हिंदी सेक्सी कहानिया
चुदाई की कहानियाँ
उस दिन के बाद पार्ट--१
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका राज
लोग हुमारे घर मे बेते थे. पता चला की ये लोग हस-वाइफ हैं ओर
सामने वेल घर मे हुमारे नये नेबर बन कर आए हैं. जल्दी ही
वो लोग हुंसे घुल-मिल गये. बादमे पता चला की उन्होने लोवे-
मर्रिगे की थी जिसके बाद उनकीघरवालों से नही बनी इसलिए उन्हे
घर छोड़ कर किराए पे रहना पड़ा. भाभी ग़ज़ब की सुंदर थी.
भैसाहब को एक मार्केटिंग फर्ममे सर्विस मिली थी. जिसकी वजह से
उन्हे ज़्यादातर बाहर ही रहनापड़ता था. कोई ठिकाना था नही सो अपने
ही शहर मे घर किराए पर ले कररहने लगे. जल्दी ही वो फिर
अपनी ड्यूटी पर वापस चले गये.
अब भाभी का ज़्यादातर समय हुमारे साथ ही गुज़रने लगा. 3-4 दिन ही
निकले होंगे की एक रात को अचानक शोर मच गया "चोर-चोर". पता
लगा की भाभी की च्चत पर से कोईकूद कर भगा है. भाभी से
पूचछा गया तो वो दर कर रोने लगी की उनके घर मे कोई चोर घुस
आया था. मेरी मों उन्हे समझाकर घर ले आई पर सवाल वोही था
की अगर कोई चोर फिर आ गया तो.तय हुआ की आज से भैसाहब के
आने तक मे उनके घर पर सोया करूँगा. फिर मे भाभी के साथ
उनके घर पर चला गया. रात भर भाभी मेरे साथ चिपक कर
सोई.
उस दिन के बाद से हुमारी ओरअचहचही निभने लगी. मई रात को तो सोता
ही था भाभी के पास अब दिन मे भी मेरा समय उनके साथ बीतने
लगा. मे उनके घर के छोटे-मोटेकाम कर दिया करता था ओर वो
पढ़ाई मे मेरी हेल्प करने केअलावा मेरे साथ गेम्स भी खेलती थी.
14त मे मई अचहचे नुंबरों के साथ पास हुआ. इसका क्रेडिट मेने
भाभी को दिया. सबने उनकी तारीफ़ की. अब मेरी वाकेशन्स स्टार्ट हो
चुकी थी मे भाभी के साथ ज़्यादा समय बिता सकता था. भाभी के
घर मे दो रूम थे एक ड्रॉयिंग रूम ओर दूसरा बेडरूम.
एक रात को मेरी नींद अचानक खुलगयी. ड्रॉयिंग रूम मे से किसी के
करहने की सी आवाज़ आ रही थी.मई दर गया. बेड पर भाभी भी
नही थी. दोनो कमरों के बीच मेएक विंडो थी जिस पर मोटा परदा
पढ़ा था. डरते-डरते मेने उसकेपास जा कर हल्का सा परदा हटा कर
देखा. कोई नही दिखा क्योंकिउधर अंधेरा था ओर इस तरफ निगठलंप
जल रहा था. जब कुछ नही दिखा तोमेने भाभी को आवाज़ दी. तुरंत
उधर से आवाज़ आनी बंद हो गयी.दूसरी तरफ से दरवाजा खुला ओर
भाभी इधर आ गयी. बोली क्या हुआवीनू. मेने कहा कुछ नही उधर
आप क्या कर रही थी. वो दर सीगयी बोली कुछ नही. तुमने क्या
देखा? मेने कहा कुछ नही उधर अंधेरा था आपके रोने की सी आवाज़
आ रही थी. वो बोली मुझे तुम्हारे भैसाहब को याद करके रोना आ
रहा था तुम जाग नेया जाओ इसलिएमई उधर रूम मे चली गयी. मुझे
तसल्ली हो गयी. ओर मई सो गया.
