FUN-MAZA-MASTI
कुँवारी छबीली -5
गतान्क से आगे..................
नरेन्द्र के बाहर जाने के बाद परवेज़ छबिलि के कमरे की तरफ चल देता है पर दरवाजे के बाहर वो रुक जाता है उसकी हिम्मत नही हो रही थी. उसने एक बार सोचा की वो लौट जाए ओर अपने कमरे मे चला जाए ओर छबिलि को उसके अपने हाल पर छ्चोड़ दे. पर फिर वो अपने सर को झटक कर इस ख़याल को अपने दिमाग़ से झटक देता है. ओर दरवाजे पर दस्तक देता है.
दरवाजे पर हुई दस्तक से छबिलि पर कोई असर नही होता है दरवाजा खुला हुआ था ओर परवेज़ आराम से छबिलि को देख पा रहा था पर उसकी आज पता नही हिम्मत ही नही हो रही थी अंदर जाने की ओर छबिलि अभी तक सदमे मे थी उसे पता ही नही चल रहा था की दरवाजे पर कोई दस्तक भी दे रहा है. आख़िर परवेज़ छबिलि को आवाज़ देता हिया. छबिलि परवेज़ की आवाज़ सुन कर दरवाजे की तरफ देखती है ओर वहाँ पर परवेज़ को खड़े देख कर एक दम से उसके मूह से फिर एक बार रुलाई फुट पड़ती है. परवेज़ भाग कर अंदर घुस जाता है ओर जा कर छबिलि को अपने गले से लगा लेता है. छबिलि से अब रुका नही जाता है "परवेज़, मैं बर्बाद हो गई, इससे अच्छा तो था की मैं डॉकटर के पास जाती ही नही कम से कम मुझे ये वेहम तो रहता की ये ठीक हो जाएँगे. पर अब तो वो उम्मीद भी जा चुकी है, पता है डॉकटर ने क्या कहा है. डॉकटर कहते है की इनका इलाज हो सकता था पर अब ये संभव नही है क्यूंकी इन्हे सूगर भी है ओर डॉकटर अगर इनके लिंग का इलाज करेंगे भी तो पहली बात तो इस बात की ही बहुत कम संभावना है की इनके घाव ठीक हो पाएँ ओर दूसरा ये की अगर हो भी जाते है तो भी इनका खड़ा नही हो पाएगा. अब मुझे सारी जिंदगी इस दुख के साथ ही जिंदगी काटनी पड़ेगी. परवेज़ तुम कुच्छ नही कर सकते क्या."
मैं क्या कर सकता हू जब उपर वाला ही कुछ नही क्लार पर रहा है, डॉक्टेर ने क्या क्या कहा है क्लियर क्लियर बताओ. तो कुच्छ समझ मे आए."
डॉक्टेर ने कहा है की इनके लिंग की नसें कमज़ोर है इस कारण इन का खड़ा नही हो पा रहा है इसका इलाज सभाव है पर अब दवाइयों से संभव नही है. ऑपरेशन करना पड़ेगा जिसके बाद इस बात की ३०% चान्स है की इनका खड़ा होने लगे. पर साथ ही दूसरी समस्या बता दी की इनकी शराब पीने की आदत के कारण इन्हे सूगर हो गया है जिस कारण अब इनका ऑपरेशन नही किया जा सकता है. इनका सूगर लेवेल बहुत ज़्यादा है ओर ऑपरेशन के बाद घाव नही भर पाएँगे. ओर अगर ऑपरेशन कर भी दिया ओर घाव भर भी गये तो सूगर ज़्यादा होने के कारण इनका लिंग खड़ा ही नही हो पाएगा. अब तुम्ही बताओ परवेज़ मैं क्या करूँ. मेरा दिल तो कर रहा है आत्महत्या कर लू. ओर वो मेरे गले लग कर रोने लगी. मेरी ये स्थिति थी की मैं कुछ भी सोच पाने ओर उसे कह पाने की स्थिति मे नही था. मैं केवल उसके सर पर हाथ फेर कर इतना ही कह सका थी सब ठीक हो जाएगा तुम सब्र रखो.
इतने मे ही मोटेर साइकल की आवाज़ आई ओर मैने छबिलि को अपने से अलग किया ओर बाहर . गया तभी गेट खुला ओर नरेन्द्र मोटेर साइकल को लिए हुए अंदर आता है ओर साथ मे संगीता भी है जिसने नीचे उतर कर दरवाजा खोला था ओर अब बंद कर रही थी. दोनो हमारी तरफ आ रहे थे. मैने संगीता का अभिवादन किया उसने भी मुझे नमस्कार किया. वैसे हमारी केवल एक बार ही मुलाकात हुई थी. पर फिर भी सयद उसे मैं याद था. मैं अब बाहर ही रुक गया ओर वो दोनो अंदर चले गये.
अंदर जाते ही छबिलि की फिर से रोने की आवाज़ आने लगी. अंदर संगीता ने अपने भाई से कहा की तुम बाहर चले जाओ मुझे भाभी से बात करने दो. नरेन्द्र बाहर आ गया. संगीता ने छबिलि को कहा छबिलि क्या बात है तू रो क्यू रही है ओर नरेन्द्र मुझे कुछ बता क्यू नही रहा है. तू तो मेरी स्कूल टाइम की दोस्त है तू ही बता क्या हुआ है तू रो क्यू रही है.
अब बताने को क्या रह गया है मेरा सब कुछ लूट गया है संगीता.
क्यू क्या हुआ क्या भाई का किसी ओर के साथ अफेर है.
