राज शर्मा की कामुक कहानिया
सेक्सी हवेली का सच - 15
हेलो दोस्तो कैसे हैं आप उम्मीद करता हूँ आपको पार्ट 14 पसंद आया होगा आपने देखा था रूपाली ने किस तरह से पायल को बिस्तर से बाँध दिया था ओर उसे कली से फूल बनने की राह पर ले चली है अब आगे की कहानी ----
कुच्छ ही देर बाद पायल के हाथ बिस्तर से ऐसे बँधे हुए थे के वो अपना उपरी हिस्सा हिला भी नही सकती थी.
"नही मालकिन" उसने फिर रूपाली से कहा पर रूपाली ने उसकी एक नही सुनी. वो पायल के सर के पास आई और एक स्कार्फ उसकी आँखों पर इस तरह बाँध दिया के पायल को कुच्छ दिखाई ना दे.
"ये क्यूँ मालकिन?" अंधी हो चुकी पायल ने पुचछा
"ताकि तू खीरा देखके इधर उधर उच्छले नही" रूपाली बोली और फिर पायल की टाँगो के पास आके बैठ गयी.
इस बार उसने पायल की टांगे पूरी नही फेलाइ. चूत खोलने के लिए जितनी ज़रूरी थी बस उठी ही खोली और उसकी टाँगो पर आकर बैठ गयी. रूपाली की गान्ड पायल के घुटनो पर थी. अब पायल चाहे जितनी कोशिश कर ले पर वो हिल नही सकती थी.
रूपाली पायल की तरफ देखकर मुस्कुराइ और खीरा पायल की चूत पर रख दिया. पायल का जिस्म एक बार फिर सिहर उठा. रूपाली ने खीरे का दबाव चूत पर डाला तो वो हल्का सा अंदर घुस गया. पायल के मुँह से अफ निकल गयी पर रूपाली इस बार उसकी सुनने के मूड में नही थी. उसने अपना एक हाथ आगे बढ़कर पायल के मुँह पर रखा ताकि वो कोई आवाज़ ना कर सके और धीरे धीरे खीरा चूत में घुसाने लगी. पायल की आँखें फेल्ती चली गयी. उसकी आँखें देखकर ही अंदाज़ा होता था के वो कितनी तकलीफ़ में थी. आँखों से पानी बह निकला. वो सर इधर उधर झटकने लगी पर रूपाली के हाथ की वजह से उसके मुँह से निकली चीख घुटकर रह गयी. आँखों ही आँखों में वो रूपाली से रहम की भीख माँग रही थी पर रूपाली मुस्कुराती रही और तभी रुकी जब खीरा पूरा चूत के अंदर घुस गया.
थोड़ी देर ऐसे ही रुकने के बाद रूपाली पायल से बोली
"हाथ हटा रही हूँ. शोर मत मचाना. मचाया तो मुझसे बुरा कोई ना होगा"
पायल ने हां में सर हिलाया तो रूपाली ने अपना हाथ उसके मुँह से हटा लिया
"बाहर निकालो मालकिन" पायल फ़ौरन बोली "मेरी दर्द से जान निकल रही है"
"बस ज़रा सी देर. और मुँह बंद रख अपना" रूपाली ने डाँटते हुए पायल से कहा तो पायल दर्द का घूंठ पीकर चुप हो गयी. रूपाली ने खीरे की तरफ देखा जो 80% चूत के अंदर था. हल्का सा खून देख कर वो समझ गयी के आज उसने पायल की चूत खोल दी.
उसने झुक कर पायल के होंठ चूमे और उसकी छातियाँ चूसने लगी. कुच्छ देर बाद पायल का कराहना बंद हुआ तो उसने पुचछा
"अब ठीक है?"
"दर्द अब भी है पर कम है" पायल ने जवाब दिया
"अब तू लड़की से औरत बन गयी. आज खीरा कल लंड" रूपाली ने हस्ते हुए कहा और चूत में घुसा हुआ खीरा पकड़कर बाहर को खींचा. थोडा सा खीरा अंदर छ्चोड़कर उसने फिर से पूरा अंदर घुसा दिया और धीरे धीरे खीरे से पायल को चोदने लगी.
