FUN-MAZA-MASTI
जब मैं अपनी महिला मित्र की गाण्ड चाटता हूँ, चूमते हुए उसका थूक पीता हूँ, उसकी चूत रस का पान करता हूँ या हम सू सू में खेलते हैं तो वो इसी मस्ती का नतीजा है।
मुझे इस बात का एहसास कराया दो विदेशी यौवनाओं ने।
दोनों पूर्वी यूरोप की थी मगर इंग्लैंड में पली बढ़ी इसलिए अंग्रेजी की जानकार थी, अपनी पी एच डी की रिसर्च के लिए मुम्बई आई थी। दोनों रिया की एक क्लाइंट विधवा प्रोफेसर के घर पर रुकी थी।
एक का नाम था मेलिंडा उसे सब मेलिन कहते है और दूसरी सिल्विया।
मेलिन और सिल्विया एशियन संस्कृति में काम (सेक्स) के दर्शन पर रिसर्च कर रही थी, मुंबई में प्रोफेसर श्रुति (नाम बदल दिया है) के साथ रह रही थी, खजुराहो, राजस्थान, हम्पी, दिल्ली, गुजरात और कई जगह ये लोग घूम चुके थे, भारत से लौटने से पहले एक सप्ताह मुंबई में थीसिस को अंतिम रूप देने रुकी थी।
काम पर शोध करते हुए जब तब दोनों उत्तेजित हो जाती तो अपने साथ लाये डिल्डो से एक दूसरे के साथ क्रीड़ा करती।
एक शाम श्रुति रूम में घुसी तो नज़ारा देख कर दंग रह गई।
मेलिन सिल्विया की चूचियाँ नंगी कर चूम रही थी और सिल्विया एक गुलाबी डिल्डो चूस रही थी।
श्रुति ने परदे की ओट से दोनों को देखने का फैसला किया।
दोनों विदेशी बालाएँ एक दूसरे की चूत में उंगली डाले हुए थी, सिल्विया ने मेलिन के चूत में डाली उंगलियाँ अपने मुँह में ली और अपने थूक से गीला डिल्डो मेलिन की चूत पे रगड़ा।
दोनों वासना से ओतप्रोत एक दूसरे को देख मुस्कुराई और चुम्बनरत हो गई।
दोनों की जुबान चूमती कम और एक दूसरे को गीला ज्यादा करती। सिल्विया ने
मेलिन को बिस्तर पे धकेला और उसके बदन से ब्रा पेंटी स्टॉकिंग्स निकाल
फेंके और फिर खुद भी पूर्ण नंगी हो गई।
मेलिन अपने हाथ पैर पे कुतिया की पोजीशन में पलंग के किनारे आ गई और सिल्विया उसके मुख की तरफ।
कुतिया मेलिंडा ने सिल्विया की चूत चाटना शुरू की तो सिल्विया ने डिल्डो पर थूक कर फिर चिकना किया, सिल्विया मेलिन के ऊपर झुकी और डिल्डो पीछे से चूत में घुसा दिया, धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगी तो मेलिन भी कामोत्तेजना में सिल्विया की चूत का जोर से मुख चोदन करने लगी।
श्रुति अपने रात्रि पोशाक के पजामे में हाथ डाल चूत को उंगली कर रही थी, दूसरे हाथ से अपने मम्मे मसल रही थी।
मेलिन और सिल्विया के साथ उत्तेजना में उसकी चूत का पानी और मुँह से आह निकल पड़ी।
अचकचा कर मेलिन और सिल्विया ने दर्वाजे की ओर देखा तो श्रुति खड़ी थी, तीनों के बीच शर्म का पर्दा हट चुका था।
श्रुति ने पूछा- क्या तुम भारतीय मर्द से करवाना चाहोगी?
इस पर दोनों ने तपाक से हामी भरी और मुस्कुराती हुई श्रुति से लिपट गई।
श्रुति मुझे पहले से जानती थी, रिया के माध्यम से मेरे लंड की सेवा ले चुकी थी।
वह अधेड़ उम्र की थी पर मस्त काया की मालकिन थी, साथ ही गोरी और सुन्दर भी।
पति के देहांत के बाद काम की अग्नि को बुझाने के लिए नए नए मर्दों का भोग करती थी।
मेलिन और सिल्विया की घटना से पहले श्रुति के साथ की कथा बता देता हूँ। यह इसलिए भी जरूरी है कि संगत में रह कर सम्भोग प्रवृति कैसे बदलती है यह आप देखेंगे।
जब मैं पहली बार श्रुति के यहाँ गया तो कुछ फाइल और किताबें ले कर जाने बोला ताकि ऐसा लगे क़ुछ डिसकस करने के लिए आया हूँ।
दरवाजा एक ठीकठाक दिखने वाली महिला ने खोला जो श्रुति की नौकरानी थी।
मुझे हॉल में बिठा, जल सेवा करने के बाद जब श्रुति बाहर आई तो सुंदरता देखते रह गया, महंगी साड़ी में वो गजब ढा रही थी।
श्रुति मुझसे एक दम औपचारिक तरीके से मिली जिससे नौकरानी को शक ना हो, फिर उसे जाने बोला।
नौकरानी के जाते ही श्रुति उठी और बोली- वॉशरूम जाना है तो सामने है, नहीं तो 10 मिनट वेट करो!
