FUN-MAZA-MASTI
सीता --एक गाँव की लड़की--23
मैं बैठी मन ही मन खुद को कोसे जा रही थी...कितना मजा आ रहा था हम तीनों को...क्या जरूरत थी पूजा के बारे में बोलने की...यही सब सोचते मेरी आँखों में आँसूं उतर आई और बाहर निकालती सिसकने लगी...
कुछ पल रोने के बाद जब आँखें ऊपर उठाई तो ये क्या?श्याम जा चुके थे...और भैया अभी भी बाथरूम में ही थे..मैं तेजी से उठी और माफी मांगने के ख्याल से बेडरूम की तरफ दौड़ पड़ी...
अंदर घुसते ही एक और शॉक सगी...श्याम नहीं थे...उफ्फ...क्या हो रहा है मेरे साथ...एक बार फिर मैं वहीं खड़ी दिवाल के सहारे रोने लग गई...फिर ढ़ूँढ़ने के ख्याल से वापस छत पर जाने की सोची शायद वहीं होंगे...
बाहर निकल गेट की तरफ बढ़ ही रही थी अचानक पूजा के रूम से श्याम की हल्की आवाज सुनाई दी..जिससे मेरे पांव ठिठक कर रूक गए...मेरी नजर गेट के लॉकर पर पड़ी जो अभी भी बंद थी..
मेरे चेहरे पर हल्की सुकून की लकीरें उभर आई और अंदर खुशी...मतलब श्याम पूजा को बुलाने गए हैं..मेरे कदम पूजा के कमरे की ओर बढ़ने लगी...और गेट पर रूक अंदर के नजारे देखने लगी...
पूजा : "सच भैया, मैं बिल्कुल नाराज नहीं हूँ..और मैं लेती भी नहीं सो प्लीज आप लोग इंज्वाय करो..मैं नाराज नहीं होऊँगी..प्रॉमिस भैया..."
श्याम : "जानता हूँ पूजा पर अगर नाराज नहीं हो तो चलो बाहर..जस्ट फ्रेंड...और सीता भी तो पहली बार ली कि नहीं आज...और यहाँ जब फ्रेंड बनेंगे तो उनके साथ पार्टी में कोई शर्मिंदगी नहीं झेलनी होगी ऐसी बात का...चलो उठो माई बेबी.."
पूजा कुछ सोचने लगी, जबकि श्याम बार बार रिक्वेस्ट किए जा रहे थे..और श्याम के इस रवैये को देख मेरी दिल भर आई कि श्याम नाराज नहीं हैं...
पूजा : "ठीक है भैया, मैं पार्टी ज्वाइन करूँगी पर आज नहीं..किसी और दिन..आज वैसे भी पार्टी इंड होने वाली होगी आज की..." और पूजा पर हल्की मुस्कान फैल गई कहते कहते...
श्याम भी उसकी हामी से मुस्कुराने लगे और उसे देखने लगे..अचानक वो आगे बढ़े और बोले,"तू ऐसे नहीं मानेगी...." और फिर..श्याम अपना एक हाथ पूजा के गर्दन के नीचे,जबकि दुसरा हाथ जांघों के नीचे डाले और हँसते हुए झटके से गोद में उठा लिए...
पूजा हँसते हुए चिल्ला पड़ी,"आहहह भैया...प्लीज नीचे करो..चलती हूँ...." पर श्याम बिना कुछ सुने बाहर की तरफ मुड़ गए..पूजा गोद में छटपटा रही थी और हँस भी रही थी..जिसे देख मेरी भी हँसी निकल पड़ी और वापस जल्दी से अपने जगह पर आ कर बैठ गई...
पूजा की नजर जैसे ही मेरी नजर से टकराई कि शर्म से उसकी आँखें बंद हो गई..अजीब बात है...ब्रॉ -पेन्टी में मैं बैठी हूँ और शर्मा वो रही है.. खैर, बात तो कुछ और थी जो मैं अच्छी तरह से जानती थी...
तब तक भैया बाथरूम से निकल चुके थे और उनकी बाँछें पूजा को देखते ही खिल पड़ी..वो आते ही पूजा के बगल में बैठते हुए चुपके से उसकी चुची मसल दिए जिससे पूजा चौंक पड़ी..
श्याम के बैठे दो मिनट भी नहीं हुए कि वो एक बार फिर आँखें झलफलाने लगी उनकी..हम दोनों पर भी खुमारी छाई थी पर फिर भी होश में थी...तभी श्याम अपने कांपते हाथों से बोतल लिए और एक सिंगल पैग बनाने लगे...
श्याम : "हम्म्म...सीता डॉर्लिंग..वो क्या है ना कि घर की पार्टी में मैं घर के मेम्बर को ही भूल गया था..तुम अगर याद नहीं दिलाती तो कसम से कल मैं खुद को काफी कोसता...थैंक्यू जान.."
मैं उनकी बात पर पूजा की तरफ देख मुस्कुरा पड़ी...पूजा की नजर तो श्याम के हाथों में ग्लास पर ही जमी थी..शाली, मन तो इसकी भी है पर क्या करती बेचारी..किसी ने ऑफर ही नहीं किया अब तक..
श्याम : "पूजा, लोऽ...और सीता की तरह जय माता दी कह अंदर कर लो एक ही बार में...नो कमेंट...चुपचाप.." श्याम ग्लास पूजा की तरफ बढ़ाते हुए बोले...
