FUN-MAZA-MASTI
मैं अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रही थी और उसने देखा कि हल्की सी हंसी मेरे चेहरे पर दिख रही थी। वो मौके का फायदा उठाते हुए बोला- काश, कुछ और भी देखने को मिल जाता ! तो आज स्वर्ग का आनंद मिल जाता !
मैं जानती थी कि उसका इशारा मेरी ब्रा और पेंटी पर था फिर भी मेंने अनजान बन कर शरारत करने के लिए पूछा- और क्या देखना है तुझे?
वो कुछ नहीं बोला और मेरी तरफ आगे बढ़ने लगा। मैं घबरा गई कि यह मैंने क्या बोल दिया।
मैं कुछ बोलती, उससे पहले उसने मेरे वक्ष पर अपने हाथ रख दिए और बोला- इन्हें देखना चाहता हूँ जान !
मैंने तुरंत छुटने की कोशिश की तो उसने और भी मजबूती से मेरे चूचों को पकड़ लिया और ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा।
मैंने घबरा कर उसे जोर का धक्का दिया और अपने स्तनों को उसके हाथों से आजाद करवा लिया और कमरे के कोने में जाकर खड़ी हो गई।
मैंने अपने दोनों पैर भींच लिए और अपने दोनों हाथों से अपने वक्ष को ढक लिया। उसकी इस हरकत से मैं और ठण्ड से कांपने लगी। वो फिर से मेरी तरफ बढ़ने लगा तो मैंने बोला- प्लीज़, मेरी तरफ मत आओ !
मैं दीवार से सटी थी, उसने आकर दोनों हाथ मेरी इर्द गिर्द रख दिए और मेरे वक्ष से उसकी छाती टकराने लगी।
मेरी आँखों में अश्रू आ गये, मैंने बोला- प्लीज़, ऐसा मत करो !
उसने मेरी आँखों में देखा और बोला- देख, मैं कुछ नहीं करूँगा पर मैंने पहली बार किसी लड़की को इस हालत में देखा है तो मेरे अन्दर भी कुछ तो होगा ही ! और तुम तो पूरे कॉलेज में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो ! प्लीज़, मुझे मत रोको, मैं सिर्फ़ तुम्हें चूमना चाहता हूँ और कुछ नहीं करूँगा।
मुझे भी यह सब सुन कर कुछ-कुछ होने लगा और इस मौसम में न जाने क्यूँ मेरा भी दिल पहली बार कुछ करने को हो रहा था।
मैं कुछ नहीं बोली और आँखें बंद करके खड़ी हो गई। वो समझ गया और उसने सीधे ही मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मेरा पूरा शरीर फिर से कांप उठा।
उसने बड़ी चालाकी से अपना एक हाथ मेरे गाल पर रख दिया, मुझे और भी अच्छा लगा।
पर यह क्या ! धीरे धीरे उसका हाथ मेरे गालों से फिसलने लगा और मेरे स्तन तक पहुँच गया। स्तन ब्रा छोटी होने के कारण पहले से ही थोड़े बाहर उभरे हुए थे, वो धीरे धीरे मेरे ऊपरी स्तन को अपनी उंगली से दबाने लगा, मुझे गुदगुदी सी होने लगी।
फिर उसने तेजी से दूसरा हाथ भी मेरे दूसरे चूचे पर रख दिया और उसे भी उसी तरह सहलाने लगा। अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, पहली बार कोई मेरे स्तनों को इतने प्यार से दबा रहा था। उसके होंठ तो अभी तक मेरे होठों पर ही थे, उसका जी अभी तक मेरे होठों से भी भरा नहीं था, वो और भी जोर से कस कर चुम्बन लेने लगा। मेरी तो मानो सांस रुकने लगी, दिल तेजी से धड़कने लगा।
करीब तीन मिनट के बाद उसने मेरे होंठ आजाद कर दिए और मैंने चैन की सांस ली। अब उसने मेरे कोमल गोलों को चूमना चालू कर दिया। गालों पर किसी मर्द के चुम्बन का क्या मजा आता है वो मैंने पहली बार महसूस किया।
पहले उसकी छाती ही मेरे वक्ष से सटी थी अब वो और करीब आ गया और मेरे पेट से उसका पेट टकराने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने महसूस किया कि उसका लण्ड मेरी चूत से जो इस वक्त पैंटी में कैद थी, उससे टकराने लगा और मेरे भीगे नंगे पैरों पर अपने पैर सटाने लगाम मानो पूरी तरह से मुझे दीवार में जड़ दिया हो !
