राज शर्मा की कामुक कहानिया
कच्ची उम्र की कामुकता--2
रिंकू के बंग्लॉ के शानदार कमरे मे मॉंटी रश्मि को ले आया. आते ही उसे बेड पर लिटा दिया, रश्मि आँखे बंद थी, उसका अचेतन मन उसे सतर्क कर रहा था, लेकिन बदन मे लगी आग उसपर ज़्यादा हावी हो रही थी,........मॉंटी उसके पास बैठ गया, पहले उसके खूबसूरत चेहरे को देखता रहा, रश्मि के गुलाबी अधखुले होठ थरथरा रहे थे, मॉंटी की नज़र अब रश्मि की हर सांस के साथ उपर नीचे हो रही छातियो पर पड़ी.....पूरी तरह से पके हुए अनार के साइज़ की चुचिया उसे निमंत्रित कर रही थी, खेलने के लिए, चखने के लिए.......टॉप उपर खिच जाने से पेट नंगा हो गया था, खूबसूरत नाभि उसको पुकार रही थी,.....सुडौल लंबी टाँगे, उसके कमर पर कसने के लिए बेताब थी.......मॉंटी ज़्यादा देर तक देखता नही रहा पाया.......उसने फटाफट अपने कपड़े उतार फेके, और वो रश्मि के उपर झुक गया.
उसके होठ का स्पर्श अपने होठ पर होते ही रश्मि ने आँखे खोल दी, सिर्फ़ एक पल के लिए,....फिर बंद हो गयी,....शर्म से, या वासना से वो नही जानती थी, उसके हाथ अपने आप मॉंटी की पीठ पर कसते चले गये.........किसी भी बात पर कोई विरोध नही हो रहा था.......रश्मि को सहयोग करता पाकर, मॉंटी का जोश बढ़ गया...........मन ही मन रिंकू को धनयवाद दे रहा था.........उसकी बदौलत, ये कची कली आज उसे भोगने को, कुचलने को मिल रही थी, और वो भी पूरे सहयोग के साथ.
मॉंटी रश्मि के चेहरे पर हर जगह पर किस कर रहा था, चाट रहा था, उसके हाथ चुचियो से खेल रहे थे, धीरे से उसने रश्मि का टॉप उपर उठाया, गले तक, अब ब्लॅक ब्रा मे कसे पके अनार उसके सामने थे.....क्या नज़ारा था.......मॉंटी का लंड बेकाबू होने लगा, उसने ब्रा से झाँकाती चुचियो को चूमा, हल्केसे अपनी जीभ उसकी चुचियो पर घुमाने लगा.......रश्मि की कामुक सिसकारिया बढ़ने लगी,.वो अपने आप को कंट्रोल मे रखने के लिए,टाँगे कसने लगी........मॉंटी के सर को ज़ोर से अपनी कड़ी चुचियो पर दबाते हुए बड़बड़ाने लगी.....आहह..आहह...मॉंटी, चूसो और ज़ोर से चूसो....आ..अछा लग रहा हैं...मुझे प्यार करो, ....खूब प्यार करो....आअहह ..मेरे अंदर आग लगी हैं.....उसे बुझादो प्लीईआअसए.
अंधे को क्या चाहिए......मॉंटी को भी क्या चाहिए था......लेकिन अब उसके शैतानी दिमाग़ मे एक नया आइडिया आया...अब वो इस कमसिन कली को तड़पा, तड़पा कर, अपने एशारे पर नचा, नचा कर चोदना चाहता था.......वो रश्मि के शरीर से हट गया.....ओर उसके अलग होने से रश्मि तड़प गयी, मचल गयी, मछली की तरह छटपटाने लगी........"क्या हुआ मॉंटी.....त..तू..तुम....दूर क्यू हट गये......?
मॉंटी के होटो पर कुटिल मुस्कान तेर गयी.
"रश्मि डार्लिंग, अगर तुम सचमुच पूरा मज़ा लेना चाहती हो तो, तुम्हे मेरी हर बात माननी होगी......विदाउट हेसिटेशन........नही तो तुम जा सकती हो..!"
रश्मि का तो मानो काटो तो खून नही, जैसा हाल हो रहा था. वो वासना के आग मे जल रही थी, झुलस रही थी,...इश्स आग को बुझाने के लिए तड़प रही थी, पागल हो रही थी......बेशर्मी की हर हद लाँघ सकती थी........"क्या चाहते हो तुम".....उसने थरथराती आवाज़ मे पूछा........मॉंटी समझ गया ये चिड़िया अब उसके एशारे पर नाचेगी, फुदकेगी.
"यहाँ मेरे सामने खड़ी हो जाओ....ना..ना..ना..टॉप नीचे लेने की ज़रूरत नही...".....मॉंटी का पहला आदेश था
रश्मि उसी अवस्था मे, उसके सामने खड़ी हो गयी,...टॉप गले तक उठा हुआ....कमर से लेकर, ब्रा मे कसी चुचियो तक सब खुला था, सेक्स की देवी लग र्है थी रश्मि.
"अब टॉप उतार दो...."...........टॉप तुरंत उतर गया.
"अब जीन्स खोलो......थोडा नीचे सरकाओ....पूरा नही...मूज़े पनटी की झलक दिखाओ..!"
ये होती हैं कच्ची उम्र की कामुकता
एक बार बदन मे वासना के शोले भड़क उठे......तो सोचने समझ ने की ताक़त चली जाती हैं, घर परिवार, समाज़, सेल्फ़ रेस्पेक्ट,अपनी नाबालिग,कची उम्र, कुछ भी नही बचता, सब जल जाता हैं सेक्स की उस आग मे.
उस वक़्त ज़रूरत होती हैं एक मोटे, लंबे, तगड़े लंड की जो चूत की दीवारो को रगड़ कर,फैला कर, अंदर तक जाए और बुझाए उस आग को अपनी तेज़ बौछार से
रश्मि इन सब भावनाओ से काफ़ी दूर जा चुकी थी, उसे महसूस हो रही थी सिर्फ़, पूरे जिस्म को झुलसने वाली आग, उसे शांत करने के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैय्यार थी, उसने मॉंटी की इच्छा के अनुसार, अपनी जीन्स के उपारले हिस्से को खोला, थोड़ा नीचे खिसकाया.........अब उसके कुल्हो को, और चूत को छुपति पनटी साफ नज़र आ रही थी.
