Monday, December 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI कसक-2

FUN-MAZA-MASTI 

कसक-2

 उसने कहा- हाँ लगता तो है! एक बार बस थोड़ा सा दर्द हुआ था, थोड़ा सा खून बहा था।
उसने मुझसे कहा- तुमने कभी सेक्स किया है बेबी?
मैंने कहा- नहीं!
मैंने मौक़ा देखकर कहा- शमी, क्या तुम मुझे खुद को प्यार करने दोगी?
उसने कहा- हाँ, लेकिन इस सिन्दूर के बिना, यह सिन्दूर हटाकर कल आऊँगी।
उसने अपनी स्वीकृति दे दी थी, मैंने भी सोचा कि चलो कल तक इंतज़ार कर लेते हैं।
हम दोनों ने चुम्बनों के आदान प्रदान के साथ विदा ली।
उस दिन दोपहर से शाम और रात तक सिर्फ शमी का खुमार दिलो-दिमाग पर चढ़ा रहा, सुबह कॉलेज गया तो लेक्चर में मन नहीं लगा।
एनाटोमी की बहुत जरूरी क्लास थी लेकिन मैंने वो भी छोड़ दी, 11 बजे ही रूम पर वापस आ गया।
जैसे तैसे 2 बजे का वक्त काटा, इस बीच में 1 ब्लू फिल्म देखकर अपने चुदाई के ज्ञान को और परिपक्व किया।
आखिरकार लगभग ढाई बजे शमी ने दरवाजा खटखटाया, कत्थई रंग का सूट, झीना सा एक दुपटटा और खुले बालों में वो किसी परी जैसी लग रही थी।
वो बिल्कुल मेकअप नहीं करती थी लेकिन उससे खूबसूरत लड़की मेरे लिए कोई और नहीं थी।
मेरे क्लास के सारे लड़के गर्लफ्रेंड बनाने में जुटे थे लेकिन मेरी रूचि क्लास की लड़कियों में बिल्कुल नहीं थी, ऐसी एक भी लड़की नहीं थी जो शमी को टक्कर दे सके।
पुनः हम दोनों ने एक दूसरे को आलिन्गनबद्ध कर लिया और चूमने लगे, मैंने उसकी गर्दन पर एक चुम्बन लिया।
वो तड़प उठी।
मैंने उसे बेड पर बिठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया।
मैंने उसका दुपट्टा हटा दिया और कपड़े के ऊपर से उन दोनों चूचों का बारी बारी से चुम्बन लिया।
मेरा लण्ड भी उफान मारने लगा, मैंने टीशर्ट और बरमूडा पहना था, जिसमें मेरा लण्ड तम्बू बना चुका था।
मैंने शमी को लिटा दिया और खुद बगल में लेट कर उसके होंठों को चूसने लगा, साथ ही एक हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया।
मैंने होंठो को चूमने के बाद ठुड्डी को, फिर गले को चूमता हुए नीचे उतरने लगा, दोनों स्तनों के बीच की दरार पर मैंने अपने होंठ रख दिए तथा दोनों हाथों से उसकी चूचियों को सहलाने लगा।
शमी का बुरा हाल था वो सिसकारियाँ लेते हुए ऐंठ रही थी।
मैंने कई सारी ब्लू फिल्में देखी थी, वो अनुभव अब काम आ रहा था।
मैंने उसकी चूचियों को कुर्ते के ऊपर से निकालना चाहा लेकिन कुरता बहुत टाइट था या यूँ कहें चूचियाँ बहुत कसी थीं, और मेरा हाथ तक ना जा सका।
वह उठकर बैठ गई और अपने हाथ ऊपर कर दिए, मैं समझ गया कि मुझे क्या करना है।
मैंने उसका कुर्ता उतार दिया!
उफ्फ्फ ! इतने गोरे स्तन !!
