राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
हिंदी सेक्सी कहानिया
चुदाई की कहानियाँ
उत्तेजक कहानिया
Hindi Sexi Stories
गाँव का राजा पार्ट -3
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा पार्ट -3 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
अचानक राजू की नज़र अपनी मामी उर्मिला देवी पर पड़ी वो बड़े गौर से उसके पेरॉं की तरफ देख रहीं थी तब राजू को अहसास हुआ मामी उसके लॅंड को ही देख रही है राजू ने अपने पैर को मोड़ लिया ओर मामी की तरफ देखा उर्मिला देवी राजू को अपनी ओर देखते पाकर हॅडबड़ा गई और अपनी नज़रें मेग्ज़ीन पर लगा ली
कुच्छ देर तक दोनो ऐसे ही शर्मिंदगी के अहसास में डूबे हुए बैठे रहे फिर उर्मिला देवी वाहा से उठ कर चली गई.
उस दिन की घटना ने दोनो के बीच एक हिचक की दीवार खड़ी कर दी. दोनो अब जब बाते करते तो थोड़ा नज़रे चुरा कर करते थे. उर्मिला देवी अब राजू को बड़े गौर से देखती थी. पाजामे में उसके हिलते डुलते लंड और हाफ पॅंट से झाँकते हुए लंड को देखने की फिराक में रहती थी. राजू भी सोच में डूबा रहता था कि मामी उसके लंड को क्यों देख रही थी. ऐसा वो क्यों कर रही थी. बड़ा परेशान था बेचारा. मामी जी भी अलग फिराक में लग गई थी. वो सोच रही थी क्या ऐसा हो सकता है कि मैं राजू के इस मस्ताने हथियार का मज़ा चख सकु. कैसे क्या करे ये उनकी समझ में नही आ रहा था. फिर उन्होने एक रास्ता खोज़ा.
अब उर्मिला देवी ने अब नज़रे चुराने की जगह राजू से आँखे मिलाने का फ़ैसला कर लिया था. वो अब राजू की आँखो में अपने रूप की मस्ती घोलना चाहती थी. देखने में तो वो माशा अल्लाह शुरू से खूबसूरत थी. राजू के सामने अब वो खुल कर अंग प्रदर्शन करने लगी थी. जैसे जब भी वो राजू के सामने बैठती थी तो अपनी साड़ी को घुटनो तक उपर उठा कर बैठती, साडी का आँचल तो दिन में ना जाने कितनी बार ढूलक जाता था (जबकि पहले ऐसा नही होता था), झाड़ू लगाते समय तो ब्लाउस के दोनो बटन खुले होते थे और उनमे से उनकी मस्तानी चुचिया झलकती रहती थी. बाथरूम से कई बार केवल पेटिकोट और ब्लाउस या ब्रा में बाहर निकल कर अपने बेडरूम में समान लाने जाती फिर वापस आती फिर जाती फिर वापस आती. नहाने के बाद बाथरूम से केवल एक लंबा वाला तौलिया लपेट कर बाहर निकल जाती थी. बेचारा राजू बीच ड्रॉयिंग रूम में बैठ ये सारा नज़ारा देखता रहता था. लरकियों को देख कर उसका लंड खड़ा तो होने लगा था मगर कभी सोचा नही था की मामी को देख के भी लंड खड़ा होगा. लंड तो लंड है वो कहा कुच्छ देखता है. उसको अगर चिकनी चमड़ी वाला खूबसूरत बदन दिखेगा तो खड़ा तो होगा ही. मामी जी उसको ये दिखा रही थी और वो खड़ा हो रहा था.
राजू को उसी दौरान राज शर्मा की सेक्सी कहानियो की एक किताब हाथ लग गई. किताब पढ़ कर जब लंड खड़ा हुआ और उसको मुठिया कर जब अपना पानी निकाला तो उसकी तीसरी आँख खुल गई. उसकी स्मझ में आ गया की चुदाई क्या होती है और उसमे कितना मज़ा आ सकता है. जब किताब पढ़ के कल्पना करने और मुठियाने में इतना मज़ा है तो फिर सच में अगर चूत में लंड डालने को मिले तो कितना मज़ा आएगा. राज शर्मा की कहानियों में तो रिश्तो में चुदाई की कहानिया भी होती है और एक बार जो वो किताब पढ़ लेता है फिर रिश्ते की औरतो के बारे में उल्टी सीधी बाते सोच ही लेता है चाहे वो ऐसा ना सोचने के लिए कितनी भी कोशिश करे. वही हाल अपने राजू बाबा का भी था. वो चाह रहे थे कि अपनी मामी के बारे में ऐसा ना सोचे मगर जब भी वो अपनी मामी के चिकने बदन को देखते तो ऐसा हो जाता था. मामी भी यही चाह रही थी. खूब छल्का छल्का के अपना बदन दिखा रही थी.