फिर कुछ देर बाद आवाज़ आई- रवीश, अन्दर आ जाओ।
कमरा महक रहा था, रोशनी मद्धम थी और श्रुति सिल्क गाउन में बिस्तर पे बैठी थी।
‘अपना टी-शर्ट निकाल दो!’ मुझे आदेश मिला।
फिर वो मेरे कसरती शरीर को निहारने लगी, उसका एक हाथ योनिस्थल पर चला गया, मतलब मैं पसंद आ गया।
‘अब जीन्स भी निकाल कर ऊपर आ जाओ!’
मैंने वैसा ही किया।
अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था, मैं उसके पास जाकर उसकी झांघें सहलाने लगा, वह भी मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी।
धीरे से श्रुति अपना हाथ नीचे मेरे अंडरवियर पर ले गई और लंड के आकार का अनुमान लगाने लगी।
मैंने उसके गाउन का स्ट्रेप खोल उसके शरीर से अलग किया, किस करने लगा तो गालों पर पप्पी ले ली।
फिर मुझे ब्रा पेंटी खोल कर मुझे कंडोम लगा कर ऊपर से चोदने का आदेश मिला।
मैंने श्रुति की टांगें अपने कन्धे पे ली और एक झटके में आधा लंड पेल दिया।
वैसे तो श्रुति कई बार चुदी थी पर शायद मेरे लंड की मोटाई का सही अनुमान नहीं लगा पाई, उसकी चीख निकल गई।
पर मैंने अनसुना कर दिया और दूसरे झटके में पूरा घुसा दिया, फिर अंदर बाहर करने लगा।
श्रुति को मज़ा आने लगा और चीखें सिसकारियाँ बन गई- ऊ… ओ… ऊऊम… ह्म्म्म… आह…
थोड़ी देर में श्रुति झड़ गई।
मेरा लवड़ा अभी कई मिनट और चलने वाला था, फच्च फच्च की आवाज़ के बीच मैंने पेलना जारी रखा।
मैंने श्रुति की पोजीशन बदलनी चाही पर उसे ऐसे ही मज़ा आ रहा था। आखिर मेरी क्लाइंट थी वो, मेरा काम था उसे मज़ा देना इसलिए उसी अवस्था में चुदाई जारी रही।
कुछ देर बाद मेरा सारा माल कंडोम में छूट गया और मैं निढाल हो श्रुति के नंगे बदन पर गिर गया, उसने कोई प्रतिकार नहीं किया।
बाद में उसने बताया कि उसे बहुत संतुष्टि मिली है, कई बार स्खलित हुई थी वो।
रुति मेरे से पहले चुदवा चुकी थी इसलिए जब मेलिन और सिल्विया को एक दूसरे को स्खलित करते देखा तो भारतीय लंड से चुदने का प्रस्ताव रखा।
रिया के माध्यम से मुझे बुलाया गया।
जब श्रुति के घर पहुँचा तो वो जल्दी में थी उसे कहीं डिनर पर जाना था।
उसने मेरा परिचय मेलिन और सिल्विया से कराया तब एहसास हुआ कि यह तो थ्रीसम है और वो भी विदेशी गोरियों के साथ।
रिया ने यह बात नहीं बताई थी।
दोनों संगेमरमर की तरह गोरी थी, सिल्विया की आँखे नीली और मेलिन की हल्के भूरे रंग की थी।
दोनों सोफे पर बैठी सिगरेट पीते हुए धुएँ के छल्ले उड़ाती बला की सेक्सी लग रही थी।
इसी उन्मुक्ता ने रिया के प्रति मेरे ग़ुस्से को काफूर कर दिया।
मेलिन लूज़ टॉप में थी, हल्के झुकने से भी उसका नग्न वक्ष स्थल के मस्त नज़ारा दिखता था, बाएँ मम्मे पर दिल का टैटू था।
नीचे छोटी सी डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी।
सिल्विया ने ट्यूब टॉप पहन रखा था और नीचे मिन्नी स्कर्ट।
सिल्विया की चूत से ऊपर और चूतड़ों की दरार के ऊपर टैटू थे, जो बाद में दिखे थे।
ऐसी ऐसी जगह टैटू बनाते वक़्त बनाने वाले का खड़ा नहीं होता होगा?
