Tuesday, March 16, 2010

हिंदी सेक्सी कहानिया आप की शशि पार्ट् – 3

राज शर्मा की कामुक कहानिया
हिंदी सेक्सी कहानिया


आप की शशि पार्ट् – 3
(पार्ट - ३ शशि कि कहानी और लिसेन इट इन शशि वर्डस)

हां तो मेर्टिक के एग्साम्स के लिये स्कूल से हम फ्रि हो गये थे लेकिन बूब सुक्किंग कि ऐसी आदत सी हो गई थी कि क्या कहुँ एक दिन भी नहीं रहा जाता था. शीला कभी मेरे घर आ जाती और कभी मैं उस के घर चली जाती और हम बहुत मजा करते. इसी तरह दिन गुजरने लगे और फिर एग्साम्स स्टार्ट हो गये और आना जाना कम हो गया.

एक रात मैं अपने कमरे में स्टडी कर रही थी के खुद ब खुद मेरा हाथ मेरे लेफ्ट ब्रेस्ट पे चला गया वैसे तो मैं स्टडी कर रही थी लेकिन दिमाग उसी सेक्स कि तरफ था. मैं अपने ब्रेस्ट को मसाज करने लगी. मेरी सांसें तेज़ होने लगी और नीचे वोहि गिला गिला. मैं उठी और रूम का डोर लोक्क किया और आईने (मिरेर) के सामने आ गई. मैंने अपनी कमीज़ उतार दी फिर ब्रा भी. आईने में अपने बूब्स को देखने लगी. काफी बड़े थे मेरी कमर २६ होगी और ब्रेस्ट उस वक्त ३० के. या शायद कुछ बड़े क्यों के ३० की ब्रा जरा टाईट ही आती थी. निप्पलस् मेरे पिंक और जरा छोटे थे और उन का डैर भी छोटा ही था.

खैर मैं उन को मलने लगी निप्प्लेस हार्ड हो गये थे उँगली में दबाती. हाथों में भरती मसाज करती. मैं अपने बूब्स से खेलने लगी मजा आने लगा और फिर मैंने अपनी शलवार भी उतार दी. ड्रेसिंग टेबल के बड़े से मिरेर में अब मैं खुद को अपने नीस तक देख सकती थी. मेरी नज़ेर अपने पयुबिक हेयर्स पे पड़ी काफी बड़े हो रहे थे लेकिन थे ब्राउन कलर के. मैं उन में उंग्लियान फेरने लगी और मेरा हाथ मेरी पूस्सी (चूत) को भी टच हो रहा था. मैंने मिरेर में गोर से देखा मेरी पूस्सी (चूत) भी छोटी सी थी. और उस के देर्मिआन से वोहि गिला गिला निकल रहा था. मैं एक फिंगेर अपनी पूस्सी (चूत) के देर्मिअन डाल पूस्सी (चूत) लिप्स को अलग की तो एक धार सी घरे से पानी कि निकल के मेरी थाईस तक बेह गई. अरे ये क्या है मैंने सोचा, मेरी पूस्सी (चूत) लिप्स के देर्मिअन एक हार्ड सा कुछ था. मैं झुक गई और दोनों हाथों से लिप्स को अलग किया और गोर करने लगी. एक दाना सा था पर थोड़ा सा हार्ड हो रहा था.

उस पे जैसे ही फिंगेर लगै तो एक लहर मेरे पूरे बादन में दौड़ गई अह अह.
ये क्या है इस को छेड़ने से तो बड़ा मजा आया. लेकिन खड़े खड़े वहाँ हाथ रखने में मजा नहीं आ रहा था मैं बेड़ पे आ कर बैठ गई और अपनी टाँगें खोल ली. और उँगली से उस को छेड़ने लगी ऊपर से नीचे अह अह ओह ओह बड़ा मजा आ रहा था और हाथ तेजी से चलने लगा. चलता रहा चलता रहा. और सांसें तेज़ हो गई. दिल जोर से धड़कने लगा. लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था. आखैन बन्द हो रही थी. और फिर मैं रिलेक्स हो गई अह अह ह उह उह हुम हुम. बहुत ही ज्यादा व्हाईट गिला गिला निकला. बड़ा मजा आया......

लेकिन जैसे मेरी टाँगों से जान सी निकल गई. बादन सारा पसीने से भर गया..... और मैं जाने कब सो गई.

अगले ही दिन एग्साम्स था पर क्या करती सारा टाईम रात का नशा दिमाग पे छाया रहा और कुछ भी न लिख पाई. खैर वहाँ से शीला के साथ उस के घर आ गई. हम जैसे ही घर पहुँचे उस कि मम्मी कही जा रहीं थी. एग्साम्स का पूछा और फिर चली गई. मैंने उन के जाते ही शीला को पकड़ लिया.

