Tuesday, March 16, 2010

कामुक कहानिया -कच्ची उम्र की कामुकता --01

राज शर्मा की कामुक कहानिया
कच्ची उम्र की कामुकता --01

हेलो दोस्तो आप लोगो के लिए एक और मस्त कहानी पेश कर रहा हू दोस्तो ये कहानी कच्ची उम्र की कामुकता पर
आधारित है जैसे की आप जानते ही हैं आज कल हमारे समाज मैं सेक्स की एक आँधी सी चल रही है टीवी सिनेमा
सब जगह सेक्स ही परोसा जा रहा है इन्ही सेक्सी सीन्स की वजह से कम उम्र के बच्चे भी सेक्स मई रूचि लेना शुरू कर देते है
और कई बार ये कच्ची उम्र की कामुकता इन लड़कियो को सेक्स का गुलाम बना देती है और उनका भविष्य दूसरो के
हाथो मैं सौंप देती है तो दोस्तो मेरी कोशिश इन्ही सब पहलुओ को लेकर इस कहानी को पूरा करना है अब ये तो आप ही बताएँगे
की मैं अपनी इस कोशिश मैं किस हद तक कामयाब हुआ हूँ अपने विचार मुझे अवश्य बताए


'क्या बात हैं, आज बड़ी बेचैन दिख रही हो'.......रश्मि ने पास बैठी नीलू से पूछा
'नही रे ऐसी कोई बात नही'............नीलू ने बात टलने के नियत से कहा
'हमेशा तेरी बकबक से, सर मे दर्द पैदा कर देती हो..........आज इतनी खामोश हो, ज़रूर कोई बात हैं'
'भरोसा रख ऐसी कोई बात नही'......नीलू ने ज़ल कर कहा
'ठीक हैं मत बता , मैं तो समझ ती थी हम पक्की सहेलिया हैं, एक दूसरे से कोई बात नही छुपति, मगर तू नही बताना चाहती है तो मैं फोर्स नही करूँगी'......................रश्मि ने ब्रम्‍हस्त्रा छोड़ा, जोकि बिल्कुल सही निशाने पे लगा.
'क्लास छूटने के बाद बतौँगी'........आख़िर नीलू ने मान लिया
'ठीक हैं'

रश्मि और नीलू पक्की सहेलिया थी, शहर के एक नामी कॉनवेंट स्कूल मे पढ़ती थी,दोनो ही एसएससी की स्टूडेंट थी, उनकी दोस्ती एतनि गहरी थी,की बाकी लड़किया उनसे जलती थी. रश्मि एक उप्पर मिड्ल क्लास फॅमिली से थी, तो नीलू का परिवार शहर का प्रतिष्ठित,आमिर था. लेकिन इससे उनकी दोस्ती पर कोई फ़र्क नही पड़ता था. सिर्फ़ रश्मि के परिवार वाले थोड़े चिंतित रहते थे, उनके बीच सोशियल स्टेटस का फ़र्क जो था.

क्लास ख़त्म होने के बाद दोनो स्कूल के पीछे बने गार्डन मे बैठ गयी.

'चल अब बता क्या हुआ हैं'........रश्मि जानने के लिए उतावली थी
और नीलू सोच मे पड़ गयी थी शुरूवात कैसे करे

'देख मैं तुझे सब बताती हू, पर पहले मेरे कुछ सवालो के सही सही जवाब देने होगे'........नीलू अपनी भूमिका बाँध रही थी
'क्या पूछना चाहती हैं तू'
'उउउउउउउउउम्म......'
अरे पूछ ना......ये उउउउउउउउउउम्म्म क्या हैं'.........रश्मि जानने के लिए अधीर हो रही थी.

'तूने कभी सेक्स किया हैं'...............नीलू ने बम फोड़ा.
'क्या........??? तेरा दिमाग़ तो नही खराब हुआ, अगर ऐसा कुछ किया होता तो क्या तुज़से छुपति...?"
'मैं जानती हू की तू मुज़ासे कुछ नही छुपति,लेकिन कुछ ऐसा हुआ हैं,मूज़े पूछना ज़रूरी लगा'

'क्या हुआ हैं...? कही तूने अकेले ही कुछ,मेरा मतलब हैं....'
'नही मैने कुछ नही किया हैं'
'तो...... ?'.......रश्मि से जिगयसा छुपी नही रही थी.

'तू मेरे घर का डिज़ाइन जानती हैं,मेरे बेडरूम से किचन के लिए जाना हो तो भाय्या के बेडरूम के सामने से गुजर ना पड़ता हैं'
'हाँ जानती हू,तेरे घर पर कई बार आ चुकी हू, तू आगे बोल.'............रश्मि अभी भी कुछ समझ पाने मे असमर्थ थी.

'कल रत अचानक मेरी नींद खुली,12.30 से उपर का समय हुआ होगा,मूज़े भूख सी महसूस हुई, मैने थोड़ी देर वैसे ही सोने की कोशिश की, पर नींद नही आई, तो मैने सोचा किचन मे जाकर दूध वग़ैरा कुछ पी लू,मैं उठाकर किचन की तरफ चल दी,मगर...........'
'मगर क्या....अरे बोल ना'.........रश्मि सुस्पेंसे को बर्दाशस्त नही कर पा रही थी.
'मूज़े भाय्या,भाभी के बेडरूम से कुछ आवाज़े सुनाई दी'
'क्या आवाज़े सुनाई दी'.......रश्मि का सुस्पेंसे बढ़ता ही जा रहा था

'वो...वो..भाभी...भाय्या से.....कह रही ...थी...,वो...वो...'
'अरे वो...वो...क्या कहा रही हैं, अब बक भी'.........रश्मि अब एक्शिट हो रही थी ,उसे कुछ कुछ समझ मे आ रहा था.

'एमेम....एम्म...मूज़े शर्म आती हैं...'............नीलू सचमुच शर्मा रही थी
'ओये होये मेरी शर्मीली कबूतरी, अब ये शरमाना छोड़ और बता भाभी क्या कह रही थी.

'वो..वो कह रही थी.......है मेरे राजा बड़ा मज़ा आ रहा है,, और जम के, है और ज़ोर से. आप के जैसा पति पाकर तो मैं धान्या हो गयी.....पूरे मर्द हैं आप तो ......एक बात पुच्छू....?.................. इतना कह कर नीलू चुप हो गयी.
'तो...आगे बताना,भाभी ने क्या पूछा,और भैया ने क्या कहा'...............रश्मि को अब रहा नही जा रहा था

' वो ..भाय्या ने कहा पूछो मेरी जान....मैं भी तो तुम्हारी जैसी मदमस्त,सेक्सी पत्नी को पाकर धान्या हो गया हू, हाए क्या बॉल हैं तुम्हारे, पूछो जो पूछना है'
'फिर...भाभी ने क्या कहा...'..........रश्मि अब बहुत ही गरम हो चुकी थी, पूरी बात एकदम से सुनना चाहती थी
'भाभी ने पूछा...आप पिछले जानम मे घोड़े थे क्या....?...ये आपका इतना बड़ा कैसे हैं..?

