Tuesday, March 16, 2010

कामुक कहानिया-- कच्ची उम्र की कामुकता --4

राज शर्मा की कामुक कहानिया
कच्ची उम्र की कामुकता --4


अगले दिन रश्मि, अपने साथ विकी की उलझी हुए, जो अब सुलझ चुकी थी, चैन लेकर बस से उतर कर उसकी राह देख रही थी, वो मन ही मन आंदोलित थी.......विकी उसे कैसे जानता हैं......यही वो सवाल था जिसे पाने के लिए वो बेसब्री से विकी का रास्ता देख रही थी........"हाय रश्मि.......क्या उलझन सुलझ गयी".......विकी ना जाने कब आया, उसके पुछने के दो अर्थ निकल ते थे........एक तो चैन की उलझन, या फिर विकी के बारे मे चल रही उलझन.

"हाँ चैन की तो सुलझ गयी......लेकिन....आप मुझे कैसे जानते हैं...?"

"यहा काफ़ी भीड़भाड़ हैं.....क्या हम कही चल कर बैठ सकते हैं"

"मुझे स्कूल जाना हैं"

" तो क्या तुम ये नही जानना चाहती की मैं तुम्हे कैसे जनता हू....?"

"चाहती तो हू.....दरअसल कल से ही सोच सोच कर परेशान हू......लेकिन...इस वक़्त.....ठीक हैं चलो चलते हैं"........रश्मि के लिए अपनी उत्सुकता दबाना मुश्किल हो रहा था.

"किसी रेस्टोरांट मे जाने के बजाय, क्यू ना हम किसी पार्क मे चले, जहा हमारी बाते कोई सुन ना सके".....विकी सब कुच्छ बड़ी विनम्रता से कहा रहा था.........जिसका बड़ा ही अनुकूल प्रभाव रश्मि पर पड़ रहा था.
रश्मि ने सहमति मे गर्दन हिलाई........विकी के पास बाइक थी, सो दोनो बाइक पे सवार हो गये
शहर के थोड़ा बाहर एक तालाब था, जिसके पास ही एक गार्डेन डेवेलप किया गया था, काफ़ी बढ़िया पार्क था, खास तौर से प्रेमी जोड़ो के लिए.........वाहा पहुच कर विकी ने बाइक पार्क की, कुच्छ चिप्स एट्सेटरा के पॅकेट्स, कोल्ड्रींक्स, मिनरल वॉटर एक बड़े से प्लास्टिक बॅग मे उठा लाया......वो सब देख कर रश्मि हस कर बोली...
" ये सब क्या हैं.....पूरा दिन यही बिताने का इरादा हैं क्या...?"

"अरे नही.....बात ये हैं की पार्क के अंदर कुच्छ नही मिलता, हर चीज़ के लिए यहा वापिस लौटना पड़ता हैं....इसीलिए ये सब लेलिया.....चलो चलते हैं".........दोनो ही पार्क के अंदर घुमावदार रास्ते से गुजरने लगे..........उँचे उँचे पेड़ों के साए मन को आनंद दे रहे थे, एक बड़ा सा छायादार पेड़ देख कर दोनो ही बैठ गये.......

"रश्मि पहले मुझे तुम ये बताओ......तुम रिंकू को कबसे, कैसे और कितना जानती हो....?"......रिंकू का नाम सुनते ही रश्मि का गला सूखने लगा, दिल बैठने लगा ना जाने ये अब क्या पुचछता हैं.......और ना जाने क्या क्या जानता हैं......उसका दिल लरजने लगा.......उसने विकी से पानी माँगा.

"डरो मत रश्मि.....इसमे डरने की क्या बात हैं....मैं तो उही पुच्छ रहा था....!".......रश्मि के चेहरे पर बदलते रंग देख कर विकी ने रश्मि की हिम्मत बढ़ाने की नियत से कहा.

"मैं उसे जाड़ा नही जानती,.....बहुत कम बार मिली हू....उसके और नीलू के परिवारिक रिश्ते की वजह से उसका नीलू से जाड़ा मेलजोल था......और मैं और नीलू अच्छी दोस्त होने के नाते...मेरी भी पहचान रिंकू से हुई .....बस एससे जाड़ा मेरा उससे कोई लेना देना नही हैं"......रश्मि की हालत अभी भी वैसी ही थी.....कितनी दहशत मे थी वो...!

"फिर तुम उसकी, उस खास पार्टी मे कैसे पहुच गयी....?"........विकी के एस सवाल ने तो रश्मि के सब्र के बाँध को तोड़ दिया......वो दोनो हाथो मे मूह च्छूपा कर रोने लगी.....विकी तुरंत उसके पास जा बैठा और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला.....

"डरो नही रश्मि मैं तुम्हे जलील नही करना चाहता....ना ही मेरा तुम्हे कोई नुकसान पहुचने का एरदा हैं......मैं तो सिर्फ़ जानना चाहता हू, तुम वाहा पहुचि कैसे....प्लीज़ रोना बंद करो, कोई देख लेगा तो ख्वंख़्वाह हमे परेशानी होगी"........विकी की बातो मे या, उसके स्पर्श मे ज़रूर कोई जादू थी की रश्मि ने रोना बंद किया.....हाँ सूबक वो फिर भी रही थी.

