Friday, August 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--22

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--22

किचन का सारा काम निपटा मैं तैयार होने चली गई...पर तभी अचानक से बेल बजी..मैंने घड़ी की तरफ निहारी तो अभी साढ़े सात ही बजे थे..इतनी जल्दी श्याम कैसे आ गए आज...

तब तक पूजा भैया से गप्पे लड़ाना बंद कर गेट खोलने चली गई..मैं भी बाहर निकली पर पूजा को देख आगे बढ़ भैया के साथ लगी चेयर पर बैठ गई..जहाँ पर अभी तक पूजा के साथ बैठे थे...

अंदर आते ही श्याम और भैया ने प्रणाम किए और वहीं साथ में एक कुर्सी पर बैठ गए..मैं उठ के अंदर चली आई..कुछ ही देर बाद श्याम भी कपड़े चेंज करने अंदर आए...

अब मैं तो काफी उलझन में पड़ गई थी..अगर ये नहीं आते तो चली जाती शादी में और बाद में कोई बहाना बना देती कि बगल वाली खींच के ले गई..पर अब तो पूछनी पड़ेगी..

खैर,, पूछ लेती हूँ...अगर हाँ बोले तो ठीक नहीं तो बाद में देखी जाएगी केतन के साथ....मैंने अपने अंदर थोड़ी हिम्मत लाती हुई बोली..

"वो बगल में एक शादी है, तो देखने का मन है..काफी दिन हो गए देखे..."इतनी कह मैं चुप हो गई और उनकी तरफ देखने लगी..वो पहले तो एकटक से देखने लगे फिर मुस्कुराते हुए बोले,"खाना बना ली क्या?"

थोड़ी सी उम्मीद की किरण देख मैं चहकती हुई बोली,"हाँ और खाना फ्रिज में रख दिया है..." वो मेरी बात सुन हँस पड़े जिससे मैं भी हँसे बिना रह ना सकी..

श्याम : "शादी किसकी है?"

श्याम ने अपने नाइट ड्रेस निकालते हुए पूछे जिसे मेरी हलक एक बार फिर सूखने लगी कि कैसा सवाल कर दिए? अब मेरी जगी हुई उम्मीद की किरण पर एक बार फिर बादल छाने लगी थी क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलना चाहती थी...

"जी....वो...आगे वाले मुहल्ले में किसी लड़की की है...नाम नहीं पता.."मैं उन्हें देखती हुई बोल दी...जिसे सुनते ही उनका चेहरा आश्चर्य से भर मुझे घूरने लगा...

श्याम : "बिल्कुल नहीं जाना...जिसे तुम जानती तक नहीं और कोई निमंत्रण नहीं है...और ना ही कोई पड़ोसी दोस्त के साथ जाओगी...तो कैसे सोच ली कि जाने के लिए हाँ कर दूँगा मैं...अगर कोई वहाँ पूछ दिया कि कौन हो तुम तो क्या जवाब दोगी...ख्वामखाह बदनाम हो जाओगी...समझी?"

उन्होंने साफ मना कर दिया...थोड़ी सी दिक्कत जरूर हुई पर वो सच ही कह रही थी..मैं ज्यादा जिद नहीं करना चाहती थी...अगर निमंत्रण रहती तो करती भी...और मैं कैसे कहती कि केतन बुलाया था....

"खाना लगा दूँ?" मैं अब जाने की प्रोग्राम कैंसिल करती हुई पूछी..जिसे सुन वो मेरे पास आते हुए गले से लगा लिए और प्यार से पीठ सहलाने लगे...

"सीता, मुझे कोई दिक्कत नहीं होती अगर कोई निमंत्रण रहती तो पर ऐसे जाना मुझे ठीक नहीं लग रहा.."श्याम मुझे शायद पूरी तसल्ली दिलाने के लिए अपने दिल की बात कह रहे थे...

मैं उनकी बात सुन धीरे से सिर पीछे की और मुस्कुराते होंठ उनके होंठ पर रख दी..किस करने के बाद बोली,"मैं बिल्कुल नाराज नहीं हूँ जी...मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूँ और आप भी मुझे हर वक्त खुश देखने की कोशिश करते हैं..तो आप मना किए हैं तो उसकी वजह मैं समझ सकती हूँ.."

मेरी बात सुनते ही उन्होंने I Love You कहते हुए जोर से अपनी बाँहों में भींच लिए..फिर मुझे उसी तरह चिपकाए हुए पूछे,"जान, आपके भैया कुछ लेते हैं कि नहीं...आज पहली बार आए हैं तो कुछ पार्टी तो होनी चाहिए ना..."

मैं उनकी बात सुनते ही चौंक पड़ी...कहाँ भैया इन्हें बेहोश करने का प्लान बना रहे थे, पर ये तो खुद ही फंसना चाहते हैं...ये सोचते हुए मैं मुस्कुराती हुई थोड़ी पीछे हुई....

