FUN-MAZA-MASTI
सिर्फ उंगली से ही मजा लिया..
सुबह में सो रहा था.माँ आई और लंड को सहलाने लगी.में उठ गया में नंगा ही था.माँ को बाहो में भर कर किस किया और ऐसे ही खड़ा रहा.माँ भी मेरे लंड को सहलाने लगी.
माँ-चल अब छोड़ मुझे देखा कितने बजे है?
में-अभी तो सिर्फ १०:३० बजे है..
माँ-तेरे दादाजी दुकान चले गये.तेरे पापा भी गाँव से आने के लिए निकाल गये है...और..
में-और यहाँ हम चुदाई करेंगे..
माँ-करनी है तो जल्दी कर क्योकि आज दादी भी आ ने वाली है..
में -दादी..?????
माँ-हाँ दादी भी अहमदाबाद से निकाल गई है... दादी का नाम सुनते ही मेरा लंड ढीला हो गया..
दादी../...नाम-जशोदा.. रंग-सांवला.. हाईट-५ फुट,६ इंच..मतलब लंडबा कद.. वेइट-शायद ९५ kg. चेहरा -स्मार्ट..नजर हटाने को दिल न करे... सीना(चुचे)-बड़े,बड़े नारियल जितने.. पिछवाडा-हदसे ज्यादा बाहर उभरा हुआ.और बहूत बड़ा..मान लीजिए porn फ़िल्ममे दिखाई जाने वाली BBW जेसी ओरत. जो हंमेशा साडी ब्लाउज ही पहनती है. उम्र-५१ साल (क्योकि मेरे दादाजी की वो दूसरी बीवी है.मेरे पापा की माँ के अवसान के बाद दादाजी ने दुबारा शादी की.मेरे चाचा उनके सगे पुत्र है.) परिवार में दादी का रूतबा ऐसा है की उनको पूछे बगेर कोई काम नहीं होता.धंधे का सारा हिसाब उनके पास ही रहता है.दादी जब घर पर होती है तो हंमेशा माके साथ होती है.सब उनकी इज्जत करते है..डरते भी है..ऐसी दादी आ रही थी तो लाजमी है मेरा लंड ढीला हो जाये...
माँ- क्यों तुझे शोक लग गया?
में - मम्मी अब हमारे खेलने के दिन गये..
माँ-जो वक्त उसमे थोडा मजा कर ले आगे की जो होगा सो होगा..
जगह बदलने की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी.और बस वाली घटना से दादी के चुत्तड नाम से हट नहीं रहे थे.में चान्स मारने की सोच रहा था.
इतने में चाचू की फुसफुसाहट किआवाज आई
चाची-क्या कर रहे हो घर में माजी और राहुल है?...चाचा-सब सो गये है..ट्रावेलिंग से थके है बेचारे.
चाची- ठीक से देखा लो...बाद में..चाचा ने मोबाईल ओन किया और हमारी तरफ देखा हम सो रहे थे.चाचा ने मुझे हलकी सी आवाज दी पर में कुछ नहीं बोला..
चाचा- तेरे चूचो का सारा दूध पि जाउंगा..कितने मस्त है..छोटे-छोटे.बहुत मजा आ रहा है ..
चाची-जानू इसे ज्यादा मत दबाओ बड़े हो जायेंगे..सिर्फ..दुदू पिओ..और.. ऐसे उंगली चूत में मत डालो..मुझे अन्दर तुम्हारे नाख़ून चुभ रहे है...
चाचा-ठीक है रानी..ऊपर से सहला देता हु..तू लंड पकड़ कर क्यो बेठी है थोडा सहलाना...
चाची-ओह मेरे रा जा....ये तो रेडी है चलो इसे चूत मे डालो और मुझे आसमान की सेर कराओ..
चाचा-हाँ मेरी रानी मेरा ये रोकेट तुझे आसमान में ले जाने को बेताब है..
चाची-स्स्स्स..डालो ना...देखो..चूत से कितना पानी निकाल रहा है...सस..स्स्स्स.
चाचा-ले मेरी चुत रानी..ले.ले..पूरा...चाचा ने जोर से धक्का मारा ...
चाची- उईईई...मम्मी..कितनी बार कहा धीरे डालो ये छोटी सी चूत है बड़ा भोसड़ा नहीं है ...
चाचा-दो साल से चोद रहा हूँ फिर भी इसे उछलती है जेसे पहली बार हो..
चाची- देखो जल्दी मत को हल्के- हलके धक्के देते रहो में कहि भागी नहीं जा रही...चाचा चची की चूत आराम से चोद रहे थे..मेरी नींद उड़ गई थी..
चाची-जानू..थोया फ़ास्ट..प्लीज घर में सब है जल्दी करो...
चाचा-...हाँ..ले...ले..मेरा..पू रा.लंड ..ले..ले..अपनी चूत में...
चाची-आने दो ऐसे ही..स्स्स्स.आह्ह्ह.आह्ह.कम ओन राजा फास्ट..और तेजज...ओह्ह्ह्ह..हाय...आह्ह्ह. ..