फिर...अरे पूरी बात एकदम से बताना, क्यो हिन्दी सीरियल की तरह एपिसोड्स मे बता रही हैं?..........रश्मि अब ज़ल उठी थी.
'आगे कुछ सुन नही पाई, मूज़े मम्मी,पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, तो मैं भाग कर अपने बेडरूम मे चली गयी, दूध भी नाही पिया.

जैसे ही नीलू की बात ख़ात्मा हुई, दोनो सहेलिया,अपने चेहरे पे अजीब से एक्सप्रेशन्स लिए एक दूसरी की तरफ देखती रही, दोनो ने एकदम नज़रे झुकाली....दोनो की ही पॅंटी गीली हो चुकी थी

रश्मि और नीलू, सही मायने मे आज के जमाने की लड़कियो को रेप्रेज़ेंट करती थी..............एस मॉडर्न जमाने के आज़ाद ख़याल मा,बाप की उतनी ही आज़ाद ख़याल लड़किया. अपनी ही बेटियो को शॉर्ट स्कर्ट्स मे देखने से उनके माथे पे शिकन तक नही आती थी,........उनकी स्कर्ट्स से झलकती भारी भारी गुदज जंघाओ,और टी-शर्ट से झलकती उनकी ठोस चुचिया, उनके दिमाग़ मे कोई ख़तरे की घंटी नही बजाते थे. आम तौर पर, सभी परिवरो मे मॅमी,डॅडी, भैया,भाभी, बड़ी या छोटी बहाने,अपने अपने बूससिनएस्स मीटिंग्स, क्लब्स,किटी पार्टिया, स्पोर्ट्स इवेंट्स,कॉलेज की गॅदरैंग्स इतने व्यस्त रहते थे की, किसिको किसी के बारे मे ज़्यादा जानने,या बात करने की फ़ुर्सत भी नही मिलती थी. एक ही परिवार के सदस्या एक ही घर मे ऐसे रहते थे मानो, रूम पार्ट्नर्स हो, या एक ही होटेल मे रुके मुसाफिर हो, जिनका एक दूसरे की जिंदगी से कोई वास्ता ना हो...........ऐसी स्थिति मैं अगर ये कची उम्र की कालिया, उनके आसपास के माहौल से, टीवी,फ़िल्मो मे दिखाई देने वाले उत्तेजक,सेक्सी दृश्यो से,क्लब,पार्टी,पब्स के माहौल से, वक़्त से पहले ही खिल कर फूल बनने की कोशिश करे तो इसमे कोई हैरानी बात नही थी

रश्मि और नीलू भी अपनी उम्र के ऐसे ही नाज़ुक मोड पर खड़ी थी.

"चलो घर चलते हैं"............नीलू ने कहा
"उउउँ........क्या?.....हाँ चलो..........रश्मि अभी भी उत्तेजना से बाहर नही निकली
थी.
दोनो ने अपने अपने स्कूल बॅग्स उठाए और स्कूल गेट की तरफ चल दी.
दोनो ही खामोश थी,उपर से, दिल मे तूफान उठा हुआ था

"क्या सोच रही हो "............नीलू ने खामोशी तोड़ी
'कुछ भी तो नही'
'अब तुम झूठ बोल रही हो'
'नही नही,ऐसी कोई बात नही'
इश्स पर नीलू ने जाड़ा कुरेदना उचित नही समझा................थोड़ा वक़्त और खामोशी मे बीता.

"क्या तुमने उन्हे करते हुए देखा था"............अचानक रश्मि ने पूछा.
कुछ पल के लिए नीलू कुछ समझी ही नही, लेकिन जैसे ही उसके समझ मे आया, वो शर्मा से लाल हो गयी.
"धात,...कुछ भी बोलती हो"
"अब ये शरमाना छोड़,और सच सच बता..!"
"मूज़े इच्छा तो हुई थी.......पर डर भी लग रहा था"
'हुउऊुुुउउंम्म......."

नीलू और भी कुछ कहना चाहती थी, पर हिम्मत नही जुटा पा रही थी
"रश्मि..."..............नीलू ने हलकीसी आवाज़ मे पुकारा
"क्या हैं..?"
"मैने भाय्या भाभी को तो नही देखा था .......मगर."
रश्मि के कान एकदम खड़े हो गये, आँखे चमक उठी.
"मगर क्या ....साफ साफ बोल ना"
"तू किसी से कुछ कहोगी तो नही"............नीलू ने डरते,हिचकते पूछा
"पागल हो गयी हो....!मैने आज तक,हमारे मेरे बीच जो भी बाते हुई हैं क्या किसिको बताई हैं"
"मैने....मैने...एक बार ब्लू फिल्म देखी थी,चोरी से,अचानक ही"........नीलू अभी भी हिचकिचा रही थी
"क्या......!!!!!!!!!!!!!!..... तूने ये बात मुझसे छुपाके रखी,अपनी पक्की सहेली से..!मैं तो समझ ती थी तेरे मेरे बीच कुछ भी छुपा नही हैं."

नीलू खामोश रही

"कब देखी थी, कहा और कैसे देखी थी".........रश्मि अब फिरसे उत्तेजित हो रही थी. ब्लू फिल्म्स के बारे मे उसने भी सुन रखा था,देखना भी चाहती थी, सिर्फ़ जिगयसा वश.

एक बार जब घर मे कोई नही था, मैने भाय्या के कमरे से एक सीडी उठा लाई थी,मुझे लगा था वो कोई कॉंमान हिन्दी फिल्म की होगी,उसपर कोई कवर भी नही था,..........लेकिन जैसे ही मैने सीडी प्लेयर मे डाली...........उसमे एकदम नंगी लड़किया और लड़के थे,एक बार मैने सोचा सीडी निकाल कर वापिस भाय्या के कमरे मे रख दू, ..........लेकिन वो ...वो..मुझे उत्सुकता हो रही थी एस लिए पूरी देख ली.
नीलू ने एक सांस मे पूरी बात कह डाली, बात करते करते ही उसकी साँसे तेज़ चलने लगी थी............जैसे वो खुद उस फिल्म की हेरोइन थी

"अब कहा हैं वो सीडी'..........रश्मि एक्शितमेंट की हद पर कर रही थी.
"मेरे पास ही हैं"
"क्या अभी भी तेरे पास ही हैं..?' रश्मि के आँखोकी चमक फिर बढ़ने लगी.
"हाँ बाद मे रख दूँगी, सोच कर मैने अपने पास ही रख ली"

"मूज़े भी देखनी हैं"..........रश्मि की आवाज़ थरथरा रही थी, उत्तेजना से जिस्म कांप रहा था.

"कल दोपहर को मेरे बेडरूम मे देखेंगे,उस वक़्त घर पर कोई नही होता"

तभी नीलू की कार उसे लेने आगयइ,दोनो ही कार पे सवार हो गयी,
दोनो ही खामोश थी,दोनो का मन कल आने वाले आनंद की कल्पना से मस्त,मस्त हो रहा था

रश्मि जब घर पहुचि, तब भी वो अपने आप मे नही थी.
बात सिर्फ़ ये नही थी के नीलू की बतो ने उसे आंदोलित कर दिया था, बात कुछ और भी थी, अगर नीलू ने ब्लू फिल्म देखने की बात उससे छुपाई थी,तो उसने भी एक बात नीलू से छुपाई थी............एक बहुत ही बड़ी बात...!