उसका लण्ड और भी बड़ा हो गया, वो मेरी चूत के ऊपर से उसे रगड़ने लगा। मैंने फिर से आँखें बंद कर ली, एक अजीब सा आनन्द मेरे मन में हिलौरें मारने लगा !
उसकी इस हरकत से बहुत मजा आ रहा था। फिर अचानक वो मुझसे थोड़ा दूर हुआ, मैंने अपनी आँखें खोल दी, मैं कुछ समझ नहीं पाई। उसने मुझे दीवार से थोड़ा अपनी ओर खींच लिया और मुझे अपने मजबूत हाथों से उठा लिया।
मैं मदहोशी से होश में आई और बोली- यह क्या कर रहे हो?
वो तुरंत बोला- कुछ नहीं, वहाँ सोफ़े पर थोड़ा लेट जाते हैं।
मैंने कहा- देखो, तुमने वादा किया था कि सिर्फ चुम्बन ही करोगे, अब यह सब मुझे नहीं करना है, प्लीज छोड़ दो मुझे ! अब इससे ज्यादा कुछ ठीक नहीं होगा !
वो अभी भी मुझे उठाए हुए था और मुझे नीचे उतरने के बहाने फिर से अपना एक हाथ मेरे चूचों पर रख दिया और बोला- सच बोलो, तुम्हें यह सब कुछ जो हुआ, उसमें मजा नहीं आया क्या? मैं भी पहले कुछ नहीं करना चाहता था, पर क्या करूँ, अब मेरे लण्ड ने और तुम्हारी चूत ने आपस में सैट कर कुछ बातें कर ली हैं जो हम दोनों को इस वक़्त मान लेनी चाहिएँ !
मैं उसकी इस स्मार्टनेस पर फिर से हंस पड़ी। वो मुझे लेकर आगे बढ़ने लगा, अब इंकार करने का मेरा भी कुछ इरादा नहीं हो रहा था, ऊपर से बारिश का मौसम जो जलती हुई आग में घी का काम कर रहा था।
उसने मुझे सोफ़े पर लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया, फिर से मेरे होठों को चूमने लगा और चूचियों को बड़े आराम से दबाने लगा। उसने अभी भी मेरे या अपने बाकी के कपड़े नहीं उतारे थे। मैंने सोचा यह शायद इसी तरह लेट कर मुझे मसलना चाहता है, मैं चुपचाप उसके नीचे पड़ी रही, अब तक जो भी किया, उसने ही किया था, मैंने कुछ नहीं किया था। तो अब मेरा भी मन हुआ कुछ करने को ! मैंने अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिए और सहलाने लगी जिससे वो और भी रोमांचित हो उठा। उसने मेरी आँखों में देखा और हंसने लगा।
मैं बोली- कुछ नहीं, वो तो तुम्हारी पीठ पर थोड़ा पानी था, वो मैं साफ कर रही थी और कुछ नहीं !
वो हंसने लगा। मैं मन में मुस्कुराने लगी।
अब उसने भी अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर पहुँचा दिए और मेरी पीठ सहलाते सहलाते उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा निकाल दी।
मैंने कहा- ब्रा क्यूँ निकाल दी?
