FUN-MAZA-MASTI
बीवी का मायका-1
मैं और लीना शुक्रवार रात बारा बजे लीना के घर याने मेरी ससुराल पहुंचे. जब हम टैक्सी से स्टेशन से घर की ओर जा रहे थे तब मैंने लीना का हाथ पकड़कर कहा "अब तो खुश हैं ना रानी साहिबा?"
लीना मुस्कराई "हां मेरे राजा. और अब देखना यहां आकर तुम कितने खुश हो जाओगे. पता है, यहां अपने दामाद के स्वागत की, खातिरदारी की जम के तैयारी की गयी होगी"
"देखते हैं. वैसे तुम्हारे ससुराल वालों ने पहले ही मुझे ये जन्नत की परी ..." उसकी कमर में चूंटी काट कर मैं बोला. " ... गिफ़्ट में दी है, अब उससे अच्छी और क्या खातिर करेंगे मेरी?"
लीना बस मुस्करा दी जैसे कह रही हो कि देखते जाओ अभी तो!
***
इस ट्रिप का बैकग्राउंड ऐसा था.
लीना और मैं क्या क्या गुल खिलाते हैं, सिर्फ़ आपस में ही नहीं, बल्कि जो कोई पसंद आ जाये और मिल जाये उसके साथ, यह यहां नहीं बता सकता, वह अलग कहानी है, बल्कि कहानियां हैं. मेरे दूर के रिश्ते के चाचा चाची और मौसा मौसी के साथ हमने क्या क्या किया, इसकी अलग कहानी है. और मेरे दो तीन दोस्त और उनकी बीवियां हैं ही! बहुत खास किस्म के दोस्त. हर महने कम से कम एक बार सब का ग्रूप जमता है किसी के यहां शनिवार रविवार को. उस वक्त कौन किसका पति है या कौन किसकी बीवी है यह सब कोई मायने नहीं रखता.
बस इसी सब चक्कर में मैं और लीना मस्त रहते हैं, जवानी का पूरा लुत्फ़ उठाते हैं, कहीं जाने आने की इच्छा नहीं होती. इस वजह से शादी के छह महने हो गये फिर भी लीना के घर याने मेरी ससुराल को शादी के बाद हम अब तक नहीं गये थे.
लीना के मायके से बार बार फोन आते थे, लीना की मां के, लीना की भाभी के. लीना पिछले एक महने से मेरे पीछे लगी थी कि अब छुट्टी लो और मेरे मैके चलो. अकेली वो जाती नहीं थी, मेरे जैसा उसकी बुर का गुलाम वो कैसे पीछे छोड़ कर जाती. यहां उसके खिलाये (और मुझे खिलवाये) गुल देखकर मैं कई बार उससे पूछता था कि लीना, जब शादी के पहले अपने घर रहती थी तू तो तेरे जैसी गरमा गरम चुदैल लड़की का गुजारा कैसे होता था तो बस हंस देती और आंख मार के कहती कि जब मेरे घर चलोगे तभी पता चलेगा. मैं मन ही मन उसके बारे में अंदाजा बांधता और कुछ अंदाजे तो इतने हरामीपन के होते कि मेरा कस के खड़ा हो जाता. लीना से खोद खोद के पूछता तो वो टाल जाती या मेरा मुंह अपने किसी रसीले अंग से बंद कर देती.
दीवाली की तो मुझे छुट्टी मिली नहीं पर उसके बाद शनिवार रविवार को आखिर हम ने जाने का फैसला कर लिया. एक दिन की छुट्टी मैंने और किसी तरह ले मारी. और इस तरह हम ससुराल में मेरी पहली ट्रिप के लिये पहुंचे.
***
खैर, टैक्सी घर के आगे रुकी और हम उतरे. सब इंतजार कर ही रहे थे. खास कर लीना की मां, जिन्हें सब ताईजी कहते थे, उनकी खुशी देखते नहीं बनती थी. लीना की भाभी मीनल और छोटा भाई ललित भी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, क्योंकि टैक्सी रुकते ही वे दौड़ कर बाहर आ गये थे. बस लीना का बड़ा भाई हेमन्त, मीनल का पति नहीं था, छह महने के लिये विदेश गया था.
अंदर जाकर हम बैठे, ताईजी ने कॉफ़ी बनाई. शुरुआत जरा फ़ॉर्मल बातों से हुई. आखिर मैं पहली बार आया था. मैं नजर बचाकर जितना हो सकता है, लीना के उन घरवालों को देख रहा था. शादी हमारी रजिस्टर्ड हुई थी इसलिये तब किसी से ज्यादा मिलने जुलने का मौका नहीं मिला था. मीनल दिखने में बड़ी आकर्षक थी, याने कोई ब्यूटी क्वीन नहीं थी लीना की तरह, पर फिर भी उसको देखते ही मन में और दूसरे अंगों में भी गुदगुदी सी होती थी. इस समय सलवार कमीज पहने थी, बिना ओढनी, के जिसमें से उसका सुडौल मांसल बदन खिल कर दिख रहा था. टाइट कमीज में उसके जवान उरोज मचल मचल कर बाहर आने को कर रहे थे. फिर याद आया कि अभी एक साल पहले ही वो मां बनी थी तो उसका भी एफ़ेक्ट पड़ा होगा उसकी ब्रा साइज़ पर. थी भी अच्छी ऊंची पूरी, लीना से एकाध इंच लंबी ही होगी, कम नहीं.
