Monday, December 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI भाभी और उसकी नासमझ बहन

FUN-MAZA-MASTI


भाभी और उसकी नासमझ बहन

दोस्तो, यह एक सच्ची और वास्तविक कहानी है, हाँ लिखने में थोड़ा मिर्च-मसाला तो लगाना ही पड़ता है। यह मेरे दोस्त और मेरी सच्ची घटना पर आधारित कहानी है, आप सोचेंगे कि ऐसा नहीं होता होगा वास्तविक जीवन में, लेकिन यह सच है।
मैं दिक्षु मारवाड़ के इलाके में रहता हूँ, देखने में ठीक-ठाक हूँ और कद भी औसत है लगभग 5’5″, बातचीत में भी निपुण हूँ।
मेरा दोस्त, जिसका नाम रामू था कद-काठी में नाटा है, करीब 5 फुट लम्बाई और इकहरा बदन है।
उसकी बीवी जिसका नाम रोशनी था सांवली सूरत की थी, मोटे-मोटे स्तन, कद 4’10” के करीब और गांड भरी हुई थी।
उसकी भाभी करीब 5’4″ की लम्बाई की थीं, गोरी-चिट्टी औरत, शानदार होंठ (लिप्स), स्तन भी बड़े-बड़े और कूल्हे भी रेशमी।
हंसमुख स्वभाव की बढ़िया औरत थीं, उनका नाम गुलाब था।
भाभी की बहन की आयु 18-19 वर्ष की थी परंतु दिखने में वह कुछ कम उम्र की ही लगती थी।
हाँ, चूचियाँ बड़ी मस्त थी उसकी… मासूम सी लड़की, रंग साफ था उसका, नाम था उसका गुड्डी।
बस ये लोग ही थे जो एक बड़े से घर में रहते थे।
भाभी के पति काफी दिनों से बाहर कमाने गए थे और वो अक्सर 5-6 महीने में घर आते थे।
आप समझ ही गए होंगे कि भाभी को किस चीज़ की कमी खल रही थी।
खैर, दिन चले जा रहे थे और समय बीत रहा था।
भाभी अपने देवर को आँखों से पीने लगी थीं।
रामू पहले से ही अपनी पत्नी से दुखी था वह उसे ही बड़ी मुश्किल से संतुष्ट कर पाता था, ऊपर से भाभी से कैसे बचे?
जब वह नहा रहा होता तो भाभी चौक में उसे घूर-घूर के देखती, उसकी चड्डी को सूंघतीं, चाटतीं, उसके सामने ही मूतने बैठ जातीं, होंठों को काटतीं, जीभ फिरातीं।
कभी उसके सामने ही ब्लाउज और पेटीकोट में आ जातीं।
हर तरह से उसे रीझाने की कोशिश करतीं।
एक दिन तो हद ही हो गई, जब रामू दूकान से घर आया तो क्या देखता है उसकी भाभी अपनी ब्रा और पेंटी में चौक में बैठी हैं और अपनी चूत में बेंगन डालकर उसे आगे पीछे कर मज़े ले रही हैं।
जबकि उन्हें पता था कि रामू का दुकान से लौटने का समय हो गया था।
रामू दरवाजे से वापस मुड़ने लगता है, तो वह कहती हैं- ..देवर जी, बस हो गया मेरा काम, आप वापस क्यों जा रहे हो?
एक दिन रात को रामू अपनी बीवी रोशनी को चोद रहा था तो खिड़की से गुलाब उसे देख रही थी, वह अपनी चूत में उंगली (फिंगरिंग) करने लगी।
उसकी वासना भड़क उठी थी, वो किसी भी तरह से अपनी चूत चुदवाना चाहती थी।
किसी तरह से जब्त करके बिस्तर पर गई और बड़बड़ाने लगीं- ..साला, अपनी जोरू को तो मज़े से चोद रहा है और मेरी ओर देखता ही नहीं है, कल तो जबरदस्ती लिपट ही जाऊँगी भोसड़ी के पर।
उसकी बहन पास ही सोती थी उसके।
वह पूछती है- जीजी, क्या होता है चूत?