पर दूसरे दिन भाभी सुबह को हीमुझसे फिर पूच्छने लगी तुमने
क्या देखा था रात को. मेरे कईबार कहने पर उन्हे यकीन आया की
मेने कुछ नही देखा. खेर फिर मेघर चला गया. डोफेर मे भाभी
ने फिर आवाज़ दी वीनू - "साबुनला दो". मे उनके घर चला गया. वो
कित्चान मे थी ओर आता मढ़ रहीथी. बोली तुमने किसी को बताया तो
नही. मई बोला-- क्या बताया ? वोही रात वाली बात ? नही बताई ?
क्या है भाभी आप भी बस बोर कररही हो. अब पूचछा तो ज़रूर
किसी को बता दूँगा. अरे नही मईतो बस ऐसे ही पूच रही थी.
मेरे लिए साबुन ला दोगे मुझेनहाना है. ला दूँगा मेने कहा पैसे
दो. वो बोली मेरे दोनो हाथ मेआता लगा है तुम खुद ले लो. ठीक
है मेने कहा- पर पेसे हैं कहाँ. वो बोली थोड़ी उँची जगह पर
हैं, निकल लोगे? हन मेने कहाअगर हाथ पहुच गया तो ज़रूर
निकल लूँगा. तो निकल लो उन्होने कहा ओर नीचे बेत गयी. अब मेरी
समझ मे आया की वो क्या कह रहीहैं. मई दर गया नही भाभी आप
हाथ धो कर दे दो. नही वो बोलीतुमने कहा था की तुम निकल लोगे
अब निकालो. मेने बहुत माना किया पर वो नही मानी. आख़िर मुझे उनके
ब्लाउस मे हाथ डालना ही पड़ा.पहली बार किसी लेडी के बूब्स मैने
टच किए थे. मुझे कुछ दर तो लगरहा था पर अभी तक इसका
मतलब नही पता था. मुझे सेक्स के बारे मे अभी तक कोई जानकारी नही
थी पर उनके बूब्स टच करते हुएकुछ अजीब लग रहा था. मेने
बीच मे हाथ डाला पर पेसे नही मिले. वो बोली बीच मे नही साइड
मे हैं. मेने पूचछा- किस साइडमे? पता नही वो बोली देख लो. बीच
मे से गिर जाते हैं इसलिए साइडमे रखे थे, किस साइड मे याद नही
देख लो. मैने जैसे तैसे पेसे निकले ओर जल्दी से सोप लेने चला
गया.
बहुत अजीब सा लग रहा था. खेर सोप ले के आया तो भाभी कही
दिखाई नही दी मेने आवाज़ दी तोउनकी आवाज़ बातरूम से आई वीनू
सोप यहाँ दे दो. मे सोप ले करबातरूम के बाहर पहुचा. दरवाजा
खुला था वो सिर्फ़ अंडरवेर ओरब्रा मे थी. मेने नज़र झुका ली. वो
बोली वीनू रेपर उतार दो. मेनेरेपर उतार कर सोप उन्हे दिया ओर कहा
घर जेया रहा हून. पर वो बोलीमई नहा रही हून दरवाजा खुला
पड़ा है. प्ल्स मेरे नहाने तकरुक जाओ. मैने बाहर का दरवाजा बंद
किया ओर लॉबी मे बेत गया. पर ज़रा देर मे ही भाभी ने फिर पुकारा
वीनू मेरी पीठ पर साबुन लगा दोगे प्ल्स. "अफ" मेने कहा आता हून
भाभी. मई बातरूम मे गया वो बात्ट्च्ब मे लेती थी मे पहुचा तो
बेत गयी. मई पीछे बेत कर उनकीपीठ पर साबुन सागने लगा. पर
वो ओर उचक कर बेत गयी ओर हाथउपर कर लिए की बगलो मे भी
लगा डून उन्होने ब्रा भी नहीपहनी थी. मैने सोप उनके हाथ मे दे
दिया ओर बाहर चला आया वो आवाज़देती ही रही. थोड़ी देर मे वो गौण
पहन कर बाहर आई ओर मुस्कुरातेहुए बोली कितना शरमाता है.
शादी हो जाएगी तो क्या करेगा.नही करूँगा शादी मैने कहा ओर
चला आया.
