Tuesday, April 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी पहली नोकरि

FUN-MAZA-MASTI


 मेरी पहली नोकरि 



मुझे मेरे छ्होटे से शहर से मुझे दिल्ली ले कर आ गई. मैं दिल्ली नोकरि करने नही बल्कि आगे पढ़ने आया था पर हालत ऐसे बने की मुझसे फीस का जुगाड़ करना भी भारी पड़ने लगा. इस कारण हार कर मुझे नौकरी की तलाश मे निकलना पड़ा. नौकरी मिलना आज के समय मे कितना मुश्किल काम है ये आप सब अच्छी तरह से जानते है. मुझे भी कोई ढंग की नौकरी नही मिली. मैं सुबह से ले कर शाम तक यहाँ से वहाँ ओर वहाँ से यहाँ फिरता रहता. आख़िर तक कर मैने एक गेस्ट हाउस मे नौकरी कर ली. गेस्ट हाउस मे मेरा काम वहाँ ठहरने वाले लोगों का समान कमरे तक पहुँचना उनकी रूम सर्विस करना आदि था. सुरुआत मे मुझे ये काम बिल्कुल अच्छा नही लगता था पर मैं ये काम मजबूरी मे करता रहा. धीरे धीरे मैं वहाँ के स्टाफ मे घुल मिल गया. मेरे साथ वहाँ पर विनोद नाम का एक लड़का ओर काम करता था उसे वहाँ काम करते हुए 5 साल हो चुके थे. वो एकदम मस्त लड़का था. मेरी ओर उसकी ड्यूटी रात मे होती थी. मैने तो रात की ड्यूटी अपनी पढ़ाई की मजबूरी मे ली थी. पर विनोद रत की ड्यूटी करना ही पसंद करता था. क्यो.....? ये भी मुझे कुच्छ ही समय मे पता चल गया.
विनोद रत 10 बजे तक ड्यूटी करने के बाद गायब हो जाता था. कुच्छ दिन तक तो मुझे पता नही चला पर धीरे धीरे मुझे शक होने लगा था की वो कुच्छ गड़बड़ करता है. मैने उसकी जासूसी करनी शुरू कर दी.
कई बार रूम सर्विस करते समय मैने उसे रूम्स के आस पास ऐसे ही टहलते हुए देखा तो मेरा शक ओर भी पक्का हो गया.
अब मेरा ध्यान हर समय उस पर ही लगा रहता.
धीरे धीरे पता ये चला की वो ज़्यादातर उन कमरो के आस पास घूमता था जिन कमरों मे या तो कोई लड़की ठहरी होती थी या कोई जोड़ा ठहरा होता था.
उसने कई जुगाड़ बना रखे थे जहाँ से वो कमरे का नज़ारा देखा करता था. लड़कियों को नहाते हुई ओर चेंज करते हुए देखने की उसे पुरानी आदत थी. किसी रूम मे कपल के ठहरने पर तो उसकी चाँदी हो जाती थी. क्योंकि उसे मुफ़्त मे लिव ब्लू फिल्म देखने को जो मिल जाती थी. एक दिन मैने एक रूम की खिड़की से झँकते हुए पकड़ लिए. मुझे देखते ही उसके चेहरे का रंग पीला पद गया ओर वो हकलाने लगा.
राजीव यार म... म. मैं तो खिड़की को ठीक से बंद कर रहा था.
मैने कहा : सचमुच?
मेरे प्रश्न का विनोद के पास जवाब नही था.
मैने कहाँ मुझे बताओ तुम क्या कर रहे थे वरना मैं मॅनेजर को बतौँगा की तुम रूम्स की खिड़कियों मे झँकते हो.
वो मेरे पैरों मे गिर गया ओर कहने लगा यार प्लीज़ किसी से मत कहना. मेरी नौकरी चली जाएगी......
मैने कुच्छ देर सोचने का नाटक किया ओर फिर उससे कहा मुझे पूरी बात बता फिर मैं सोचता हू की बताऊं या ना बताऊं.
उसने मुझे बताया की वो अक्सर रूम्स की खिड़कियों मे झँकता है.
मैने पूचछा: हर कमरे मे झँकते हो?
विनोद: नही यार. जिसमे भी कोई माल आया होता है.
राजीव: माल क्या? (अंजन बनते हुए)
विनोद: अरे यार कोई जवान लड़की या आंटी. अगर किसी कमरे मे जोड़ा ठहरा हो तो लॉत्तरी ही लग जाती है.
राजीव: कैसे?
विनोद: तू बुधहू है एकद्ूम. जोड़ा होगा तो दोनो चुदाई नही करेंगे क्या.
राजीव: चुदाई?
विनोद: तुझे तो प्रॅटिकल दिखाना पड़ेगा?
राजीव: चल दिखा?
विनोद: अभी कोई कुच्छ नही करने वाला है. अभी तो 9 भी नही बजे थोड़ा रूको.
राजीव: तो अभी क्या कर रहा था.
विनोद: एक मस्त पाठखा है इस कमरे मे उसे ड्रेस चेंज करते हुए देख रहा था. तू 1 घंटा रुक जा फिर दिखना हू आज एक मस्त जोड़ा आया हुआ है.
राजीव: ठीक है. टाइम पर बुला लेना.

