Saturday, March 20, 2010

हिंदी सेक्सी कहानिया रूम सर्विस --2

राज शर्मा की कामुक कहानिया
हिंदी सेक्सी कहानिया
चुदाई की कहानियाँ

रूम सर्विस --2

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा रूम सर्विस पार्ट -२ लेकर आपके लिए हाजिर हूँ
ऋतु रूम में आकर धदाम से अपने बेड पे गिरी और मुस्कुराने लगी…
खुमारी अभी भी बर करार थी.. और उस खुमारी के आलम में ऋतु के कानो
में करण की कही एक एक बात गूँज रही थी.

धीरे धीरे उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगी और कुछ ही हफ़्तो में दोनो बहुत
अच्छे दोस्त बन गये. करण इस बात का ख़याल रखता था की ऋतु के पास
हमेशा कस्टमर्स जायें जिनको कि अपार्टमेंट्स आंड विलास बेच कर ऋतु को
अच्छी कमिशन मिले. ऋतु इस बात से बेख़बर थी. अब उसको हर महीने
बहुत अच्छी इनकम होने लगी थी. उसके हाव भाव और वेश भूषा भी
बदलने लगी थी.

उसने शहर के मशहूर हेर ड्रेसर के यहाँ से बॉल कटवाए. लेटेस्ट
फॅशन के कपड़े लिए. ऊचि क़ुआलिटी का मेकप खरीदा. आछे परफ्यूम्स और
टायिलेट्रीस. कई दफ़ा काम की वजह से उसे जब लेट होता था तो करण या तो
उसको खुद घर छोड़ के आता था या फिर किसी विश्वसनिया ड्राइवर को भेजता
था.

ऋतु पठानकोट गयी जब अपने माता पिता से मिलने तो उनके लिए अच्छे अच्छे गिफ्ट्स
लेके गयी. वो भी उसकी तरक्की से बहुत खुश थे… मोहल्ले वाले उसके माता
पिता को बधाई देते थे और उनकी बेटी के गुण-गान करने लगे.

ऋतु को एक दिन एक मैल आया.

डियर ऋतु,
आइ वॉंट टू टेक अवर फ्रेंडशिप ए लिट्ल फर्दर. आइ नो टुमॉरो ईज़ युवर
बिर्थडे आंड आइ वानट टू मेक इट स्पेशल फॉर यू. आइ हॅव ए सर्प्राइज़ प्लॅंड
फॉर यू.
यौर्स
करण
*
मैल देख के वो मन ही मन बहुत खुश हुई. करण ने लिखा था "यौर्स,
करण"

उसके भी मन में करण ने घर कर लिया था. वो बहुत ही हॅंडसम और
तहज़ीबदार लड़का था. ना जाने कब ऋतु उसको अपना दिल दे चुकी थी. इस बात
से वो खुद बे खबर थी.

अगले दिन जब ऋतु ऑफीस से निकली तो यह जानती थी कि करण उसका इंतेज़ार
कर रहा था बाहर अपनी कार में. दोनो ऑफीस से चले और एक अपार्टमेंट
कॉंप्लेक्स में चले गये. तब तक दोनो ने कुछ नही कहा था एक दूसरे से.
कार पार्किंग में खड़ी करके करण ऋतु को लेकर लिफ्ट में गया. लिफ्ट 25थ
फ्लोर पे जाके रुकी. टॉप फ्लोर.

करण ने जेब से एक रुमाल निकाला और ऋतु से कहा “प्लीज़ इसे अपनी आँखों
पे बाँध लो”

ऋतु थोड़ी हैरान हुई लेकिन उसने मना नही किया और आँखों पे पट्टी बाँध
दी.

उसको सुनाई दे रहा था कि करण अपनी जेब से चाबी निकल रहा हैं और उसके
बाद दरवाज़ा खोल रहा हैं… करण उसका हाथ पकड़ के उसको कमरे में ले
आया. अंदर जाते ही ऋतु को सुगंध आने लगी … फूलो की… शायद गुलाब
की थी. उसकी आँखें अब भी ढाकी हुई थी. करण ने दरवाज़ा बंद किया और
उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसकी आँखों से पट्टी हटाते हुए बोला हॅपी
बिर्थडे और उसकी गर्दन पे चूम लिया.