मेरी उत्तेजना उफान पर थी, लण्ड पूरा लोहे की राड जैसा सख्त तन चुका था, मैंने उसकी ब्रा पीछे से खोल दी, अगले ही क्षण उसके स्तन आजाद थे।
उसके स्तन देखकर मैं पागल हो गया, सबसे सेक्सी हिस्सा उसके चूचुक के पास की त्वचा थी जो बिल्कुल गुलाबी रंग की थी।
मैंने दोनों चूचियों को हाथ में ले लिया और दबाने लगा।
उसके मुँह से आवाज आने लगी ‘श्स्स्स्स स्स्स !! उम्म्म्म्म !!!’ और आँखें आनन्द से मुंद गई।
अब मैंने अपनी एक उंगली उसके स्तन के चूचुक के मखमली और गुलाबी हिस्से पर फिरानी शुरू कर दी, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
‘ओह बेबी ईईई !! और प्यार करो!!’
मैंने उसके चुचूक को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, बीच बीच में मैं उसे हल्के से दांतों से दबा भी देता था।
उसकी आहें पूरे कमरे में गूंजने लगी।
मैंने बारी बारी से उसके दोनों चूचियों को करीब 10 मिनट तक चूसा और इनका मर्दन किया।
अब मैंने नीचे उतरना शुरू किया, मैंने उसकी नाभि को चूमा, उसमें अपनी जीभ डालकर उसे खूब मजा दिया।
उसके और नीचे चूमते हुए उतरा तो सलवार थी, मैंने एक हाथ से उसकी जांघ को सहलाना शुरू कर दिया, उसने अपने पैर घुटने से मोड़ लिए, अब मैं कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा, वो मदहोश होने लगी।
उसने खुद ही अपना नाड़ा खोल दिया मैंने उसकी सलवार उतार दी।
दोस्तो, मैं बयाँ नहीं कर सकता कि उसके जिस्म का वो हिस्सा कितना खूबसूरत था, केले के तने जैसी मस्त जांघें, चिकनी और सफ़ेद, उसकी पैंटी सफ़ेद रंग की थी, वो पूरी तरह से एक लसलसे से पानी से भीग चुकी थी।
मैंने उसकी पैंटी उतारने के लिए उसकी कमर से पैंटी पकड़ी, उसने अपने चूतड़ उठाकर मुझे सहयोग दिया।
अगले क्षण मेरे दिमाग में जैसे भूचाल आ गया, मैंने पहली बार किसी औरत को नंगी देखा था, उसने अपने पैर चौड़े करके अपनी सुन्दर बुर का दर्शन सुलभ बना दिया, मैं उसकी चूत के इर्द गिर्द अपना हाथ घुमाने लगा, कभी उसकी फांकों को, तो कभी चूत के ऊपर वाले हिस्से को!
अब मैंने उसकी हसीन बुर का एक करारा चुम्बन लिया, शमी तड़प उठी।
वो अपने में ही बके जा रही थी- ईईईईई… ऊम्म्म्म्म ..ओओह्ह ईइईई…
अब मैंने उसकी बुर के दोनों होंठो को अलग कर दिया, अन्दर के होंठ गुलाबी तथा पूरी तरह से भीगे थे।
मैंने उंगली में थोड़ा सा थूक लगाकर उसके दाने को छेड़ दिया, शमी उछल पड़ी, दांत भिंच गए, शरीर तन गया।
मैंने अपनी जीभ से उसके दाने को छुआ वो चिल्ला उठी- आआईईईइ…
अब मैंने उसके दाने को चूसना आरम्भ कर दिया, वो बुरी तरह से उछलने लगी, उसने अपने कूल्हे हवा में उठा लिए और पूरी मस्ती से बुर चुसाई का आनन्द लेने लगी।
फिर अचानक बोली- बेबी रुक जाओ नहीं तो मेरा पानी निकल जाएगा, मैं भी तुम्हे प्यार करूँगी।
उसने मुझे लिटा दिया और मेरी टी शर्ट उतार दी, फिर बरमूडा सहित मेरी अंडरवियर भी उतार दिया और मेरे 6 इंच के तन्नाये लौड़े को अपने मुलायम हाथों में ले लिया।
उसके हाथो में मेंहदी लगी थी और उन्हीं हाथों से वो लण्ड को सहला रही थी, मेरे आनन्द का ठिकाना न था।
तभी अचानक उसने मेरे लण्ड के सुपारे पर अपनी गीली-गीली जीभ रख दी, मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई, थोड़ी देर चाटने के बाद उसने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया, मेरी तो जैसे जान ही निकल गई, कुछ ही देर चूसने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा, मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से खींच लिया।
मैं अपने आप को सामान्य करने लगा तो उसने कहा- आगे क्या करना है? तुम्हें पता है ना जान??