फिर वैसे ही सूबक ते हुए उसने विकी को बताया, कैसे रिंकू ने ज़ोर देकर रश्मि को वाहा बुलाया था, और कैसे वो भी,....बड़े लोगो की पार्टी का मज़ा लेने का मोह नही त्याग सकी........अब उसे अंदाज़ा हो रहा था की कैसे विकी उसे नाम से जानता हैं

"तुमने ठीक कहा मेरा भी यही ख़याल था,.....वरना तुम जैसी अच्छे घर की लड़की, उस पार्टी मे जा ही नही सकती.......उस पार्टी मे मैं भी था......लेकिन सब के साथ, सबके सामने नही था......मैं एक प्रॉफेशनल फोटोग्राफर और एडिटेर हू, अब तक कई छ्होटी मोटी लो बजेट फ़िल्मो मे फोटोग्रफी और एडिटिंग कर चुका हू......और उस रात भी मैं वाहा उस पार्टी मे इसी काम के लिए मौजूद था"....रश्मि की आँखे अब चमकने लगी....वो विकी के और करीब हो के बैठ गयी......ये ज़रूर उसकी मदद कर सकता हैं......वो सोचने लगी.
"लेकिन तुम मेरा नाम कैसे जानते हो......तुमसे तो किसी ने नही मिलवाया मुझे.....!"......रश्मि की आवाज़ मे अब भी थरथराहट थी

"मूज़े रिंकू ने खास तुम्हे दिखा कर कहा था, की वो खास तुम्हारी सभी आक्टिविटीस की रेकॉर्डिंग चाहती हैं.......जिस कमरे मे तुम्हे ले जाया गया था.....सिर्फ़ उसी कमरे के कमेरे शुरू रखने थे मुझे......मुझे सख्ती से कहा गया था की मैं, बाकी कमरो के वीडियो कमेरे बंद रखू"........विकी की बात सुनते ही रश्मि की आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा.....वो एक तरफ गिरने लगी.......लेकिन विकी ने उसे थाम लिया....अपनी बाहों मे.

विकी ने दो तीन बार रश्मि को पुकारा, उसके गालो को थपथपाया, फिर कही जाकर रश्मि सामान्य हुई......लेकिन उसका चेहरा राख सा सफेद पड़ चुका था......वो जान चुकी थी, की वो एक शड्यंत्रा का शिकार हुई हैं.......उसे जानबूझ कर, खास ज़ोर दे कर, पार्टी मे बुलाया गया था,......वाहा भी उसे एक खास रूम मे ही ले जाया गया,.....सिर्फ़ उसी रूम के कमेरे ऑपरेट होने थे, सिर्फ़ उसीकि रेकॉर्डिंग होनी थी.....लेकिन क्यू...? क्यू सिर्फ़ उसकी...?" ऐसी क्या खास बात थी उसमे....?"......उसका दिमाग़ काम नही कर रहा था.....असहाय होकर उसने विकी के कंधे पर अपना सर रख दिया.....विकी ने उसे गौर से देखा....उस वक़्त रश्मि की हालत.....शिकारी के जाल मे फासी, घायल हिरनी जैसी लग रही थी, जो अब हिम्मत हार के बेबसी से अपनी जान किस्मत के हवाले कर चुकी हो.......विकी को उस मासूम, भोली लड़की पर दया आ रही थी, जो अपनी कच्ची उम्र के नाज़ुक मोड़ पर, अपने आप को सम्हाल नही पाई और, रिंकू जैसी नीच लड़की के जाल मे फस गयी थी........उसका हाथ अपने आप उसकी पीठ पर फिरने लगा........उसका स्पर्श होते ही एक बार के लिए रश्मि सिहर उठी, कही ये भी तो उसे उसी दलदल मे नही घसीट ने वाला........लेकिन अगले ही पल उसने महसूस किया, एस स्पर्श मे वासना नही थी......थी तो सिर्फ़ तसल्ली देने की भावना.....रश्मि ने अपने आप को विकी के आगोश मे छिपा लिया.

काफ़ी देर वो ऐसे ही बैठे रहे......जब विकी को लगा की अब रश्मि सम्हल चुकी हैं तो उसने हलके से रश्मि को पुकारा...

"रश्मि....उठो.....अपने आप को सम्हलो, यू हिम्मत हारने से काम नही चलेगा......हमे कुच्छ बाते और करनी हैं.....कुच्छ और सोचना हैं...मूज़े तुम्हारी मदद की ज़रूरत हैं......मैं भी किसी खास मकसद से रिंकू के, पूरे अग्रवाल परिवार के पिछे पड़ा हू......अगर तुम मजबूती से मेरा साथ दोगि तो हम, यक़ीनन तुम्हे एस मुसीबत से छुटकारा दिला सकते हैं, साथ साथ अग्रवाल फॅमिली को सज़ा भी दिला सकते हैं."......विकी की बात सुन कर रश्मि की जान मे जान आई, लेकिन साथ मे उसे ये भी याद आया की उसे तो आमिर ने भेजा था, विकी से वो सीडी हासिल करने, जैसे भी हो उसे हासिल करने या पता लगाने की वो रखी कहा हैं........लेकिन यहा तो मामला उल्टा ही पड़ गया था.......विकी से मिली हमदर्दी और प्यार ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया था........उसने हिचकते हुए विकी को पुचछा....

