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जुनून भाग ४ - वह खत
अगले दिन हम सुबह जल्दी ही उठ गये थे। हम बहुत दुखी थे क्योंकि हमारी अभिनय सीखने की रोज की दिनचर्या पर अब विराम लग गया था। भैया और आदित्य जा चुके थे । लगभग ९:०० बज चुके थे। तभी एकदम दरवाजे पर किसी चीज के टकराने की आवाज आई। हम एकदम चौंक गये। बाहर जाकर देखा तो अखबार में रोल किया हुआ कुछ पङा हुआ था। हमने चारों ओर देखा पर कोई नहीं था। हमने उसे खोल कर देखा तो उसमें कई सारे कागज थे। हमने उन्हे पलटा और -
यह क्या ! हर कागज में हमारी नग्न तसवीर थी। पहली तसवीर में हम पलंग पर लेटे हुए थे और किसी का सर हमारे उरोंजो पर था। दूसरी तसवीर में हमारा कमर के ऊपर का पूरा शरीर नग्न था और फ़िर किसी का सर हमारी योनि के ऊपर था मानो जैसे कोई हमारी योनि चूस रहा हो। तीसरी तसवीर में हम किसी पुरुष के उपर थे और उसका शिश्न हमारी योनि में था उसकी शक्ल नहीं दिख रही थी।
यह सब देखकर हमें थोङी सी बैचेनी हुई। मुझमें उत्तेजना जागी और ऐसा लगा की हमें सेक्स की दरकार है। फ़िर हमने अपने आपको सम्हाला और स्थिति का जायजा लिया।
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है। हमने तसवीरों को अलमारी में छुपाया और दरवाजा खोलने गये। वहाँ सामने मयंक था। हम इसके पहले कुछ कहते वह कमरे के अन्दर आ गया।
हम बहुत घबरा गये। इसके पहले कि हम कुछ बोलते वह बोला-
मयंक - अरे मेरी जान ! कैसी लगी तसवीरें।
इतना कहकर वह हमारे पास आ गया और हमारे उरोजों को सहलाने लगा। हमने उसे धक्का देकर दूर कर दिया। इस पर वह भङक गया।
मयंक - ए रांड ! बहुत हो गया तेरा नाटक। अगर ज्यादा इतराई तो तेरी नंगी तसवीर कल सारे शहर में बाँट दूँगा। साली अपने आपको समझती क्या है।
मैं - मैने तुम्हारा क्या बिगाङा है। तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो।
मयंक - तेरे भरे हुए मम्मे और मस्त चूत किसी को भी दीवाना बना दे। तू अपने मम्मे और कसी हुई चूत मुझे देदे मैं कुछ नही करूँगा।
अब तक हम बुरी तरह डर गये थे। अगर हमारी तसवीर बाहर आ गयी तो हम कहीं के नहीं रहेंगे। हम यह सोच ही रहे थे कि मयंक तब तक हमारे उरोजों से खेल रहा था। हम इतना डरे हुए थे कि कुछ नही बोला। फ़िर उसने हमारे चुचुको को पकङ कर खीचा। हमारे मुँह से चीख निकली। अब तो उसने पीछे से हमारे कुर्ते के बटन खोल दिये थे। हमने उसे रोका और कहा कि इसे मत उतारो।
मयंक - ठीक है मै जा रहा हूँ। कल का अखबार जरूर देखना। तुम सुपर स्टार बन चुकी होगी।
इतना कह वह जाने लगा हमने उसे रोका और रोते हुए बोला कि ऐसा मत करो।
मैं - हम एक शरीफ़ खानदान से ताल्लुक रखते है। प्लीज हमारी जिन्दगी मत बरबाद करो।
मयंक - या तुम मेरी रखेल बन जाओ या सुपर स्टार।
मैं - तुम ऐसा कैसे कर सकते हो। तुम आदित्य के दोस्त हो।
मयंक - ज्यादा बहस नहीं जल्दी बोलो क्या बनना है।
मैं - जो तुम्हे करना हो करलो।
मयंक - ऐसे नहीं साफ़ साफ़् बोलो रखेल या सुपर स्टार।
मैं(रोते हुए) - रखेल
इतना कहना था कि मयंक एकदम हमारे पास आ गया और उसने हमारी कुर्ती उतार दी। फ़िर पीछे से हमारी काली ब्रा भी खोल दी| अब हमारी ब्रा का हुक पीछे से खुला हुआ था। मयंक हमारी पीठ पर लगातार हाथ फ़ेर रहा था। फ़िर उसने पीठ पर चुम्बन लेना भी शुरु कर दिया। उसकी लय में गजब का तारतम्य था। अब तो हम भी आह भरने लगे। हमारा दिमाग तो ग्लानि से भर रहा था परन्तु शरीर की चाह कुछ और थी। शायद यह बात मयंक को भी पता चल गयी थी।
इतने में उसने हाथ आगे किया और हमारी ब्रा को हमारे शरीर से दूर कर दिया। अब हम अर्धनग्न थे। उसने पीछे से हाथ डालकर हमारे दोनो उरोजो को पकङ लिया एवम् उनके साथ खेलने लगा।
मयंक - कुछ भी कहो तुम्हारे मम्मे बङे मस्त हैं। ऐसे मम्मो को देखे अरसा बीत गया। एक दम टाइट।
