राज शर्मा की कामुक कहानिया
हिंदी सेक्सी कहानिया
आप की शशि पार्ट् - २
(शशि की कहानी शशि की जुबानी)
मैं शुरू ही से जरा सेक्सी थी इस बात का मुझे बचपन से ही इल्म था क्योंकि मैं और मेरी बड़ी बहन हम दो बच्चे थे अपने माँ बाप के. हमारा घर शहर के पोश एरिया में था और हमारे साथ वाला मेरी खाला का और उन का एक बेटा था कमि. वों मेरी ही ऐज का था मेरी सिस्टर मुझ से २ साला बड़ी थी. खैर हमारे घरों के अन्दर से ही रास्ता भी था सारा दिन आना जाना लगा ही रहता था. मेरा सेक्स कि तरफ रुझान कैसे था कि मेरी खाला के ब्रेस्ट जरा भारी भारी थे और मुझे बड़े अच्छे लगते थे जब मैं बहुत छोटी थी और वों मुझे नहलाया करती थी पर पहले कमि को नहला देती और मेरे साथ खुद भी नहाती और मैं उन कि पीठ पे और कभी कभी उन के ब्रेस्टस् पे साबुन लगाया करती और सोचती कि मेरे कब इतने बड़े होंगे..
और यूँ दिन गुजरते गये मैं ९ बरस कि हो गयी और मेरे सीने पे हल्के हल्के उभार आने शुरू हो गये. मेरी खुशी कि कोई इंतहा न रही मैं रोज रात में इन को दोनों हाथों में ले कर मसाज करती कि जल्दी बड़े हो जाये..
स्कूल से छुट्टियान थी और मैं यूँ ही खाला के घर गई तो खाला घर में नहीं थी मैं इधर उधर कमरों में देखती रही जब मैं कमि के रूम में पहुंची तो जैसे ही दरवाजा खोला वों बिल्कुल नंगा खड़ा था और उस के हाथ में टोवेल था. दरवाजा खुलते देख कर उस ने एक दम टोवेल अपने आगे कर लिया
ओह!!! तुम हो मैं समझा मोम हैं.
नहीं वों तो शायद घर में ही नहीं हैं लेकिन तुम क्या कर रहे हो यूँ कपड़े उतार कर.. मैंने पूछा
कुछ नहीं नहाने जा रहा हुँ...
इतने में उस ने टोवेल अपनी कमर के गिर्द बांध लिया मैं उस का नंगापन तो कई बार देख चुकी थी और वों मुझे भी लेकिन आज जाने क्या हुआ मेरा दिल चाहा कि उस को गौर से देखूँ.
चलो आज खाला नहीं है मैं तुम को नहला दू मैंने कहा.
आह!!! तुम? उस ने मेरी तरफ हँसते हुए देखा. नहीं मैं अब बड़ा हो गया हुँ मैं खुद ही नहा लूंगा तुम जाओ और वों washroom की तरफ चला गया. मैं उस के पीछे गई और जल्दी से उस का टोवेल खिंच लिया. उस ने एक दम अपने आगे टाँगों के दरमियान हाथ रख लिया.
क्या करती हो तुम को शरम नहीं आती उस ने ग़ुस्से से कहा.
केसी शरम मैंने भला तुम को कभी नंगा देखा नहीं न जो? चलो मैं भी साथ नहाऊंगी बड़ा मजा आयेगा
वों पहले तो हिचकिचाया फिर मान गया और वाश रूम में चला गया. मैंने फौरन अपने कपड़े उतारे और मैं भी वाश रूम में आ गई. उस ने मुझे देखते ही मुँह दूसरी तरफ कर लिया. मैंने उसे कंधों से पकड़ के अपनी तरफ किया उस ने मुँह झुका लिया फिर अचानक बोला.
शशि ये देखो तुम्हारे तो ये बड़े हो रहे हैं उस ने मेरे निप्पल को हाथ लगाया तो एक अजीब सी लहर मेरे पूरे जिस्म में दौड़ गई और मेरी एक सिसकी निकल गई.
दर्द हुआ क्या? और उस ने हाथ पीछे कर लिये.
नहीं पकडो इन को. अच्छा लगता हैं.. पकडो न.. उस ने दोनों हाथ मेरे निप्पलस् पे रख दिये. मैंने देखा कि उस का पेनिस हल्के हल्के बड़ा हो रहा है... मैंने उसकी नूनी हाथ में पकड़ ली वों एक झटके से पीछे हुआ.