"अब अपने जीन्स को पूरी तरह से उतार दो".........मॉंटी का अगला आदेश
पानी के बाहर निकली हुए मछली की तरह छटपटाती हुई रश्मि ने अब पॅंट भी उतार दी,....अब वो सिर्फ़ ब्रा पनटी मे थी..........अपने हाथ से अपने ही कपड़े उतरना......अपने अधनंगे जिस्म की नुमएइश करना.....वो भी एक अंजान नौजवान के सामने.......रश्मि पर अब शर्म कम और एक्शितमेंट ज़्यादा हावी थी.......वो जल्द से जल्द अपने अंदर की आग बुझाने की कोशिश मे थी.
"रश्मि डार्लिंग अब ज़रा यहा, मेरे पास आओ..........तुम्हारी ये गदराई जवानी देख कर मेरा लंड बहुत टाइट हो गया हैं.....इसे प्लीज़ मेरी पॅंट से आज़ाद कर दो."
रश्मि पर फिर से शर्म और एक्शितमेंट हावी हो गई, उसने धीरे धीरे चल कर, मॉंटी के पॅंट तक का फासला तय किया, और अपनी नाज़ुक उंगलियो से मॉंटी के पॅंट की ज़िप खोलने लगी........इश्स मिशन मे वो उकड़ू बैठी हुई थी, उसके कूल्हे बाहर निकले हुए थे, उसने मॉंटी का लंड जैसेही च्छुआ,....उसे राज अंकल के लंड की याद आई.......राज का लंड मॉंटी से भी ज़्यादा मोटा और लंबा था.
"अब इसे अपने मूह मे लेकर चूसना हैं तुम्हे.............. लेकिन डार्लिंग तुम्हारे जिस्म पर ये ब्रा,पनटी अच्छी नही लग रही हैं मुझे, मैं तो तुम्हे मदरजात नंगी देखना चाहता हू.........मॉंटी का शैतानी दिमाग़ एक से बढ़ कर एक ह्युमाइलियेशन के आइडिया पैदा कर रहा था.
रश्मि तो पहले से ही बेकाबू हो गयी थी.......उसने तुरंत मॉंटी जैसे गिरे हुए शाकस के सामने अपने जिस्म को नंगा करना शुरू किया.........जबकि वो आम हालत मे कभी नही करती.........लेकिन आज हालात कुछ और थे.
रश्मि ने मॉंटी का लंड मूह मे लिया, और चूसने लगी, उसके प्यारे नाज़ुक होटो मे वो ठीक से अड्जस्ट नही हो पा रहा था, फिर भी जैसे तैसे उसने आधा लंड तो मूह मे ले ही लिया. मॉंटी खुश था, उत्तेजित था, उसने रश्मि के तरफ देखा, वासना मे घिरी होने के बावजूद उसकी मासूमियत मे कोई कमी नही आई थी.
मॉंटी ने अब अपने पैर का अंगूठा धीरे से लंड चुसती हुए रश्मि की चूत पर टीका दिया. और दोनो हाथो को रश्मि के कंधो पर रख कर उसे नीचे दबा दिया, अंगूठा अब गीली हो चुकी, कमसिन चूत मे घुस गया......रश्मि लंड मूह मे होने की वजह से चीख भी ना सकी, सिर्फ़.......उूउउन्न्ं....कर बैठी. अब मॉंटी ने अंगूठे को अंदर बाहर करना शुरू किया.......हलकी अंगूठा कोई लंड का मज़ा तो नही दे सकता था पर, रश्मि को और बहका सकता था, पूरा लंड खाने के लिए.....अब रश्मि भी, इश्स दोहरे हमले से जोश आ गयी थी....एक र्हिदम पैदा होगया था लंड चूसने मे और अंगूठा लेने मे.
तकरीबन 20 मिनिट तक ये सिलसिला चलता रहा, मॉंटी का लंड अब झदने की कगार पर था, उसने रश्मि के बाल पकड़ कर, उसके चेहरे को लंड से दूर हटाया, अपना अंगूठा भी निकल लिया, रश्मि का चेहरा देखने लायक था, जैसे बच्चे का फेवरेट चोकोबार उससे छीन लिया हो , वो सवालिया नज़रो से मॉंटी को देखने लगी, उसकी हालत देख कर मॉंटी का दिल बागबाग हो गया
"मेरा लंड ज़डने वाला हैं,,,,बोल चूत मे लेगी की मूह मे..?..........मॉंटी ने रश्मि को दो चाय्स दिए, दोनो ही नशीले थे, सेक्शिले थे.
लंड का चूत मे झड़ना ख़तरनाक साबित होगा ये तो कच्ची काली भी जानती थी, लिहाजा
"मूह मे.."
"चल मूह खोल...पूरा माल पेट मे जाना चाहिए, ज़मीन पे गिराया तो, फर्श चटवाउन्गा"
गौर तलब बात ये है की, वैसे तो रश्मि पर कोई दबाव नही था,की वो मॉंटी की ये ह्युमाइलियेशन बर्दाश्त करे.......पर वो वासना की गर्त मे इश्स कदर डूबी हुए थी के जब तक, उसके शरीर मे भड़की हवस की आग बुझ ना जाए, वो कुछ भी करने को तैय्यर थी, मॉंटी की हर गंदी बात मानने पर मजबूर थी.
उसने फिर से मूह खोल दिया, मॉंटी ने अब अपने हाथो से लंड को हिलना शुरू किया, रश्मि मूह खोले इंतज़ार कर रही थी......आख़िर इंतज़ार ख़त्म हुआ, मॉंटी ने अपना लंड फ़ौरन रश्मि के मूह मे डाल दिया आखरी 3,4 झटके मारे और ....एक के बाद एक वीर्या के फ़ौव्वारे छूटने लगे, सीधे रश्मि के गले से होकर पेट मे चले गये.