"मत करो मालकिन" पायल फिर से कराही "ऐसे दर्द होता है"
"बस थोड़ी देर और" रूपाली ने कहा और ज़ोर से खीरा अंदर बाहर करने लगी. कुच्छ ही पल बाद पायल का कराहना बंद हुआ और वो आह आह करने लगी
"मज़ा आ रहा है?" रूपाली ने फिर पुचछा तो पायल ने हां में सर हिला दिया. उसकी आँखो पर अब भी स्कार्फ बँधा हुआ था और उसे कुच्छ नज़र नही आ रहा था.
अचानक रूपाली एक आहट से चौंक पड़ी और दरवाज़े की तरफ देखा
"रुक ज़रा" उसने पायल से कहा और खीरा उसकी चूत में ही छ्चोड़कर दबे पावं दरवाज़े तक पहुँची. उसने दरवाज़ा इतने धीरे से खोला के ज़रा भी आवाज़ नही हुई. दरवाज़े के बाहर शौर्या सिंग खड़े थे.
दरवाज़ा खुलते ही ठाकुर सामने नंगी खड़ी रूपाली को हैरत से देखने लगे. उन्होने कुच्छ कहने के लिए मुँह खोला ही था के रूपाली ने एक अंगुली अपने होंठो पर रखकर उन्हें चुप रहने का इशारा किया. ठाकुर चुप हो गये और रूपाली के इशारे पर धीरे से कमरे में आए.
कमरे का नज़ारा देखकर वो और भी चौंक पड़े. बिस्तर पर पायल नंगी बँधी हुई थी और उसकी आँखो पर भी पट्टी थी. उन्होने पलटकर रूपाली की तरफ देखा और जो अभी भी उन्हें चुप रहने का इशारा कर रही थी. इशारा में उन्होने पुचछा के ये क्या हो रहा है तो पायल ने मुस्कुरकर उनका हाथ पकड़ा और बिस्तर के करीब ले आई.
"क्या हुआ मालकिन?" पायल ने पुचछा. उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही था के इस वक़्त कमरे में उन दोनो के अलावा एक तीसरा आदमी भी मौजूद था.
"कुच्छ नही" रूपाली ने कहा और फिर बिस्तर पर आकर पायल की छातियों पर हाथ फेरने लगी. दूसरे हाथ से उसने फिर खीरा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया
"मज़ा आ रहा है ना पायल?" उसने ठाकुर की तरफ देखते हुए पायल से पुचछा. ठाकुर की अब भी कुच्छ समझ नही आ रहा था. वो हैरत से अपने सामने बिस्तर पर पड़ी दोनो नंगी औरतों को देख रहे थे.
"हां मालकिन" पायल ने कहा. अब चूत में अंदर बाहर हो रहे खीरे के साथ उसकी कमर भी उपेर नीचे हो रही थी.
रूपाली ने झुक कर पायल का एक निपल अपने मुँह में लिया और ठाकुर को इशारे से बिस्तर पर नंगे होकर धीरे से आने को कहा.
ठाकुर ने चुप चाप अपने सारे कपड़े उतारे और नंगे होकर बिस्तर पर आ गये.
पायल लेटी हुई थी, रूपाली उसके पास बैठी उसकी चूत में खीरा घुमा रही थी और ठाकुर वहीं रूपाली के पास आकर बैठ गये. रूपाली ने धीरे से उन्हें अपने पास किया और उनका लंड मुँह में लेके चूसने लगी. दूसरे हाथ से खीरा अब भी पायल की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. पायल के मुँह से अब ज़ोर ज़ोर से आह आह निकलनी शुरू हो चुकी थी जिससे सॉफ पता चलता था के उसे कितना मज़ा आ रहा है. उसकी साँस भी अब भारी हो चली थी.
ठाकुर ने लंड चूस्ति रूपाली की तरफ देखा और अपना एक हाथ पायल की छाती पर रखने की कोशिश की. रूपाली ने फ़ौरन उनका हाथ खींच लिया और इशारे से कहा के मर्द का हाथ लगने से पायल को पता चल जाएगा के उसकी छाती रूपाली नही कोई और दबा रहा है.
थोड़ी देर यही खेल चलता रहा. पायल अब पूरे जोश में आ चुकी थी. रूपाली ने ठाकुर का लंड मुँह से निकाला और उन्हें पायल की टाँगो के बीच आने का इशारा किया. ठाकुर चुप चाप पायल की टाँगो के बीच आ गये.