 मैं विनोद का इंतजार करता रहा लग रहा था बहुत समय हो गया है बार बार घड़ी देख रहा था. लगभग २ घंटे के बाद वो वापस आया
मैं : कहाँ मार गया था
विनोद: अरे यार साले मेनेज़र ने काम मे उल्ख़ा दिया था पर मैं भी उस्ताद हू लगातार उस जोड़े पर नज़र जमाए हुए था दोनो बाहर घूमने गये थे अभी वापस आए है. उनके आते ही मैने मेनेज़र को गोली दी ओर भाग आया हू.
फिर हम दोनो उस जोड़े के रूम के पीछे लगी खिड़की से लग गये
अंदर एक म्र्ड ओर एक लड़की थी.


क्या मस्त माल था मेरी तो देखने मे ही हालत खराब थी. अभी नज़ारा शुरू ही हुआ था लड़का लड़की को छ्हों रहा था ओर लड़की उसकी पीठ पर हाथ फिरा रही थी
दोनो ऐसे किस कर रहे थे जैसे फिल्मों मे इमरान हाशमी किस करता है. लगभग ५ मिनट किस करने के बाद लड़का अलग हुआ ओर लड़की का टॉप उतार दिया टॉप उतरते हे लड़की की रेड कलर की ब्रा नज़र आने लगी. लड़की कयामत लग रही थी मेरा पप्पू उसे इस हालत मे देख कर अकड़ कर खड़ा हो गया था जैसे कह रहा हो इस साले भद्वे से पहले मैं इस लड़की को छोड़ूँगा. मैने अपने छोटू को अड्जस्ट किया ओर फिर से नज़ारे देखने मे मस्त हो गया. तब तक लड़की भी लड़के की कमीज़ उतार चुकी थी ओर एकद्ूम मस्त हो कर उसे सीने पर चूमे जा रही थी काटे जा रही थी लड़के ने उसकी ब्रा उतार दी थी ओर उसके माममे मसले जा रहा था जैसे उसका सारा दूध आज ही नकल देगा. अब लड़की से रहा नही जा रहा था वो बार बार लड़के के लॅंड पर पंत के उपर से ही हाथ फिरा रही थी . लड़के ने उसका इशारा समझते हुए अपनी पंत उतार दी. पंत उतरते ही लड़की ने खींच कर उसकी उंदरवेार उतार फेंकी. अंडर वेर उतरते ही लड़के का लॅंड फुंफ़कार्ता हुआ बाहर आ गया ओर सीधा लड़की मूह पर टक्कर मरने लगा लड़की ने भी देर ना करते हुए उसे चूम लिया ओर फिर उसे सारा अपने मूह मे ले लिया ओर गन्ने की तरह चूसने लगी
लड़के से रहा नही जा रहा था उसकी आँखे मदहोशी से बंद होने लगी. ओर वो ज़्यादा देर तक लड़की की गर्मी सह नही पाया ओर उसके मूह मे झड़ गया. लड़की ने चाट चाट कर पुर लॅंड को सॉफ किया पर तब तक उसकी छ्होट से गंगा जमुना बहाने लगी थी.

