे इस सबका फरक उसकी जीत पर तो नहीं पड़ता पर फिर भी वो नहीं चाहता था कि ये वाला मैटर दुबारा खुले!









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