पूजा की नजर हम पर आ टिकी, फिर मैंने लेने की इशारा की तो वो भैया की तरफ देखी..हे राम! ये तो अपना लंड दबा रहे थे खुलेआम...पूजा से नजर मिलते ही बोले," पी लो डियर...बाद में ये भी पीना है.." और वो अपने लंड की तरफ इशारा कर दिए...
जिसे सुनते ही श्याम चौंकते हुओ भैया की तरफ देखते हुए "ऐंऽऽऽ "कह पड़े.. भैया तेजी से छोटी बोतल श्याम के सामने करते हुए बोले,"ये जनाब..आप तो कुछ और ही समझ गए..."
जिसे सुनते ही श्याम हँस पड़े और बोले,"हम्म्म, देखिए जनाब..वो चढ़ने के बाद पता नहीं ऐसे गंदे ख्याल कैसे आ जाते हैं..पर डोंट टेक सिरीयस...चियर्स पूजा.."अबकी बार ग्लास पूजा के हाथ में थी और हम तीनों की नजरें पूजा पर...
फिर तो वही होना था...पूजा सारा ग्लास खाली कर दी....और सब ताली बजा पूजा का स्वागत कर गानें की धुन पर झूमने लगे..अगले कुछ ही पल में छोटी बोतल की सील टूटी और फिर चली एक रंगीन रात का सफर...
पर अब इस सफर में सिर्फ श्याम ही थे...भैया के आज्ञानुसार बड़ी 2 पैग श्याम को पिलाती तो एक छोटी पैक पूजा की तरफ कर देती..पूजा तुरंत समझ
गई कि क्या होने वाला है अब...वो बस मुस्कुरा के रह गई...
अंत होते होते श्याम चारों खाने चित्त वहीं पर ढ़ेर हो गए...जबकि भैया की आवाजें लड़खड़ा रही थी पर होश में थे कि क्या कहना है और क्या करना है...मैं भी टुल्ल थी, आँखें नशे में कभी-2 बंद हो जाती थी पर फिर जोर से खोल कर जगने की कोशिश करती...जबकि पूजा तो बिल्कुल होश में थी..बस उस पर हल्की नशा थी..
श्याम के बेहोश होते ही भैया पूजा पर कूद गए और उसे वहीं जमीन पर लिटा किस करने लगे और चुची मसलने लगे...शायद अब वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे..अगले ही पल वो पूजा की समीज में अंदर हाथ घुसाकर चुची पकड़ने की कोशिश करने लगे...
पूजा चिल्लाने लगी कि फट जाएगी...मैं भी देखी तो वाकई काफी वहशी लग रहे थे भैया...मैं तेजी से उनके पास गई और उन्हें पकड़ती हुई बोली,"भैया, रूक जाओ ना...वो निकाल रही है कपड़े...तब तक इनको अंदर सुला आते हैं..."
मेरी बात सुनते ही भैया अपने दांत जोर से पूजा की चुची पर लगा दिए जिससे पूजा चीख पड़ी... और फिर उठते हुए बोले," जल्दी खोल शाली वर्ना बाद में कुछ मत कहना..." जिसे सुन पूजा मुँह बिचकाती हुई उठी और समीज सलवार खोलने लगी...
तब तक मैंने और भैया ने किसी तरह गिरते पड़ते श्याम को बेडरूम में लाए और उन्हें बेड पर पटक दिए...मैं एक बार भैया की तरफ देख हंस दी, फिर बाहर की तरफ चल दी कि अब भरपूर मजे लूँगी...
पर जैसे ही मेरी पहली कदम बढ़ी कि भैया के हाथ तेजी से मेरी ब्रॉ पर पड़ी और अगले ही पल ब्रॉ दो टुकड़े में बँट जमीन पर पड़ी थी...जितनी दिवानी मैं भैया से चुदाई की थी, उतनी ही उनके दरिंदगी की भी...
और फिर भैया कस के जकड़ते हुए अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए...मैं तुरंत ही अपनी सुधि खो बैठी और किस का साथ देने लगी...किस करते हुए मेरी आँखें बंद हो गई....जब काफी देर तक किस करने के बाद किस रूकी तो ये क्या? मैं श्याम के बगल में नंगी लेटी थी...पेंटी कब फटी, पता नहीं..
और भैया अपने सारे कपड़े जल्दी-2 खोल रहे थे...मैं एक बार सिहर गई कि अगर श्याम की नींद खुल गई तो....भैया जब पूरे नंगे हो गए तो नीचे झुक मेरी चुची चूसने और मसलने लगे...मैं सिसक पड़ी दर्द और मस्ती में...
किसी तरह अपनी सिसक को दबाती हुई बोली," भैया प्लीज, यहाँ नहीं..अगर ये जग गए तो..." मैंने अपनी बातें अधूरी छोड़ दी..भैया मेरी बात सुनते ही अपने मुँह ऊपर किए और बोले...
भैया : "हम्म्मऽ तो डर लग रहा है..."मैं उनकी बात सुन श्याम की तरफ देख डर से भयभीत चेहरे को हाँ में हिला दी...
भैया : "तो सुन, अगर मजे लेने हैं तो ये डर-वर निकाल दे अपनी जेहन से..क्योंकि इस गांड़ू की सुबह से पहले नशे फटने की उम्मीद नहीं...और आज तुम मेरी बहन नहीं, सिर्फ एक रंडी हो और मैं तेरा यार..समझी कुछ..अब चुपचाप मजे ले..."