ऋतु ने आँखें खोली तो सामने देखा फूल ही फूल. सब तरह के फूल.
गुलाब, कारनेशन, चरयसानतमुँ, लिलीस, ट्यूलिप्स, डॅलिया, डेज़ीस, सनफ्लावर.
सामने फूलो के अनेक गुलदस्ते थे. पूरी दीवार पर बस फूल ही फूल.
सामने एक टेबल सजी हुई थी जिसपे एक हार्ट शेप्ड चॉक्लेट केक था, साथ
ही 2 ग्लास और एक शॅंपेन की बॉटल. टेबल पे कॅंडल लाइट जल रही थी
और पूरी कमरे में उन्ही कॅंडल्स की ही डिम रोशनी थी.

पूरा माहौल बहुत ही रोमॅंटिक लग रहा था. ऋतु के घुटने मानो जवाब दे
रहे थे. उधर करण उसकी गर्दन पर चूम रहा था और हर बार चूमते
हुए हॅपी बिर्थडे बोल रहा था. ऋतु पलटी और करण की तरफ मूह कर
लिया. कारण अभी भी उसकी गर्दन पर लगा हुआ था. ऋतु ने अपनी दोनो बाहें
करण के गले में डाल दी.

“थॅंक यू करण. यह मेरा सबसे अच्छा बिर्थडे हैं आज तक”

“एनीथिंग फॉर यू ऋतु.”

करण ने उसकी गर्दन पे चूमना रोका और उसकी आँखों में देखा. ऋतु की
आँखें कुछ डब दबा गयी थी. वो इस खुशी को समेट नही पा रही थी. करण
ने उसके चेहरे को अपने हाथों में ले लिया और धीरे से अपने होंठ उसके
होंटो की तरफ बढ़ा दिए. ऋतु तो जैसे उसकी बाहों में पिघल सी गयी
थी. उसने कोई विरोध ना किया. दोनो के होंठ मिले और ऋतु के शरीर में एक
कंपन सी हुई.

पहली बार वो किसी लड़के को चूम रही थी. उसे अपने पूरे बदन में ऐसी
सेन्सेशन महसूस हो रही थी जैसे बिजली का करेंट दौड़ रहा हो रागो में.
उसके और करण के होंठ एक हो चुके थे. करण उसके लबो को बहुत हल्के से
चूम रहा था. कारण ने थोडा लबो को खोलने की कोशिश की और नीचे वाले
होंठ को अपने दाँतों में दबाया.

ऋतु की पकड़ टाइट हो गयी… उसके लिए यह सब नया था लेकिन कारण इस गेम
का पुराना खिलाड़ी था…

रईस बाप की हॅंडसम औलाद..लड़कपन से ही इस खेल में आ गया था.
स्कूल में उसकी अनेक गर्लफ्रेंड्स थी. हर क्लास में वो नयी गर्ल फ्रेंड बनाता
था. उसके बाप ने उसे 9थ में मारुति ज़ेन गिफ्ट की थी जिसमे उसने बहुत
लड़कियों को घुमाया था और शहर की सुनसान सड़को पे उस गाड़ी के अंदर
बहुत हरकतें हुई थी. बाद में जब वो यूएसए गया एमबीए करने तो वहाँ अकेले
रहता था एक फ्लॅट लेके. उसके फ्लॅट को लोग ‘लव डेन’ कहते थे. वहाँ उसने
कई फिरंगी लड़कियों से अपने देसी लंड की पूजा करवाई थी.

इधर ऋतु भी अब किस में शामिल हो रही थी.. वो खुद भी अपने होंठ
खोल के करण को प्रोत्साहन दे रही थी. करण ने जीभ हल्के से उसके मूह
में घुसाई. हर ऐसी नयी हरकत पे ऋतु की उंगलियाँ करण की पीठ में
ज़ोर से धस जाती थी.. लेकिन जल्दी ही ऋतु खुद वो काम कर रही थी…
जल्दी सीख रही थी… दोनो एकदम खामोश खड़े हुए इस चुम्मा चाटी में
लगे हुए थे…

अब समय था की करण के हाथ अपना कमाल दिखाते. उसने हाथ उसके चेहरे
से हटा के उसकी गर्दन पे टिकाए.. लेफ्ट हॅंड से गर्दन के पीछे मसाज
करने लगा और उसका राइट हॅंड धीरे धीरे नीचे सरकता रहा ऋतु के
लेफ्ट बूब की तरफ. करण ने हल्के हाथ से उसे दबाया और उसके मम्मे के
चारों और सर्कल्स में उंगलियाँ दौड़ाने लगा. ऋतु यह सब बखूबी
महसूस कर रही थी लेकिन उसो भी इस सब में मज़ा आरहा था.. उसकी
आँखें तो किस करते समय से ही बंद थी. वो एक ऐसे समुद्रा में गोते
लगा रही थी जहाँ वो खुद डूब जाना चाहती थी.