ताईजी ने तो मुझे मंत्रमुग्ध कर डाला. वैसे भी मुझे उमर में बड़ी औरतों से खास लगाव है, ज्यादा पके फ़लों जैसी वे ज्यादा ही मीठी लगती हैं. और ताईजी तो एकदम माल थीं. लीना की मां - मेरी सास के बारे में वैसे मुझे ऐसा सोचना नहीं चाहिये ऐसा मेरे मन में आया पर मन पर काबू करना बड़ा मुश्किल था. चेहरा बड़ा खूबसूरत था, लीना से थोड़ा अलग था पर एकदम स्वीट. बदन भरा पूरा था, मोटा नहीं था, पर कद में छोटी थीं, करीब पांच फुट की होंगी और इस वजह से बदन थोड़ा खाया पिया दिखता था पर उनके बदन में मांसलपन भले हो, सिठानी जैसा मुटापा नहीं था. और एकदम गोरी चिट्टी थीं, उनका पेट और बाहें जो दिख रही थीं, उससे उनकी स्किन कितनी चिकनी है ये दिख रहा था. बाकी तो ज्यादा कुछ दिखा नहीं क्योंकि वे अपना आंचल अपने बदन में लपेटी हुई थीं. मेरे मन में आया कि इनको सिर और पैरों से पकड़कर छह इंच खींच दिया जाये और कमर के नीचे के याने चौड़े भरे हुए भारी भरकम कूल्हों को दो हाथों के बीच रखकर थोड़ा पिचका दिया जाये तो एकदम मॉडल लगेंगी.
ललित को देखते ही कोई भी कह देता कि वो लीना का भाई था, एकदम हू बहू वही चेहरा था उसका. उंचाई में लीना पर न जाकर शायद अपनी मां पर गया था - लीना अच्छी खासी पांच फुट सात इंच लंबी है - ललित का कद बस पांच फुट एक या दो इंच ही था. अब तक दाढ़ी मूंछे आने के भी कोई निशान नहीं थे. इसीलिये जूनियर कॉलेज में होने के बावजूद किसी सातवीं आठवीं के लड़के जैसा चिकना दिखता था. लगता था ताईजी के ज्यादा अंश आये होंगे उसके जीन में. लड़कों के बारे में हम कहते हैं कि हैंडसम है, या स्मार्ट है पर ललित के बारे में बस कोई भी होता तो यही कहता कि कितना सुंदर या खूबसूरत लड़का है! जरा शर्मीला सा था. मेरी ओर देख रहा था पर कुछ बोल नहीं रहा था.
शायद मीनल का मूड था गप्पों का पर कॉफ़ी खतम होते ही ताईजी ने सब को जबरदस्ती उठा दिया "चलो सब, अरे तुम लोग दिन भर आराम किये हुए हो, अनिल और लीना ट्रेन में थक गये होंगे. उनको अब सोने दो. बाकी गप्पें अब कल सुबह"
मीनल मुस्करा कर बोली "जीजाजी, सिर्फ़ गप्पों से मन नहीं भरेगा हमारा. दो दिन को तो आये हो आप, हमने तो घंटे घंटे का टाइम टेबल बनाया है आप के लिये, और वो तो असल में अभी से बनाया था, आपके यहां पहुंचने के टाइम से, पर अब नींद के ये कुछ घंटे वेस्ट जायेंगे, है ना ताईजी" फिर वो लीना की मां की ओर देखकर मुंह छुपा कर हंसने लगी. लीना के चेहरे पर भी बड़ी शैतानी झलक रही थी, जैसे उसे सब मालूम हो कि क्या प्लान बन रहे हैं.
ताईजी ने मीठी फटकार लगाई "अब वो सब रहने दो, देखा नहीं कितने थक गये हैं दोनों, उनको आराम करने दो पहले, नहीं तो सब गप्पों का मजा ही किरकिरा कर दोगी तुम लोग. और मीनल, जीजाजी जीजाजी क्या कर रही है तू, अनिल तुझसे छोटे हैं, तेरी ननद के पति हैं, तेरे ननदोई हुए ना!"
"ताईजी, मैं तो जीजाजी ही कहूंगी. अच्छा लगता है, साली जीजा का रिश्ता आखिर कौन निभायेगा." मीनल ने शैतानी भरी नजरों से मेरी ओर देखते हुए कहा. "या फिर सीधे अनिल कहूंगी"
मेरी सासूमां बोलीं "तू मानेगी थोड़े! लीना बेटी जा, नहा धो ले, नींद अच्छी आयेगी, मैं खाना वहीं भिजवाती हूं"
लीना बोली "मां, अब खाना वाना रहने दो, भूख नहीं है, बस नहा कर थोड़ा हॉट चॉकलेट पियेंगे, फिर सोऊंगी मैं तो"
मीनल बोली "लीना ... वो दूध?"