"अब मैं तेरी चूत में कुच्छ और घुसाऊंगी" रूपाली ने पायल से कहा
"अब क्या मालकिन?" पायल ने अपनी भारी हो रही साँस के बीच पुछा
"तू बस मज़े ले" रूपाली ने कहा और खीरा चूत से बाहर निकल लिया. उसने पायल की दोनो टांगे मॉड्कर उसकी छातियों से लगा दी ताकि उसकी चूत बिल्कुल उपेर हो जाए और उसकी टांगे ठाकुर के शरीर से ना लगें.
"अपनी टांगे ऐसी ही रखना" उसने पायल से कहा. पायन ने हां में सर हिलाया और अपनी टांगे और उपेर को मोड़ ली. उसके घुटने उसकी चूचियों से आ लगे.
ठाकुर पायल की चूत के बिल्कुल सामने आ गये. रूपाली ने एक हाथ से ठाकुर का लंड पकड़ा और पायल की चूत पर रखकर उन्हें अंदर घुसने का इशारा किया. ठाकुर ने थोडा अंदर दबाया और लंड अंदर घुसने लगा. चूत पहले से ही खुली हुई थी और खीरे पर लगे आयिल की वजह से चिकनी हो रखी थी. लंड फ़ौरन आधे से ज़्यादा अंदर घुसता चला गया. ठाकुर ने मज़े से अपनी आँखें बंद की और बिना कोई आवाज़ के मुँह खोलकर आह कहने का इशारा सा किया. रूपाली समझ गयी के नयी कुँवारी चूत का मज़ा ठाकुर के चेहरे पर झलक रहा है. वो मुस्कुराइ. उसने ठाकुर का लंड अब भी पकड़ रखा था. ठाकुर ने लंड और घुसाने की कोशिश की तो रूपाली ने हाथ से रोक लिया ताकि ठाकुर के अंडे या और कोई जिस्म का हिस्सा पायल को ना छु जाए. ताकि उसे बस ये लगे के कोई लंबी सी चीज़ उसकी चूत में घुसी हुई है.
"ये क्या है मालकिन" पायल ने पुचछा
"है कुच्छ" रूपाली ने जवाब दिया. "मज़ा आ रहा है?"
"हां" पायल ने कहा और आगे बात जोड़ी "खीरे से भी ज़्यादा"
"तो बस मज़े ले" रूपाली ने कहा और ठाकुर को चोदने का इशारा किया.
ठाकुर ने लंड आगे पिछे करना शुरू कर दिया. उनका लंड काफ़ी लंबा था इसलिए रूपाली का हाथ उनके और पायल की चूत के बीच होने के बावजूद काफ़ी लंड चूत के अंदर था. वो धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगे. अगर तेज़ी से चोद्ते तो शायद पायल को शक हो जाता.
थोड़ी देर चुदाई के बाद अचानक पायल का जिसम अकड़ने लगा. उसकी साँस तेज़ी से चलने लगी और फिर अगले ही पल वो ज़ोर से कराही, जिस्म ज़ोर से हिला और टांगे हवा में सीधी उठ गयी
"मालकिन" वो ज़ोर से बोली. पायल समझ गयी के उसका पानी निकल गया पर उसने ठाकुर को चुदाई जारी रखने का इशारा किया
"ये तेरा पानी निकला है. जब औरत पूरा मज़ा लेने लगती है तो ऐसा होता है. फिकर मत कर. अभी ऐसा ही फिर होगा" उसने पायल से कहा पर पायल तो लगता है जैसे अपनी ही दुनिया में थी. उसे कोई होश नही था. बस ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी. रूपाली ने उसकी टांगे अब भी हवा में पकड़ रखी थी ताकि वो ठाकुर को ना छु जाए.
थोड़ी देर बाद रूपाली ने ठाकुर को देखा जो पायल आँखें बंद किए पायल को चोदने में लगे हुए थे. उसने ठाकुर को हाथ से हिलाया और अपना हाथ अपनी चूत पर फेरा. ठाकुर समझ गये के वो क्या चाहती है. उन्होने हां में सर हिलाया और पायल की चूत से लंड निकाल लिया.
