FUN-MAZA-MASTI
यह मेरे जीवन का वो चौंका देने वाला लम्हा था, जिसकी उम्मीद मुझे नहीं थी।
मैं 21 साल का हूँ और मेरी लम्बाई 5 फुट 6 इंच है। मेरा रंग हल्का और इकहरी देह है, मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।
मेरा हमेशा से ही लड़कियों और आंटियों के साथ चुदाई करने का मन करता रहा है, ख़ास तौर से आंटियों के प्रति कुछ ज्यादा ही वासना रही है।
अब मैं कहानी पर आता हूँ यह कहानी आज से छ: महीने पहले की है जब मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थीं तो एक दिन जब मैंने बहुत दिन बाद अपनी जीमेल आईडी खोली तो उसमें एक रानी नाम की लड़की का एक मेल देखा।
मैंने उसे खोल कर देखा, उसमें लिखा था- क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?
पहले तो मेरे मन लड्डू फूटने लगे, पर मुझे पता था कि जरूर यह मेल मेरे किसी दोस्त ने भेजा है तो मैंने भी ‘यस’ करके वापिस रिप्लाई कर दिया और मैंने मेल बंद कर दी।
मैंने दूसरे दिन जब मैंने मेल खोली तो देखा जीमेल पर रानी के नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट थी।
मैंने उसे स्वीकार कर लिया फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि एक ऑनलाइन मैसेज आया है, तो मैं बात करने लगा।
रानी बोली- कैसे हो?
मैंने कहा- मैं ठीक हूँ, आप कौन हो?
तो वो बोली- मेरा नाम रानी है और मैं गाजियाबाद से हूँ.. क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?
मैंने कहा- मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि आप लड़की हो।
तो उसने- क्यों… ऐसा क्या हुआ जो तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं हो रहा?
मैंने कहा- मेरे दोस्त मेरे साथ लड़की की आईडी बनाकर ईमेल करते हैं और मुझे चूतिया बनाते हैं इसलिए…
तो बोली- अपना नम्बर दो।
मैंने नम्बर दे दिया और वो ऑफलाइन हो गई।
फिर न तो उसकी कॉल आई न मैसेज तो मैंने सोचा कि कोई मुझे पागल बना रहा है।
मैं ईमेल बंद करके सो गया और उसका न ही मेल आया न कोई फोन आया।
फिर दो या तीन दिन बाद शाम को एक मिस कॉल आई तो मैंने वापस फोन मिलाया।
मैंने पूछा- हैलो… कौन?
तो दूसरी तरफ से लड़की की आवाज आई, बोली- पहचाना नहीं?
मैंने कहा- सॉरी.. मैंने आपको नहीं पहचाना… आप कौन?
तो वो बोली- हाँ.. पहचानोगे क्यों.. नम्बर देकर भूलने की बीमारी है न..
मैंने कहा- मैं नम्बर तो बहुतों को देता हूँ तो मुझे इस वक्त ध्यान नहीं है।
तो वो बोली- जीमेल आईडी याद है रानी नाम से और तुमने मुझे अपना नम्बर दिया था।
इतना सुनते ही मैं खुश हुआ कि यह तो सच में लड़की है।
मैंने उससे बातें कीं, उसने बताया- वो अकेली रहती है, एक साल पहले एक दुर्घटना में उसके पति की मृत्यु हो गई है।
तो मैंने ‘सॉरी’ बोला, उसने कहा- कोई बात नहीं।
फिर हम रोज बात करते, एक-दूसरे के बारे में पूछते।
इस तरह बात करते-करते हमें दस या बारह दिन हो गए।
एक दिन वो तो बोली- कल आप मुझे मिल सकते हो?