"क्या तुमने सिर्फ़ उसी कमरे के कमेरे शुरू किए थे , जिसमे मैं थी, या फिर सारे कमरो के...?"......एसी सवाल के जवाब पर सब कुच्छ निर्भर करता था.....अगर विकी ईमानदारी से काबुल करता हैं की उसने सारे कमरो मे हो रही गतिविधियो की रेकॉर्डिंग की थी, तो वो मान सकती हैं, की विकी उसकी वाकई मदद लेना चाहता हैं और मदद करना भी चाहता हैं.......फिर वो भी उस पर पूरी तरह से भरोसा कर सकती हैं,

"हाँ, रिंकू के मना करने के बावजूद मैने.......पूरे कमरो के कमेरे शुरू रखे थे.......हर चीज़ रेकॉर्ड की थी.....तुम्हारी भी और नीलू की भी......आज मेरे पास रिंकू को सज़ा दिलाने लायक सबूत हैं.......लेकिन मेरा मकसद सिर्फ़ रिंकू को सज़ा दिला कर नही पूरा होगा,......मूज़े अपने पापा की मौत के ज़िम्मेदार उस अग्रवाल को भी सलाखो के पिछे देखना हैं...!"........विकी की आँखो से अँगारे बरस रहे थे........चेहरा बिल्कुल पत्थर की मानिंद सख़्त......होठ भिच गये थे, और उंगलिया मुट्ठी की शक्ल मे कसी गयी थी......उसकी ये अवस्था देख कर रश्मि की हिम्मत ही नही हुई उसे कुच्छ पुछने की......कुच्छ देर खामोश रहने के बाद उसने हिम्मत करके पुचछा.....

"लेकिन मेरे रेकॉर्डिंग वाली सीडी उसके पास हैं उसका क्या....?"......रश्मि के सवाल पर विकी अपना गुस्सा भूल कर प्यार से मुस्कुराया.....उसने बिना कुच्छ कहे रश्मि को अपने तरफ खिछा........सीने से लगाया.....माथे पर चूमा,,,,,,,उसकी आँखो मे झँकता हुआ बोला.....

"मूज़ पर भरोसा रखो रश्मि......वो सीडी तुम्हे वापिस मिल जाएगी, खुद रिंकू तुम्हे अपने हाथो से सौप देगी.......तुम उसे अपने हाथो से नष्ट कर देना.......ये मेरा वादा रहा...!"

रश्मि ने फिर अपने आप को विकी के आगोश मे छिपा लिया.

कुकु'स गुअरगे पब अपनी पूरी जवानी पे था, डॅन्स फ्लोर पर जवान जोड़े थिरक रहे थे, पूरा माहौल ड्रग्स, सिग्रेट्ट्स के कसैले धुए से भर गया था, रंगबिरंगी लाइट्स के फोकस, म्यूज़िक की ले पर नाच रहे थे, हर एक के हाथ मे या तो नशे का समान था, या किसी की लचकती कमर, शोर इतना की कोई किसी बात सुन नही सकता था, वैसे किसी को कुच्छ कहने सुनने की ज़रूरत ही कहा थी, ज़्यादातर होठ बिज़ी थे, किस करने मे, या कश लगाने मे. लगभग सभी लड़किया अधनंगी हालत मे थी, ऐसे बिभात्सा तरीके से अपने बदन को ज़टके दे रही थी, मानो चुद रही हो.......
पब की उपरली मंज़िल पर कई आलीशान कमरे बने थे, जो हाइ रेट पर किराए पर दिए जाते थे......मौजमस्ती के लिए.......ऐसे ही एक कमरे मे मौजूद थी रिंकू...! लेकिन आज उसके साथ उसके हमेशा के पालतू कुत्ते मॉंटी, रोमी, और लकी नही थे.....एक नया ही लड़का था, जो उसे अभी थोड़ी देर पहले, नीचे पब मे डॅन्स करते मिला था....उँचा कद, मजबूत गाथा हुआ बदन, आकर्षक चेहरे के साथ काफ़ी प्रभावी पर्सनॅलिटी का स्वामी था.......उसके मुताबिक वो एक मस्त हरफन मौला था, जिसका काम अपने बाप की कमाई को जल्द से जल्द ख़त्म करना था.......उसकी बातों का अंदाज ही कुच्छ ऐसा था की रिंकू जैसी, खेली खाई लड़की भी उसकी तरफ आकर्षित हुई थी.......नतिजन वो दोनो एस वक़्त पब के इस आलीशान कमरे मे मौजूद थे......और बिस्तर मे ज़ोर आज़माइश कर रहे.......अब ये बताना क्या ज़रूरी हैं, की दोनो ही नंगे थे...!