उसने जैसे ही लड़के के लॅंड को छोड़ा लड़के ने उसे बेड पर बिता दिया ओर उसकी टाँगों को छोड़ा करके उनके बीच मे पाना सर दे दिया लड़की इस अटॅक के लिए तय्यार नही थी उसकी साँसे . मे बंद होने लगी ओर उसने अपने . के सर को अपनी छूट पर दबाना शुरू कर दिया छूट एकद्ूम चिकनी थी जैसे आज ही उस पर मेहनत की गई हो ओर बाल रिमूव किए गये हो बीच मे एक छोटी सी धरी जीतने बॉल चदे गये थे लड़का तो एकद्ूम दीवाना हो गया था ओर चाव से उसकी छूट को खाए जा रहा था लड़की ने हिचकोले खाने शुरू कर दिए थे ओर कुच्छ ही समय मे उसने भी लड़के को अमृत पॅयन करवा दिया. फिर लड़की पास मे पड़ी टेबल पर हाथ रख कर आयेज को झुक गई ओर लड़के को कहने लगी जानू आज मेरे होश उड़ा दो. मुझे जी भर कर छोड़ो.

तभी हमे गलियारे मे किसी के चलने की आवाज़ आई . इस वक़्त कों हो सकता है.............

मेरी ओर विनोद दोनो की फट गई. दोनो भाग कर कोने मे बने टाय्लेट मे चुप गये. देखा तो मॅनेजर हमे ही ढूंढता हुआ आ रहा था. दोनो की हालत खराब थी. मैने पुछ विनोद अब क्या करे. उसने कहा डरने की कोई बात नही है. इसे आगे जाने दे हम पिछ्ले दरवाजे से नीचे चले जाएँगे किसी को पता भी नही चलेगा.

नीचे पह्नचे तो दूसरे लड़के ने बताया की मॅनेजर दोनो को बहुत देर से याद कर रहा था. इतने मे मॅनेजर आ गया उसने पूछा तुम दोनो कहाँ थे. मैने तो कह दिया सिर मेरा पेट खराब है टाय्लेट गया हुआ था. विनोद ने कहा मैं तो खाना खा रहा था.

मॅनेजर: खैर मैं आज घर जर रहा हू. राजीव तुम पढ़े लिखे हो तुम रिसेप्षन के पास ही रहना कोई गफलत मत करना.
मे: जी सर. यहीं रहूँगा.
मॅनेजर के जाते ही मैने विनोद को देखा ओर आँख मारी.
उसने झट से मुझे अकेले जाने का इशारा किया. मैने 2 -3 टॉवेल उठाए ओर उपर चल दिया जैसे टॉवेल सप्लाइ करने जर रहा हू.

उपर जा कर मैने टॉवेल तो एक खाली रूम मे रख दिए ओर फिर उसी खिड़की पर पहुँचा.

अंदर तो हालत ही बदल गये थे.