" हाँ, लेते हैं पर कभी कभी..."मैं हँसती हुई बोली जिसे सुनते ही श्याम चहकते हुए मुझे अपने से अलग करते हुए बोले,"थोड़ी देर रूक जाओ फिर खाना लगाना...बाहर से कुछ लेकर आ रहे हैं.."

और श्याम हँसते हुए बाहर निकल गए...उनसे ज्यादा हँसी तो मेरी निकल रही थी कि ये पीने की खुशी में हँस रहे हैं या अपनी बीवी की चुदाई में साथ देने के लिए....

कुछ देर में ही श्याम और भैया बाहर निकल गए...करीब आधे घंटे बाद दोनों हँसते हुए आ गए थे...फिर बरामदे में ही बैठ गए दोनों...

मैं उनका खाना दे आई...वे पार्टी के लिए सारा समान दारू,नमकीन,सिगरेट आदि रख दिए बगल में..खाना मिलते ही पहले वे खाना शुरू कर दिए....

करीब आधा खाना खाने के बाद उन्होंने अपनी मिनी पार्टी शुरू कर दी..2-3 पैग चलने के बाद उनका खाने की स्पीड धीमी और बात करने की गति तेज हो गई..

बाद में थोड़ी और खाना की मांग किए..खाना देने पहुँची तो देखी बोतल अभी आधी भी खत्म नहीं हुई थी जबकि एक छोटी बोतल अभी बंद ही थी...


और दोनों के बैठे करीब 1:30 घंटे हो चुके थे...वहाँ से आने के बाद मैं सीधी पूजा के कमरे में गई जो अंदर कुछ पढ़ रही थी..मुझे देखते ही पूजा मुस्कुरा दी...

"खाना नहीं है क्या?" मैं पूजा के बगल में लेटती हुई पूछी..पूजा के हाथ में कोई मैगजीन थी जिसे वो दरकिनार करती हुई बोली,"हाँ ,भैया लोग खा लिए?"

"उंहहहु.. उनका अभी 2 घंटा और लगेगा..सब कुछ दे दी, अपना खाते रहेंगे..चलो, हम लोग भी खाना खा कर कुछ आराम कर लेते हैं.."मैं बाहर के हालात बताती हुई बोली..

मेरी बात सुन पूजा मुस्कुराई और उठती हुई चलने की हाँ कह दी..हम दोनों खाना खा अपने अपने रूम में आ आराम करने लगी..

अभी कुछ ही देर हुई थी कि बाहर से श्याम की लड़खड़ाती आवाज हमें पुकारने लगी..मैं उठी और बाहर चली आई...

मुझे देखते ही श्याम नशे में मेरी तरफ देख मुस्कुराते हुए बोले,"बैठो इधर.." श्याम और भैया आमने-सामने बैठे थे और मुझे अपने दाएं तरफ बैठने का इशारा किए..

मै असमंजस में पड़ी चुपचाप बैठ गई और उनके आगे की बात का इंतजार करने लगी...तब श्याम अपने सामने रखे तीन ग्लास में दारू उड़ेलने लगे...शायद ये पहले ही एक ग्लास ले आए थे...

पर उससे ज्यादा मैं ये सोच में चिंतित थी कि तीन क्यों? पीने वाले तो दो ही हैं..कीं ये मेरे लिए तो.....उफ्फ्फ.. मैं ये सोच के ही सिहर गई...

श्याम : "सीता, आपके भाई साहब की ये शिकायत है कि मैं आपको यहाँ शहर में ले तो आया हूँ, पर यहां के रहन सहन की छूट नहीं दे रहा हूँ तुम्हे...अब ये ग्लास उठाओ और भैया को बता दो कि मैं तुम्हें किसी भी चीज पर पाबंदी नहीं लगा रहा हूँ..."

मैं उनकी बात सुन आश्चर्य से कभी श्याम की तरफ तो कभी भैया की ओर देखे जा रही थी..कुछ समझ में नहीं आ रही थी..

"नहीं भैया, मुझे किसी तरह की पाबंदी नहीं है.."मैं अपने भैया की तरफ मुड़ बोली..

भैया : "जानता हूँ सीता, पर मुझे देखना है...यहाँ शहर में तो सब लड़की -औरतें ऐसी पार्टी अक्सर जाती हैं जहां दारू-शराब चलती है और वो इसका मजे से लुत्फ उठाती है...पर तुम तो आज तक तो वही गांव वाली ही सीता हो..."