चाचा-ले मेरी रानी..मेरा लोडा..तेरे लिए ही तो है.....हलकी सी तपाक-तपाक की आवाजे आ रही थी...चाची की साँसे..तेज हो गई थी..
चाची-ओ..स्स्स्स...आह्ह्ह...ओ.. जानू..चो..द...दो.मुझे..में.आह् ह्ह...आह्ह्हह्ह.ओ.ओ.ओ.......स् टॉप..प्लीज..स्टॉप....लगा..चाची का खेल ख़त्म हो चुका था.चाचा रुक गए..चाची हांफ रही थी उनकी साँसों की आवाज स्पष्ट सुनाइ दे रही थी...कु छ देर बाद
चाची-अब निकाल भी लो अपने रोकेट को और ठीक अपनी जगह रख दो..मुझे सोने दो.
चाचा-तू आसमान की सेर कर आई पर अभी ये फटा नहीं है.....
चाची- मेने कितनी बार कहा..हंमेशा साथ में चला करो जानू तुम हो की पीछे ही छुट जाते हो...
चाचा- तू तो जानती है मुझे घोड़ी पे सवार होना अच्छा लगता है..
चाची-आज घर में सब है...आज के लिए तो साथ चल देते..अब जल्दी करो..
चाचा-देर तो तू कर रही है डार्लिंग...
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में और मेरी प्यारी माँ--2
लंड पूरा खड़ा हो गया और झटके खाने लगा.माँ ने मुझे पास बुलाया और लंड को ध्यान से देखने लगी.
फिर हाथमे लिया और सहलाते हुए बोली- तू और तेरा लंड कितने बड़े होगये हो.तू सच में एक मर्द बन गया है.
मेने कहा- हा ममी में मर्द बन गया और ये गधा ......
माँ हसने लगी - सच में बेटा ये गधे जेसा ही है, किसी भी चूत को फाड़ सकता है.
माँ-तूने पहले किसी से सेक्स कियाहै ?
में - न ममी,कभी-कभी हाथ मार लेता हु.क्यों.?
माँ- तभी इतना बड़ा होगया है देख तो मेरे हथोमे भी नहीं समां रहा नापा है कभी ?
में- हा,ममी पूरा आठ इच है,सेमी बोले तो २१ सेमी...
और माँ ने सहलाते हुए सुपाड़ा खोल दिया गुलाबी रंग के सुपाडे को देख रही थी,जो आगे से नुकीला लगता था. माँ अपने अंगूठे से दबा रहीथी और लंड को सहला रही थी.
माँ- तेरा सुपाड़ा तो मस्त है जी करता है इसे खा जाऊ.
और माँ अपनी जीभ सुपाडे पर घुमाने लगी,चाटने लगी.
में-ममी मजा आरहा है ..
माँ- बेटा अभी बहुत मजा आने वाला है. और माने सुपाड़ा मुमे भर लिया चुसने लगी.
में -आह्ह्ह..आःह करने लगा..माँ अब पूरा लंड मुहमे लेने लगी मेरे तो पैर कांपने लगे,
मेने कहा माँ में सोफे पर बेठ जाऊ?माने लंड मुह से निकाला ..में सोफेपर बेठ गया माँ निचे बेठा गी और लंड को चूसने लगी में माँ के सर को सहलाने लगा...माँ अपने करतब दिखा रही थी हाथ से लंड को सहलाती और अन्डो को मुहमे लेती चुसती,मुझे तो एसा लगता था जेसे में जन्नत में हु..मेरे मुह से आह्ह्हह्ह..आह्ह्ह..की आवाजे निकाल रही थी .मा ने पूरा जोर लंड चुसाई में लगाया था,
मेने कहा माँ बस करो मेरा माल निकाल जायेगा.. माँ रुक गई.
मेने कहा-अगर नहीं रुकती तो पूरा माल मुह में छुट जाता.. माँ-कोई बात नहीं बेटा तेरा पूरा माल चूस लुंगी. मेने कहा अभी नहीं अब मेरी बारी है
फिर हाथमे लिया और सहलाते हुए बोली- तू और तेरा लंड कितने बड़े होगये हो.तू सच में एक मर्द बन गया है.
मेने कहा- हा ममी में मर्द बन गया और ये गधा ......
माँ हसने लगी - सच में बेटा ये गधे जेसा ही है, किसी भी चूत को फाड़ सकता है.
माँ-तूने पहले किसी से सेक्स कियाहै ?
में - न ममी,कभी-कभी हाथ मार लेता हु.क्यों.?
माँ- तभी इतना बड़ा होगया है देख तो मेरे हथोमे भी नहीं समां रहा नापा है कभी ?
में- हा,ममी पूरा आठ इच है,सेमी बोले तो २१ सेमी...
और माँ ने सहलाते हुए सुपाड़ा खोल दिया गुलाबी रंग के सुपाडे को देख रही थी,जो आगे से नुकीला लगता था. माँ अपने अंगूठे से दबा रहीथी और लंड को सहला रही थी.