बाथरूम से पेशाब करने के बाद साडी को जाँघो तक उठाए बाहर निकल जाती थी. राजू की ओर देखे बिना साडी और पेटिकोट को वैसे ही उठाए हुए अपने कमरे में जाती और फिर चूकने की आक्टिंग करते हुए हल्के से मुस्कुराते हुए साडी को नीचे गिरा देती थी. राजू भी अब हर रोज इंतेज़ार करता था की कब मामी झाड़ू लगाएँगी और अपनी गुदाज़ चुचियों के दर्शन कराएँगी या फिर कब वो अपनी साडी उठा के उसे अपनी मोटी-मोटी जाँघो के दर्शन कराएँगी. राज शर्मा की कहानियाँ तो अब वो हर रोज पढ़ता था. ज्ञान बढ़ाने के साथ अब उसके दिमाग़ में हर रोज़ नई नई तरकीब सूझने लगी कि कैसे मामी को पटाया जाए. साड़ी उठा के उनकी चूत के दर्शन किए जाए और हो सके तो उसमें अपने हलब्बी लंड को प्रविष्ट कराया जाए और एक बार ही सही मगर चुदाई का मज़ा लिया जाए. सभी तरह के तरकीबो को सोचने के बाद उनकी छ्होटी बुद्धि ने या फिर ये कहे की उनके लंड ने क्योंकि चुदाई की आग में जलता हुआ छ्होकरा लंड से सोचने लगता है, एक तरकीब खोज ली.................
एक दिन मामी जी बाथरूम से तौलिया लपेटे हुए निकली, हर रोज़ की तरह मुन्ना बाबू उनको एक टक घूर घूर कर देखे जा रहे थे. तभी मामी ने राजू को आवाज़ दी, "राजू ज़रा बाथरूम में कुच्छ कपड़े है, मैं ने धो दिए है ज़रा बाल्कनी में सुखाने के लिए डाल दे". राजू जो कि एक टक मामी जी की गोरी चिकनी जाँघो को देख के आनंद लूट रहा था को झटका सा लगा, हॅडबड़ा के नज़रे उठाई और देखा तो सामने मामी अपनी चूचियों पर अपने तौलिए को कस के पकड़े हुए थी. मामी ने हस्ते हुए कहा "जा बेटा जल्दी से सुखाने के लिए डाल दे नही तो कपड़े खराब हो जाएँगे"
राजू उठा और जल्दी से बाथरूम में घुस गया. मामी को उसका खरा लंड पाजामे में नज़र आ गया. वो हस्ते हुए चुप चाप अपने कमरे में चली गई. राजू ने कपड़ो की बाल्टी उठाई और फिर ब्लॉकोनी में जा कर एक एक करके सूखने के लिए डालने लगा. मामी की पॅंटी और ब्रा को सुखाने के लिए डालने से पहले एक बार अच्छी तरह से च्छू कर देखता रहा फिर अपने होंठो तक ले गया और सूंघने लगा. तभी मामी कमरे से निकली तो ये देख कर जल्दी से उसने वो कपड़े सूखने के लिए डाल दिए.
शाम में जब सूखे हुए कपड़ो को उठाते समय राजू भी मामी की मदद करने लगा. राजू ने अपने मामा का सूखा हुआ अंडरवेर अपने हाथ में लिया और धीरे से मामी के पास गया. मामी ने उसकी ओर देखते हुए पुचछा "क्या है, कोई बात बोलनी है"? राजू थोड़ा सा हकलाते हुए बोला:-
"माआअम्म्म्मी...एक बात बोलनी थी"
"हा तो बोल ना"
"मामी मेरे सारे दोस्त अब ब्ब्ब्ब्बबब"
"अब क्या ......" उर्मिला देवी ने अपनी तीखी नज़रे उसके चेहरे पर गढा रखी थी.
"मामी मेरे सारे दोस्त अब उन.... अंडर....... अंडरवेर पहनते है"
मामी को हसी आ गई, मगर अपनी हसी रोकते हुए पूछा "हा तो इसमे क्या है सभी लड़के पहनते है"
"पर पर मामी मेरे पास अंडरवेर नही है"
मामी एक पल के लिए ठिठक गई और उसका चेहरा देखने लगी. राजू को लग रहा था इस पल में वो शर्म से मर जाएगा उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली.