फ़िर मयंक सामने से आकर हमारे उरोजो को चूसने लगा। उसकी जीभ में गजब का जादू था। अब तो हम भी गरम हो गये थे। आजतक हमने कभी सेक्स नही किया था। तो यह अनुभूति बहुत ही प्रिय एवम् नई थी। इतने के बाद मयंक ने हमारी सलवार में हाथ डाल दिया और उसका हाथ हमारी पैंटी में चला गया। मयंक हमारी योनि को उंगली से सहलाने लगा।
मयंक - अरे बहुत नखरे मार रही थी । साली तेरी चूत तो चुदने को मरे जा रही है। साला कितना पानी छोङ दिया है। अरे रांड तुझे चुदने का इतना शौक है तो फ़िर ये सब नाटक क्यों किया।
यह सब सुन कर हम अन्दर से तो बहुत शर्मा रहे थे पर मेरा शरीर तो जैसे मयंक का दिवाना हो गया था। इतने में मयंक ने मेरा सलवार भी खोल दिया। अब तो मुझे डर लगने लगा।
मै - मयंक प्लीज मेरे साथ सेक्स ना करना।
मयंक - अरे डरो ना । मै अपना लंड नहीं डालूगाँ। अगर डालना होता तो कल ही चोद डालता। मै तुम्हारी इज्जत नहीं लूटूगाँ। बस तुम्हारे शरीर से खेलूगा।
इतना कह कर मयंक ने हमारी पेंटी भी उतार दी। अब हम अपने पूरे होशो हवास में एक अन्जाने मर्द के सामने पूर्णत: नग्न थे। हमने अपनी योनि को छिपाने के लिये अपने पैरों को सोकोङ लिया। पर मयंक ने जबरदस्ती उन्हें दूर कर दिया। अब तो हमारी योनि में भी सलसलाहट हो रही थी। हमने देखा कि हमारी योनि में से पानी टपक रहा था। हमारा सरीर कह रहा था कि मयंक हमारे साथ संभोग करे।
फ़िर मयंक ने हमें उठाकर बिस्तर पर पटक दिया। उसके बाद उसने अपना पेंट खोल कर अपना शिश्न निकाल लिया। फ़िर उसने जबरन हमारा मूँह पकङकर अपना शिश्न हमारे मूँह में डाल दिया। हमने बहुत कोशिश की और उसका शिश्न मूँह से निकाल दिया।
मयंक - साली रांड फ़िर नखरे मार रही है। चोदूं क्या तुझे। शराफ़त से मेरा लौङा मूँह में ले वरना तेरी चूत में जायेगा।
इतना कहना ही था कि मयंक अपना शिश्न हमारी योनि में डालने लगा। हम बहुत घबरा गये और उससे बोला कि हम सका शिश्न मूँह में लेंगे। फ़िर उसने अपना शिश्न हमारी योनि से निकाल हमारे मूँह में डाल दिया।
मयंक - चूस मेरे लौङे को। साली बहुत तङपाया है तुने। अब मेरा समय आ गया है। अब तो तू मेरी छिनाल है।
फ़िर उसने जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया। साथ ही साथ एक हाथ से वह हमारे उरोजो को सहला रहा था तो दूसरे हाथ से हमारी योनि में से खिलवाङ कर रहा था। इतने में हमें लगा कि हमारी योनि में कुछ हो रहा है। ऐसा लगा कि हमारी योनि फट जायेगी। और तब मयंक ने उसके साथ खेलना बंद कर दिया। हमने अपने हाथों से अपनी योनि को सहलाने की कोशिश की पर मयंक ने हाथ पकङ लिया।
मयंक - क्यों चूत में खुजली हो रही है। अभी तो बहुत नखरे मार रही थी ना। अब तू चुदने को तङपेगी।
इतना कह मयंक का हमारे मूँह मे स्खलन हो गया। उसका सारा वीर्य हमारे मूँह में भर गया और हम खाँसने लगे। मयंक ने जबरदस्ती हमें उठने नहीं दिया और हमें सारा वीर्य निगलना पङा। पर हमारा शरीर अब अत्याधिक गरम हो गया था। हमें सेक्स की दरकार थी पर मयंक ने तो अब तक अपना पेंट पहन लिया था।
मयंक - चल छिनाल अब कपङे पहन ले। क्या दिनभर नगीं ही पङी रहेगी।
इतना कह कर वह उस कमरे से बाहर आ गया और उसने घर क दरवाजा खोल दिया। उसके दरवाजा खोलने से हम घबरा गये और हमने जल्दी जल्दी अपने कपङे पहने। इतनी जल्दी कि हमने अपनी ब्रा और पेन्टी भी नहीं पहनी। हमारा सर भी दुखने लगा था क्योंकि हमारी कामोत्तेजना शांत नहीं हुई थी। हम मयंक को संकोच से यह भी नहीं कह सकते थे कि हमें तुम्हारे साथ सेक्स करना है।
हम जब तक बाहर आये मयंक घर से जा चुका था। हमें बहुत गुस्सा आया। वह खुद तो अपनी प्यास बुझा गया पर हमारे मन में आग लगा गया।
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