अरे तेरा भाई क्या अफेर करेगा वो इस लायक ही नही है.
"किस लायक नही है मेरा भाई. क्या कमी है मेरे भाई मे" संगीता ने अपने भाई का पक्ष लिया
ये देख ये देख कह कर छबिलि ने उसकी तरफ मेडिकल रिपोर्ट्स फैंकी तू भी तो M. Sc. Zoology है ना. पढ़ ले रिपोर्ट क्या कहती है.
संगीता ने फर्श पर पड़ी हुई सभी रिपोर्ट्स इकतही की ओर उन्हे जोड़ कर पढ़ने लगी. जैसे जैसे वो रिपोर्ट्स पढ़ती जाती थी उसके चहरे के रंग बदलते जाते थे. इन रिपोर्ट्स से तो सॉफ था की उसका भाई पूरी तरह से इमपोटेंट था यानी नपुंसक था. तो फिर उसने शादी क्यू की. जब मैने उसके सामने अपनी सहेली से शादी के लिए कहा तब उसने कहा क्यू नही की वो छबिलि से सादी नही कर सकता है. जब वो इस लायक नही था तो वो क्यू शादी को राज़ी हुआ.
संगीता का गुस्सा अब सातवे आसमान पर था उसने उसी समय आवाज़ लगाई नरेन्द्र...............
नरेन्द्र अपनी बहन से बहुत डरता था उसकी आवाज़ सुनते ही वो समझ गया की अब उसकी बहन उसकी हालत खराब होने वाली है. पर वो क्या कर सकता था. वो धीरे धीरे अंदर की तरफ चल पड़ा जैसे ही उसने अंदर प्रवेश किया तभी उसके गाल पर एक जोरदार तप्पड़ पड़ा ओर वो एक तरफ गिर पड़ा संगीता ने पास मे पड़े हुए झाड़ू को उठा लिया. ओर उसने नरेन्द्र पर उसकी बर्षट कर दी. नरेन्द्र कुछ कह ही नही पा रहा था
बता तूने मेरी सहेली की जिंदगी क्यू खराब कर रहा है. तुझे पहले से पता था ना की तू नपुंसक है फिर तूने इससे शादी क्यू की. संगीता मुझे नाराज़ ना हो मुझे तब पता ही नही था.
अच्छा मुझे समझा रहा है क्या.
उसने नरेन्द्र को बाहर निकल कर दरवाजा बंद कर दिया.
छबिलि मैं तेरी गुनहगार हू मैने ही तुझे मेरे भाई से शादी करने के लिए बहलाया था तू मुझे माफ़ कर दे मुझे नही पता था की वो किसी लायक नही है.
छबिलि संगीता से भी इस तरह के व्यवहार की आशा नही कर रही थी वो तो ये ही सोच रही थी की संगीता अपने भाई का ही साथ देगी पर यहाँ तो नज़ारा ही बदला हुआ था संगीता उससे माफी माँग रही थी. खैर ग़लती तो ज़्यादा संगीता की ही थी क्यूंकी उसी की बातों मे आ कर उसने संगीता के भाई से शादी कर ली थि. ओर आज उसके साथ जो कुछ भी हो रहा है वो इसी कारण है की उसने संगीता की बातों मे आकर उसके भाई के साथ फेरे ले लिए थे. आज उसे लग रहा था की जो लोग शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाते है वो सही करते है कम से कम ये तो पता चल जाता है की साले का लंड खड़ा भी होता है या नही. जैसा की उसके साथ हो गया है. वो एकदम ट्रडीशनल लड़की थी M. स. सी. बॉटेनी करने के बावजूद भी वो एकदम पुराने विचारों की थी की शादी से पहले लड़के लड़की को आपस मे संबंध नही बनाने चाहिए. बल्कि उसकी चूत मे कई बार खुजली मचती थी की वो अभी चली जाए ओर नरेन्द्र के लंड को चूत मे ले कर मस्त हो जाए. पर हर बार उसने अपने आप को रोक लिया था.
वैसे खुद को रोकने मे बहुत बड़ा हाथ नरेन्द्र का भी था क्यूंकी अगर नरेन्द्र सगाई होने के बाद उस पर ज़्यादा दबाव डालता तो उसे नरेन्द्र के साथ संभोग करना ही पड़ता चाहे लोग उसे ग़लत कहे या सही. पर नरेंद्र ने कभी कहा ही नही बनाने के लिए. ओर कारण उसे आज समझ आ रहा था. जब नरेन्द्र का खड़ा ही नही होता था तो वो छबिलि को चुदाई के लिए इन्सिस्ट ही क्यू करता वो तो बस ये चाहता था की उसे घर पर रखने के लिए एक बीवी मिल जाए जिससे लोग उस पर उंगली ना रख सके की इसके अंदर कुछ कमी है.
पर अपनी कमियों को च्छुपाने के लिए नरेन्द्रा ने मुझे ढ़हाल की तरह इस्तेमाल किया ओर मेरा जीवन खराब कर दिया मैं तो ये समझ रही थी की उसमे ये खराबी उसमे शराब पीने के कारण आई है.
छबिलि का दिमाग़ अब संगीता ओर नरेन्द्र दोनो के खिलाफ जा रहा है. पर तभी उसके कानो मे संगीता की बात पड़ती है.