लीना उसकी ओर देखकर मुस्कराने लगी. ताईजी थोड़ी चिढ़ सी गयीं "तुम दोनों नहीं मानोगी. मीनल तू भी जा, दूध मैं गरम कर लूंगी"
नहा धोकर हमने हॉट चॉकलेट पिया और फिर सो गये. लीना को बिना चोदे मुझे कहां नींद आती है! तो मैं जब मेरी रानी को पास खींचने लगा तो उसने कस के मुझे चूंटी काटी और धकेल दिया "अब मुझे तंग मत करो, अब जो करना है वो कल" फिर मेरे मुंह को देखकर तरस खाकर बोली "कल से तुम्हारा एकदम टाइट प्रोग्राम है, उसके लिये जरा फ़्रेश रहना, आज सो लो, नहीं तो थके हारे ससुराल में जम्हाई लेते हुए फ़िरेंगे जमाई राजा, तो कुछ अच्छा दिखेगा क्या!"
सुबह नींद खुली, लंड मस्त खड़ा था जैसा सब मर्दों का होता है, बस फरक ये था कि कोई उसे पजामे के ऊपर से ही पकड़कर मुझे जगाने के लिये हिला रहा था. पहले लगा लीना है, वह मुझे ऐसे ही जगाती है. पर फिर आंखें खोली तो देखा मीनल भाभी नाइटी पहने एक हाथ में चाय का कप लेकर झुक कर खड़ी थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर हिला रही थी. झुके झुके उसने नाइटी के गले में से मुझे अपने मोटे मोटे स्तनों का दर्शन करा दिया जो बिना ब्रा के नाइटी के अंदर पके आमों जैसे लटक रहे थे. लीना का कहीं पता नहीं था.
"उठिये जीजाजी, आप सो रहे हैं पर ये तो कब से जग रहा है बेचारा" मुस्कराते हुए मीनल बोली.
मैं उठ कर बैठ गया और मीनल के हाथ से चाय का कप लिया. "भाभी, शायद यह बेचारा आप की राह देख रहा था. कितना सुहाना तरीका है आपके यहां किसी को जगाने का"
"हमारे यहां तो बहुत से सुहाने तरीके हैं हर चीज के लिये, अब आप उठेंगे तब तो पता चलेगा" मीनल भाभी मेरी आंखों में आंखें डाल कर बड़े मीठे अंदाज में बोलीं.
उतने में लीना बाथरूम से निकली. टॉवेल से मुंह पोछते बोली "भाभी, आज बैंक नहीं जाओगी क्या? मुझे लगा था कि तुम तो तैयार हो गयी होगी अब तक"
मीनल बोली "अरे आज तू और अनिल आये हैं तो सोचा कम से कम एक घंटा देरी से तो जाऊं, मुझे तो छुट्टी ही चाहिये थी पर मिली नहीं, बड़ा खूसट मैनेजर है हमारा. अनिल चाय पी रहे हैं तब तक मैं जाकर ऑफ़िस के लिये तैयार होती हूं"
मैंने मुंह धोया और फिर चाय पी. लीना मेरे पास बैठकर मेरे लंड से खेल रही थी. कल रात खुद नखरा करके मुझे दूर धकेला था, अब शायद अपने रोज के खिलौने के बगैर रहा नहीं जा रहा था. सोच रहा था कि मीनल के मुझे जगाने के तरीके के बारे में बताऊं या नहीं. कहा "ये मीनल भाभी बड़ी नटखट हैं, आज मुझे जगाने आयीं तो ..."
"और तुमने उन्हें ऐसे ही जाने दिया? कैसे हो जी? बड़े प्यार दुलार से जगाने आयी होगी मीनल. ऐसे ही सूखे सूखे वापस भेज दिया भाभी को? सलीके से थैंक यू भी नहीं बोला?" मुझे ही डांट लगाते हुए वो बोली. आंखों में ऐसी शैतानी भरी थी जैसे कोई एक नंबर की बदमाश बच्ची कुछ उल्टा सीधा करने जा रही हो. फिर मेरे लंड को मुठ्ठे में लेकर ऊपर नीचे करने लगी.
मेरा लंड तन्ना गया. मैंने लीना को पकड़कर बिस्तर पर खींचा तो हंसते हुए छूट कर खड़ी हो गयी. मैं मुंह बना कर बोला "क्या यार, यहां अपने मायके आकर ऐसे के.एल.डी कराओगी क्या? दावत के बजाय तो उपवास करना पड़ रहा है मेरे को" तो बोली "लेटे रहो, आराम करो, जरा तरीके से रहो. आखिर दामाद हो, पहली बार ससुराल आये हो. मैं जाकर देखती हूं कि मां और भाभी ने आज सुबह का क्या प्रोग्राम बनाया है."
टाइम पास करने को लेटा लेटा मैं मीनल ने सुबह दिखाये अंदाज के बारे में सोचता हुआ अपने लंड को पुचकारने लगा. कम से कम मीनल भाभी मुझपर मेहरबान होंगी ये पक्का था. लीना कैसे मुझे ही डांट रही थी कि तुमने उनको ऐसे ही वापस भेज दिया. नाइटी में मीनल की वो मतवाली चूंचियां कैसी दिख रही थीं ये याद करके साला लंड ऐसा तन्नाया कि मेरे पजामे की अधखुली ज़िप को टन्न से खोलकर बाहर आ गया और लहराने लगा. सोच रहा था कि शायद मीनल यह तो एक्सपेक्ट कर ही रही होगी कि मैं एक किस लूंगा जो मैंने नहीं किया, एक लल्लू जैसा बिहेव किया. अपने आप को कोसते हुए मैं पड़ा रहा.