भाभी गुस्से में तो थी हीं, उसकी पैंटी में से उसकी चूत पकड़कर कहती हैं, यह है चूत।
गुड्डी फिर कहती है- जीजी, और ये भोसडी क्या होती है?
गुलाब फिर कहती है- चुप कर, तेरी चूत फट जाएगी तो भोसडी ही बन जाएगी।
गुड्डी करीब-करीब मानसिक रूप से कमजोर तो थी ही फिर कहती है- जीजी, मेरी भोसड़ी कब फटेगी?
गुलाब गुस्से से- जब तू चुदेगी।
गुड्डी कहती है- और मैं कब चुदुंगी?
गुलाब इस बार चुप रहती है।
‘बता न जीजी, मैं कब चुदुंगी?’
और वह बार-बार यही कहती है।
गुलाब कहती है- जब मैं ही नहीं चुद रही तो तुझे कहाँ से चुदाऊँ?
दूसरी रात को जब रामू अपनी पत्नी को चोद रहा था तो वह वहीं खिड़की से देखती रहती है और अपनी उंगली से अपनी चूत को खुजाती रहती है, वह अपने सारे कपड़े भी उतार देती है।
उसके पूरे शरीर में आग लगी हुई थी। वह अपने होश खो बैठी थी।
चुदाई उसके सर पर सवार हो गई थी। वो किसी भी कीमत पर चुदना चाहती थी, इसके लिए किसी भी हद तक जा सकती थी।
जैसे ही रामू ने कहा कि वह पेशाब करने जा रहा है तो उसने उसी समय रामू को बाँहों में भरने की ठान ली।
वह दरवाजे के खुलने का ही इंतजार कर रही थी। जैसे ही रामू ने दरवाजा खोला, उसने रामू को अपनी बाँहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगी।
रामू इस सब के लिए तैयार नहीं था, वह हक्का-बक्का रह गया।
वह अपनी भाभी से छुटने की कोशिश करने लगा पर भाभी उसे चूमे जा रही थीं।
रामू ने जबरदस्ती उन्हें हटाने की कोशिश की तो वह रोने लगीं और कहने लगीं कि – मैं आत्महत्या कर लूंगी, अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी।
यह शोर सुनकर रामू की बीवी भी वहीं आ गई।
सारा माजरा समझकर वह भाभी को अपने साथ ले गई अपने बिस्तर पर और रामू को समझाया कि मुझे कोई परेशानी नहीं है। आप हम दोनों को एक साथ रखा करो और जीजी को भी अपने लंड से मज़े दे दिया करो।
यह अगर मर जाएगी तो ऐसे परेशानी है और दूसरे लोगो से चुदाएगी तो वैसे बदनामी होगी इससे अच्छा है तुम ही कभी-कभी चोद दिया करना।
भाभी ने रोशनी को गले लगा लिया और उसके बाद रामू भाभी और अपनी बीवी दोनों को बारी-बारी से चोदने लगा।
अब भाभी की बहन रोड़ा बन रही थी उसके साथ यह समस्या थी कि उसका क्या करें?
निर्णय यह हुआ कि उसे भी साथ ही सुलाया जाये और उसके सो जाने के बाद ही चुदाई की जाये।
कई दिनों तक चोदने का प्रोग्राम नहीं बन सका, इस कारण से भाभी और बीवी दोनों उत्तेजना में आ गयीं।
जैसे ही रात हुई और बिस्तर पर रामू, गुलाब और गुड्डी बिस्तर पर आये तो रोशनी पागल हो गई, दस मिनट सोने के बाद ही रोशनी ने रामू का लंड पकड़ लिया और उसे पजामा के बाहर निकालने की जिद करने लगी।
रामू ने मना किया तो रोशनी बिफर गई और बोली- माँ चुदाने गयी गुड्डी और उसकी भोसड़ी, चल निकाल लंड और चोद मेरी भोसड़ी।
यह सुनते ही गुड्डी बोली- जीजी, मुझे भी बताओ न ये लंड क्या होता है? और भोसड़ी कैसे फटती है।
रोशनी झट से रामू के पजामे का नाड़ा जबरदस्ती खोल देती है और उसका कच्छा हटाकर लंड बाहर निकाल कर गुड्डी के हाथ में पकड़ा देती है और कहती है- यह है लंड और यही चूत को फाड़कर भोसड़ी बनाता है।
भाभी के मज़े में भी गुड्डी खलल डाल रही थी तो वो भी कुछ नहीं बोलती हैं।
गुड्डी के हाथों में लंड जाकर बड़े जोश से खड़ा हो जाता है। रोशनी उसके हाथों से लंड लेकर अपने मुँह में डाल लेती है और उसे जोर-जोर से चूसने लग जाती है।
थोड़ी देर में रामू भी उत्तेजना में आकर उसके मुँह को चोदने लग जाता है।
इधर भाभी जो सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही लेटी हुई थीं, गुड्डी की परवाह न करते हुए रोशनी के बोबे मसलने लग जाती हैं।
गुड्डी गुलाब से- आप इसे क्यों मसल रही हो?