समीर, यही नाम बताया था उस लड़के ने रिंकू को, बिस्तर के एस खेल का बड़ा काबिल खिलाड़ी साबित हुआ था......रिंकू हाफ़ रही थी........गहरी गहरी साँसे ले रही थी......
"समीर......!"........समीर के अब शिथिल पड़ चुके लंड को उठा कर उसकी लंबाई जाँचते हुए, रिंकू ने कहा.

"क्या बात हैं रिंकू डार्लिंग.......क्या अभी मन नही भरा जो, सोए हुए लंड को जगा रही हो...!".......समीर ने उसकी चुचियो को दोनो हाथो से मसालते हुए कहा.

"मन तो नही भरा, लेकिन थोड़ी थक ज़रूर गयी हू......आज तक मूज़े एटना किसी ने नही थकाया........तुम तो सही मायने मे मर्द हो"........रिंकू ने अपने आप को समीर के उपर चढ़ते हुए कहा,.....समीर के सीने पर अब उसकी चुचिया दब कर फैल गयी थी.......चूत पे उगा जंगल, समीर के लंड मे गुदगुदी पैदा कर रहा था.

"तुम भी कुच्छ कम नही हो, रिंकू.....आज मूज़े भी कई दीनो बाद टक्कर की लड़की मिली......मज़ा आगेया...!"......रिंकू के गुदाज कुल्हो को ज़ोर से दबाता समीर बोला.

"तुम यहा के नही हो, फिर भी तुमने पब मे एंट्री कैसे हासिल की.....क्या तुम किसी के गेस्ट बन कर आए हो....?"......रिंकू अब थोड़ा नीचे सरक कर समीर के सीने पर दांतो से काट रही थी, ज़्यादा तर निपल्स पर.......समीर अब फिर से एक्शिटे हो रहा था,.....उसने रिंकू को एक ही ज़टके मे पलटा दिया, अब रिंकू के उपर वो सवार था.

"नही डार्लिंग, मूज़े यहा आने के लिए किसी की सिफारिस की ज़रूरत नही,....बस कही से एक कॉल करवाया कुकु को.....बस कुकु, हाथ जोड़ कर दरवाजे पर खड़ा था, हाथ जोड़ कर.....स्वागत करने के लिए"......समीर अब फिर से उसकी चुचियो को आटा समझ कर गुथ रहा था......रिंकू भी अब जोश मे आने लगी.

"मतलब तुम कोई बहुत बड़ी पहुचि हुए चीज़ हो........तुम तो कह रहे थे, की तुम कुच्छ भी काम नही करते......पैसे खर्च करने के अलावा...!".....रिंकू ने उसकी पीठ पर अपनी उंगलिया कस ली, और समीर को अपने तरफखिचा......समीर की उंगलिया रिंकू की चूत का जायज़ा ले रही थी......गीलापन जाँच कर......रिंकू ने अपने आप पैर फैला दिए, ता की समीर को जाड़ा दिक्कत ना हो, चूत की जाँच करने मे.

"बिल्कुल सही कहा,.....आजनबी यो को मैं, ऐसा ही कहता हू.....क्यू की कई काम ऐसे होते हैं, जो सब को बता के नही किए जाते......चुपचाप किए जाते हैं, बिना शोर शराबे के".......समीर अब और नीचे सरक गया......उसके होठ अब रिंकू की नाभि की गहराई नाप रहे थे......एक हाथ अभी भी चुचियो की खीचाई कर रहा था,...तो दूसरे हाथ की अब तीन उंगलिया रिंकू की चूत मे दाखिल हुई थी, और दो गंद के छेद की कसावट आजमा रही थी......रिंकू एस हर तरफ से होने वाले हमले से उत्तेजना मे थरथरा रही थी......वासना से भरपूर, मादक सिसकिया निकल रही थी......

"तो क्या काम करते हो तुम.....अब तो हम अजनबी नही रहे......प्लीज़ बताओ ना......आअहह ....उूऊउईई.....होहोहोहो".....
पता नही कैसी कैसी अजीब आवाज़े निकल रही थी रिंकू.......हवस की मारी कुतिया तो वो थी ही......आज समीर जैसा मंजा हुआ खिलाड़ी मिलने से वो सातवे आसमान मे उड़ रही थी.

"जानेमन......अभी सिर्फ़ लंड देखो और लंड की लंबाई देखो.......अगर तुमने मूह बंद नही रखा तो, तुम्हारे मूह मे लंड डाल दूँगा".......समीर के होठ अब उसकी चूत के मादक रस को पी रहे थे.

"हाय डालो ना.....मना किसने किया हैं.....जहा चाहो डाल सकते हो.....कई दीनो बाद असली मर्द से पाला पड़ा हैं.....आज जो चाहे करो, समीर डार्लिंग"........कमतुर कुतिया अब पूरी तरह से अपना कंट्रोल खो चुकी थी........लोहे को गर्म देख समीर ने हथौड़ा मारने की सोची.