लंड का सीना तान के खड़ा होना था कि अचानक मीनल कमरे में आ गयी. बिलकुल ऑफ़िस जाने की तैयारी करके आयी थी. गुलानी साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहना था और लाल लिपस्टिक लगायी थी. गुलाबी ब्लाउज़ में से लाल ब्रा की झलक दिख रही थी. एकदम स्मार्ट और तीखी छुरी लग रही थी.
मैं हड़बड़ा गया. चादर ओढ़ने के लिये खींची तो मीनल बोली. "रहने दो जमाईजी. आप तैयार हैं ये बड़ा अच्छा हुआ. टाइम वेस्ट नहीं होगा. वैसे भी लीना ने कहा था मेरे को कि भाभी तुम तैयार हो जाओ, मैं अनिल को तैयार करके रखूंगी तेरे लिये"
मीनल मेरे पास आकर बैठ गयी. फिर मेरा लंड मुठ्ठी में भरके हिलाने लगी. "एकदम रसीला और मोटा ताजा गन्ना है. तभी मैं कहूं कि लीना ने शादी के बाद मायके आने का नाम ही नहीं लिया. बदमाश है, इस गन्ने को बस खुद के लिये रखना चाहती थी. ऐसे थोड़े ही होता है. अब ये भी तुम्हारा घर है तो सब घरवालों का भी हक इस मिठाई पर है या नहीं?"
मैंने कहा "मीनल भाभी, आपके घर आये हैं, अब आप जो चाहें वो कर लें. समझ लीजिये आपकी गुलामी करने आये हैं" मीनल से नोक झोक करते वक्त मन में सोच रहा था कि मीनल तो बड़ी फ़ॉरवर्ड निकली, सीधे असली मुद्दे पर हाथ डाल रख दिया. ट्रेलर इतना नशीला है तो मेन पिक्चर कैसी होगी.
मीनल साड़ी धीरे धीरे बड़ी सावधानी से ऊपर करते हुए पलंग पर चढ़ गयी. "गुलाम नहीं अनिल जी, आप हमारे खास मेहमान हैं, इस घर के दामाद हैं, हमारे घर की प्यारी बेटी के पति हैं, उसके चेहरे पर से ही दिख रहा है कि उसको आपने कितना खुश रखा है. अब हमारे यहां आये हैं तो हम सब का फ़र्ज़ है कि आपको खुश रखें. अब आप लेटे रहो जीजाजी. हमें स्वागत करने दो ठीक से. जल्दी भी है मेरे को, ऑफ़िस को लेट हो जाऊंगी तो मुश्किल होगी. पर आखिर घर की बहू हूँ, आपका ठीक से स्वागत करना तो मेरा ही फ़र्ज़ है ना! इसलिये तैयार होकर ही आई कि फिर सीधे ऑफ़िस निकल जाऊंगी."
मीनल ने साड़ी उठाई और मेरी टांगों के दोनों ओर अपने घुटने टेक कर बैठ गयी. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. इसलिये घने काले बालों से भरी उसकी चूत मेरे को दो सेकंड को साफ़ दिखी. लंड ने तन कर मेरी सल्हज के उस खजाने को सलाम किया. मीनल थोड़ा ऊपर उठी और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में खोंस लिया. फिर मेरे पेट पर बैठकर उसने साड़ी नीचे की और ऊपर नीचे होकर मुझे चोदने लगी. लगता है मीनल चुदाई के लिये एकदम तैयार होकर आयी थी, चूत बिलकुल गीली और गरमागरम थी.
"वैसे सॉरी जीजाजी, आप को जल्दी उठा दिया, मस्त गहरी नींद सोये थे आप. ननदजी भी कह रही थी कि उनको कुछ और सोने दो, फिर दिन भर बिज़ी रहेंगे बेचारे. पर ऑफ़िस जाने में देर होने लगी तो नहीं रहा गया मुझसे. ऐसे ही चली जाती बिना घर की बहू का फ़र्ज़ निभाये तो ऑफ़िस के काम में क्या दिल लगता मेरा? वैसे कैसा लग रहा है जीजाजी? अच्छा लगा?"
"भाभीजी .... अब क्या कहूं आप को, आपने तो मेरे होश उड़ा दिये. बहुत सुंदर लग रही हो आप मीनल भाभी, साड़ी एकदम टॉप है और साड़ी के अंदर का माल तो और टॉप है" मैंने हाथ बढ़ाकर साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तन पकड़ने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथ को पकड़कर बाजू में कर दिया. "अभी नहीं जमाईजी, साड़ी में सल पड़ जायेंगे. बदलने को टाइम नहीं है मेरे को. लेटे रहो चुपचाप"
पर मैं क्या चुप रहता! उस कामिनी को पास खींचकर उसके वे लिपस्टिक लगे लाल लाल होंठ अगर नहीं चूमे तो क्या किया! मैं फिर से उसकी कमर में हाथ डालकर उसे नीचे खींचने लगा तो मीनल ने मेरे हाथ पकड़े और चिल्लाई. "ताईजी ... ताईजी .... जल्दी आइये ... देखिये जीजाजी क्या गुल खिला रहे हैं. मान ही नहीं रहे, मुझपर जबरदस्ती कर रहे हैं"
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लीना मुस्कराई "हां मेरे राजा. और अब देखना यहां आकर तुम कितने खुश हो जाओगे. पता है, यहां अपने दामाद के स्वागत की, खातिरदारी की जम के तैयारी की गयी होगी"
"देखते हैं. वैसे तुम्हारे ससुराल वालों ने पहले ही मुझे ये जन्नत की परी ..." उसकी कमर में चूंटी काट कर मैं बोला. " ... गिफ़्ट में दी है, अब उससे अच्छी और क्या खातिर करेंगे मेरी?"