गुलाब गुड्डी से कहती है- इसे चूची कहते हैं और इसे मसलने से रोशनी को आराम मिलेगा, अच्छा लगेगा।
गुड्डी- जीजी मेरी भी चुन्ची मसलो न, मुझे भी आराम चाहिए।
अब गुलाब उससे परेशान होकर उसे नंगा कर देती है और उसकी भी चुन्ची मसल-मसल कर उसे भी अपने खेल में शामिल कर लेती है।
अब तीनों मिलकर वासना का नंगा नाच नाचते हैं, वे एक दूसरे के अंगो को चूसते-चाटते है और खूब मसलते हैं।
दोनों खूब बारी-बारी से रामू का लौड़ा चूसती हैं, वे दोनों गुड्डी को भी रामू का लौड़ा चूसवाती हैं, उसकी चूत भी सहलाती हैं और अपनी उंगलियों से उसकी चूत को चोदती हैं।
अब वे रोज रात को इकठ्ठे नंगे सोते और रामू अपनी बीवी और भाभी को चोदता।
आखिर रामू की शक्ति जवाब देने लगी, वह बहाने लगाने लगा और उनसे पीछा छुड़ाने की जुगत बिठाने लगा।
वह इतना तंग आ गया था कि अपनी बीवी को किसी से भी चुदवा दे।

उन्हीं दिनों मैं उनके पास के मकान में किराये से रहने लगा।
पास में रहने के कारण मेरी दोस्ती रामू से हो गई, सो उनके घर मेरा आना-जाना होने लगा।
रामू की सेक्स के प्रति लापरवाही और कमजोरी से उसकी बीवी और भाभी दूसरी जगह मुँह मारने की सोचने लगीं, और अपनी इच्छा पूर्ति के लिए मेरे ऊपर डोरे डालने लगीं।
दोनों ही औरतें गहरे गोल गले के ब्लाउज पहनतीं जिनमे से उनकी चूचियाँ साफ-साफ दिखें, नाभि से नीचे साड़ी बांधती और दो अर्थी संवाद करती थीं, मुझे किसी न किसी बहाने से बुला भेजती।
एक दिन भाभी ने मुझे बुलाया और कहा- देवरजी, मेरा पेट दुःख रहा है, आप ज़रा मेरी नाप देख दो।
उस समय वह ब्रा और पेटीकोट में ही नीचे चटाई पर बैठी हुई थीं।
मैं वहाँ शरमा रहा था तो उन्होंने कहा- आप शरमाओ मत, मुझे बुरा नहीं लग रहा तो आप क्यों शरमा रहे हो? चलो, जल्दी से मेरी नाप देखो।
और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी नाभि पर ले गई।
मेरे हाथ कांपने लगे तो उन्होंने मेरे हाथ से अपना पेट सहलाया और झट से अपनी चूची पर रख दिया और बोली- नाप तो यहाँ है।
मैं क्या करता, मैंने उनसे कहा- कोई देख लेगा, मरवाओगी क्या?