उर्मिला देवी ने उसकी ओर देखते हुए कहा "तुझे भी अंडरवेर चाहिए क्या"
"हा मामी मुझे भी अंडरवेर दिलवा दो ना"
"हम तो सोचते थे की तू अभी बच्चा है, मगर" कह कर वो हस्ने लगी. राजू ने इस पर बुरा सा मुँह बनाया और रोआन्सा होते हुए बोला "मेरे सारे दोस्त काफ़ी दीनो से अंडरवेर पहन रहे है, मुझे बहुत बुरा लगता है बिना अंडरवेर के पॅंट पहन ना."
उर्मिला देवी ने अब अपनी नज़रे सीधे पॅंट के उपर टीका दी और हल्की मुस्कुराहट के साथ बोली "कोई बात नही, कल बाज़ार चलेंगे साथ में". राजू खुश होता हुआ बोला "थॅंक यू मामी". फिर सारे कपड़े समेत दोनो अपने अपने कमरो में चले गये.
वैसे तो राजू कई बार मामी के साथ बाज़ार जा चुका था. मगर आज कुच्छ नई बात लग रही थी. दोनो खूब बन सवर के निकले थे. उर्मिला देवी ने आज बहुत दीनो के बाद काले रंग की सलवार कमीज़ पहन रखी थी और राजू को टाइट जीन्स पहनवा दिया था. हालाँकि राजू अपनी ढीली पॅंट ही पहना चाहता था मगर मामी के ज़ोर देने पर बेचारा क्या करता. कार मामी खूद ड्राइव कर रही थी. काले सलवार समीज़ में बहुत सुंदर लग रही थी. हाइ हील की सॅंडल पहन रख थी. टाइट जीन्स में राजू का लंड नीचे की तरफ हो कर उसकी जाँघो से चिपका हुआ एक केले की तरह से साफ पता चल रहा था. उसने अपनी टी-शर्ट को बाहर निकाल लिया पर जब वो कार में मामी के बगल में बैठा तो फिर वही ढाक के तीन पाट, सब कुच्छ दिख रहा था. मामी अपनी तिर्छि नज़रो से उसको देखते हुए मुस्कुरा रही थी. राजू बड़ी परेशानी महसूस कर रहा था. खैर मामी ने कार एक दुकान पर रोक ली. वो एक बहुत ही बड़ी दुकान थी. दुकान में सारे सेल्सरेप्रेज़ेंटेटिव लरकियाँ थी. एक सेलेज़्गर्ल के पास पहुच कर मामी ने मुस्कुराते हुए उस से कहा इनके साइज़ का अंडरवेर दिखाइए. सेल्समन ने घूर कर उसकी ओर देखा जैसे वो अपनी आँखो से ही उसकी साइज़ का पता लगा लेगी. फिर राजू से पुचछा आप बनियान कितने साइज़ का पहनते हो. राजू ने अपना साइज़ बता दिया और उसने उसी साइज़ का अंडरवेर ला कर उसे ट्राइयल रूम में ले जा कर ट्राइ करने को कहा. ट्राइयल रूम में जब राजू ने अंडरवेर पहना तो उसे बहुत टाइट लगा. उसने बाहर आ कर नज़रे झुकाए हुए ही कहा "ये तो बहुत टाइट है". इस पर मामी हस्ने लगी और बोली "हमारा राजू बेटा नीचे से कुच्छ ज़यादा ही बड़ा है, एक साइज़ बड़ा ला दो" . उर्मिला देवी की ये बात सुन कर सेलेज़्गर्ल का चेहरा भी लाल हो गया. वो हॅडबड़ा कर पिछे भागी और एक साइज़ बड़ा अंडरवेर ला कर दे दिया और बोली पॅक करा देती हू ये फिट आ जाएगी. मामी ने पुचछा "क्यों राजू एक बार और ट्राइ करेगा या फिर पॅक करवा ले".