माँ- तेरा सुपाड़ा तो मस्त है जी करता है इसे खा जाऊ.
और माँ अपनी जीभ सुपाडे पर घुमाने लगी,चाटने लगी.
में-ममी मजा आरहा है ..
माँ- बेटा अभी बहुत मजा आने वाला है. और माने सुपाड़ा मुमे भर लिया चुसने लगी.
में -आह्ह्ह..आःह करने लगा..माँ अब पूरा लंड मुहमे लेने लगी मेरे तो पैर कांपने लगे,
मेने कहा माँ में सोफे पर बेठ जाऊ?माने लंड मुह से निकाला ..में सोफेपर बेठ गया माँ निचे बेठा गी और लंड को चूसने लगी में माँ के सर को सहलाने लगा...माँ अपने करतब दिखा रही थी हाथ से लंड को सहलाती और अन्डो को मुहमे लेती चुसती,मुझे तो एसा लगता था जेसे में जन्नत में हु..मेरे मुह से आह्ह्हह्ह..आह्ह्ह..की आवाजे निकाल रही थी .मा ने पूरा जोर लंड चुसाई में लगाया था,
मेने कहा माँ बस करो मेरा माल निकाल जायेगा.. माँ रुक गई.
मेने कहा-अगर नहीं रुकती तो पूरा माल मुह में छुट जाता.. माँ-कोई बात नहीं बेटा तेरा पूरा माल चूस लुंगी. मेने कहा अभी नहीं अब मेरी बारी है
माँ को सोफे पर बेठा दिया और में निचे दो पेरो के बीच बेठ गया.और माँ के जांगो पे किस करने लगा.चाट ने लगा.आगे बढ़ने लगा.माँ सर को सहला रही थी .माँ के पैर मेरे कंधो पर रख दिए और चूत पे मुह मार ने लगा लेकिन कुछ मजा नहीं आरहा था.में तकिया ले आया.माँ को उपर बर्थ दिया और में तानो के बीच बेठ गया पेरो को कंधो के उपर ले लिया अब चूत मेरे मुह के सामने थी में टूट पड़ा माँ स्सस्सस्स ..आह्ह्ह ..स्स्स्स करने लगी.में जीभ कोचुत के अन्दर्तक घुसा देता..माँ उछल जाती.
माँ ने कहा- अब बस कर..
मेने चूत से मुह निकाला पूछा -क्या होगया ?
माँ-नहीं.पर में चाहती हु हम साथ में मजा ले.. और हम दोनों नंगे बिस्तर पर चले गये.माँ जब चलती थी तो उनकी चुचिया उछलती थी.और गांड इसे मटकती जसे कोलू में गन्ना निचोड़ते है ऐसे लंड को निचोड़ देगी.
बिस्तर पर हम ६९ की पोजीसन में लेट गये माँ ऊपर थी में निचे.और एकदूसरे को चूसने लगे में माँ की चूत को ऐसे चूस रहा था.मनो घुस जाना हो सचमे मेरा मन करता था.मेचुत में घुस जाऊ ..माँ भी कभी मेरे अन्डो को चुस्ती कभी मेरे पुरे लंड को निगल जाती.माने लंड की चुसाई में स्पीड बढ़ा दी.में भी चूत में ऊँगली घुसाता ओर चूसता फिर मेने कुछ ऐसा किया....माकी गांड पे भी अपना अंगूठा घुमाने,रगड़ने लगा और चूत को चूसने लगा..माँ को मजा आ रहा था ..उसने लंड को अपने होठो के बीच सख्ती से दबाते हुए चूस ने लगी थी.मेने अब अंगूठे पर दबाव डाला और अंगूठा गांड में अंदर-बाहर करने लगा चूत में जीभा घुसा कर चोद ने लगा ...मेरे मुह में माँ का रस आने लगा था ..आने लगा क्या मेरा तो पूरा मुह भर गया ...उधर लंड ने भी फव्वारा छोड़ दिया,माँ के मुह में माँ सारा रस पि गई ..और लंड को चाट कर साफ करने लगी..मेने भी माँ की चूत को चाट कर साफ़ कर दिया.माँ निचे उतार गई दोनों बीएड पर थोड़ी देर पड़े रहे..
माँ ने चुप्पी तोडी कहा-अंगूठे से क्या कर रहा था.
में - मम्मी आप को मजे दे रहा था...
माँ-में समझ रही हु तेरा इरादा क्याहै????
माँ ने कहा- अब बस कर..
मेने चूत से मुह निकाला पूछा -क्या होगया ?
माँ-नहीं.पर में चाहती हु हम साथ में मजा ले.. और हम दोनों नंगे बिस्तर पर चले गये.माँ जब चलती थी तो उनकी चुचिया उछलती थी.और गांड इसे मटकती जसे कोलू में गन्ना निचोड़ते है ऐसे लंड को निचोड़ देगी.