मैं अपने मन में सोच रहा था कि नेकी और पूछ-पूछ।
मैंने कहा- ठीक है.. उसने मुझे अपना पता दिया और मैं रात भर सो नहीं पाया कि सोचता रहा कि यह कैसी औरत होगी।
फिर मैं दूसरे दिन उसके दिए हुए पते पर पहुँचा और मैंने दरवाज़ा खटखटाया।
उसने दरवाज़ा खोला तो मैं उसे देखता ही रह गया, क्या गज़ब की लग रही थी।
काले रंग की साड़ी में उसकी उम्र यही कोई 24-25 साल होगी, कसा हुआ बदन, गोरा रंग 28-30-34 का फिगर होगा। खैर.. मैं अन्दर गया तो उसका घर भी अच्छा था, उसने मुझे सोफे पर बिठाया, मैं बैठ गया तो वो पानी लेकर आई।
मैंने पूछा- आप अकेली रहती हैं?
तो बोली- हाँ..
लेकिन मेरी नज़र तो उसकी चूचियों पर थी।
फिर मैंने कहा- आपने दूसरी शादी क्यों नहीं की?
बोली- बस ऐसे ही नहीं की।
मैंने कहा- आपके साथ ऐसा हुआ, यह जान कर मुझे बहुत दु:ख हुआ।
तो वो रोने लगी तो उसके नजदीक जाकर मैंने उसको गले लगाया और शांत करने लगा।
उसकी चूचियाँ मेरी छाती से चुभ रही थीं मेरा मन कर रहा था कि अभी भींच डालूँ।
कुछ पल सुबकने के बाद वो चुप हो गई।
मेरी तरफ देखते हुए वो बोली- क्या तुम मुझे प्यार करोगे?
तो मैंने इतना सुनते ही उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी थी। फिर दस मिनट तक हम चुम्बन करते रहे। फिर वो बोली- अन्दर कमरे में चलते हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है..
जैसे ही उसने दरवाज़ा बंद किया तो मैं उसको अपने पास खींच कर, उसके होंठों को चूसने लगा। उसके होंठ बिल्कुल गुलाब की तरह नर्म और गुलाब-जामुन से भी ज्यादा मधुर थे।
चूमने के साथ-साथ मैं उसकी चूचियां भी दबा रहा था।
वो ‘आहें’ भर रही थी और पागलों की तरह मुझे चूम रही थी।
उसके बाद पहले मैंने उसकी साड़ी-ब्लाउज और ब्रा उसके जिस्म से अलग की। जब मैंने उसकी नंगी चूचियों को देखा तो पागल हो गया।
मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा और उसका दूध पीने लगा।
इस तरह उसे खूब गर्म कर दिया, वो पागलों की तरह मेरे लंड को मसल रही थी और कह रही थी- फ़क मी.. फ़क मी..
मैंने उसके पेटीकोट के साथ अपने कपड़े भी उतार दिए तो उसने जल्दी से मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और चूसने लगी, तो लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैं झड़ गया, वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
फिर मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी। मुझे आज पहली बार किसी नंगी चूत के दर्शन हुए थे और उसकी क्या चूत थी.. एक भी बाल नहीं था। शायद उसने आज ही बाल साफ किए थे।
मैंने उसकी चूत में एक ऊँगली की, तो वो सिसकारी भरने लगी- आह आह्ह.. आह आह्ह..
मैंने पूरी उंगली अन्दर पेल दी और अन्दर-बाहर करने लगा उसकी चूत चिपचिपी हो उठी।
‘प्लीज अब मत तड़पाओ.. मैं मर जाऊँगी।
मैं पूरी तरह से उत्तेजित था लेकिन मुझे पता था कि उसको लम्बे समय तक कैसे चोदना है।
मैंने देर न करते हुए उससे कंडोम माँगा तो उसने मेरे लंड पर कंडोम चढ़ाया।
अब मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखीं और लंड उसकी बुर के छेद के ऊपर रख दिया।
मैंने उसकी आँखों में देखा और उसकी तड़फ को देखते हुए हल्के से एक धक्का लगाया तो सुपारा चूत में फंस गया।
यारों क्या मजा था.. मैं बता नहीं सकता।
फिर मैंने थोड़ा और जोर डाला तो उसकी चीख निकली तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
‘क्या दर्द हो रहा है?’
तो बोली- कोई बात नहीं.. सह लूँगी, बहुत दिनों की प्यास है।
अब मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था तो बोली- अब और करो..