मैंने उसके होंठो का चुम्बन लेते हुए कहा- हाँ!
फिर मैंने उसको लिटा दिया और घुटनों के बल उसकी दोनों जाँघों के बीच में बैठ गया, मेरा लण्ड उसके पेट की ओर तन्नाया हुआ था, उसने मेरे लण्ड को लेकर चूत के बीच में रगड़ा, फिर छेद पर टिका दिया, फिर बोली- धक्का दो बेबी!
मैंने उस पर झुकते हुए उसके कंधे पकड़े और लण्ड को उसकी गीली बुर में ठेल दिया।
वो चिल्ला उठी- उईईईइ… ममीईईइ!!!
  !
मैं घबरा गया और कहा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं, ऐसे ही थोड़ा सा दर्द है।
मैं लण्ड बुर में डाले हुए ही उसके ऊपर लेट सा गया।
लेकिन तभी मुझे लण्ड के सुपाड़े पर गर्मी सी महसूस हुई, मेरा लण्ड उसकी चूत के गोल छल्ले में फंसा हुआ था, चूत मेरे लण्ड को निचोड़ने लगी…
मेरा शरीर अकड़ने लगा, मैं झड़ने लगा ‘आआह्ह..’ की आवाज मेरे मुख से अनायास ही निकलने लगी।
वो मेरी पीठ सहलाने लगी।
मुझे बहुत बुरा लगा कि मैं इतनी जल्दी कैसे झड़ गया, मैं उदास होकर उसकी बगल में लेट गया।

वो अपनी बुर से मेरा वीर्य साफ़ करते हुए बोली- अरे बाबू !!! पहली बार ऐसा होता है, डोंट वरी !
फिर हम साथ साथ लेट गए।
वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर खेलने लगी और बोली- मेरी उससे खून निकला है, लगता है कि झिल्ली पूरी तरह से आज फटी है।
मैंने कहा- क्या विनोद ने कभी ये नहीं किया?
उसने कहा- नहीं, उनका इतना खड़ा ही नहीं होता।
मैंने पूछा- तुम्हें मेरा सामान कैसा लगा?
तो उसने कहा- बहुत पसंद आया।
करीब 15 मिनट के बाद मैं फिर से चुदाई के लिए तैयार था, उसने कहा- अब मुझे भी तैयार कर दो!
मैंने उसे खूब चूमा, उसकी चूचियाँ चूसी, उसकी चूत चाटी, वो जब तैयार हो गई तो बोली- अब करो।
उसने मेरे कंधे पर पैर रख दिए, मैंने उसकी बुर के छेद पर लण्ड का सुपारा रखा, चूत पर्याप्त गीली थी, उसके मुँह पर सूखा खून भी लगा था, मैंने धीरे धीरे डालना शुरू किया, वो सिकुड़ने सी लगी।
फिर जब पूरा लण्ड चला गया तो उसने कहा- किसी और चीज के बारे में सोचो और धक्के मारो!
दोस्तो, कमाल की थी वो !