लीना बस मुस्करा दी जैसे कह रही हो कि देखते जाओ अभी तो!
***
इस ट्रिप का बैकग्राउंड ऐसा था.
लीना और मैं क्या क्या गुल खिलाते हैं, सिर्फ़ आपस में ही नहीं, बल्कि जो कोई पसंद आ जाये और मिल जाये उसके साथ, यह यहां नहीं बता सकता, वह अलग कहानी है, बल्कि कहानियां हैं. मेरे दूर के रिश्ते के चाचा चाची और मौसा मौसी के साथ हमने क्या क्या किया, इसकी अलग कहानी है. और मेरे दो तीन दोस्त और उनकी बीवियां हैं ही! बहुत खास किस्म के दोस्त. हर महने कम से कम एक बार सब का ग्रूप जमता है किसी के यहां शनिवार रविवार को. उस वक्त कौन किसका पति है या कौन किसकी बीवी है यह सब कोई मायने नहीं रखता.
बस इसी सब चक्कर में मैं और लीना मस्त रहते हैं, जवानी का पूरा लुत्फ़ उठाते हैं, कहीं जाने आने की इच्छा नहीं होती. इस वजह से शादी के छह महने हो गये फिर भी लीना के घर याने मेरी ससुराल को शादी के बाद हम अब तक नहीं गये थे.
लीना के मायके से बार बार फोन आते थे, लीना की मां के, लीना की भाभी के. लीना पिछले एक महने से मेरे पीछे लगी थी कि अब छुट्टी लो और मेरे मैके चलो. अकेली वो जाती नहीं थी, मेरे जैसा उसकी बुर का गुलाम वो कैसे पीछे छोड़ कर जाती. यहां उसके खिलाये (और मुझे खिलवाये) गुल देखकर मैं कई बार उससे पूछता था कि लीना, जब शादी के पहले अपने घर रहती थी तू तो तेरे जैसी गरमा गरम चुदैल लड़की का गुजारा कैसे होता था तो बस हंस देती और आंख मार के कहती कि जब मेरे घर चलोगे तभी पता चलेगा. मैं मन ही मन उसके बारे में अंदाजा बांधता और कुछ अंदाजे तो इतने हरामीपन के होते कि मेरा कस के खड़ा हो जाता. लीना से खोद खोद के पूछता तो वो टाल जाती या मेरा मुंह अपने किसी रसीले अंग से बंद कर देती.
दीवाली की तो मुझे छुट्टी मिली नहीं पर उसके बाद शनिवार रविवार को आखिर हम ने जाने का फैसला कर लिया. एक दिन की छुट्टी मैंने और किसी तरह ले मारी. और इस तरह हम ससुराल में मेरी पहली ट्रिप के लिये पहुंचे.
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खैर, टैक्सी घर के आगे रुकी और हम उतरे. सब इंतजार कर ही रहे थे. खास कर लीना की मां, जिन्हें सब ताईजी कहते थे, उनकी खुशी देखते नहीं बनती थी. लीना की भाभी मीनल और छोटा भाई ललित भी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, क्योंकि टैक्सी रुकते ही वे दौड़ कर बाहर आ गये थे. बस लीना का बड़ा भाई हेमन्त, मीनल का पति नहीं था, छह महने के लिये विदेश गया था.
अंदर जाकर हम बैठे, ताईजी ने कॉफ़ी बनाई. शुरुआत जरा फ़ॉर्मल बातों से हुई. आखिर मैं पहली बार आया था. मैं नजर बचाकर जितना हो सकता है, लीना के उन घरवालों को देख रहा था. शादी हमारी रजिस्टर्ड हुई थी इसलिये तब किसी से ज्यादा मिलने जुलने का मौका नहीं मिला था. मीनल दिखने में बड़ी आकर्षक थी, याने कोई ब्यूटी क्वीन नहीं थी लीना की तरह, पर फिर भी उसको देखते ही मन में और दूसरे अंगों में भी गुदगुदी सी होती थी. इस समय सलवार कमीज पहने थी, बिना ओढनी, के जिसमें से उसका सुडौल मांसल बदन खिल कर दिख रहा था. टाइट कमीज में उसके जवान उरोज मचल मचल कर बाहर आने को कर रहे थे. फिर याद आया कि अभी एक साल पहले ही वो मां बनी थी तो उसका भी एफ़ेक्ट पड़ा होगा उसकी ब्रा साइज़ पर. थी भी अच्छी ऊंची पूरी, लीना से एकाध इंच लंबी ही होगी, कम नहीं.