पर शाम को ही उन्होने मुझे बुलाया ओर बोली आइस्क्रीम खाने का मान हो
रहा है ले आओ दोनो खाएँगे. मेखुश हो गया क्योकि आइस्क्रीम मुझे
भी अचहचही लगती थी. पर पेसे कीबात फिर वही आ गयी. बोली
निकल लो पेसे. पर आज तो आपके हाथ खाली हैं. तो क्या हुआ वो बोली
कल भी तो निकले थे. आज भी निकललो. नही मेने कहा आप दे दो.
तो फिर रहने दो आइस्क्रीम वो बोली मे चलने लगा तो बोली मई औंती
से कह दूँगी के कल इसने मेरे ब्लाउस मे हाथ दल कर पेसे निकले
थे. अब मई दर गया. मों से शिकायत मतलब पिटाई. क्या मुसीबत है
मेने उनके ब्लाउस मे हाथ डालाओर पेसे निकल लिए. अब तो ये लगभग
रोज़ ही होने लगा उन्हे जब भीकुछ मगाना होता मेने सामने बेत
जाती. ओर मे पेसे निकल लेता. मेरी 7त की पढ़ाई चल रही थी.
भाभी मुझे अक्सर पढ़ती भी रहतीथी. पर अब वो मसखरी कुछ
ज़्यादा ही करने लगी थी.
भैसाहब बीच-बीच मे आते रहते थे. एक बार वो रात को आए. मे
सोया था पर मुझे नींद मे लगा की कोई है. पता नही वो कब आ
गये थे. मुझे गोड मे लिए हुए थे, भाभी कह रही थी ड्रॉयिंग
रूम मे लिटा दो रात मे बेचाराकेसे घर तक जाएगा. ओर भैसाहब
ने मुझे ड्रॉयिंग रूम मे सोफेपर लिटा कर दरवाजा बंद किया ओर
वापस आ गये. फॉरन ही मेरी नींदखुल गयी. अंधेरे मे मुझे दर
लगने लगा. पर दर के मारे उठ नही पाया ओर ना ही भाभी को आवाज़
दे पाया. उनके बेडरूम से लाइटओर उनके हासणे की आवाज़ें आ रही थी.
मेने उठ कर विंडो से परदा हल्का सा हटाया लाइट के लिए ओर अपनी
आखें बंद करके लेट गया. पर चैननही आया फिर थोड़ी देर मे
उठा ओर उधर देखने लगा. भैसाहबसिर्फ़ अंडरवेर मे थे ओर भाभी
ने कुछ भी नही पहना था. भैसाहबभाभी का दूध पी रहे थे
मतलब भाभी के बूब्स चूस रहे थेओर भाभी हास रही थी. मई
फिर लेट गया. फिर थोड़ी देर बाद देखा तो भैसाहब भाभी के उपर
लेट कर कूद रहे थे. ये सब नयाअनुभव था मेरे लिए,बड़ी देर मे
नींद आई. अगले दिन भैसाहब ने ही उठाया बड़े प्यार से बातें
करते रहे. मई जवाब देता रहा परदिमाग़ मे रात की ही बातें
घूम रही थी. फिर मे घर चला गया. पर वाहा भी ओर स्कूल मे
भी मुझे रात वाली बात याद आतीरही. मई सोच रहा था की जब
भैसाहब जाएँगे तो भाभी से पुच्हूंगा. वो ही बताएँगी इस बारे
मे. पर भैसाहब भी पुर 5 दिन केबाद वापस गये. तब तक मे
घर पर ही सोया. 5वे दिन जब मेस्कूल से आया तो पता चला
बाहिसहब चले गये हैं ओर भाभी ने मुझे बुलाया है. मे सीधे
वही चल पड़ा मों ने खाने को कहा तो मेने कहा भाभी के साथ ही
खा लूँगा. मों कुछ बोलती रहीओर मे भाभी के गहर पहुच भी
गया. उनके साथ ही खाना खाया.