"नही पॅक करवा लीजिए"
"ठीक है दो अंडरवेर पॅक कर दो, और मेरे लिए कुच्छ दिखाओ". मामी के मुँह से ये बात सुन कर राजू चौंक गया. मामी क्या खरीदना चाहती है अपने लिए. यहा तो केवल पॅंटी और ब्रा मिलेगी. सेलेज़्गर्ल मुस्कुराते हुए पिछे घूमी और मामी के सामने गुलाबी, काले, सफेद, नीले रंगो के ब्रा और पॅंटीस की ढेर लगा दिए. मामी हर ब्रा को एक एक कर के उठाती जाती और फैला फैला कर देखती फिर राजू की ओर घूम कर जैसे की उस से पुच्छ रही हो बोलती "ये ठीक रहेगी क्या, मोटे कप्डे की है, सॉफ्ट नही है या फिर इसका कलर ठीक है क्या" राजू हर बात पर केवल अपना सिर हिला कर रह जाता था. उसका तो दिमाग़ घूम गया था. उर्मिला देवी पॅंटीस को उठा उठा के फैला के देखती. उनकी एलास्टिक चेक करती फिर छोड़ देती. कुच्छ देर तक ऐसे ही देखने के बाद उन्होने तीन ब्रा और तीन पॅंटीस खरीद ली. राजू को तीनो ब्रा आंड पॅंटीस काफ़ी छ्होटी लगी. मगर उसने कुच्छ नही कहा. सारा समान पॅक करवा कर कर की पिच्छली सीट पर डालने के बाद मामी ने पुचछा "अब कहा चलना है",
राजू ने कहा "घर चलिए, अब और कहा चलना है". इस पर मामी बोली "अभी घर जा कर क्या करोगे चलो थोड़ा कही घूमते है.
"ठीक है" कह कर राजू भी कार में बैठ गया. फिर उसका टी-शर्ट थोड़ा सा उँचा हो गया पर इस बार राजू को कोई फिकर नही थी. मामी ने उसकी ओर देखा और देख कर हल्के से मुस्कुरई. मामी से नज़रे मिलने पर राजू भी थोड़ा सा शरमाते हुए मुस्कुराया फिर खुद ही बोल पड़ा "वो मैं ट्राइयल रूम में जा कर अंडरवेर पहन आया था". मामी इस पर हस्ते हुए बोली "वा रे छ्होरे बड़ा होसियार निकला तू तो, मैने तो अपना ट्राइ भी नही किया और तुम पहन कर घूम भी रहे हो, अब कैसा लग रहा है"
"बहुत कंफर्टबल लग रहा है, बड़ी परेशानी होती थी"
"मुझे कहा पता था की इतना बड़ा हो गया है, नही तो कब की दिला देती"
मामी के इस दुहरे अर्थ वाली बात को स्मझ कर मुन्ना बेचारा चुपचाप मुस्कुरा कर रह गया. मामी कार ड्राइव करने लगी. घर पर मामा और बड़ी बहन काजल दोनो नही थे. मामा अपने बिज़्नेस टूर पर और काजल कॉलेज ट्रिप पर. सो दोनो मामी भांजा शाम के सात बजे तक घूमते रहे. शाम में कार पार्किंग में लगा कर दोनो माल में घूम रहे थे कि बारिश शुरू हो गई. बड़ी देर तक तेज बारिश होती रही. जब 8 बजने को आए तो दोनो ने माल से पार्किंग तक का सफ़र भाग कर तय करने की कोशिश की, और इस चक्कर में दोनो के दोनो पूरी तरह से भीग गये. जल्दी से कार का दरवाजा खोल झट से अंदर घुस गये. मामी ने अपने गीले दुपट्टे से ही अपने चेहरे और बाँहो को पोच्छा और फिर उसको पिच्छली सीट पर फेंक दिया. राजू ने भी हॅंकी से अपने चेहरे को पोछ लिया. मामी उसकी ओर देखते हुए बोली "पूरे कपड़े गीले हो गये"
"हा मैं भी गीला हो गया हू". बारिश से भीग जाने के कारण मामी की समीज़ उनके बदन से चिपक गई थी और उनकी सफेद ब्रा के स्ट्रॅप नज़र आ रहे थे. समीज़ चूकि स्लीवलेशस थी इसलिए मामी की गोरी गोरी बाँहे गजब की खूबसूरत लग रही थी. उन्होने दाहिने कलाई में एक पतला सा सोने का कड़ा पहन रखा था और दूसरे हाथ में पतले स्ट्रॅप की घड़ी बाँध रखी थी. उनकी उंगलियाँ पतली पतली थी और नाख़ून लूंबे लूंबे जिन पर पिंक कलर की सुनहरी नाइल पोलिश लगी हुई थी. स्टियरिंग को पकड़ने के कारण उनका हाथ थोड़ा उँचा हो गया था जिस के कारण उनकी चिकनी चिकनी कानखो के दर्शन भी राजू को आराम से हो रहे थे. बारिस के पानी से भीग कर मामी का बदन और भी सुनहरा हो गया था. बालो की एक लट उनके गालो पर अठखेलिया खेल रही थी. मामी के इस खूबसूरत रूप को निहार कर राजू का लंड खड़ा हो गया था.