सिल्विया थोड़ा सरकी ताकि मैं उन दोनों के बीच बैठ सकूँ।
मैंने अपनी सिगरेट निकाली और उन दोनों से पूछा कि मेरे पीने से उन्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं?
हामी मिलने पर मैं भी कश भरने लगा।
मेलिन उठी और तीन के लिए शैम्पेन ले आई, ग्लास रखने झुकी तो उसके नंगे उभार देखता ही रह गया।
उसने भी मेरी निगाहों के निशाने को भांप लिया और मुस्कुराते हुए टॉप निकाल दिया।
‘मेरे यौवन का पूरा मज़ा लो।’ कहते हुए बैठ गई और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूचियों में घुसा दिया।
मैं भी वक़्त ना गंवाते हुए उनका रस पीने लगा।
सिल्विया भी पीछे से सट कर बैठ गई और उसका बायाँ हाथ मेरी जीन्स के ऊपर मेरे लंड को मापने लगा।
सिल्विया के मस्त मम्मे मेरी पीठ में गड़ रहे थे।
मैंने पलट कर सिल्विया के गले में बाँह डाली, अपनी ओर खींच कर चूमने लगा।
मौका पाकर मेलिन उठी और पूर्ण निर्वस्त्र हो गई, वो सोफे के ऊपर चढ़ हमारे पीछे आ कर बैक रेस्ट पे पैर चौड़े कर बैठ गई।
उसकी चूत रानी की मादक महक ने आकर्षित किया और मेरी जुबान की चूत का रसपान करने लगी।
सिल्विया भी नंगी हो गई और बोली- चलो अन्दर चलते हैं।
दोनों आगे जाने लगी, मैं भी उठा और अपने कपड़े खोलने लगा।
मेरा लौड़ा एक दम तना हुआ था।
बैडरूम में दोनों बालाएँ पलंग पर घुटनो के बल थी और एक दूसरे को चूम रही थी।
मेलिन सिल्विया के चूतड़ मसल रही थी तो सिल्विया मेलिन के उरोज।
मानो उन्हें मेरी जरूरत ही नहीं थी।
मैं उन दोनों के पास गया और उनकी नंगी पीठ सहलाने लगा।
तभी झट से मेलिन ने धक्का दे मुझे पलंग पे गिरा दिया और दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी।
सिल्विया भी मेरी छाती पर चेहरे की तरफ पीठ कर बैठ गई और मेलिन के साथ लंड चूसने लगी।
मुझसे रहा नहीं गया उसकी गुलाबी चूत और गांड देख कर, मैंने चूतड़ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा और चाटने लगा।
मेरा लौड़ा, टट्टे यहाँ तक कि गांड भी दोनों सेक्सी हसीनाओं के थूक से गीली थी।
सिल्विया की चूत भी स्ट्रॉबेरी की तरह लाल और चमक रही थी।
हमने पोजीशन बदली।
अब मेलिन पैर चौड़े करके लेट गई, सिल्विया घोड़ी बन उसकी चूत चाटने लगी और मैं पीछे से उसकी चूत मारने के लिए आया।
एक ही झटके में मेरा मोटा लम्बा लौड़ा सिल्विया की गुलाबी चूत को फाड़ते हुए आधा अंदर चला गया।
सिल्विया की चीख निकल गई तो मेलिन ने ध्यान बंटाने के लिए मुड़ते हुए उसके मम्मे बेरहमी से मसलने शुरू किये।
मैंने चोदना जारी रखा।
मेलिन उठी और घूम कर सिल्विया की गांड के पास आ गई।
थोड़ी देर के बाद लंड चूत से निकाला और मुख में लेकर चूसने लगी।
हमने फिर पोजीशन बदली, अब मैं लेट गया और मेलिन ऊपर से मेरा लण्ड लेने लगी, सिल्विया पीछे से चिपट कर उसकी मदद करने लगी।
कमरा मेलिन की चिलकारियों से गूँज गया।
सिल्विया ने उसे चूमने लगी और मेलिन के उछालते मम्मे सँभालने की कोशिश करने लगी।
बारी बारी से दोनों की चुदाई हुई और जब वीर्य निकलने का समय आया तो मैंने अपना चिपचिपा गाढ़ा माल उन दोनों के मम्मों के ऊपर निकाला।
मलाई मिलते ही दोनों मुझे भूल गई और एक दूसरे को चाट कर साफ़ करने लगी और बीच बीच में आपस में चुम्बन भी लेती रहती।
मैं बेड पर पैर लम्बे कर दीवार का सहारा लेकर बैठ गया, सिगरेट पीते हुए दोनों की हरकत देख रहा था।