बिस्तर पर हम ६९ की पोजीसन में लेट गये माँ ऊपर थी में निचे.और एकदूसरे को चूसने लगे में माँ की चूत को ऐसे चूस रहा था.मनो घुस जाना हो सचमे मेरा मन करता था.मेचुत में घुस जाऊ ..माँ भी कभी मेरे अन्डो को चुस्ती कभी मेरे पुरे लंड को निगल जाती.माने लंड की चुसाई में स्पीड बढ़ा दी.में भी चूत में ऊँगली घुसाता ओर चूसता फिर मेने कुछ ऐसा किया....माकी गांड पे भी अपना अंगूठा घुमाने,रगड़ने लगा और चूत को चूसने लगा..माँ को मजा आ रहा था ..उसने लंड को अपने होठो के बीच सख्ती से दबाते हुए चूस ने लगी थी.मेने अब अंगूठे पर दबाव डाला और अंगूठा गांड में अंदर-बाहर करने लगा चूत में जीभा घुसा कर चोद ने लगा ...मेरे मुह में माँ का रस आने लगा था ..आने लगा क्या मेरा तो पूरा मुह भर गया ...उधर लंड ने भी फव्वारा छोड़ दिया,माँ के मुह में माँ सारा रस पि गई ..और लंड को चाट कर साफ करने लगी..मेने भी माँ की चूत को चाट कर साफ़ कर दिया.माँ निचे उतार गई दोनों बीएड पर थोड़ी देर पड़े रहे..
माँ ने चुप्पी तोडी कहा-अंगूठे से क्या कर रहा था.
में - मम्मी आप को मजे दे रहा था...
माँ-में समझ रही हु तेरा इरादा क्याहै????
फिर थोड़ी देर बाद हम बाथरूम में चले गयेममे माँ के बदन पर साबुन लगा रहा था.माँ मेरे बदन पर साबुन लगा रही थी.मेने चुचिया मसलना चालू कर दिया.माने कहा अब नहीं,मेने कहा माँ में मस्ती कर रहा हु.माँ ठीक है..और में माँ के चुत्तड़ो पे साबुन लगाने लगा.गांड की दरार में सहलाने लगा.माँ मेरे लंड और अंडो को सहला रही थी.मेने साबुन वाली ऊँगली माँ की गांड में घुसा दी.
मा-ये क्या कर रहा है.?? निकाल ....
में-मम्मी मजा आएगा...
माँ -नहीं आगे की चीज का मजा जब चाहिए तब लेलेना ...पीछे के बारे में सोचना भी मत..
में-क्यों..मम्मी पीछे भी तो किया जाता है ..
माँ-मेने कभी पीछे नहीं लिया,और वेसे ही तेरा इतना बड़ा है की में सोचकर ही डर जाती हूँ..
में-कुछ नहीं होगा ..और मैने फिर उंगली डाल दी..और अंदर-बाहर करने लगा.
माँ मेरे चुत्तड़ो को सहला रही थी.मेने फिर अंगूठा डाल दिया..माँ उछल गई..
माँ- मेने मना किया ना.अब ऐसा करे गा तो मोर बना दूंगी.
में - केसे मोर बना देगी? अब उछल ने की बरी मेरी थी माने अपनी उंगली मेरे पीछे घुसा दी..
में- ओ.माँ ....मम्मी..निकालो..एसा न..करो..
माँ-क्यों बेटा जी ..
में- माँ जब आपनी फटती है हो मम्मी,तो क्या नानी भी याद आ जाती है..
माँ- तो मुझे केसा होता होगा?
में -तुझे तो मजा आएगा .मम्मी तू मोर बनाने की बात कर रही थी.वोकेसे?
माँ - तेरी गांड मे झाड़ू घुसा दूंगी,फिर मोर की तरह घूमते रहना..मुझे हंसी आ गई..माँ भी हंसने लगी.मेने फिर उंगली डाली..
मेने कहा - मम्मी तुम्हे मेरा ऊँगली डालना अच्छा तो लगता ही है..सच है ना?
माँ- पर तेरे लोडे से डर लगता है.बहुत बड़ा और मोटा है ..मेरी फाड़ देगा..
में- तु कुछ भी कहै लेकिन में एक दिन जरुर तेरी गांड में अपना लंड डाल के रहूंगा?..
माँ-बेटा ऐसा ख्वाब में भी मत सोचना..की में तेरे लोडे से गांड मरवाउंगी..ये ऊँगली डाल देता है तब तक ठीक है..
में- तू कुछ भी कहै में तेरी गांड मार के ही रहूँगा..
माँ- ये तेरा ख्वाब ,ख्वाब ही रहेगा मेरे लाले..
में -मम्मी आज नहीं तो फिर कभी लेकिन तेरी गांड में अपना लंड नहीं पेला तो में तेरा बेटा नहीं...
माँ-नहीं पेल सका तो भी तू मेरा ही बेटा रहेगा.माँ का प्यारा मादरचोद..