मैंने अपना ध्यान दीवार पर लगे एक चित्र पर केन्द्रित किया और अपने लौंड़े को उसकी चूत में पेलने लगा।
उसका सिर मेरे सीने के लेवल पर था मुझे पकड़ने के लिए कुछ चाहिए था तो मैंने उसका सिर पकड़कर उसे चोदना शुरू कर दिया।
‘पच्च -पच्च की आवाज़ आने लगी, वो चीखने लगी, मैं मस्त होने लगा।
‘मेरे… जाआअ नूऊउ… मेरे… बे…बी ..और करो…’
मैं जोश में आ गया और जोर जोर से उसे चोदने लगा, उसके चूतड़ मेरी जांघ से लड़कर तड़…तड़ बजने लगे।
उसकी बुर पच्च ..पच्च की आवाज़ करने लगी।
इसी तरह से मैंने उसे करीब 8-10 मिनट चोदा.. इस बीच वो 3 बार झड़ी, फिर मैंने फुल स्पीड कर दी और घातक प्रहारों से उसकी चूत को भोसड़ा बनाने लगा।
फिर करीब 7-8 धक्के लगाने के बाद मेरा वीर्य छूट पड़ा।
‘आआआ…’ मैं चीख पड़ा, मैंने अपना लण्ड निकाल लिया, उसकी बुर कटोरी की भांति वीर्य से भर उठी, मेरा वीर्य उसकी बुर से निकलकर उसके चूतड़ों और बिस्तर पर गिरने लगा।
हम दोनों करीब 15 मिनट कटे पेड़ की भाँति निढाल और नंगे पड़े रहे।
 
मैं उसके चूतड़ों पर हाथ फेर रहा था और वो मेरे सिर के बालों में उंगली फिरा रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद उसने कपड़े पहने, फिर आने का वादा करके चुम्बन देकर वो चली गई।
फिर तो रोज का यही सिलसिला चल निकला, मैं रोज कॉलेज छोड़कर रूम पर आ जाता, उसकी चूत मारता और सोया रहता, नतीजतन मेरी उपस्थिति कम होने लगी, मैं पढ़ाई में भी पिछड़ने लगा।
लेकिन मुझे इसका कोई गम नहीं था, शर्मिष्ठा भी अब बहुत खुश रहने लगी थी उसके चेहरे पर निखार आ गया था।
ऐसे ही एक साल बीत गया, मैं प्रथम वर्ष की परीक्षा पास करके दूसरे वर्ष में चला गया, अब मेरी क्लिनिकल पोस्टिंग शुरू होने वाली थी, जो मैं हॉस्टल से रहकर ही कर सकता था क्योंकि शर्मिष्ठा का घर बहुत दूर था मेरे हॉस्पिटल से।
अब मुझे हॉस्टल लेने का दबाव बढ़ने लगा, लेकिन मैं शमी को नहीं छोड़ना चाहता था, मैं छोड़ता भी नहीं क्यूंकि हम दोनों बहुत आत्मीय थे एक दूसरे के साथ।
विनोद के वीर्य में बच्चा पैदा करने की सामर्थ्य न थी, शमी अक्सर रोती थी और मुझसे बोलती थी- उदित, मुझे एक बेबी दे दो, मैं बाँझ होकर नहीं मरना चाहती, मुझे कहीं ले चलो।
मेरे पास उसके इन सवालों का कोई जवाब नहीं होता, मैं बस किसी तरह उसको ढांढस बंधा देता था।
वैसे तो हम लोग सेक्स के दरम्यान बहुत सतर्क रहते थे कि कहीं वो प्रेगनेन्ट ना हो जाए, सेफ पीरियड में बिना कंडोम के और अनसेफ पीरियड में कंडोम लगाकर ही चुदाई करते थे।
लेकिन आखिर में एक गलती हो गई, शमी ने अपनी डेट्स गलत जोड़ ली, जिससे हम बिना कंडोम के डेंजर पीरियड में मिले।
शमी को अगले पीरियड्स नहीं आये, उसको उल्टियाँ तथा मितली भी बहुत होने लगी, आंटी जी को शक हो गया, लेकिन आंटी जी ये बच्चा चाहती थी, ताकि उन्हें एक वंशज भी मिल जाय और विनोद की नामर्दगी की बात भी छिप जाए।