भैया की बात सुनते ही मैं मुस्कुरा दी...उनकी बात मेरे दिल में चुभने की बजाय., मस्ती की लहरें जगा दी थी..तभी पूजा भी अंदर भैया से सटते हुई बोली,"और मैं...?" भैया पूजा को देख अपने लंड सहलाते हुए बोले," तुम इसकी कुतिया हो जानेमन...मेरी तो रंडी बनने लायक भी नहीं हो..." जिसे सुन हम तीनों हंस पड़े..
मेरी हंसी अभी रूकी भी नहीं कि भैया अपने तने हुए लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे मुँह में धकेल दिए...मैं चौंकी फिर सहज होती हुई अंदर कर ली...और ऊपर पूजा को जकड़ते हुए उसके होंठ पर टूट पड़े....
कुछ ही पलों में मैं जोर जोर से चुप्पे लगाने लगी जिससे भैया तड़प उठे और चीखते हुए गंदी-2 गालियाँ बरसाने लगे...
भैया : "आहहहहह मेरी रंडीईईईईईई..शाबासऽऽ ़ चूऊंऊऊऊऊससस छिनाललललऽ अपने पति को छोड़ मेरा लंड चूससस...आज तो खूब चोदूंगा तेरी चूत...ऐसी हालत करूंगा कि कुत्ते भी तेरी चूत देख हंस पड़ेगे....."
और ना जाने क्या क्या बक रहे थे...
कुछ ही पल में हम सब पसीने से तर बतर हो गए और भैया अकड़ने लगे...और फिर वही हुआ...झड़ने के कगार पर पहुँचते ही भैया ने अपना लंड तेजी से बाहर खींच लिए...पता नहीं क्यों? मैं रस पीना चाहती थी पर ऐन वक्त पर.....
और फिर बाहर निकाल सीधा मेरे चेहरे पर अपनी पिचकारी छोड़ने लगे...मैं आँखें बंद कर ली और मुस्काती हुई हर झटके से पड़ रही पानी का लुत्फ लेने लगी...हल्की चोट भी लग रही थी जो रोमांच पैदा कर रही थी...ऐसा नहीं था कि मैं गर्म नहीं हुई...मेरी चूत तो बाहर से ही कई दफा नदी बहा चुकी थी...
अब रस आनी बंद हो गई थी...तभी भैया की आवाज सुनाई पड़ी,"चल कुतिया., अपने मालिक का पानी चाट के खा जल्दी इसके चेहरे से..." और तभी पूजा की जीभ मेरे चेहरे पर फिसलने लगी...वो चटकारे लेती खाई जा रही थी...मैं आँखें बंद किए चटवा रही थी...
पूरी साफ करने के बाद पूजा एक किस दी जिसमें वीर्य की दुर्गंध आ रही थी, फिर उठ गई..तभी भैया ने उसे अगली हुक्म दे दी,"उस मादरचोद का भी चेहरा साफ कर दे छिनाल..." मैं सुनी तो होश ही उड़ गई...क्या श्याम पर भी...
मैं तेजी से आँखें खोली तो उफ्फ....श्याम का चोहरा भी पूरी तरह वीर्य से नहाया थी..मेरी तो हँसी निकल गई..पूजा एकटक भैया को देखे जा रही थी कि तभी चटाकऽऽऽ भैया ने उसकी चुची पर जोर से थप्पड़ जमाते उसे खींच कर श्याम के चेहरे के पास कर दिए...
बेचारी दर्द से कुलबुला गई पर क्या करती...अपनी जीभ अपने प्यारे भैया के चेहरे पर रख दी...और वीर्य खाने लगी चाट-2 के...
पूजा श्याम के चेहरे पर पड़ी एक-एक बूँद साफ कर रही थी और डर भी रही थी...तभी अचानक से मेरी बुर पर कुछ खुरदुरी चीज महसूस हुई..नीचे देखी तो आउच्चच...भैया मेरी बुर पर दांत गड़ा दिए जिससे मैं तड़प उठी...
भैया तेजी से अपनी जीभ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी थी जिससे मैं मचलती हुई उन्हें कभी रोकने की कोशिश करती तो कभी अंदर कर रही थी...अजीब हालात बन गई थी धोबी के कुत्ते की तरह..ना घर ना घाट के...
"आहहह सीताऽ" ये आवाज सुनते ही मैं और भैया एक साथ रूक गए और सांसें रोकती हुई घूमी...आवाजें श्याम की थी जो शायद पूजा की जीभ की गर्मी से जोश में आ गए थे...पूजा हक्की बक्की रोनी सूरत बनाई पसीने से तर बतर हो गई थी...
भैया हल्के से ऊपर उठे और श्याम को गौर से देखने लगे...हमारी नजर भी वहीं जम गई..अगर श्याम जग गए तो आज तो गई काम से...थोड़ी देर बाद श्याम सीताऽ..सीताऽ...कह फिर सो गए...
हम्म्म...थोड़ी राहत मिली कि वो होश में नहीं आए थे...बस शरीर की गर्मी मिलते ही वो जोश में आ गए थे और मुझे समझ नाम लेने लग गए..तभी भैया अपना हाथ बढ़ाकर श्याम की निक्कर एक झटके में नीचे कर दिए...