ताईजी ने तो मुझे मंत्रमुग्ध कर डाला. वैसे भी मुझे उमर में बड़ी औरतों से खास लगाव है, ज्यादा पके फ़लों जैसी वे ज्यादा ही मीठी लगती हैं. और ताईजी तो एकदम माल थीं. लीना की मां - मेरी सास के बारे में वैसे मुझे ऐसा सोचना नहीं चाहिये ऐसा मेरे मन में आया पर मन पर काबू करना बड़ा मुश्किल था. चेहरा बड़ा खूबसूरत था, लीना से थोड़ा अलग था पर एकदम स्वीट. बदन भरा पूरा था, मोटा नहीं था, पर कद में छोटी थीं, करीब पांच फुट की होंगी और इस वजह से बदन थोड़ा खाया पिया दिखता था पर उनके बदन में मांसलपन भले हो, सिठानी जैसा मुटापा नहीं था. और एकदम गोरी चिट्टी थीं, उनका पेट और बाहें जो दिख रही थीं, उससे उनकी स्किन कितनी चिकनी है ये दिख रहा था. बाकी तो ज्यादा कुछ दिखा नहीं क्योंकि वे अपना आंचल अपने बदन में लपेटी हुई थीं. मेरे मन में आया कि इनको सिर और पैरों से पकड़कर छह इंच खींच दिया जाये और कमर के नीचे के याने चौड़े भरे हुए भारी भरकम कूल्हों को दो हाथों के बीच रखकर थोड़ा पिचका दिया जाये तो एकदम मॉडल लगेंगी.
ललित को देखते ही कोई भी कह देता कि वो लीना का भाई था, एकदम हू बहू वही चेहरा था उसका. उंचाई में लीना पर न जाकर शायद अपनी मां पर गया था - लीना अच्छी खासी पांच फुट सात इंच लंबी है - ललित का कद बस पांच फुट एक या दो इंच ही था. अब तक दाढ़ी मूंछे आने के भी कोई निशान नहीं थे. इसीलिये जूनियर कॉलेज में होने के बावजूद किसी सातवीं आठवीं के लड़के जैसा चिकना दिखता था. लगता था ताईजी के ज्यादा अंश आये होंगे उसके जीन में. लड़कों के बारे में हम कहते हैं कि हैंडसम है, या स्मार्ट है पर ललित के बारे में बस कोई भी होता तो यही कहता कि कितना सुंदर या खूबसूरत लड़का है! जरा शर्मीला सा था. मेरी ओर देख रहा था पर कुछ बोल नहीं रहा था.
शायद मीनल का मूड था गप्पों का पर कॉफ़ी खतम होते ही ताईजी ने सब को जबरदस्ती उठा दिया "चलो सब, अरे तुम लोग दिन भर आराम किये हुए हो, अनिल और लीना ट्रेन में थक गये होंगे. उनको अब सोने दो. बाकी गप्पें अब कल सुबह"
मीनल मुस्करा कर बोली "जीजाजी, सिर्फ़ गप्पों से मन नहीं भरेगा हमारा. दो दिन को तो आये हो आप, हमने तो घंटे घंटे का टाइम टेबल बनाया है आप के लिये, और वो तो असल में अभी से बनाया था, आपके यहां पहुंचने के टाइम से, पर अब नींद के ये कुछ घंटे वेस्ट जायेंगे, है ना ताईजी" फिर वो लीना की मां की ओर देखकर मुंह छुपा कर हंसने लगी. लीना के चेहरे पर भी बड़ी शैतानी झलक रही थी, जैसे उसे सब मालूम हो कि क्या प्लान बन रहे हैं.
ताईजी ने मीठी फटकार लगाई "अब वो सब रहने दो, देखा नहीं कितने थक गये हैं दोनों, उनको आराम करने दो पहले, नहीं तो सब गप्पों का मजा ही किरकिरा कर दोगी तुम लोग. और मीनल, जीजाजी जीजाजी क्या कर रही है तू, अनिल तुझसे छोटे हैं, तेरी ननद के पति हैं, तेरे ननदोई हुए ना!"
"ताईजी, मैं तो जीजाजी ही कहूंगी. अच्छा लगता है, साली जीजा का रिश्ता आखिर कौन निभायेगा." मीनल ने शैतानी भरी नजरों से मेरी ओर देखते हुए कहा. "या फिर सीधे अनिल कहूंगी"
मेरी सासूमां बोलीं "तू मानेगी थोड़े! लीना बेटी जा, नहा धो ले, नींद अच्छी आयेगी, मैं खाना वहीं भिजवाती हूं"
लीना बोली "मां, अब खाना वाना रहने दो, भूख नहीं है, बस नहा कर थोड़ा हॉट चॉकलेट पियेंगे, फिर सोऊंगी मैं तो"
मीनल बोली "लीना ... वो दूध?"