घर पहुच कर कार को पार्किंग में लगा कर लॉन पार करते हुए दोनो घर के दरवाजे की ओर चल दिए. बारिश दोनो को भीगा रही थी. दोनो के कपड़े बदन से पूरी तरह से चिपक गये थे. मामी की समीज़ उनके बदन से चिपक कर उनकी चुचियों को और भी ज़यादा उभार रही थी. चुस्त सलवार उनके बदन उनके जाँघो से चिपक कर उनकी मोटी जाँघो का मदमस्त नज़ारा दिखा रही थी. समीज़ चिपक कर मामी की गांद की दरार में घुस गई थी. राजू पिछे पिछे चलते हुए अपने लंड को खड़ा कर रहा था. तभी लॉन की घास पर मामी का पैर फिसला और वो पिछे की तरफ गिर पारी. उनका एक पैर लग भग मूड गया था और वो राजू के उपर गिर पड़ी जो ठीक उनके पिछे चल रहा था. मामी राजू के उपर गिरी हुई थी. मामी के मदमस्त चूतर राजू के लंड से सॅट गये. मामी को शायद राजू के खड़े लंड का एहसास हो गया था उसने अपने चूतरो को लंड पर थोड़ा और दबा दिया और फिर आराम से उठ गई. राजू भी उठ कर बैठ गया. मामी ने उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखा और बोली "बारिश में गिरने का भी अपना अलग ही मज़ा है".
"कपड़े तो पूरे खराब हो गये मामी"
"हॅ तेरे नये अंडरवेर का अच्छा उदघाटन हो गया" राजू हस्ने लगा. घर के अंदर पहुच कर जल्दी से अपने अपने कमरो की ओर भागे. राजू ने फिर से हाफ पॅंट और एक टी-शर्ट डाल ली और गंदे कपड़ो को बाथरूम में डाल दिया. कुच्छ देर में मामी भी अपने कमरे से निकली. मामी ने अभी एक बड़ी खूबसूरत सी गुलाबी रंग की नाइटी पहन रखी थी. मॅक्सी के जैसी स्लीव्लेस्स नाइटी थी. नाइटी कमर से उपर तक तो ट्रॅन्स्परेंट लग रही थी मगर उसके नीचे शायद मामी ने नाइटी के अंदर पेटिकोट पहन रखा था इसलिए वो ट्रॅन्स्परेंट नही दिख रही थी.
उर्मिला देवी किचन में घुस गई और राजू ड्रॉयिंग रूम में मस्ती से बैठ कर टेलीविज़न देखने लगा. उसने दूसरा वाला अंडरवेर भी पहन रखा था अब उसे लंड के खड़े होने पर पकड़े जाने की कोई चिंता नही थी. किचन में दिन की कुच्छ सब्जिया और दाल पड़ी हुई थी. चावल बना कर मामी उसके पास आई और बोली "चल कुच्छ खाना खा ले". खाना खा कर सारे बर्तन सिंक में डाल कर मामी ड्रॉयिंग रूम में बैठ गई और राजू भी अपने लिए मॅंगो शेक ले कर आया और सामने के सोफे पर बैठ गया. मामी ने अपने पैर को उठा कर अपने सामने रखी एक छ्होटी टेबल पर रख दिया और नाइटी को घुटनो तक खींच लिया था. घुटनो तक के गोरे गोरे पैर दिख रहे थे. बड़े खूबसूरत पैर थे मामी के. तभी राजू का ध्यान उर्मिला देवी के पैरो से हट कर उनके हाथो पर गया. उसने देखा की मामी अपने हाथो से अपने चुचियों को हल्के हल्के खुज़ला रही थी. फिर मामी ने अपने हाथो को पेट पर रख लिया. कुच्छ देर तक ऐसे ही रखने के बाद फिर उनका हाथ उनके दोनो जाँघो के बीच पहुच गया. राजू बड़े ध्यान से उनकी ये हरकते देख रहा था. मामी के हाथ ठीक उनकी जाँघो के बीच पहुच गये और वो वाहा खुजली करने लगी. झंघो के ठीक बीच में चूत के उपर हल्के हल्के खुजली करते-करते उनका ध्यान राजू की तरफ गया. राजू तो एक तक अपनी मामी को देखे जा रहा था. उर्मिला देवी की नज़रे जैसे ही राजू से टकराई उनके मुँह से हँसी निकल गई. हस्ते हुए वो बोली