मुझे फिर वोही बात याद आने लगीमेने हिम्मत करके पूच लिया
भाभी छोटे बच्चे तो अपनी मों का दूध पीते हैं क्या बड़े लोग
भी पीते हैं. नही तो उन्होनेकहा. फिर उस दिन भैसाहब आपका
दूध क्यो पी रहे थे. अब वो चोणकी बोली तुम्हे कैसे पता? मेने
देखा था. कब ?उन्होने पूचछा.तब मेने बताया फिर उन्होने मुझसे
सारी बातें पूच्ची की मेने क्या-क्या देखा. मेने सूब बता दिया. वो
पूच्छने लगी की मेने किसी कोबताया तो नही. मेरे माना करने पर वो
कहने लगी ये बातें किसी को बताई नही जाती लोग बड़े हो कर समझ
जाते हैं. इसलिए किसी से इस बारे मे बात नही करना. ठीक है मेने
कहा. पर उसके बाद भी मुझे चैननही आ रहा था वोही सब कुछ
याद आता रहता था.
खेर किसी तरह कुछ दिन बीते होंगे एक रात को अचानक मेरी नींद
खुल गयी. कुछ अजीब सा लग रहा था. देखा भाभी का हाथ मेरे
अंडरवेर के अंदर था ओर मेरे पेनिस को सहला रहा था. मे चोंक कर
उठ गया. ये क्या कर रही हो भाभी. वो भी अचानक हार्बारा गयी,
बोली देख रही थी की तुम्हे टाय्लेट तो नही जाना. ओफफो ये कॉआन सा
स्टाइल होता है टाय्लेट देखनेकॅया. मुझे जगा लिया होता मेने कहा तो
वो बोली तुम्हराई नींद खराब होजाती मेने सोचा मे देख लून अगर
तुम्हे टाय्लेट आ रही होगी तोजगा दूँगी. पर आपको कैसे पता
चलता की मुझे टाय्लेट जाना हैमेने पूचछा. भाभी बोली अगर तुम्हे
टाय्लेट आ रही होती तो तुम्हारा ये सू-सू टाइट हो जाता. मेने गौर
किया वो सही कह रही थी. फिर भीअब तक उनका हाथ मेरे अंडरवेर
के अंदर ही था मेने कहा अब तोअपना हाथ निकालो मे जाग चुका हून.
ओर आयेज से मुझे जगा लिया करनाइस तरह मत करना. पर 3-4 दिन ही
बीते होंगे की एक रात को फिर वैसे ही मेरी आँख खुली आज भी
भाभी का हाथ मेरे अंडरवेर मे था. मेने उस दिन उन्हे बहुत
झिरका. आपको ऐसा नही करना चाहिए मुझे जगा लिया करो. उन्होने
सॉरी कहा तब मे सोया पर वो अपनी हरकतों से बाज आने वाली नही
थी. एक हफ़्ता गुजर गया. उन्होने रात को मुझे परेशान नही किया
पर फिर एक दिन मेरे अंडरवेर केउपर से मेरे लॅंड को सहला रही
थी ओर आज तो मेरा लॅंड भी टाइटहोने लगा था. मई काफ़ी देर तक
ऐसे ही पड़ा रहा मुझे भी मज़ाआ रहा था. पर थोड़ी देर बाद
मुझसे सहना मुश्किल हो गया तोमे फिर उठ बेता, उन्हे झिरका तो वो
मासूमियत से बोली मेने हाथ अंदर कहाँ डाला मे तो उपर से ही देख
रही थी. मुझे हसी आ गयी कितनीदेर से देख रही थी आप. मई
मों से शिकायत कर दूँगा. फिरउन्होने मेरे लॅंड को टच करना
बंद कर दिया.
पर वो मुझे च्छेदने से बाज़ नही आती थी. कभी अपने ब्लाउस मे से
पेसे निकलवाने के बहाने से हाथब्लाउस मे डलवती ओर जब मेरा
हाथ अंदर होता तो मेरा निक्करनीचे खीच देती ऑफ कभी बेते से
उठ कर खड़ी हो जाती मेरा हाथ ब्लाउस मे फस कर ही रह जाता इस
सामने वेल घर मे हुमारे नये ने
वो लोग हुंसे घुल-मिल गये. बाद
मर्रिगे की थी जिसके बाद उनकी
घर छोड़ कर किराए पे रहना पड़ा.