नहाकर हम बदन को पोछ रहे थे, माँ झुक कर पेरो को पोंछ रही थी.गांड मेरी तरफ थी में देखता ही रह गया पहलीबार में माँ की गांड देख रहाथा.खिले हुए गेंदे के फुल जेसी.मस्त..भूरे रंग की ..मेने अपने लोडे से टच किया..माँ ने मुझे धक्का दिया.में बाहर चला गया..
दादाजी दुकान से आ गये थे.सब ने साथ में खाना खाया.दादाजी ने थोड़ी देर बाद टीवी देखा फिर ऊपर अपने कमरे में चले गये.माँ ने अपना कम निपटा लिया.और मेरे पास आ गई रात भर हम चुदाई करते रहे लेकिन माँ ने गांड नहीं दी..
मा-ये क्या कर रहा है.?? निकाल ....
में-मम्मी मजा आएगा...
माँ -नहीं आगे की चीज का मजा जब चाहिए तब लेलेना ...पीछे के बारे में सोचना भी मत..
में-क्यों..मम्मी पीछे भी तो किया जाता है ..
माँ-मेने कभी पीछे नहीं लिया,और वेसे ही तेरा इतना बड़ा है की में सोचकर ही डर जाती हूँ..
में-कुछ नहीं होगा ..और मैने फिर उंगली डाल दी..और अंदर-बाहर करने लगा.
माँ मेरे चुत्तड़ो को सहला रही थी.मेने फिर अंगूठा डाल दिया..माँ उछल गई..
माँ- मेने मना किया ना.अब ऐसा करे गा तो मोर बना दूंगी.
में - केसे मोर बना देगी? अब उछल ने की बरी मेरी थी माने अपनी उंगली मेरे पीछे घुसा दी..
में- ओ.माँ ....मम्मी..निकालो..एसा न..करो..
माँ-क्यों बेटा जी ..
में- माँ जब आपनी फटती है हो मम्मी,तो क्या नानी भी याद आ जाती है..
माँ- तो मुझे केसा होता होगा?
में -तुझे तो मजा आएगा .मम्मी तू मोर बनाने की बात कर रही थी.वोकेसे?
माँ - तेरी गांड मे झाड़ू घुसा दूंगी,फिर मोर की तरह घूमते रहना..मुझे हंसी आ गई..माँ भी हंसने लगी.मेने फिर उंगली डाली..
मेने कहा - मम्मी तुम्हे मेरा ऊँगली डालना अच्छा तो लगता ही है..सच है ना?
माँ- पर तेरे लोडे से डर लगता है.बहुत बड़ा और मोटा है ..मेरी फाड़ देगा..
में- तु कुछ भी कहै लेकिन में एक दिन जरुर तेरी गांड में अपना लंड डाल के रहूंगा?..
माँ-बेटा ऐसा ख्वाब में भी मत सोचना..की में तेरे लोडे से गांड मरवाउंगी..ये ऊँगली डाल देता है तब तक ठीक है..
में- तू कुछ भी कहै में तेरी गांड मार के ही रहूँगा..
माँ- ये तेरा ख्वाब ,ख्वाब ही रहेगा मेरे लाले..
में -मम्मी आज नहीं तो फिर कभी लेकिन तेरी गांड में अपना लंड नहीं पेला तो में तेरा बेटा नहीं...
माँ-नहीं पेल सका तो भी तू मेरा ही बेटा रहेगा.माँ का प्यारा मादरचोद..
नहाकर हम बदन को पोछ रहे थे, माँ झुक कर पेरो को पोंछ रही थी.गांड मेरी तरफ थी में देखता ही रह गया पहलीबार में माँ की गांड देख रहाथा.खिले हुए गेंदे के फुल जेसी.मस्त..भूरे रंग की ..मेने अपने लोडे से टच किया..माँ ने मुझे धक्का दिया.में बाहर चला गया..
दादाजी दुकान से आ गये थे.सब ने साथ में खाना खाया.दादाजी ने थोड़ी देर बाद टीवी देखा फिर ऊपर अपने कमरे में चले गये.माँ ने अपना कम निपटा लिया.और मेरे पास आ गई रात भर हम चुदाई करते रहे लेकिन माँ ने गांड नहीं दी..
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माँ-तेरे दादाजी दुकान चले गये.तेरे पापा भी गाँव से आने के लिए निकाल गये है...और..
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माँ-करनी है तो जल्दी कर क्योकि आज दादी भी आ ने वाली है..
में -दादी..?????
माँ-हाँ दादी भी अहमदाबाद से निकाल गई है... दादी का नाम सुनते ही मेरा लंड ढीला हो गया..