"नई पॅंटी पहनी है ना इसलिए खुजली हो रही है". राजू अपनी चोरी पकड़े जाने पर शर्मिंदगी के साथ हस कर मुँह घुमा कर अपनी नज़रो को टीवी से चिपका दिया. उर्मिला देवी ने अपने पैरो को और ज़यादा फैला दिया. ऐसा करने से उनकी नाइटी नीचे की तरफ लटक गई थी. राजू के लिए ये बड़ा बढ़िया मौका था, उसने अपने हाथो में एक रब्बर की बॉल पकड़ी हुई थी जिसे उसने जान बूझ के नीचे गिरा दिया. बॉल लुढ़कता हुआ ठीक उस छ्होटे से टेबल के नीचे चला गया जिस पर मामी ने पैर रखे हुए थे. राजू "ओह" कहता हुआ उठा और टेबल के पास जाकर बॉल लेने के बहाने से लटकी हुए नाइटी के अंदर झाँकने लगा. एक तो नाइटी और उसके अंदर मामी ने पेटिकोट पहन रखा था, लाइट वाहा तक पूरी तरह से नही पहुच पा रही थी पर फिर भी राजू को मामी के मस्त जाँघो के दर्शन हो ही गये. उर्मिला देवी भी राजू के इस हरकत पर मन ही मन मुस्कुरा उठी. वो समझ गई की छ्होकरे के पॅंट में भी हलचल हो रही है और उसी हलचल के चक्कर में उनकी पॅंटी के अंदर झाँकने के चक्कर में पड़ा हुआ है. राजू बॉल लेकर फिर से सोफे पर बैठ गया तो उर्मिला देवी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा
"अब इस रब्बर के बॉल से खलेने की तेरी उमर बीत गई, अब दूसरे बॉल से खेला कर". राजू थोड़ा सा शरमाते हुए बोला "और कौन सी बॉल होती है मामी, खलेने वाली सारी बॉल्स तो रब्बर से ही बनी होती है"
"हा, होती तो है मगर तेरे इस बॉल की तरह इधर उधर कम लुढ़कति है" कह कर फिर से राजू के आँखो के सामने ही अपनी चूत पर खुजली करके हस्ते हुए बोली "बड़ी खुजली सी हो रही है पता नही क्यों, शायद नई पॅंटी पहनी है इसलिए". राजू तो एक दम से गरम हो गया और एक टक जाँघो के बीच देखते हुए बोला
"पर मेरा अंडरवेर भी तो नया है वो तो नही काट रहा"
"अच्छा, तब तो ठीक है, वैसे मैने थोड़ी टाइट फिटिंग वाली पॅंटी ली है, हो सकता है इसलिए काट रही होगी"
"वा मामी आप भी कमाल करती हो इतनी टाइट फिटिंग वाली पॅंटी खरीदने की क्या ज़रूरत थी आपको"
"टाइट फिटिंग वाली पॅंटी हमारे बहुत काम की होती है, ढीली पॅंटी में परेशानी हो जाती है, वैसे तेरी परेशानी तो ख़तम हो गई ना"
"हा मामी, बिना अंडरवेर के बहुत परेशानी होती थी, सारे लड़के मेरा मज़ाक उरते थे".
"पर लड़कियों को तो अच्छा लगता होगा, क्यों?"
"हि मामी, आप भी नाआ,,,, "
"क्यों लड़कियाँ तुझे नही देखती क्या"
"लड़कियाँ मुझे क्यों देखेंगी, मेरे में ऐसा क्या है"
"तू अब जवान हो गया है, मर्द बन गया है"
"कहा मामी, आप भी क्या बात करती हो"
"अब जब अंडरवेर पहन ने लगा है तो इसका मतलब ही है की तू अब जवान हो गया है"
राजू इस पर एक दम से शर्मा गया,
"धात मामी,......"