ये तुम ने क्या कर दिया है शीला कि बच्ची. किसी काम का नहीं छोड़ा मुझे

क्यों क्या हुआ उस ने मुसकुराते हुए पूछा.

रात में खुद ही एक न्यू एक्सपेरिमेंट किया है. आ जरा तुझे भी बतऊन मैंने उसे बेड़ पे लिटा दिया और उस कि तुरंत शलवार उतार दी टाँगें खोल दी और खुद दरमियान मैं बैठ गई और उस कि छोटी सी पूस्सी (चूत) पे हाथ फेरने लगी.

अरे ये क्या कर रही हो उस ने हेरांगी से पूछा

श्ह्ह खामोश! मैंने उँगली अपने होंठों पे रख के उसे चुप करवाया.

मजा लो बस. इट्स न्यू वै फोर रेलेक्सिंग

ओ के और वों खामोशी से लेट गई. मैं अब हल्के हल्के उस के पूस्सी (चूत) लिप्स पे उंग्लिआन फेरने लगी. उसे गुदगुदी हो रही थी वों कभी अपने हिप्स उठाती कभी नीचे करने लगाती. मैंने एक उँगली उस के पूस्सी (चूत) लिप्स के देर्मिअन कर दी उस का दान भी हार्ड हो चुका था. मैं उस को सहलाने लगी. उस को छूने लगी ऊपर से नीचे.

उस के मुँह से, ऍह अह शशि अह क्या बात हैं बहुत मजा आ रहा है. वाउ इट्स वंडरफुल यार आह आह आह उस कि आंखें बन्द हो गई थी. मैं उस के दाने से खेलती रही और अब उस कि पूस्सी (चूत) में से गिला गिला निकल रहा था. मेरी पूस्सी (चूत) भी वेट् लग रही थी. मैंने उँगली कि रफ्तार तेज़ कर दी. उस का पूरा बादन तन गया और वों रिलेक्स हो गई इतनी ज्यादा के क्या कहुँ. मेरा हाथ भर गया. और फिर उस कि बोडी ढीली पर गई. वों तेज़ तेज़ सांसें लेने लगी.

ग़्रेअट यार शशि यू आर रियली गूड. क्या नय तजर्बा किया है. आज तो ऐसा मजा आया के क्या कहुँ. आह उस ने आंखें बन्द रखते हुए ही आहिस्ता से कहा.

चलो ज्यादा मजा नहीं लो अब मेरी बारी है. कम ओन बेबी लेट्स् डू इट् विद माई पूस्सी (चूत) नाउ और मैंने खुद ही अपनी शलवार उतार दी और टाँगें फैला के बेड़ पे लेट गई और वों मेरी टाँगों के देर्मिअन आ गई .
अरे शशि! तुम्हारी पूस्सी (चूत) तो बाहर को निकली हुई है लगता है रात तुम ने कुछ ज्यादा ही रब कर लिया इस को. स्वेल्ल हो रही है. मैंने उठ के देखा तो मेरे पूस्सी (चूत) लिप्स वाकई स्वेल्ल हो रहे थे.

हां हो तो रहे हैं लेकिन कम ओन यार जल्दी, फिर तुम्हारी मोम न आ जाये और वों स्टार्ट हो गई....... रात खुद से करने का तो जो मजा आया ही आया लेकिन किसी दूसरे के हाथों से पूस्सी (चूत) रब करवाने का और ही मजा है. ऍह आह उह ओह्ह क्या बात है शीला ने ऐसा मजा दिया कि क्या कहुँ......

और यूँ हम ने सेक्स का एक और न्यू वय तलाश कर लिया. अब हम बूब सुक्किंग के साथ साथ पूस्सी (चूत) रबिंग के मजे लेने लगे... पूस्सी (चूत) रुबिंग में कभी कभी हमारी उंग्लिआन पूस्सी (चूत) के उन्देर भी चली जाती लेकिन अभी हमें फिंग्रिंग का पता नहीं था और हम डरते भी थे कही कुछ उलटा ही न हो जाये.

एग्साम्स खतम हुए. जान छूटी. और हम यून्हि मिलते रहे. फिर एक दिन जब मैंने शीला के यहाँ फोन किया के मैं आऊं या वों आ रही है तो पता चला के वों अपनी मोम के साथ अपने अंक्ल के यहाँ दूसरे सिटी चली गई है अचानक. पता नहीं कब आयेगी और मैं परेशान हो गई....

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