रश्मि कुवारि नही थी....! वो पहले ही चुद चुकी थी....! उसकी सील टूट चुकी थी......और यही वजह थी की सेक्स, रोमॅन्स की बात निकलते ही वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी........उसने वो वर्जित फल खाया था, जिसे खाने की उसे मनाही थी,शादी होने तक.

लेकिन वो तो खा चुकी थी,चख चुकी थी,मज़ा लूट चुकी थी.........अपने राज अंकल से.

रश्मि घर मे पहुचते ही सीधी घुस गयी बाथरूम मे,फ्रेश होने के लिए,....गीली पॅंटी बदल ने के लिए..........बाथरूम से निकल कर वो सीधी अपने बेड रूम मे पहुचि, स्कूल की ड्रेस बदल कर उसने एक ढीला सा गॉन पहन लिया,और बेड पर लेट गयी.....नीलू की बातो ने उसे उत्तेजित कर दिया था, जिन भावनाओ को उसने बड़े मुश्किल से काबू मे रखा, था वोही भावनाए अब उस पर हावी होनी लगी थी, अपनी पहली चुदाई की यादे ताज़ा होने लगी थी...........अपने आप उसका एक हाथ उसकी कमसिन,मगर टाइट चुचियो को सहलाने लगा.......और दूसरा हाथ पनटी मे राहत तलाश रहा था.

राज अंकल, तकरीबन साल भर पहले तक उनके पड़ोसी थे,....35 साल की उमरा मे भी किसी 25,26 साल के नौजवानो जैसे दिखाते थे, रश्मि को हमेशा अचरज होता था, की उनके फॅमिली मे , उसके साथ वो यू घुलमिल गये थे, जैसे उनके परिवार का एक हिस्सा हो, उनकी पत्नी, शीतल, सिर्फ़ नाम की शीतल थी,वास्तव मे बड़ी चिड़चिड़ी और खुंदकि थी, सबका ध्यान अपने तरफ आकर्षित करने की कोशिश मे लगी रहती, (हमेशा कोई ना कोई बीमारी का बहाना बना कर,) वैसे उन्हे एक बेटा भी था जो राज अंकल के मॅमी,दादी के साथ रहता था.रश्मि के दिमाग़ मे हमेशा ये बात कुलबुलाती रहती की एटने अच्छे अंकल को ऐसी नकचाढ़ि पत्नी कैसी मिली. राज अंकल उसे हमेशा पढ़ाई मे मदद करते, उसे इंग्लीश स्पीकिंग की तैय्यारि कराते. कुलमिलाकर उसे और उसकी फॅमिली को राज अंकल बेहद पसंद थे

लेकिन कुछ बाते ऐसी भी थी जिसका मतलब रश्मि उस वक़्त नही समझ ती थी,राज अंकल जब भी उससे बात करते थे,उनकी नज़रे हमेशा उसकी विकसित हो रही ककचे आमो की भाती चुचियो पर टिकी रहती,थी बात करते समय वो हमेशा उसकी पीठ पर हाथ फेरते थे, गालो पे चुटकी भरते थे, हाथ फेरते थे,कभी कभी अंजाने (..?) मे वो उसकी गुदाज मांसल जंघाओ पर हाथ रखते थे, तो रश्मि के टाँगो के बीच गीलापन महसूस होता था, लेकिन वो उनका विरोध नही करती थी,क्यो की वो तो "बेचारे" राज अंकल थे...............और उसे पता नही क्यो अछा भी लगता था.

एक दिन जब वो स्कूल से वापस आई, तो उसे पता लगा की शीतल आंटी हमेशा की तरह बीमार हो गयी हैं, अंकल उन्हे हॉस्पिटल मे भरती करने गये हैं
शाम को जब अंकल वापस आए तो रश्मि दौड़ कर उनके फ्लॅट पर पहुचि, तो देखा राज अंकल सिर्फ़ बरमूडा पहने सोफे पर बैठे थे,उनके हाथ मे एक ग्लास था जिसमे कोई लाल रंग का तरल पदार्थ था

"आंटी को क्या हुआ अंकल".............रश्मि ने धदाम से सोफे पर बैठते हुए पूछा.
'कुछ नही याआआआर वोही हमेश का नाटक".......अंकल उदास स्वर मे बोले..........वो छोड़ तू बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही हैं.
कुछ प्राब्लम आपको पूछनी थी........पर".......रश्मि अंकल का उखाड़ा हुआ मूड देखा कर हिचक रही थी
"पर क्या.......?"....अंकल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा........हमेशा की तरह
"आंटी बीमार हैं तो मैने सोचा"
"छोड़ इस बात को तू जानती हैं, उसकी बीमारी के बारे मे"...........अंकल का हाथ उसके ब्रा स्ट्रेप्स पर रुक गया.....( हाँ रश्मि 9थ स्ट्ड से ही ब्रा पहनने लगी थी, सवाल उसकी चुचियो को सम्हल ने का नही था, पर उसके निपल दिख जाते थे,पतली शर्ट से)
रश्मि आज कुछ अजग सा महसूस कर रही थी

"रश्मि......एक बात कहु,तुम बुरा तो नही मनोगी"
"नही अंकल.......मैं आपकी किसी बात का बुरा नही मानूँगी"............रश्मि को राज अंकल बहोत आछे लगते थे.
अंकल का हाथ अब पीठ पर रश्मि के ब्रा स्ट्रेप से खेल रहा था,और दूसरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम जाँघो पर फिर रहा था.
रश्मि सांस अब भारी हो रही थी

'अंकल आप कुछ कह रहे थे"...............रश्मि ने जैसे तैसे पूछा.
"अगर तुम और थोड़ी बड़ी होती........... उउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म 25,26 साल की होती तो मैं तुमसे शादी कर लेता..........अंकल का हाथ जंघाओ पे कस गया
रश्मि नादान थी,कमसिन थी, नासमझ थी, कक़ची उमरा की काली थी, लेकिन उमरा के ऐसे मोड़ पर थी, जहाँ मर्द का स्पर्श दीवाना बना देता हैं वो समझ ही नही पाई की जो आज सिर्फ़ 15 साल की हैं,वो थोड़ी सी बड़ी 25,26 साल की कैसे हो सकती हैं. लेकिन एतनि भी छोटी नही थी की कुछ भी ना समझ पाए

"ये ..ये आप क्या कह रहे हैं अंकल"................रश्मि महसूस कर रही थी की अंकल का हाथ अब धीरे धीरे स्कर्ट के उन्दर पहुँच रहा है,.....उसकी कोमल जंघाओ पर दीपक अंकल के मर्दाने हाथ का स्पर्श, उसके होश उड़ाए जा रहा था.
"तुम मुझे बहोट अच्छी लगती हो रश्मि".......दीपक अंकल का हाथ पीठ पर से फिसल ता हुआ, बगलो से गुज़रता हुआ, चुचियो तक पहुच गया था, दूसरा हाथ जंघाओ के अंदर अपना सफ़र तय कर रहा था पॅंटी की तरफ, और अंकल के होंठ रश्मि के गुलाबी गालो को लाल बनाए के लिए हल्के से छू रहे थे.