तो वो बोला- मैं भी तुम्हारी पीठ पर जो पानी है वो साफ कर रहा था, पर है ब्रा बीच में बहुत तंग कर रही थी इसलिए निकाल दिया।
अब वो फिर से अपने दोनों हाथ मेरे वक्ष पर ले आया जो टाईट ब्रा के खुलने से पूरी तरह अपने आकार में आ गये थे।
उसने हाथ फेरा और बोला- ये इतने बड़े थे, मैंने तो सोचा भी नहीं था।
इतना बोल कर उसने अपने होंट मेरे एक चुचूक पर रख दिए और उसे चूसने लगा। अभी तक मेरे स्तन अनछुए थे और इन्हें चुसवाना मेरे लिए एक नया अहसास था, मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।
अब वो उठा और मेरी शेष बची इज्जत यानि की मेरी पेंटी को भी उतारने लगा। अब मेरी चूत उसके सामने नंगी थी। मैं चूत की सफाई हर हफ्ते करती हूँ, मैंने उसी दिन सफाई की थी तो मेरी चूत एकदम साफ और चिकनी दिख रही थी उसकी आँखें मानो चूत पर जम गई, उसने तुरंत अपना लण्ड मेरी मुलायम चूत पर रख दिया और घिसने लगा।
मुझे प्यारी गुदगुदी हो रही थी साथ ही साथ मेरी चूत पानी भी छोड़ने लगी। अब सूरज ने मेरी दोनों टांगें फ़ैला दी और बीच में आ गया, फिर अपना मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसाने लगा।
चूत छोटी होने के कारण वो सफल नहीं हो पा रहा था, मैंने उसकी मदद करने के लिए अपनी टाँगें और भी फ़ैला दी।
अचानक उसके दिमाग में कुछ और ख्याल आया और वो टांगों से निकल गया, मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी, इतने में वो मेरे मुँह के पास आ गया और बोला- जान, प्लीज़ इसे थोरा गीला कर दो !
मैंने कहा- कैसे?
मैं उससे बात कर रही थी, उसी दौरान उसने झट से लण्ड को मेरे मुख में डाल दिया, मेरे होंठ चिरने लगे, उसका लण्ड बहुत मोटा था तो इस बजह से मेरे मुख में आ ही नहीं पा रहा था। वो फिर भी अन्दर-बाहर करने में लगा हुआ था।
थोड़ी देर के बाद उसने लण्ड को बहार निकला जो इस वक्त पूरा मेरे थूक से गीला हो गया था। वो फिर से मेरी टांगों के बीच आ गया, उसने लण्ड चूत के मुख पर रखा और जोर से एक धक्का दिया। लण्ड सीधा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं जोर से चिल्लाने लगी। वो आधा लण्ड घुसाए हुए मेरे ऊपर आ गया और मेरी होंठों को फिर से अपने होंठों से कैद कर लिया ताकि मेरी चीखें दब जाएँ। मैं अपनी चूत से उसका लण्ड निकलने की कोशिश करने लगी, वो मेरी मंशा जान गया और उसने तुरंत एक और धक्का दिया और पूरा लण्ड चूत में घुसा दिया।
अब मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी। वो भी समझ रहा था कि मुझे काफी दर्द हो रहा है, वो भी थोड़ा घबरा रहा था पर उसने लण्ड नहीं निकाला और मुझे समझाने लगा- सुन तनिषा, अब लण्ड तो पूरा जा चुका है, तुम्हें बहुत दर्द भी हो रहा है पर अब उसका एक ही इलाज है !
मैंने कहा- क्या? जल्दी बोलो?
तो उसने कहा- मैं लण्ड अन्दर-बाहर करता हूँ, थोड़ी देर में दर्द कम हो जायेगा !
अब मेरे पास और कोई चारा नहीं था इस दर्द से बचने के लिए तो मैंने बोला- ठीक है, जल्दी करो !
फिर वो लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा, साथ ही साथ मेरे होंठ और गालों को भी चूम रहा था और एक हाथ से मेरे स्तन भी मसल रहा था।
उसके यह सब करने से अब मेरा दर्द कम होने लगा और मुझे चुदाई का मजा आने लगा। अब मैं भी अपनी चूत से धक्के देकर उसका साथ देने लगी। वो भी पूरा मस्ती में आ गया और उसने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी।
करीब दस मिनट के बाद मैं झड़ गई और उसको जोर से पकड़ लिया। मैं अब उसे कहने लगी- प्लीज़, अब निकाल लो !