दादी../...नाम-जशोदा.. रंग-सांवला.. हाईट-५ फुट,६ इंच..मतलब लंडबा कद.. वेइट-शायद ९५ kg. चेहरा -स्मार्ट..नजर हटाने को दिल न करे... सीना(चुचे)-बड़े,बड़े नारियल जितने.. पिछवाडा-हदसे ज्यादा बाहर उभरा हुआ.और बहूत बड़ा..मान लीजिए porn फ़िल्ममे दिखाई जाने वाली BBW जेसी ओरत. जो हंमेशा साडी ब्लाउज ही पहनती है. उम्र-५१ साल (क्योकि मेरे दादाजी की वो दूसरी बीवी है.मेरे पापा की माँ के अवसान के बाद दादाजी ने दुबारा शादी की.मेरे चाचा उनके सगे पुत्र है.) परिवार में दादी का रूतबा ऐसा है की उनको पूछे बगेर कोई काम नहीं होता.धंधे का सारा हिसाब उनके पास ही रहता है.दादी जब घर पर होती है तो हंमेशा माके साथ होती है.सब उनकी इज्जत करते है..डरते भी है..ऐसी दादी आ रही थी तो लाजमी है मेरा लंड ढीला हो जाये...
माँ- क्यों तुझे शोक लग गया?
में - मम्मी अब हमारे खेलने के दिन गये..
माँ-जो वक्त उसमे थोडा मजा कर ले आगे की जो होगा सो होगा..
माँ ने लंडद्को मुह में डाल दिया और चूसने लगी..मेने माँ को आईने के सामने खड़ा किया उनका गाउन उतार दिया माँ ने उंदर कुछ नहीं पहना था.में मम्मो को दबाने लगा.और माँ का एक पैर स्टूल पे रखवा दिया पीची चुत्तड़ो के बीचा से लंड को चूत में घुसाने लगा..माँ ने हैल्प की और लंड पूरा घुस गया अब में इसी पोज में चुदाई करने लगा.सामने आईने में दोनों देख रहे थे....मजा आरहा था..
में-मम्मी में झड ने वाला हु ..
माँ- ला मेरे मुहमे चूस लू जाने फिर कब तेरा माल पिने को मिलेगा ?? माँ सामने बेठ गई और लोडा चूसने लगी..मेने सारा माल मुहमे छोड़ दिया माँ पि गई और लंड को भी चाट कर साफ़ कर दिया.में नहाने चला गया.माँ भी अब नोर्मल हो गई मुझे दादाजी के पास दुकान पे भेज दिया..
में-मम्मी में झड ने वाला हु ..
माँ- ला मेरे मुहमे चूस लू जाने फिर कब तेरा माल पिने को मिलेगा ?? माँ सामने बेठ गई और लोडा चूसने लगी..मेने सारा माल मुहमे छोड़ दिया माँ पि गई और लंड को भी चाट कर साफ़ कर दिया.में नहाने चला गया.माँ भी अब नोर्मल हो गई मुझे दादाजी के पास दुकान पे भेज दिया..
दो पहर पापा आ गये उन्होंने दादा जी को बताया दादी घर पर आ गई है. और दादाजी को खाने के लिए घर भेज दिया. में और पापा शाम तक दुकान पर रहे..फिर घर गये..खाना खाया.देर तक बाते होती रही.चाचा जिस मकान में रहते थे उसके मालिक कने उस मकान को रिपेर करना था.तो चाचाजी दुसरे मकान में रहते थे जो तिन छोटे-छोटे रूम वाला था.एक रूम्मे सारा सामन भर दिया था.दुस्रेमे रसोई बनाते थे.बचा एक कमरा वो भी छोटासा उसमे ही सब सो जाते थे.पर अब उस बड़े मकान का काम पूरा हो गया था.और उसके मालिकने चाचाजी को वही सिफ्ट हो जाने के लिए कहाथा .दादा-दादी उपर अपने कमरे में चले गये,माँ पापा अपने कमरे में और में अपने कमरे में. चार दिनों तक एसा ही चलता रहा था.बीच में एक दिन माँ पापा के साथ गाँव की दुकान पर भी गई.लेकिन आज चाचाजी का फोन आया था.
रात को खाने के बाद सब बेठे थे.दादी- छोटे का फोन आया था.कहता था.की एक-दो दिन में घर का सामान सिफ्ट करना पडेगा.तो मुझे और साथ मे हैल्प केलिए राहुल को भी बुलाया है.दादाजी -ठीक है तुम दोनों चले जाना.अगर जरूरत हो तो मनीष को भी ले जाइए. दादी-नहीं, वहां वो रहता है उस मकान मे उठने-बेठने जगह ही नहीं है.. और वेसे भी राहुल आ रहा है..जो कुछ कम करेगा.में माँ की और देखा रहा था.में सोचता था माँ मुझे यहाँ रुकने के लिए कहेंगी.पर ....माँ-तो कब जाना है?.... दादी- दोपहर के बाद निकलेंगे..बस से ही जायेंगे.