ओह गॉड...भैया की हिम्मत को देख दंग रह गई...पूजा की नजर श्याम के लंड पर पड़ते ही वो शर्म से अपना चेहरा ढ़ँक ली...पूरा तना हुआ आसमान की तरफ खड़ा था...मतलब जो अनुमान लगाई थी वो बिल्कुल सही थी मेरी...
तभी भैया पूजा का हाथ पकड़े और श्याम के लंड पर दबाते हुए बोले,"देख शाली, ये नशे में है...तुम चुपचाप इसके मजे ले लो..ऐसा मौका शायद फिर मिलेगा.." और फिर पूजा के बाल पकड़ श्याम के लंड पर झुका दिए..
पूजा बिल्कुल नहीं करना चाहती थी और वो ऊपर उठने के लिए जोर लगा रही थी..पर शराब की नशे और लंड की गंध पाते ही पूजा टूट कर बिखड़ गई...अगले पल ही श्याम का लंड अपनी प्यारी बहनिया के मुँह में था और अपने प्यारे भैया की जीभ पुन: मेरी चूत पर चिपक गई थी...
कुछ ही देर बाद कमरे में मेरी और भैया की सेक्सी तरंगे गूँजने लगी और पूजा पूरे जोर से अपने भैया का लंड चूसे जा रही थी...तभी भैया एक हाथ बढ़ा कुतिया की तरह झुकी पूजा की बुर पर रख दिए जो पहले से पानी छोड़ रही थी...
भैया की उंगली पूजा की बूर में शायद घुस गई थी., तभी तो पूजा बिल्ली की तरह उछल पड़ी..अब एक पल भी बर्दाश्त करना संभव नहीं था..मैं लगभग रोती हुई भैया से बोली," प्लीज, अब मत तरपाओ भैया..मरररर जाऊंगीईऽ"
जिसे सुनते ही भैया आँख लाल पीली करते बोले,"मादरचोद, मैं किसी रंडी का भाई नहीं हूँ...बोल अपनी कुतिया रंडी को चोदो..तब पेलूंगा हरामी..."
मरती क्या ना करती...बिल्कुल हू-बहू डॉयलाग बोल दी...जिसे सुनते ही भैया ऊपर मुस्काते हुए आए और अपना लंड मेरी बुर पर घिसने लगे...और लंड चूसने में लगी पूजा को घूरते बोले,"ऐ हरमिन, ये क्या रात भर चूसती ही रहेगी..नशे में है बिना चूत मिले नहीं झड़ेगा वो...चल उठ और चढ़ के चोद अपने यार को....
एक बारगी तो पूजा सहमी, फिर होंठो पर मुस्कान लाती उठ गई..शायद अब पूजा को भी मजा आने लगा था..वो दोनों तरफ पैर करके श्याम के लंड के सामने चूत कर नीचे बैठने लगी..मेरे हाथ अचानक श्याम के लंड की जड़ को पकड़ लिए ताकि पूजा इधर-उधर ना हो जाए...
भैया के 1-2-3 करते ही पूजा सीधी श्याम के लंड को जड़ तक निगल गई और ठीक उसी पल भैया भी अपना रामपुरी पूरी की पूरी मेरी नाजुक बूर में उतार दिए...मेरी और पूजा की एक साथ आहहह निकल पड़ी..
फिर चल पड़ा असली पार्टी का दौर जिसे हम सब शाम से इंतजार कर रहे थे...ये तो जानती थी कि आज की रात रंगीन होगी पर ऐसी हसीन होगी सोची भी नहीं थी...
भैया दनादन पेले जा रहे थे और मेरी बूर की धज्जियां उड़ाए जा रहे थे जबकि भैया का नाम सुनते ही बिदकने वाली पूजा मस्ती से कूद-2 कर श्याम का लंड अपने अंदर लिए जा रही थी...
समय ज्यों-2 बढ़ती जा रही थी, हम सब की गूँज उसी अनुपात में बढ़ती जा रही थी...भैया बीच बीच में कभी पूजा की तो कभी मेरी चुची पर चपत लगा रहे थे...एक बेड पर हम पति पत्नी दोनों चुद रहे थे...फर्क सिर्फ इतनी थी कि मुझे गैर मर्द मर्जी से चोद रहे थे जबकि मेरे पति को एक लड़की बेहोशी की हालत में चोद रही थी....
आखिर वो पल आ ही गई...इस तूफान की अंत घड़ी आ गई जो कि करीब आधे घंटे से हम सब इसका इंतजार कर रहे थे...एक तेज चीख गूँजी कमरे में जिसमे भैया,मेरी और पूजा की मिली जुली आवाज थी और एक साथ झड़ने लग गए...
श्याम भी बेहोशी की हालत में भी खुद पर काबू नहीं पा सके और आहहहह सीता कहते हुए पूजा की बूर में अपना पानी डालने लगे...जो पूरी तरह बूर से वापस बेड पर गिर रही थी..जबकि मेरी बूर में पूरी की पूरी बोतल जा रही थी...
और इस अनोखे पल की घड़ी रूकते ही भैया मेरे शरीर पर लद गए जबकि पूजा श्याम के शरीर पर...अब उसके चेहरे पर डर बिल्कुल नहीं थी..थी तो
बस असीम सुख वो भी चुदाई वाली....
हम दोनों की नजर एक बार मिली जिसमें पूजा थैंक्स बोलती नजर आई और फिर अपनी-2 आँखें बंद कर सुस्ताने लगी...