जब गोलिया पूरी तरह से खाली हो गयी, मॉंटी ने लंड बाहर खिच लिया
मॉंटी ने रश्मि को उठा कर अपनी गोद मे बिठा लिया,उसके नर्म नाज़ुक मुलायम बदन को सहलाने लगा, होटो को कुचल ने लगा, अधखिले स्तानो को चूसने लगा,निपल्स तो इतने बड़े नही थी मूह मे लेकर चूसे जाय, वो पूरे स्तनो को ही मूह मे भरने की कॉिश करने लगा........इश्स वाइल्ड अटॅक से रश्मि फिर से झड़ने की कगार पर थी,........वो पहले कितनी बार झाड़ चुकी थी, उसे भी याद नही था.
मॉंटी का लंड अब फिर से अपनी औकात मे आने लगा......उसने रश्मि को बेड पर लिटा दिया.......उसकी आँखो मे झाँकता हुआ बोला
"क्या चाहती हो रश्मि....खुल के बोलो..!"
"चोदो मुझे....जम के चोदो....मैं पागल हो रही हू......प्लीज़..अभी और मत तडपा ओ...जल्दी से डाल दो अपना लंड.....ये आग बुज़ादो....मैने तुम्हारी हर बात मानी हैं...प्लीज़ अब शुरू हो जाओ".......अत्यधिक उत्तेजना,सेक्स की आग,हवस के तूफान मे घिरी रश्मि लाज,शर्म छोड़ कर गिड़गिदा रही थी.
अब मॉंटी भी उसे और तड़पाने के मूड मे नही था, खुद को भी रहा नही जा रहा था, उसने रश्मि की टाँगे फैलाई, चूत पहले से ही गर्म और गीली थी, पहले भी चुद चुकी थी, ल्यूब्रिकेशन की कोई ज़रूरत नही थी, मॉंटी ने लंड निशाने पे लगाया ओर एक ज़ोर का झटका लगाया.......रश्मि की चीख निकल गयी, वो छटपटाने लगी, होठ भिचने लगी, गर्दन एधर उधर हिलने लगी........दूसरे झटके ने लंड को पूरी तरह से उस 16 साल की कमसिन चूत मे दाखिला दिला दिया.
रश्मि की चीखे, लंड के हर झटके के साथ कम होती गयी, मॉंटी का मोटा लंड, चूत की दीवारो को फैला रहा था, ये रगड़ान, ये फैलाव.....पिस्टन से चलता लंड, उसे अजीब सी खुशी, संतुष्टि का अहसास दिला रहे थे, धीरे धीरे वो मंज़िल के करीब पहुच रही थी, मॉंटी को भी अहसास हो रहा था, उसकी भी मंज़िल आने का,......रश्मि के बदन मे अकड़न पैदा होने लगी, चूत की दीवारे लंड पर कसने लगी......आहह..आहह..की कामुक सिसकारियो के साथ रश्मि ने मॉंटी के लंड को नहला दिया........वो निढाल सी पड़ी रही
मॉंटी ने अब अपना लंड बाहर खिच लिया, वो रश्मिकी छाती पर जा बैठा, धीरे से ज़्यादा दबाव ना डालते हुए, लंड को रश्मि की गदराई चुचियो के बीच ले गया....रश्मि उसका इशारा समझ गयी, उसने अपने हाथो से अपनी चुचियो को लंड के इर्द गिर्द कस दिया,....मॉंटी ने आखरी धके मारने शुरू किए.......थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने ढेर सारा वीर्या उगल दिया, रश्मि के चेहरे पर, बालो मे, हर जगह वीर्या ही वीर्या था.
और चेहरे पर थे परमसंतुष्टि के भाव.
उस रात रश्मि लूटती रही बार बार, उसका वासना का खुमार उतर चुका था, अपने आप को धिक्कार रही थी........राज की बात और थी, वो शादी शुदा, घर गृहस्थी वाला शरीफ इसान था,...जो वक़्ती तौर पर भावनाओ मे बह गया था....लेकिन उसीने रश्मि को समझाया भी था.......पर ये लोग....ये शरीफ कतई नही थे......लड़कियो को फसाना.......ऐश करना, उनका पसंदीदा खेल था......रश्मि का जिस्म कांप उठा.....ये क्या कर बैठी थी वो.....क्यू रोक नही पाई, अपने आप को.....क्यो सेक्स की इश्स हद तक दीवानी हो गयी थी वो....अब अगर घर वालो को किसी तरह से पता चला तो....वो सिहर उठी....पासचताप से उसके आँखो मे आँसू आए........और उसे याद आई नीलू की.....पूरी रात वो कहा थी.?.....उसके साथ क्या बीती थी.?
सुबह हो रही थी, रश्मि ने जैसे तैसे कपड़े पहने,वो कमरे से बाहर निकली, और एक एक कमरा देखने लगी, लगभग हर कमरा खुला ही पड़ा था, हर कमरे की कहानी एक जैसी ही थी, नंगी पड़ी लड़किया, उनके उपर या आसपास्स आड़े तिरच्चे पड़े लड़के, अस्तव्यस्त फैले कपड़े, खाली पड़ी शराब की बोटले, ड्रग्स लेने की नीदल्स..........रश्मि को अपने आप से घृणा होने लगी,...पूरी रात वो भी तो इसी माहौल का हिस्सा थी,.......एक कमरे मे उसे नीलू दिखाई दी........उसकी हालत देख कर रश्मि एक दम से डर गयी..........नीलू बेहोश सी लग रही थी......जाँघो के बीच मे खून दिखाई दे रहा था, हॉट खून से सने हुए थे,.......उसका सर के तरफ से आधा शरीर बेड से नीचे लटक रहा था....बदन पर कई खरोन्चे थी, बेड शीट एक तरफ गठरी की शक्ल मे जमा हुई थी........रोमी, लकी,मॉंटी.....और रिंकू भी वही पड़े हुए थे.....रिंकू का सर नीलू के पेट पर था, एक हाथ अभी भी नीलू की चुचि पर था.......सबसे बड़ी बात, रिंकू का मूह भी खून से सना था.....नीचे रोमी,लकी, मॉंटी नंगे पड़े थे....उनके लंड भी खून से सने थे.....शराब की बोटले, नशे का समान सब बिखरा पड़ा था.........सिचुटेशन .......गंभीर लग रही थी.......रश्मि का दिल जोरो से धड़क रहा था....किसी अंजानी आशंका से.