" तेरा खड़ा होने लगा है क्या",
मामी की इस बात पर तो राजू का चेहरा एक्दुम से लाल हो गया. उसकी समझ में नही आ रहा था क्या बोले. तभी उर्मिला देवी ने अपनी नाइटी को एक्दुम घुटनो के उपर तक खीचते हुए बड़े बिंदास अंदाज़ में अपना एक पैर जो की टेबल पर रखा हुआ था उसको राजू के जाँघो पर रख दिया (राजू दरअसल पास के सोफे पर पालती मार के बैठा हुआ था.) राजू को एक्दुम से झटका सा लगा. मामी अपने गोरे गोरे पैरो की एडियों से उसके
जाँघो को हल्के हल्के दबाने लगी और एक हाथ को फिर से अपने जाँघो के बीच ले जा कर चूत को हल्के हल्के खुजलाते हुए बोली "क्यों मैं ठीक बोल रही हू ना"
"ओह मामी,"
"नया अंडरवेर लिया है, दिखा तो सही कैसा लगता है"
"अर्रे क्या मामी आप भी ना बस ऐसे........ अंडरवेर भी कोई पहन के दिखाने वाली चीज़ है"
"क्यों लोग जब नया कपड़ा पहनते है तो दिखाते नही है क्या" कह कर उर्मिला देवी ने अपने एडियों का दबाब जाँघो पर थोड़ा सा और बढ़ा दिया, पैर की उंगलिया से हल्के से पेट के निचले भाग को कुरेदा और मुस्कुरा के सीधे राजू की आँखो में झाँक कर देखती हुई बोली, "दिखा ना कैसा लगता है, फिट है या नही"
"छोड़ो ना मामी"
"अर्रे नये कपड़े पहन कर दिखाने का तो लोगो को शौक होता है और तू है की शर्मा रहा है, मैं तो हमेशा नये कपड़े पहनती हू तो सबसे पहले तेरे मामा को दिखाती हू, वही बताते है कि फिटिंग कैसी है या फिर मेरे उपर जचता है या नही, अभी तेरे मामा नही है........"
"पर मामी ये कौन सा नया कपड़ा है, अपने भी तो नई पॅंटी खरीदी है वो आप दिखाइएंगी क्या". उर्मिला देवी भी स्मझ गई की लड़का लाइन पर आ रहा है, और पॅंटी देखने के चक्कर में है. फिर मन ही मन खुद से कहा की बेटा तुझे तो मैं पॅंटी भी दिखौँगी और उसके अंदर का माल भी पर ज़रा तेरे अंडरवेर का माल भी तो देख लू नज़र भर के फिर बोली
"हा दिखौँगी ना तेरे मामा को तो मैं सारे कपड़े दिखाती हू"
"धात मामी.... तो फिर जाने दो मैं भी मामा को ही दिखौँगा"
"अर्रे तो इसमे शरमाने की क्या बात है, आज तो तेरे मामा नही है इसलिए मामी को ही दिखा दे," और उर्मिला देवी ने अपने पूरे पैर को सरका कर उसके जाँघो के बीच में रख दिया जहा पर उसका लंड था. राजू का लंड खड़ा तो हो ही चुका था. उर्मिला देवी ने हल्के से लंड की औकात पर अपने पैर को चला कर दबाब डाला और मुस्कुरा कर राजू की आँखो में झाँकते हुए बोली "क्यों मामी को दिखाने में शर्मा रहा है क्या"
राजू की तो सिट्टी पिटी गुम हो गई थी. मुँह से बोल नही फुट रहे थे. धीरे से बोला "रहने दीजिए मामी मुझे शर्म आती है" उर्मिला देवी इस पर थोड़ा झिरकने वाले अंदाज में बोली "इसीलिए तो अभी तक इस रब्बर की बॉल से खेल रहा है" राजू ने अपनी गर्दन उपर उठाई तो देखा की उर्मिला देवी अपनी चुचियों पर हाथ फिरा रही थी. राजू बोला "तो और कौन सी बॉल से खेलु"
"ये भी बताना पड़ेगा क्या, मैं तो सोचती थी तू स्मझदार हो गया होगा, चल आज तुझे समझदार बनाती हूँ".
"हाई मामी मुझे शरम आ रही है" उर्मिला देवी ने अपने पंजो का दबाब उसके लंड पर बढ़ा दिया और ढाकी च्छूपी बात करने की जगह सीधा हमला बोल दिया "बिना अंडरवेर के जब खड़ा कर के घूमता था तब तो शरम नही आती थी,…….. दिखा ना". और लंड को कस के अपने पंजो से दबाया ताकि राजू अब अच्छी तरह से समझ जाए की ऐसा अंजाने में नही बल्कि जान-बूझ कर हो रहा है. इस काम में उर्मिला देवी को बड़ा मज़ा आ रहा था. राजू थोड़ा परेशान सा हो गया फिर उसने हिम्मत कर के कहा "ठीक है मामी, मगर अपने पैर तो हटाओ".