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सीता --एक गाँव की लड़की--23
मैं बैठी मन ही मन खुद को कोसे जा रही थी...कितना मजा आ रहा था हम तीनों को...क्या जरूरत थी पूजा के बारे में बोलने की...यही सब सोचते मेरी आँखों में आँसूं उतर आई और बाहर निकालती सिसकने लगी...
कुछ पल रोने के बाद जब आँखें ऊपर उठाई तो ये क्या?श्याम जा चुके थे...और भैया अभी भी बाथरूम में ही थे..मैं तेजी से उठी और माफी मांगने के ख्याल से बेडरूम की तरफ दौड़ पड़ी...
अंदर घुसते ही एक और शॉक सगी...श्याम नहीं थे...उफ्फ...क्या हो रहा है मेरे साथ...एक बार फिर मैं वहीं खड़ी दिवाल के सहारे रोने लग गई...फिर ढ़ूँढ़ने के ख्याल से वापस छत पर जाने की सोची शायद वहीं होंगे...
बाहर निकल गेट की तरफ बढ़ ही रही थी अचानक पूजा के रूम से श्याम की हल्की आवाज सुनाई दी..जिससे मेरे पांव ठिठक कर रूक गए...मेरी नजर गेट के लॉकर पर पड़ी जो अभी भी बंद थी..
मेरे चेहरे पर हल्की सुकून की लकीरें उभर आई और अंदर खुशी...मतलब श्याम पूजा को बुलाने गए हैं..मेरे कदम पूजा के कमरे की ओर बढ़ने लगी...और गेट पर रूक अंदर के नजारे देखने लगी...
पूजा : "सच भैया, मैं बिल्कुल नाराज नहीं हूँ..और मैं लेती भी नहीं सो प्लीज आप लोग इंज्वाय करो..मैं नाराज नहीं होऊँगी..प्रॉमिस भैया..."
श्याम : "जानता हूँ पूजा पर अगर नाराज नहीं हो तो चलो बाहर..जस्ट फ्रेंड...और सीता भी तो पहली बार ली कि नहीं आज...और यहाँ जब फ्रेंड बनेंगे तो उनके साथ पार्टी में कोई शर्मिंदगी नहीं झेलनी होगी ऐसी बात का...चलो उठो माई बेबी.."
पूजा कुछ सोचने लगी, जबकि श्याम बार बार रिक्वेस्ट किए जा रहे थे..और श्याम के इस रवैये को देख मेरी दिल भर आई कि श्याम नाराज नहीं हैं...
पूजा : "ठीक है भैया, मैं पार्टी ज्वाइन करूँगी पर आज नहीं..किसी और दिन..आज वैसे भी पार्टी इंड होने वाली होगी आज की..." और पूजा पर हल्की मुस्कान फैल गई कहते कहते...
श्याम भी उसकी हामी से मुस्कुराने लगे और उसे देखने लगे..अचानक वो आगे बढ़े और बोले,"तू ऐसे नहीं मानेगी...." और फिर..श्याम अपना एक हाथ पूजा के गर्दन के नीचे,जबकि दुसरा हाथ जांघों के नीचे डाले और हँसते हुए झटके से गोद में उठा लिए...
पूजा हँसते हुए चिल्ला पड़ी,"आहहह भैया...प्लीज नीचे करो..चलती हूँ...." पर श्याम बिना कुछ सुने बाहर की तरफ मुड़ गए..पूजा गोद में छटपटा रही थी और हँस भी रही थी..जिसे देख मेरी भी हँसी निकल पड़ी और वापस जल्दी से अपने जगह पर आ कर बैठ गई...
पूजा की नजर जैसे ही मेरी नजर से टकराई कि शर्म से उसकी आँखें बंद हो गई..अजीब बात है...ब्रॉ -पेन्टी में मैं बैठी हूँ और शर्मा वो रही है.. खैर, बात तो कुछ और थी जो मैं अच्छी तरह से जानती थी...
तब तक भैया बाथरूम से निकल चुके थे और उनकी बाँछें पूजा को देखते ही खिल पड़ी..वो आते ही पूजा के बगल में बैठते हुए चुपके से उसकी चुची मसल दिए जिससे पूजा चौंक पड़ी..
श्याम के बैठे दो मिनट भी नहीं हुए कि वो एक बार फिर आँखें झलफलाने लगी उनकी..हम दोनों पर भी खुमारी छाई थी पर फिर भी होश में थी...तभी श्याम अपने कांपते हाथों से बोतल लिए और एक सिंगल पैग बनाने लगे...
श्याम : "हम्म्म...सीता डॉर्लिंग..वो क्या है ना कि घर की पार्टी में मैं घर के मेम्बर को ही भूल गया था..तुम अगर याद नहीं दिलाती तो कसम से कल मैं खुद को काफी कोसता...थैंक्यू जान.."
मैं उनकी बात पर पूजा की तरफ देख मुस्कुरा पड़ी...पूजा की नजर तो श्याम के हाथों में ग्लास पर ही जमी थी..शाली, मन तो इसकी भी है पर क्या करती बेचारी..किसी ने ऑफर ही नहीं किया अब तक..
श्याम : "पूजा, लोऽ...और सीता की तरह जय माता दी कह अंदर कर लो एक ही बार में...नो कमेंट...चुपचाप.." श्याम ग्लास पूजा की तरफ बढ़ाते हुए बोले...