"आआह " पायल कराही "निकाल क्यूँ लिया मालकिन?"
"अब फिर से यही ले" रूपाली ने खीरा फिर से उसकी चूत में घुसा दिया
"नही खीरा नही. वो जो पहले था वही" पायल वासना में पागल हो रही थी
"वो अब मेरी चूत में है" रूपाली ने कहा और खीरा पायल की चूत में अंदर बाहर करने लगी. उसने पायल के टांगे छोड़ दी थी और कुतिया की तरह पायल की साइड में झुकी हुई थी. ठाकुर उसके पिछे पहुँचे और उसकी गान्ड थामकर अपना लंड रूपाली के चूत में अंदर तक उतार दिया. रूपाली ने एक आह भारी और झुक कर पायल के निपल्स चूसने लगी. पीछे से उसकी चूत में ठाकुर का लंड अंदर बाहर होने लगा.
कमरे में फिर जो तूफान आया वो तब ही रुका जब तीनो थक कर निढाल हो गये. रूपाली का इशारा पाकर ठाकुर जिस तरह चुप चाप कमरे में आए थे वैसे ही निकल गये. रूपाली ने आकर पायल की आँखों पर से पट्टी हटाई और उसके हाथ खोले. पायल को अंदाज़ा भी नही था के वो अभी अभी एक मर्द से चुदी थी. बस बिस्तर पर आँखें बंद किए पड़ी रही. रूपाली ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और नंगी ही आकर पायल के पास लेट गयी.
सुबह नाश्ते की टेबल पर तीनो मिले. पायल बहुत खुश लग रही थी. ठाकुर और रूपाली उसे देखकर आपस में मुस्कुराए.
ठाकुर ने अपनी कपड़े की फॅक्टरी के सिलसिले में किसी से मिलने जाना था इसलिए वो तैय्यार होकर घर से निकलने लगे. जाते जाते उन्होने रूपाली को अपने कमरे में बुलाया.
"वो कल रात क्या था?" उन्होने रूपाली से पुछा
"कुच्छ नही. बस आपने एक कुँवारी कली को फूल बना दिया" रूपाली ने हस्ते हुए कहा
"पर कैसे?" ठाकुर ने भी हस्ते हुए रूपाली से पुचछा
"आपने हमें हमारे जनमदिन पर कार लाकर दी. बस यूँ समझिए के ये हमारी तरफ से बिर्थडे पार्टी थी आपके लिए. कब कैसे मत पुच्हिए अब" रूपाली ने कहा. उसे खुद पर हैरत हो रही थी. वो दिल ही दिल में ठाकुर को अपने ससुर नही बल्कि अपने प्रेमी की तरह चाहती थी. और उसे इस बात कोई कोई अफ़सोस नही था के उसने खुद अपने प्रेमी को एक पराई औरत के साथ सुलाया था.
ठाकुर के जाने के बाद उसकी समझ ना आया के वो क्या करे. तेज कल रात का गया लौटा नही था इसलिए सफाई के लिए अब तक कोई नही आया था. रूपाली अगले एक घंटे तक उनका इंतेज़ार करती रही पर जब कोई नही आया तो उसने नीचे बेसमेंट में रखे बॉक्स की तलाशी लेने की सोची.
वो उठकर बेसमेंट की और चली ही थी के फोन बज उठा. रूपाली ने फोन उठाया. दूसरी तरफ से एक अजनबी आवाज़ आई.
"मेडम मैं डॉक्टर कुलकर्णी बोल रहा हूँ. ठाकुर साहब का आक्सिडेंट हो गया है. काफ़ी चोट आई हैं. सीरीयस हालत में हैं. आप फ़ौरन हॉस्पिटल आ जाइए."
दोस्तो अब मैं आपसे एक सवाल कर रहा हूँ आप उसका जबाब ज़रूर दे
.एक लड़की बस स्टाप पर खड़ी होकर एक लड़के को इशारे कर के उसे अपना चूची दिखा रही थी ,तो उधर से बस स्टाप के पार से एक लड़का इशारे से उसे अपना लंड दिखा रहा था | तो बताइए लड़की ने लड़के से इशारे में क्या बाते बताई ?
दोस्तो अगले भाग के साथ फिर मिलेंगे तब तक के लिए विदा
आपका दोस्त
राज शर्मा
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