थोड़ी देर में मेलिन और सिल्विया मेरे अगल बगल चिपक के बैठ गई और सुट्टा मारने लगी।
तक़रीबन आधा घंटे हम ऐसे ही बैठे रहे। कमरा धुवे से भर गया।
मेलिन और सिल्विया मेरे लंड से खेलती या मैं उनके अंगों से।
कुछ देर में सिल्विया को जोश आया, मेरे टांगों के बीच लंड को आज़ाद किया और अपने मम्मे से मालिश करने लगी, मेरे लौड़े में कसाव आने लगा तो मुँह में लेकर गरम करने लगी।
मेलिन भी उत्तेजित हो रही थी अपनी जुबान से अपने चुचे को गीला कर मुझे चूसने के लिए परोस रही थी।
मैं उसका बोबा चूसता तो वो मेरा कान गीला कर रही थी।
सिल्विया ने मेरा लंड खड़ा कर दिया और मम्मे भींच कर उसमें चलाने को बोली।
वो घुटनों के बल बैठी, मैं पलंग पर खड़ा हुआ और मेलिन सिल्विया के पीछे चली गई।
मेलिन ने कन्धों के ऊपर से सिल्विया के मम्मों के बीच थूका ताकि चिकना हो सके और मेरा लंड आसानी से चूचे पेल सके।
दोनों फिर चुम्बनरत हो गई।
थोड़ी थोड़ी देर में मेलिन जुबान निकाल के ऊपर आते लंड को छुला देती।
तब तय हुआ पहले मेलिन की गांड मारी जाएगी।
मेलिन कुतिया बन गई और उसने अपना सर पलंग पे लगा दिया ताकि गाण्ड का मार्ग अच्छे से दिख सके।
सिल्विया ने उसकी चूतड़ पर हाथ फिराया और फिर मुँह में गीली कर एक उंगली गांड में घुसा दी, अंदर बाहर करते हुए गांड खोलने लगी फिर दो उंगलियाँ डाल दी।
गांड थोड़ी खुलने पर मैंने उसमें थूक भरा, सिल्विया उंगलियाँ अंदर बाहर कर गांड चिकनी कर रही थी।
सिल्विया ने एक बार मेरा लंड मुँह में लेकर गीला किया और मेलिन की गांड पर लगा दिया।
मेरे ज़ोर से मेलिन की चीख़ निकल गई।
ऐसा नहीं है कि मेलिन ने पहले गांड नहीं मरवाई होगी पर गांड चूत जितनी लचीली नहीं होती है
सिल्विया मेलिन के बोबे मसल रही थी और अपनी चूत भी चटवा रही थी उससे।
मैंने गांड मारना जारी रखा, सिल्विया अंदर जाते लंड के साथ थूक थूक कर चिकनाई बढ़ाती।
थोड़ी देर में मेलिन थक गई।
मैंने लंड सिल्विया की चूत में घुसाया और 7~8 स्ट्रोक ही मारे कि मेरी पिचकारी चलने वाली थी, मैंने सारा माल सिल्विया के पेट पर निकाल दिया।
हम तीनों थक चुके थे इसलिए ऐसे ही आड़े तिरछे सो गए।
रात को साढ़े तीन बजे श्रुति आई हमारी हालत देख समझ गई कि क्या मस्ती की हमने।
एकदम सलीके से चुदने वाली श्रुति भी मेलिंडा और सिल्विया की संगत में मस्त हो गई थी।
उसने मेरा लंड लिया और चूसना चालू किया।
उसकी इस हरकत से मेरी नींद खुल गई और जो नज़ारा देखा तो विश्वास ही नहीं हो रहा था खुले ब्लाउज में ब्रा ऊपर किये अपने मम्मे उचकाती श्रुति एक रांड की तरह मेरे लंड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी।
हम बाहर सोफे पर गए और वही चोदा उसे बोली- कंडोम में मत निकालना, मुझे पिला दो।
श्रुति और मैं दोनों साथ में नहाये और मैं चला आया।
मेलिन और सिल्विया से तो कभी फिर मुलाक़ात नहीं हुई लेकिन उनके उन्मुक्त कामक्रीड़ा से मैं बहुत प्रभावित हुआ और अपनी कई सम्भोग संगिनियों को यह बात बताता हूँ।
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सामाजिक नियमों के चलते हम कुछ मर्यादा में रहते हैं वो सही है, पर सम्भोग करते वक़्त हम पूर्ण नग्न हो जो प्रेम क्रीड़ा करें वो मस्त और तरोताज़ा कर दे, ऐसी हो।जब मैं अपनी महिला मित्र की गाण्ड चाटता हूँ, चूमते हुए उसका थूक पीता हूँ, उसकी चूत रस का पान करता हूँ या हम सू सू में खेलते हैं तो वो इसी मस्ती का नतीजा है।
