Monday, December 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI अन्दर की गुफा

FUN-MAZA-MASTI

 अन्दर की गुफा

मेरा बिल्कुल नया काम दशहरे के दिन ही आया और मुझे उस रात को ही बुला लिया गया।
हुआ ऐसा कि नेट पर रात में बात होती रहती थीं।
किसी पूजा नाम की महिला से पिछले 20 दिनों से बात हो रही थी, निजता के कारण उसकी आईडी तो नहीं बता पाऊँगा।
उन्होंने मुझे बताया कि वे शादीशुदा हैं और तीन अक्टूबर को उनका जन्मदिन है। उन्होंने इस बार जन्मदिन को अलग ढंग से मनाने का सोचा है।
मैं पूछ बैठा- मैं तो अभी लखनऊ में हूँ आप दिल्ली में हैं, तो सब कुछ कैसे होगा?
वो बोली- मैं खुद दिल्ली से निकल रही हूँ, मेरे साथ मेरी दो सहेलिया भी हैं। हम लोग इलाहाबाद से आगे चित्रकूट में दो दिन रहेंगी और 3 अक्टूबर को आपको वहीं शाम तक आना होगा।
मैं बोला- मैडम मुझे क्या करना है?
वो बोली- हाँ.. मैं बताना भूल गई, तुम्हें केवल इतना करना है कि शाम को मुझको और मेरी सहेलियों को नग्न होकर नृत्य करके दिखाना होगा और फिर मेरे साथ रात में चुदाई करके मुझको खुश करना होगा।
मैं बोला- ठीक है पर सहेलियों का क्या करना है?
वो बोली- उनको केवल ऊपर से मजा देना है, उनके साथ और कुछ नहीं होगा यह तय है।
मैं इस काम के लिए तैयार हो गया। उन्होंने मेरे खाते में रुपए भेज दिए। तीस सितम्बर को सारी बात पूरी हुई और मुझे 3 को चित्रकूट पहुँचना था।
मैं सुबह दस बजे इलाहाबाद से चित्रकूट अपनी टाटा इंडिका लेकर निकल गया और वहाँ मैं दो घंटे में पहुँच गया।
वहाँ उसी वक़्त इत्तफाक से पूजा भी अपनी दोनों मित्रों के साथ पहुँची।
हम लोग साथ ही अन्दर गए।
वहाँ कमरा तो पहले से ही पूजा ने बुक करवा लिया था, सो अपने कमरे में गए।
वहाँ पहुँच कर हम सभी लोग फ्रेश हुए और खाना खाया और पास ही कामदगिरि देख कर वापस आ गए।
शाम को हम लोग बैठ कर इधर-उधर की बातें करते रहे, फिर आठ बजे खाने के लिए नीचे हॉल में गए, खाना खाया और वापस आ गए।
यहाँ पर पूजा ने अपना सामान खोला और सब कुछ सैट किया।
उसने सामान निकाल कर मुझसे बोली- जाओ अपना सब ठीक कर लो.. अब डांस करना है।
मैं वहाँ से चला गया और कपड़े बदल कर आ गया।
मैं तो पूजा के कमरे में ही था और उनकी सहेलियाँ भी अपने कपड़े बदल कर आ गईं।
कमरे में प्रकाश बिल्कुल मद्धिम कर लिया गया और फिर धीमी आवाज में संगीत आरम्भ किया गया।
मैं भी नृत्य करते हुए धीरे-धीरे पूजा के पास जाता और फिर उसकी सहेलियों के पास जाता।
वे एक-एक करके मेरा कपड़ा खोल देती थीं। अंत में मेरे तन पर केवल मेरी चड्डी बची जो कि एक थोंग थी।
उसको देख कर पूजा की दोनों सहेलियों ने अपने कपड़े उतार दिए और केवल पैंटी और ब्रा में बैठ गईं।
फिर मैं उनके पास गया तो उन्होंने मेरा लंड चड्डी से निकाल लिया और उसको चूसने लगीं।
एक-एक कर दोनों ने मेरा लवड़ा चूसा, फिर मैं पूजा के पास गया, उसने भी मेरा लौड़ा चूसा।
जब पूजा की तरफ से घूमा तो उसकी एक सहेली ने अपना पैंटी भी उतार दी और अपनी योनि को ऊँगली से रगड़ने लगी और मेरी ओर इशारा करने लगी।
मैं भी उनके बुलावे पर गया और उनकी योनि चाटने लगा।
