Monday, December 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -14

FUN-MAZA-MASTI

 एक भाई ऐसा भी -14

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अब आगे
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 अब फिर से एक बार दोनो भाई बहन अकेले थे..जैसे ही काजल ने दरवाजा बंद किया , केशव ने पीछे से आकर उसको एक बार फिर से जकड़ लिया..और अपने हाथ आगे लेजाकर उसके मुम्मो पर टीका दिए और उसकी उभरी हुई गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.

काजल : "ओहो .....छोड़ो ना केशव....तुम तो हर समय तैयार रहते हो...अभी थोड़ी देर पहले अपनी जी एफ की मारी है...अब मेरे पीछे लगकर खड़े हो गये हो...''

केशव : "तुम्हारी कसम दीदी...उसकी जब भी मारता था तो मेरी आँखो के सामने उस वक़्त भी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी तस्वीर रहती थी...अब मुझसे सब्र नही होगा ...''

केशव ने उसके बिना ब्रा के बूब्स को अपनी मुट्ठी मे जकड़ते हुए कहा.

काजल : "ओके .... ओके ..... मुझे सीधा तो होने दो ना पहले...''

बड़ी मुश्किल से केशव ने उसके जिस्म को अपनी गिरफ़्त से आज़ाद किया..मन तो नही कर रहा था उसकी मखमली गांड को छोड़ने का..

और जैसे ही काजल उसकी गिरफ़्त से छूटी वो भागकर उपर की सीडिया चड़ती चली गयी और जीभ निकाल कर उसने केशव को चिढ़ाया और बोली : "कुछ काम रात के लिए भी छोड़ दो...''

और देखते ही देखते वो भागकर अपनी माँ के कमरे मे घुस गयी..शायद वो भी तडप-2 कर उसे अपनी चूत देना चाहती थी..क्योंकि तड़पाने के बाद जब चुदाई होती है तो उसका मज़ा ही निराला होता है... ये बात उसको अभी - २ सारिका समझा कर गयी थी

केशव शाम की तैयारी में जुट गया...खाने पीने की चीज़े लेकर आया..आज वैसे भी छोटी दीवाली थी..पूरे मोहल्ले में रोशनी फेली हुई थी...दोनो भाई बहन ने मिलकर घर के बाहर लाइट लगाई और अपने घर को भी सॉफ सुथरा करके चमका दिया..फिर काजल खाना बनाने मे जुट गयी.

शाम को ठीक 8 बजे बिल्लू और गणेश आ गये...और कुछ देर के बाद राणा और जीवन भी पहुँच गये..

कुछ देर की बातो के बाद खेल शुरू हुआ..

तब तक काजल उपर ही थी...माँ को खाना खिला रही थी वो..

पहली बाजी लगी.

सबने बूट के 100 रुपय बीच मे डाल दिए..

और फिर सबने 3-3 ब्लाइंड चली...और फिर सबसे पहले राणा ने 500 बीच मे फेंक कर ब्लाइंड को उपर बढ़ाया ..

तब तक जीवन उसकी बगल मे ही बैठा हुआ था...ठीक वैसे ही जैसे खेलते हुए केशव और काजल साथ बैठते है.

गणेश ने ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा कर देख लिए..उसने कुछ सोच समझ कर 1000 रूपए की चाल चल दी..चाल आते ही बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा लिए..पर उसके पत्ते इतने बेकार थे की उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए उन्हे नीचे फेंक दिया.

अब बारी थी केशव की...उसने भी कुछ सोचने के बाद ब्लाइंड के 500 रूपए बीच मे फेंक दिए..

चाल आने के बाद कोई ऐसा नही करता...पर केशव ने कर दिया...शायद कल के जीते पैसे उसकी जेब मे गर्मी पैदा कर रहे थे.

राणा ने जीवन की तरफ देखा, जीवन ने भी ब्लाइंड चलने के लिए ही कहा..और राणा ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर दिया ..

अब एक बार फिर से गणेश की बारी थी...उसके पास कोई चारा नही था...उसे तो ब्लाइंड से डबल पैसे फेंकने थे बीच में ...उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जेब से 2000 रूपए निकाले और बीच मे फेंक दिए..

हालाँकि उसके पास पेयर आया था, 2 का, पर फिर भी वो डर रहा था की कहीं दोनो में से किसी एक के पास अच्छे पत्ते आ गये तो वो बेकार में मारा जाएगा..