संगीता" छबिलि अब तुम्हे किसी बात की फ़िक्र मत करने की ज़रूरत नही है. मेरे भाई के साथ तुम्हारी शादी करने की दोषी मैं हू अब मैं ही तुम्हारा तलाक़ कर्वाऊंगी अपने भाई से"
च्चबिली :"थारे भाई सू तलाक़ ले की मैं कठ जाऊंगी तू तो जाने है की म्हारो इन दुनिया मे थारे अलावा कोई कोनी है. अगर मैं तलाक़ ले ली तो मैं कठ जाऊंगी या तो सोच."
संगीता: " यार इस बात के लिए की तू तलाक़ के बाद कहाँ जाएगी तू इस इंसान को तलाक़ नही देना चाहती"
च्चबिली: " अगर म्हारा माँ बाप जे आज जिंदा होता तो मन्ने सोचने की ज़रूरत ही कोनी थी, पर बे दोनु तो ५ साल पहली ही मार्गया अब म्हारो कुन है"
संगीता: "तुझे इस तरह से बात करने की ज़रूरत नही है ओर ना ही इस बात की फ़िक़र करने की ज़रूरत है की तू कहाँ रहेगी. तेरे रहने की ओर तेरी शादी का इंतज़ाम अब मेरा जिम्मा है पिच्छली बार मुझसे तेरी शादी के मामले मे ग़लती हो गई थी पर इस बार इस तरह की कोई ग़लती नही होगी. इस बार लड़का तेरी पसंद का ही होगा. ओर जब तू कहेगी तब शादी होगी. तू तो अब अपने लिए लड़का तलाश करना शुरू कर दे."
छॅबिली संगीता की बातें सुन कर हैरान रह गई. ये संगीता अपने भाई के साथ ऐसा करेगी इस बात का यकीन छॅबिली को नही हो रहा था. पर वो कुछ कर भी तो नही सकती थी. वो बस हैरान परेशन संगीता को देखती जा रही थी. संगीता ने उसे पकड़ कर गले लगा लिया. छॅबिली उसके कंधे का सहारा मिलने के कारण अपने आप मे बहुत राहत महसूस कर रही थी. वो अब संगीता के कंधे को गीला कर रही थी उसके आंशु अपने आप निकल रहे थे अब छॅबिली रो नही रही थी पर आंशु खुद बह रहे थे. खुछ देर के बाद संगीता ने कहा की मैं नरेंद्र को अपने साथ ले जा रही हू जब तक तुम्हारा तलाक़ नही हो जाता तुम यही रहो नरेंद्र हमारे साथ रहेगा या माँ के साथ रह लेगा. देखती हू तुम्हारे नंदोई (संगीता के पति) क्या कहते है. पर इतना तय है की अब नरेंद्र को तुम्हारे साथ नही रहने दूँगी. जल्द से जल्द तलाक़ की कार्यवाही करवा कर तुम्हारा दूसरा ब्याह करवा दूँगी. तुम अपने लिए कोई दूसरा लड़का देख सकती हो. वैसे कई लड़के तो म स्क के टाइम भी तुम पर मरते थे कंटीली जवानी जो थी तुम्हारी. वैसे 2 साल मे बिगड़ा भी क्या है. कुँवारी तो तुम आज भी हो. कोई भी लड़का मिल जाएगा तुम्हे. तलाश शुरू कर दो. छॅबिली केवल संगीता को देखती रही. उसे संगीता की बाते पसंद तो बहुत आ रही थी पर उसे उस पर यकीन नही हो पा रहा था.
ऐसे क्या देख रही है तुझे यकीन नही हो रहा है क्या. अरे यार मैं अगर इस नरेंद्र की बहन हू तो तेरी भी तो बेस्ट फ्रेंड हू. इसका भला सोचने के लिए मैं तेरी बलि थोड़े ही दे सकती हू. पहले ही भाई की भलाई सोचने के चक्कर मे मैने तेरे साथ पहले ही बहुत अन्याय कर दिया है. अब मुझे मेरे द्वारा बिगड़े हुए कामों को सुधारने के मौका नही दोगी क्या.
छॅबिली के पास अब संगीता के प्रश्न का कोई जवाब नही था. उसके हृदय मे संगीता के लिए इतनी श्रदा उठी की वो झट से झुक कर संगीता के कदमों मे गिर पड़ी. संगीता छॅबिली से इस तरह की हरकत का ख़याल तक नही कर रही थी. उसने झट से छॅबिली को उठाया ओर डांटा क्या करती है ये. मेरे पैरों मे क्यू गिर रही है. गिरना ही है तो भगवान के पैरों मे गिर जो तुझे इस नर्क से जल्द से जल्द आज़ादी दिलाए ओर तुझे नया संसार मिले. ओर ये काम अगर तू पहले ही कर लेती तो शायद वो तुझे पहले ही इस नर्क से निकल देता. अच्छा बता ये लड़का कौन है जो बाहर खड़ा है.?
बारे कुन है मन्ने के बेरो.
अरे वही लड़का है जिससे तू बाजार मे मिली थी जब मैं घर मे घुसी थी तब वो तेरे कमरे से निकल रहा था लगता है तेरी इससे बहुत घनिष्टता बन गई है. तभी तेरे दुख मे वो दुखी हो रहा है. मैने अंदर आते हुए देखा थॉ ओ बहुत दुखी था. तू तो जानती ही है की मैने म स्क तो बॉटेनी से की थी पर मेरा इंटेरस्ट हमेशा साइकॉलजी मे ही था. लोगो के चेहरे पढ़ना मुझे बहुत आता है.
बो तो आठे किरायेदार है.
किरायेदार है इस बात का पता तो मुझे तभी लग गया था जब तूने बाजार मे उससे किराए के मकान के लिए घर आने को कहा था. पर एक बात ओर है वो तुझे पसंद करता है.