पर वो कहाँ मानने वाला था, क्योंकि वो अभी भी स्खलित नहीं हुआ था, उसने चुदाई जारी रखी। थोड़ी देर बाद मुझे फिर से मजा आने लगा। मैं अब पहले से भी ज्यादा उसका साथ देने लगी, मैं उसकी छाती को और उसके होंठों को चूमने लगी। उसे काफी मजा आ रहा था।
फिर करीब और बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी अब वो तेजी से लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पाँच मिनट तक इसी तरह तेज धक्कों की बारिश होती रही मुझ पर और अंत में हम दोनों एक साथ शांत हो गए।
उसने पूरा वीर्य मेरी योनि में भर दिया, हम दोनों की सांसें तेज होकर अब धीरे धीरे सामान्य होने लगी, वो शांत होकर अब भी मेरे ऊपर ही था, उसने अपने टाँगें मेरी टांगों के ऊपर रख दी और हाथ मेरे हाथों के ऊपर, मानो वो पूरी तरह मेरे ऊपर सो रहा था।
इस वक्त उसकी यह हरकत मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। हम दोनों उसी अवस्था में थोड़ी देर पड़े रहे फिर उसने लण्ड निकाल लिया और मेरे बगल में लेट गया। उसका हाथ अभी भी मेरे वक्ष पर था।
मैंने कहा- सूरज, अब तो तूने सब कुछ कर लिया, अब तो मेरे बदन से अपना हाथ हटा ले !
इस बात पर वो बोला- मुझे तेरा बदन इतने पसंद आया कि मेरा मन नहीं कर रहा है कि मैं इसे अकेला छोड़ूँ ! अपनी ऐसी तारीफ पर मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी, हम लोग उसी मुद्रा में सो गए।दोनों को नींद आ गई, करीब दो घंटे तक हम सोते रहे।
वो जगा और फिर से मुझे सहलाने लगा। मैं भी जग गई, नींद के कारण शरीर काफी रिलेक्स हो गया था, हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गए।
उसने पूरी रात में मुझे पाँच बार चोदा। सुबह हो गई तो हमने अपने कपड़े पहन लिए जो पूरी तरह से सूख गए थे और बारिश भी रुक गई थी।मैंने पापा को फोन लगाया और बोली- पापा, मैं अपनी सहेली के घर से सीधे ही कॉलेज चली जाऊँगी।
कैसी लगी मेरी यह सच्ची कहानी, मुझे जरूर बताना !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
बारिश का मौसम-2
मैं अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रही थी और उसने देखा कि हल्की सी हंसी मेरे चेहरे पर दिख रही थी। वो मौके का फायदा उठाते हुए बोला- काश, कुछ और भी देखने को मिल जाता ! तो आज स्वर्ग का आनंद मिल जाता !
मैं जानती थी कि उसका इशारा मेरी ब्रा और पेंटी पर था फिर भी मेंने अनजान बन कर शरारत करने के लिए पूछा- और क्या देखना है तुझे?
वो कुछ नहीं बोला और मेरी तरफ आगे बढ़ने लगा। मैं घबरा गई कि यह मैंने क्या बोल दिया।
मैं कुछ बोलती, उससे पहले उसने मेरे वक्ष पर अपने हाथ रख दिए और बोला- इन्हें देखना चाहता हूँ जान !
मैंने तुरंत छुटने की कोशिश की तो उसने और भी मजबूती से मेरे चूचों को पकड़ लिया और ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा।
मैंने घबरा कर उसे जोर का धक्का दिया और अपने स्तनों को उसके हाथों से आजाद करवा लिया और कमरे के कोने में जाकर खड़ी हो गई।
मैंने अपने दोनों पैर भींच लिए और अपने दोनों हाथों से अपने वक्ष को ढक लिया। उसकी इस हरकत से मैं और ठण्ड से कांपने लगी। वो फिर से मेरी तरफ बढ़ने लगा तो मैंने बोला- प्लीज़, मेरी तरफ मत आओ !
मैं दीवार से सटी थी, उसने आकर दोनों हाथ मेरी इर्द गिर्द रख दिए और मेरे वक्ष से उसकी छाती टकराने लगी।
मेरी आँखों में अश्रू आ गये, मैंने बोला- प्लीज़, ऐसा मत करो !