उन्होंने कहा- रामू दूकान गया है और रोशनी सो रही है दो घंटे में उठेगी। चल जल्दी से चोद दे।
अब मैं भी जोश में आ गया था तो उनकी चुन्चियों को रगड़ने और मसलने लगा।
वह सी… सी… करने लगीं।
मैंने उन्हें पूरी तरह से नंगा किया और अपने भी कपड़े उतारे और उनकी भोसड़ी को चाटने लग गया।
वह उह… आह्ह… की आवाज़ें करने लगीं।
थोड़ी देर बाद ही रोशनी भी वहाँ आ धमकी और उसने कहा- भाईसाब, यह आप क्या कर रहे हो? शर्म नहीं आती अमानत में खयानत करते। हम आप को ऐसा नहीं समझते थे।
मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम थी। मैंने हाथ जोड़े और कहा– भाभी, किसी से कहना नहीं।
इधर भाभी भी गिड-गिड़ाने का नाटक करने लगीं।
रोशनी ने कहा- मैं तो तब ही चुप रहूँगी, जब तुम मुझे भी चोदो।
मेरे पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था।
मैंने हाँ कर दी।
अब वह भी कपड़े उतार कर आ गई।
अब मैं नीचे लेटा हुआ था और भाभी मेरे लंड पर बैठ गई, उसके बैठते ही मेरा लंड करीब दो इंच उनकी योनि में चला गया।
मैंने भी नीचे से धक्का लगाया तो आधे से ज्यादा लंड उनकी चूत में जा पहुँचा, दो तीन धक्को के बाद पूरा लंड वो अपनी चूत में घुसा चुकी थी।
रोशनी आकर मेरे मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत चटवाने लगी, मैं नीचे से धक्के लगा लगाकर भाभी को चोद रहा था और रोशनी अपनी चूत घिस-घिस कर आनन्द ले रही थी।
कुछ धक्के और लगाने पर भाभी कूल्हे मटकाने लगीं।
इधर रोशनी सी… सी… कर के सीत्कारें मार रही थी।
अचानक गुड्डी वहां आ जाती है और कहती है- भैया, तुम सब ये क्या कर रहे हो? चूत फाड़ रहे हो? चूत फाड़कर भोसडी बनाओगे? मुझे भी अपनी चूत फड़वानी है।
भाभी कहती हैं- चल तू नंगी होकर आ और रोशनी की जीभ चूस।
अब गुड्डी भी नंगी होकर आ जाती है और रोशनी की जीभ चूसने लगती है।
मैं भाभी की चूत को जोर-जोर से चोदने लग जाता हूँ। भाभी झड़ने के करीब पहुँच जाती हैं और मुँह से आवाज़ कर करके मेरा जोश बढ़ाती हैं।
अब उसका पानी छुटने को होता है। वह आह… सी… सी… करती हुई जोर-जोर से उछलती हैं।
दो-चार धक्कों के बाद वो झड़ने लगती है। उसका पानी चू जाता है।
उसकी चूत रस से भर जाती है।
अब रोशनी भी उत्तेजना में आ जाती है और वह मेरे मुँह से उतर कर मेरे लंड पर बैठ जाती है।
उसके बैठते ही मैं जोर का धक्का उसकी पानी छोड़ती चूत पर दे मारता हूँ।
लंड गपाक से उसकी चूत में घुस जाता है। वह भी चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदती है।
मेरा लंड दोहरी गर्मी पाकर उबलने लगता है। हम दोनों के पसीने से शरीर लथपथ हो जाते हैं।
थोड़ी देर में रोशनी भी झड़ने के करीब पहुँच जाती है।
वह जोर-जोर से मेरे लंड पर हिलती है। मेरे धक्कों की स्पीड भी जोर पकड़ लेती है।
गुड्डी कहती है- मैं क्या करूँ, भाईसाब?