थे भी बाई सा बिना बात को ही ख़याली पुलाव पकान लगजयओ हो.
ना छबिलि चाहे तू उससे प्यार करे या ना करे पर वो तुझसे प्यार करता है. ओर अभी अगर प्यार नही करता है तो उसका तुझमे इंटेरेस्ट बहुत है. तू तुझे पक्का चाहता है तेरी तकलीफ़ से उसे बहुत तकलीफ़ हुई है. तू इसके बारे मे भी सोच सकती है.
पर बाई सा बो तो मुसलमान है.
तो क्या हुआ? नरेंद्र तो हिंदू था ना क्या मिला तुझसे. ये हिंदू मुसलमान छ्चोड़ ओर इंसान देख. इंसान को इंसान ही रहने दो बाँटो मत. सब इंसान इंसान ही होते है. कोई हिंदू या मुसलमान नही होता ये तो हमलोग आपस मे अपने आपको बाँटने के लिए ऐसा कर लेते है. अगर वो तुझसे प्यार करता है तो तू उससे शादी कर ले जाति या धर्म मत देख. हमेशा शादी उसी इंसान से करनी चाहिए जो तुम्हे प्यार करता हो ना की उस इंसान से जिसे तुम प्यार करते हो. हन अगत आपस मे प्यार हो तो वो सबसे बढ़िया है. तुझे कैसा लगता है.
बाई सा थे अइया बात मत कारया करो मारे साथ.
क्यू तो मेरी सहेली है मेरा तो हक़ बनता है तुझसे ऐसे बात करने का.
मानने शर्म आवे है तो.
चुप शर्म कर रही है.जब तेरी शादी नरेंद्र से तय की थी तब भी मैने कहा था की नरेंद्र के साथ घूम फिर. पर तूने मना कर दिया अगर तब उसके साथ घूमती फिरती ओर कही चुदाई का प्रोग्राम बनता तो कम से कम तुझे उसी टाइम ये तो पता चल जाता की उसमे चोद्ने की क़ाबलियत नही है. ओर तुझे ये दिन ना देखना ना पड़ता.
“हूँ.” छबिलि ने नीचे नज़र किए हुए ही कहा.
अच्छा छबिलि मैं चलती हू. नरेंद्र एक मिनिट अंदर आ. संगीता ने आवाज़ लगाई.
नरेंद्र जैसे दरवाजे के बाहर ही खड़ा था झट से अंदर आ गया.
चल अपने कपड़े लत्ते ले ले हम जा रहे है.
पर मुझे कहा ले जा रही हो.
चुप! मेरे साथ बकवास नही करना. चुप छाप कपड़े ले ओर चल
नरेन्द्रा मे इतनी हिम्मत नही थी की वो संगीता के सामने कुछ भी बोल सके एक ही डाँट मे वो चुप चाप कपड़ों की तरफ चल पड़ा.
जीजी कितने कपड़े लू मुझे कितने दिन के लिए ले जा रही हो.
सारे ले ले. अब तू वापस नही आएगा यहाँ.
पर जीजी मैं क्यू जाउ. यहाँ घर मे गैर मर्द है ओर तू मुझे ले जा रही है.
अरे तू यहाँ रहेगा तब भी गैर मर्द ही रहेंगे तू तो मर्द है नही.
नरेंद्र का सिर एकदम से झुक गया. उसे समझ मे आ चुकी थी की जीजी को उसकी असलियत समझ मे आ चुकी है ओर वो अब हंगामा करने की सूरत मे भी नही है. उसने चुप छाप कपड़े बाग मे डाले ओर संगीता के साथ चल पड़ा.
संगीता ने छबिलि को फिर एक बार गले लगा कर तसल्ली दी ओर फिर वो चल पड़ी ओर नरेंद्र को ले कर चल पड़ी. जाते जाते संगीता ने परवेज़ की तरफ देख कर एक मुस्कान दी ओर कहा मैं नरेंद्र को ले कर जा रही हू छबिलि अकेली है तुम ध्यान रखना. ओर हाँ ये मेरी खास सहेली है इसे किसी बात की तकलीफ़ नही होनी चाहिए वरना तुम बहुत तकलीफ़ मे आ जाओगे. समझे क्या.
परवेज़ केवल गर्देन ही हिला सका. उसे संगीता से डर लगने लगा था. पर उसे इस बात का भी एहसास था की संगीता सख़्त हो सकती है पर है बहुत अच्छे दिल की मलिक. इसी लिए वो नरेंद्र को वो साथ मे ले जा रही है की नरेंद्र कही पीछे से छबिलि के साथ कोई ज़ुल्म ना करे. अपनी कमी को छिपाने के लिए वो छबिलि के साथ बुरा सलूक भी कर सकता था.
परवेज़ ने संगीता को केवल गर्देन हिला कर जवाब दिया. फिर संगीता मूडी ओर बाहर चली गई. ओर गाते से आवाज़ दे कर छबिलि से बोली कोई फ़िक्र मत करना ओर कोई भी तकलीफ़ हो मुझे कॉल कर लेना मैं आधी रात मे हाजिर हो जौंगी. बाइ
बाइ, संगीता के बाइ के जवाब मे छबिलि ने भी बाइ कहा. अब वो बहुत रिलॅक्स महसूस कर रही थी.