"ये हुई ना बात" कह कर उर्मिला देवी ने अपने पैर हटा लिए. राजू खड़ा हो गया और धीरे से अपनी हाफ पॅंट घुटनो के नीचे तक सरका दी. उर्मिला देवी को बड़ा मज़ा आ रहा था. लड़कों को जैसे स्ट्रीप टीज़ देखने में मज़ा आता है, आज उर्मिला देवी को अपने भाँझे के सौजन्या से वैसा ही स्ट्रीप टीज़ देखने को मिल रहा था. उसने कहा "पूरा पॅंट उतार ना, और अच्छे से दिखा". राजू ने अपना पूरा हाफ पॅंट उतार दिया और शरमाते-सकुचते सोफे पर बैठने लगा तो उर्मिला देवी ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर राजू का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और अपने पास खड़ा कर लिया और धीरे से उसकी आँखो में झाँकते हुए बोली "ज़रा अच्छे से देखने दे ना कैसी फिटिंग आई है". राजू ने अपने टी-शर्ट को अपने पेट पर चढ़ा रखा था और मामी बड़े प्यार से उसके उनड़ेवएअर की फिटिंग चेक कर रही थी. छ्होटा सा वी शेप का अंडरवेर था. एलास्टिक में हाथ लगा कर देखते हुए मामी बोली "हू फिटिंग तो ठीक लग रही है, ये नीला रंग भी तेरे उपर खूब अच्छा लग रहा है मगर थोड़ी टाइट लगती है"
"वो कैसे मामी, मुझे तो थोड़ा भी टाइट नही लग रहा", राजू का खड़ा लंड उनड़ेवएअर में एक दम से उभरा हुआ सीधा डंडे की शकल बना रहा था. उर्मिला देवी ने अपने हाथ को लंड की लंबाई पर फिराते हुए कहा, "तू खुद ही देख ले, पूरा पता चल रहा है कि तेरा औज़ार खड़ा हो गया है". लंड पर मामी का हाथ चलते ही मारे सनसनी के राजू की तो हालत खराब होने लगी, कांपति हुई आवाज़ में "ओह आहह" करके रह गया. उर्मिला देवी ने मुस्कुराते हुए पुचछा "हर समय ऐसे ही रहता है क्या"
"नेह्हियी मामी, हमेशा ऐसे नही रहता"
"और समय ढीला रहता है"
"हा मामी" .
"अच्छा, तब तो ठीक फिटिंग का है, मैं सोच रही थी की अगर हर समय ऐसे ही खड़ा रहता होगा तो तब तो तुझे थोड़ा और ढीला लेना चाहिए था, वैसे ये खड़ा क्यों है
"ओह, मुझे नही पता मामी."
"बहुत बड़ा दिख रहा है, पहसब तो नही लगी है तुझे"
"नही मामी"
"तब तो कोई और ही कारण होगा, वैसे वो सेल्स गर्ल भी हस रही थी जब मैने बोला की मेरे मुन्ना बेटे का थोड़ा ज़यादा ही बड़ा है" कह कर उर्मिला देवी ने लंड को अंडरवेर के उपर से कस कर दबाया. राजू के मुँह से एक सिसकारी निकल गई. उर्मिला देवी ने लंड को एक बार और दबा दिया और बोली "चल जा सोफे पर बैठ". राजू सीधे धरती पर आ गया. लंड पर मामी के कोमल हाथो का सपर्श जो मज़ा दे रहा था वो बड़ा अनूठा और अजूबा था. मन कर रहा था की मामी थोरी देर और लंड दबाती पर मन मार कर चुप चाप सोफे पर आ के बैठ गया और अपनी सांसो को ठीक करने लगा. उर्मिला देवी भी बड़ी सयानी औरत थी जानती थी कि लोंडे के मन में अगर एक बार तड़प जाग जाएगी तो फिर लौंडा खुद उसके चंगुल में फस जाएगा. कमसिन उमर के नौजवान छ्होकरे के मोटे लंड को खाने के चक्कर में वो मुन्ना को थोड़ा तड़पाना चाहती थी. उर्मिला देवी ने अभी भी अपनी नाइटी को अपने घुटनो से उपर तक उठाया हुआ था और अपने दोनो पैर फिर से सामने की टेबल पर रख लिए थे. राजू ने धीरे से अपने हाफ पॅंट को उठाया और पहन ने लगा. उर्मिला देवी तभी बोल पड़ी "क्यों पहन रहा है, घर में और कोई तो है नही, और मैने तो देख ही लिया है,"
--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया
Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
No comments:
Post a Comment