तो मैंने एक धक्का दिया तो लंड अन्दर हो गया।
फिर मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा और धक्के लगाने शुरू किए।
थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगा तो वो भी मेरे धक्कों का जवाब नीचे से धक्के लगा कर दे रही थी।
वो पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी- सीईई उईईई माँ हाय उफ्फ म्म्म चोदो मुझे राजा.. फाड़ दो मेरी..बुर.. मुझे बिना चुदे.. एक साल हो गया है।
मुझे भी जोश आ रहा था और अब मैं जोर-जोर से धक्के लगा कर उसे चोद रहा था।
पूरा कमरा ‘फच.. फच’ की आवाजों से भरा हुआ था, वो नीचे से कूल्हे उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली- रुको.. मैं तुम्हारे ऊपर आना चाहती हूँ।
वो मेरे ऊपर आ गई और मेरा लंड अपनी बुर में ले लिया।
अब वो क्या हिल रही थी कि मानो मेरा लौड़ा चबा जाएगी, उसके स्तन भी क्या मस्त हिल रहे थे।
मैंने उसके स्तनों से खेलना चालू किया तो वो और भी जोश में आ गई और अपनी बुर में और अन्दर मेरा लण्ड लेने लगी।
वो झड़ गई थी।
मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है।
तो बोली- बाहर निकाल लो।
उसने मेरा कंडोम हटा कर लण्ड को मुँह में ले लिया।
मुझे बहुत मजा आने लगा, फिर वो मेरा लंड हिलाने लगी और मैंने उसके मुँह में ही धार छोड़ दी।
उसका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया था, उसने थोड़ा निगल लिया और थोड़ा बाहर निकाल दिया और मुझे देख कर हंसने लगी, बोली- तुमने आज मुझे जन्नत की सैर करा दी।
मैं निढाल होकर उसके ऊपर लेट गया।
फिर हमने ऐसे ही थोड़ी बातें की और मैं उसके चूतड़ों पर हाथ फिरा रहा था और मैंने बातों ही बातों में उससे कहा- तुम्हारी गांड भी बहुत अच्छी है।
वो मेरा मतलब समझ गई और बोली- जान.. आज मैं तुम्हारी हूँ.. जो चाहे करो बस मुझे बहुत प्यार करो।
फिर उसने मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे लंड को खड़ा होने में वक्त नहीं लगा।
मैंने बोला- तुम घोड़ी बन जाओ।
वो बन गई, मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया। उसके मुँह से जोर की चीख निकल गई। वो सीधी हो गई मेरा लौड़ा बाहर निकल आया।
मैं बोला- क्या हुआ?
वो बोली- तुमने मेरी गांड फाड़ दी।
फिर उसके आंसू निकल आए तो मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा पर उसके बाद मजा आएगा।
वो मान गई, मैंने थोड़ा तेल लंड पर लगा लिया, फिर उसकी गांड में डाल दिया।
थोड़ी देर के बाद मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया।
फिर उसे भी मजा आने लगा और फिर एक बार मेरा माल निकलने वाला था, उसने बोला- मेरी गांड में ही निकाल दो।
मैंने सारा वीर्य अन्दर निकाल दिया।
अब वो हँस रही थी। उसने कहा- आज तुमने मेरी गांड की सील भी खोल दी। आज तुमने मुझे बहुत प्यार किया, ऐसे ही करते रहना।
मैंने कहा- दोस्ती की है.. तो पूरी निभाऊँगा।
फिर हमने कपड़े पहने और मैं चलने को हुआ तो उसने मुझे एक प्यारा सा चुम्बन किया और कुछ पैसे दिए।
मैंने मना किया तो उसने ज़ोर देकर बोली- रख लो.. मेरी तरफ से गिफ्ट है।
मैं मना नहीं कर सका और अपने घर आ गया। अब वो मुझे हर हफ्ते बुलाती और मैं उसकी प्यार से चुदाई करता हूँ।
फिर एक दिन वो बोली- मैं अब यहाँ से जा रही हूँ।
मैंने उसे बहुत मना किया तो बोली- मेरी पोस्टिंग नैनीताल में हो गई है।
वो चली गई और मेरा उससे कभी मिलना नहीं हुआ।
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विधवा की प्यास
मेरा नाम आलोक है मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। यह फन मज़ा मस्ती पर मेरी पहली कहानी है उम्मीद करता हूँ आपको जरूर पसंद आएगी।यह मेरे जीवन का वो चौंका देने वाला लम्हा था, जिसकी उम्मीद मुझे नहीं थी।
मैं 21 साल का हूँ और मेरी लम्बाई 5 फुट 6 इंच है। मेरा रंग हल्का और इकहरी देह है, मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।
मेरा हमेशा से ही लड़कियों और आंटियों के साथ चुदाई करने का मन करता रहा है, ख़ास तौर से आंटियों के प्रति कुछ ज्यादा ही वासना रही है।
अब मैं कहानी पर आता हूँ यह कहानी आज से छ: महीने पहले की है जब मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थीं तो एक दिन जब मैंने बहुत दिन बाद अपनी जीमेल आईडी खोली तो उसमें एक रानी नाम की लड़की का एक मेल देखा।
मैंने उसे खोल कर देखा, उसमें लिखा था- क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?