कुँवारी छबीली -1
कुँवारी छबीली -2
कुँवारी छबीली -3
कुँवारी छबीली -4
कुँवारी छबीली -5
कुँवारी छबीली -6
कुँवारी छबीली -6
कुँवारी छबीली -6
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नरेन्द्र के बाहर जाने के बाद परवेज़ छबिलि के कमरे की तरफ चल देता है पर दरवाजे के बाहर वो रुक जाता है उसकी हिम्मत नही हो रही थी. उसने एक बार सोचा की वो लौट जाए ओर अपने कमरे मे चला जाए ओर छबिलि को उसके अपने हाल पर छ्चोड़ दे. पर फिर वो अपने सर को झटक कर इस ख़याल को अपने दिमाग़ से झटक देता है. ओर दरवाजे पर दस्तक देता है.
दरवाजे पर हुई दस्तक से छबिलि पर कोई असर नही होता है दरवाजा खुला हुआ था ओर परवेज़ आराम से छबिलि को देख पा रहा था पर उसकी आज पता नही हिम्मत ही नही हो रही थी अंदर जाने की ओर छबिलि अभी तक सदमे मे थी उसे पता ही नही चल रहा था की दरवाजे पर कोई दस्तक भी दे रहा है. आख़िर परवेज़ छबिलि को आवाज़ देता हिया. छबिलि परवेज़ की आवाज़ सुन कर दरवाजे की तरफ देखती है ओर वहाँ पर परवेज़ को खड़े देख कर एक दम से उसके मूह से फिर एक बार रुलाई फुट पड़ती है. परवेज़ भाग कर अंदर घुस जाता है ओर जा कर छबिलि को अपने गले से लगा लेता है. छबिलि से अब रुका नही जाता है "परवेज़, मैं बर्बाद हो गई, इससे अच्छा तो था की मैं डॉकटर के पास जाती ही नही कम से कम मुझे ये वेहम तो रहता की ये ठीक हो जाएँगे. पर अब तो वो उम्मीद भी जा चुकी है, पता है डॉकटर ने क्या कहा है. डॉकटर कहते है की इनका इलाज हो सकता था पर अब ये संभव नही है क्यूंकी इन्हे सूगर भी है ओर डॉकटर अगर इनके लिंग का इलाज करेंगे भी तो पहली बात तो इस बात की ही बहुत कम संभावना है की इनके घाव ठीक हो पाएँ ओर दूसरा ये की अगर हो भी जाते है तो भी इनका खड़ा नही हो पाएगा. अब मुझे सारी जिंदगी इस दुख के साथ ही जिंदगी काटनी पड़ेगी. परवेज़ तुम कुच्छ नही कर सकते क्या."
मैं क्या कर सकता हू जब उपर वाला ही कुछ नही क्लार पर रहा है, डॉक्टेर ने क्या क्या कहा है क्लियर क्लियर बताओ. तो कुच्छ समझ मे आए."
डॉक्टेर ने कहा है की इनके लिंग की नसें कमज़ोर है इस कारण इन का खड़ा नही हो पा रहा है इसका इलाज सभाव है पर अब दवाइयों से संभव नही है. ऑपरेशन करना पड़ेगा जिसके बाद इस बात की ३०% चान्स है की इनका खड़ा होने लगे. पर साथ ही दूसरी समस्या बता दी की इनकी शराब पीने की आदत के कारण इन्हे सूगर हो गया है जिस कारण अब इनका ऑपरेशन नही किया जा सकता है. इनका सूगर लेवेल बहुत ज़्यादा है ओर ऑपरेशन के बाद घाव नही भर पाएँगे. ओर अगर ऑपरेशन कर भी दिया ओर घाव भर भी गये तो सूगर ज़्यादा होने के कारण इनका लिंग खड़ा ही नही हो पाएगा. अब तुम्ही बताओ परवेज़ मैं क्या करूँ. मेरा दिल तो कर रहा है आत्महत्या कर लू. ओर वो मेरे गले लग कर रोने लगी. मेरी ये स्थिति थी की मैं कुछ भी सोच पाने ओर उसे कह पाने की स्थिति मे नही था. मैं केवल उसके सर पर हाथ फेर कर इतना ही कह सका थी सब ठीक हो जाएगा तुम सब्र रखो.
इतने मे ही मोटेर साइकल की आवाज़ आई ओर मैने छबिलि को अपने से अलग किया ओर बाहर . गया तभी गेट खुला ओर नरेन्द्र मोटेर साइकल को लिए हुए अंदर आता है ओर साथ मे संगीता भी है जिसने नीचे उतर कर दरवाजा खोला था ओर अब बंद कर रही थी. दोनो हमारी तरफ आ रहे थे. मैने संगीता का अभिवादन किया उसने भी मुझे नमस्कार किया. वैसे हमारी केवल एक बार ही मुलाकात हुई थी. पर फिर भी सयद उसे मैं याद था. मैं अब बाहर ही रुक गया ओर वो दोनो अंदर चले गये.
अंदर जाते ही छबिलि की फिर से रोने की आवाज़ आने लगी. अंदर संगीता ने अपने भाई से कहा की तुम बाहर चले जाओ मुझे भाभी से बात करने दो. नरेन्द्र बाहर आ गया. संगीता ने छबिलि को कहा छबिलि क्या बात है तू रो क्यू रही है ओर नरेन्द्र मुझे कुछ बता क्यू नही रहा है. तू तो मेरी स्कूल टाइम की दोस्त है तू ही बता क्या हुआ है तू रो क्यू रही है.
अब बताने को क्या रह गया है मेरा सब कुछ लूट गया है संगीता.