उसने मेरी आँखों में देखा और बोला- देख, मैं कुछ नहीं करूँगा पर मैंने पहली बार किसी लड़की को इस हालत में देखा है तो मेरे अन्दर भी कुछ तो होगा ही ! और तुम तो पूरे कॉलेज में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो ! प्लीज़, मुझे मत रोको, मैं सिर्फ़ तुम्हें चूमना चाहता हूँ और कुछ नहीं करूँगा।
मुझे भी यह सब सुन कर कुछ-कुछ होने लगा और इस मौसम में न जाने क्यूँ मेरा भी दिल पहली बार कुछ करने को हो रहा था।
मैं कुछ नहीं बोली और आँखें बंद करके खड़ी हो गई। वो समझ गया और उसने सीधे ही मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मेरा पूरा शरीर फिर से कांप उठा।
उसने बड़ी चालाकी से अपना एक हाथ मेरे गाल पर रख दिया, मुझे और भी अच्छा लगा।
पर यह क्या ! धीरे धीरे उसका हाथ मेरे गालों से फिसलने लगा और मेरे स्तन तक पहुँच गया। स्तन ब्रा छोटी होने के कारण पहले से ही थोड़े बाहर उभरे हुए थे, वो धीरे धीरे मेरे ऊपरी स्तन को अपनी उंगली से दबाने लगा, मुझे गुदगुदी सी होने लगी।
फिर उसने तेजी से दूसरा हाथ भी मेरे दूसरे चूचे पर रख दिया और उसे भी उसी तरह सहलाने लगा। अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, पहली बार कोई मेरे स्तनों को इतने प्यार से दबा रहा था। उसके होंठ तो अभी तक मेरे होठों पर ही थे, उसका जी अभी तक मेरे होठों से भी भरा नहीं था, वो और भी जोर से कस कर चुम्बन लेने लगा। मेरी तो मानो सांस रुकने लगी, दिल तेजी से धड़कने लगा।
करीब तीन मिनट के बाद उसने मेरे होंठ आजाद कर दिए और मैंने चैन की सांस ली। अब उसने मेरे कोमल गोलों को चूमना चालू कर दिया। गालों पर किसी मर्द के चुम्बन का क्या मजा आता है वो मैंने पहली बार महसूस किया।
पहले उसकी छाती ही मेरे वक्ष से सटी थी अब वो और करीब आ गया और मेरे पेट से उसका पेट टकराने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने महसूस किया कि उसका लण्ड मेरी चूत से जो इस वक्त पैंटी में कैद थी, उससे टकराने लगा और मेरे भीगे नंगे पैरों पर अपने पैर सटाने लगाम मानो पूरी तरह से मुझे दीवार में जड़ दिया हो !
उसका लण्ड और भी बड़ा हो गया, वो मेरी चूत के ऊपर से उसे रगड़ने लगा। मैंने फिर से आँखें बंद कर ली, एक अजीब सा आनन्द मेरे मन में हिलौरें मारने लगा !
उसकी इस हरकत से बहुत मजा आ रहा था। फिर अचानक वो मुझसे थोड़ा दूर हुआ, मैंने अपनी आँखें खोल दी, मैं कुछ समझ नहीं पाई। उसने मुझे दीवार से थोड़ा अपनी ओर खींच लिया और मुझे अपने मजबूत हाथों से उठा लिया।
मैं मदहोशी से होश में आई और बोली- यह क्या कर रहे हो?
वो तुरंत बोला- कुछ नहीं, वहाँ सोफ़े पर थोड़ा लेट जाते हैं।
मैंने कहा- देखो, तुमने वादा किया था कि सिर्फ चुम्बन ही करोगे, अब यह सब मुझे नहीं करना है, प्लीज छोड़ दो मुझे ! अब इससे ज्यादा कुछ ठीक नहीं होगा !
वो अभी भी मुझे उठाए हुए था और मुझे नीचे उतरने के बहाने फिर से अपना एक हाथ मेरे चूचों पर रख दिया और बोला- सच बोलो, तुम्हें यह सब कुछ जो हुआ, उसमें मजा नहीं आया क्या? मैं भी पहले कुछ नहीं करना चाहता था, पर क्या करूँ, अब मेरे लण्ड ने और तुम्हारी चूत ने आपस में सैट कर कुछ बातें कर ली हैं जो हम दोनों को इस वक़्त मान लेनी चाहिएँ !