करण ने अपने दोनो हाथ अब उसकी कमर पर उसके लव हॅंडल्स पे रख दिए
और उनको हल्के से सहलाने लगा. ऋतु के घुटनो ने जवाब दे दिया और वो
करण के उपर आ गिरी… कारण ने उसको संभाला और पीछे पड़े हुए ब्लॅक
लेदर के सोफा पे जाके बैठ गया और ऋतु को अपनी गोद में बिठा लिया.
ऋतु की आँखें बंद थी और बाहें करण के गले में. वो करण की गोद
में बैठी थी और उसको अपने चुतताड के नीचे किसी कड़क चीज़ का एहसास
हो रहा था.

करण ने कमीज़ के नीचे से अपना राइट हाथ कमीज़ के अंदर डाल दिया.. अब
वो ऋतु के मुलायम और स्मूद बदन को एक्सप्लोर करने लगा…. इस पूरे समय
दोनो किस करते जा रहे थे जो अब स्मूच में बदल गयी थी. ऋतु की टंग
और करण की टंग मानो एक हो गये हो.. करण किसी भूखे कुत्ते की तरह
अपनी जीभ लपलपा रहा था और ऋतु उसका पूरा साथ दे रही थी…

करण ने ऋतु को टेढ़ा किया ऐसे की ऋतु की पीठ उसकी छाती पे थी. करण
उसकी गर्दन पर अब भी किस कर रहा था और उसके दोनो हाथ अब ऋतु के
बूब्स पर थे वो हल्के हल्के उन्हे दबोच रहा था… ऋतु के मस्त 36 इंच के
बूब्स ने आज तक किसी पराए मर्द के हाथों को महसूस नही किया था. वो
भी मानो इस चीज़ से इतने खुश थे की ना चाहते हुए भी ऋतु अपने बूब्स को
आगे बढ़ा रही थी… करण ने कपड़ो के उपर से उसके बूब्स को पकड़ लिया..
ऋतु के मूह से एक आह छूट पड़ी… करण ने हाथ आगे बढ़ाए और नीचे
उसकी जाँघो को सहलाने लगा…

वो पूरा खिलाड़ी था.,.. उसको पता था की लड़की को गरम कैसे करना हैं
और कैसे उसके विरोध को तोड़ना हैं… अब करण अपनी अगला कदम बढ़ाने वाला
था और उसको मालूम था की विरोध आने ही वाला हैं… वो इसके लिए पूरी
तरह से तैयार था…

ऋतु ने अपने हाथ पीछे करण के गले में डाले हुए थे जिससे की करण को
उसके बूब्स का अच्छी तरह से दबाने का मौका मिल रहा था. अब करण ने अपना
अगला कदम बढ़ाया और धीरे से राइट हॅंड उसकी चूत के उपर ला कर रख
दिया और थोड़ा सा दबाव दिया.

“यह क्या कर रहे हो कारण”

“ऋतु मैं अपने आप को नही रोक सकता”

“नही करण ऐसा मत करो.. यह ग़लत हैं”

“ऋतु अगर यह ग़लत होता तो हूमें इतना अच्छा क्यू महसूस हो रहा हैं…
क्या तुम्हे अच्छा नही लग रहा??”

“हचहा लग रहा हैं..बहुत अच्छा”

“रोको मत अपने आप को ऋतु”

करण ने ऋतु की कमीज़ उसके सर के उपर से निकाल दी. ब्लू कलर की ब्रा
में ऋतु के मस्त 36” बूब्स मानो करण को बुला रहे हो अपनी ओर. करण ने
ब्रा के उपर से ही उन्हे चूमना शुरू किया. हर किस के साथ ऋतु के मूह से
आह छूट रही थी. करण ने सिर्फ़ एक ही हाथ से उसके ब्रा के हुक्स खोल
दिए.. वो प्लेयर आदमी था. धीरे से ब्रा के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से उतारे….
और ब्रा को शरीर से अलग कर दिया.