श्याम :" सुन ली ना...अब जल्दी से उठाओ वर्ना कड़वी हो जाएगी ये...वैसे मैं भी चाहता हूँ ताकि कभी मन हुआ तो तुम्हारे साथ भी सर्व कर लूंगा...तुम तो जानती हो मैं बाहर लेता नहीं..कभी कभार दोस्त के साथ ही हो जाता है पर घर पर ही, बाहर नहीं...और अब घर पर किसी को बुलाना मुझे ठीक नहीं लगता क्योंकि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ..प्लीज.."

अब मैं तो और सोच में पड़ गई थी क्या कहूँ...इनकी बात ठीक थी..घर पर पी के सो जाते हैं और वो भी कभी कभार ही..और मेरी सहमति के बाद ही....पर आज तक पीना तो दूर, सूंघी भी नहीं थी मैंने...मैं अब राजी तो थी पर जो समस्या थी उसे सामने लाती हुई बोली,"पर आज तक कभी पी नहीं तो.."

मैं इतनी ही बोल पाई कि दोनों उछलते हुए अपने अपने चेहरे मेरे सामने लाते हुए बोले," अरे...कुछ नहीं होता...बस पहली बार थोड़ी लगेगी फिर सब ठीक और मस्ती ही मस्ती..." दोनों एक साथ हाँ कहते हुए बोल पड़े...

तभी भैया मेरे कानों में धीमे से बोले,"बिल्कुल पहली चुदाई जैसी..." और पीछे हट मुस्कुरा दिए..जिससे मैं भी मुस्कुरा दी..श्याम भैया की बात नहीं सुन पाए थे...मैं एक बार फिर उन दोनों की तरफ देखी...

तभी मेरी नजर सामने पड़ी जहाँ परदे की ओट से पूजा की बड़ी आँखें चमक रही थी..अचानक से पूजा का पूरा चेहरा सामने आया और मुझे पीने की हाँ का इशारा कर ओझल हो गई फिर परदे की ओट में..

मैं अंदर ही अंदर काफी खुश थी अपनी इस नई तजुरबे को सोचकर...फिर मैंने हाथ को धीमे से ग्लास की तरफ बढ़ा दी..."ये हुई ना बात..."कह दोनों भी अपने-अपने ग्लास उठा चियर्स करने लगे...

वो दोनों को एक बार फिर पीने का इशारा किए जिसे देख मैं ग्लास अपने होंठ तक ले गई...पर गंध लगते ही अगले ही पल ग्लास एक बार फिर नीचे आ गई...

भैया : " साँस मत लो सीता,, और आँखें बंद कर जय माता दी कह एक बार में ही खत्म कर दो...दुबारा नहीं होंठ पर लगना चाहिए जूठी ग्लास..."

श्याम : " बिल्कुल करेक्ट...शुरू करो सीता डॉर्लिंग...." श्याम की बात खत्म होते ही भैया भी "हाँ डॉर्लिंग" कह दिए...जिस पर श्याम ध्यान नहीं दिए..

मैं मुस्कुराई और मन ही मन जय माता दी बोलती हुई साँस पर काबू करती हुई ग्लास को अपने लबों पर रखते हुए पूरी ग्लास खाली कर दी...

जिसे देख दोनों खुशी से झूम उठे और थोड़ी सी नमकीन मेरी तरफ बढ़ा दिए...मैं कड़वी से मुँह बिचकाती नमकीन ली और झट से अंदर कर ली जिससे थोड़ी राहत मिली पर अंदर से काफी जलन हो रही थी...

फिर वो दोनों भी अपने - 2 ग्लास खाली कर दिए...मेरी नजर परदे की तरफ गई जहाँ से पूजा अपने अँगूठे दिखाती हुई शाबासी दे रही थी..


कुछ देर बैठ हम तीनों कुछ इधर उधर की बात किए...फिर मेरे अंदर अभी भी जलन महसूस हो रही थी पर कम थी...सोची आराम कर लेती हूँ तो ठीक हो जाएगी...यही सोच जैसे ही मैं उठनी चाही कि श्याम मुझे कस के पकड़ लिए...

श्याम : " अब कहाँ चली जान...पहले खत्म तो कर लो, अभी तो शुरू ही हुई है आपके साथ...और हाँ अब पैग आप बनाएगी.."

मैं श्याम की बात सुन चौंक पड़ी...मतलब अभी से बैठ के अंत तक पीनी है...मर गई...

भैया : " कुछ नहीं होगा सीता,, अब कड़वी नहीं लगेगी और मजा तो अब आएगा...जब कोई लड़की साथ होती है तो पीने का मजा ही अलग है.."

भैया की बात सुन मैं शर्मा गई कि श्याम के सामने ही मुझे ऐसी बात कह रहे हैं...क्या सोचेंगे ये..पर मेरी सोच के विपरित श्याम बोले...

श्याम : "बिल्कुल सही...और हाँ सीता., अब तुम ये बिल्कुल भूल जाओ कि मैं तुम्हारा पति और ये भैया हैं..बस एक दोस्त की तरह मजे लो और दो..."

