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लेडीज़ टेलर (भाग चार)--4
ज्योति सुबह उठकर अपने पति को ऑफिस भेजकर नहाने चली गयी। और इधर अपनी दुकान खोलने जाते समय मैं सोच रहा था कि ज्योति को कैसे अपने नीचे लाया जाय और उसके बदन को अच्छी तरह से भोगा जाय। मुझे पता था कि दुकान मे यह मुश्किल होगा इसलिये मैने सीधे उसके घर जाने का ख़तरा उठाने की ठान ली। मैने सोचा कि अबतक उसका पति ऑफिस चला गया होगा और अगर नहीं भी गया होगा तो बोल दूँगा कि ब्लाउज़ के पैसे लेने आया था। मैनें उसके घर के दरवाजे पर पहुँच कर घंटी बजायी पर ज्योति अभी भी नहा रही थी और काम वाली भी जा चुकी थी। उसने सोचा कि अभी कौन आ सकता है? और जल्दी से अपने भीगे बदन पर बस गाउन पहन कर बाथरूम से निकली और हल्का सा दरवाज़ा खोल कर देखा। अपना सिर बाहर निकाल कर वह देखती है कि मैं खड़ा हूँ। उसके गीले बाल और जिस तरह से उसने सिर्फ़ अपना सिर बाहर निकाला था मैं समझ गया कि वह बीच में ही अपना स्नान रोककर आयी है। उसने दरवाज़ा पूरा खोलकर मुझे अन्दर आने दिया और फ़िर दरवाज़ा बन्द कर दिया। कुण्डा लगा कर जैसे ही वह मुड़ने लगी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा। ज्योति बोली “ओह! बाबू, क्या कर रहे हो, मेरा पूरा बदन भीगा हुआ है और ठंड लग रही है, प्लीज़… मुझे नहा कर आने दो”। मैं गाउन के ऊपर से उसकी नाभि को टटोलते हुये बोला “आओ मैं तुम्हें गर्मी देता हूँ” और उसके स्तनों को ऊपर से ही दबाने लगा। यह पहली बार था जब मैं उसके स्तनों को बिना ब्रा के छू रहा था। मेरे दोनों हाथों में उसके स्तनों और निप्पल के स्पर्श से मेरे लिंग मे तनाव आने लगा और वह उसके नितम्बों से टकराने लगा। अपने स्तनों और निप्पल की मसाज़ से वह जो थोड़ा बहुत विरोध दिखा रही थी उसे छोड़ कर उत्तेजना में हिलहिलकर आहें भरने लगी। इससे पहले कि बहुत देर हो जाय उसने अपने पति के प्रति वफ़ादारी दिखाते हुये बोला “बाबू यह गलत है, प्लीज़ मुझे जाने दो”। पर उसके बदन की हरकतें और तेज़ साँसें उसके इस निवेदन को झुठला रहे थे। मुझे पता था कि वह भी मुझे चाहती है इसलिये मैने उससे कहा “रानी, मैने कभी भी तुम्हें अपने पति से संभोग करने से मना थोड़े ही किया है बल्कि तुम्हारे इस कामुक बदन कम से कम दो आदमियों की ज़रूरत है”। इस बीच मेरी मसाज़ से उसके निप्पल खड़े हो गये थे और उसे अपनी टांगों के बीच कमज़ोरी महसूस होने लगी थी। मुझे लग रहा था कि उसनी योनि से भी स्राव शुरू कर हो गया है।
उत्तेजना में उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं थीं और उसके नितम्बों को मेरे लिंग का कड़ा पन महसूस हो रहा था। उसे और विश्वास दिलाने के लिये मैने उससे कहा “मेरी पत्नी भी बहुत खूबसूरत और कामुक है और मुझे पता है कि जब मैं दुकान में नहीं होता हूँ तब वह मेरे दोस्तों के साथ छेड़छाड़ करती रहती है।” मैं झूठ बोल रहा था और उसे भी मेरी बात का यकीन नहीं था पर अब वह जान गयी थी कि मैं भी विवाहित हूँ और यह बात राज ही रहेगी जोकि वह चाहती थी। उसने अब मेरी बाहों में और खुल कर हिलना और आहें भरना शुरू कर दिया और मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया। मैं अपना एक हाथ उसकी योनि के ऊपर ले गया और गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा। वह थोड़ा सा कँपकँपी के साथ कपड़े के ऊपर से अपने इस कामुक अंग की मालिश का मजा लेने लगी। मैं संभोग के पहले उस काम की देवी को पूरी तरह से नग्न अवस्था मे देखना चाहता था इसलिये मैने उसका गाउन उठाना शुरू किया। उसने थोड़ा विरोध दिखाया पर जब मैने उसके स्तनों और निप्पलों को