पूजा की नजर हम पर आ टिकी, फिर मैंने लेने की इशारा की तो वो भैया की तरफ देखी..हे राम! ये तो अपना लंड दबा रहे थे खुलेआम...पूजा से नजर मिलते ही बोले," पी लो डियर...बाद में ये भी पीना है.." और वो अपने लंड की तरफ इशारा कर दिए...
जिसे सुनते ही श्याम चौंकते हुओ भैया की तरफ देखते हुए "ऐंऽऽऽ "कह पड़े.. भैया तेजी से छोटी बोतल श्याम के सामने करते हुए बोले,"ये जनाब..आप तो कुछ और ही समझ गए..."
जिसे सुनते ही श्याम हँस पड़े और बोले,"हम्म्म, देखिए जनाब..वो चढ़ने के बाद पता नहीं ऐसे गंदे ख्याल कैसे आ जाते हैं..पर डोंट टेक सिरीयस...चियर्स पूजा.."अबकी बार ग्लास पूजा के हाथ में थी और हम तीनों की नजरें पूजा पर...
फिर तो वही होना था...पूजा सारा ग्लास खाली कर दी....और सब ताली बजा पूजा का स्वागत कर गानें की धुन पर झूमने लगे..अगले कुछ ही पल में छोटी बोतल की सील टूटी और फिर चली एक रंगीन रात का सफर...
पर अब इस सफर में सिर्फ श्याम ही थे...भैया के आज्ञानुसार बड़ी 2 पैग श्याम को पिलाती तो एक छोटी पैक पूजा की तरफ कर देती..पूजा तुरंत समझ
गई कि क्या होने वाला है अब...वो बस मुस्कुरा के रह गई...
अंत होते होते श्याम चारों खाने चित्त वहीं पर ढ़ेर हो गए...जबकि भैया की आवाजें लड़खड़ा रही थी पर होश में थे कि क्या कहना है और क्या करना है...मैं भी टुल्ल थी, आँखें नशे में कभी-2 बंद हो जाती थी पर फिर जोर से खोल कर जगने की कोशिश करती...जबकि पूजा तो बिल्कुल होश में थी..बस उस पर हल्की नशा थी..
श्याम के बेहोश होते ही भैया पूजा पर कूद गए और उसे वहीं जमीन पर लिटा किस करने लगे और चुची मसलने लगे...शायद अब वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे..अगले ही पल वो पूजा की समीज में अंदर हाथ घुसाकर चुची पकड़ने की कोशिश करने लगे...
पूजा चिल्लाने लगी कि फट जाएगी...मैं भी देखी तो वाकई काफी वहशी लग रहे थे भैया...मैं तेजी से उनके पास गई और उन्हें पकड़ती हुई बोली,"भैया, रूक जाओ ना...वो निकाल रही है कपड़े...तब तक इनको अंदर सुला आते हैं..."
मेरी बात सुनते ही भैया अपने दांत जोर से पूजा की चुची पर लगा दिए जिससे पूजा चीख पड़ी... और फिर उठते हुए बोले," जल्दी खोल शाली वर्ना बाद में कुछ मत कहना..." जिसे सुन पूजा मुँह बिचकाती हुई उठी और समीज सलवार खोलने लगी...
तब तक मैंने और भैया ने किसी तरह गिरते पड़ते श्याम को बेडरूम में लाए और उन्हें बेड पर पटक दिए...मैं एक बार भैया की तरफ देख हंस दी, फिर बाहर की तरफ चल दी कि अब भरपूर मजे लूँगी...
पर जैसे ही मेरी पहली कदम बढ़ी कि भैया के हाथ तेजी से मेरी ब्रॉ पर पड़ी और अगले ही पल ब्रॉ दो टुकड़े में बँट जमीन पर पड़ी थी...जितनी दिवानी मैं भैया से चुदाई की थी, उतनी ही उनके दरिंदगी की भी...
और फिर भैया कस के जकड़ते हुए अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए...मैं तुरंत ही अपनी सुधि खो बैठी और किस का साथ देने लगी...किस करते हुए मेरी आँखें बंद हो गई....जब काफी देर तक किस करने के बाद किस रूकी तो ये क्या? मैं श्याम के बगल में नंगी लेटी थी...पेंटी कब फटी, पता नहीं..
और भैया अपने सारे कपड़े जल्दी-2 खोल रहे थे...मैं एक बार सिहर गई कि अगर श्याम की नींद खुल गई तो....भैया जब पूरे नंगे हो गए तो नीचे झुक मेरी चुची चूसने और मसलने लगे...मैं सिसक पड़ी दर्द और मस्ती में...
किसी तरह अपनी सिसक को दबाती हुई बोली," भैया प्लीज, यहाँ नहीं..अगर ये जग गए तो..." मैंने अपनी बातें अधूरी छोड़ दी..भैया मेरी बात सुनते ही अपने मुँह ऊपर किए और बोले...
भैया : "हम्म्मऽ तो डर लग रहा है..."मैं उनकी बात सुन श्याम की तरफ देख डर से भयभीत चेहरे को हाँ में हिला दी...
भैया : "तो सुन, अगर मजे लेने हैं तो ये डर-वर निकाल दे अपनी जेहन से..क्योंकि इस गांड़ू की सुबह से पहले नशे फटने की उम्मीद नहीं...और आज तुम मेरी बहन नहीं, सिर्फ एक रंडी हो और मैं तेरा यार..समझी कुछ..अब चुपचाप मजे ले..."