दोपहर के बाद में और दादी बस स्टेशन आ गये..लेकिन शादियों का मोसम था.बहुत ही भीड़ थी हमने दो बसों को जाने भी दिया लकिन कोई फायदा नहीं भीड़ एसी ही हो जाती.अब जो बस आई उसमे में और दादी चढ़ गये...बेठने को जगह नहीं थी तो हम खड़े थे..मेरे आगे एक आदमी खडा था.उससे आगे दादी खड़ी थी.दादी किआगे भी ओरते खड़ी थी.बस फुल हो गई थी ...और चलने लगी.वो आदमी दादी से बिलकुल चिपक कर खड़ा था.जब बस का जटका लगता तो वो दादी के बड़े चुत्तड़ो पे धक्के दे देता.मुझे लगा दादी उसे डाटेगी और झगडा होगा.लेकिन एसा कुछ नहीं हुआ.उल्टा दादी ने मुड़कर भी नहीं देखा की पीछे कोण है?में सोचने लगा इतने बड़े चुत्तड़ो पर दादी को पता भी नहीं लगता होगा की क्या हो रहा है?में मुस्करा दिया..कुछ देर बाद उसका स्टेंड आ गया वो उतार गया.अब दादी के चुत्तड़ो को में छु रहा था.लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा था.पर डर के आगे ही तो जित है?...मेने सोचा कुछ होगा तो बोल दूंगा भीड़ की वजह से हुआ..........अब में भी चुत्तड़ो पर अपना लंड दबाने लगा.मजा आ रहाथा.मेने पेंट में हाथ डाला और लंड को सेट किया ताकि चुत्तड़ो की दरार को छू सके...और सेट कर के चुत्तड़ो की दरार में दबाने और घिसने लगा.कभी-कभी दादी भी लंड को दबा देती..तो बहुत मजा आता..बस में जब भीड़ बढ़ गई तो में ऐसे ही लंड सटाए खड़ा रहा.मुझे गांड की गर्मी महसूस हो रही थी तो दादी कोभी मेरे लंड की गर्माहट लग रही होगी..लेकिन फिर भी..दादी ने मुड़कर भी नहीं देखा ...ऐसा काफी देर तक चला हमारा स्टेंड आया तो दादी पीछे कोण ये देखे बगेर ही उतार गई ,मेभी एक-दो पेसेंजर का उतारने बाद उतार गया ताकि दादी को शक ना हो..स्टेंड से रिक्सा किया और चाचाजी के घर पंहुच गये...
दोपहर के बाद में और दादी बस स्टेशन आ गये..लेकिन शादियों का मोसम था.बहुत ही भीड़ थी हमने दो बसों को जाने भी दिया लकिन कोई फायदा नहीं भीड़ एसी ही हो जाती.अब जो बस आई उसमे में और दादी चढ़ गये...बेठने को जगह नहीं थी तो हम खड़े थे..मेरे आगे एक आदमी खडा था.उससे आगे दादी खड़ी थी.दादी किआगे भी ओरते खड़ी थी.बस फुल हो गई थी ...और चलने लगी.वो आदमी दादी से बिलकुल चिपक कर खड़ा था.जब बस का जटका लगता तो वो दादी के बड़े चुत्तड़ो पे धक्के दे देता.मुझे लगा दादी उसे डाटेगी और झगडा होगा.लेकिन एसा कुछ नहीं हुआ.उल्टा दादी ने मुड़कर भी नहीं देखा की पीछे कोण है?में सोचने लगा इतने बड़े चुत्तड़ो पर दादी को पता भी नहीं लगता होगा की क्या हो रहा है?में मुस्करा दिया..कुछ देर बाद उसका स्टेंड आ गया वो उतार गया.अब दादी के चुत्तड़ो को में छु रहा था.लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा था.पर डर के आगे ही तो जित है?...मेने सोचा कुछ होगा तो बोल दूंगा भीड़ की वजह से हुआ..........अब में भी चुत्तड़ो पर अपना लंड दबाने लगा.मजा आ रहाथा.मेने पेंट में हाथ डाला और लंड को सेट किया ताकि चुत्तड़ो की दरार को छू सके...और सेट कर के चुत्तड़ो की दरार में दबाने और घिसने लगा.कभी-कभी दादी भी लंड को दबा देती..तो बहुत मजा आता..बस में जब भीड़ बढ़ गई तो में ऐसे ही लंड सटाए खड़ा रहा.मुझे गांड की गर्मी महसूस हो रही थी तो दादी कोभी मेरे लंड की गर्माहट लग रही होगी..लेकिन फिर भी..दादी ने मुड़कर भी नहीं देखा ...ऐसा काफी देर तक चला हमारा स्टेंड आया तो दादी पीछे कोण ये देखे बगेर ही उतार गई ,मेभी एक-दो पेसेंजर का उतारने बाद उतार गया ताकि दादी को शक ना हो..स्टेंड से रिक्सा किया और चाचाजी के घर पंहुच गये...
जब घर पहुंचे चची
घर पर थी
...दादी सीधा बाथरूम चली गई चची
ने मुझे पानी दिया..में कुर्सी पे बेठा गया..