मसला उसने विरोध छोड़ दिया और आनन्द लेने लगी। मैने उसके गाउन को कमर तक उठाया और उसे अपने और उसके बदन के बीच दबा कर उसकी योनि मुख को सीधे बिना किसी पर्दे के मसलने लगा। वह पूरी तरह से अपना नियंत्रण खो चुकी थी और चाहती थी कि मैं भी वहशी दरिंदे की भाँति उसके बदन को भोगना शुरू कर दूँ। वह बहुत ही कामुक अन्दाज़ में आहें भरते हुये आवाज़ निकालने लगी “ऊ…ऊ…ऊ…उह आ…आ…आ…आह बाबू…ऊ…ऊ…ऊ…”। मैं बोला “हाँ रानी, मज़ा आ रहा है? तुम्हें मैं अच्छा लगता हूँ?” वह बोली “हाँ…आ…आ… बाबू, आई लव यू”। यह सुनकर मैं और उत्तेजित होगया और एक उंगली उसकी गीली योनि के अन्दर घुसा दी। वह चाहती थी कि मैं अपनी उंगली अन्दर बाहर करूँ इसलिये उसने अपने शरीर का निचला हिस्सा हिलाकर मुझे इस बात का संकेत दिया। अब मुझे पता चल गया था कि वह संभोग के दौरान शान्त रह कर उसका आनन्द उठाने वालों में से है। उसकी योनि में उंगली डालकर हिलाते हुये मै अपना मुँह उसके कानों के पास ले गया और हल्की सी फ़ूँक मार कर उसे और उत्तेजित करता हुआ बोला “रानी क्या मैं तुम्हारे बदन को बिना कपड़ों के देख सकता हूँ”। वह कुछ बोली नहीं बस अपने दोनों हाथ हवा में ऊपर उठा दिये जो मेरे लिये उसकी सहमति जानने के लिये काफ़ी था। उसका गाउन उतारने में मैने तनिक देर नहीं लगाई। मैं जानता था कि आज उसके साथ मैं जो चाहूँ कर सकता हूँ। वह चाहती थी कि मैं उसकी योनि की सेवा जारी रखूँ पर उसके नंगे बदन को निहारने के लिये मैं उससे दो हाथ दूर पीछे खड़ा हो गया। उसने लगा कि जरूर मैं उसके नंगे बदन घूर रहा हूँ तो शर्माते हुये उसने अपनी टांगें भींच लीं और अपने हाथों से अपना चेहरा छुपाने लगी। मैं इस कामुक देवी को इस तरह से देखकर अपने कपड़े उतारने लगा पर अपनी निगाहें उसी के बदन पर गड़ाई रखीं। उसके दोनों चूतड़ एकदम गोरे और चिकने थे साथ ही उनपर एक भी दाग नहीं था। जैसे ही मैने अपना जांघिया उतारा मेरा १० इंच लम्बा लिंग मेरे शरीर से लम्बवत् खड़ा हो गया। मैने अपने खड़े लिंग को एकबार सहलाया और उसकी तरफ़ बढ़ा जैसे ही मेरा लिंग उसके नितम्बों से छुआ वह पलटी और घबड़ाहट और उत्तेजना में मुझसे चिपक गयी। उसकी साँसें तेज़ हो गयी थी। उसके सुडौल और पुष्ट स्तन मेरे सीनों से छू रहे थे और मेरा लिंग उसकी नाभि के नीचे छू रहा था। मेरे लिंग को देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी और साथ ही भयभीत भी क्योंकि उसके पति का लिंग मुझसे काफ़ी छोटा था। पर अबतक काफ़ी देर हो चुकी थी क्योंकि वह जानती थी कि यदि वह अब पीछे हटती भी है तब भी मैं उसे बचकर जाने नहीं दूँगा। इसलिये वह सबकुछ नियति पर छोड़कर उस पल का आनन्द उठाने लगी।
उसकी तरफ़ से कोई भी हरकत न होती हुयी देख मैने उसे अपने से अलग करने की कोशिश की पर शर्म की वजह से वह मुझसे अलग होना नहीं चाहती थी। मैने भी कोई जबरदस्ती न करते हुये उसी अवस्था में उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया। मैने उसके दोनों नितम्बों को अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू किया और उसकी कोमल त्वचा का सुखद अनुभव करने लगा। फ़िर मैने अपनी उंगलियों को उसके नितम्बों के बीच की लकीर पर फ़िराना शुरू किया और अन्त में गुदा द्वर पर दस्तक दे दी। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह भी गीला हो रहा था। उसकी गुदा मे प्रवेश किये बिना ही मैं उसकी मसाज़ करता रहा। अब धीरे धीरे मैने उसे अलग किया, इसबार वर मुझसे अलग तो हो गयी पर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे और कोहनियों से अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश जारी रखी।
मैं दो कदम की दूरी पर खड़े होकर बड़े ही कामुक अन्दाज़ में खड़ी ज्योति के बदन को निहारने लगा। उसके हाथों से ढका उसका चेहरा, कोहनियों से ढकी छाती और उसकी उभरी हुयी योनि को छुपाने की कोशिश करते उसकी लम्बी व कोमल टाँगें, सब कुछ इतना सुहाना लग रहा था कि मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहा था और एक हाथ से अपने तने हुये लिंग को सहला रहा था। फ़िर मैने अपने सूखे गले को थोड़ा तर करके उससे कहा “ज्योति जी, अब आप मुझे अपने शरीर की नाप लेने दीजिये, प्लीज़ अपने हाथ ऊपर कीजिये”। उसने मना कर दिया और वैसे ही खड़ी रही। फ़िर मैने अपना फ़ीता लिया और पेशेवर अंदाज़ में कहा “मैडम, प्लीज़ अपने हाथ ऊपर कीजिये” और जबरदस्ती उसके हाथ पकड़कर उसके सिर के पीछे ले गया। मेरी आँखें एक अद्भुत नज़ारा देख रहीं थीं जिसकी वजह से मेरे लिंग की स्पंदन क्रिया बढ़ गयी थी। मैने कहा “मैडम अपका बदन बहुत ही सुन्दर और सुडौल है, लाइये मैं इसकी पूरी माप ले लेता हूँ जिससे कि भविष्य में आपके सारे कपड़े एकदम फ़िट आयें”। ज्योति को इस सम्बन्ध से होने वाले इस अतिरिक्त लाभ के बारे में सोचकर सुखद आनन्द की प्राप्ति हो रही थी। मैने फ़ीते को उसके सीने पर लपेटा और उसके निप्पलों के ऊपर से ले जाते हुये थोड़ा कसकर पूछा “मैडम इतना कसा हुआ ठीक है आपके लिये?” निप्पल पर फ़ीते के शीतल स्पर्श से उसके बदन मे एक सिहरन सी दौड़ गयी और योनि में गुदगुदी सी हुयी। वह बोली “हाँ ठीक है”। मैने कहा “मैडम अपकी छाती की नाप है ३७ इंच”। इस बीच मेरा लिंग उसकी नाभि के जरा सा नीचे स्पर्श कर रहा था।
मैं फ़िर फ़ीता हटा कर उसके स्तनों को घूरने लगा। मैं उन्हें पकड़ कर मसल देना चाहता था पर बजाय इसके मैने बिना हाथ लगाये उसके निप्पलों को चूसना बेहतर समझा। मैने उसके दाहिने स्तन के निप्पल को अपने मुँह मे लेकर धीरे धीरे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। इससे उसके पूरे शरीर में गुदगुदी की एक कामुक लहर दौड़ गयी पर वह जैसे तैसे सीधे खड़ी रही। वह संभोग से पहले और इस प्रकार की काम क्रियाएं चाहती थी। अभी उसकी शादी को छः महीने ही हुये थे और उसके पति द्वारा भरपूर प्यार और काम इच्छाओं की पूर्ति के बावजूद वह मेरे सामने रति क्रीड़ा के लिये तैयार खड़ी थी। वह ये सब सोचकर वह अपने कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुचने के समय को बढ़ा रही थी पर साथ ही उसके मन में कहीं न कहीं दोष भावना भी आ रही थी। पर अब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैने अपने सामने निर्वस्त्र खड़ी प्यार की इस देवी का स्तनपान जारी रखा और अपने लिंग से उसके गर्भाशय को छूता रहा। अब मैने स्तनपान बन्द करके उसके दोनो स्तनों को अन्ने हाथों मे लिया और धीरे धीरे दबाता हुआ बोला “मैडम, सिर्फ़ दो महीनों में ही इनका आकार एक इंच बढ़ गया है, लगता है कि आपके पति इनकी खूब सेवा कर रहे हैं”। उसने मेरी मसाज़ और बातों का भरपूर आनन्द उठाते हुये सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया। अब मैने उसके निप्पलों को अपनी चुटकी में दबा कर पूरा खींचा। उसके पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी और उसे लगा कि उसकी योनि ने और पानी छोड़ दिया है। अब वह चाहती थी कि मैं अपने लिंग को उसकी योनि में प्रवेश कराऊँ इसलिये उसने अपनी आँखें खोलकर मेरे लिंग की तरफ़ देखा। यह देखकर मैने अपने लिंग को अपने हाथ में लेकर उसे हिलाते हुये उससे पूछा “रानी, तुम्हें ये अच्छा लगता है… हाँ… बोलो तुम्हें अच्छा लगता है”। मैं भी इतना उत्तेजित हो गया था कि मेरी आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी। उसने हाँ बोलकर अपनी आँखें फ़िर से बन्द कर लीं और अपने स्तनों की मसाज़ का आनन्द उठाने लगी। अब मैने अपना हाथ अपने लिंग से हटाकर उसके योनिमुख पर ले गया और दूसरे हाथ से उसके स्तनों की मसाज़ जारी रखी। उसे जन्नत का आनन्द आ रहा था, वह जानती थी कि उसकी काम इच्छाओं की पूर्ति के लिये मैं ही उपयुक्त आदमी हूँ।
तभी अचानक ज्योति का मोबाइल बजा और जिससे दोनों लोग घबड़ा गये। ज्योति ने सम्हलते हुये फ़ोन उठाया और नम्बर देखा। वह मुझसे बोली “वो हैं” और फ़िर राम से बात करने लगी। तब तक मैने उसके पीछे से आकर अपनी बाहों में ले लिया और उसके स्तनों को दबाते हुये उसकी गर्दन को चूमने लगा। वह बोली “राम मैं बस नहाने जाने ही वाली थी कि तुम्हारा फ़ोन आ गया मैने अभी कपड़े नहीं पहने हैं इसलिये ठंड लग रही है, जल्दी बताओ क्या बात है?” यह सुनकर राम भी उत्तेजित हो गया और बोला “ज्योति, आज ऑफ़िस में कोई काम नहीं है मैं सोच रहा था कि घर आ जाऊँ”। ज्योति थोड़ा घबड़ाई पर सामान्य दिखते हुये उसने बोला “राम इतनी शरारती न बनो, मन लगा कर ऑफ़िस में काम करो और अपने निश्चित समह पर ही घर आना। वैसे भी मैं कल की थकी हुयी हूँ और नहाकर सोने जा रही हूँ”। मुझे उनकी सारी बातें सुनाई दे रही थीं। ज्योति का चतुरता पूर्ण उत्तर सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मैने उसके गले पर एक जोरदार चुम्बन लेते हुये उसकी योनि पर भी एक चिंगोटी काट ली। ज्योति अपने आपपर नियंत्रण नहीं रख सकी और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। राम को दोनों आवाजें फ़ोन पर सुनाई दे गयीं, उसने पूछा “क्या हुआ ज्योति?” वह घबड़ा गयी और जल्दी से कोई बहाना सोचने लगी। वह बोली मैं नीचे वहाँ पर पर मरहम लगा रही थी परसों रात की तुम्हारी हरकतों की वजह से मुझे अभी भी वहाँ दर्द हो रहा है”। यह सुनकर राम ने कहा “ज्योति, तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया मैं अभी वापस आ रहा हूँ”। चाल उल्टी पड़ती देख वह तुरंत बोली “नहीं राम, अब ठीक है कोई खास दर्द नहीं है अब, तुम प्लीज़ ऑफ़िस में काम पर ध्यान दो और मुझे नहाने जाने दो, बाय, लव यू”। इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया और राहत की साँस ली। फ़िर से वह विवाहेतर सम्बन्ध में लीन होकर आनन्द लेने लगी। उधर राम यह सोचने लगा कि ज्योति अपना दर्द इसलिये छुपा रही थी ताकि उसका ऑफ़िस न छूटे। अतः उसने वापस घर जाने का निर्णय लिया।
ज्योति मेरी बाँहों में पिघल रही थी और सए इस बात की भनक भी नही थी कि उसका पति वापस घर आ रहा है। पर मुझे मेरा अनुभव बता रहा था कि शायद राम वापस आ जाय इसलिये मैने उससे कहा “ज्योति रानी हो सकता कि तुम्हारे पति को तुन्हारी चिन्ता हो रही हो और इसलिये वह वापस आ रहा हो”। अभी भी मैं उसके स्तनों के साथ खेल रहा था और मेरा तना हुआ लिंग उसके रसीले नितम्बों से छू रहा था। वह अपने होश खो चुकी थी और आँखें बन्द करके मेरे लिंग को अपने नितम्बों पर महसूस करते हुये अपने स्तनों की मसाज़ का मज़ा लेती रही। उसकी तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया न देख मैने उसके कान को धीरे से काटा और बोला “रानी, लगता है कि तुम अपने पति की आँखों के सामने मुझसे संभोग करना चाहती हो”। यह सुनते ही वह होश में आयी और अपनी आँखें खोलकर बोली “बाबू प्लीज़ मुझे जाने दो” पर उसने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया जिससे यह प्रतीत हो कि वह वास्तव में यही चाहती थी।
(क्रमश: …)
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