पहले तो मेरे मन लड्डू फूटने लगे, पर मुझे पता था कि जरूर यह मेल मेरे किसी दोस्त ने भेजा है तो मैंने भी ‘यस’ करके वापिस रिप्लाई कर दिया और मैंने मेल बंद कर दी।
मैंने दूसरे दिन जब मैंने मेल खोली तो देखा जीमेल पर रानी के नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट थी।
मैंने उसे स्वीकार कर लिया फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि एक ऑनलाइन मैसेज आया है, तो मैं बात करने लगा।
रानी बोली- कैसे हो?
मैंने कहा- मैं ठीक हूँ, आप कौन हो?
तो वो बोली- मेरा नाम रानी है और मैं गाजियाबाद से हूँ.. क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?
मैंने कहा- मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि आप लड़की हो।
तो उसने- क्यों… ऐसा क्या हुआ जो तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं हो रहा?
मैंने कहा- मेरे दोस्त मेरे साथ लड़की की आईडी बनाकर ईमेल करते हैं और मुझे चूतिया बनाते हैं इसलिए…
मैंने नम्बर दे दिया और वो ऑफलाइन हो गई।
फिर न तो उसकी कॉल आई न मैसेज तो मैंने सोचा कि कोई मुझे पागल बना रहा है।
मैं ईमेल बंद करके सो गया और उसका न ही मेल आया न कोई फोन आया।
फिर दो या तीन दिन बाद शाम को एक मिस कॉल आई तो मैंने वापस फोन मिलाया।
मैंने पूछा- हैलो… कौन?
तो दूसरी तरफ से लड़की की आवाज आई, बोली- पहचाना नहीं?
मैंने कहा- सॉरी.. मैंने आपको नहीं पहचाना… आप कौन?
तो वो बोली- हाँ.. पहचानोगे क्यों.. नम्बर देकर भूलने की बीमारी है न..
मैंने कहा- मैं नम्बर तो बहुतों को देता हूँ तो मुझे इस वक्त ध्यान नहीं है।
तो वो बोली- जीमेल आईडी याद है रानी नाम से और तुमने मुझे अपना नम्बर दिया था।
इतना सुनते ही मैं खुश हुआ कि यह तो सच में लड़की है।
मैंने उससे बातें कीं, उसने बताया- वो अकेली रहती है, एक साल पहले एक दुर्घटना में उसके पति की मृत्यु हो गई है।
तो मैंने ‘सॉरी’ बोला, उसने कहा- कोई बात नहीं।
फिर हम रोज बात करते, एक-दूसरे के बारे में पूछते।
इस तरह बात करते-करते हमें दस या बारह दिन हो गए।
एक दिन वो तो बोली- कल आप मुझे मिल सकते हो?