ऋतु की आँखें अब खुल गयी थी… कमरे में अभी भी कॅंडल्स की हल्की
रोशनी ही थी…. फूलो की मदमस्त करने वाली खुश्बू और कारण. उसे मानो
यह सब एक सपना लग रहा था… मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था…
एक मिली जुली फीलिंग थी… वो समझ नही पा रही थी की रुक जाए या आगे
बढ़े… उधर करण चालू था… पूरे समय उसके हाथ ऋतु के बदन को
एक्सप्लोर कर रहे थे.. ऋतु को यह पता नही था की किसी और के छूने से
इतना अच्छा लग सकता हैं.


करण का हौसला बढ़ता जा रहा था. उसका पता था की ऋतु गरम हो रही
हैं… जल्दी ही उसके हाथ सलवार और पॅंटी के उपर से उसकी चूत को
सहलाने लगे… ऋतु के मूह से आह ओह छूटे जा रही थी.. उसने आँखें बंद कर
ली थी और एंजाय कर रही थी..

करण ने उसकी नंगे बूब्स को एक एक करके चूमा उर अपनी जीभ से निपल्स के
आस पास सर्कल्स बनाने लगा… उसने जान बूझके निपल्स को मूह में नही
लिया.. वो तड़पाना चाहता था ऋतु को.. ऋतु को आनंद आ रहा था लेकिन
अधूरा… अंत में उससे रहा ना गया और उसने खुद कहा

“मेरे निपल्स को चूसो करण”

“ज़रूर बेबी”

“ओह करण आइ लव यू.. आइ लव यू सो मच…दिस फील्स सो गुड…”

“आइ लव यू टू बेबी.. यू आर सो ब्यूटिफुल”

यही मौका था… करण ने स्सावधानी से उसकी सलवार के नाडे का एक कोना पकड़ा
और साथ की निपल्स भी मूह में ले लिए… प्लेषर से ऋतु कराह उठी और
साथ ही नाडा भी खुल गया.. ऋतु को तो इस बात का एहसास ही नही हुआ की
नाडा कब खुला… जब करण का हाथ गीली हो चुकी पॅंटी पे पड़ा तब उसे
मालूम हुआ…

करण था मास्टर शिकारी.. कैसे शिकार को क़ब्ज़े में करता जा रहा था और
शिकार को खबर तक नही…

गीली हो चुकी पॅंटी के उपर से उसने चूत को मसलना शुरू किया… ऋतु अब
करण को चूमने लगी.. कभी उसके होंठ कभी गाल कभी गर्दन कभी
कान… उसके हाथ करण की चौड़ी छाती और मज़बूत कंधे पर घूम रहे
थे.

कारण ने धीरे से सलवार सरका कर उसके पैरों से अलग कर दी… अब करण
और उसके टारगेट के बीच सिर्फ़ एक लेसी नीली पॅंटी थी… ऋतु को सोफे पे लिटा
के करण उसके पेट पर किस करने लगा.. उसका एक हाथ उसके बूब्स को मसल
रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत को. ऋतु उसके बालों में उंगलियाँ डाल
के कराह रही थी.


करण ने हाथ पॅंटी के अंदर डाल दिया.. ऋतु की चूत मानो किसी भट्टी की
तरह धधक रही. टेंपरेचर हाइ था.. और रस भी शुरू हो चूक्का
था… ऋतु के लाइफ में पहली बार यह सब हो रहा था… करण ने पॅंटी नीचे
करने की कोशिश की

“ओह करण.. प्लीज़… यह क्या कर रहे हो… ”

“प्यार कर रहा हूँ ऋतु”

“ओह करण… यह ठीक नही हैं.. यह ग़लत हैं” ऋतु का विरोध सिर्फ़ नाम का
ही विरोध था… मन तो उसका भी यही था लेकिन मारियादा की सीमा तो एकदम से
कैसे लाँघ जाती .. आख़िर वो एक भारतिया लड़की थी.

“फिर वही बात… इट्स ऑल फाइन बेबी… यू नो आइ लव यू … जब बाकी पर्दे हट
चुके हैं तो यह भी हट जाने दो ना”

“लेकिन हमारी शादी नही हुई हैं करण.”