भैसाहब को एक मार्केटिंग फर्म
उन्हे ज़्यादातर बाहर ही रहना
ही शहर मे घर किराए पर ले कर
अपनी ड्यूटी पर वापस चले गये.
अब भाभी का ज़्यादातर समय हुमा
निकले होंगे की एक रात को अचा
लगा की भाभी की च्चत पर से कोई
पूचछा गया तो वो दर कर रोने लगी
आया था. मेरी मों उन्हे समझा
की अगर कोई चोर फिर आ गया तो.
आने तक मे उनके घर पर सोया करूँ
उनके घर पर चला गया. रात भर भा
सोई.
उस दिन के बाद से हुमारी ओर
ही था भाभी के पास अब दिन मे भी
लगा. मे उनके घर के छोटे-मोटे
पढ़ाई मे मेरी हेल्प करने के
14त मे मई अचहचे नुंबरों के सा
भाभी को दिया. सबने उनकी तारीफ़
चुकी थी मे भाभी के साथ ज़्यादा
घर मे दो रूम थे एक ड्रॉयिंग रू
एक रात को मेरी नींद अचानक खुल
करहने की सी आवाज़ आ रही थी.
नही थी. दोनो कमरों के बीच मे
पढ़ा था. डरते-डरते मेने उसके
देखा. कोई नही दिखा क्योंकि
जल रहा था. जब कुछ नही दिखा तो
उधर से आवाज़ आनी बंद हो गयी.
भाभी इधर आ गयी. बोली क्या हुआ
आप क्या कर रही थी. वो दर सी
देखा? मेने कहा कुछ नही उधर अं
आ रही थी. वो बोली मुझे तुम्हा
रहा था तुम जाग नेया जाओ इसलिए
तसल्ली हो गयी. ओर मई सो गया.
पर दूसरे दिन भाभी सुबह को ही
क्या देखा था रात को. मेरे कई
मेने कुछ नही देखा. खेर फिर मे
ने फिर आवाज़ दी वीनू - "साबुन
कित्चान मे थी ओर आता मढ़ रही
नही. मई बोला-- क्या बताया ? वो
क्या है भाभी आप भी बस बोर कर
किसी को बता दूँगा. अरे नही मई
मेरे लिए साबुन ला दोगे मुझे
दो. वो बोली मेरे दोनो हाथ मे
है मेने कहा- पर पेसे हैं कहाँ.
हैं, निकल लोगे? हन मेने कहा
निकल लूँगा. तो निकल लो उन्होने
समझ मे आया की वो क्या कह रही
हाथ धो कर दे दो. नही वो बोली
अब निकालो. मेने बहुत माना किया
ब्लाउस मे हाथ डालना ही पड़ा.
टच किए थे. मुझे कुछ दर तो लग
मतलब नही पता था. मुझे सेक्स के
थी पर उनके बूब्स टच करते हुए
बीच मे हाथ डाला पर पेसे नही मि
मे हैं. मेने पूचछा- किस साइड
मे से गिर जाते हैं इसलिए साइड
देख लो. मैने जैसे तैसे पेसे नि
गया.
बहुत अजीब सा लग रहा था. खेर सो
दिखाई नही दी मेने आवाज़ दी तो
सोप यहाँ दे दो. मे सोप ले कर
खुला था वो सिर्फ़ अंडरवेर ओर
बोली वीनू रेपर उतार दो. मेने
घर जेया रहा हून. पर वो बोली
पड़ा है. प्ल्स मेरे नहाने तक
किया ओर लॉबी मे बेत गया. पर ज़
वीनू मेरी पीठ पर साबुन लगा दो
भाभी. मई बातरूम मे गया वो बात्
बेत गयी. मई पीछे बेत कर उनकी
वो ओर उचक कर बेत गयी ओर हाथ
लगा डून उन्होने ब्रा भी नही
दिया ओर बाहर चला आया वो आवाज़
पहन कर बाहर आई ओर मुस्कुराते
शादी हो जाएगी तो क्या करेगा.
चला आया.