मुझे इस बात का एहसास कराया दो विदेशी यौवनाओं ने।
दोनों पूर्वी यूरोप की थी मगर इंग्लैंड में पली बढ़ी इसलिए अंग्रेजी की जानकार थी, अपनी पी एच डी की रिसर्च के लिए मुम्बई आई थी। दोनों रिया की एक क्लाइंट विधवा प्रोफेसर के घर पर रुकी थी।
एक का नाम था मेलिंडा उसे सब मेलिन कहते है और दूसरी सिल्विया।
मेलिन और सिल्विया एशियन संस्कृति में काम (सेक्स) के दर्शन पर रिसर्च कर रही थी, मुंबई में प्रोफेसर श्रुति (नाम बदल दिया है) के साथ रह रही थी, खजुराहो, राजस्थान, हम्पी, दिल्ली, गुजरात और कई जगह ये लोग घूम चुके थे, भारत से लौटने से पहले एक सप्ताह मुंबई में थीसिस को अंतिम रूप देने रुकी थी।
काम पर शोध करते हुए जब तब दोनों उत्तेजित हो जाती तो अपने साथ लाये डिल्डो से एक दूसरे के साथ क्रीड़ा करती।
एक शाम श्रुति रूम में घुसी तो नज़ारा देख कर दंग रह गई।
मेलिन सिल्विया की चूचियाँ नंगी कर चूम रही थी और सिल्विया एक गुलाबी डिल्डो चूस रही थी।
श्रुति ने परदे की ओट से दोनों को देखने का फैसला किया।
दोनों विदेशी बालाएँ एक दूसरे की चूत में उंगली डाले हुए थी, सिल्विया ने मेलिन के चूत में डाली उंगलियाँ अपने मुँह में ली और अपने थूक से गीला डिल्डो मेलिन की चूत पे रगड़ा।
दोनों वासना से ओतप्रोत एक दूसरे को देख मुस्कुराई और चुम्बनरत हो गई।
मेलिन अपने हाथ पैर पे कुतिया की पोजीशन में पलंग के किनारे आ गई और सिल्विया उसके मुख की तरफ।
कुतिया मेलिंडा ने सिल्विया की चूत चाटना शुरू की तो सिल्विया ने डिल्डो पर थूक कर फिर चिकना किया, सिल्विया मेलिन के ऊपर झुकी और डिल्डो पीछे से चूत में घुसा दिया, धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगी तो मेलिन भी कामोत्तेजना में सिल्विया की चूत का जोर से मुख चोदन करने लगी।
श्रुति अपने रात्रि पोशाक के पजामे में हाथ डाल चूत को उंगली कर रही थी, दूसरे हाथ से अपने मम्मे मसल रही थी।
मेलिन और सिल्विया के साथ उत्तेजना में उसकी चूत का पानी और मुँह से आह निकल पड़ी।
अचकचा कर मेलिन और सिल्विया ने दर्वाजे की ओर देखा तो श्रुति खड़ी थी, तीनों के बीच शर्म का पर्दा हट चुका था।
श्रुति ने पूछा- क्या तुम भारतीय मर्द से करवाना चाहोगी?
इस पर दोनों ने तपाक से हामी भरी और मुस्कुराती हुई श्रुति से लिपट गई।
श्रुति मुझे पहले से जानती थी, रिया के माध्यम से मेरे लंड की सेवा ले चुकी थी।
वह अधेड़ उम्र की थी पर मस्त काया की मालकिन थी, साथ ही गोरी और सुन्दर भी।
पति के देहांत के बाद काम की अग्नि को बुझाने के लिए नए नए मर्दों का भोग करती थी।
मेलिन और सिल्विया की घटना से पहले श्रुति के साथ की कथा बता देता हूँ। यह इसलिए भी जरूरी है कि संगत में रह कर सम्भोग प्रवृति कैसे बदलती है यह आप देखेंगे।
जब मैं पहली बार श्रुति के यहाँ गया तो कुछ फाइल और किताबें ले कर जाने बोला ताकि ऐसा लगे क़ुछ डिसकस करने के लिए आया हूँ।
दरवाजा एक ठीकठाक दिखने वाली महिला ने खोला जो श्रुति की नौकरानी थी।
मुझे हॉल में बिठा, जल सेवा करने के बाद जब श्रुति बाहर आई तो सुंदरता देखते रह गया, महंगी साड़ी में वो गजब ढा रही थी।
श्रुति मुझसे एक दम औपचारिक तरीके से मिली जिससे नौकरानी को शक ना हो, फिर उसे जाने बोला।
नौकरानी के जाते ही श्रुति उठी और बोली- वॉशरूम जाना है तो सामने है, नहीं तो 10 मिनट वेट करो!