“बेबी.. तुम्हे मुझपे भरोसा नही हैं क्या… क्या तुम्हे लगता है मैं
धोकेबाज़ हूँ” करण ने आवाज़ में थोडा गुस्सा उतारा.

“नही करण.. यह बात नही हैं”

“नही ऋतु आज मुझे मत रोको…”

यह कहते हुए उसने पॅंटी नीचे कर दी .. ऋतु ने भी लेटे लेटे अपनी गांद
उठा के उसकी मदद की…

कमरे की मध्यम रोशनी में कारण ने ऋतु की चूत को निहारा… चूत की
फांके जैसे आपस में चिपकी हुई थी. चूत अपने ही रस में चमक रही
थी… उसके उपर हल्के हल्के बाल… ऋतु बहुत ही गोरी थी और उसकी चूत भी…
उसकी क्लाइटॉरिस एकदम सूज गयी थी… करण ने बड़े ही तरीके से उसकी चूत
को चूमा…

“ओह करण यू आर सो गुड.”

करण ने अपनी जीभ को चूत की दर्रार में डाल दिया और नीचे से उपर
उसके क्लिट तक लेके गया… ऋतु का हाल बुरा हो रहा था… करण ने क्लिट को
अपने मूह में लिया और चूसने लगा…. करण ने ऋतु की लेफ्ट टाँग को अपने
कंधे पे रख किया और डाइरेक्ट्ली उसको चूत के सामने आ गया… ऋतु के हाथ
करण के सर पर थे और वो उसके मूह को अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी.


करण ने क्लिट चूस्ते हुए ही अपनी शर्ट और जीन्स उतार दी …. उसके अंडरवेर
में उसका लंड तना हुआ था… अब वो धीर धीरे उपर आया उसके पेट बूब्स
और गर्दन को चूमते हुए… ऋतु के लिप्स को चूमा और धीरे से उसके कान
में कहा

“ऋतु तुम्हारा गिफ्ट तैयार हैं”

“कहाँ हैं गिफ्ट”

“यहाँ” और उसने अपने लंड की तरफ इशारा किया.
ऋतु शर्मा गयी … उसने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और करण के लंड को
अंडर वेर के उपर से छुआ…

“अंदर आराम से हाथ डाल लो… डॉन’ट वरी”

ऋतु ने अंडर वेर के अंदर जैसे ही हाथ डाला कारण ने अपने हिप्स उठा
दिए… ऋतु इशारा समझ गयी और करण के अंडर वेर को नीचे कर दिया… अब
दोनो के शरीर पे एक धागा भी नही था…

ऋतु उठ के नीचे फर्श पे घुटने टीका के बैठ गयी… करण का लंड उसके
मूह के सामने था… पूरी तरह से तना हुआ… ऋतु अपनी ज़िंदगी में पहली बार
ऐसे दीदार कर रही थी लंड का … एक पल के लिए तो उसे देखती ही रही… 7
इंच का मोटा लंड उसके सामने था... करण ने उसके हाथ को अपने लंड पे
रख,, ऋतु ने कस कर पकड़ लिया… और हाथ उपर नीचे करने लगी… करण
ने अपने एक हाथ से उसके सर के पीछे दबाओ दिया और उसका मूह लंड के सिरे
पे ले आया. ऋतु ने करण की आँखों में देखा..

“ऋतु अपना मूह खोलो और लंड को चूसो प्लीज़.”

“लेकिन यह तो इतना बड़ा हैं..”

“डॉन’ट वरी.. सब हो जाएगा.”

“ओके”

और ऋतु ने लंड को मूह में लिया .. नौसीखिया होने के कारण उसको पता
नही था आगे क्या करना हैं… करण ने अपने हाथ से दबाव देते हुए उसके
सर को आगे पीछे किया और मज़े लेने लगा. ऋतु भी थोड़ी देर में
रिदम में आ गयी और लंड हो आछे से चूसने लगी… करण ने ऋतु के
दूसरे हाथ को लेके अपने बॉल्स पे लेके लगा दिया.. ऋतु उसका इशारा समझ
गयी और उसके बॉल्स से खेलने लगी.