करीब ढाई महीने का गर्भ होने के बाद आखिर एक दिन विनोद को पता चल ही गया, उसने आग बबूला होकर शमी को बहुत मारा, शाम को जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मुझसे भी गाली गलौज की, हाथापाई भी की।
एक बार तो मुझे लगा कि विनोद भी अपने स्थान पर सही है, इसलिए मैंने उसका कोई विरोध नहीं किया, मैंने उस जैसे मरियल के हाथो मार भी खा ली।
लेकिन मेरी शमी रोते हुए मुझे बचाने आई, मैंने देखा की शमी के गाल सूज गए है और आँखों के चारों ओर खून जमा हो गया है, यह देखकर मेरा खून खौल उठा, मैंने उसे तब तक मार जब तक मेरी उंगली की हड्डी न टूट गई।
आंटी और अंकल जी ने उसे छुड़ाया और कमरा छोड़ने की मिन्नतें की, मेरे पापा को बुलाया गया।
मैं बहुत शर्मिन्दा हुआ।
आखिरकार मैंने कमरा छोड़ने का निश्चय कर लिया।
फिर हमारी जुदाई की घड़ी भी आ पहुँची, जिस दिन मैं जा रहा था, शमी अन्दर रो रही थी, मुझमे हिम्मत न थी कि अपने प्यार से आखिरी विदा भी ले सकूँ।
मैंने अपना सारा सामान एक लोडर में रखा और हॉस्टल आ गया।
शमी के पास मोबाइल भी नहीं था जिससे हम संपर्क कर सकते, लेकिन कभी कभी वो मुझे घर के लैंडलाइन से फ़ोन करती थी, एक दिन उसने जो खबर मुझे बताई, वो सुनकर मैं फ़ूट फूटकर रोया।
उसने बताया कि उसका गर्भपात करा दिया गया है।
उसका गला रुंधा हुआ था वो मानो अपने गम को आत्मसात किये इसे पी लेना चाहती थी लेकिन मेरे पहले बच्चे का इस निर्मम तरीके से दुनिया से मिटा देने का कृत्य सहा न गया, मैं रोता रहा शमी मुझे ढाढस बंधाती रही।
फिर जब उसने बताया कि शमी के विरोध करने पर विनोद ने उसे जूते से मारा तो मेरा खून खौल उठा।
पूछते पूछते मैं नगर निगम ऑफिस पहुचा, करीब 15 लड़कों के साथ विनोद की छुट्टी होने का इंतज़ार करने लगा।
शाम को पांच बजे वो जैसे ही छूटा, मैंने उसे बहुत पीटा, उसका कान फट गया, मैंने कहा- अगर शर्मिष्ठा पर हाथ उठाया तो फिर ऐसे ही मारूँगा।
उसने मुझ पर एफ.आई.आर दर्ज करा दिया।
मेरे पापा आये थाने में पैसा देकर मामला रफा दफा करवाया और मुझे अपने साथ घर ले गए, फिर डेढ़ महीने बाद वापस ले आये।
फिर उसके बाद मुझे कभी शमी का पता नहीं चला।
अब भी सोचता हूँ तो मन पीड़ा से भर उठता है कि ‘आखिर कौन होगा उसके पास उसके ज़ख्मों पर मरहम लगाने के लिए?’
काश मैं उससे एक वादा कर पाता कि सारी ज़िन्दगी मैं उसके पास रहूँगा…
काश उसके मोती जैसे आंसुओं को अपनी उंगली के पोरों पर सज़ा लेता और झूठा ही सही.. एक वादा कर पाता… आखिरी बार कि ‘दूर कहाँ जा रहा हूँ? तुम्हारे पास ही तो रहना है।
शमी से प्यार करने के बाद कई लड़कियाँ मेरी जिंदगी में आई, लेकिन सच्चा और निस्वार्थ प्रेम मैंने शमी से ही सीखा और उसी से किया।
आज भी सिर्फ उसी के सुन्दर मुखड़े की स्मृति मेरे मन में प्रेमल सिहरन पैदा कर जाती है, साथ ही दे जाती है एक टीस, हमेशा दिल को शालने वाला विछोह और अन्तहीन कसक…
मेरे जीवन की यह घटना आपको कैसी लगी…







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