फिर कुछ देर बाद आवाज़ आई- रवीश, अन्दर आ जाओ।
कमरा महक रहा था, रोशनी मद्धम थी और श्रुति सिल्क गाउन में बिस्तर पे बैठी थी।
‘अपना टी-शर्ट निकाल दो!’ मुझे आदेश मिला।
फिर वो मेरे कसरती शरीर को निहारने लगी, उसका एक हाथ योनिस्थल पर चला गया, मतलब मैं पसंद आ गया।
‘अब जीन्स भी निकाल कर ऊपर आ जाओ!’
मैंने वैसा ही किया।
अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था, मैं उसके पास जाकर उसकी झांघें सहलाने लगा, वह भी मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी।
धीरे से श्रुति अपना हाथ नीचे मेरे अंडरवियर पर ले गई और लंड के आकार का अनुमान लगाने लगी।
मैंने उसके गाउन का स्ट्रेप खोल उसके शरीर से अलग किया, किस करने लगा तो गालों पर पप्पी ले ली।
फिर मुझे ब्रा पेंटी खोल कर मुझे कंडोम लगा कर ऊपर से चोदने का आदेश मिला।
मैंने श्रुति की टांगें अपने कन्धे पे ली और एक झटके में आधा लंड पेल दिया।
वैसे तो श्रुति कई बार चुदी थी पर शायद मेरे लंड की मोटाई का सही अनुमान नहीं लगा पाई, उसकी चीख निकल गई।
पर मैंने अनसुना कर दिया और दूसरे झटके में पूरा घुसा दिया, फिर अंदर बाहर करने लगा।
श्रुति को मज़ा आने लगा और चीखें सिसकारियाँ बन गई- ऊ… ओ… ऊऊम… ह्म्म्म… आह…
थोड़ी देर में श्रुति झड़ गई।
मेरा लवड़ा अभी कई मिनट और चलने वाला था, फच्च फच्च की आवाज़ के बीच मैंने पेलना जारी रखा।
मैंने श्रुति की पोजीशन बदलनी चाही पर उसे ऐसे ही मज़ा आ रहा था। आखिर मेरी क्लाइंट थी वो, मेरा काम था उसे मज़ा देना इसलिए उसी अवस्था में चुदाई जारी रही।
कुछ देर बाद मेरा सारा माल कंडोम में छूट गया और मैं निढाल हो श्रुति के नंगे बदन पर गिर गया, उसने कोई प्रतिकार नहीं किया।
बाद में उसने बताया कि उसे बहुत संतुष्टि मिली है, कई बार स्खलित हुई थी वो।
रुति मेरे से पहले चुदवा चुकी थी इसलिए जब मेलिन और सिल्विया को एक दूसरे को स्खलित करते देखा तो भारतीय लंड से चुदने का प्रस्ताव रखा।
रिया के माध्यम से मुझे बुलाया गया।
जब श्रुति के घर पहुँचा तो वो जल्दी में थी उसे कहीं डिनर पर जाना था।
उसने मेरा परिचय मेलिन और सिल्विया से कराया तब एहसास हुआ कि यह तो थ्रीसम है और वो भी विदेशी गोरियों के साथ।
रिया ने यह बात नहीं बताई थी।
दोनों संगेमरमर की तरह गोरी थी, सिल्विया की आँखे नीली और मेलिन की हल्के भूरे रंग की थी।
दोनों सोफे पर बैठी सिगरेट पीते हुए धुएँ के छल्ले उड़ाती बला की सेक्सी लग रही थी।
इसी उन्मुक्ता ने रिया के प्रति मेरे ग़ुस्से को काफूर कर दिया।
मेलिन लूज़ टॉप में थी, हल्के झुकने से भी उसका नग्न वक्ष स्थल के मस्त नज़ारा दिखता था, बाएँ मम्मे पर दिल का टैटू था।
नीचे छोटी सी डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी।
सिल्विया की चूत से ऊपर और चूतड़ों की दरार के ऊपर टैटू थे, जो बाद में दिखे थे।
ऐसी ऐसी जगह टैटू बनाते वक़्त बनाने वाले का खड़ा नहीं होता होगा?