दीपक अंकल द्वारा ये ट्रिपल अटॅक, रश्मि के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया. कची काली पूरी तरह से खिलाने को बेताब हो गयी.
उसने अपना चेहरा घुमाया, और, पतले,गुलाबी,अधखुले, थरथरते होत अंकल के होठ पर गाड़ दिए
अपने प्यारे दीपक अंकल के होठ पर
जो उसे अपनी बीवी बनाना चाहते थे
अगर वो सिर्फ़ 25,26 साल की होती तो.......!

रश्मि का मन डोलेमान था,तराजू के दो पलड़ो मे झूल रहा था,एक पलड़े
मे था उसका मन, उसका कॉशन,तो दूसरे पलड़े मे था उसका,नाज़ुक,कमसिन,बदन, जो 16 वे साल की दहलीज पर खड़ा था..........उसका मॅन उसे रोक रहा था,ये सब करने के लिए,............और तन चाह रहा था और कुछ पाना, सूब कुछ पाना, मर्द का स्पर्श उसे उकसा रहा था, अपन सूब कुछ नौछावर करने के लिए.
मन कह रहा था......रश्मि ये ठीक नही हैं,ग़लत है,.......ग़लत वक़्त पर ,ग़लत उम्र मे, ग़लत बात हैं,इसे रोको,.................उधर तन कह रहा था .............रश्मि इसमे बहुत मज़ा है,स्वर्ग का सुख हैं, ये सभी करते हैं..............तन और मन की इस कशमा काश मे जीत आख़िर तन की हुई.........जैसा हमेशा होता हैं

रश्मि अपना आपा खो कर अपने राज अंकल से लिपट गयी, किसी बेली की तराहा,जो हमेशा पेड़ से लिपटी रहती हैं..........उसके नाज़ुक हॉट राज के हॉट से मसले जा रहे थे...........अत्यधिक उत्तेजना से आँखे बंद थी........राज का हाथ उसके रेशमी जांगज्ाओ से उपर सरकने की कोशिश मे बार बार फिसल जाता........एतनि मुलायम जाँघ........उउउफ़फ्फ़

"रश्मि...."............राज का हाथ अब उसकी भारी भारी, सख़्त,लेकिन तनी हुई चुचि पर था.......उसने चुचि को हल्के से दबाया

"उउउउउउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्न्न......" रश्मि के होत दीपक के होटो की जुदाई सह नही पाए,उपर से चुचियो पर हमला हो रहा था, वो कसमसाई.

"क्या मैं तुम्हे अछा लगता हू"...........काफ़ी कोशिशो के बाद राज का हाथ रश्मि की पनटी पर पहुच गया,जब पहुच गया तो फिर वही रुक गया, उसकी उंगलिया रश्मि की बंद चूत की दरवाजे पे दस्तक देने लगी
"हाँ....अंकल आप बहुत अकचे हैं"..........चूत पे पड़ने वाली दस्तक ने रश्मि के पूरे शरीर मे आग लगा दी थी, जिसे वो ना बर्दाश्त कर सकती थी, ना,ही बुझा सकती थी..........सिर्फ़ तड़प सकती थी.....उसने टाँगे फैला दी,अंजाने मे.

" क्या मैं तुम्हे जी भर के प्यार कर सकता हू"........चुचियो पर दबाव बढ़ता जा रहा था, राज अब खुलके चुचियो को मसल रहा था, कभी दाई,कभी बाई........रश्मि अब बेकाबू हो रही थी, अछा,बुरा कुछ भी समझ ने की स्थिति मे नही थी.......अब उसे सिर्फ़ आग बुझानी थी, जो उसके पूरे शरीर को जला रही थी.
"हाँ..हाँ..अंकल कीजिए ना....बहुत प्यार कीजिए'.......आआअहह,.. आआहह......उसकी तड़प बढ़ती ही जा रही थी...........चूत गीली हो गयी थी........लेकिन ये गीलापन आग बुझाने के लिए काफ़ी नही था.
अब राज ने सीधी चोट करने की सोची, उसने उसे अपने बाहो मे कस लिया, रश्मि के होटो को एक बार फिर मसल दिया अपने होटो से........फिर उसे पूछा
"रस्मी तुम शरमाओगी तो नही........अगर मैं तुम्हा ये टॉप उतार दू...?"
पहले ही वासना की आग मे जलती, बदहवास हो चुकी,सही ग़लत का फ़र्क भूल चुकी रस्मी ने अपने 'प्यारे' राज अंकल को जवाब दिया..............खुद ही अपना टॉप उतार कर...!

राज ने अब देर नही की,दोपहर का वक़्त था, दोनो के ही फ्लॅट मे कोई नही था, और रश्मि भी बेहद गर्म हो चुकी थी, तड़प रही थी, मचल रही थी,.............उसने रश्मि को अपने हाथो मे उठा लिया, बड़ी ही सावधानी से,...आख़िर कच्ची कली थी, नज़ाकत ज़रूर थी.

बेडरूम मे पहुच ते ही राज ने रश्मि को बिस्तर पर लिटा दिया,उसकी आँखे बंद थी,....मस्ती से.....राज ने अपने सारे कपड़े उतार दिए,सिर्फ़ अंडरवेर छोड़ के,
क्यो की वो इस नाज़ुक कली को डराना नही चाहता था,....वक़्त से पहले..!
"रश्मि ...!"
"ऊऊन्न्न्न्न्न्न्ह"
"क्या तुहमे पता है तुम कितनी खूब सूरत हो"..........राज के हाथ स्कर्ट नीचे करने मे जुटे थे.नज़रे ब्रा मैं क़ैद उन यौवन उभरो का जायज़ा ले रही थी, जो अब गहरी सांसो के साथ उठ बैठ रहे थे.
"न्न्नन्नन्न्न...नही..आआहह"..... रश्मि की कामुक सास्कारिया बढ़ने लगी थी.......स्क्रिट अब उतर चुका था..........राज पगला गया उस अनचुई कली को देख कर.......सिर्फ़ ब्रा, पनटी मे, जन्नत की हूर लग रही थी.......मासूम खूबसूरत चेहरा,सुतवा नाक, गुलाब की पंखुड़ी समान होठ, सुरहिदार गर्दन,उनके नीचे बसी यौवन घटिया,सीधी तनी हुई,नुकीली,........पतली,घटदार कमर,कमर के नीचे दो लंबी पतली टॅंगो के बीच वो जन्नत का द्वार....राज मंत्रमुग्धा हो कर उसे देख रहा था, जैसे वो एक शापित अप्सरा थी और अपने उद्धार होने का इंतज़ार कर रही थी.