केशव ने भी अपनी दरियादिली एक बार और दिखाते हुए 1000 की ब्लाइंड चल दी...

अब एक बार फिर से राणा की बारी थी...उसने जीवन को देखा और जीवन ने राणा के आगे से 2000 रुपय उठा कर एक बार फिर से ब्लाइंड चल दी.

अब तो गणेश की फट गयी...सामने से ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रही थी और वो डबल करते हुए चाल पर चाल चल रहा था..ऐसे मे अगर उसके पत्ते पिट गये तो उसका तो डबल नुकसान होगा..उसने मन मारते हुए पेयर होने के बावजूद पैक कर दिया..क्योंकि अगली चाल के लिए वो 4000 रूपए की बलि नही चड़ा सकता था.

अब सिर्फ़ राणा और केशव बचे थे बीच में .

केशव भी जानता था की ब्लाइंड खेलकर जीवन शायद उनको डराना चाहता है...पर अभी के लिए वो कोई और रिस्क नही लेना चाहता था..क्योंकि उसका लक यानी काजल जो नही थी उसके साथ..

उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बेगम थी.

वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और फिर उसने 4000 बीच मे फेंककर शो माँग लिया..

राणा ने जीवन की तरफ देखा..और उसे पत्ते उठाने के लिए कहा..


 जब वो पत्ते उठा रहा था तो केशव और बिल्ली बड़े गोर से उसे देख रहे थे, की कहीं वो बीच मे अपनी हाथ की सफाई दिखा कर पत्ते ना बदल डाले..पर ऐसा कुछ हुआ नही..क्योंकि पत्तो को अपने सामने खिसकाने के बाद जीवन ने एक-2 करते हुए अपने पत्ते सामने फेंकने शुरू कर दिए.

पहला पत्ता था 10 नंबर..

दूसरा था 3 नंबर..

ये दोनो पत्ते देखकर तो केशव को यकीन सा होने लगा की आज वो बिना काजल के भी जीत सकता है...क्योंकि बीच मे लगभग 10 हज़ार रुपय थे..

पर जैसे ही जीवन ने आख़िरी पत्ता फेंका, केशव का चेहरा उतार गया.

वो बादशाह था.

केशव ने भी बुरा सा मुँह बनाते हुए अपने पत्ते ज़ोर से पटक दिए..सिर्फ़ एक पत्ते से हारा था वो..गुस्सा आना तो लाजमी था.

और केशव से ज़्यादा गुस्सा तो गणेश को आ रहा था अपने उपर...क्योंकि उसके पास पेयर था और उसके बावजूद उसने पैक कर दिया था. अगर उसने पैक नहीं किया होता तो वो ये बाजी जीत चुका होता

पर अब कुछ नही हो सकता था..

अगली गेम की तैयारी होने लगी...

गणेश पत्तों को ज़ोर-2 से पीटने लगा , शायद अपना गुस्सा उनपर उतार रहा था वो.

और जैसे ही वो पत्ते बाँटने लगा, पीछे से काजल की सुरीली आवाज़ आई

''आज मेरे बिना ही खेल शुरू कर दिया आप लोगो ने..

बिल्लू और गणेश तो कब से उसका इंतजार कर रहे थे...पर राणा ने जब देखा की काजल भी वहाँ आकर खड़ी हो गयी है और वो भी अपनी नाइट ड्रेस में ...तो उसकी बाँछे खिल उठी...उसके बारे मे सोचकर वो कितनी मूठ मार चुका था..कितनी लड़कियों को उसके साथ कम्पेयर कर चुका था, पर उस जैसी लड़की उसे पुर मोहल्ले मे नही दिखी थी..

और जब उसे गोर से देखने के बाद राणा को ये एहसास हुआ की उसने ब्रा नही पहनी है तो उसका लंड जींस के अंदर बड़ी ज़ोर से कसमसाने लगा..

उसने सोच लिया की जब सामने से वो खुद चलकर आ रही है तो उसपर एक बार तो चांस लेना बनता ही है..

सभी ने काजल का स्वागत किया खड़े होकर..और काजल लचकति हुई सी आई और केशव की बगल मे आकर बैठ गयी.

बिल्लू ने राणा को समझा दिया की वो भी एक-दो दिनों से उनके साथ खेल रही है...अपने भाई के साथ या उसकी जगह पर..इस बात से भला राणा को क्या प्राब्लम हो सकती थी,क्योंकि वो तो खुद ही जीवन के भरोसे खेल रहा था..

पर राणा के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कैसे काजल को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..

अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..









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