फिर श्याम बोतल और ग्लास मेरे सामने रख दिए...मैं सोचने लगी कि क्या करूँ? फिर अंदर से आवाज आई,"सीता, ऐसे मौके मत गंवा..जो होगा देखा जाएगा कल..पर आज की रात शादी में मिलने वाली मजे के बदले घर पर मजा लेने का मौका मिल रहा है तो इसे हाथ से जाने मत दे.."

और फिर मैं बोतल उठाई और तीनों ग्लास में डालने लगी...मदद के ख्याल से भैया बता दिए कि कितनी मात्रा में डालनी है..और तब चल पड़ा रात को रंगीन करने का सफर...

एक पर एक पैग चलने लगा और मैं इन मस्ती की दुनिया में डूबती जा रही थी...जिससे आज तक मैं बेखबर थी और पहली ही दिन इतनी रंगीन होगी, ये सोच भी नहीं सकती थी...

तभी अचानक से मुझे क्या सूझी, मैं उठी और म्यूजिक प्लेयर ऑन करती हुई सेक्सी गानों से भरपूर सीडी प्लेयर के अंदर डाल दी और वापस अपनी जगह पर बैठ गई...

आवाज इतनी कम थी जिससे बाहर नहीं जा पा रही थी और हम तीनों को आसानी से सुनाई पड़ रही थी..वो दोनों वाह कहते हुए गानों की धुन पर झुमते पार्टी को बढ़ाने लगे...मैं भी झूमनी शुरू कर दी थी...

अचानक से मुझे कुछ ज्यादा गर्मी महसूस हुई और ये गर्मी मेरे होंठो से बाहर आ गई,"श्याम, काफी गर्मी लग रही है..." और मैंने अपने साड़ी के पल्लू को जमीन पर रख दी बिना उनके जवाब का इंतजार किए..

जाम का शुरूर अब मेरे ऊपर हावी हो चुकी थी जिससे सारी शर्म-ह्या भूल गई थी...भैया की कंट्रोल पावर काफी थी जिससे वो मेरी तरफ देखने लगे जबकि श्याम मेरी बात सुने भी या नहीं पता नहीं..वो मस्ती में झूमे जा रहे थे...मैं ज्यादा नहीं ली थी तो अब तक सिर्फ झूम रही थी, बेहोश नहीं हुई थी...

भैया : "इनरवियर पहनी है ना तो इसे भी उतार तो ना..क्यों श्याम? " श्याम अब बेहोश होते नजर आ रहे थे..भैया क्या बोले, वो सुने या नहीं पता नहीं पर हाँ जरूर कर दिए...

अगले ही पल मैं सिर्फ पेन्टी और ब्रॉ में दो मर्दो के बीच नशे में झूमने लगी..श्याम की आँखें एक बार खुली और मुझे ऐसी अवस्था में देख हल्के से हँसे...फिर वो ठीक से देखने की कोशिश करते तब तक उनकी आँखों पर शराब ने परदा डाल दिया...

तब मैंने अगली पैग बनाई..भैया जैसे ही ग्ललास उठाने आगे हाथ किए मैं रोक दी..और उनका ग्लास उठा मैं खिसक के उनकी जांघों पर बैठ गई और अपनी नशीली आँखों से देख उनको पिलाने लगी...

भैया भी मेरी इस अदा पर हँस दिए और पूरी ग्लास खाली कर दिए..अंत में मेरी उभारों पर श्याम की तरफ देख किस कर दिए जिससे मैं सिसक पड़ी और किसी तरह उठ गई श्याम को पिलाने...

ठीक इसी तरह ग्लास लिए श्याम की जांघ पर बैठी और उन्हें पिलाने लगी..श्याम होश में थे नहीं पर वाह सीता कहते हुए गटकने लगे..पूरी ग्लास खाली होते ही मैंने अपने होंठ उनके होंठ पर रख किस करने लगी...

किस रूकते ही मेरे मन में क्या आई कि अचानक से बोल पड़ी,"जानू, इस मस्ती की महफिल में अगर आप पूजा को भी शामिल कर लें तो वो बहुत खुश होगी.."

मेरी आवाज सुनते ही वो एकाएक शांत हो गए, मानों सारा नशा चूर हो गया हो..वो एकटक से मुझे घूरने लगे...

इधर मेरे साथ-2 भैया का नशा टूट चुका था...मैं खुद पर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि ये क्या बोल दी..इनको बुरा लग गया, पता नहीं क्या कहेंगे...

श्याम अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोले,"उतरोओओऽ नीऽचे....."

मैं डर के मारे नीचे उतर गई और सिर नीचे कर बैठ गई...भैया भी ऐसी सिचुएशन देख उठे और बाथरूम की तरफ बढ़ गए...
 




















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