राज उसके पास लेट गया, उसे अपनी मजबूत बाहो मे भरकर, उसके कानो मे कहा "तुम बहुत सुंदर हो,बहुत ही खूबसूरत हो".......और वो रश्मि के जिस्म का हर हिस्सा चूमने लगा, चाटने लगा, सहलाने लगा,मसालने लगा,............रश्मि भी पूरे जोशो ख़रोश से रेस्पोन्से देने लगी,अपने प्यारे राज अंकल की बाहो मे समाए जा रही थी.........राज के हाथो ने अब रश्मि के बाकी बचे कपड़ो को उतार दिया और अपने भी.............रश्मि की आँखे अभी भी बंद थी,.....उत्तेजना से, शर्म से..........लेकिन वो इश्स आनंद दाई मज़े से उबरना भी चाहती थी.

वासना का ज्वर बढ़ता ही जा रहा था,रश्मि की चुचिया मसली जा रही थी, राज के तजुर्बेकार हाथ उसके शरीर को जैसे वीना की तरह छेड़ रहे थे, रश्मि के मूह से करहो का ,सिसकारी यो का, मधुर संगीत गूँज रहा था.आनंद की लहरो पर सवार वो आसमान मे उड़ रही थी.

राज उसकी कमसिन चूत को देख कर एक बार सोच मे पड़ गया.......क्या ये सह पाएगी उसके मेट्यूर्ड,तगड़े लंड को..?..........लेकिन ये सोच कुछ ही पल टिकी....उसने धीरे धीरे रश्मि को कली से फूल बनाने की राह पर डाल दिया......प्यार से, सहलाते हुए, चुचियो को चुसते हुए.......वो उसकी टॅंगो के बीच मे आया ............रश्मि समझ रही थी अब क्या होने वाला हैं .....एक पल के लिए ही सही उसका मन जाग उठा, लेकिन तूरंत वासना ने उसपर काबू पा लिया .........अब वो हमला झेलने के लिए तैय्यार थी...........राज के शुरुआती हलके झटके,कुछ मसलन,कुछ चूमा चाटि के बीच लंड आधा अंडर घुस गया ,.......आनंद और दर्द के लहरो पर झुअलते हुए रश्मि ने सब सहन कर किया.........चूत का बहता हुआ रस लूबराइकंट का काम कर रहा था...........आख़िर मे लंड ने चूत पर फ़तह हासिल कर ही ली..............अब तो आनंद ही आनंद था, मज़ा ही मज़ा था, नशा ही नशा था...........रश्मि समझो बादलो पर उड़ रही थी...........राज का लंड अब पिस्टन की तरह आ जा रहा था .

और वो वक़्त भी आया लंड की तेज बौछार ने रश्मि के अंदर भड़की आग को बुझा दिया.
कली अब खिल कर फूल बन गयी थी
दोनो निढाल हो कर काफ़ी देर वैसे ही पड़े रहे, एक दूसरे की बाहो मे.

"रश्मि.....!" मा की आवाज़ सुनते ही, रश्मि अपने राज अंकल के ख्वाबो से निकल कर वास्तविक दुनिया मे आई.उसने तुरंत पनटी मे से हाथ निकाल लिया राज के साथ बिताए रंगीन पॅलो ने उसकी चूत को पनटी मे ही रुला दिया था. वो उठ कर बाथ रूम की तरफ भागी.
"मैं बाथरूम मे हू मम्मी...!"........बाथरूम मे घुसते ही वो चिल्ला कर मम्मी को बोली.........अपनी पहली चुदाई के बाद,वो राज से काफ़ी खुल गयी थी,लेकिन राज एक सुलझे हुए व्यक्तित्वा का मालिक था, वो जानता था, कच्ची उम्र मे मिला सेक्स का अनुभव रश्मि को बहका सकता था. उस दिन तो वो अपनी बीवी के कारण फ्रसटेटेड था,और रश्मि की खिलती हुई जवानी ने उसके उंड़र छिपी हुई वासना को जगा दिया था,रश्मि तो थी ही अल्हड़,वो भी बहक गयी,लेकिन बाद मे दोनो को ही अहसास हुआ, अपनी ग़लती का........रश्मि अभी भी राज के ही ख़यालो मे डूबी हुई थी...............उस घटना के बाद राज ने उसे समझाया था, जो भी हुआ था एक, अचानक आया तूफान था,जिसमे वो दोनो ही लापेट मे आ गये थे.अपना काबू खो दिया,लेकिन अब आगे उःने अपने आप पर काबू रखना होगा,................राज तो मेट्यूर्ड था,वो बात की नज़ाकत को समझ सकता था, लेकिन रश्मि............उसकी उम्र, नादान थी.........और ग़लत वक़्त पे ग़लत फल खा चुकी थी,..........तीर छूट चुका था, आग लग चुकी थी................लेकिन तभी राज का ट्रान्स्फर हो गया, दूसरे शहर मे........बहुत दूर.

बाथरूम मे अपने गीली पनटी और चूत को साफ कर चुकी रश्मि ने एक आआह सी भारी राज की याद मे............राज के जाने बाद, रश्मि की भी हिम्मत नही हुए किसी और से संबंध बनाने की..........कई बाते थी, बदनामी का डर तो त ही,लेकिन राज उसे अछा लगता था,उसके प्रति एक सॉफ्ट कॉर्नर था, उसकी बीवी की वजह से,..............वैसा किसी और के लिए दिल धड़क नही सका था............धीरे धीरे रश्मि सामानया हो गयी.
लेकिन आज नीलू की बातो ने उसकी सोई हुई सेक्स की भावनाओ को जगा दिया था...........उसे एक बेचैनी सी महसूस होने लगी...........पूरे शरीर मे सनसनी फैल रही थी..........पहला सेक्स का अनुभव उस पर हावी हो रहा था.........अब उसे वो सब चाहिए था.........वो मसलाना, सहलाना........होत को चूसना काटना........सबसे ज़्यादा उसे चाहिए था वो मीठा सा,...हसीन सा दर्द.......जो उसे उसकी टाँगे फैला कर, चूत के होठ खोलकर, उसके अधपके अनारो को दबाते दबाते. अंदर बाहर होने वाला लंड देता था........... हहययययई..एक सिसकारी निकल गयी.

"क्या हुआ बेटी.....".......उसकी सिसकारी सुनकर मम्मी ने पूछा.
" कुछ नही मम्मी.......बस पैर थोड़ा फिसल गया ...."...................... सचमुच पैर फिसल ही तो गया था उसका
अभी और फिसल ने वाला था..........वो गिरने वाली थी.....पता नही.......कहा तक...कब तक.