अभी एक की ही चाट रहा था कि दूसरी मेरे लण्ड को हाथ में लेकर रगड़ने लगी और नीचे लेट गई और लौड़ा चूसने लगी।
मेरा चिकना पानी निकल रहा था और वह अपनी तेज़ रफ़्तार में चूसे जा रही थी।
अब मैंने उसको छोड़ कर दूसरी को पकड़ा और उसको चाटना शुरू किया, उसकी बुर से पानी से बह रहा था और उसकी महक से मेरा मन जैसे मस्त हो रहा था।
उसको जब चाटने लगा तो उसने मेरा खूब साथ दिया।
उसने मेरी उंगली से अपनी बुर खूब हिलवाया और उसका नतीजा यह हुआ कि उसका पानी झड़ गया।
मैंने उसको अच्छे से फिर पकड़ा और उसको उसी तरह से चाटने लगा और उसकी बुर में उंगली करना तेज की, उसका पानी भी जब गिरा तो ऊफ.. उसकी बुर ने क्या माल निकाला.. जैसे कोई नल खुल गया हो इतना भर-भर कर आया।
उसने पानी गिराया और बस वहीं थक कर निढाल हो गई।
फिर पूजा ने उनको कहा- अब तुम दोनों अपने कमरे में जाओ।
वे चली गईं, मैं और पूजा अकेले रह गए।
मैंने पूजा को वहीं बिस्तर पर लिटा दिया, वो अपने पैर खोल कर लेट गई।
मैं समझ गया कि इसको और कुछ नहीं बस चूत का मजा लेना है।
मैं उसके पास गया उसके मम्मों को चूसने लगा, तो बोली- यार अब नीचे के माल को साफ़ करो.. ऊपर का बाद के लिए छोड़ दो।
मैं नीचे चूत पर गया और उंगली करने लगा और चाटने लगा जिसकी वजह से वह उत्तेजित होती चली गई और अपना पानी गिराने लगी..
कुछ ही पलों के अंतराल में उसने लगातार दो बार अपना पानी गिरा दिया।
फिर वो मुझे लिटा कर मेरे मुँह पर बैठ गई और उसने अपना हाथ नीचे किया, जिससे उसकी बुर खुल कर मेरे मुँह से लग गई।
उसका बुर पूरी तरह खुल कर सामने आ गई।
मैंने अपने सर के नीचे तकिया लगाया और उसके बुर को चाटने लगा, साथ में उंगली डाल दी।
उसका पानी निकलता जा रहा था, जिससे मेरी नाक और गाल गीले हो गए थे।
जब वह थकने लगी तो बोली- अब रहा नहीं जा रहा.. अपना लण्ड डालो।
वो सीधे लेट गई, अब मेरा आखिरी काम आ गया था, उसकी चूत तो चिकनी थी ही.. साफ़ चूत, बिल्कुल दो फांक और नीचे हल्की काली और ऊपर का काला दाना.. जब उसकी बुर को हाथ से खोला तो अन्दर की गुफा गुलाबी रंगत लिए हुई बुर उठी हुई सी थी।
मैंने अपना लण्ड का सुपारा सीधा उसके छेद के अन्दर फंसा दिया, वह गनगना गई।
वो अपनी उंगली बुर के दाने पर लाकर रगड़ने लगी उसकी छटपटाहट देखते ही बन रही थी।
मैं भी उसको चोदने लगा, कुछ ही धक्कों में उसका पानी गिरने लगा था।
वो मुझे भींच रही थी, बोली- अब मैं जा रही हूँ.. जल्दी-जल्दी करो..
उसने मुझे अपने से सटा लिया, मैं भी जल्दी-जल्दी रेलमपेल किए जा रहा था।
फिर मैं भी अपना माल निकालने लगा और उसने पूरा मेरा माल चूत में ही ले लिया।
मैं उसके ऊपर औंधे मुँह लेट गया, उसको भी अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद हम लोग नंगे ही सो गए। एक तो रास्ते की थकावट ऊपर से चुदाई की रेलमपेल.. उसने अच्छी नींद ला दी।
अगली सुबह मैं पहले जागा और फ्रेश होकर आ गया।
कुछ देर में पूजा जगी और मुझे देख कर ‘गुड मॉर्निंग’ कहने के बाद मुझे ‘थैंक्स’ बोली।
करीब पांच मिनट बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने उसकी दोनों सहेलियाँ थीं।
दोनों कमरे में अन्दर आईं और उसको रात की बात पूछने लगीं। वह भी अपना बात करती रहीं।