लड़का बेड पर लेटा हुआ था ओर लड़की उस पर बैठी हुई थी मेरी तरफ लड़की का मूह था. लड़के का खड़ा लॅंड लड़की की चूत के अंदर था ओर लड़की उस पर कूद रही थी. हर झटके के साथ लड़की की आह निकल रही थी. लड़की की चूंचिया एकदम मस्त लग रही थी. एकदम गोल जैसे सन्नी लीयोन की चूंची हो. हर झटके के साथ उसकी चूंचिया उपर ओर नीचे हो रही थी. लड़की सायद रस छोड़ चुकी थी क्योंकि लड़के की जाँघो पर से लड़की का रस छू रहा था.
सारा कमरा उनकी नशीली आहों से गूँज रहा था. फिर लड़के ने लड़की को घूमने को कहा. लड़की के घूमते ही लड़के ने अपना लॅंड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर फिराया ओर उसे ठीक से गीला करके उसकी गांद पर लगा दिया. लड़की मना करने लगी. कहने लगी मैने कभी गांद नही मरवाई है इसे छोड़ दो पर लड़के ने कहा नही मरवाई है तो आज शुरुआत कर ले लड़की उठ खड़ी हुई. लड़के ने उसे पकड़ा ओर उल्टा लिटा दिया ओर उसकी गांद पर लॅंड सेट कर दिया.

जैसे ही उसने गांद पर अपने लॅंड की ज़ोर दिया लड़की चीखने लगी.पर लड़के पर इसका कोई असर नही हुआ उसले अपना लॅंड अंदर डालना शुरू कर दिया. लॅंड की टोपी अंदर जा चुकी थी ओर लड़की दर्द से चिल्ला रही थी ओर उसे लॅंड बाहर निकालने की मिन्नत कर रही थी. पर लड़के के इरादे अब कुच्छ ओर ही लग रहे थे उसने ओर ज़ोर लगाया ओर आधा लॅंड अंदर जा चक्का था. अल्दकी की हालत खराब थी. लड़का कुच्छ समय रुक गया फिर उसने एक जोरदार झटका मारा ओर सारा लॅंड अंदर दल दिया. लड़की फिर चिल्ला उठी. लड़के ने समझाया जितना दर्द होना था हो चक्का. अब तो मज़े ही मज़े है तो सहयोग करेगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा. फिर लड़के ने झटके मरने शुरू कर दिए कीच्छ समय बाद लड़की भी गर्म हो गई ओर अपने कुल्हो को पीच्चे की तरफ धकेल कर मज़े लेने लगी. लड़का टाइट गांद को ज़्यादा समय झेल नही पाया ओर उसकी गांद मे पाने वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा.

अब दोनो के चेहरे पर संत्ुस्ती के भाव नज़र आ रहे थे. दोनो इकडम थक चुके थे जैसे 20 माइल भाग कर आए हो.
अब मेरा ये रोजाना का शेड्यूल बन गया था. मैं रोज इसी तलाश मे रहता था की कोई जोड़ा मिले ओर मैं चुदाई देखु. कई बार मौका मिलता था तो कई बार रात भर जागने के बावजूद साले कुच्छ नही करते थे.

जब भी मैं चुदाई देखता था तो मेरा लॅंड घंटाघर की तरह खड़ा हो जाता था. मैं इससे बड़ा परेशन रहता था. एक दिन मैने ये बात विनोद को बताई तो वो खूब हॅशा फिर बोला साले इसे हिला ले ओर इसका पानी निकल ले. मैने कहा कैसे करते है यार.

विनोद ने मेरी पॅंट खोली ओर मेरे लॅंड को हाथ मे ले लिए ओर बोला साले इतना बड़ा हथियार है ओर इसका इस्तेमाल आता नही है. कह कर उसने मेरा लॅंड हिलाना शुरू कर दिया मैं तो मस्त हो गया ओर मेरी आँखे अपने आप बंद हो गई. मेरी आँखो के सामने जितनी चुदाई मैने देखी थी उनके सीन घूमने लगे कुच्छ ही समय बाद मेरे लॅंड ने पिचकारी छ्चोड़ दी.

विनोद ने कहा साले क्या तुझे मूठ मारनी भी नही आती मैने कहा किसी ने सिखाई ही नही. विनोद बोला तो रोज चुदाई देख कर क्या करता है.

मैं: मैं तो सो जाता हू. बस जब सुबह उठता हू तो मेरी चड्डी आगे सी गीली होती है.

विनोद: तो क्या तूने कभी कुच्छ नही किया
मैं: मैने तो चूत के दर्शन भी यही आ कर किए है.

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