उधर नीलू जब अपने घर पहुचि, तो उसने पाया रिंकू उसके घर से बाहर निकल रही थी.
रिंकू एक बहुत बड़े घर की बिगड़ी हुई,आय्याश किस्म की लड़की थी, जो नीलू और रश्मि से एक साल सीनियर थी, हमेशा बाय्फरेंड्स बदलते रहती, शहर के नाइट लाइफ की जानी मानी हस्ती थी,........कपड़ो की तो उसे एयिलर्जी थी........जितने पहनना ज़रूरी हो, उतने भी बड़ी मुश्किल से पहन ती थी........कपड़े उतारने की कॉंपिटिशन लगाई जाए, तो रिंकू के जीतने की गॅरेंटी थी.........नीलू ने सुन रखा था की रिंकू ड्रग्स भी लेती हैं...........!.
ये लड़की मेरे यहा क्या कर रही हैं........?

"हे डार्लिंग........मैं तुमसे ही मिलने आई थी..."..........रिंकू ने चहकते हुए कहा.......खीच कर ज़बरदस्ती नीलू को बाहो मे भर लिया, और उसके गालो पर एक किस जड़ दिया............ये था रिंकू का लड़कियो से मिलने का तरीका..........अब लड़को से कैसे मिलती होगी.........?.......जस्ट इमॅजिन.

'क्या बात आज मेरी याद कैसी आई...?'.........नीलू को पता था ये नकचा
ढ़ि लड़की, उसकी और रश्मि की दोस्ती से जलती हैं.
'आज मैने एक पार्टी रखी हैं,सभी दोस्त आएँगे. तुम्हे भी इन्वाइट करने आई हू......और हाँ रश्मि को भी साथ ले आना, मैं उसे फोन कर दूँगी"
"किस खुशी मैं पार्टी हो रही हैं....?............नीलू ने उत्सुकता वॉश पूछा.
"मेरी जान पार्टी के लिए कोई बहाना चाहिए क्या....?...सोचा दोस्तो के साथ थोड़ी मस्ती की जाए...तुम ज़रूर आना, और रश्मि को भी याद से लाना.......शाम 7.30 मेरे घर पर..........ओक, मैं चलती हू."
रिंकू जैसे आँधी की तरह आई और तूफान की अत्रह चली गयी
नीलू सोच मे डूबी हुई सोचने लगी..........उसे पार्टी मे जाना चाहिए या नही............रश्मि से बात करके देखूँगी.....नीलू ने सोचा
नीलू खुद एक आमिर परिवार से ताल्लुक रखती थी, पार्टिया उसके लिए नयी नही थी. लेकिन रिंकू के घर पार्टी का मतलब था, मौज मस्ती, डॅन्स और बहुत कुछ.
नीलू और रिंकू के परिवार काफ़ी मिले हुए थे, बज़ाइनेस रिलेशन्स की वजह से इश्स लिए घर मनाही की कोई वजह भी नही थी.
और वैसे भी नीलू के घरवालो को इश्स बात से लो मतलब नही था की उनकी जवान बेटी क्या करती हैं , कहा जाती हैं.............वो तो बस अपने बज़ाइनेस मीटिंग,टूर्स, पारटइयो मे मसरूफ़ थे.
नीलू ने रश्मि को फोन लगाया.
"हे रश्मि.......क्या कर रही हो...?"
"कुछ खास नही,....तुम बताओ कैसे फोन किया...?.............रश्मि अपना बाथरूम एपिसोड ख़त्म करके टीवी के सामने बैठी थी.
"अभी अभी रिंकू आई थी,मेरे यहा..........आज शाम उसने पार्टी रखी हैं, अपने दोस्तो के साथ,हमे भी बुलाया हैं,......बहुत फोर्स कर रही थी....."...........नीलू ने एक ही बार मे पूरी बात बता दी
"हमे से मतलब......".......रश्मि जानती थी रिंकू सिर्फ़ अपने लेवेल के लोगो से ही संबंध रखती थी.
"अरे वो तुम्हे लाने को कह रही थी........बहुत ज़ोर दे कर."
रश्मि भी रिंकू की पेरटियो के बारे मे जानती थी..........नीलू ही बताया करती थी, और उत्सुकता वा एक बार ऐसी पार्टी मे जाना भी चाहती थी
"यार लेकिन....वो बहुत आमिर हैं, मैं उस माहौल मे ओल्ड लगूंगी"
"तू चिंता मत कर........मैं हू ना तेरे साथ"
"फिर मेरे घर वाले भी नही मानेंगे".............रश्मि की बात सही थी
"वो सब तू मुझ पे छोड़ दे, मैं मना लूँगी तेरे मम्मी पापा को"
"ठीक हैं, अगर तू पर्मिशन निकाल लेगी, तो मुझे कोई ऐतराज़ नही"
"तो फिर मैं तुम्हे लेने आऊँगी,शाम को.......7.30 बजे, तैय्यर रहना."..............कहकर नीलू ने फोन काट दिया

रश्मि मान ही मन उधेड़बुन मे फासी हुई थी,...पार्टी का अट्रॅक्षन भी था,और थोड़ा डर भी........वाहा क्या होगा...?

जो होगा देखा जाएगा............सिर को झटका दे कर, दिमाग़ मे चल रही उधेड़बुन को झटक दिया.

रश्मि और नीलू जब रिंकू के घर पहुचि, तो 8.00 बाज चुके थे, कॉंपाउंड मे कई आलीशान गाडिया खड़ी थी, जो साबित करती थी समाज की 'क्रीम' वाहा मौजूद थी.रश्मि और नीलू ने बंगलो मे प्रवेश किया, वेहा उन्हे बताया गया, की पार्टी पिछे लॉन मे चल रही हैं

रश्मि ब्लू डेनिम जीन्स पर ब्लॅक स्लीवलेशस टॉप पहने हुए थी, जिसमे उसके सभी अंग उभरकर दिख रहे थे, भारी भारी कातिल चुचिया, सुघड़ कमर, चलते वक़्त देखने वालो की धड़कने तेज़ करने वाले कूल्हे, सब कुछ उसकी 5'4" की हिगत के अनुपात मे ढले थे. नीलू बड़े घर की थी, सो उसका ड्रेस भी उसके 'लेवेल का था, वो शॉर्ट स्कर्ट पे खुले गले का टॉप पहने हुए थी, लो कट टॉप से उसकी चुचियो का नज़ारा देखा जा सकता था, जो किसी के भी मूह से लार टपका सकता था, हाइ हील्स की जूती,चलते वक़्त उसके कुल्हो मे जो थिरकन पैदा करते थे, वो दिलो को आंदोलित करने के लिए काफ़ी थे

दोनो जैसे ही पार्टी मे दाखिल हुए, रिंकू तेज़ीसे उनकी तरफ दौड़ी चली आई, जैसे वो दोनो कोई बड़ी हस्तिया हो और पार्टी मे उन्ही का इंतज़ार हो रहा हो.
"वेलकम.....डार्लिंग,..... वेलकम रश्मि, तुम्हे देखा कर मूज़े खुशी हुई, मुझे डर था तुम आओगी भी या नही..........आओ मेरे साथ.....लेट्स एंजाय दा नाइट"..........रिंकू के इश्स वॉर्म वेलकम ने रश्मि के दिल मे बसी हिचक को दूर कर दिया.............( लेकिन उस बेचारी को क्या पता था, रिंकू के इश्स "वॉर्म" वेलकम पीछे क्या था)
वो उन दोनो के हाथ पकड़ कर अपने खास ग्रूप के पास ले आई