सिल्विया थोड़ा सरकी ताकि मैं उन दोनों के बीच बैठ सकूँ।
मैंने अपनी सिगरेट निकाली और उन दोनों से पूछा कि मेरे पीने से उन्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं?
हामी मिलने पर मैं भी कश भरने लगा।
मेलिन उठी और तीन के लिए शैम्पेन ले आई, ग्लास रखने झुकी तो उसके नंगे उभार देखता ही रह गया।
उसने भी मेरी निगाहों के निशाने को भांप लिया और मुस्कुराते हुए टॉप निकाल दिया।
‘मेरे यौवन का पूरा मज़ा लो।’ कहते हुए बैठ गई और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूचियों में घुसा दिया।
मैं भी वक़्त ना गंवाते हुए उनका रस पीने लगा।
सिल्विया भी पीछे से सट कर बैठ गई और उसका बायाँ हाथ मेरी जीन्स के ऊपर मेरे लंड को मापने लगा।
सिल्विया के मस्त मम्मे मेरी पीठ में गड़ रहे थे।
मैंने पलट कर सिल्विया के गले में बाँह डाली, अपनी ओर खींच कर चूमने लगा।
मौका पाकर मेलिन उठी और पूर्ण निर्वस्त्र हो गई, वो सोफे के ऊपर चढ़ हमारे पीछे आ कर बैक रेस्ट पे पैर चौड़े कर बैठ गई।
उसकी चूत रानी की मादक महक ने आकर्षित किया और मेरी जुबान की चूत का रसपान करने लगी।
सिल्विया भी नंगी हो गई और बोली- चलो अन्दर चलते हैं।
दोनों आगे जाने लगी, मैं भी उठा और अपने कपड़े खोलने लगा।
मेरा लौड़ा एक दम तना हुआ था।
बैडरूम में दोनों बालाएँ पलंग पर घुटनो के बल थी और एक दूसरे को चूम रही थी।
मेलिन सिल्विया के चूतड़ मसल रही थी तो सिल्विया मेलिन के उरोज।
मानो उन्हें मेरी जरूरत ही नहीं थी।
मैं उन दोनों के पास गया और उनकी नंगी पीठ सहलाने लगा।
तभी झट से मेलिन ने धक्का दे मुझे पलंग पे गिरा दिया और दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी।
सिल्विया भी मेरी छाती पर चेहरे की तरफ पीठ कर बैठ गई और मेलिन के साथ लंड चूसने लगी।
मुझसे रहा नहीं गया उसकी गुलाबी चूत और गांड देख कर, मैंने चूतड़ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा और चाटने लगा।
मेरा लौड़ा, टट्टे यहाँ तक कि गांड भी दोनों सेक्सी हसीनाओं के थूक से गीली थी।
सिल्विया की चूत भी स्ट्रॉबेरी की तरह लाल और चमक रही थी।
हमने पोजीशन बदली।
अब मेलिन पैर चौड़े करके लेट गई, सिल्विया घोड़ी बन उसकी चूत चाटने लगी और मैं पीछे से उसकी चूत मारने के लिए आया।
एक ही झटके में मेरा मोटा लम्बा लौड़ा सिल्विया की गुलाबी चूत को फाड़ते हुए आधा अंदर चला गया।
सिल्विया की चीख निकल गई तो मेलिन ने ध्यान बंटाने के लिए मुड़ते हुए उसके मम्मे बेरहमी से मसलने शुरू किये।
मैंने चोदना जारी रखा।
मेलिन उठी और घूम कर सिल्विया की गांड के पास आ गई।
थोड़ी देर के बाद लंड चूत से निकाला और मुख में लेकर चूसने लगी।
हमने फिर पोजीशन बदली, अब मैं लेट गया और मेलिन ऊपर से मेरा लण्ड लेने लगी, सिल्विया पीछे से चिपट कर उसकी मदद करने लगी।
कमरा मेलिन की चिलकारियों से गूँज गया।
सिल्विया ने उसे चूमने लगी और मेलिन के उछालते मम्मे सँभालने की कोशिश करने लगी।
बारी बारी से दोनों की चुदाई हुई और जब वीर्य निकलने का समय आया तो मैंने अपना चिपचिपा गाढ़ा माल उन दोनों के मम्मों के ऊपर निकाला।
मलाई मिलते ही दोनों मुझे भूल गई और एक दूसरे को चाट कर साफ़ करने लगी और बीच बीच में आपस में चुम्बन भी लेती रहती।
