Sunday, April 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी जिंदगी--9

FUN-MAZA-MASTI


 मेरी जिंदगी--9
 भावना और राजेश वापस होटेल पहुँचते हैं तो सीधा सीमा के कमरे में जाते हैं. सीमा जाग चुकी थी और नहा कर कपड़े चेंज कर के टीवी देख रही थी.
जैसे ही दोनो कमरे में घुसे सीमा ने थोड़ा बनावटी गुस्से से कहा ' आगये दोनो - कम से कम एक चिट तो छोड़ जाते'

'वो मा बस ये खींच के ले चला कुछ सोचने का भी मोका नही दिया'

'अरे तो मैं कोन सा डाँट रही हूँ अच्छा किया जो दोनो बाहर चले गये'

'मा मैं फ्रेश हो कर आता हूँ तब तक आप भी फ्रेश हो जाओ फिर बाहर चलेंगे सब' कह कर राजेश कमरे में चला गया और उसके जाते ही सीमा ने भावना को अपने पास खिच लिया.

'ह्म्*म्म्म अब बता क्या हुआ - बहुत चमक रही है'

'कितनी अजीब बात है मा जिससे मैं प्यार करने लगी हूँ वो कोई और नही मेरा अपना बेटा है काश मेरी शादी उसके साथ ही होती.'

'ये क्या कह रही है?'

'हाँ मा उसके साथ एसा लगता है जैसे बरसों पुराना कोई बिछड़ा प्रेमी मिल गया है जिसके लिए इतने साल तड़प तड़प के जो दिन बिताएँ हैं वो मात्र अब उस साधना का एक हिस्सा लगता है जिसका फल मुझे राजेश के रूप में मिला है'

'मुझे कुछ समझ नही आ रहा क्या कहना चाहती है?'

'मा वो अपनी उम्र से बहुत आगे है - वो सच में मुझ से बहुत प्यार करता है उसने मुझे उन अनुभूतियों का परिचय करवाया है जिनके बारे में मैं आज तक अंजान थी- वो मेरे रोम रोम में प्रेम के कण खिला चुका है - उसकी जगह कोई और होता तो हमारे बीच सिर्फ़ वासना होती लेकिन इसने तो मुझे प्रेमरस से नहला दिया है - जिस्म की प्यास तो मिट ही जाएगी पर आत्मा की प्यास जो उसने मिटायी है वो अभूतपूर्व है'

सीमा हैरानी से भावना को देखती रही और उसे भावना से रश्क होने लगा काश राजेश उसका बेटा होता.

'ह्म्*म्म्म मैं तेरे लिए बहुत खुश भी हूँ और तुझ से थोड़ी जलन भी हो रही है'

'जलन?'

'हाँ री जलन जब से तू भावना बनी मैं एक बेटे के लिए तरसती रही काश राजेश जैसे हीरे को मैने जनम दिया होता'

'वो भी तो तुम्हारा ही है मा एसा क्यूँ सोचती हो- मेरा जिस्म तुम से बना और उसका मुझ से तो उसके अंदर तुमहारा अंश तो अपने आप ही आ गया'

भावविभोर हो कर सीमा भावना को गले लगा लेती है.

'अच्छा ये बता तूने उसकी इच्छा पूरी करी या नही?'

'कोशिश तो करी थी पर बहुत शरम आ रही थी मुँह से कुछ निकल ही नही पाया'

'ये ग़लत है बेटी जब तुम दोनो में निश्चल प्रेम की स्थापना हो चुकी है तो फिर उसमे शर्म का स्थान ही कहाँ रहा - खुल जा उसके सामने फिर देखना वो तेरे जीवन में दुनिया की सारी खुशियाँ भर देगा- आज रात को ही उसे सब सुना डाल'

'फिर से कोशिश करूँगी'

'कोशिश नही तुझे ये करना ही है इसे मेरा आदेश ही समझ-चल अब फटाफट फ्रेश होज़ा वो आता ही होगा.'