हम लोग सुबह देर से उठे। करीब पाँच मिनट बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने दरवाजा खोला तो सामने उसकी दोनों सहेलियाँ थीं।
दोनों कमरे में अन्दर आईं और उसको रात की बात पूछने लगीं।
वे भी अपनी बात करती रहीं।
हमने आराम से नाश्ता किया।
पूजा बोली- आलोक मेरी इन दोनों सहेलियों को भी अपनी सेवा दे दो। ये तुमको पेमेंट कर देंगी।
पूजा की सहेलियाँ जिनका नाम कीर्ति और सोया था, मुझसे बोलीं- हमें चुदाई नहीं कराना है.. हाँ.. लेकिन मुँह से चुसाई और मालिश करवानी है।
मैंने बोला- चलो.. आ जाओ।
कीर्ति वहीं पूजा के बिस्तर पर लेट गई।
मैं उसके पास गया, उसकी ऊपर की कुर्ती को उतार दिया.. उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। कमर के नीचे उसने एक लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी, उसको हटा दिया। चूत पर उसने चड्डी पहनी हुई थी।
वह पीठ के बल लेट गई, मैंने तेल डाल कर उसको कंधे से मालिश देना शुरू किया और पीठ की मालिश कर दी।
फिर उसके हाथ की मालिश की, उसको बड़ा आराम मिल रहा था क्योंकि चुपचाप वह मालिश करवाए जा रही थी।
फिर उसके बाद कमर और तलुए की… मालिश दी, उसको बहुत अच्छा लगा।
फिर मैं जांघ की मालिश करने लगा, जिससे उसको गुदगुदी होने लगी, लेकिन उसको मजा भी आ रहा था।
जांघ की मालिश करने के बाद मैंने उसको पलटा दिया फिर उसकी छाती को मालिश देने लगा।
उसमें भी उसको बहुत गुदगुदी होने लगी।
उसके मम्मे ज्यादा तो नहीं फूले थे लेकिन उठे हुए थे उसके मम्मों को मस्त मालिश देने से उसके कान लाल होने लगे थे।
मैंने उसको फिर से पीठ के बल कर दिया और इस बार उसके पेट के नीचे तकिया लगा दिया, जिससे कि उसका नीचे का हिस्सा उठकर ऊपर को आ जाए।
अब मैंने उसके चूतड़ों पर तेल डाल दिया, तो उसने अपनी गांड खोल दी जिससे वह उसके छेद के अन्दर चला गया और फिर रिसता हुआ बुर पर आ गया।
मैंने पहले उसकी गांड की मालिश की, उसके अन्दर उंगली डाल कर उसकी गुदा की दीवाल की मालिश की।
उसको शायद अच्छा लग रहा था क्योंकि वह बार-बार खुद को ऊँगली की दिशा में बैठने की कोशिश करती।
फिर वहाँ से उंगली निकाल कर मैं बुर पर गया, उसकी बुर तेल से भीगी हुई थी, साथ में उसका पानी भी निकल रहा था।
उसकी बुर के दाने के ऊपर से मैंने मालिश करना जो शुरू की तो वह गनगना गई।
मैंने उसके दाने को मसला उसकी फांकों के नीचे उंगली चलाई।
उसकी बुर को ऊपर की तरफ उठने लगी तो उसको खूब अच्छे से मालिश दी। अब मैंने उसकी फलकों को तेल लगा कर मालिश दी।
मैंने उसके काले फलक को एक हाथ से पकड़ा और दूसरे से उसको रगड़ने लगा।
उसकी चूत में इतना पानी था कि मेरा हाथ फिसल जाता था।
इस वजह से उसको बार-बार पोंछना पड़ा। उसको यह अहसास मजा दे रहा था।
इस बाद दूसरे फलक को मालिश देने के बाद बुर के अन्दर ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करना जो शुरू किया.. तो वह बिल्कुल से तड़फ कर अपना पानी छोड़ने लगी क्योंकि अब मेरी ऊँगलियाँ उसके अन्दर के भगनासे को मसल रही थीं।
उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो बोली- अब जरा जुबान से मालिश दो ना..
मैंने उसका बुर कपड़े से पोंछा और उसकी बुर पर अपना जुबान सटा दी, ऊँगली बुर के अन्दर डाल दी।
उसको जो मजा लेना था वो उसने पाया और कुछ ही देर में उसने अपना पानी गिरा दिया।
उसका सारा पानी मेरे मुँह में आ गया।
वह चुपचाप लेटी हुई हांफती रही।
अब दूसरी सहेली सोया का नंबर लगा।
मैं जरा थक गया था, मैंने उसको बोला- थोड़ा आराम किया जाए।
लेकिन वह बोली- नहीं मुझको तुरंत चाहिए।
मैं जानता था क्योंकि अपनी सहेली कीर्ति का कारनामा देख कर वह गर्म हो गई थी।
वो तो पहले से ही अपने कपड़े निकाल कर लेट गई।
मैंने उसको वही सब दिया लेकिन जब मुँह से देने की बारी आई तो वो मुझे रोक कर बोली- आलोक, आप लेट जाओ और मैं आपके मुँह पर बैठूंगी… आपको तब चटाई करनी होगी।
मुझे क्या दिक्कत थी, मैं लेट गया।
उसने मेरे मुँह पर अपनी बुर फैला कर बैठ गई, साथ में अपनी उंगली बुर के अन्दर डाल कर खुद को मजा देने लगी।
कुछ ही देर में उसकी बुर पानी गिराने लगी, जो सीधा मेरे मुँह में गिरता था। उसको जब इत्मीनान हो गया, तब उतरी फिर हम लोग थोड़ा आराम करने लगे।
फिर खाना खाकर मैं अपने रास्ते निकल लिया।



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