वो धीरे धीरे नीलू के पास पहुचि....बिना कोई आवाज़ किए.....उसने सबसे पहले नीलू की छाती से कान सटा ये, और राहत की सास ली......धड़कन चल रही थी,..लेकिन बहुत ही धीरे धीरे.....उसने फिर रिंकू का सर नीलू के पेट से हटाया....रिंकू गहरी नींद (या नशे मे..?) मे थी....फिर वो कोशिश करने लगी नीलू को जगाने की....पहले तो उसने नेलु को बेड पर सीधा लिटा दिया....फिर उसके गालो को थपथपाकर, हल्के हल्के पुकारने लगी.
"नीलू...नीलू...जाग जाओ,..चलो घर चल ते हैं"......लेकिन नीलू पर कोई असर नही हुआ, वो थोड़ी और ज़ोर से पुकाराने लगी, साथ साथ कंधे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी......'उठो नीलू,...जाग जाओ नीलू...प्लीज़ आँखे खोलो नीलू....जल्दी जाग जाओ...ह्यूम घर जाना हैं".........लेकिन नीलू टस से मस नही हुई, तो वो घबरा गयी....क्या हुआ हैं इसे....साँसे तो चल रही हैं, ये उठती क्यो नही हैं....होश मे क्यो नही आ आराही हैं....उसने एधर उधर देखा, कोने मे फ्रिज दिखाई दिया....भाग कर रश्मि ने पानी की बोतल बरामद की, और पूरी उंड़ेल दी नीलू के चेहरे पर......फ्रिज का चिल्ड पानी डालने के बावजूद जब नीलू को होश नही आया तो.......रश्मि की सांस फूलने लगी, पैर जवाब देने लगे, किसी आशंका से दिल लरजने लगा.....आँखो से बरबस आँसू बहने लगे.
वो अब झपट पड़ी रिंकू की तरफ....उसे जगाने की कोशिश किए बगैर, उसने सीधे रिंकू पर ठंडा पानी डाल दिया......तुरंत असर हुआ.....रिंकू हड़बड़ा कर उठ गयी...कुछ पल तो उसे कुछ समझ ही नही आया.....फिर धीरे से उसे समझ मे आने लगा...उसने रश्मि की तरफ देखा.....वो गुस्से से और डर से कांप रही थी.........!
"क्या किया हैं तुम लोगो ने नीलू के साथ........उसकी हालत देखो......पूरी खून से लथपथ है.......होश मे नही आ रही हैं....क्या किया हैं उसके साथ ...बोलो..?
रश्मि बेकाबू सी हो रही थी, रिंकू के कंधे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से झंझोड़ रही थी.
और रिंकू फ़टीफटी आँखो से नीलू को देख रही थी, उसका दिमाग़ सुन्न हो गया था, वो तरीके से सोच भी नही पा रही थी, ड्रग्स,शराब और रात भर के सेक्स का नशा, अब भी उस पर हावी था........वो कभी नीलू को देखती तो कभी रश्मि को, तो कभी फर्श पर नंगे पड़े अपने उन 'खास' दोस्तों को.
रिंकू अब पूरी तरह से होश मे आगाई थी, स्थिति की गंभीरता उसके समझ मे आने लगी थी. वो तुरंत उठी, फटाफट कपड़े पहन लिए, ठंडे पानी से मूह धो कर, सबसे पहले अपने लिए एक लार्ज पेग बनाया विस्की का, दो बड़े बड़े घूँट पेट मे जाते ही, उसका दिमाग़ तेज़ी से कम करने लगा.
कल रात का पूरा ट्रेलर उसकी नज़रो के आगे गुजरने लगा, वो नीलू की हालत की वजह कुछ कुछ समझ रही थी, सिचुयेशन बहुत गंभीर थी, दोनो परिवारो की इज़्ज़त का सवाल था, अगर रश्मि वाहा नही होती तो वो, इश्स सारे सिलसिले को आराम से निपट सकती थी, दोनो परिवारो की सहायता से.
उसने तुरंत फर्श पर पसरे पड़े दोस्तो को जैसे तैसे जगाया, और सबसे पहले कपड़े पहनने को कहा........थोड़ी सी ख़ुसरफुसर के बाद सब के समझ मे स्थिति की गंभीरता आ गयी, वो रह रह कर कभी बेहोश पड़ी नीलू की तरफ तो कभी सुबक्ती हुई रश्मि की तरफ देख रहे थे.......फिर तीनो ने अपने लिए पेग बना लिए, ताकि उनके भी दिमाग़ काम करने लगे.
अब रिंकू ने रश्मि की तरफ रुख़ किया
"देखो रश्मि, जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ, हम सभी सिर्फ़ मौज मस्ती करना चाहते थे, ......और तुम भी तो यही चाहती थी, रात को मॉंटी के सामने गिड़गिदा रही थी..........अपनी खुजली मिटाने के लिए....क्यो क्या मैं झूठ बोल रही हू...बोलो..?
रश्मि कुछ नही बोली....क्या बोलती वो....बहक तो गयी थी, लाज शरम तक पर रख कर गिड़गिदई थी वो..........लेकिन ये बात रिंकू को कैसे पता चली.....वो पूछने का साहस नही कर सकी
"देखो रश्मि, तुम आचे से जानती हो मेरे और नीलू के परिवार मे गहरे रिलेशन्स हैं, दोनो ही परिवार नही चाहेंगे, की यहा जो भी हुआ उसकी खबर बाहर, लोगो तक, मेडिया तक, या पोलीस तक पहुचे, इश्स मे सब की बदनामी होगी, दोनो ही परिवरो के बिजनेस पर बुरा असर होगा, इश्स लिए और तुम्हारी भी भलाई इसी मे हैं की तुम अपनी ज़बान बंद रखो, हम सब सम्हाल लेंगे, मैं तुम्हे गौरनटी देती हू, नीलू को कुछ नही होगा"........