भावना अपने कपड़े ले कर बातरूम में घुस गयी.


 जब तक भावना फ्रेश होकर आती राजेश फ्रेश हो कर कमरे में पहुँच गया. अब उसका धयान सीमा पे गया जिसने इस वक़्त एक पारदर्शी साडी पह्न रखी थी और पारदर्शी ब्लाउस में से उसकी लाल रंग की ब्रा झाँक रही थी, जो उसके उन्नत उरोज की झलकियाँ दे रही थी. उसकी नानी इस उम्र में भी इतनी खूबसूरत होगी ये तो उसने कभी कल्पना भी नही की थी.

असल में सीमा का जिस्म ही ऐसा था जिस पर उम्र का कोई असर नही पड़ रहा था और उपर से वो योगा किया करती थी, सीमा ईस्वक़्त भी भावना की बड़ी बहन ही लग रही थी उसकी मा नही. राजेश का तो गला ही सुख गया सीमा को देख कर और जब भावना बाथरूम से बाहर निकली तो उसके तो तोते ही उड़ गये, भावना किसी स्वर्ग से उतरी अप्सरा से कम नही लग रही थी

वो एक पल सीमा को देखता तो दूसरे पल भावना को और धाम से ज़मीन पर बैठ गया.

'अरे क्या हुआ यूँ ज़मीन पे क्यों बैठ गया?'

'आज तो नैनीताल की खैर नही मिल्तरी बुलानी पड़ेगी इतना कत्लेआम होगा की पूछो मत, इतने एक्सीडेंट होंगे की सड़के लाशों से भर जाएगी'

'क्या अनाप शानाप बक रहा है' सीमा बोल पड़ी.

'अरे पता भी है जब लोग तुम दोनो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराओं को देखेंगे तो उनका क्या हाल होगा और तुम दोनो को बचाने के चक्कर में कुछ तो मेरे हाथों ही मर जाएँगे'

'चल बदमाश जो मुँह में आता है बक देता है' भावना हस्ते हुए बोली और सीमा ने भी उसका साथ दिया.

राजेश ने सीरीयस मुँह बना कर कहा ' उपरवाले आज बचाले'

दोनो ही राजेश को मारने को धोड़ी और राजेश फट से उठ कर कमरे से बाहर निकल गया दोनो उसके पीछे लपकी और बाहर जब दूसरे लोगो को देखा तो मजबूरन उन्हें शांत होना पड़ा और यूँ ही आपस में मज़ाक करते हुए वो होटल से बाहर निकल कर किसी अच्छे रेस्टोरेंट में चले गये और कोने का एक टेबल ले लिया जो खिड़की के पास था और बाहर का काफ़ी अच्छा नज़ारा देखने को मिल रहा था.

सीमा ने एक वाइन की बॉटल कुछ स्नॅक्स और तीन ग्लास मंगवालिए.

भावना और राजेश हैरानी से सीमा को देखने लगे.

'यूँ हैरान क्यूँ हो रहे हो - तू पीता है ना'

अब राजेश कभी कभी भावना से छुप कर पी लिया करता था पर नानी के सामने कुछ बोलने की हिम्मत ही ना पड़ी ना हाँ बोल पाया ना ना ही बोल पाया.

'चल यूँ मुँह ना बना मैं सब जानती हूँ आजकल के लड़कों के बारे में और हमे कोई इतराज नही - कभी कभी ठीक है बस अति नही होनी चाहिए'

भावना चुप ही रह जाती है और राजेश के चेहरे पे हसी आ जाती है.

'मोम यू आर ग्रेट' वो सीमा को मों कह कर बुलाता है तो भावना आँखें तरेर कर उसे देखती है.

'अरे अब तुम तो दोस्त बन चुकी हो - मेरी असली मोम तो वो है जो सामने बैठी है'

'ये तो कॉंप्लेक्स सिचुयेशन बन जाएगी - तुझे चुनना पड़ेगा तू मेरा बेटा बनना चाहता है या दामाद'

दोनो राजेश और भावना हक्के बक्के सीमा को देखने लगे.

