Sunday, April 13, 2014

raj sharma stories - सपना और ज्योति-2

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  raj sharma stories -

सपना और ज्योति-2

गतान्क से आगे...................
सपना ने मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए. मैं जब केवल अंडर वेअर में रह गया तो उसने भी ब्रा और पैंटी को छोड़कर अपने बाकि कपडे उतार दिए. अब उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगी. मैंने सोचा कुछ देर के बाद मैं सपना को सब बता दूंगा. फिर जो होगा वो देखा जाएगा क्यूंकि मैं अब फंस तो गया हूँ. बचने का कोई रात्सा है ही नहीं. तो बेहतर है सब कुछ बता देना ही. मैं और ज्योति दोनों पलंग पर लेट गए. मुझे ज्योति का साथ भी बहुत अच्छा लग आहा था. मैं बार बार उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपने हाथ फिरा रहा था. अब मैंने भी ज्योति को चूमना शुरू कर दिया. अचानक ज्योति ने मेरे होंठों पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं पागल हो गया. उसका चुम्बन इतना गीला होगा मैंने कल्पना भी नहीं की थी. मैं बार बार उसे कसकर पकड़ता और वो मुझे उतने ही जोश और गर्मी से चूमती जाती.
हम दोनों इसी चूमाचाटी में खोये हुए थे की अचानक बाथरूम का दरवाजा खुल गया. मैं घबराकर इधर उधर देखने लगा. सपना बाहर निकालकर आ गई. वो ब्रा और पैंटी में ही थी. ज्योति ने मेरी तरफ देखा और बोली " तो तुम्हें अब इतना झूठ बोलना आ गया है. " सपना हमारे पलंग पर आकर बैठ गई और ज्योति से बोली " इसमें इसका कोई कुसूर नहीं है ज्योति; हम दोनों के कारण ही इसकी यह हालत हुई है. हम दोनों इसे कब से देखकर ललचा रहे थे. एक एक के हाथ तो ये आ गया था आज पहली बार हम दोनों को एक साथ ये मिला है. " मैं अब सब समझ गया कि हकीकत क्या है. इसका मतलब यह है कि ये दोनों ही मुझे पसंद करती है और मेरे साथ ये सब करना चाहती थी. ये बात इन दोनों को आपस में पता भी थी. ज्योति ने सपना का हाथ पकड़ा और बोली " अब तुम भी साथ आ जाओ." इतना कहकर ज्योति ने मुझे अपने से अलग किया और ज्योति को अपने साथ लिटा लिया. सपना ज्योति के पास सट कर लेट गई. अब दो बेहद खुबसूरत जिस्म मेरे सामने थे. दोनों के हर अंग में रस कूट कूट कर भरा हुआ था. दोनों ही ये सारा रस मुझे पिलाने को बेताब थी. अब ये मुझे देखना था कि मैं कितना रस पी पाता हूँ.