रिंकू की आवाज़ मे एक ऐसा ठंडा पन था, एक ऐसी खुश्की थी, एक बार के लिए रश्मि सिहर उठी,...उसे पता था रिंकू के परिवार के हाथ बहुत उपर तक पहुचे थे, वो सच मे कुछ भी कर सकते थे.......लेकिन क्या उनकी ये पहुच नीलू की जान बचा सकते थे, क्या पैसा और पोवेर होने से ही सारी समस्या सुलझ जाती हैं.....उसकी आँखे फिर बरस पड़ी.......अपनी प्यारी सहेली के किए.
रिंकू के दोस्तो ने तबतक हॉस्पिटल मे फोन किया था, सभी बेचैनी से आंब्युलेन्स की रह देख रहे थे.......मॉंटी, रोमी, और लकी, इन मे से कोई भी रिंकू जैसे बड़े बाप के बेटे नही थे....वो तो सिर्फ़ रिंकू का पैसा और उसका जिस्म देख कर उससे चिपके हुए थे.....अब तीनो की चेहरे पर हवैया उड़ने लगी थी
इतने मे आंब्युलेन्स भी आ गयी.....हॉस्पिटल के कर्मचारियो ने कोई सवाल नही पूछा.....उन्होने नीलू को स्ट्रॅचर पर रखा और आंब्युलेन्स मे डाल कर खामोशी से हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़े.
"तुम हमारे साथ हॉस्पिटल चलॉगी या हम तुम्हे घर पर ड्रॉप कर दे"......रिंकू ने रश्मि को बड़े ठंडे स्वर मे पूछा
"मैं हॉस्पिटल चलूंगी"
चाहती तो जल्द से जल्द घर पहुचना, ...लेकिन ना जाने क्यू उसे लग रहा था, नीलू को इन दरिंदो के साथ अकेला छोड़ना ठीक नही होगा.
दोपहर के 2.00 बजे थे, 'डेंजर ज़ोन' मे ग्राहक कम ही थे, ज़्यादा तर टेबल्स खाली पड़े थे, बार टेंडर उंघ रहा था, एक्का दुक्का टेबल्स पर जो ग्राहक बैठे थे, उन्हे कोई जल्दी नही लगती थी, बाहर धूप कड़क रही थी.
आमिर उन्ही गिने चुने ग्राहको मे से एक था. अपने लगभग खाली हुए बियर की बोतल को बड़े ध्यान से, मगर आनमने ढंग से देख रहा था, उस बोतल के जैसे ही उसकी जेब की स्थिति थी,....लगभग खाली,...वो मन ही मन हस पड़ा. उसके बाप ने उसका नाम 'आमिर' ये सोच के रखा था की वो एक दिन अपने नाम की तरह अमीर बन जाएगा.......लेकिन बेचारे को क्या मालूम, अगर सिर्फ़ नाम रखने से आदमी वैसा बन जाए, तो हर कोई अपनी बेटी का नाम, ऐश्वर्या, या मधुरी रखेगा, और बेटे का नाम र्हितिक, शाहरुख, या सलमान रखेगा.
आमिर ख़ान देखने मे एक आकर्षक पर्सनॅलिटी का तंदुरुस्त युवक था, जिसके बारे मे आम धारणा ये थी की वो एक मस्त कलंदर टाइप का आदमी था, बेफिकिरी उसके चेहरे पर हमेशा छाई रहती थी, खाओ,पियो ऐश करो वाले नियत का लगता था लेकिन, सचाई ये थी की.....आमिर ख़ान एक खोजी पत्रकार था,.... इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट,..... उसकी खबर सूंघने की शक्ति, कुत्ते को भी मात देती थी,.... सूंघने के मामले मे, एक बार खबर की सूंघ लगजाए तो आमिर उसे दो नज़रिए से देखता था.
एक तो,..क्या इश्स मे रोकडा निकल सकता है..? यदि हाँ तो वो उसके पीछे ही पड़ जाता था,...दूसरा...अगर उस खबर से रोकडा नही निकल सकता, तो वो उसे छापने के लिए दे देता था...!..बिल्कुल सॉफ सुथरा गणित था उसका.
ये बात अलग थी की उसके लाख प्रयत्नो के बावजूद, वो पैसा कभी जमा कर के नही रख पाया था, जितना भी कमाता था, वो पूरे खर्च कर डालता था,..........उसकी जेब मे पैइदाएशी छेद था, रोकडा उसके पास टिकता ही नही था,......आज भी वो ऐसे ही खाली जेब को लेकर...'डेंजर ज़ोन' मे बैठा था.
अचानक वो चौंक गया, उसके पूरे शरीर पे जैसे कान निकल आए हो...वो सॅटार्ट होगआया,उसके अंडर का खोजी पत्रकार जाग उठा.............उसके पीछे कुछ लोग आके बैठे थे, जो शकला सूरत से डॉक्टर्स लगते थे,...उनकी बातचीत के जो अंश आमिर के कानो मे पड़े, वो उसे किसी 'पेज 3' की खबर होने का अहसास दिला रहे थे.......उसने अब अपना पूरा ध्यान उनकी बातो पर लगाया.
"अरे यार ये बड़े लोगो की बाते हैं,......इतना सब होने के बाद भी पुलिसे को खबर भी नही की गयी,.....हाँ यार क्या खूबसूरत, कमसिन लड़की है.....बहुत बुरा हुआ,...अरे ये ऐसी ही होती हैं......कोमा मे हैं....नही कोई चान्स नही....अपने को क्या...वगिरा,वगिरा.........
'मामला बड़े लोगो का हैं मतलब....आमिर ने अपनी खाली जेब थपथपाई, जेब की गोद फिर से हरी हो गाएगी..!.....इस बार 'अबॉर्षन' नही होने दूँगा........उसने मन ही मन फ़ैसला किया.
बार काउंटर पे जाके उसने खाली जेब से ही, एक और बियर का ऑर्डर दिया..........जेब भरने से पहले ही खाली करने की तैय्यारिया शुरू....! आदत से मजबूर थे हमारे आमिर भाई.
उसने तुरंत 'इनस्पेक्टर राजपूत' को मोबाइल खडकाया
इनस्पेक्टर राजपूत और आमिर की दोस्ती "तुम मेरी पीठ खुजाओ, मैं तुम्हारी खुजाता हू" टाइप की थी. कई केसस मे उन दोनो ने साथ साथ कम किया था, ढेर सारा रोकडा भी कमाया था.....जिसे राजपूत ने तो बड़ी एहतियात से संभाल कर रखा था, लेकिन आमिर भाई हमेशा की तरह कड़ाके ही रह गये थे.