लीना उसकी ओर देखकर मुस्कराने लगी. ताईजी थोड़ी चिढ़ सी गयीं "तुम दोनों नहीं मानोगी. मीनल तू भी जा, दूध मैं गरम कर लूंगी"
नहा धोकर हमने हॉट चॉकलेट पिया और फिर सो गये. लीना को बिना चोदे मुझे कहां नींद आती है! तो मैं जब मेरी रानी को पास खींचने लगा तो उसने कस के मुझे चूंटी काटी और धकेल दिया "अब मुझे तंग मत करो, अब जो करना है वो कल" फिर मेरे मुंह को देखकर तरस खाकर बोली "कल से तुम्हारा एकदम टाइट प्रोग्राम है, उसके लिये जरा फ़्रेश रहना, आज सो लो, नहीं तो थके हारे ससुराल में जम्हाई लेते हुए फ़िरेंगे जमाई राजा, तो कुछ अच्छा दिखेगा क्या!"
सुबह नींद खुली, लंड मस्त खड़ा था जैसा सब मर्दों का होता है, बस फरक ये था कि कोई उसे पजामे के ऊपर से ही पकड़कर मुझे जगाने के लिये हिला रहा था. पहले लगा लीना है, वह मुझे ऐसे ही जगाती है. पर फिर आंखें खोली तो देखा मीनल भाभी नाइटी पहने एक हाथ में चाय का कप लेकर झुक कर खड़ी थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर हिला रही थी. झुके झुके उसने नाइटी के गले में से मुझे अपने मोटे मोटे स्तनों का दर्शन करा दिया जो बिना ब्रा के नाइटी के अंदर पके आमों जैसे लटक रहे थे. लीना का कहीं पता नहीं था.
"उठिये जीजाजी, आप सो रहे हैं पर ये तो कब से जग रहा है बेचारा" मुस्कराते हुए मीनल बोली.
मैं उठ कर बैठ गया और मीनल के हाथ से चाय का कप लिया. "भाभी, शायद यह बेचारा आप की राह देख रहा था. कितना सुहाना तरीका है आपके यहां किसी को जगाने का"
"हमारे यहां तो बहुत से सुहाने तरीके हैं हर चीज के लिये, अब आप उठेंगे तब तो पता चलेगा" मीनल भाभी मेरी आंखों में आंखें डाल कर बड़े मीठे अंदाज में बोलीं.
उतने में लीना बाथरूम से निकली. टॉवेल से मुंह पोछते बोली "भाभी, आज बैंक नहीं जाओगी क्या? मुझे लगा था कि तुम तो तैयार हो गयी होगी अब तक"
मीनल बोली "अरे आज तू और अनिल आये हैं तो सोचा कम से कम एक घंटा देरी से तो जाऊं, मुझे तो छुट्टी ही चाहिये थी पर मिली नहीं, बड़ा खूसट मैनेजर है हमारा. अनिल चाय पी रहे हैं तब तक मैं जाकर ऑफ़िस के लिये तैयार होती हूं"
मैंने मुंह धोया और फिर चाय पी. लीना मेरे पास बैठकर मेरे लंड से खेल रही थी. कल रात खुद नखरा करके मुझे दूर धकेला था, अब शायद अपने रोज के खिलौने के बगैर रहा नहीं जा रहा था. सोच रहा था कि मीनल के मुझे जगाने के तरीके के बारे में बताऊं या नहीं. कहा "ये मीनल भाभी बड़ी नटखट हैं, आज मुझे जगाने आयीं तो ..."
"और तुमने उन्हें ऐसे ही जाने दिया? कैसे हो जी? बड़े प्यार दुलार से जगाने आयी होगी मीनल. ऐसे ही सूखे सूखे वापस भेज दिया भाभी को? सलीके से थैंक यू भी नहीं बोला?" मुझे ही डांट लगाते हुए वो बोली. आंखों में ऐसी शैतानी भरी थी जैसे कोई एक नंबर की बदमाश बच्ची कुछ उल्टा सीधा करने जा रही हो. फिर मेरे लंड को मुठ्ठे में लेकर ऊपर नीचे करने लगी.
मेरा लंड तन्ना गया. मैंने लीना को पकड़कर बिस्तर पर खींचा तो हंसते हुए छूट कर खड़ी हो गयी. मैं मुंह बना कर बोला "क्या यार, यहां अपने मायके आकर ऐसे के.एल.डी कराओगी क्या? दावत के बजाय तो उपवास करना पड़ रहा है मेरे को" तो बोली "लेटे रहो, आराम करो, जरा तरीके से रहो. आखिर दामाद हो, पहली बार ससुराल आये हो. मैं जाकर देखती हूं कि मां और भाभी ने आज सुबह का क्या प्रोग्राम बनाया है."
टाइम पास करने को लेटा लेटा मैं मीनल ने सुबह दिखाये अंदाज के बारे में सोचता हुआ अपने लंड को पुचकारने लगा. कम से कम मीनल भाभी मुझपर मेहरबान होंगी ये पक्का था. लीना कैसे मुझे ही डांट रही थी कि तुमने उनको ऐसे ही वापस भेज दिया. नाइटी में मीनल की वो मतवाली चूंचियां कैसी दिख रही थीं ये याद करके साला लंड ऐसा तन्नाया कि मेरे पजामे की अधखुली ज़िप को टन्न से खोलकर बाहर आ गया और लहराने लगा. सोच रहा था कि शायद मीनल यह तो एक्सपेक्ट कर ही रही होगी कि मैं एक किस लूंगा जो मैंने नहीं किया, एक लल्लू जैसा बिहेव किया. अपने आप को कोसते हुए मैं पड़ा रहा.