मैं अपने मन में सोच रहा था कि नेकी और पूछ-पूछ।
मैंने कहा- ठीक है.. उसने मुझे अपना पता दिया और मैं रात भर सो नहीं पाया कि सोचता रहा कि यह कैसी औरत होगी।
फिर मैं दूसरे दिन उसके दिए हुए पते पर पहुँचा और मैंने दरवाज़ा खटखटाया।
उसने दरवाज़ा खोला तो मैं उसे देखता ही रह गया, क्या गज़ब की लग रही थी।
काले रंग की साड़ी में उसकी उम्र यही कोई 24-25 साल होगी, कसा हुआ बदन, गोरा रंग 28-30-34 का फिगर होगा। खैर.. मैं अन्दर गया तो उसका घर भी अच्छा था, उसने मुझे सोफे पर बिठाया, मैं बैठ गया तो वो पानी लेकर आई।
मैंने पूछा- आप अकेली रहती हैं?
तो बोली- हाँ..
लेकिन मेरी नज़र तो उसकी चूचियों पर थी।
फिर मैंने कहा- आपने दूसरी शादी क्यों नहीं की?
बोली- बस ऐसे ही नहीं की।
मैंने कहा- आपके साथ ऐसा हुआ, यह जान कर मुझे बहुत दु:ख हुआ।
तो वो रोने लगी तो उसके नजदीक जाकर मैंने उसको गले लगाया और शांत करने लगा।
उसकी चूचियाँ मेरी छाती से चुभ रही थीं मेरा मन कर रहा था कि अभी भींच डालूँ।
कुछ पल सुबकने के बाद वो चुप हो गई।
मेरी तरफ देखते हुए वो बोली- क्या तुम मुझे प्यार करोगे?
तो मैंने इतना सुनते ही उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी थी। फिर दस मिनट तक हम चुम्बन करते रहे। फिर वो बोली- अन्दर कमरे में चलते हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है..
जैसे ही उसने दरवाज़ा बंद किया तो मैं उसको अपने पास खींच कर, उसके होंठों को चूसने लगा। उसके होंठ बिल्कुल गुलाब की तरह नर्म और गुलाब-जामुन से भी ज्यादा मधुर थे।
चूमने के साथ-साथ मैं उसकी चूचियां भी दबा रहा था।
वो ‘आहें’ भर रही थी और पागलों की तरह मुझे चूम रही थी।
उसके बाद पहले मैंने उसकी साड़ी-ब्लाउज और ब्रा उसके जिस्म से अलग की। जब मैंने उसकी नंगी चूचियों को देखा तो पागल हो गया।
मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा और उसका दूध पीने लगा।
इस तरह उसे खूब गर्म कर दिया, वो पागलों की तरह मेरे लंड को मसल रही थी और कह रही थी- फ़क मी.. फ़क मी..
मैंने उसके पेटीकोट के साथ अपने कपड़े भी उतार दिए तो उसने जल्दी से मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और चूसने लगी, तो लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैं झड़ गया, वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
फिर मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी। मुझे आज पहली बार किसी नंगी चूत के दर्शन हुए थे और उसकी क्या चूत थी.. एक भी बाल नहीं था। शायद उसने आज ही बाल साफ किए थे।
मैंने उसकी चूत में एक ऊँगली की, तो वो सिसकारी भरने लगी- आह आह्ह.. आह आह्ह..
मैंने पूरी उंगली अन्दर पेल दी और अन्दर-बाहर करने लगा उसकी चूत चिपचिपी हो उठी।
‘प्लीज अब मत तड़पाओ.. मैं मर जाऊँगी।
मैं पूरी तरह से उत्तेजित था लेकिन मुझे पता था कि उसको लम्बे समय तक कैसे चोदना है।
मैंने देर न करते हुए उससे कंडोम माँगा तो उसने मेरे लंड पर कंडोम चढ़ाया।
अब मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखीं और लंड उसकी बुर के छेद के ऊपर रख दिया।
मैंने उसकी आँखों में देखा और उसकी तड़फ को देखते हुए हल्के से एक धक्का लगाया तो सुपारा चूत में फंस गया।
यारों क्या मजा था.. मैं बता नहीं सकता।
फिर मैंने थोड़ा और जोर डाला तो उसकी चीख निकली तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
‘क्या दर्द हो रहा है?’
तो बोली- कोई बात नहीं.. सह लूँगी, बहुत दिनों की प्यास है।
अब मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था तो बोली- अब और करो..