"हाला आमिर....क्या भाई, क्या चल रहा है....."........जैसे ही दूसरी तरफ से राजपूत की आवाज़ सुनाई दी, आमिर ने बियर की एक चुस्की ली.
"राजपूत साहब, मेरी पीठ मे खुजली हो रही हैं,.....खुजा दोगे क्या..?"......वो बार टेंडर की तरफ एक आँख दबाता बोला.......बार टेंडर की समझ मे कुछ नही आया.
"ये भी कोई पूछने की बात हैं....आमिर ख़ान साहब.....और वैसे तो मेरी भी पीठ मे खुजली हो ने लगी है.....बस अभी,अभी".........'पीठ मे खुजली' का मतलब रोकडा, ये राजपूत को समझ ते देर नही लगी.
"तो यहा आ जाओ..'डेंजर ज़ोन' मे तुरंत.....दोनो मिला के एक दूसरे की पीठ खुज़ाएँगे"..........बार टेंडर आमिर को ऐसे घूर रहा था, जैसे एक ही बियर मे ये हाल हैं, जनाब तो दूसरी भी मंगा चुके हैं.
"जब तक आमिर अपनी दूसरी बियर ख़त्म कर चुका था, इनस्पेक्टर राजपूत वाहा पहुच गया, सादा कपड़ो मे.
दोनो फिर एक कोने का टेबल चुन कर, बैठ गये, वो डॉक्टर्स अब अभी वही थे, आमिर ने राजपूत को सब बता दिया....और अंत मे कहा.
"जहा तक मेरा ख़याल हैं, ये पेज-3 मामला हैं, पुलिसे को खबर नही, मतलब तुम अधिकारिक तौर पर कुछ नही कर सकते, तुम मूज़े इश्स मामले की जानकारी जुटा कर दो,...मसलन, लड़की कौन हैं, किस हादसे का शिकार है...और ये बड़ी पार्टी कौन हैं..........बाकी मुझ पर छोड़ दो, तुम जानते हो, मैं बुरे के घर तक पहुच जाता हू......बाकी फिर आधा आधा होगा ही.
राजपूत तुरंत मंडी हिलने लगा
हाँ मे
रश्मि घर मे गुम्सुम सी बैठी हुए थी, रह रह कर उसकी नज़रो के सामने नीलू तेर जाती, क्या हालत हो गयी थी उसकी, पूरे शरीर से एक सिहरन सी दौड़ गयी.........उसके साथ तो कुछ नही हुआ था, वो भी मॉंटी के सामने गिड़गिदई थी, बाद मे फिर,....2,3 तो आए ही होगे, उसे नोचने.......वो अपने आपको किसी वेश्या से भी गिरा चुकी थी........हादसा बड़े लोगो के घर मे हुआ था, इश्स लिए बात अभी पब्लिक मे, उसके घर तक नही पहुचि थी.....अगर पहुच जाती तो.......वो कांप उठी.
जाने कितनी ही देर वो इश्स तरह शून्या मे देख रही थी, की एका एक टेलिफोन की घंटी बजाने की आवाज़ ने उसे, होश मे लाया.......उसने अस्स्पास देखा कोई नही हा, तो उसने खुद ही फोन उठाया
"हल्लो...."
"मैं रिंकू बोल रही हूँ,..रश्मि....कैसी हो तुम.?"
"मैं ठीक ही हूँ...तुमने घर पर कैसे फोन किया".........रश्मि का दिल फिर से अंजानी आशंका से लरजने जगा.
"घबराव मत.....मूज़े तुमसे कुछ बात करनी हैं....तुम मेरे घर आ सकती हो क्या.?...............रश्मि के दिल की धड़कन फिर से तेज़ हो गयी, वो कुछ बोलने की बजाय, सिर्फ़ गर्दन हिलाने लगी, मना करने के अंदाज़ मे.
"कुछ बोलो भी"........रिंकू झल्लाई...उसे रश्मि की ना मे हिलने वाली गर्दन कैसे दिखाई देती.
"नही,... मैं नही आ सकती....मुझे डर लगता हैं"
"अरे डर ने की क्या बात हैं....अब क्या बार बार तुम्हारे साथ वही सब कुछ थोड़े ही होने वाला है.......डरो नही आ जाओ.....मुझे तुम्हारे ही फ़ायदे की बात करनी हैं.....या फिर मैं तुम्हारे पास आ जाउ"
रश्मि किसी भी हालत मे, रिंकू जैसी हस्ती को घर मे नही आने दे सकती थी.
"नही नही,..मैं ही आजाती हूँ, कब आना हैं"
"अभी तुरंत आजाओ"
"ठीक हैं"
रश्मि उलझन मे थी, क्या करे,....क्या फ़ायदे की बात करने वाली थी वो..?
उधर रिंकू ने फोन रखते ही, मॉंटी और रोमी, जो ऐसे ख़तरनाक हादसे के बाद भी, नही सुधरे थे, रिंकू की चुचियो से खेल रहे थे, चूस रहे थे,....पूछा ने लगे
"क्या कहती है वो ....आ रही है क्या.?"......रोमी एक हाथ से चुचि दबाता, एक हाथ स्कर्ट के उन्दर डालता हुआ, पूछने लगा.
" हाँ आ रही है, ....देखो उसे डराना हैं सिर्फ़.....कोई ज़्यादती नही होनी चाहिए..समझे".......रिंकू दोनो के लंड अपने हाथ मे पकड़ कर हिलाते हुए बोली.
मॉंटी, रोमी और लकी तीनो रिंकू के गुलाम थे, उसके सेक्स स्लेव्स, सेक्स टायीस, इस वक़्त लकी तो वाहा नही था......मॉंटी और रोमी ने तुरंत सहमति जताई.
"तो फिर ठीक है, उसे आने मे अभी आधा घंटा बाकी हैं तब तक तुम भी अपने आप को 'खाली' करो आर मूज़े भी 'खाली' करो"........रिंकू ने तुरंत, अपने कपड़े उतार फेके, उनके सामने घोड़ी बन गई, मूह खोलकर
रश्मि अपने घर से निकली, फिर से एक बार.......