क्या हुआ? मैंने पूछा दर्द हुआ क्या?
न... नहीं अच्छा लगा. और हम दोनों ही हंस पड़े. वों फिर वापिस मेरे करीब आया मैंने फिर उस का पेनिस हाथ में ले लिया और उस ने मेरे ब्रेस्टस् पे हाथ रख के मलना शुरू कर दिया. उस का पेनिस बड़ा गरम और सख्त (hard) हो गया. अभी इतना बड़ा नहीं था लेकिन मुझे हाथ में पकड़ने अच्छा लगता था. मैं भी उस को ऊपर से नीचे मलने लगी. फिर उस ने मेरे होंठों पे किस्स किया. मुझे ओर भी अच्छा लगा फिर उस ने शोवेर खोल दिया और यूहि हम काफी देर नहाते रहे...
अब ये सिलसिला रोज ही होने लगा जब भी हमें मौका मिलता हम घर वालों से छुप के मिलते और मैं उस का पेनिस पकड़ लेती और वों मेरे ब्रेस्ट पे मसाज करता. इसी दौरान मेरे period start हो गये और फिर मेरे वहाँ पे हल्के हल्के ब्राउन कलर के बाल आने लगे और मैंने इस सिलसिला में बाजी से बात की. वों हँसी और उस ने मुझे बताया कि सब के ही आते हैं कोई बात नहीं और उस से मतलिक सब बातें कुछ बाजी ने बताई और कुछ कमि ने. खैर अब मैं कमि से जरा दूर होने लगी . मुझे अब जाने क्यों शरम आने लगी....
इस दौरान उस का boarding house में addmission हो गया और वों दूसरे शहर चला गया मैं खुद को अकेला अकेला महसूस करने लगी पर क्या करती.... कर ही क्या सकती थी... अपने ब्रेस्टस् से खुद ही खेलने लगी अपने हाथ उन पे रख के उस के हाथों का अहसास करती रही फिर खाला बीमार हो गई. इकलौते बेटे कि जुदाई बर्दाश्त न कर सकी और खल्लो ने उसी शहर में transfer करवा ली और वों सब भी वहाँ चले गये.... अब तो मैं ओर भी अकेली हो गयी.
यूँ पांच बरस गुजर गये इस दौरान मेरा जेहन भी आहिस्ता आहिस्ता उस साथ से हट गया. सेक्स से हट गया मैं भी पढ़ाई में मसरूफ़ हो गई. पर मेरे ब्रेस्ट वक्त के साथ साथ अपनी रफ्तार से कुछ ज्यादा ही बढ़ गये. वों यूँ के matric मैं मेरी एक दोस्त गई शीला. और वों भी कुछ सेक्सी निकली जाने क्यों मुझ पे फिदा हो गई. मेरी क्लास में मेरे ब्रेस्ट सब से बड़े और उठे हुए थे अब उन का साईज ३०-D हो चुका था...
एक दिन सुबह सुबह prayer time पे मेरी और शीला कि क्लास में duty थी बाकी सारा स्कूल ground में था. मैं अपनी seat पे बेठी थी के शीला मेरे पास आई.
एक बात कहुँ नाराज तो नहीं होगी तुम उस ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा
नहीं बोलों क्या बात है?
मुझे डर लगता है तुम नाराज हो जाओगी.
नहीं यार बोलों न तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो बोलों क्या बात है कोई चीज चहिये क्या? मैंने उस का हाथ पकड़ के कहा .
हां एक नहीं दो चीज़ै चहियैन. क्या दोगी बल्कि सिर्फ दिखा दो...
क्या दो चीज़ै? मैंने हैरान हो के पूछा.
ये. उस ने अपने दोनों हाथ मेरे ब्रेस्ट पे रख दिये.. मेरे पूरे जिस्म में एक बार फिर वोहि लहर दौड़ गई .
हैं!!!! क्या करती हो ये स्कूल है शीला मैं एक दम पीछे हटी .
तो क्या हुआ यहाँ कोई और तो नहीं है न हमारे सिवा. एक बार दिखा दो न प्लीज मुझे तुम्हारे ब्रेस्ट बड़े अच्छे लगते हैं प्लीज.... मेरे अन्दर के सेक्स ने फिर से सिर निकाल लिया. इतने में उस ने दोनों हाथ मेरे बूब्स पे रख दिये और अब मैंने उसे मना नहीं किया और न ही पीछे हुई.. मुझे अच्छा लगा बल्कि बहुत ही अच्छा मेरे मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई.