"फ्रेंड्स प्लीज़ मीट & वेलकम और स्पेशल गेस्ट टुडे, ये नीलू हैं, और ये रश्मि, और स्वीट एंजल्ज़............और ये मेरे ख़ास्स दोस्त हैं....ये हैं रोमी, ये लकी, ये मॉंटी, ये रूचि, ये प्रिया.........".........रिंकू उन दोनो को ही बड़ी स्पेशल ट्रीटमेंट दे रही थी, उसकी आँखे एक ख़ास्स अंदाज मे चमक रही थी.
सब ने एक दूसरे से ही,हाला की............वैसे तो पार्टी मे मौजूद सभी की ( ख़ास्स तौर से लड़को की ) नज़ारे उन्ही पर टिकी हुई थी.......नया माल देख कर सभी के मन मे एक ही सवाल था............. 'मेरा नुंबर कब आएगा"
रिंकू के ख़ास्स दोस्त रोमी, लकी, और मॉंटी उन दोनो को ऐसे घूर रहे थे जैसे कसाई बकरे को घुरता हैं ये सोचते हुए की इसे काटने पर कितना माँस निकलेगा

रश्मि उस माहौल मे कुछ बेचैन सी होने लगी, उसे कुछ बुरा होने की आशंका होने लगी.........जबकि नीलू नॉर्मल थी, ये बात नही की नीलू हमेशा ऐसी पार्टियो मे जाती थी......लेकिन जानती थी, ये पार्टिया ऐसे ही होती हैं. रश्मि के चेहरे पर छाए चिंता के भाव को रिंकू की एक्सपर्ट नॅज़ारो ने ताड़ लिया, उसने आँखो से एशारा किया......तुरंत एक वेट्रेस ट्रे मे ड्रिंक्स ले आई
" अरे रश्मि, नीलू तुमने अभी तक कुछ लिया नही, हे बेबी...डोंट बे शे याअर.......लेट्स एंजाय......हॅव सम ड्रिंक".......रिंकू अपने स्पेशल गेस्ट को 'एंटरटेन कर रही थी.
"मैं शराब नही पीती...".......रश्मि
"माइ लोवे,.. ये शराब नही हैं.......वाइन हैं...इसे "बच्चे" भी पीते हैं"........रिंकू ने बच्चे शब्द पर ज़्यादा ज़ोर दिया......शायद रश्मि को टीज़ करना चाहती थी.
" हे रश्मि... ले लो यार,...हमारी दोस्ती के नाम"...........रोमी ने अपनी उस दोस्ती का वास्ता दिया जो अभी हुई ही नही थी, सिर्फ़ पहचान हुई थी.
रश्मि कुछ देर सोचती रही......पर नीलू ने भी कहा की पार्टी मे सॉफ्ट ड्रिंक लेना, या कुछ भी ना लेना 'पार्टी मॅनर्स' के खिलाफ होता हैं, और फिर उसे घर वापस तो जाना ही नही हैं ( नीलू ने रश्मि के घर वालो को, रश्मि को एक रत के लिए अपने घर पर ले जाने की इजाज़त माँगी थी........ग्रूप स्टडी के लिए..!) तब रश्मि ने एक ग्लास उठाया, और एक नीलू ने. एक हल्कसा घूँट भरा.......टेस्ट बुरी नही थी.......रश्मि और नीलू के घूँट भरते ही सबकी आँखोमे मे वही चमक आई....कसाई वाली.

"चियर्स...........!!!!!!!!!".. ......सभी एक साथ चिल्ला उठे.
पार्टी अब पूरे यौवन पर थी.पार्टी मे दिल बहलाने के लिए ख़ास्स तौर से कुछ लड़कियो को लाया गया था मोटी कीमत चुकाकर, उन्हे सिर्फ़ यही करना था, की उन्हे कुछ भी नही करना था, उन्हे तो बस करने देना था, जो चाहे, जैसे चाहे, जहा चाहे उनके शरीर से खेल सकता, जो चाहे वो कर सकता था, और उन लड़कियो को कोई आपत्ति नही थी.............वाइन से शुरू हुआ ड्रिंक का दौर अब स्कॉच पर पहुच गया था........हसी मज़ाक की जगह अब कामुक हर्कतो ने ले ली थी, लड़को के हाथ अब लड़कियो के बदन पर फिसल रहे थे, लड़कियो की कामुक सिसकारियो से पार्टी का माहौल गरमा रहा था.
और इस बदलते माहौल को रश्मि भी नोट कर चुकी थी, महसूस कर रही थी, एक बार लंड का स्वाद चख चुकी, उसकी चूत, अब उत्तेजित हो कर सिसक रही थी, पनटी मे गीला पन बढ़ने लगा था.
यही हाल नीलू का भी था, हलकी अब तक उसकी चूत कोरी थी, पर अनुकूल माहौल के चलते उसने भी, रोना शुरू कर दिया था, अब नीलू की पनटी भी गीली हो रही थी

नीलू और रश्मि एक सोफे पर बैठी हुई, पार्टी मे हर तरफ नज़ारे घुमा रहै थी. दोनो के हाथ मे वही पहले वाला वाइन का ग्लास था, जो लगभग ख़तम होने को था........पार्टी की रंगिनिया बढ़ती ही जा रही थी, ड्ज की धुन पर तिरकते जोड़े, डॅन्स कम और कामुक हरकते जाड़ा कर रहे थे. एक तो वाइन का असर, उपर से ये रंगीन माहौल.......उूउउफफफ्फ़.....रश्मि बेचैनी से बार बार पहलू बदल रही थी.........तभी
"मे आइ डॅन्स विथ यू.........?"........
दो आवाज़े एक साथ आई, पूछने वेल रोमी और मॉंटी थे.....कौन किसे पूछ रहा था, पता नही चला.
दोनो ने ही कुछ पल के लिए सोचा.......दोनो ही उत्तेजित हो चुकी थी,कुछ वाइन का सुरूर, कुछ पार्टी के महुअल का असर,.......रश्मि फिर हुछ हिचकिचा रही थी,उसे एक अंजना एहसास बेचैन कर रहा था.
"कम ऑन रश्मि....शरमाने की ज़रूरत नही, ये सिर्फ़ डॅन्स के लिए ही तो कह रहा हैं"................रिंकू ने आग को हवा दी.
दोनो ही उठा खड़ी हुई ..........रश्मि ने मॉंटी के अपने तरफ बढ़े हुए हाथ मे अपना हाथ दिया, तो नीलू ने रोमी के हाथ मे.......मॉंटी रश्मि को लेकर डॅन्स फ्लोर की तरफ बढ़ा, एक हाथ रश्मि की घटदार कमर पर तो दूसरा हाथ उसके कंधे पर था,.......डॅन्स तो एक बहाना था झेंप मिटाने का,शर्म कम करने का.........मकसद था लड़की को बहलाने का, गर्म करने का, फिर आराम से चोदने का....
और इसी प्लान पर काम कर रहे थे रोमी और उसके साथी.......जिनकी लीडर थी रिंकू. रोमी और उसके दोस्त कई दीनो से नीलू और रश्मि को चोदने के लिए, उनके कमसिन, मखमली, मुलायम जिस्म का मज़ा लूटने के लिए उतावले थे, लेकिन इंडीविसुअल तौर पर जब उन्हे कामयाबी नही मिली, तो उन्होने रिंकू की मदद ली.
और आज वो दिन आया था.......आज दोनो बालाए उनकी बहो मे थी......डॅन्स फ्लोर पर.....जिनके दिमाग़ पर वाइन की खुमारी थी, तो बदन पर सेक्स की........बहुत बार इंसान का दिल,दिमाग़ किसी बात को स्विकरत नही करता.......लेकिन जिस्म की डिमॅंड, उन सब पर हावी हो जाती हैं..........शराब के रसिया लोगो को पूछिए.......वो बताएँगे....उनका दिल मानता हैं, दिमाग़ मानता हैं की शराब बुरी चीज़ हैं, लेकिन जिस्म नही मानता........उसे तो आदत पड़ चुकी होती हैं, शराब की.........ऐसे ही कुछ बात थी हमारी एन कमसिन, कच्ची उम्र की बाल्ओ के साथ.