"अगर तुम मूज़े, अपनी कोई राज की बात बताओ, जिससे मूज़े भरोसा होज़ाये की, तुम वाकई मेरे असली काम को जानने के लायक हो.......और मेरे बारे मे किसी से कुच्छ नही कहोगी........तभी मैं तुम्हे अपने बारे मे बतौन्गा"......इतना कह कर समीर ने अपना विशाल लंड रिंकू की चूत मे ठोक दिया, किसी किल की तरह,.और फिर शुरू हुआ एक घनघोर चुदाई का सिलसिला.......अंत मे जब दोनो ठंडे पड़ गये......तो रिंकू ने कहा.....

"मेरी जिंदगी मे ऐसी कोई बात नही, जिसे राज कहा जाए,.....मैं एक रईस बाप की औलाद हू, खुले विचारो की लड़की हू,..... सेक्स, ड्रग्स मेरे जिंदगी का अहम हिस्सा हैं, जो किसी से नही छुपा हैं.......अब और क्या हो सकती हैं राज की बात.......?"......रिंकू ने पुचछा.

"ये तो मैं नही जानता....लेकिन जो मैं करता हू, वो भी बहुत ख़तरनाक हैं.....मैं उही नही बता सकता".......समीर अब रिंकू की पतंग को खिच कर ढील दे रहा था.......रिंकू, क्यू की थी तो लड़की ही, नारी सुलभ उत्सुकता उसे सताए जा रही थी, समीर का ख़तरनाक काम जानने के लिए.

"एक बात हुई थी, अभी कुच्छ दिन पहले......लेकिन जो हुआ, वो कैसे हुआ, ये मेरी भी समझ के बाहर हैं,....लेकिन हुआ था मेरे ही कहने पर,.....फिर भी जो हुआ, मूज़े लगता हैं, उसमे कोई और भी अपना खेल खेलगेया......!".......काफ़ी देर सोचने के बाद रिंकू के मूह से निकल ही गया.......वैसे भी स्त्री जाती को कोई बात ज़्यादा देर तक पेट मे रखने की आदत नही होती.

"क्या हुआ था......बताओ तो...!".......समीर की आवाज़ बिल्कुल नॉर्मल थी......जैसे वो कोई राज की बात नही, बल्कि कोई जॉक सुनाने को कह रहा हो.

रिंकू ने पार्टी वाली पूरी घटना के बारे मे बता दिया........समीर ने उसी शांतता से, बीच बीच मे 'मामूली' सवाल पुच्छ कर, उससे वीडियो रेकॉर्डिंग, रश्मि का ह्युमाइलियेशन,....छुपाइ हुई सीडी एट्सेटरा सब कुच्छ उगलवा लिया........फिर उसने अपना वो 'ख़तरनाक काम बताया......."मैं भी छुपे कमेरे से ओरिजिनल सेक्स के सीन रेकॉर्ड करता हू, और उसे महँगे दामों मे बेचता हू.......आजकल बाजार मे ओरिजिनल सेक्स की डिमॅंड हैं,......इसलिए मैं मिडलेक्लस होटेल्स मे जाकर, बेडरूम्स और बाथरूमस मे छुपे कमेरे लगाता हू......और फिर वो रेकॉर्डिंग बेच देता हू........तुमने अभी अभी जो बताया...उसमे काफ़ी मजेदार सीन होगे,.....क्या मैं वो सीडी देख सकता हू.....सिर्फ़ देखूँगा....ले नही जाउन्गा.....!"

"मेरे पास पूरी रेकॉर्डिंग नही हैं....बस एक ही बड़ा सा सीन हैं.....बाकी मैने नष्ट कर दिया"

"कोई बात नही....जो हैं वही बता दो....उससे मूज़े अंदाज़ा हो जाएगा....ये आइडिया शायद मेरे काम आजाए"

अपने ही टाइप के असली मर्द की रिक्वेस्ट रिंकू नकार ना सकी, राज को राज रखने का 'वाडा' लेकर उसने समीर को अगले दिन दोपहर अपने बंग्लॉ पे बुला लिया.

फिर वो दोनो तैय्यरी करने लगे तीसरे राउंड की.

समीर अगले दिन जैसे ही रिंकू के घर पहुचा, उसने रिंकू को अपना इंतजार करता पाया.......दोनो उसके बेडरूम मे पहुचे......जैसे ही वो अंदर पहुचे, समीर ने उसे अपनी बाहों मे भर लिया, और चुंबनो की झड़ लगा दी......

"अरे अरे ये क्या तुम तो आते से ही शुरू हो गये......थोड़ा सब्र करो"......रिंकू ने उसे नकली झिड़की देते ही कहा......हालाकी वो उसे खुद ही लिपटी जा रही थी......समीर ने सीधे उसकी चुचियो पर धावा बोला.....कस कस के मसालते हुए कहा....

"मेरी जान, तुम्हारी ये फड़कती जवानी.....मुर्दो के भी लंड खड़े कर देगी......मैं तो जिंदा इंसान हू, वो जवामर्द......मुझसे सब्र की उम्मीद मत रखो"........बातों ही बातों मे समीर ने उसका छोटा सा टॉप उतार फेका.....काली ब्रा मे कसी उसकी चुचिया गजब ढा रही थी, उसके उभरे हुए निप्पल्स, ब्रा की ज़ाइन दीवार फाड़ कर बाहर आना चाहते थे.