इस पर भाभी उसका मुँह मेरे लंड पर लगा देती हैं और उससे मेरा लंड रोशनी की चूत से निकालकर चुसवाती हैं और फिर से रोशनी की चूत में घुसवा देती हैं।
गुड्डी के भी बोबे काफी फूल गए थे वे काफी मोटे हो गए थे।
सांसो की गति के साथ वह भी काफी उत्तेजना में आ गई थी उसकी चूत से भी एक धार सी बह रही थी।
उसकी चूत से बहते पानी को भाभी चाट रही थीं।
रोशनी ने आसन बदल कर चुदवाना शुरू कर दिया था। अब वह नीचे लेट कर चुदवा रही थी।
मैंने दस पांच धक्को के बाद एक जबरदस्त धक्का रोशनी की चूत में लगाया तो वह चिहुंक उठी।
अब उसकी भी चूत पानी छोड़ने लगी।
भाभी ने कहा- देवर जी, आज तो मेरी बहन को भी लंड का स्वाद चखा ही दो।
मैंने कहा- अभी तो यह छोटी है।
भाभी ने कहा- कुछ छोटी नहीं है, आराम से पूरा लंड निगलेगी। इसकी भी फुद्दी शांत हो जाएगी। बेचारी काफी दिनों से तड़फ रही है लंड खाने को। तुम जैसा आदमी तो घर का बन्दा है आराम से चोदेगा, निहाल हो जाएगी।
मैंने कहा- भाभी पहले इसकी चूत को चाट-चाट कर चिकनी कर दो जिससे आराम-आराम से लंड इसकी चूत में चला जायेगा और इसको दर्द भी कम होगा।
इस पर भाभी गुड्डी की चूत चाटने लगीं, कुछ ही देर में वह गांड उछालने लगी।
मैंने कहा- अब यह लंड खाने को तैयार है और अपना लंड उसकी कोरी चूत पर रख कर हल्का सा धक्का दिया।
लंड सरकता हुआ उसकी योनि के मुहाने पर अटक गया।
गुड्डी मारे दर्द के चीख पड़ी- जीजी, मर गई, दर्द हो रहा है। मुझे नहीं फड़वानी अपनी चूत, नहीं बनवानी भोसड़ी। इस लंड को बाहर निकालो।
उसकी जीजी ने उसके बालो में हाथ फेरा और उसके बोबे सहलाये, तब उसे थोड़ा आराम मिला।
अब मैंने साँस रोक कर एक भरपूर झटका उसकी चूत पर मारा तो आधे से भी ज्यादा लंड उसकी चूत में समा गया।
उसकी घुटी-घुटी सी चीख फिर निकल गई।
उसकी गर्दन इधर-उधर पड़ने लगी, उसे बहुत तेज दर्द हो रहा था।
उसकी चूत की झिल्ली फट गई थी।
चूत से खून छुट गया था।
वह लंड को बाहर निकलने का प्रयास करने लगी। लेकिन मेरी पकड़ उसकी कमर पर बहुत मजबूत थी।
वह हिल भी नहीं सकी थी।
रोशनी उसके स्तन सहलाने लगी और भाभी उसके बालो में हाथ फिर रही थीं। थोड़ी देर में उसे आराम मिला तो मैंने बाकी बचा लंड भी योनि में उतार दिया।
वह लगभग बेहोश ही हो गई थी, उसने सुधबुध खो दी थी।
थोड़े इन्तजार के बाद उसके ऊपर पानी के छींटे मारे तो वह होश में आई।
भाभी ने उसके बोबे सहलाये और रोशनी ने उसके सर में हाथ फेरा और शरीर पर जगह-जगह चूमा तो वह सामान्य हुई तो मैंने भी अपने धक्के तेज किये।
अब उसकी भी कमर चलने लगी थी, उसे भी मजा आने लगा था।
कुछ देर में वह चरम पर पहुँचने लगी, वह अपुष्ट शब्दों में बद्बदाने लगी थी आह… जीजी… ये क्या हो रहा है… मेरे अन्दर से कुछ निकल रहा है… अह… आह।
और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।
मेरा भी लंड पिचकारी छोड़ने लगता है, जिसे भाभी और रोशनी पी जाती हैं। कुछ बूँदें गुड्डी को भी वे चटा देती हैं।
इतने मैं रामू आ गया- अच्छा, तो तुम दोनों और ये गुड्डी मेरे पीछे से ये गुल खिलाती हो, अब इसी से चुदाना।
वह बाहर से बनावटी गुस्सा दिखाकर कहता है, और घर के अन्दर घुस जाता है।
और इस तरह मैं अपने दोस्त रामू की मौजूदगी में ही तीनों को बजाने लगा।


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