भैया की बात सुनते ही मैं मुस्कुरा दी...उनकी बात मेरे दिल में चुभने की बजाय., मस्ती की लहरें जगा दी थी..तभी पूजा भी अंदर भैया से सटते हुई बोली,"और मैं...?" भैया पूजा को देख अपने लंड सहलाते हुए बोले," तुम इसकी कुतिया हो जानेमन...मेरी तो रंडी बनने लायक भी नहीं हो..." जिसे सुन हम तीनों हंस पड़े..
मेरी हंसी अभी रूकी भी नहीं कि भैया अपने तने हुए लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे मुँह में धकेल दिए...मैं चौंकी फिर सहज होती हुई अंदर कर ली...और ऊपर पूजा को जकड़ते हुए उसके होंठ पर टूट पड़े....
कुछ ही पलों में मैं जोर जोर से चुप्पे लगाने लगी जिससे भैया तड़प उठे और चीखते हुए गंदी-2 गालियाँ बरसाने लगे...
भैया : "आहहहहह मेरी रंडीईईईईईई..शाबासऽऽ ़ चूऊंऊऊऊऊससस छिनाललललऽ अपने पति को छोड़ मेरा लंड चूससस...आज तो खूब चोदूंगा तेरी चूत...ऐसी हालत करूंगा कि कुत्ते भी तेरी चूत देख हंस पड़ेगे....."
और ना जाने क्या क्या बक रहे थे...
कुछ ही पल में हम सब पसीने से तर बतर हो गए और भैया अकड़ने लगे...और फिर वही हुआ...झड़ने के कगार पर पहुँचते ही भैया ने अपना लंड तेजी से बाहर खींच लिए...पता नहीं क्यों? मैं रस पीना चाहती थी पर ऐन वक्त पर.....
और फिर बाहर निकाल सीधा मेरे चेहरे पर अपनी पिचकारी छोड़ने लगे...मैं आँखें बंद कर ली और मुस्काती हुई हर झटके से पड़ रही पानी का लुत्फ लेने लगी...हल्की चोट भी लग रही थी जो रोमांच पैदा कर रही थी...ऐसा नहीं था कि मैं गर्म नहीं हुई...मेरी चूत तो बाहर से ही कई दफा नदी बहा चुकी थी...
अब रस आनी बंद हो गई थी...तभी भैया की आवाज सुनाई पड़ी,"चल कुतिया., अपने मालिक का पानी चाट के खा जल्दी इसके चेहरे से..." और तभी पूजा की जीभ मेरे चेहरे पर फिसलने लगी...वो चटकारे लेती खाई जा रही थी...मैं आँखें बंद किए चटवा रही थी...
पूरी साफ करने के बाद पूजा एक किस दी जिसमें वीर्य की दुर्गंध आ रही थी, फिर उठ गई..तभी भैया ने उसे अगली हुक्म दे दी,"उस मादरचोद का भी चेहरा साफ कर दे छिनाल..." मैं सुनी तो होश ही उड़ गई...क्या श्याम पर भी...
मैं तेजी से आँखें खोली तो उफ्फ....श्याम का चोहरा भी पूरी तरह वीर्य से नहाया थी..मेरी तो हँसी निकल गई..पूजा एकटक भैया को देखे जा रही थी कि तभी चटाकऽऽऽ भैया ने उसकी चुची पर जोर से थप्पड़ जमाते उसे खींच कर श्याम के चेहरे के पास कर दिए...
बेचारी दर्द से कुलबुला गई पर क्या करती...अपनी जीभ अपने प्यारे भैया के चेहरे पर रख दी...और वीर्य खाने लगी चाट-2 के...
पूजा श्याम के चेहरे पर पड़ी एक-एक बूँद साफ कर रही थी और डर भी रही थी...तभी अचानक से मेरी बुर पर कुछ खुरदुरी चीज महसूस हुई..नीचे देखी तो आउच्चच...भैया मेरी बुर पर दांत गड़ा दिए जिससे मैं तड़प उठी...
भैया तेजी से अपनी जीभ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी थी जिससे मैं मचलती हुई उन्हें कभी रोकने की कोशिश करती तो कभी अंदर कर रही थी...अजीब हालात बन गई थी धोबी के कुत्ते की तरह..ना घर ना घाट के...
"आहहह सीताऽ" ये आवाज सुनते ही मैं और भैया एक साथ रूक गए और सांसें रोकती हुई घूमी...आवाजें श्याम की थी जो शायद पूजा की जीभ की गर्मी से जोश में आ गए थे...पूजा हक्की बक्की रोनी सूरत बनाई पसीने से तर बतर हो गई थी...
भैया हल्के से ऊपर उठे और श्याम को गौर से देखने लगे...हमारी नजर भी वहीं जम गई..अगर श्याम जग गए तो आज तो गई काम से...थोड़ी देर बाद श्याम सीताऽ..सीताऽ...कह फिर सो गए...
हम्म्म...थोड़ी राहत मिली कि वो होश में नहीं आए थे...बस शरीर की गर्मी मिलते ही वो जोश में आ गए थे और मुझे समझ नाम लेने लग गए..तभी भैया अपना हाथ बढ़ाकर श्याम की निक्कर एक झटके में नीचे कर दिए...