क्यू क्या हुआ क्या भाई का किसी ओर के साथ अफेर है.
अरे तेरा भाई क्या अफेर करेगा वो इस लायक ही नही है.
"किस लायक नही है मेरा भाई. क्या कमी है मेरे भाई मे" संगीता ने अपने भाई का पक्ष लिया
ये देख ये देख कह कर छबिलि ने उसकी तरफ मेडिकल रिपोर्ट्स फैंकी तू भी तो M. Sc. Zoology है ना. पढ़ ले रिपोर्ट क्या कहती है.
संगीता ने फर्श पर पड़ी हुई सभी रिपोर्ट्स इकतही की ओर उन्हे जोड़ कर पढ़ने लगी. जैसे जैसे वो रिपोर्ट्स पढ़ती जाती थी उसके चहरे के रंग बदलते जाते थे. इन रिपोर्ट्स से तो सॉफ था की उसका भाई पूरी तरह से इमपोटेंट था यानी नपुंसक था. तो फिर उसने शादी क्यू की. जब मैने उसके सामने अपनी सहेली से शादी के लिए कहा तब उसने कहा क्यू नही की वो छबिलि से सादी नही कर सकता है. जब वो इस लायक नही था तो वो क्यू शादी को राज़ी हुआ.
संगीता का गुस्सा अब सातवे आसमान पर था उसने उसी समय आवाज़ लगाई नरेन्द्र...............
नरेन्द्र अपनी बहन से बहुत डरता था उसकी आवाज़ सुनते ही वो समझ गया की अब उसकी बहन उसकी हालत खराब होने वाली है. पर वो क्या कर सकता था. वो धीरे धीरे अंदर की तरफ चल पड़ा जैसे ही उसने अंदर प्रवेश किया तभी उसके गाल पर एक जोरदार तप्पड़ पड़ा ओर वो एक तरफ गिर पड़ा संगीता ने पास मे पड़े हुए झाड़ू को उठा लिया. ओर उसने नरेन्द्र पर उसकी बर्षट कर दी. नरेन्द्र कुछ कह ही नही पा रहा था
बता तूने मेरी सहेली की जिंदगी क्यू खराब कर रहा है. तुझे पहले से पता था ना की तू नपुंसक है फिर तूने इससे शादी क्यू की. संगीता मुझे नाराज़ ना हो मुझे तब पता ही नही था.
अच्छा मुझे समझा रहा है क्या.
उसने नरेन्द्र को बाहर निकल कर दरवाजा बंद कर दिया.
छबिलि मैं तेरी गुनहगार हू मैने ही तुझे मेरे भाई से शादी करने के लिए बहलाया था तू मुझे माफ़ कर दे मुझे नही पता था की वो किसी लायक नही है.
छबिलि संगीता से भी इस तरह के व्यवहार की आशा नही कर रही थी वो तो ये ही सोच रही थी की संगीता अपने भाई का ही साथ देगी पर यहाँ तो नज़ारा ही बदला हुआ था संगीता उससे माफी माँग रही थी. खैर ग़लती तो ज़्यादा संगीता की ही थी क्यूंकी उसी की बातों मे आ कर उसने संगीता के भाई से शादी कर ली थि. ओर आज उसके साथ जो कुछ भी हो रहा है वो इसी कारण है की उसने संगीता की बातों मे आकर उसके भाई के साथ फेरे ले लिए थे. आज उसे लग रहा था की जो लोग शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाते है वो सही करते है कम से कम ये तो पता चल जाता है की साले का लंड खड़ा भी होता है या नही. जैसा की उसके साथ हो गया है. वो एकदम ट्रडीशनल लड़की थी M. स. सी. बॉटेनी करने के बावजूद भी वो एकदम पुराने विचारों की थी की शादी से पहले लड़के लड़की को आपस मे संबंध नही बनाने चाहिए. बल्कि उसकी चूत मे कई बार खुजली मचती थी की वो अभी चली जाए ओर नरेन्द्र के लंड को चूत मे ले कर मस्त हो जाए. पर हर बार उसने अपने आप को रोक लिया था.
वैसे खुद को रोकने मे बहुत बड़ा हाथ नरेन्द्र का भी था क्यूंकी अगर नरेन्द्र सगाई होने के बाद उस पर ज़्यादा दबाव डालता तो उसे नरेन्द्र के साथ संभोग करना ही पड़ता चाहे लोग उसे ग़लत कहे या सही. पर नरेंद्र ने कभी कहा ही नही बनाने के लिए. ओर कारण उसे आज समझ आ रहा था. जब नरेन्द्र का खड़ा ही नही होता था तो वो छबिलि को चुदाई के लिए इन्सिस्ट ही क्यू करता वो तो बस ये चाहता था की उसे घर पर रखने के लिए एक बीवी मिल जाए जिससे लोग उस पर उंगली ना रख सके की इसके अंदर कुछ कमी है.
पर अपनी कमियों को च्छुपाने के लिए नरेन्द्रा ने मुझे ढ़हाल की तरह इस्तेमाल किया ओर मेरा जीवन खराब कर दिया मैं तो ये समझ रही थी की उसमे ये खराबी उसमे शराब पीने के कारण आई है.
छबिलि का दिमाग़ अब संगीता ओर नरेन्द्र दोनो के खिलाफ जा रहा है. पर तभी उसके कानो मे संगीता की बात पड़ती है.