"फिर भी....थोड़ा रूको मैं कही भागी जा रही हू क्या....?....पहले बताओ...क्या पियोगे...?"........रिंकू समीर का ये उतावला पन देख कर अपने आप पर एतरा रही थी.......मादक ढंग से, अपनी कमर मटका ते उसने, अपनी जीन्स की ज़िप नीचे कर दी.....खुद ही...!

"अगर पिलाना ही हैं तो ये पीला.....!".....समीर ने उसकी खुली ज़िप मे हाथ डाल कर, उसकी चूत को सहलाते कहा.......रिंकू ने तुरंत जीन्स उतार दी...अब वो काली ब्रा पनटी मे, किसी ब'ग्रेड फिल्म की हेरोइन लग रही थी

"अभ पियोगे.....या...वो...सीडी....देखते देखते पियोगे".....रिंकू अपनी चूत को एक खास तरह से उभरती हुए बोली.......कमतूर ता की हद पार कर चुकी रिंकू, खुद ही वो सीडी समीर को दिखना चाहती थी.......शायद ये सोच कर, की उसमे के रश्मि के हॉट सीन्स समीर को और उत्तेजित कर देंगे......उसे आज फिर एक बार, धुआधार सेक्स का मज़ा मिलेगा.....और समीर तो ...अंधे को क्या चाहिए....वाली कहावत पे खुश हो रहा था.

"अगर तुम्हे लगता हैं....उस सीडी के साथ, तुम्हारी चूत से रसता रस पीने का मज़ा और बढ़ जाएगा.....तो चलो ऐसे ही सही"....समीर अभी भी अपर निरलप्तता का प्रदर्शन कर रहा था........

"तो तुम तैय्यर रहो.....मैं अभी आती हू"........कह कर वासना की आग मे जलती रिंकू, कूल्हे मटकाती हुए, अंदर के कमरे मे चली गयी.....उसकी छोटी सी पॅंटी, गंद की दरार मे धस कर, दोनो गोलैयो को, और उभार रही थी.....लेकिन समीर को उससे कोई लेना देना नही था......उसने तुरंत, साथ लाए बॅग (पौच् नुमा) से कई तरह की सीडी'स निकल कर उसे सोफे के नीचे छुपा दिया.....और तुरंत अपने कपड़े उतारने लगा......कुच्छ ही पॅलो मे वो 'तैय्यार' था......जैसे ही रिंकू ने अंदर कदम रखा...सिर्फ़ ब्रीफ मे, अपने ताने हुए लंड के साथ 'तैय्यर' समीर को देख कर उसकी बाँछे खिल गयी......वो दौड़ कर समीर से लिपट गयी.

"मूज़े एक बात बताओ, हम दोनो ही तुम्हारे घर मे, तुम्हारे बेडरूम मे एस तरह नंगे खड़े हैं......क्या इससे किसी को कोई फ़र्क नही पड़ता...?"......समीर दोनो हाथो को उसकी पॅंटी मे फसा कर, उसके कुल्हो को मसलता बोला.........ब्रा के स्त्रेपपस तो वो पहले ही नीचे खिच चुका था.

"मेरे घर मे, किसी को कोई परवाह नही की मैं किस के साथ हू, क्या कर रही हू, सभी अपने अपने कामो मे व्यस्त हैं........तुम बेफिकर रहो"........रिंकू अपनी नंगी चुचिया, समीर के सीने पर रगदती हुए बोली......समीर का खड़ा, तना लंड रिंकू की चूत पर दस्तक दे रहा था......उसके अंदर आग अब एतनि भड़क चुकी थी की, उसने समीर के लंड को ब्रीफ की क़ैद से आज़ाद कर दिया.....और खुद की पॅंटी भी उतार दी...ब्रा तो पहले ही उतार चुकी थी......दोनो ही अब मदरजात नंगे थे.

रिंकू ने सीडी प्लायर मे सीडी डाल दी.......और जैसे ही वो समीर की तरफ मूडी.....उसने समीर को सोफे पर बैठा पाया.....लंड को हाथ मे पकड़ कर हिलाता हुआ.......वो उसका एशारा समझ गयी....तुरंत घुटने के बल बैठ कर उसने, समीर के लंड को मूह मे भर लिया.....और चूसने लगी.......वो तो वासना मे इतनी डूब गयी थी की, उसके समझ मे नही आया की समीर खेल मे जाड़ा रूचि नही दिखा रहा........दिखाता भी कैसे, उसे तो सीडी उड़ानी थी,...जितनी जल्दी हो सके.....लेकिन ये कुतिया, एतनि गर्म हो चुकी थी की, उसकी प्यास बुज़ाए बगैर, वो अपना कमाल नही दिखा सकता था.