तो मैंने एक धक्का दिया तो लंड अन्दर हो गया।
फिर मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा और धक्के लगाने शुरू किए।
थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगा तो वो भी मेरे धक्कों का जवाब नीचे से धक्के लगा कर दे रही थी।
वो पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी- सीईई उईईई माँ हाय उफ्फ म्म्म चोदो मुझे राजा.. फाड़ दो मेरी..बुर.. मुझे बिना चुदे.. एक साल हो गया है।
मुझे भी जोश आ रहा था और अब मैं जोर-जोर से धक्के लगा कर उसे चोद रहा था।
पूरा कमरा ‘फच.. फच’ की आवाजों से भरा हुआ था, वो नीचे से कूल्हे उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली- रुको.. मैं तुम्हारे ऊपर आना चाहती हूँ।
वो मेरे ऊपर आ गई और मेरा लंड अपनी बुर में ले लिया।
अब वो क्या हिल रही थी कि मानो मेरा लौड़ा चबा जाएगी, उसके स्तन भी क्या मस्त हिल रहे थे।
मैंने उसके स्तनों से खेलना चालू किया तो वो और भी जोश में आ गई और अपनी बुर में और अन्दर मेरा लण्ड लेने लगी।
वो झड़ गई थी।
मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है।
तो बोली- बाहर निकाल लो।
उसने मेरा कंडोम हटा कर लण्ड को मुँह में ले लिया।
मुझे बहुत मजा आने लगा, फिर वो मेरा लंड हिलाने लगी और मैंने उसके मुँह में ही धार छोड़ दी।
उसका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया था, उसने थोड़ा निगल लिया और थोड़ा बाहर निकाल दिया और मुझे देख कर हंसने लगी, बोली- तुमने आज मुझे जन्नत की सैर करा दी।
मैं निढाल होकर उसके ऊपर लेट गया।
फिर हमने ऐसे ही थोड़ी बातें की और मैं उसके चूतड़ों पर हाथ फिरा रहा था और मैंने बातों ही बातों में उससे कहा- तुम्हारी गांड भी बहुत अच्छी है।
वो मेरा मतलब समझ गई और बोली- जान.. आज मैं तुम्हारी हूँ.. जो चाहे करो बस मुझे बहुत प्यार करो।
फिर उसने मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे लंड को खड़ा होने में वक्त नहीं लगा।
मैंने बोला- तुम घोड़ी बन जाओ।
वो बन गई, मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया। उसके मुँह से जोर की चीख निकल गई। वो सीधी हो गई मेरा लौड़ा बाहर निकल आया।
मैं बोला- क्या हुआ?
वो बोली- तुमने मेरी गांड फाड़ दी।
फिर उसके आंसू निकल आए तो मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा पर उसके बाद मजा आएगा।
वो मान गई, मैंने थोड़ा तेल लंड पर लगा लिया, फिर उसकी गांड में डाल दिया।
थोड़ी देर के बाद मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया।
फिर उसे भी मजा आने लगा और फिर एक बार मेरा माल निकलने वाला था, उसने बोला- मेरी गांड में ही निकाल दो।
मैंने सारा वीर्य अन्दर निकाल दिया।
अब वो हँस रही थी। उसने कहा- आज तुमने मेरी गांड की सील भी खोल दी। आज तुमने मुझे बहुत प्यार किया, ऐसे ही करते रहना।
मैंने कहा- दोस्ती की है.. तो पूरी निभाऊँगा।
फिर हमने कपड़े पहने और मैं चलने को हुआ तो उसने मुझे एक प्यारा सा चुम्बन किया और कुछ पैसे दिए।
मैंने मना किया तो उसने ज़ोर देकर बोली- रख लो.. मेरी तरफ से गिफ्ट है।
मैं मना नहीं कर सका और अपने घर आ गया। अब वो मुझे हर हफ्ते बुलाती और मैं उसकी प्यार से चुदाई करता हूँ।
फिर एक दिन वो बोली- मैं अब यहाँ से जा रही हूँ।
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वो चली गई और मेरा उससे कभी मिलना नहीं हुआ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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