सीमा खिलखिला के हास पड़ी - चलो बाद में डिसाइड कर लेंगे'

और तब तक वेटर ऑर्डर ले आया भावना का चेहरा शर्म से लाल पड़ चुका था और राजेश इधर उधर नज़रें घुमा रहा था.

'भावना आज की साकी तू बनेगी' कह कर सीमा ने वाइन की बोतल जो वेटर ने खोल कर दी थी भावना के हाथ में पकड़ा दी.

'देख तो ऐसे शर्मा रही है जेसे आज रात को ही शादी होनेवाली है'

भावना ने गुस्से से सीमा को देखा और राजेश बेचारा तो सर झुका कर बैठा रह गया.


भावना ने तीन ग्लास में वाइन डाली अपना उसने हल्का बनाया था पर सीमा ने उसके ग्लास में और डाल कर तीनो ग्लास बराबर कर लिए भावना गुस्से से सीमा को देखती रही और सीमा हस्ती रही.
फिर तीनो ने चियर्स किया और हल्की हल्की चुस्कियाँ लेने लगे साथ में तंदूरी मुर्गे का आनंद लिया जाने लगा.

सीमा ने महोल को हल्का करने के लिए हसी मज़ाक शुरू किया और राजेश भी खुल पड़ा जोक्स सुनाने के लिए. यूँ ही मस्ती के आलम में वाइन की बोतल ख़तम हो गई और सीमा ने एक बोतल और मंगवा ली थोड़ा थोड़ा सरूर तीनो को चॅड चुका था और सीमा का असली मक़सद भी पूरा हो रहा था - और वो था राजेश के सामने भावना की झिझक को ख़तम करना.

एक बोतल और ख़तम हो गयी तीनो मस्ती के आलम में आ गये और फिर खाना खा कर टहलते हुए होटल चले गये.

वहाँ पहुँच कर सीमा ने एलान कर दिया की वो अकेली सोएगी यानी भावना राजेश के साथ उसके कमरे में सोएगी. अब सरूर इतना चॅड चुका था की किसी ने कोई एतराज नही किया और भावना ने कमरे से एक नाइटी उठाई और राजेश के कमरे में घुस कर बाथरूम में घुस गयी.

राजेश ने वहीं कमरे में अपने कपड़े उतार कर एक शॉर्ट पह्न लिया और अपना बाकी जिस्म कपड़ों की क़ैद से आज़ाद रखा.

जब तक भावना बाथरूम से बाहर आती राजेश ने वाइन की एक बोतल रूम सर्विस से मंगवा ली और एक ग्लास बना कर बाहर बाल्कनी में बैठ कर चाँद की किर्णो को नैनी झील के उपर अठखेलियां करते हुए देखने लगा.

भावना जब बाहर आई तो उस वक़्त उसे जो भी देखता बस यही कामना करता की ये मदमाता हुआ हुस्न इसी वक़्त मेरी बाँहों में समा जाए.

उसने देखा की राजेश बाहर बैठा है तो वो भी बाहर उसके पास चली गयी और जब देखा की वो वाइन पी रहा है तो उसे थोड़ा गुस्सा चॅड गया - 'ये क्या कितनी पियोगे?'

राजेश ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया ' यार आज एक दिन के लिए तो इज़ाज़त देदो कोन सा रोज पीता हूँ आज मस्ती का दिल कर रहा है'

भावना ने प्यार से उसके सर पे चपत लगाई ' बहुत बदमाश हो गया है'

राजेश ने कुछ नही कहा बस वाइन का ग्लास भावना के होंठों से लगा दिया और भावना को भी पता नही क्या सूजा गटागॅट आधा ग्लास खाली कर गयी और राजेश बस उसे देखता रहा.

'एसे क्या देख रहा है?'

'सोच रहा हूँ जो खुद एक नशा है उसपे नशे का क्या असर होगा'







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