उसने रिंकू को जल्दी खलास करने की नियत से, सोफे पर ही 69 की पोज़िशन मे लाया.....उसके इरादे से बेख़बर रिंकू....तुरंत उसके मुताबिक 69 मे आ गयी...और बड़े चाव से समीर के लंड को फिर से चूसने लगी......समीर ने भी, रिंकू की टाँगे फैलाए, चूत के बड़े बड़े मसल होठ खोले, अपनी पूरी जीभ, जो किसी छ्होटे लंड से कम नही थी.....उसके 'दाने' पर फिराने लगा....ये सीधा अटॅक था...हमेशा कामयाब साबित होने वाला हथियार....जैसे जैसे समीर की जीभ, रिंकू की चूत मे ड्रिल करने लगी....रिंकू के होश उड़ने लगे....वो अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से समीर के मूह पर मारने लगी.....उसकी कामुक सिसकारिया इतनी बढ़ गयी थी, कोई सुनता तो उसे लगता, रिंकू चीख रही हैं......अत्यधिक उत्तेजना से वो कभी कभार समीर के लंड को काटने लगती.......और वो पल भी आया, रिंकू की चूत से झरना फूटा.....समीर के मूह को नहला दिया.......और निढाल हो कर समीर के उपर गिर गयी......लेकिन समीर के पास वक़्त नही था.....उसे भी अपना माल 'खाली' करना था....सीडी उड़ाने का जुगाड़ भी लगाना था.......उसने रिंकू को सीधा किया....फिर से उसकी टाँगे फैलाई.....लंड को चूत के मूह पर रखा.....हाथो को चुचियो पर.....और बड़ी निर्दयता से रिंकू की चुदाई करने लगा.

करीब दस मिनट बाद.....दोनो ही सुस्त पड़े रहे....जिस सीडी को देखते हुए चुदाई करनी थी वो, कब की ख़त्म हो चुकी थी......समीर की नज़रे उसी पर थी.....वो सही वक़्त का, सही चान्स मिलने का इंतजार कर रहा था.......उसने सीडी किस कंपनी की हैं देख लिया था........उसके उपर कुच्छ भी लिखा, या छपा नही था....उसे अब इंतजार था.....रिंकू के बाथरूम जाने का.......वो जानता था...लड़किया, चुदाई के बाद बाथरूम ज़रूर जाती हैं........और उसका अंदाज़ा सही निकाला......

"समीर डार्लिंग, मैं दो मिनट मे बाथरूम होकर आती हू, तुम तब तक कुच्छ ड्रिंक लेना चाहो तो, इस केबईनेट मे हैं.......प्लीज़ डोंट माइंड डार्लिंग"......इतना कह कर वो बाथरूम मे चली गयी.........अब समीर के लिए यही चान्स था.....उसने तुरंत अपना पाउच निकाला....उसमे से आईं वैसी ही दिखने वाली सीडी निकाली......कुच्छ ही पॅलो मे वो सीडी बदल चुका था.......रिंकू की सीडी अब उसके पास थी.....उसका काम हो चुका था......लेकिन जब तक वो सहिसलामत बाहर नही निकल जाता, उसे एहतियात बरत नी थी......उसने बार केबईनेट से अपने लिए एक पेग बनाया.....कपड़े पहने....फिर वही पड़े लॅंडलाइन फोन से अपने ही मोबाइल पे कॉल लगाया.....थोड़ी देर तक रिंग बजने दी,....जब उसे यकीन हो गया की रिंकू ने वो रिंग सुनी होगी, तो उसने फोन काट दिया, और यूँही मोबाइल पर कुच्छ बाते करने लगा....जैसे कोई बड़ी इंपॉर्टेंट कॉल आई हो.....और रिंकू ने बाथरूम से बाहर कदम रखा.........

"समीर डार्लिंग किसका फोन हैं....क्या बात हैं कुच्छ परेशान लग रहे हो....?".......समीर की आक्टिंग का भी जवाब नही था......रिंकू मात खा गयी थी.

"डार्लिंग चिंता की कोई बात नही हैं....लेकिन मूज़े अब तुरंत निकलना पड़ेगा.....एक ज़रूरी काम आ गया हैं".....समीर अपार व्यग्रता का प्रदर्शन करता बोला

"लेकिन तुमने तो.......ये सीडी देखी ही नही....कम से कम देखते तो जाओ"........रिंकू को क्या पता, जिस सीडी की वो बात कर रही हैं.....वो अब उसके समीर डार्लिंग के पास हैं.

"अभी नही डार्लिंग....अभी मेरा जाना ज़रूरी हैं.....फिर किसी दिन आउन्गा....अब तो आना जाना लगा रहेगा.....!".........रिंकू के गालो पर एक किस दाग कर वो बाहर निकल गया.........

अपने पिछे रिंकू नाम की एक बेवकूफ़, हवस की मारी, अभी तक नंगी खड़ी कुतिया को छ्चोड़ कर.

बाहर आते ही उसने चैन की गहरी सास ली.