लंड का सीना तान के खड़ा होना था कि अचानक मीनल कमरे में आ गयी. बिलकुल ऑफ़िस जाने की तैयारी करके आयी थी. गुलानी साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहना था और लाल लिपस्टिक लगायी थी. गुलाबी ब्लाउज़ में से लाल ब्रा की झलक दिख रही थी. एकदम स्मार्ट और तीखी छुरी लग रही थी.
मैं हड़बड़ा गया. चादर ओढ़ने के लिये खींची तो मीनल बोली. "रहने दो जमाईजी. आप तैयार हैं ये बड़ा अच्छा हुआ. टाइम वेस्ट नहीं होगा. वैसे भी लीना ने कहा था मेरे को कि भाभी तुम तैयार हो जाओ, मैं अनिल को तैयार करके रखूंगी तेरे लिये"
मीनल मेरे पास आकर बैठ गयी. फिर मेरा लंड मुठ्ठी में भरके हिलाने लगी. "एकदम रसीला और मोटा ताजा गन्ना है. तभी मैं कहूं कि लीना ने शादी के बाद मायके आने का नाम ही नहीं लिया. बदमाश है, इस गन्ने को बस खुद के लिये रखना चाहती थी. ऐसे थोड़े ही होता है. अब ये भी तुम्हारा घर है तो सब घरवालों का भी हक इस मिठाई पर है या नहीं?"
मैंने कहा "मीनल भाभी, आपके घर आये हैं, अब आप जो चाहें वो कर लें. समझ लीजिये आपकी गुलामी करने आये हैं" मीनल से नोक झोक करते वक्त मन में सोच रहा था कि मीनल तो बड़ी फ़ॉरवर्ड निकली, सीधे असली मुद्दे पर हाथ डाल रख दिया. ट्रेलर इतना नशीला है तो मेन पिक्चर कैसी होगी.
मीनल साड़ी धीरे धीरे बड़ी सावधानी से ऊपर करते हुए पलंग पर चढ़ गयी. "गुलाम नहीं अनिल जी, आप हमारे खास मेहमान हैं, इस घर के दामाद हैं, हमारे घर की प्यारी बेटी के पति हैं, उसके चेहरे पर से ही दिख रहा है कि उसको आपने कितना खुश रखा है. अब हमारे यहां आये हैं तो हम सब का फ़र्ज़ है कि आपको खुश रखें. अब आप लेटे रहो जीजाजी. हमें स्वागत करने दो ठीक से. जल्दी भी है मेरे को, ऑफ़िस को लेट हो जाऊंगी तो मुश्किल होगी. पर आखिर घर की बहू हूँ, आपका ठीक से स्वागत करना तो मेरा ही फ़र्ज़ है ना! इसलिये तैयार होकर ही आई कि फिर सीधे ऑफ़िस निकल जाऊंगी."
मीनल ने साड़ी उठाई और मेरी टांगों के दोनों ओर अपने घुटने टेक कर बैठ गयी. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. इसलिये घने काले बालों से भरी उसकी चूत मेरे को दो सेकंड को साफ़ दिखी. लंड ने तन कर मेरी सल्हज के उस खजाने को सलाम किया. मीनल थोड़ा ऊपर उठी और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में खोंस लिया. फिर मेरे पेट पर बैठकर उसने साड़ी नीचे की और ऊपर नीचे होकर मुझे चोदने लगी. लगता है मीनल चुदाई के लिये एकदम तैयार होकर आयी थी, चूत बिलकुल गीली और गरमागरम थी.
"वैसे सॉरी जीजाजी, आप को जल्दी उठा दिया, मस्त गहरी नींद सोये थे आप. ननदजी भी कह रही थी कि उनको कुछ और सोने दो, फिर दिन भर बिज़ी रहेंगे बेचारे. पर ऑफ़िस जाने में देर होने लगी तो नहीं रहा गया मुझसे. ऐसे ही चली जाती बिना घर की बहू का फ़र्ज़ निभाये तो ऑफ़िस के काम में क्या दिल लगता मेरा? वैसे कैसा लग रहा है जीजाजी? अच्छा लगा?"
"भाभीजी .... अब क्या कहूं आप को, आपने तो मेरे होश उड़ा दिये. बहुत सुंदर लग रही हो आप मीनल भाभी, साड़ी एकदम टॉप है और साड़ी के अंदर का माल तो और टॉप है" मैंने हाथ बढ़ाकर साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तन पकड़ने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथ को पकड़कर बाजू में कर दिया. "अभी नहीं जमाईजी, साड़ी में सल पड़ जायेंगे. बदलने को टाइम नहीं है मेरे को. लेटे रहो चुपचाप"
पर मैं क्या चुप रहता! उस कामिनी को पास खींचकर उसके वे लिपस्टिक लगे लाल लाल होंठ अगर नहीं चूमे तो क्या किया! मैं फिर से उसकी कमर में हाथ डालकर उसे नीचे खींचने लगा तो मीनल ने मेरे हाथ पकड़े और चिल्लाई. "ताईजी ... ताईजी .... जल्दी आइये ... देखिये जीजाजी क्या गुल खिला रहे हैं. मान ही नहीं रहे, मुझपर जबरदस्ती कर रहे हैं"
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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