थोड़े देर बाद करण ने उसको उठाया और अपने साथ सोफे पे बिठाया … वो
उठा और सामने टेबल पर पड़ी शॅंपेन की बॉटल खोली.. दो लंबे ग्लास
में शॅंपेन डाल के ले आया. उसने एक ग्लास ऋतु की और बढ़ा दिया… ऋतु ने
मना नही किया और खुशी खुशी ग्लास ल्लिया

“चियर्स”

“चियर्स”

“इस हसीन शाम के काम”

“तुम्हारे और मेरे प्यार के नाम”

और दोनो ने शॅंपेन के घूट लिए…ऋतु का गला सूख रहा था इसलिए उसने
थोडा बड़ा सा घूट लिया और एकदम से खांस पड़ी. थोड़ी सी शॅंपेन उसके
मूह से निकल के होंठो और सीने से होते हुए उसके बूब्स पे गिर गयी…

ऋतु ने जैसे ही हाथ बढ़ाया पोछने के लिए करण ने उसका हाथ पकड़
लिया…. उसने धीरे से उसका हाथ नीचे किया और अपना मूह उसके बूब की तरफ
ले गया… उसने अपनी जीभ निकाली और छलके हुए शॅंपेन को अपनी जीभ से
चाटा. ऋतु को इसमे अत्यंत आनंद आया. करण चाटते ही रहा… ऋतु को भी
बहुत मज़ा आ रहा था… शेम्पेन के सोरक्लिंग बुलबुले उसके शरीर में एक
अजीब सा एहसास दिला रहे थे और करण की जीभ इस एहसास को और बढ़ा रही
थी.

करण ने अपने गिलास से थोड़ी सी शॅंपेन और छलका दी उसके दूसरे बूब
पर और उसको भी चाटने लगा.. ऋतु ने पैर खोले और उसकी उंगलियाँ खुद बा
खुद उसकी चूत की तरफ चल दी और उससे खेलने लगी… करण समझ गया
और उसने शॅंपेन अब ऋतु की चूत पे डाल दी… शॅंपेन पड़ते ही ऋतु ने
एकदम से टांगे बंद कर ली… क्लिट पर चिल्ड शॅंपेन का एहसास असहनीया
था.

करण ने धीरे से उसकी टाँगों को खोला और शॅंपेन में उसकी चूत को
नहला दिया… चूत से टपकती हुई शॅंपेन की धार को उसने अपने मूह में ले
लिया और पीने लगा… ऋतु इस एहसास से पागल हो रही थी… चूत में से
टपकती हुई शॅंपेन का टेस्ट सब शॅंपेन्स से बढ़िया था जो आज तक
करण ने पी थी.

शायद यह कमाल ऋतु की चूत से छूट रहे पानी का नतीजा था जो
शॅंपेन में मिल गया था.

करण ने बॉटल उठा ली और उससे लगतार शॅंपेन ऋतु की चूत पे डालने
लगा.,… और उसके नीचे अपना मूह लगा लिया… ऋतु को यकीन नही हो रहा था
की यह उसके साथ क्या क्या हो रहा हैं.. उसको सब सपने जैसा लग रहा था..
लेकिन एक ऐसा सपना जिससे वो जागना नही चाहती थी.

करण ने टेबल से केक लिया और एक उंगली में चॉक्लेट ड्रेसिंग लेकर ऋतु
के सीने पे लगा दी.

“यह क्या कर रहे हो करण.. अफ सारा गंदा कर दिया…” ऋतु ने अपने हाथ
से सॉफ करने की कोशिश की लेकिन करण ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया..
ऋतु समझ गयी और उसने अपना नीचे वाला होंठ दाँतों में दबा लिया..
करण आगे बढ़ा और अपने मूह में चॉक्लेट में डूबी ऋतु की चुचि दबा
ली और उस पे से चॉक्लेट चाटने लगा…

ऋतु की चूचियाँ पिंक कलर की थी लेकिन इस प्रहार के बाद वो एकदम
लाल हो गयी थी और तनी हुई थी. करण उनपे चॉक्लेट लगाता और उसे चाट
लेता… उधर ऋतु के हाथों में उसका लंड था… वो उससे खेले जा रही थी…
दोनो एक दूसरे में एकदम घुले हुए थे… दीन दुनिया से बेख़बर… सब
बंधानो से कटे हुए. करण अपनी सब किकी फॅंटसीस पूरी करने पर आमादा
था.

अचानक करण उठा और उसने ऋतु को अपनी बाहों में उठा लिया. वो ऊए लेके
घर में बेडरूम में ले गया. बेडरूम बहुत ही आलीशान था… एसी चल रहा
था …चारो और दीवारों पे बढ़िया पेंटिंग्स… बीच में एक फोर पिल्लर बेड
और बेड के एक तरफ जहाँ वॉर्डरोब था उसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे.