सपना ने मुझसे कहा " हमारे प्यारे चिक्कू; आओ." मैं सपना के ऊपर लेट गया. ज्योति ने करवट बदल ली और मेरे और सपना की तरफ मुंह कर लिया. उसने मेरा मुंह सपना के करीब लाकर उसके गालों से छुआ दिया. मैंने सपना को चूमा. सपना ने वापस मुझे चूमा. फिर ज्योति ने मुझे चूमा और मैंने ज्योति को. फिर सपना ने मेरे होंठ कम लिए. अब ज्योति ने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए. मुझ पर एक अलग तरह का नशा चढ़ने लगा. मैं सपनो की दुनिया में जा रहा था ऐसा मुझे लगा. सपना ने अब ज्योति को गालों पर चूमा. ये मेरे लिए बिलकुल नया अनिभव था. दो औरतों को आपस में इस तरह चूमता हुआ देखना. मेरे शरीर में एक सरसराहट सी फ़ैल गई. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने उन दोनों को एक बार फिर यह करने के लिए कहा. उन दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे के गाल चूमे. मुझे अचानक एक ख़याल दिल में आया. मैंने सपना के चेहरे को ज्योति के चेहरे के एकदम करीब ला दिया. वे दोनों मुझे देखने लगी. मैंने अब सपना के होठों की तरफ ज्योति के होंठ बढाए और अपने दोनों हाथों से दबाते हुए उन दोनों के होठों को आपस में मिला दिया. उन दोनों ही के मुंह से एक साथ एक आह निकली और उनका जिस्म हिल उठा. मेरे भीतर भी एक कर्रेंट दौड़ गया. उन दोनों के इस चुम्बन को देखकर मुझे इतना मजा आया कि मैं यहाँ शब्दों में नहीं लिख सकता.ऐसे लगा जैसे हर तरफ एक खुशबू फ़ैल गई और फूल ही फूल बरस रहे हैं. एक औरत के होंठ मनुष्यों के अंगों में सबसे कोमल भाग होता है. जब दो ऐसे कोमल भाग आपस में इस तरह मिल जाते हैं तो कैसा लगता होगा. ये मैंने आज देख लिया. अब मुझे इसे अनुभव करने की इच्छा होने लगी. मैंने उन दोनों के चेहरों को पास ही रहने दिया और अपने होंठ भी उन दोनों के होंठों के करीब ले गया. वे दोनों मेरी इच्छा समझ गई. उन दोनों ने भी अपने अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ बाधा दिए. हम तीनों की गरम गरम सांसें एक दूसरे से टकराकर एक मदहोशी का आलम पैदा कर रही थी. अगले ही पल हम तीनों के होंठ आपस में मिल गए और पूरी तरह सिल गए. हम तीनों के जिस्म में जो बिजली दौड़ी उसने हम तीनों को ही तड़पाकर रख दिया. हम तीनों लगभग पांच मिनट तक इस नमी और बिजली की लहरों का मजा लेटे रहे. फिर हम अलग अलग हो गए.
सपना ने ज्योति को इशारा किया और ज्योति ने तकिये के नीचे से कंडोम निकल लिया. अब सपना और ज्योति ने मेरे और फिर मुझसे उन दोनों के कपडे खुलवा दिए. हम तीनों अब पूरी तरह से बिना कपड़ों के थे. ज्योति और सपना ने मिलकर कंडोम मेरे लिंग पर चढ़ा दिया. सपना बोली " पहले ज्योति की बारी है. मैं तो कल कर चुकी." ज्योति ने अपनी टांगो को फैलाया और मैं उसकी तरफ बढ़ गया. अब मैं अपने लिंग वाले हिस्से को ज्योति की टांगों के बीच फंसा चुका था. कुछ देर में मेरा लिंग ज्योति के जननांग में घुस चुका था. वो भी उसी तरह से आह की आवाजें करने लगी जैसा सपना ने किया था. सपना हम दोनों को बड़े मजे से देखे जा रही थी. मैंने ज्योति के साथ लगभग आधे घंटे तक संभोग किया. फिर मेरे लिंग में से गाढ़ा रस निकलना शुरू हो गया और ज्योति का शरीर कांपने लगा. हमारे होंठ आपस में मुरी तरह से सिल गए. कुछ देर हम युहीं लेटे रहे फिर अलग हो गए.
करीब आधे घंटे के बाद एक बार फिर हम तीनो आपस में लिपट गए. एक बार फिर हम तीनों एक दूसरे को चूम रहे थे और जगह जगह पर पूरी जीभ से चाट रहे थे. हम तीनों के ही जिस्म ऐसे भीग गए थे मानो हम नहाकर आये हों. अब एक बार फिर सपना ने मेरे लिंग पर एक और कंडोम लगाया. अब हम तीनों पीठ के बल नहीं लेटे थे बल्कि टेढ़े लेटे हुए थे करवट बदलकर. मैं और सपना एक दूसरे की बाहों में थे और हम दोनों एक दूजे को चूम रहे थे. ज्योति मेरी पीठ के पीछे मुझे पकड़कर लेती हुई थी और मेरी पीठ और गरदन को चूम रही थी. मैं उन दोनों के बीच इस तरह से था जैसे कोई मसाला दो ब्रेडों के बीच आ गया हो और सैंडविच बन गया हो. अब मेरा लिंग सपन के जननांग में भीतर तक जा चुका था. काफी देर तक मैं सपना की हर तरह की इच्छा पूरी करता रहा. अब मैंने अपना लिंग सपना के जननांग से बाहर निकाला और अपनी करवट बदल ली. अब मैं ज्योति की तरफ मूड गया. अब मैं और ज्योति एक दूसरे को चूम रहे थे और सपना मेरी पीठ और गरदन को. अब ज्योति के जननांग के बहुत अन्दर तक मेरा लिंग घुस चुका था.ज्योति के जननांग के भीतर मेरा लिंग काफी देर तक घूमता रहा.
इसी तरह से मैं अपनी दिशाएँ बदलता गया और उन दोनों के जननांगो में अपना लिंग पूरी मजबूती से घुसाता और निकालता रहा. यह सब सवेरे लगभग पांच बजे तक चलता रहा. मैंने करीब पांच पांच बार उन दोनों के जननांगों को बुरी तरह से भीतर तक अपने लिंग को घुसाकर लाल लाल कर दिया था. अब सपना और ज्योति दोनों पूरी तरह से ताकत चूर हो चुकी थी. ताकत मेरी भी ख़त्म हो गई थी लेकिन मन अभी तक नहीं भरा था. मैंने एक बार फिर उन दोनों के ऊपर लेटकर उन्हें खूब चूमा और उन्होंने भी मुझे खूब मजे ले लेकर चूमा. आखिर में एक बार फिर हम तीनों के एक साथ अपने अपने होंठों को एक साथ चूसा. फिर हम तीनों को नींद आ गई. सवेरे करीब सात बजे ज्योति और सपना की आँख खुल गई जबकि मैं अभी तक सोया हुआ था कारण सबसे ज्यादा शक्ति मेरी ही ख़त्म हुई थी. उन दोनों ने मुझे जगाया. मैं सवेरे के उजाले में उन दोनों को नग्नावस्था में देख कर फुला ना समाया. उन दोनों का जिस्म दिन की रौशनी में बहुत जबरदस्त ढंग से चमक रहा था. वे दोनों अपने अपने घर चली गई. मैं सारे दिन बीती रात को याद करता रहा और यह सोचता रहा ना जाने अब मैं फिर से सैंडविच कब बनूँगा.


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