रिंकू का बाप अग्रवाल शहर का सब से बड़ा बिज्नेस्मेन था,...और नीलू का बाप, मिस्टर मल्होत्रा, उतना बड़ा ना सही लेकिन उससे भी बड़े मकाम पर पहुचने की ख्वाहिश रखता था, ...दोनो के लिए, अपने बज़ाइनेस के अलावा, ज़्यादा महत्व पूर्णा कुछ नही था,....आम तौर पे लोग मानते हैं,.."एवरी थिंग ईज़ फेर इन वॉर & लव".......लेकिन हमारे दोनो ही बड़े बाप मानते थे......"एवेरी थिंग इस फेर इन वॉर, लव & बज़ाइनेस....फॅमिली का रोल सिर्फ़ समाज मे अपनी साफ छबि को बनाए रखने के लिए होता था,....और यही वजह थी, जब उन्हे , अपनी औलादो की करतूत की खबर लगी,..तो उनके माथे पर बल पड़ गये.......इश्स लिए नही की वो नीलू की तबीयत को लेकर चिंतित थे, या रिंकू के बहके कदमो को लेकर चिंतित थे........उनकी चिंता का विषय था.....अगर मेडिया या पुलिसे द्वारा बात फैल गयी, तो उनकी साफ सुथरी छबि ख़तरे मे पड़ जाएगी, और साथ ही ख़तरे मे पड़ जाएगा उनका बज़ाइनेस.
मिस्टर अगरवाल के पॅलेस नुमा बंग्लॉ मे उनकी इसी टॉपिक पर चर्चा हो रही थी जब,... अपने बेड रूम मे रिंकू, अपने दोस्तो से, 'खाली' हो रही थी, और उन्हे 'खाली' कर रही थी.......और जहा,थोड़ी ही देर मे, रश्मि पहुचने वाली थी.
क्या यही हैं जिंदगी, हमारे आधुनिक समाज़ की....!
"मिस्टर मल्होत्रा....जो हुआ, ठीक नही हुआ...नीलू की मूज़े चिंता हो रही हैं"........मिस्टर अग्रवाल ने अपनी नकली चिंता जताई.
"मूज़े तो उसकी नही....किसी और बात की चिंता हो रही हैं......डॉक्टरो का कहना हैं,..वो जल्दी ठीक हो जाएगी...लेकिन मूज़े बात फैलने का डर है".........ये थे "एवेरी थिंग ईज़.......वाले मल्होत्रा साहब.....जिनकी औलाद, कोमा मे...जिंदगी और मौत से जूझ रही थी...!
"उसकी आप चिंता ना करे....मल्होत्रा साहब....वो आप मूज़ पर छोड़ दीजिए गा,...इश्स शहर मे किसी की मज़ाल नही जो मेरे खिलाफ जाए.....पैसे का सेमेंट हर छेद बड़ी सफाई से बंद कर देता हैं"........अग्रवाल भी सही था.....कम कम से कम तब तक...!
"मूज़े मेडिया या पुलिसे की चिंता नही हैं.......वो लड़की....क्या नाम हैं उसका......र..राशमी...वो भी इसमे शामिल थी...और वो नीलू की ख़ास्स सहेली है.....उसने मूह फाड़ दिया तो......?
"उसकी चिंता भी मूज़ पर छोड़ दो.....मैने रिंकू से बात की है.....वो उसे 'अच्छे से संभाल ' लेगी..."
"ठीक हैं फिर,... मैं ज़रा हॉस्पिटल का चक्कर लगा लू....फिर मुझे एक अर्जेंट मीटिंग मे जाना हैं"
दोनो ही डॅडी यो ने बॉटटम्स अप किया और उनकी मीटिंग बर्खास्त हुई
मिस्टर मल्होत्रा की कार बाहर निकली, और रश्मि ने बंग्लॉ मे कदम रखा
आमिर का फोन बज उठा, वो उस वक़्त हॉस्पिटल के बाहर एक कोल्ड्रींक के स्टॉल पे खड़ा सिगरेट के हल्के हल्के कश लगा रहा था, हाथ मे ताजी खुली मिरींडा की बोतल थी, उसने फोन उठाया.........दूसरी तरफ इनस्प राजपूत था,
"हाँ राजपूत साहब बोलो...क्या बात हैं, कुछ हाथ लगा..?"........आमिर की आवाज़ मे बेसब्री थी.
'हाँ,...कुछ तो लगा...लेकिन मुकम्मल नही,....बात बड़े लोगो की है...कोई खुल कर कुछ नही कहना चाहता.....कुछ पैसो का लालच, कुछ बड़े लोगो की बड़ी पहुच.......लेकिन जो कुछ पता लगा,वो ये की......लड़की का नाम नीलू हैं,और वो शहर के नामी बिज़्नेसमॅन मिस्टर मल्होत्रा की बेटी है......लड़की को किसी हादसे का शिकार बताया जाता हैं.....ये हादसा कोई आक्सिडेंट हैं या फिर कुछ और बात हैं, ये कोई नही जनता, या बताना नही चाहता......डिपार्टमेंट मे भी सभी के मूह पर ताले लगा दिए गये हैं.....लड़की इश्स वक़्त कोमा मे हैं.......जिस तरह से सब चुप्पी साधे हैं, जाहिर हैं दाल मे कुछ काला है.....या पूरी दाल ही काली हो....मैं और कुरेदने की कोशिश कर रहा हूँ.....अब तुम बताओ..!"............राजपूत ने अपनी जानकारी एक ही सास मे कह डाली.
"मुझे भी ऐसा लग रहा हैं, पूरी दाल ही काली हैं......सिर्फ़ आक्सिडेंट हो तो कोई एतनि एहतियात नही बरतता......मैं इश्स वक़्त हॉस्पिटल के बाहर हूँ...और मेरी एक जानकार इसी हॉस्पिटल मे नर्स है,...उससे कुछ उगलवाने की फिराक मे हूँ......बाकी बाद मे बतौन्गा....एक बात तो तय है...जेब मे से रोकडे की खुशबू आ रही हैं....!.......फिर आमिर ने फोन काट दिया.