मैं उसकी इस स्मार्टनेस पर फिर से हंस पड़ी। वो मुझे लेकर आगे बढ़ने लगा, अब इंकार करने का मेरा भी कुछ इरादा नहीं हो रहा था, ऊपर से बारिश का मौसम जो जलती हुई आग में घी का काम कर रहा था।
उसने मुझे सोफ़े पर लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया, फिर से मेरे होठों को चूमने लगा और चूचियों को बड़े आराम से दबाने लगा। उसने अभी भी मेरे या अपने बाकी के कपड़े नहीं उतारे थे। मैंने सोचा यह शायद इसी तरह लेट कर मुझे मसलना चाहता है, मैं चुपचाप उसके नीचे पड़ी रही, अब तक जो भी किया, उसने ही किया था, मैंने कुछ नहीं किया था। तो अब मेरा भी मन हुआ कुछ करने को ! मैंने अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिए और सहलाने लगी जिससे वो और भी रोमांचित हो उठा। उसने मेरी आँखों में देखा और हंसने लगा।
मैं बोली- कुछ नहीं, वो तो तुम्हारी पीठ पर थोड़ा पानी था, वो मैं साफ कर रही थी और कुछ नहीं !
वो हंसने लगा। मैं मन में मुस्कुराने लगी।
अब उसने भी अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर पहुँचा दिए और मेरी पीठ सहलाते सहलाते उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा निकाल दी।
मैंने कहा- ब्रा क्यूँ निकाल दी?
तो वो बोला- मैं भी तुम्हारी पीठ पर जो पानी है वो साफ कर रहा था, पर है ब्रा बीच में बहुत तंग कर रही थी इसलिए निकाल दिया।
अब वो फिर से अपने दोनों हाथ मेरे वक्ष पर ले आया जो टाईट ब्रा के खुलने से पूरी तरह अपने आकार में आ गये थे।
उसने हाथ फेरा और बोला- ये इतने बड़े थे, मैंने तो सोचा भी नहीं था।
इतना बोल कर उसने अपने होंट मेरे एक चुचूक पर रख दिए और उसे चूसने लगा। अभी तक मेरे स्तन अनछुए थे और इन्हें चुसवाना मेरे लिए एक नया अहसास था, मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।
अब वो उठा और मेरी शेष बची इज्जत यानि की मेरी पेंटी को भी उतारने लगा। अब मेरी चूत उसके सामने नंगी थी। मैं चूत की सफाई हर हफ्ते करती हूँ, मैंने उसी दिन सफाई की थी तो मेरी चूत एकदम साफ और चिकनी दिख रही थी उसकी आँखें मानो चूत पर जम गई, उसने तुरंत अपना लण्ड मेरी मुलायम चूत पर रख दिया और घिसने लगा।
मुझे प्यारी गुदगुदी हो रही थी साथ ही साथ मेरी चूत पानी भी छोड़ने लगी। अब सूरज ने मेरी दोनों टांगें फ़ैला दी और बीच में आ गया, फिर अपना मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसाने लगा।
चूत छोटी होने के कारण वो सफल नहीं हो पा रहा था, मैंने उसकी मदद करने के लिए अपनी टाँगें और भी फ़ैला दी।
अचानक उसके दिमाग में कुछ और ख्याल आया और वो टांगों से निकल गया, मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी, इतने में वो मेरे मुँह के पास आ गया और बोला- जान, प्लीज़ इसे थोरा गीला कर दो !
मैंने कहा- कैसे?
मैं उससे बात कर रही थी, उसी दौरान उसने झट से लण्ड को मेरे मुख में डाल दिया, मेरे होंठ चिरने लगे, उसका लण्ड बहुत मोटा था तो इस बजह से मेरे मुख में आ ही नहीं पा रहा था। वो फिर भी अन्दर-बाहर करने में लगा हुआ था।
थोड़ी देर के बाद उसने लण्ड को बहार निकला जो इस वक्त पूरा मेरे थूक से गीला हो गया था। वो फिर से मेरी टांगों के बीच आ गया, उसने लण्ड चूत के मुख पर रखा और जोर से एक धक्का दिया। लण्ड सीधा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं जोर से चिल्लाने लगी। वो आधा लण्ड घुसाए हुए मेरे ऊपर आ गया और मेरी होंठों को फिर से अपने होंठों से कैद कर लिया ताकि मेरी चीखें दब जाएँ। मैं अपनी चूत से उसका लण्ड निकलने की कोशिश करने लगी, वो मेरी मंशा जान गया और उसने तुरंत एक और धक्का दिया और पूरा लण्ड चूत में घुसा दिया।
अब मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी। वो भी समझ रहा था कि मुझे काफी दर्द हो रहा है, वो भी थोड़ा घबरा रहा था पर उसने लण्ड नहीं निकाला और मुझे समझाने लगा- सुन तनिषा, अब लण्ड तो पूरा जा चुका है, तुम्हें बहुत दर्द भी हो रहा है पर अब उसका एक ही इलाज है !