करण ने ऋतु को आराम से बेड पे लिटाया. साटन की महरूम बेडशीट पे
लेट-ते ही ठंड की एक लहर ऋतु की शरीर में दौड़ गयी… उसके रोंगटे
खड़े हो गये. करण यह देख के मुस्कुराया और अपनी उंगलियों से उसके रोंगटो
को महसूस करने लगा… अब वो खुद भी बेड पे आके लेट गया. दोनो के कपड़े
अभी भी बाहर ड्रॉयिंग रूम में पड़े हुए थे.

करण बेड पे ऐसा लेटा था की ऋतु उसकी लेफ्ट साइड में थी… उसी साइड में
वॉर्डरोब भी था जिसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे. यानी की करण अपने
सामने ऋतु के आगे का शरीर देख सकता था और शीशे में उसकी पीछे
का… इस गेम का पुराना खिलाड़ी था आख़िर…. करण ने सीधा शॅंपेन की
बोतल पे मूह लगाया और शॅंपेन गटाकने लगा. उसने शॅंपेन ऋतु को भी
ऑफर की … ऋतु ने मना किया...

अब करण ने शॅंपेन की बोतल को फिर से मूह में लिया और अपने गालों में
शॅंपेन भर ली. उसने ऋतु को चूमने के बहाने वो शॅंपेन ऋतु के मूह
में उडेल दी. ऋतु ने शॅंपेन को जैसे तैसे गटक लिया और उसके बाद
खेलते हुए एक हाथ मारा करण की छाती पे. कारण ने उसे फिर से चूमना
चालू किया ताकि उसे मेन आक्ट से पहले गरम कर सके. ऋतु अब तक काफ़ी
पानी छोड़ चुकी थी और उसकी चूतका गीलपन उसकी जाँघो तक टपक रहा
था…

ऋतु के शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नही था जिसे करण ने चूमा नही…..
अब टाइम आ चुक्का था ऋतु की कुँवारी चूत को भोगने का… करण का लंड
एकदम तना हुआ था … कब से वो इस दिन का इंतेज़ार कर रहा था… ऋतु भी
फुल गरम हो चुकी थी … करण ने ऋतु की टांगे फैलाई और उनके बीच
जाके बैठा… उसने ऋतु की आँखों में देखा… उनमें एक अंजान सा डर था…


वो आगे बढ़ा और उसने ऋतु के गालों को चूमा और बोला

“डॉन’ट वरी… मैं हूँ ना”

ऋतु को यह बात सुनके कुछ सुकून मिला और उसने आँखें बंद कर ली.
आँखें बंद किए हुए ऋतु इतनी स्वीट और ब्यूटिफुल लग रही थी की एक पल के
लिए तो करण के मन में ख्याल आया की बस उसे निहारता रहे और उसकी ले
नही… लेकिन घोड़ा अगर घांस से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या.

एक उंगली… सिर्फ़ एक उंगली घुसते ही ऋतु ने आँखें ज़ोर से भीच ली दर्द के
मारे और मूह से एक दबी हुई चीख... करण ने उसे हौसला देते हुए कहा की
अभी सब ठीक हो जाएगा… उसने उंगली वापस अंदर डाली और थोड़ी देर अंदर
ही रहने दी… कुछ टाइम बाद धीरे से अंदर बाहर करने लगा… उसने उंगली
अंदर घुसाई और अंगूठे से ऋतु के क्लिट से खेलने लगा,… ऋतु मारे आनंद
के करहा रही थी… अपने घुटनो को मोड़ के उपर उठा लिया था ताकि चूत
एकदम सामने आ जाए.

अब करण से रहा नही जा रहा था…करण ने लंड को हाथ में पकड़ा और उसे
टच करवाया ऋतु की चूत पे. ऋतु सिहर गयी… पहली बार उसकी चूत पे
किसी लंड का संपर्क हुआ था. उसने अपनी सहेलियों से सुना था की पहली बार
करने में बहुत दर्द होता हैं.. लेकिन वो यह दर्द भी झेल सकती थी अपने
करण के लिए.