संगीता" छबिलि अब तुम्हे किसी बात की फ़िक्र मत करने की ज़रूरत नही है. मेरे भाई के साथ तुम्हारी शादी करने की दोषी मैं हू अब मैं ही तुम्हारा तलाक़ कर्वाऊंगी अपने भाई से"
च्चबिली :"थारे भाई सू तलाक़ ले की मैं कठ जाऊंगी तू तो जाने है की म्हारो इन दुनिया मे थारे अलावा कोई कोनी है. अगर मैं तलाक़ ले ली तो मैं कठ जाऊंगी या तो सोच."
संगीता: " यार इस बात के लिए की तू तलाक़ के बाद कहाँ जाएगी तू इस इंसान को तलाक़ नही देना चाहती"
च्चबिली: " अगर म्हारा माँ बाप जे आज जिंदा होता तो मन्ने सोचने की ज़रूरत ही कोनी थी, पर बे दोनु तो ५ साल पहली ही मार्गया अब म्हारो कुन है"
संगीता: "तुझे इस तरह से बात करने की ज़रूरत नही है ओर ना ही इस बात की फ़िक़र करने की ज़रूरत है की तू कहाँ रहेगी. तेरे रहने की ओर तेरी शादी का इंतज़ाम अब मेरा जिम्मा है पिच्छली बार मुझसे तेरी शादी के मामले मे ग़लती हो गई थी पर इस बार इस तरह की कोई ग़लती नही होगी. इस बार लड़का तेरी पसंद का ही होगा. ओर जब तू कहेगी तब शादी होगी. तू तो अब अपने लिए लड़का तलाश करना शुरू कर दे."
छॅबिली संगीता की बातें सुन कर हैरान रह गई. ये संगीता अपने भाई के साथ ऐसा करेगी इस बात का यकीन छॅबिली को नही हो रहा था. पर वो कुछ कर भी तो नही सकती थी. वो बस हैरान परेशन संगीता को देखती जा रही थी. संगीता ने उसे पकड़ कर गले लगा लिया. छॅबिली उसके कंधे का सहारा मिलने के कारण अपने आप मे बहुत राहत महसूस कर रही थी. वो अब संगीता के कंधे को गीला कर रही थी उसके आंशु अपने आप निकल रहे थे अब छॅबिली रो नही रही थी पर आंशु खुद बह रहे थे. खुछ देर के बाद संगीता ने कहा की मैं नरेंद्र को अपने साथ ले जा रही हू जब तक तुम्हारा तलाक़ नही हो जाता तुम यही रहो नरेंद्र हमारे साथ रहेगा या माँ के साथ रह लेगा. देखती हू तुम्हारे नंदोई (संगीता के पति) क्या कहते है. पर इतना तय है की अब नरेंद्र को तुम्हारे साथ नही रहने दूँगी. जल्द से जल्द तलाक़ की कार्यवाही करवा कर तुम्हारा दूसरा ब्याह करवा दूँगी. तुम अपने लिए कोई दूसरा लड़का देख सकती हो. वैसे कई लड़के तो म स्क के टाइम भी तुम पर मरते थे कंटीली जवानी जो थी तुम्हारी. वैसे 2 साल मे बिगड़ा भी क्या है. कुँवारी तो तुम आज भी हो. कोई भी लड़का मिल जाएगा तुम्हे. तलाश शुरू कर दो. छॅबिली केवल संगीता को देखती रही. उसे संगीता की बाते पसंद तो बहुत आ रही थी पर उसे उस पर यकीन नही हो पा रहा था.
ऐसे क्या देख रही है तुझे यकीन नही हो रहा है क्या. अरे यार मैं अगर इस नरेंद्र की बहन हू तो तेरी भी तो बेस्ट फ्रेंड हू. इसका भला सोचने के लिए मैं तेरी बलि थोड़े ही दे सकती हू. पहले ही भाई की भलाई सोचने के चक्कर मे मैने तेरे साथ पहले ही बहुत अन्याय कर दिया है. अब मुझे मेरे द्वारा बिगड़े हुए कामों को सुधारने के मौका नही दोगी क्या.
छॅबिली के पास अब संगीता के प्रश्न का कोई जवाब नही था. उसके हृदय मे संगीता के लिए इतनी श्रदा उठी की वो झट से झुक कर संगीता के कदमों मे गिर पड़ी. संगीता छॅबिली से इस तरह की हरकत का ख़याल तक नही कर रही थी. उसने झट से छॅबिली को उठाया ओर डांटा क्या करती है ये. मेरे पैरों मे क्यू गिर रही है. गिरना ही है तो भगवान के पैरों मे गिर जो तुझे इस नर्क से जल्द से जल्द आज़ादी दिलाए ओर तुझे नया संसार मिले. ओर ये काम अगर तू पहले ही कर लेती तो शायद वो तुझे पहले ही इस नर्क से निकल देता. अच्छा बता ये लड़का कौन है जो बाहर खड़ा है.?
बारे कुन है मन्ने के बेरो.
अरे वही लड़का है जिससे तू बाजार मे मिली थी जब मैं घर मे घुसी थी तब वो तेरे कमरे से निकल रहा था लगता है तेरी इससे बहुत घनिष्टता बन गई है. तभी तेरे दुख मे वो दुखी हो रहा है. मैने अंदर आते हुए देखा थॉ ओ बहुत दुखी था. तू तो जानती ही है की मैने म स्क तो बॉटेनी से की थी पर मेरा इंटेरस्ट हमेशा साइकॉलजी मे ही था. लोगो के चेहरे पढ़ना मुझे बहुत आता है.
बो तो आठे किरायेदार है.