शीला आहिस्ता यार दर्द होता है. उस ने हाथ ह्टाए और मेरी कमीज़ ऊपर करनी चाही.
यहाँ नहीं तुम मेरे घर आना आज मैं दिखा दूंगी प्लीज यहाँ नहीं.
वादा करती हो न मैं शाम में आऊंगि
ओ के
ओ के उस ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा.
हां पक्का वादा दिखा दूंगी यार मैंने वादा किया.
उस दिन तो मुझ से स्कूल में बैठा नहीं गया कब छुट्टी हो और कब हम घर जाये. खैर शाम हो ही गई और शीला मेरे घर आ गई मैं उसे ले के अपने कमरे में आई. बाजी शुक्र है घर में नहीं थी. वों भी अपनी किसी दोस्त कि तरफ गई हुई थी. रूम में आते ही उस ने पीछे से मेरे बूब्स पे दोनों हाथ रख दिये और जोर से दबाया मेरी तो चीख ही निकल जाती.
हैं क्या करती हो इतनी दीवानी न बनो जान. डौर तो लोक्क करने दो मैंने दरवाजा लोक्क किया और उस की तरफ पलटी. इतने में उस ने अपनी कमीज़ उतार दी उसकी ब्लैक ब्रा में व्हाईट व्हाईट गोल गोल और छोटे छोटे ब्रेस्ट बड़े प्यारे लग रहे थे. उस ने मेरी कमीज़ भी उतार दी मैंने स्किन कलर की ब्रा पहनी हुई थी. उस ने वों भी खोल दी अब मेरे बूब्स खुली फिज़ा में आजाद थे. उस ने दोनों हाथों से उन का वैट किया. हाथों में उठा उन को मसाज करने लगी. मेरे पिंक निप्पलस् को उंगलियों में दबाने लगी
ऍह अह ह!!! क्या करती हो इस तरह दर्द होता है यार मेरी आंखें बन्द थी
स्श्ह्ह्ह!! चुप जान मजा लो. उस ने मेरे कान में फुसफुसाहट कि और मेरे निप्पलस् पे कुछ गिला गिला लगा. मैंने आंखें खोल के देखा तो वों उस कि ज़ुबान थी. उस ने लिक्क करना शुरू किया. मेरे लेफ्ट बूब पे फिर राईट पे. निप्पल तो निप्पल फिर क्या था उस ने निप्पल मुँह में डाल लिया और किसी भूखे बच्चे कि तरह चूसने लगी. दूसरे हाथ में मेरा दूसरा बूब था.
ऍह अह अह उह उह उह है मैं मर जाऊन गि आह आह आह मेरी सिसकियाँ निकलने लगी और मेरी टाँगों के दरमियान कुछ गिला गिला महसूस होने लगा. मैं समझी शायद युरिन निकल गया है. मैंने हाथ लगा के देखा तो कुछ गाड़ा गाड़ा सा था. फिर वों मुझे बेड़ पे ले आई और मुझे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई और फिर तो उस ने मेरे बूब्स ऐसे चूसे के मेरे होश ही उड़ गये. मेरी पूस्सी (चूत) में से वोहि गाड़ा गाड़ा सा जाने क्या बहुत सा निकला. मेरी पेंटी भर गई मैंने शीला को बताया तो वों हँसने लगी.
जान तुम रिलेक्स हुई हो ऐसा पहले कभी नहीं हुआ क्या?
नहीं यार मेरी तो टाँगों में से जान ही निकल गई है जैसे...
ओ के ठीक है तुम रिलेक्स हो गई हो अब हम आराम करते हैं और वों मेरे ऊपर ही लेट गई. उस के ब्रेस्ट मेरे बूब्स के ऊपर थे. मैं लम्बे लम्बे सांस ले के अपनी सांस ठीक कर रही थी. ऐसा मजा आया के क्या बतऊन. ये मेरी जिन्दगी का पहला रिलेक्स था... बड़ा ही अच्छा लगा बड़ा ही मजा आया.... और यूँ हमारी दोस्ती और भी पक्की हो गई. और ये बूब सक्किंग चलने लगी के हमारे मेर्टिक के एग्साम्स आ गये और हम स्कूल से फ्रि हो गये और पढ़ाई घरों में होने लगी...
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