करण ने अब देर ना की और एक हल्के झटके से अपने लंड का सिरा उसकी चूत की
फांको में घुसा दिया. ऋतु ने ज़ोर से तकिये को दबा दिया… और आँखें
ज़ोर से भींच ली… और अभी तो सिर्फ़ लंड का सिरा गया था अंदर. करण ने
थोड़ी देर वैसे ही रहने दिया.. उसके बाद उसने वापस दम लगाया और आधा
लंड अंदर कर दिया चूत के…. ऋतु हल्के से चीख पड़ी…. उसकी आँखों के
किनारो में आँसू की बूँदें जमने लगी…

करण ने ऋतु के माथे पे आई कुछ पसीने की बूँदें पोछी और उसके गाल
थपथपाते हुए कहा.

“डॉन’ट वरी जान… यू आर डूइंग ग्रेट”

अब करण ने एक आखरी धक्का दिया और लंड चूत में पूरी तरह से घुस
गया… ऋतु की चीख चूत गयी और उसके नाख़ून कारण की पीठ में धँस
गये. करण अंदर बाहर करने लगा अपना लंड और देखा की उसके लंड पे खून
लगा हुआ था जो की चूत से सरक से बिस्तर पे पड़ रहा था…

करण ने मन ही मन सोचा “अच्छा हुआ महरूम कलर की बेडशीट्स ली ..
वरना ना जाने कितनी बदलनी पड़ती आज तक. ”.

उधर ऋतु का दर्द के मारे बुरा हाल था… वो बस वेट कर रही थी की यह
जल्दी से ख़तम हो और वो दर्द से छुटकारा पाए…. करण अब फुल फोर्स से
लगा हुआ था. उसने ऋतु की दोनो टाँगें उठा के अपने कंधे पे रख ली थी
ताकि अछी तरह से पेनेटरेट कर सके…. उसके स्ट्रोक्स स्लो और डीप थे….
फिर वो कभी स्पीड पकड़ लेता और जल्दी जल्दी छोटे स्ट्रोक्स मारता था.

ऋतु की सील तो टूट चुकी थी लेकिन अभी तक दर्द कम नही हो रहा था…
करण के लिए अपनी फीलिंग्स की वजह से वो उसको रुकने के लिए भी नही बोल
रही थी…. आख़िर कार करीब 15 मिनट लगातार ऋतु की चूत मारने के बाद
करण ऑर्गॅज़म के करीब पहुचा… उसने नीचे लेटी ऋतु के दोनो बूब्स को ज़ोर
से हाथों से मसला और अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ने लगा,,, वो छोड़ते
छोड़ते भी स्ट्रोक्स मार रहा था… उसको इसी में मज़ा आता था…. जब पूरी
तरह से लंड की धार को ऋतु की चूत में डाल चुक्का था तो वो थक कर
उसी के उपर गिर गया… ऋतु ने उसके बालों को सहलाया और उसके थके हुए
शरीर को सहरा दिया…

करण ने ऋतु की चूत से अपना लंड निकाला और एक टिश्यू से पोछा… उसने
टिश्यू पेपर ऋतु को दे दिया.. ऋतु उठ के लेकिन साथ ही बने अटॅच्ड टाय्लेट
में चली गयी…

टाय्लेट में जाकर ऋतु ने देखा की उसकी चूत से खून निकला हैं और टाँगो
में भी लगा हैं… उसकी चूत से करण का वीर्य भी टपक रहा था… ऋतु ने
आछे से अपने आप को क्लीन किया और मूह भी धोया… शॅंपेन पीने की वजह
से उसको मूतने की ज़रूरत पड़ी… जब वो कॅमोड पे बैठ के पी करने लगी
तो उसे बहुत जलन हुई…

ऋतु बाथरूम से टॉवेल लॅपेट के बाहर आई तो देखा की करण अभी भी नंगा
लेटा हुआ था और बेड पे सिगरेट पी रहा था…

“करण मुझे नही पता था आप सिगरेट भी पीते हो”

“तुम्हे मेरे बारे में अभी बहुत सी चीज़ें नही पता ऋतु… कम हियर
क्लोज़ टू मी”

ऋतु उसके बाहों में जाके लेट गयी… उसका सर कारण की छाती पर था और
उसके हाथ करण की कमर पर.
दोस्तो कहानी के इस पार्ट को यहीं बंद कर रहा हूँ आगे की कहानी अगले भाग मैं पढ़ें































































































































































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