मैं बेड पर पैर लम्बे कर दीवार का सहारा लेकर बैठ गया, सिगरेट पीते हुए दोनों की हरकत देख रहा था।
थोड़ी देर में मेलिन और सिल्विया मेरे अगल बगल चिपक के बैठ गई और सुट्टा मारने लगी।
तक़रीबन आधा घंटे हम ऐसे ही बैठे रहे। कमरा धुवे से भर गया।
मेलिन और सिल्विया मेरे लंड से खेलती या मैं उनके अंगों से।
कुछ देर में सिल्विया को जोश आया, मेरे टांगों के बीच लंड को आज़ाद किया और अपने मम्मे से मालिश करने लगी, मेरे लौड़े में कसाव आने लगा तो मुँह में लेकर गरम करने लगी।
मेलिन भी उत्तेजित हो रही थी अपनी जुबान से अपने चुचे को गीला कर मुझे चूसने के लिए परोस रही थी।
मैं उसका बोबा चूसता तो वो मेरा कान गीला कर रही थी।
सिल्विया ने मेरा लंड खड़ा कर दिया और मम्मे भींच कर उसमें चलाने को बोली।
वो घुटनों के बल बैठी, मैं पलंग पर खड़ा हुआ और मेलिन सिल्विया के पीछे चली गई।
मेलिन ने कन्धों के ऊपर से सिल्विया के मम्मों के बीच थूका ताकि चिकना हो सके और मेरा लंड आसानी से चूचे पेल सके।
दोनों फिर चुम्बनरत हो गई।
थोड़ी थोड़ी देर में मेलिन जुबान निकाल के ऊपर आते लंड को छुला देती।
तब तय हुआ पहले मेलिन की गांड मारी जाएगी।
मेलिन कुतिया बन गई और उसने अपना सर पलंग पे लगा दिया ताकि गाण्ड का मार्ग अच्छे से दिख सके।
सिल्विया ने उसकी चूतड़ पर हाथ फिराया और फिर मुँह में गीली कर एक उंगली गांड में घुसा दी, अंदर बाहर करते हुए गांड खोलने लगी फिर दो उंगलियाँ डाल दी।
गांड थोड़ी खुलने पर मैंने उसमें थूक भरा, सिल्विया उंगलियाँ अंदर बाहर कर गांड चिकनी कर रही थी।
सिल्विया ने एक बार मेरा लंड मुँह में लेकर गीला किया और मेलिन की गांड पर लगा दिया।
मेरे ज़ोर से मेलिन की चीख़ निकल गई।
ऐसा नहीं है कि मेलिन ने पहले गांड नहीं मरवाई होगी पर गांड चूत जितनी लचीली नहीं होती है
सिल्विया मेलिन के बोबे मसल रही थी और अपनी चूत भी चटवा रही थी उससे।
मैंने गांड मारना जारी रखा, सिल्विया अंदर जाते लंड के साथ थूक थूक कर चिकनाई बढ़ाती।
थोड़ी देर में मेलिन थक गई।
मैंने लंड सिल्विया की चूत में घुसाया और 7~8 स्ट्रोक ही मारे कि मेरी पिचकारी चलने वाली थी, मैंने सारा माल सिल्विया के पेट पर निकाल दिया।
हम तीनों थक चुके थे इसलिए ऐसे ही आड़े तिरछे सो गए।
रात को साढ़े तीन बजे श्रुति आई हमारी हालत देख समझ गई कि क्या मस्ती की हमने।
एकदम सलीके से चुदने वाली श्रुति भी मेलिंडा और सिल्विया की संगत में मस्त हो गई थी।
उसने मेरा लंड लिया और चूसना चालू किया।
उसकी इस हरकत से मेरी नींद खुल गई और जो नज़ारा देखा तो विश्वास ही नहीं हो रहा था खुले ब्लाउज में ब्रा ऊपर किये अपने मम्मे उचकाती श्रुति एक रांड की तरह मेरे लंड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी।
हम बाहर सोफे पर गए और वही चोदा उसे बोली- कंडोम में मत निकालना, मुझे पिला दो।
श्रुति और मैं दोनों साथ में नहाये और मैं चला आया।
मेलिन और सिल्विया से तो कभी फिर मुलाक़ात नहीं हुई लेकिन उनके उन्मुक्त कामक्रीड़ा से मैं बहुत प्रभावित हुआ और अपनी कई सम्भोग संगिनियों को यह बात बताता हूँ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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