ओह गॉड...भैया की हिम्मत को देख दंग रह गई...पूजा की नजर श्याम के लंड पर पड़ते ही वो शर्म से अपना चेहरा ढ़ँक ली...पूरा तना हुआ आसमान की तरफ खड़ा था...मतलब जो अनुमान लगाई थी वो बिल्कुल सही थी मेरी...
तभी भैया पूजा का हाथ पकड़े और श्याम के लंड पर दबाते हुए बोले,"देख शाली, ये नशे में है...तुम चुपचाप इसके मजे ले लो..ऐसा मौका शायद फिर मिलेगा.." और फिर पूजा के बाल पकड़ श्याम के लंड पर झुका दिए..
पूजा बिल्कुल नहीं करना चाहती थी और वो ऊपर उठने के लिए जोर लगा रही थी..पर शराब की नशे और लंड की गंध पाते ही पूजा टूट कर बिखड़ गई...अगले पल ही श्याम का लंड अपनी प्यारी बहनिया के मुँह में था और अपने प्यारे भैया की जीभ पुन: मेरी चूत पर चिपक गई थी...
कुछ ही देर बाद कमरे में मेरी और भैया की सेक्सी तरंगे गूँजने लगी और पूजा पूरे जोर से अपने भैया का लंड चूसे जा रही थी...तभी भैया एक हाथ बढ़ा कुतिया की तरह झुकी पूजा की बुर पर रख दिए जो पहले से पानी छोड़ रही थी...
भैया की उंगली पूजा की बूर में शायद घुस गई थी., तभी तो पूजा बिल्ली की तरह उछल पड़ी..अब एक पल भी बर्दाश्त करना संभव नहीं था..मैं लगभग रोती हुई भैया से बोली," प्लीज, अब मत तरपाओ भैया..मरररर जाऊंगीईऽ"
जिसे सुनते ही भैया आँख लाल पीली करते बोले,"मादरचोद, मैं किसी रंडी का भाई नहीं हूँ...बोल अपनी कुतिया रंडी को चोदो..तब पेलूंगा हरामी..."
मरती क्या ना करती...बिल्कुल हू-बहू डॉयलाग बोल दी...जिसे सुनते ही भैया ऊपर मुस्काते हुए आए और अपना लंड मेरी बुर पर घिसने लगे...और लंड चूसने में लगी पूजा को घूरते बोले,"ऐ हरमिन, ये क्या रात भर चूसती ही रहेगी..नशे में है बिना चूत मिले नहीं झड़ेगा वो...चल उठ और चढ़ के चोद अपने यार को....
एक बारगी तो पूजा सहमी, फिर होंठो पर मुस्कान लाती उठ गई..शायद अब पूजा को भी मजा आने लगा था..वो दोनों तरफ पैर करके श्याम के लंड के सामने चूत कर नीचे बैठने लगी..मेरे हाथ अचानक श्याम के लंड की जड़ को पकड़ लिए ताकि पूजा इधर-उधर ना हो जाए...
भैया के 1-2-3 करते ही पूजा सीधी श्याम के लंड को जड़ तक निगल गई और ठीक उसी पल भैया भी अपना रामपुरी पूरी की पूरी मेरी नाजुक बूर में उतार दिए...मेरी और पूजा की एक साथ आहहह निकल पड़ी..
फिर चल पड़ा असली पार्टी का दौर जिसे हम सब शाम से इंतजार कर रहे थे...ये तो जानती थी कि आज की रात रंगीन होगी पर ऐसी हसीन होगी सोची भी नहीं थी...
भैया दनादन पेले जा रहे थे और मेरी बूर की धज्जियां उड़ाए जा रहे थे जबकि भैया का नाम सुनते ही बिदकने वाली पूजा मस्ती से कूद-2 कर श्याम का लंड अपने अंदर लिए जा रही थी...
समय ज्यों-2 बढ़ती जा रही थी, हम सब की गूँज उसी अनुपात में बढ़ती जा रही थी...भैया बीच बीच में कभी पूजा की तो कभी मेरी चुची पर चपत लगा रहे थे...एक बेड पर हम पति पत्नी दोनों चुद रहे थे...फर्क सिर्फ इतनी थी कि मुझे गैर मर्द मर्जी से चोद रहे थे जबकि मेरे पति को एक लड़की बेहोशी की हालत में चोद रही थी....
आखिर वो पल आ ही गई...इस तूफान की अंत घड़ी आ गई जो कि करीब आधे घंटे से हम सब इसका इंतजार कर रहे थे...एक तेज चीख गूँजी कमरे में जिसमे भैया,मेरी और पूजा की मिली जुली आवाज थी और एक साथ झड़ने लग गए...
श्याम भी बेहोशी की हालत में भी खुद पर काबू नहीं पा सके और आहहहह सीता कहते हुए पूजा की बूर में अपना पानी डालने लगे...जो पूरी तरह बूर से वापस बेड पर गिर रही थी..जबकि मेरी बूर में पूरी की पूरी बोतल जा रही थी...
और इस अनोखे पल की घड़ी रूकते ही भैया मेरे शरीर पर लद गए जबकि पूजा श्याम के शरीर पर...अब उसके चेहरे पर डर बिल्कुल नहीं थी..थी तो
बस असीम सुख वो भी चुदाई वाली....
हम दोनों की नजर एक बार मिली जिसमें पूजा थैंक्स बोलती नजर आई और फिर अपनी-2 आँखें बंद कर सुस्ताने लगी...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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