रश्मि जो मॉंटी के साथ डॅन्स कर रही थी........मॉंटी के मर्डाने जिस्म की खुशबू उसे उत्तेजित कर रही थी, उपर से उसके बदन पर फिसलते हाथ........ओह्ह्माआआअ...... एक हाथ अब तक, जीन्स के उपर से कुल्हो को सहला रहा था,.....दूसरा हाथ चुचि पर कयामत ढा रहा था.......दिल कह रहा था, दिमाग़ वॉर्निंग दे रहा था, जो हो रहा हैं, ठीक नही हैं,......लेकिन जिस्म..?....वो तो और माँग रहा था......!

रश्मि ने एधर उधर देख......माहौल अब और ज़्यादा बदल चुका था......कई लड़कियो के कपड़े पहले से कम हो गये थे, जो लड़किया किराए पर बुलाई गयी थी, वो तो लगभग नंगी थी....कोई किसी का नही था.....वाहा थे तो सिर्फ़.......मर्द और औरत,.....सिर्फ़ माले और फीमेल....और सिर्फ़ एक ही रिश्ता था.....सेक्स का, संभोग का.

कोई किसी की चुचियो से खेल रहा था, तो कोई होठ को चूस रहा था.........कोई साथ वाली लड़की की चूत को सहला रहा था, तो कोई कुल्हो को...............पार्टी अब ऑर्जी की तरफ बढ़ रही थी.
अचानक रश्मि चिहुक उठी....कब मॉंटी का हाथ उसके टी-शर्ट के उंड़र घुसा,कब उसने उसकी चुचियो को मसलाना शुरू काइया, कब उसने अपनी उंगलियो मे उसके निपल्स दबाए........रश्मि को पताही नही चला
"क्या हुआ मेरी जान......तकलीफ़ हो रही हैं क्या".....मॉंटी ने बड़े ही अश्लील अंदाज़ मे कहा..........."डार्लिंग ज़रा अपनी उस सहेली को तो देखो, जिसकी तुम आज मेहमान हो.......देखो कैसे दो, दो को ले रही हैं.
रश्मि ने नज़ारे घुमा कर देखा........तो वो दंग रह गयी.....उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हो रहा था........रिंकू के कपड़े तो जिस्म पर मौजूद थे पर अपनी सही जगह पर नही थे........उसका टॉप उपर खिसक चुका था.....उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को दो लड़के चूस रहे थे ........रिंकू के चेहरे पर परमानंद के भाव थे, वो एंजाय कर रही थी........ उसकी स्कर्ट अपनी जगह पर नही थी..........कमर तक उपर उठ चुकी थी.........,उसके हाथ दोनो लड़को के पॅंट पर, उभरे हुए हिस्से को सहला रहे थे.

रश्मि अत्यधिक गरम हो चुकी थी, मॉंटी की आक्टिविटीस उसे तड़पा रही थी , सेक्स डर पर हावी होता जा रहा था.

रश्मि की चूत से एकदम बौछार सी होने लगी

नीलू की हालत भी रश्मि से जुड़ा नही थी. रोमी ने उसे पीछे से जाकड़ लिया था, हाथ टी-शर्ट के उंड़र थे, और नीलू के नाज़ुक,कमसिन चुचियो को आटे की तरह गूँथ रहे थे,नीलू ही ही कर रही थी,उत्तेजित हो रही थी, उसकी आँखे बंद थी...शायद उसे लगता हो,उसके आँख बंद करलेने से दुनिया भी नही देख पाएगी, उशाए साथ क्या हो रहा हैं. रोमी के होठ नीलू के गुलबो से भी नाज़ुक होटो को कुचल रहे, मसल रहे थे.

हर तरफ माहौल कामुक हो गया था, कोई अपने होश मे नही था,........कौन किसके साथ हैं इससे किसी को कोई लेना देना नही था, था तो सिर्फ़ तन की प्यास बुज़ाने से, अपनी खुजली मिटाने से,.......शराब की नादिया बह रही थी......जिस्म एक दूसरे से टकरा कर गरमी पैदा कर रहे थे.
कुछ जोड़े अब धीरे धीरे रिंकू के बुंगलोव मे गायब हो रहे थे.......अगली कार्यवाही के लिए..........सिर्फ़ कुछ ख़ास्स जोड़े.....सबको ये सुविधा हासिल नही थी

रश्मि अब वासना के तूफान मे पूरी तरह फस चुकी थी........वो मॉंटी का कोई विरोध नही कर रही थी, बल्कि साथ दे रही थी.......मॉंटी के पॅंट मे बढ़ता हुआ उसका पौरुष, उसके नितंबो पर ठुमके लगा रहा था.....रश्मि के अंदर की आग को भड़का रहा था.....उसकी चूत के होठ खुल, बंद हो रहे थे......मसले जा रहे निपल, चूसे जाने को तड़प रहे थे............और होठ, वो तड़प रहे थे, किसी और चीज़ के लिए, जो उनकी साइज़ से भी बड़ी हो, लंबी हो
"क्यो ना हम अंदर चल कर, एक दूसरे को अछी तरह जान ले,.......इन कपड़ो के बिना हम कैसे दिखते हैं, ये जानने की कोशिश करे".........मॉंटी रश्मि के कानो मे बुदबुडाया........रश्मि थर्रा उठी, शर्म से, कामुकता से, काँपने लगी.....मूह से बोल नही फुट रहे थे.
उसकी खामोशी को ही स्वीकृति मान कर, मॉंटी ने उसे उठा लिया, और चल पड़ा,.......एक ख़ास्स कमरे की तरफ......जहा से शुरू होने वाला था रश्मि की बर्बादी का सफ़र

तो भाई लोगो कहानी अभी बाकी है अगले पार्ट का इंतजार करे ओर अपनी राय ज़रूर दे
आपका दोस्त
राज शर्मा

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