किरायेदार है इस बात का पता तो मुझे तभी लग गया था जब तूने बाजार मे उससे किराए के मकान के लिए घर आने को कहा था. पर एक बात ओर है वो तुझे पसंद करता है.
थे भी बाई सा बिना बात को ही ख़याली पुलाव पकान लगजयओ हो.
ना छबिलि चाहे तू उससे प्यार करे या ना करे पर वो तुझसे प्यार करता है. ओर अभी अगर प्यार नही करता है तो उसका तुझमे इंटेरेस्ट बहुत है. तू तुझे पक्का चाहता है तेरी तकलीफ़ से उसे बहुत तकलीफ़ हुई है. तू इसके बारे मे भी सोच सकती है.
पर बाई सा बो तो मुसलमान है.
तो क्या हुआ? नरेंद्र तो हिंदू था ना क्या मिला तुझसे. ये हिंदू मुसलमान छ्चोड़ ओर इंसान देख. इंसान को इंसान ही रहने दो बाँटो मत. सब इंसान इंसान ही होते है. कोई हिंदू या मुसलमान नही होता ये तो हमलोग आपस मे अपने आपको बाँटने के लिए ऐसा कर लेते है. अगर वो तुझसे प्यार करता है तो तू उससे शादी कर ले जाति या धर्म मत देख. हमेशा शादी उसी इंसान से करनी चाहिए जो तुम्हे प्यार करता हो ना की उस इंसान से जिसे तुम प्यार करते हो. हन अगत आपस मे प्यार हो तो वो सबसे बढ़िया है. तुझे कैसा लगता है.
बाई सा थे अइया बात मत कारया करो मारे साथ.
क्यू तो मेरी सहेली है मेरा तो हक़ बनता है तुझसे ऐसे बात करने का.
मानने शर्म आवे है तो.
चुप शर्म कर रही है.जब तेरी शादी नरेंद्र से तय की थी तब भी मैने कहा था की नरेंद्र के साथ घूम फिर. पर तूने मना कर दिया अगर तब उसके साथ घूमती फिरती ओर कही चुदाई का प्रोग्राम बनता तो कम से कम तुझे उसी टाइम ये तो पता चल जाता की उसमे चोद्ने की क़ाबलियत नही है. ओर तुझे ये दिन ना देखना ना पड़ता.
“हूँ.” छबिलि ने नीचे नज़र किए हुए ही कहा.
अच्छा छबिलि मैं चलती हू. नरेंद्र एक मिनिट अंदर आ. संगीता ने आवाज़ लगाई.
नरेंद्र जैसे दरवाजे के बाहर ही खड़ा था झट से अंदर आ गया.
चल अपने कपड़े लत्ते ले ले हम जा रहे है.
पर मुझे कहा ले जा रही हो.
चुप! मेरे साथ बकवास नही करना. चुप छाप कपड़े ले ओर चल
नरेन्द्रा मे इतनी हिम्मत नही थी की वो संगीता के सामने कुछ भी बोल सके एक ही डाँट मे वो चुप चाप कपड़ों की तरफ चल पड़ा.
जीजी कितने कपड़े लू मुझे कितने दिन के लिए ले जा रही हो.
सारे ले ले. अब तू वापस नही आएगा यहाँ.
पर जीजी मैं क्यू जाउ. यहाँ घर मे गैर मर्द है ओर तू मुझे ले जा रही है.
अरे तू यहाँ रहेगा तब भी गैर मर्द ही रहेंगे तू तो मर्द है नही.
नरेंद्र का सिर एकदम से झुक गया. उसे समझ मे आ चुकी थी की जीजी को उसकी असलियत समझ मे आ चुकी है ओर वो अब हंगामा करने की सूरत मे भी नही है. उसने चुप छाप कपड़े बाग मे डाले ओर संगीता के साथ चल पड़ा.
संगीता ने छबिलि को फिर एक बार गले लगा कर तसल्ली दी ओर फिर वो चल पड़ी ओर नरेंद्र को ले कर चल पड़ी. जाते जाते संगीता ने परवेज़ की तरफ देख कर एक मुस्कान दी ओर कहा मैं नरेंद्र को ले कर जा रही हू छबिलि अकेली है तुम ध्यान रखना. ओर हाँ ये मेरी खास सहेली है इसे किसी बात की तकलीफ़ नही होनी चाहिए वरना तुम बहुत तकलीफ़ मे आ जाओगे. समझे क्या.
परवेज़ केवल गर्देन ही हिला सका. उसे संगीता से डर लगने लगा था. पर उसे इस बात का भी एहसास था की संगीता सख़्त हो सकती है पर है बहुत अच्छे दिल की मलिक. इसी लिए वो नरेंद्र को वो साथ मे ले जा रही है की नरेंद्र कही पीछे से छबिलि के साथ कोई ज़ुल्म ना करे. अपनी कमी को छिपाने के लिए वो छबिलि के साथ बुरा सलूक भी कर सकता था.
परवेज़ ने संगीता को केवल गर्देन हिला कर जवाब दिया. फिर संगीता मूडी ओर बाहर चली गई. ओर गाते से आवाज़ दे कर छबिलि से बोली कोई फ़िक्र मत करना ओर कोई भी तकलीफ़ हो मुझे कॉल कर लेना मैं आधी रात मे हाजिर हो जौंगी. बाइ
बाइ, संगीता के बाइ के जवाब मे छबिलि ने भी बाइ कहा. अब वो बहुत रिलॅक्स महसूस कर रही थी.
कुँवारी छबीली -1
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कुँवारी छबीली -6
कुँवारी छबीली -6
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हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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