मैंने कहा- क्या? जल्दी बोलो?
तो उसने कहा- मैं लण्ड अन्दर-बाहर करता हूँ, थोड़ी देर में दर्द कम हो जायेगा !
अब मेरे पास और कोई चारा नहीं था इस दर्द से बचने के लिए तो मैंने बोला- ठीक है, जल्दी करो !
फिर वो लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा, साथ ही साथ मेरे होंठ और गालों को भी चूम रहा था और एक हाथ से मेरे स्तन भी मसल रहा था।
उसके यह सब करने से अब मेरा दर्द कम होने लगा और मुझे चुदाई का मजा आने लगा। अब मैं भी अपनी चूत से धक्के देकर उसका साथ देने लगी। वो भी पूरा मस्ती में आ गया और उसने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी।
करीब दस मिनट के बाद मैं झड़ गई और उसको जोर से पकड़ लिया। मैं अब उसे कहने लगी- प्लीज़, अब निकाल लो !
पर वो कहाँ मानने वाला था, क्योंकि वो अभी भी स्खलित नहीं हुआ था, उसने चुदाई जारी रखी। थोड़ी देर बाद मुझे फिर से मजा आने लगा। मैं अब पहले से भी ज्यादा उसका साथ देने लगी, मैं उसकी छाती को और उसके होंठों को चूमने लगी। उसे काफी मजा आ रहा था।
फिर करीब और बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी अब वो तेजी से लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पाँच मिनट तक इसी तरह तेज धक्कों की बारिश होती रही मुझ पर और अंत में हम दोनों एक साथ शांत हो गए।
उसने पूरा वीर्य मेरी योनि में भर दिया, हम दोनों की सांसें तेज होकर अब धीरे धीरे सामान्य होने लगी, वो शांत होकर अब भी मेरे ऊपर ही था, उसने अपने टाँगें मेरी टांगों के ऊपर रख दी और हाथ मेरे हाथों के ऊपर, मानो वो पूरी तरह मेरे ऊपर सो रहा था।
इस वक्त उसकी यह हरकत मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। हम दोनों उसी अवस्था में थोड़ी देर पड़े रहे फिर उसने लण्ड निकाल लिया और मेरे बगल में लेट गया। उसका हाथ अभी भी मेरे वक्ष पर था।
मैंने कहा- सूरज, अब तो तूने सब कुछ कर लिया, अब तो मेरे बदन से अपना हाथ हटा ले !
इस बात पर वो बोला- मुझे तेरा बदन इतने पसंद आया कि मेरा मन नहीं कर रहा है कि मैं इसे अकेला छोड़ूँ ! अपनी ऐसी तारीफ पर मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी, हम लोग उसी मुद्रा में सो गए।दोनों को नींद आ गई, करीब दो घंटे तक हम सोते रहे।
वो जगा और फिर से मुझे सहलाने लगा। मैं भी जग गई, नींद के कारण शरीर काफी रिलेक्स हो गया था, हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गए।
उसने पूरी रात में मुझे पाँच बार चोदा। सुबह हो गई तो हमने अपने कपड़े पहन लिए जो पूरी तरह से सूख गए थे और बारिश भी रुक गई थी।मैंने पापा को फोन लगाया और बोली- पापा, मैं अपनी सहेली के घर से सीधे ही कॉलेज चली जाऊँगी।
कैसी लगी मेरी यह सच्ची कहानी, मुझे जरूर बताना !
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment