Saturday, March 27, 2010

हिंदी सेक्सी कहानिया कलयुग की द्रौपदी पार्ट -2

राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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कलयुग की द्रौपदी --2

(गतान्क से आगे )
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट 2 लेकर आपके लिए हाजिर हूँ अब तक आपने पढ़ा था कैसे रंगा और जग्गा कमसिन रानी को उसके स्कूल के बाहर से उठा लाए थे और उस नाडा हसीना को किस तरह बरगला कर उसको शादी झूँटा ख्वाब दिखाकर उसकी नाज़ुक सी छूट की चुदाई करना चाहते है अब आगे
रानी के उस रूप का दीदार कर दोनो के लंड गीले हो गये.
सर से पाव तक अप्सरा जैसी लग रही थी वो. लाल चटकदार जारी वाला घाघरा, डोरियों वाली लाल चोली चोली जिसपे छ्होटे-छोटे काँच की बिंदी जो सितारों जैसे चमचमा रही थी, बाल की माँग में बड़ा सा माँग टीका, कानों में बड़े बूँदों वाले झुमके, नाक में नथ्नि जो लेफ्ट कान तक चैन में अटॅच्ड थी, और गले में 20 तोले की चैन. चोली और घाघरा के बीच का वो नग्न पेट पर झालारदार तगड़ी (कमरबुंद) और नाभि पर एक सोने का सिक्का.हाथों में लाल-सफेद और सोने की चूड़ियाँ थी जो वृस्ट से कोहनी तक भरे थे. उंगलियों में 4-4 अंगूठियाँ और फास्ट-ड्राइ मेहंदी. गालों पर मस्कारा और होठ पर चेररी रेड लिपस्टिक उसकी सावली काया को और सेक्सी बना रहे थे.पैरों में भी मेहंदी लगी थी और दोनो पैरों में एक-एक सोने का घुँगरू वाले पायल थे.
उसके वजन से ज़्यादा शायद रानी के बदन पर जेवर और कपड़े थे.
उन सब पर लाल बूटियों वाला दुपट्टा जो उसके आधे चेहरे तक झुका हुआ था, पूरे सजावट की सोभा बढ़ा रहा था.
रंगा-जग्गा ही क्या किसी इंपोटेंट इंसान का भी लंड खड़ा हो जाता.

उस खामोशी को माला ने तोड़ा – क्या बात है कोई साप देख लिया क्या. ये तुम्हारी लुगाई है!
दोनो जैसे नींद से जागे. उनके मूह में लार भर आया और धोती आगे की तरफ तंबू जैसी बन गयी.

माला सबको लेकर शादी के टेबल के तरफ आई और कुछ झूठ मूठ पूजा का स्वांग कर दोनो को एक मंगलसूत्रा दिया और पहनाने को कहा.
दोनो ने वो फॉरमॅलिटी ख़तम की और एक-एक कर रानी के माँग में सिंदूर भर दिया.
इसके पस्चात रानी ने दोनो के पाव छूए. तब माला ने रानी से कहा – दुल्हिन, अब जो हम कहेंगे उसे हमारे पीछे दोहराना.
रानी ने हामी में सर हिला दिया.
माला बोली – आज से रंगा-जग्गा ही मेरे भगवान है. मैं इनका पुर लगन से सेवा करूँगी और कोई भी शिकायत का मौका नही दूँगी. मेरा पूरा बदन और ये जनम सिर्फ़ अपने देवताओं के सुख के लिए बना है. चाहे कितनी भी तकलीफ़ हो पर मैं तन-मॅन से उनकी सेवा करूँगी. अपने देवताओं का अमृतमयी प्रसाद का पान मैं हमेशा अपने सारे छिद्रों से करूँगी और उसके प्रताप से उन्हे हर 2 साल पर एक प्रतापी संतान दूँगी. अब मेरा पूरा जीवन इनके चरणों में समर्पित है.
रानी ने सब रिपीट किया और झुक कर माला के चरण छू लिए.

माला नेउसे आशीर्वाद दिया और फिर उसे लेकर उपर के एक कमरे में आ गयी जो की नीचे वाले बेडरूम का ड्यूप्लिकेट था. पर यह सुहाग कक्ष जैसा सज़ा हुआ था. और बिस्तर पर लाल गुलाब के पंखुड़ी बिखरे हुए थे.
रूम के कॉर्नर में एक छ्होटी अंगीठी रखी थी जिसमे चंदन के लकड़ियों का अंगार जल रहा था.
माला ने रानी से कहा की वो अंगीठी को अपने टाँगों के बीच रखकर खड़ी हो जाए.
रानी ने जिग्यासा से माल को देखा तो वो बोली – गुड़िया, ऐसे तुम्हारी चूत और गांद खुसबूदार हो जाएगी और तुम्हारे मरद को अच्छा लगेगा.

शरम से लाल रानी गर्दन झुकाए अंगीठी पर खड़ी हो गयी. अंगीठी उसपे पैरों के बीच था और घाघरा के अंदर इसलिए चंदन की खुश्बू पूरी तरह से उसके चूत और गांद पर अपनी छ्चाप छोड़ रही थी. चड्डी तो उसने पहन रखी नही थी सो रानी को 5 मिनट बाद हल्की गर्मी लगने लगी तो माला ने उसे बस करने को कहा.
अटॅच्ड बातरूम में ले जाकर माला ने रानी को पहले गुलाब जल और फिर शाद से कुल्ले करवाए.

अब उसने रानी को बिस्तर पर बैठा दिया और कहा थोड़ा इंतेज़ार करो तुम्हारे मारद को भेजती हूँ.

नीचे आकर माला ने आँख मारते हुए रंगा से कहा – जाओ सरकार, आपकी नन्ही परी आसमान में उड़ने को तैयार है!

जग्गा नेहँसते हुए बोला – रुक साली! जाने के पहले ज़रा मेरा लॉडा तो चूस थोड़ा बहुत टनटना गया है!
माला ने आग्या का पालन किया और घुटनों के बल बैठ कर जग्गा की लूँगी उपर की. ऐसा करते ही अचानक लंड फंफना कर उसके होठों पे लगा.
माला चुटकी लेते हुए बोली – सरकार, इसको तो सह में खाली करना होगा नही तो आपकी नाज़ुक लुगाई तो आसमान में उड़ते हुए परलोक पहुँच जाएगी.
ये कहते हुए उसने अपने होंठ उसके लंड पर रख दिए. लंड में तो जैसे आग लगी थी. उसकी चटख से एक बार तो माला ने लंड पे से मूह हटा लिया पर फिर उसे धीरे-धीरे मूह में लेकर चुसकने लगी. गरम होंठों की गर्मी और जीभ की सरसराहट से जग्गा पागल हुआ जा रहा था. उसने माला का सर पीछे से दोनो हाथों से थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से उसे आगे पीछे करने लगा. उसका 10” लंबा लंड माला के गले तक चोट कर रहा था और उसकी आँखें बाहर की तरफ उबलने लगी थी. वासना में पागल जग्गा पूरा हैवान नज़र आ रहा था. उसका चेहरा तमतमा कर लाल हो गया था और उसके कानों के उधर आग लगी हुई थी. माला के आँखों से आँसू निकल गये और उसके गले से गो-गो की भरराई आवाज़ आने लगी. 2 मिनिट में ही जग्गा के लंड से गरमा गरम वीर्य निकला जो माला के मूह में ऐसा लगा जैसे किसीने गरम लावा पिचकारी में भरके मारा हो. 15 सेकेंड तक जग्गा ने अपना बीज माला के मूह में गिराया और फिर अपना लॉडा बाहर निकालके माला का मूह बंद कर दिया और बोला – पूरा पी ले कुतिया, कुछ भी गिरना नही चाहिए!
माला का चेहरा भयानक लग रहा था. आँखें लाल, होंठो की लिपस्टिक आस-पास फैल गयी थी, आँसू की वजह से काजल चेहरे पर फैल गया था.
उसने पूरा वीर्य पी लिया और सहम्ते हुए बोली – सरकार, आपको पक्का यकीन है ना की ये लड़की आपकी गर्मी से मरेगी नही??

“तू डर मत कुतिया”, खुद से चुदने को जो तैयार हो जाए उसे हम गुड़िया जैसा चोद्ते और रखते है. हमारी प्यारी चिड़िया बनेगी पर पिंजरे की और उसको जब हम मसलेंगे तो उसको भी बहुत मज़ा आएगा. कुच्छ दीनो में जब रति-क्रीड़ा के बारे में सब सीख जाएगी तो वो खुद ही चुदवाने के लिए तड़प्ती रहेगी. तू देखती जा. – रंगा बोला.

माला के जाने के बाद दोनो उपर कमरे में आ गये.
अंदर घुसते ही रंगा ने दरवाजे की कुण्डी लगा दी. दोनो बिस्तर के तरफ बढ़ने लगे.


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घूँघट में से रानी ने देखा की दोनो पलंग के दोनो साइड पर खड़े हैं तो वो अपने आप में और सिमट गयी.
इस पल के बारे में माला ने उसे अच्छी तरह से समझा दिया था इसलिए वो अंदर से बहुत सहमी हुई थी. रंगा ने एक साइड से उसके हाथ लगाकर घूँघट को धीरे से उठना चाहा तो रानी मारे शरम के अपने हाथेलियो से चेहरा ढक लिया.
दूसरी तरफ से जग्गा बिस्तर पे चढ़ आया और रानी के बाजू में बैठता हुआ उसकी एक नाज़ुक हथेली अपने तगड़े हाथ से पकड़कर हौले से खीचते हुए बोला – गुड़िया रानी! अपने भगवान से शर्मा रही हो. अभी तो खाली घुघाट उतरा है, आगे और क्या कया उतरेगा मालूम है??

हालाकी उन दोनो को रानी के शरमाने से कोई एतराज़ नही था क्यूंकी ये उनकी प्यास और बढ़ा रहा था पर साथ ही वो उसके कमसिन, भोले, और सजे-धजे मुख का दीदार भी करना चाहते थे.
दूसरे तरफ से रंगा भी रानी के बाजू बैठ गया और हौले से अपने होठ उसके कान के करीब लाकर लवो को चुभलने लगा. इस अप्रत्याशित क्रीड़ा से रानी के हथेली अनायास ही अपने चेहरे से हट गयी और वो बच्चों जैसे हँसने लगी.
रंगा के होठों की सरसराहट और उसकी मूछों से पैदा हुई गुदगुदी रानी को सर से पाव तक कपकपा गयी.
अब उसका सेक्सी चेहरा दोनो के सामने था जो स्वर्ग की अप्सरा जैसा दिख रहा था. बड़ी-बड़ी कजरारी आखें, गालों पर मास्कारा, होठों पे लिपस्टिक कातिलाना लग रही थी.
नज़रें तो उसकी नीचे ही झुको हुई थी की अचानक उसे रंगा-जग्गा की धोती में सामने की तरफ वो तंबू जैसा फिर नज़र आया. उसे अब ये ग्यात हो गया था की ये उनके विशालकाय लंड है. और उसी एहसास से उसके अंदर एक सर्द लहर बिजली के भाँति गुज़र गयी.
माला के अनुसार आज की रात रानी के लिए काफ़ी दर्द भरी होगी क्यूंकी उसके देवता उसके पिछले जनम के पाप पहले उतारेंगे फिर दूसरे दिन से उसे स्वर्ग का आनंद मिलेगा.
गाओं की भोली, नादान रानी इन बातों को सच जान मंन-ही-मंन अपना तन-मंन उन दोनो को समर्पित कर चुकी थी.

जग्गा, जिसने रानी की राइट कलाई को थाम रखा था अब रंगा की तरह उसे कान और गर्दन पर चूमने लगा.
रानी की आँखें मस्ती और मीठी गुदगुदी से बंद होने लगी.
उसी मस्ती में डूबी थी जब रंगा ने अपना एक हाथ रानी के पीछे ले गया और उसके चोली के डोरियों से खेलने लगा. उसने तीनो डोरियों को हौले से उंगलियों की हरकत से खोल दिया. तभी जैसे रानी को होश आया और वो बकरी की तरह मिमियाते हुए बोली - ई का कर रहे हैं जी?? हमार चोली उतर जाएगा, नंगा हो जाएँगे हम!!
रंगा गरम साँसे लेते हुए उसके कान में फुसफुसाया – अब बर्दाश्त नही होता है गुड़िया रानी, अपना रसीला चूची से दूध नही पिलाओगी का हमको??
रानी रंगा की गरम साँसों से सनसानाते हुए अपने आप में सिकुड़ते हुए भोलेपन से बोली – ई का कह रहे है आप?? भला हमारे छाती से दूध कहाँ निकलेगा??
रंगा हँसते हुए बोला – निकलेगा रानी निकलेगा! दूध नही पर यौवन रस निकलेगा.
ये कहते हुए वो धीरे-धीरे रानी के चोली की एक बाह पकड़ कर उसके हाथ से बाहर खीचने लगा. दूसरे तरफ से जग्गा ने भी सहयोग किया और रानी के शर्मीले ना-नुकुर पर भी चोली निकाल कर दूर कोने में फेक दी.

अपने छाती पर ए/सी का ठंडा पन रानी नेएक पल महसूस कर शरमाते हुए अपने दोनो हाथों से छाती को ढक लिया.
रंगा बड़े लाड से बोला – अपने देवता को नाराज़ नही करते चिड़िया! आओ हमसे क्या शरम. हम तो तोहरे मरद हैं. ई वीराने में दूर दूर तक कोई नही है जो तुमको देख सकता है.
पुचकारते हुए उसने रानी के हाथ उसकी छाती से हटाने में सफलता प्राप्त कर ली.
उन यौवन घाटियों का दर्शन पा दोनो निहाल हो गये और एक ठंडी साँस बाहर छ्चोड़ी. उनकी ललचाती नज़रें रानी के नंगे छाती पर काटो जैसी छुभन पैदा कर रहे थे. इसलिए झेंप कर उसने अपनी हथेलियों से अपना मूह छिपा लिया. हालाकी रानी सावली थी फिर भी शरम की अधिकता की वजह से उसका चेहरा लाल हो गया था.
नंगी छाती पर वो तोतापरी आम के आकार के चूची और उसके एंड पर भूरा सा 1 से. मी लूंबी घुंडी दोनो को दीवाना बना गये.
उन्होने रानी को पालती मारकर बैठने को कहा जिसका पालन रानी ने अपने चेहरा ढके ही किया.
अपने आस पास के हालात से अन्भिग्य रानी बस ये शोच रही थी की अब ये दोनो उसकी चूचियों का क्या करेंगे.
दोनो ने रानी के गोद में दोनो तरफ से सर रख दिया और छाती की तरफ मूह करके अपने गरम होठ उसकी चूचियों की एक-एक घुंडी पर रख दिया.
रानी के पुर जिस्म में एक बिजली का झटका स्सा लगा और उसने हाथ हटा कर फ़ौरन बिस्तर पर पीछे सरकने को हो गयी. पर दोनो ने शायद इसकी कल्पना पहले ही कर ली थी इसलिए उन्होने अपने एक-एक हाथ को रानी के पीठ पर रख कर उसे मजबूती से जाकड़ लिया.
रानी 1” भी पीछे ना सरक सकी और जल बिन मछ्ली की तरह छटपटाकर रह गयी.
अब तक दोनो मज़े से रानी की आधी चूची को अपने विशाल मूह में भरकर चूस- रहे थे. दोनो के दाँत जब चूची पर कभी गढ़ते या वो घुंडी को जानबूझ कर काट लेते तो रानी के मूह से दर्दभरी सिसकी निकल जाती.
1-2 मिनिट बाद रंगा-जग्गा की क्रीड़ा जो रानी को अत्याचार लग रही थी अब उसे मदमस्त किए हुए थी. इस मस्ती की कल्पना उसने कभी ना की थी. जब दोनो घुंडी को अपने होठों के बीच लेकर चूसते तो कई बार रानी को यही लगता था की उसके पूरे जिस्म और छाती से होती हुई कोई सुई की धार समान तरल उसके घुंडीयों में पहुँच रही हो.
दोनो बच्चों के जैसे रानी के चूचियों को चूस रहे थे.
रानी की उम्र की लड़कियों के हालाकी काफ़ी भरे स्तन हो जाते है पर इसकी 4’5” की काया थोड़ी नाबालिग बच्चियों जैसी थी जिसपर ये स्तन बाकियों से हटकर तोतापरी आम जैसे थे.
कम हाइट की वजह से कमर भरी भरी लगती थी पर वजन फिर भी एक 15 साला लड़की जितना था.
रंगा-जग्गा की गर्दन हवा में होने की वजह से थोड़ी अकड़ने लगी तो रंगा बोला – आए दुल्हिन हमरा तो गर्दन दुखने लगा और तुमको तो पूरा मज़ा आ रहा है. ई कौन सा न्याय है. चलो अब अपने हाथ से हमको अपना चूची पान कराओ.

अचानक मस्ती में आए ब्रेक से रानी भी विचलित हो गयी पर फिर भी लज्जा से बोली – धत्त, हम कैसे अपने हाथ से ये करेंगे. हमको शरम आती है.

जग्गा बोला –ई तो जायज़ नही है गुड़िया, तुम पूरा मज़ा लो और हम दर्द सहते रहे.
जग्गा के इस नरम बनावटी शिकायत से रानी मान गयी.
उसने दोनो के सर अपनी गोद में रख लिए और अपने हाथों से एक-एक चूची थामकर उनके होठों पर सटा दी.



अब रंगा-जग्गा मज़े से रानी की चूचियों का रास्पान करने लगे. रानी पर पूरे शराब के बॉटल जितना नशा छाया हुआ था और धीरे-धीरे वो मीठा एहसास उसे जांघों के बीच में भी महसूस हुआ.
एक अजनबी एहसास जो उसके चूत के दानों पर सरसराहट कर रहे थे. रानी को ऐसा महसूस हुआ जैसे पेट के नीचे कोई बाँध टूटने वाला है और वो बेहोश होने वाली है. ये एहसास मीठा था पर बिल्कुल अंजाना इसलिए डरते हुए वो बोली – अजी सुनते हैं! हमको अंदर कुच्छ अजीब सा लग रहा है.
दोनो ने चूची चुभलना छ्चोड़ दिया और रंगा नेउत्सुक होके पूछा- क़ा बात है हमारी चिड़िया, कहाँ क्या अजीब लग रहा है?

रानी भोलेपन से बोली – पता नही जब आपलोग हमरी छाती पे कुछ-कुछ करते हैं तो पेट के नीचे अजीब सा गुदूम-गुदूम होता है और.........

रंगा ने उसकी आगे की बात काट कर बोली – छाती नही रानी और कुछ-कुछ भी नही. बोलो, जब चूची चूसते हैं तो......बोलो, शरमाओ मत अब हमारे बीच में कोई परदा थोड़े ना है.

रानी शरमाते हुए बोली – हां वही.....जब आप चू...ची चू...स्ते है तो पेट के नीचे कुछ होता है.

जग्गा ने जिग्यासा से पूछा – कहाँ रानी जान?? यहाँ का???
ये कहते हुए उसने अपनी एक हथेली रानी की चूत पर रख जाँच लिया.
रानी ने लाज की अधिकता से ‘हाई राम’ कहते हुए मूह फेर लिया. रंगा ने रानी के गाल पर हाथ रख उसका मूह फिर अपनी ओर किया और बोला – इसमे घबराने की कोई बात नही है मेरी गुड़िया, ऐसा तो हर लड़की के साथ होता है जब वो अपने पति परमएश्वर के साथ चुदाइ करती है तो.

जग्गा बोला- देखो चिड़िया, आज तुम्हारे लिए सब कुछ नया होगा, इसलिए घबराओ मत और सब कुछ हम पर छ्चोड़ दो. गॅरेंटी देते है की जो होगा तुम्हे सुख देने के लिए होगा और तेजस्वी प्रतापी संतान के लिए. बिना कोई डर के खुलकर हमारे साथ मज़ा लो तभी तो तंदूरुस्त पुत्र होगा, समझी??

रानी जग्गा की इन बातों को सुनके थोड़ा शांत हुई और अज्ञानता के कारण अपने आपको उनके हवाले कर दिया. अब उसने सोच लिया की जब ये मेरे परमेश्वर है तो उसे परेशान होने की क्या ज़रूरत. उसने निस्चय किया की वो बिना कोई सावल-जवाब किए उनकी एक-एक बात मानेगी और उनको खुश करने का पूरा प्रयास करेगी.

रानी ने फिर से अपनी चूची थामकर दोनो के होठों पर सटा दिया. जब उसका ध्यान चूचियों पर पड़ा तो उसने देखा जगह-जगह पर काटने की वजह से लाल निशान पड़ गये थे.
रंगा-जग्गा बच्चों की तरह रस-पान करने लगे. जब भी दोनो में से कोई चूची या घुंडी को दातों से काट लेता तो रानी के मूह से एक सिसकारी निकल जाती और तभी उस दर्द को भूलने के लिए कोई उसके नंगे बगलों में उंगलियों से गुदगुदी कर देता. इस तरह ये खेल कुछ 10 मिनिट तक चलता रहा और रानी भी मस्ता कर सोचने लगी की ये स्त्री-पुरुष का मिलन तो इतना भी बुरा नही है जैसा माला कह रही थी. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपसे पूंछरहा हूँ क्या माला की ये सोच सही है ???

रंगा-जग्गा ने महसूस किया की रानी के वक्ष कड़क हो गये थे और किशमिश के दाने भी टाइट और पूरी तरह तन गये थे. अब उन्हें दूसरे राउंड की तैयारी करनी थी.

जग्गा चूची चूसना छ्चोड़ बिस्तर पे खड़ा हो गया और अपनी धोती खोल दी. रानी ने एक चूची की मस्ती में कमी महसूस की और आँखें खोली तो सामने जग्गा का मोटा और लंबा लंड लहराते देखा.
रूम के नाइटबूलब के मधिम प्रकाश में अचानक इतना काला और लंबा हिलता हुआ कुछ देख एक बार को रानी हकबका गयी और उसके मूह से हल्की चीख निकल गयी.
रंगा की तद्रा भंग हुई और उसने वो नज़ारा देखा तो हंस पड़ा. साथ में जग्गा भी हंसते हुए बोला – का रे गुड़िया रानी, रंगा बाइक पे बोला था ना प्यार करे का समान के बारे में. यही है वो. इसी का तुमको रोज पूजा करके प्रसाद निकाल के पान करना होगा.

हालाकी संभोग का ग्यान माला ने रानी को दिया ज़रूर था पर अपनी कलाई जितनी मोटे और 10“ लंबे साप की तरह फुफ्कारते लंड की उसने कल्पना भी नही की थी. गाओं के नेक्कर वाले लड़को को उसने तालाब के किनारे पेसाब करते देखा था तो कभी ये ना सोचा था की उमर के साथ उनका लंड कितना बढ़ेगा.

रानी आँखें फाड़-फाड़के जग्गा के लंड को देख रही थी तभी जग्गा फिर बोला – गुड़िया, ये लिंग अब तुम्हारे सब छिद्रों में घुसकर तुम्हारे बदन को पवित्र करेगा और अगर तुम्हारी पूजा सफल हुई तो प्रसाद भी देगा. चलो इसकी पूजा की शुरूवात इसे नमन करके अपने हाथों में लेकर अपने मूह में लो!

ये सुनकर रानी अंदर ही अंदर घ्रणा से भर गयी पर तभी उसे याद आया की किस तरह दोनो ने उसका मूत पिया था बिना कोई शरम के. वो याद आते ही रानी का दिल सॉफ हो गया और उसके मॅन में एक आस्था ने जनम ले लिया की अपने पति परमेश्वर का किसी भी चीज़ से घ्रणा नही करनी चाहिए.

सहसा उसने एक हाथ से जग्गा के लंड को नमन किया और उसे अपने हथेली में भरने की कोशिश करने लगी. वो घोड़े का लंड उसकी नाज़ुक और नन्हे पंजे में समा ही नही रहा था. मजबूरी में उसने अपने दूसरे पंजे का प्रयोग किया और जैसे एक बल्लेबाज बॅट को पकड़ता है उसी तरह एक के पीछे एक हाथ से जग्गा का लंड पकड़ लिया और अपने रसभरे लाल लिपस्टिक से सजे होठों से चूम लिया.
इस गरम स्पर्शा से जग्गा बौरा गया और उसका लंड अपने चरम पर पहुँच गया. 2“ चौड़ा और 10“ लंबा. मस्ती की वजह से अनायास ही उसकी आँखें बंद हो गयी.

- सुपाडे पर जो च्छेद है उसपर जीभ चलाओ ग्गूडिया – रंगा उसे डाइरेक्सेन देते हुए बोला.
- हां, बिल्कुल ठीक, अब सुपाड़ा मूह में लो और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करो. दोनो हाथ से भी चॅम्डी पे घर्षण करो. हां, शाबाश!!!
रानी वैसा ही करती गयी जैसा रंगा कह रहा था. दोनो हाथों से लंड थामने के बाद भी उपर की तरफ करीब 4“ लंड खाली था जो अपने मूह में अंदर-बाहर कर रही थी.
रानी का छोटा सा मूह जग्गा के विशालकाय लॉड की वजह से पूरा खुल गया था. वो हौले-हौले अपने हाथों से लंड मुठियाते भी जा रही थी. होठ और जीभ की गरमाहट और सुपाडे के छेद पर होती गुदगुदी जग्गा को पागल बना रही थी.
रानी को लंड चूसने में टल्लीन देख रंगा उसके चूची चूसने में लग गया.
जग्गा का चेहरा गरम लोहे जैसा तमतमाया हुआ था और 5-7 मिनिट बाद जब उसे महसूस हुआ की वो झड़ने वाला है तो नशे में भरे आवाज़ में बोला – गुड़िया रानी, तुम्हे पूजा का प्रसाद मिलने वाला है. डरना मत जो भी मिले बिना बर्बाद किए पूरा सेवन कर लेना. समझी???

रानी को माला की बात याद आ गयी. मूह में लंड भरे होने की वजह से उसने सिर्फ़ इकरार में सर हिला दिया.
तब जग्गा ने रानी के हाथ अपने लंड से च्छुडवाए और अपने हाथों से उसका सर पीछे से थाम लिया और खुद ही अपने कमर को आगे-पीछे करने लगा. 30 सेकेंड बाद उसके कमर में एक थररतराहट हुई और उसने अपना लंड 5-6“ रानी के मूह में धकेल दिया. अचानक गरमा गरम लावे जैसा कोई पदार्थ रानी के गले में पिचकारी की तरह पड़ा.
फव्वारे की धार बहुत तेज थी. रानी का गला चोक होने लगा और गू....गूओ.गूओ की आवाज़ आने लगी. साथ ही प्रेशर की वजह से उसके आँखों से आँसू निकल पड़े. उसने अपना सर पीछे खीचने की कोशिश की पर जगा के हाथों ने उसे जकड़े रखा. 1...2....3...4...5...6..7..8.....9.......... जाने कितने फव्वारे एक-के बाद एक छूटने लगे. करीब 30 सेकेंड्स बाद जग्गा का वीर्या निकलना बूँद हुआ. रानी गतगत जग्गा के वीर्या को पीते जा रही थी ताकि चोक ना हो.
अपना लंड पूरी तरह झाड़ने के बाद जग्गा ने बाहर निकाला तो देखा की रानी के लाल लिपस्टिक उसके लंड पे कई जगह निशान छ्चोड़ चुका था.
लंड निकलते ही रानी ने राहत की साँस ली. आँसुओं से भरा उसका चेहरा जिसमे काली काजल मिक्स थी, बहुत ही खूबसूरत लग रहा था.
रानी के होठों पे अभी भी कुछ गाढ़ी मलाई रह गयी थी जो उसने अपनी उंगली में लपेटकर देखने लगी. क्या यही वो तेज पूर्णा प्रसाद है?? कितना गरम था?? करीब 1 ग्लास तो होगा ही??
यही सोचते हुए उसने वो उंगली मूह में डाली और जीभ से टेस्ट करने लगी. इतना बुरा भी नही है?? यही सोचते हुए उसे चाट गयी.

रंगा जो अब तक जग्गा को देख मज़े ले रहा था, अब खुद भी सेक्स में बौरा गया था.
जग्गा का लंड अब थोड़ा नरम पड़ गया था पर उसे मालूम था की फिर से 10 मिनिट में ये उतना ही वीर्या निकाल सकता है जितना अभी निकाला. मंद पड़ने पर भी जग्गा का लंड 6-7” लंबा लग रहा था.
अब रंगा की बारी थी. उसने खड़े होकर अपनी लूँगी उतार दी. रानी ने देखा की उसके और जग्गा के लंड में कोई असमानता नही थी बस इतना की रंगा का लंड कोयले के जैसा काला था झाट जग्गा से घानी.
जग्गा ने रंगा का स्थान ग्रहण किया और रानी के तोतापरी आम जैसे चूचियों से खेलने लगा.
रंगा ने अपना फनफनता लंड रानी के मूह में डाल दिया और सुपाडे पर उसकी जीभ की सरसराहट का मज़ा लेने लगा. उसने रानी को अपने हाथों से लंड थामने से मना किया और बोला – मेरी चिड़िया, ज़रा जंगल के नीचे जो गोटियाँ है उससे खेलो तो गुड़िया रानी!!!

रानी ने बेझिझक अपने हाथेलियो से रंगा की गोटियों को मसालने लगी.
- धीरे-धीरे, रानी, बहुत नाज़ुक है. आराम से मींजो ज़रा.
रानी हौले-हौले गोटियाँ मीसने लगी.
इस प्रक्रिया में रंगा को अत्यधिक आनंद आ रहा था. गोटियों के मीसने से खुद-बा-खुद उसके चेहरे पे एक नशीली मुस्कान थिरकने लगी. उसने रानी कर सर पीछे से थाम रखा था. 1-2 मिनिट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लंड रानी के मूह में 5“ धकेल दिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी.
रानी का फिर से बुररा हाल होने लगा और उसके गाले से गू...गूओ आवाज़ आने लगी. गाल आँसुओं से तर-बतर हो गये.
5 मिनट बाद रंगा का बाँध टूट गया और रानी के मूह में गरम वीर्य का सैलाब आ गया.
इस गर्माहट में यूँ लग रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्वा बह जाएगा. पर फिर भी अपने देवताओं में आस्था ने उसे हिम्मत दी और उसने एक बूँद भी बाहर गिरने ना दिया. आख़िर में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीर्य भी ग्रहण कर लिया.

सब होने के बाद दोनो रानी के आजू-बाजू बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गुड़िया!! तू तो सबसे अच्छी पुजारीन है. इतना प्रसाद तो शायद ही किसी भक्त को मिला होगा. याद रखना जितना ज़्यादा प्रसाद निकलॉगी और पीयोगी उतना तुम्हारा रंग निखरेगा, तंदुरुस्त रहोगी, बाल मजबूत रहेंगे और चेहरे पे तेज रहेगा.

दोनो रानी के लंड चूसने से अती प्रसन्न थे. रंगा बोला – तुमने हमको बहुत प्रसन्न किया है तो अब हम तुमको इनाम देंगे.
उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फूल बना देंगे, पर रानी ने उन्हे इतना खुश कर दिया था की उन्होने सोचा दर्द देने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सुख दे देते हैं.

ये कहते हुए उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया. अब जग्गा रानी के पावं के तरफ आया और घुटनों से मोडते हुए फैला दिया. इतने में रंगा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख दिए. वो रानी के मूह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घुमाने लगा. उसकी ये क्रीड़ा रानी को अच्छी लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रंगा के जीभ को चाटने लगी.
रानी के मूह से गुलाब जल और वीर्या की मिली-जुली टेस्ट आ रही थी जो रंगा जी भर कर चूस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में रानी को रंगा की घनी मूछों की वजह से चेहरे पर गुदगुदी भी हो रही थी जो सारे क्रीड़ा को और आनंदमयी बना रहा था.
जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा दिया. जांघों पर ठंडी लहर महसूस कर रानी ने कनखियों से नीचे देखा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चूत के करीब अपने सर घुसाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपाति जीभ का एहसास उसे अपने चूत पर हुआ. ठंडी कपकपि से उसका पूरा वजूद हिल गया और रंगा के साथ चुंबन क्रीड़ा थम गयी. रंगा समझ गया और फिर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा दिए ताकि रानी अपनी चूत के साथ होते कलापों को देख सके. अब उसने उसके गर्दन, कान के लाओं, और वाक्स पर चूमना-चाटना शुरू कर दिया.
इधर जग्गा ने पहले चुंबन के बाद रानी की चूत को गौर से निहारा जो किसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गुलाबी और फूलों की पंखुड़ी जैसी नाज़ुक दिख रही थी.
कुँवारी होने की वजह से रानी की चूत का दाना (पेशाब की नली) भी नही दिखता था. झाट बिल्कुल नाम मात्र की.
जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अंगूठे से रानी की चूत के फाकों को हल्का सा फैलाया तो दाना दिखने लगा. फिर उसने अपनी लार टपका कर जीभ उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.
रानी के पूरे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गये.
1-2 मिनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की मिड्ल उंगली में लार लगाई और फिर से फाकों को फैलाते हुए चूत के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर घुसाने लगा.
अचानक इस क्रीड़ा से रानी को दर्द का आभास हुआ और वो हल्की सी चीक्ख पड़ी. जग्गा समझ गया शायद उसने रानी की झिल्ली टच कर दी है. उसकी उंगली मुस्किल से 2-3“ अंदर ही घुसी होगी. उसने रानी की सील लंड से ही तोड़ने का सोच कर उंगली बाहर निकाल ली और थोड़ा और थूक लगाकर 2“ पेलने लगा.
रानी को अती आनंद आ रहा था. वो कमसिन जवानी आने वाले दर्दनाक पलों से अंजान ये सोचकर आंदोलित थी की क्या यही आनंद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है.
जग्गा का चूत चूसना और रंगा के चूसने-चाटने से रानी का चेहरा और छाती तो लाल हो ही गया था पर कचौरी जैसी फूली चूत भी सनसना गयी थी.
जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चूत में जीभ डालकर आग लगा रहा था. उंगलियों के पेलने से तो मानो अंदर तूफान सा आ रहा था.
10 मिनट में रानी को लगा उसके बदन की सारी एनर्जी उसकी चूत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर निकल जाना चाहती है.
इस अनुभव से अंजान उसके बदन ने एक झटका लिया और सचमुच सारे बाँध तोड़ दिए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उंगलियों पर हुआ.
अपना सारा रस निकालने के बाद रानी बेड पर निढाल पड़ी रही. करीब 5 मिनट रंगा-जग्गा ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और उस बीच रंगा ने बाहर से कुछ बूटी लाकर बेड के बाजू मैं मेज पर रख दी.
दोस्तो अभी तो शुरू आत है अगले पार्ट मैं रानी की कमसिन चूत और रंगा और जग्गा के 10" लंबे लंड क्या क्या गुल खिलाते है तो दोस्तो फिर मिलेंगे अगले पार्ट मैं रानी की पहली चुदाई के साथ तब तक के लिए विदा आपको कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना आपका दोस्त राज शर्मा
































































































































































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