पर शाम को ही उन्होने मुझे बुला
रहा है ले आओ दोनो खाएँगे. मे
भी अचहचही लगती थी. पर पेसे की
निकल लो पेसे. पर आज तो आपके हा
कल भी तो निकले थे. आज भी निकल
तो फिर रहने दो आइस्क्रीम वो बो
से कह दूँगी के कल इसने मेरे ब्
थे. अब मई दर गया. मों से शिका
मेने उनके ब्लाउस मे हाथ डाला
रोज़ ही होने लगा उन्हे जब भी
जाती. ओर मे पेसे निकल लेता. मे
भाभी मुझे अक्सर पढ़ती भी रहती
ज़्यादा ही करने लगी थी.
भैसाहब बीच-बीच मे आते रहते थे.
सोया था पर मुझे नींद मे लगा की
गये थे. मुझे गोड मे लिए हुए थे
रूम मे लिटा दो रात मे बेचारा
ने मुझे ड्रॉयिंग रूम मे सोफे
वापस आ गये. फॉरन ही मेरी नींद
लगने लगा. पर दर के मारे उठ नही
दे पाया. उनके बेडरूम से लाइट
मेने उठ कर विंडो से परदा हल्का
आखें बंद करके लेट गया. पर चैन
उठा ओर उधर देखने लगा. भैसाहब
ने कुछ भी नही पहना था. भैसाहब
मतलब भाभी के बूब्स चूस रहे थे
फिर लेट गया. फिर थोड़ी देर बा
लेट कर कूद रहे थे. ये सब नया
नींद आई. अगले दिन भैसाहब ने ही
करते रहे. मई जवाब देता रहा पर
घूम रही थी. फिर मे घर चला गया.
भी मुझे रात वाली बात याद आती
भैसाहब जाएँगे तो भाभी से पुच्
मे. पर भैसाहब भी पुर 5 दिन के
घर पर ही सोया. 5वे दिन जब मे
बाहिसहब चले गये हैं ओर भाभी ने
वही चल पड़ा मों ने खाने को कहा
खा लूँगा. मों कुछ बोलती रही
गया. उनके साथ ही खाना खाया.
मुझे फिर वोही बात याद आने लगी
भाभी छोटे बच्चे तो अपनी मों का
भी पीते हैं. नही तो उन्होने
दूध क्यो पी रहे थे. अब वो चो
देखा था. कब ?उन्होने पूचछा.
सारी बातें पूच्ची की मेने क्या
पूच्छने लगी की मेने किसी को
कहने लगी ये बातें किसी को बता
जाते हैं. इसलिए किसी से इस बा
कहा. पर उसके बाद भी मुझे चैन
याद आता रहता था.
खेर किसी तरह कुछ दिन बीते हों
खुल गयी. कुछ अजीब सा लग रहा था
अंडरवेर के अंदर था ओर मेरे पे
उठ गया. ये क्या कर रही हो भाभी
बोली देख रही थी की तुम्हे टाय्
स्टाइल होता है टाय्लेट देखने
वो बोली तुम्हराई नींद खराब हो
तुम्हे टाय्लेट आ रही होगी तो
चलता की मुझे टाय्लेट जाना है
टाय्लेट आ रही होती तो तुम्हारा
किया वो सही कह रही थी. फिर भी
के अंदर ही था मेने कहा अब तो
ओर आयेज से मुझे जगा लिया करना
बीते होंगे की एक रात को फिर वै
भाभी का हाथ मेरे अंडरवेर मे था
झिरका. आपको ऐसा नही करना चाहि
सॉरी कहा तब मे सोया पर वो अपनी
थी. एक हफ़्ता गुजर गया. उन्हो
पर फिर एक दिन मेरे अंडरवेर के
थी ओर आज तो मेरा लॅंड भी टाइट
ऐसे ही पड़ा रहा मुझे भी मज़ा
मुझसे सहना मुश्किल हो गया तो
मासूमियत से बोली मेने हाथ अं
रही थी. मुझे हसी आ गयी कितनी
मों से शिकायत कर दूँगा. फिर
बंद कर दिया.
पर वो मुझे च्छेदने से बाज़ नही
पेसे निकलवाने के बहाने से हाथ
हाथ अंदर होता तो मेरा निक्कर
उठ कर खड़ी हो जाती मेरा हाथ ब्