कुछ देर बाद दादी आई ..मुझे कहा
तू भी हाथ
पैर धो ले
..अच्छा लगेगा.. में भी बाथरूम चला
गया. आया तो दादी पंखे
के निचे बेठी थी saadi घुटनों तक
चढ़ा रखी थी. में
वही सामने बेठा गया.दादी के saadi ऊपर करने
की वजह से उनकी बड़ी-बड़ी सांवली जांघे दिख रही थी.दादी बे
फ़िक्र थी.में
नज़ारे चुरा कर देख
लेता था.चची
हाय ले कर
आई.. और चाय
पीते-पीते बातें करने लगे ..शाम होने को आई
थी .चाची और दादी रसोई
के काम में लग गई..में टीवी देखने लगा.चाचाजी आ गये
मुझे देख कर खुश
हो गये.बोले अब तू
कुछ दिन यही रुकना बहुत दिनों के बाद
आया है..और
में चाचा के साथ
गप्पे मरने लगा मेरी चाचा के साथ
अच्छी बनती है क्यों की
चाचाजी मुझसे करीब १० साल
बड़े है..मेरे बड़े
होने के बाद
..हमारे बीच जनरेशन गेप नहीं है दोस्तों जेसा
व्यवहार रहा है..रसोई तेयार
हो गई..सबने खाना
खाया में और चाचा ठंडा
पिने बाहर चले गये आया तो दादी और
चची टीवी देख रहे थे. रूममे बिस्तर
लगा दिए थे.मेने कपडे
बदले..लोअर पहन लिया ..और रुममे दीवार
के पास लेट गया.सबने थोड़ी देर टीवी देखा और सो
गये..दादी मेरे पास में सोई ..चची उस दिवर्की और
लेटी थी चाचा उनके
पास सो गये.चाचा ने कहा
माँ लाईट बंधा कर दू?दादी हाँ..बंधा कर दे...सब सो गये.
इतने में चाचू की फुसफुसाहट किआवाज आई
चाची-क्या कर रहे हो घर में माजी और राहुल है?...चाचा-सब सो गये है..ट्रावेलिंग से थके है बेचारे.
चाची- ठीक से देखा लो...बाद में..चाचा ने मोबाईल ओन किया और हमारी तरफ देखा हम सो रहे थे.चाचा ने मुझे हलकी सी आवाज दी पर में कुछ नहीं बोला..
चाचा- तेरे चूचो का सारा दूध पि जाउंगा..कितने मस्त है..छोटे-छोटे.बहुत मजा आ रहा है ..
चाची-जानू इसे ज्यादा मत दबाओ बड़े हो जायेंगे..सिर्फ..दुदू पिओ..और.. ऐसे उंगली चूत में मत डालो..मुझे अन्दर तुम्हारे नाख़ून चुभ रहे है...
चाचा-ठीक है रानी..ऊपर से सहला देता हु..तू लंड पकड़ कर क्यो बेठी है थोडा सहलाना...
चाची-ओह मेरे रा जा....ये तो रेडी है चलो इसे चूत मे डालो और मुझे आसमान की सेर कराओ..
चाचा-हाँ मेरी रानी मेरा ये रोकेट तुझे आसमान में ले जाने को बेताब है..
चाची-स्स्स्स..डालो ना...देखो..चूत से कितना पानी निकाल रहा है...सस..स्स्स्स.
चाचा-ले मेरी चुत रानी..ले.ले..पूरा...चाचा ने जोर से धक्का मारा ...
चाची- उईईई...मम्मी..कितनी बार कहा धीरे डालो ये छोटी सी चूत है बड़ा भोसड़ा नहीं है ...
चाचा-दो साल से चोद रहा हूँ फिर भी इसे उछलती है जेसे पहली बार हो..
चाची- देखो जल्दी मत को हल्के- हलके धक्के देते रहो में कहि भागी नहीं जा रही...चाचा चची की चूत आराम से चोद रहे थे..मेरी नींद उड़ गई थी..
चाची-जानू..थोया फ़ास्ट..प्लीज घर में सब है जल्दी करो...
चाचा-...हाँ..ले...ले..मेरा..पू
चाची-आने दो ऐसे ही..स्स्स्स.आह्ह्ह.आह्ह.कम ओन राजा फास्ट..और तेजज...ओह्ह्ह्ह..हाय...आह्ह्ह.
चाचा-ले मेरी रानी..मेरा लोडा..तेरे लिए ही तो है.....हलकी सी तपाक-तपाक की आवाजे आ रही थी...चाची की साँसे..तेज हो गई थी..
चाची-ओ..स्स्स्स...आह्ह्ह...ओ..
चाची-अब निकाल भी लो अपने रोकेट को और ठीक अपनी जगह रख दो..मुझे सोने दो.
चाचा-तू आसमान की सेर कर आई पर अभी ये फटा नहीं है.....
चाची- मेने कितनी बार कहा..हंमेशा साथ में चला करो जानू तुम हो की पीछे ही छुट जाते हो...
चाचा- तू तो जानती है मुझे घोड़ी पे सवार होना अच्छा लगता है..
चाची-आज घर में सब है...आज के लिए तो साथ चल देते..अब जल्दी करो..
चाचा-देर तो तू कर रही है डार्लिंग...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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