बाहर आते ही समीर ने एक ऑटो पकड़ा.....मोबाइल पर एक नंबर डायल किया...थोड़ी देर बाद दूसरी तरफ से आवाज़ आई.....
"हल्लो समीर....काम हो गया....?"
"हाँ सर हो गया....सीडी मेरे पास हैं...!"
"उस बेवकूफ़ लड़की को कोई शक तो नही हुआ...?"
"नही सर......वो जब समझेगी.....तब शायद अपने आप को गोली मार लेगी.....!"....समीर हसता हुआ बोला.
"ठीक हैं आ जाओ...मिलने पर बात करेंगे"
"यस सर.....बस दस मिनट मे पहुचता हू."........और उसने मोबाइल जेब मे रख लिया.
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उधर समीर के जाते ही, मायूस रिंकू कुच्छ देर, वैसे ही नंगी अवस्था मे सोफे पर बैठी रही.....उसे कुच्छ अजीब सा लग रहा था.....उसने अपने लिए एक ड्रिंक बनाया.....कपड़े पहने ....धीरे धीरे ड्रिंक चुसक्ती वो सोचने लगी...क्या अजीब सा महसूस हो रहा था....समीर का बर्ताव कुच्छ अजीब था.....उसके दिल ने कहा......चुदाई भी उसने बहुत जल्दी जल्दी की.....उसके बाथरूम पहुचते ही, कपड़े पहने वो तैय्यार था......जैसे भागने को तत्पर था....अचानक उसका बदन काँपने लगा...एक आशंका ने उसे हिला कर रख दिया........उसने दौड़ कर सीडी प्लायर खोला.....देखा तो अंदर सीडी मौजूद थी....उसने राहत की सास ली......वो बेवजह घबरा रही थी......उसने सीडी निकाली, वापिस अंदर सेफ मे रखने के लिए.......लेकिन सीडी को छुते ही उसे फिर आशंका हुई.....फिर कुच्छ गड़बड़ी का अहसास हुआ....उसने सीडी को फिर से प्लेयर मे डाला ऑन किया.....कुच्छ ही पलो मे जो तस्वीरे दिखाई देने लगी, उन्हे देख कर वो पागल हो गयी..........वो हिन्दी फिल्म हेराफेरी की सीडी थी......और हेराफेरी तो उसके साथ हुए थी.......वो गुस्से मे अपने बाल नोचने लगी.....

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समीर जैसे ही 'डेंजर ज़ोन' पहुचा...इनस्पेक्टर राजपूत ने उसका स्वागत किया....वो उसे लेकर अंदर गया....जहा आमिर बड़े इम्त्मिनान से बेअर पी रहा था.........जैसे ही दोनो वाहा पहुचे.....समीर ने आमिर का अभिवादन किया.

"आओ भाई बैठो समीर....बढ़िया काम किया हैं तुमने.....लो बेअर पियो...!"........आमिर ने कहा

"नही सर, मैं अभी अभी विस्की पी कर आया हू.......ये रही आपकी सीडी...!".......समीर ने सीडी राजपूत की तरफ बढ़ाई.
"तुमने देखी हैं ये सीडी...मेरा मतलब हैं कही तुम कोई ग़लत सीडी तो नही उठा लाए हो....?"......आमिर ने पुचछा.

"नही सर मैने देखी हैं,....ये वही सीडी हैं......सर अब तो मुझे छ्चोड़ दोगे ना.....आपने कहा था, की अगर मैं आपका ये काम कर दू, तो आप मेरे खिलाफ लगाए सारे चार्जस हटा लेंगे, और मूज़े आज़ाद कर देंगे....?".......समीर की आवाज़ मे याचना थी.

"हाँ भाई, हमे याद हैं.....लेकिन पहले हमे ये सीडी देख कर कन्फर्म करना होगा....की यही वो सीडी हैं.....फिर तुम आज़ाद हो जाओगे....सिर्फ़ तब तक, जब तक तुम फिरसे गुनाह करते नही पकड़े जाते...समझे...?".......राजपूत ने खास अपने पुलिसिया अंदाज मे कहा........सभी हास पड़े....आमिर और राजपूत, खुल के, ठहाके लगाकर....तो समीर खिसियानी हसी हसा.

वास्तव समीर एक पोलिसे रेड मे उस वक़्त रंगे हाथ पकड़ा गया था, जब वो , वाकई मे एक ब्लू फिल्म की शूटिंग मे हिस्सा ले रहा था....उस वक़्त आमिर भी राजपूत के साथ था......समीर की पर्सनॅलिटी, और उसका "हथियार" देख कर आमिर के मन मे ये प्लान आया था......रिंकू की सेक्स मे अत्यधिक रूचि को कॅश करने का...उन्होने समीर से ये वादा लिया की वो रिंकू को शक हुए बिना, वो सीडी लाकर देगा......बदले मे पुलिसे उसे छ्चोड़ देगी........और समीर ने अपना काम कर दिया था........रश्मि की जान अब आमिर के पास क़ैद थी.

दोस्तो इस पार्ट को मैं यही ख़तम करता हू आगे की कहानी जानने के लिए अगला भाग पढ़िए ओर हाँ कमेंट देना मत भूलना मुझे आपके मिल्स का इन्तजार रहेगा
आपका दोस्त राज शर्मा

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