जिस नर्स का आमिर जिक्रा कर रहा था....उसका नाम तरुणया था, लेकिन करीबी लोग उसे तनु कहते थे.......एक बार, एक मरीज के मौत के केस मे, वो फसगाई थी, तो आमिर ने अपने अख़बार मे उसकी तरफ़दारी मे ऐसा कुछ लिखा था,..की वो उस लफदे मे से सही सलामत बाहर निकली थी,.....तब से वो आमिर का 'शुक्रिया अदा करने का कोई मौका' नही गवाती थी.....और आज आमिर की उम्मीदे उसी पर टिकी थी.....वो उसी की रह देख रहा था.....उसने आधे घंटे मे उसे बाहर मिलने को कहा था
तरुणया जवान, खूबसूरत और सेक्सी तो थी ही, लेकिन सचमुच एक दक्षा नर्स थी, पिछले केस मे वो बेमतलब ही फस गयी थी, जब आमिर ने उसे अर्जेंट मिलने को कहा तो, उसकी बाछे खिल गयी थी,......आमिर का 'शुक्रिया अदा करना' उसे हमेशा अक्च्छा लगता था....आमिर एक अच्छा 'घुड़सवार' था, और उसे 'घुड़सवारी' बेहद पसंद थी.
थोड़ी देर मे आमिर और वो दोनो, तरुणया के फ्लॅट मे घुड़सवारी कर रहे थे, उस शानदार घोड़ी की सवारी आमिर का पसीना बहा रही थी,.......एक पल ऐसा भी आया की घोड़ी और घुड़सवार दोनो ही पसीने से लथपथ, हाफ़ रहे थे.
"मज़ा आ गया.....तुम तो दिन्बदिन जवान होते जा रहे हो......क्या खाते हो....?".......तनु ने अपनी मासल,तनी हुई छातियो को आमिर के सीने पर रगड़ा ते हुए कहा.
"तो क्या मैं तुम्हे, बूढ़ा लगता था.....साली...?".....आमिर ने उसके निपल्स को चुटकी मे पकड़ कर खिचते हुए कहा.
"ओह नो माइ लव....तुम पहले भी जावा मर्द थे,...और आज कल ज़्यादही जोशीले हो गये हो"....तनु ने आमिर के नाक को दातो से हल्के से काटा.
"अछा सुन.....मूज़े कुछ जानकारी चाहिए...."
"तो ये बात हैं....इस लिए जनाब आज कई दीनो बाद मेहरबान हो गये हैं"
"देख मामला गंभीर हैं....और तू ही मेरी मदद कर सकती हो"
"क्या मामला है.....कोई गड़बड़ तो नही हैं ना...?"
"कोई गड़बड़ नही हैं.....अगर हुई भी,...तो मैं हू ना"
"कहो क्या जानना चाहते हो......वैसे क्या तुम...हे भगवान....कही तुम, उस लड़की,...नीलू की फिराक मे तो नही हो"
"हाँ यही बात है......हाई कितनी समझ दार हैं मेरी तनु"....आमिर ने उसे बाँहो मे लपेट लिया
'आमिर सुनो....प्लीज़ इश्स मामले से दूर ही रहो, वो बड़े लोग हैं, और ख़तरनाक भी,...अगर तुम उनके मामले मे टांग अड़ाओगे तो,वो तुम्हे भारी नुकसान पहुचा सकते हैं.
"कुछ नही होगा मेरी जान....तुम चिंता मत करो,....अपने आप को बचाना मूज़े आता हैं.....ना मूज़े कुछ होगा और ना मैं तुम्हे कुछ होने दूँगा...ओके...नाउ कम ऑन....टेल मी व्हाट्स दा स्टोरी."
तनु फिर कुछ पल सोचती रही,...आमिर पर उसे भरोसा था, इश्स मस्त कलंदर ने उसे बचाया था, बड़ा 'गुणी' लड़का था, कुछ भी कर गुजर सकता था.....उसने कुछ निस्चय किया....और ...
"ये लड़की नीलू....ड्रग्स की ओवर डोस और लगातार नृशंस बलात्कार की शिकार हुई हैं,...जिन्होने उसका रेप किया वो भी, ड्रग्स के नशे मे थे, उसके बदन पर जो खरोचो के निशान मिले हैं, उसकी ब्लड रिपोर्ट साफ जाहिर करती हैं, की वो लोग ड्रग्स लिए हुए थे...कम से कम चार अलग अलग लोगो का खून पाया गया हैं.....वो अभी कोमा मे हैं...लेकिन डॉक्टर्स का कहना हैं वो ख़तरे से बाहर है...और कभी भी कोमा से बाहर आ सकती हैं....क्यो की ये शॉक लगाने की वजह से आई टेम्परोरी कोमा की केस है.....मैं बस इतना ही जानती हू.....आमिर मैं फिर कहती हू, इश्स झमेले मे मत पड़...प्लीज़"
"डोंट वरी डार्लिंग....मैं सावधानी बरतुंगा....कोई और बात....जो तुम शायद भूल गयी हो..?"
"नही ऐसा तो कुछ ना.....रूको रूको...एक बात सबको हैरत मे डाल रही हैं...!"
"क्या हैं वो बात....तनु..प्ल.जल्दी बताओ.." आमिर की आँखो मे चमक आने लगी थी
"वो मिस्टर अग्रवाल....शहर के जानेमाने बिज़्नेसमॅन....इस केस मे कुच्छ ज़्यादा ही रूचि दिखा रहे हैं...पता नही क्यो....मेरी तो कुच्छ समझ मे नही आ रहा हैं"
लेकिन आमिर के समझ मे बहुत कुच्छ आ रहा था.
उसने तनु को होटो पर किस किया,....अलविदा कहा...अगले घुड़सवारी के सेशन तक.....कपड़े पहने.....और तनु के फ्लॅट से निकल गया.
उसके चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे.....दोनो वजह से....और दोनो ही वजह आप तो जानते ही हैं.
तो भाई लोगो कहानी अभी बाकी है अगले पार्ट का इंतजार करे ओर अपनी राय ज़रूर दे
आपका दोस्त
राज शर्मा
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