राज शर्मा की कामुक कहानिया
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रूम सर्विस --4
सब लोग ऋतु में आए इस बदलाव को देख के हैरान थे… उसी ऑफीस में काम करने वाली एक और सेल्स ऑफीसर थी – पायल. पायल दिल्ली की ही रहने वाली थी..और उसने ऋतु के साथ ही ट्रैनिंग ली थी सेल्स की. पायल ने आके ऋतु से पूछा
“हाय…क्या बात हैं ऋतु आज तो बहुत अच्छी लग रही हो”
“हाय पायल.. अर्रे कुछ नही यार बस ऐसे ही.. वीकेंड पे थोड़ी शॉपिंग करने निकल गयी थी”
“थोड़ी?? अर्रे तू तो सर से पाँव तक बदल गयी हैं”
“हहे अर्रे ऐसा कुछ नही हैं यार… तुम ही बस ऐसे ही”
“अच्छा सुन वो ह्युंडई आइ10 भी तेरी ही हैं ना??”
“ओह वो.. हां मेरी ही हैं… इंस्टल्लमेंट पे ली हैं… ”
“ओके… ऋतु लगता हैं तेरी तो पक्का कोई लॉटरी लगी हैं”
“ऐसा ही समझ ले” और ऋतु उठकर एक फाइल लेके अपने मॅनेजर के कॅबिन में चली गयी लहराती हुई.
उस दिन ऋतु के पास 2 नये क्लाइंट्स आए और उन्होने फ्लॅट्स पर्चेज किए. इन दोनो सेल्स से ऋतु को अछा ख़ासा कमिशन मिला. करण के निर्देश का पालन करते हुए ऋतु के पास सारे जेन्यूवन क्लाइंट्स भेजे जाने लगे. ऋतु दिन ब दिन दुगनी और रात चौगिनी तरक्की करने लगी.
वहाँ करण भी उसके फ्लॅट पे अक्सर आता था और सुबह तक अपनी वासना की आग बुझाकर चला जाता था. ऋतु अब इस नये महॉल में अपने आप को पूरी तरह से ढाल चुकी थी. उसे ऐश-ओ-आराम की यह ज़िंदगी भाने लगी थी.. अक्सर ऋतु और करण ऑफीस के बाद कहीं बाहर जाकर अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाते थे और उसके बाद ऋतु के फ्लॅट पे जाके सेक्स करते थे. करण के पास फ्लॅट की एक चाबी रहती थी. कई दफ़ा जब ऋतु फ्लॅट में लौट-ती थी शाम को तो करण उसे वहीं मिलता था. करण की कंपनी में ऋतु ने रेग्युलर्ली ड्रिंक करना चालू कर दिया था. बिना वाइन वोड्का विस्की जिन कॉग्नॅक या रूम के उसे डिन्नर करने में मज़ा ही नही आता था. जहाँ वो पहले मोहल्ले के टेलर से साल में 2-3 सूट सिल्वाती थी वहीं अब हर वीकेंड शॉपिंग करती थी बड़े बड़े माल्स के उचे शोरूम्स में. डिज़ाइनर लेबल्स पहनने लगी थी. जहाँ पहले उसके पास सिर्फ़ 2 जोड़ी सॅंडल थी अब वहीं दर्जनो थी. ऋतु इस पैसे, शान-ओ-शौकत,और अयाशी की ज़िंदगी में इस कदर घुल मिल गयी थी कि कहना मुश्किल था की यह लड़की पठानकोट के एक साधारण मध्यम वर्गिया परिवार से हैं.
ऑफीस में भी लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे. रूपक ने ना जाने कैसी कैसी बातें कहीं थी पूरे स्टाफ में. बाकी सेल्स ऑफिसर्स ऋतु से ईर्ष्या करने लगे थे. पायल जो की ऋतु की अच्छी सहेली थी उससे दूर हो गयी थी. सभी लोग ऋतु और करण के पीठ पीछे उनके बारे में तरह तरह की बातें करते थे. कुछ लोग तो ऋतु को करण की ‘रखैल’ तक बोलते थे.
ऋतु को भी इस बात का एहसास था. उसे यह अच्छा नही लगता था. वो करण को बेहिसाब प्यार करती थी. उससे तन मन धन से अपना सब कुछ मानती थी… और उनके रिश्ते को .लोग बुरी नज़र से देखें यह उसे गवारा नही था. उसने कई बार यह बात करण के साथ करनी चाही लेकिन करण ने हमेशा टाल दिया.
एक रात जब करण और ऋतु सेक्स करने के बाद बेड पे लेटे हुए थे तो ऋतु ने कहा
“करण… डू यू लव मी?”
“हां ऋतु… इसमे पूछने वाली क्या बात हैं”
“मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में??”
“व्हाट डू यू मीन ऋतु”
“वही जो मैं पूछ रही हूँ.. मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में?”
“तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.. और क्या”
“तुम्हे कैसा लगेगा अगर कोई यह कहेगा की मैं तुम्हारी रखैल हूँ”
“व्हाट!! किसने कहा…. मुझे नाम बताओ उसका”
“किस किसका नाम बताउ करण… हम लोगों की ज़ुबान तो नही बंद कर सकते. तुम और मैं कितने महीनो से यहाँ एक साथ पति पत्नी की तरह रह रहें हैं… लेकिन सच हैं की हुमारी शादी नही हुई हैं. बताओ करण लोगों को क्या नाम देना चाहिए इस रिश्ते को”
“ओह प्लीज़ ऋतु… यह सब बातें फिर से शुरू ना करो. तुम्हे पता हैं मुझे कोई फरक नही पड़ता की कौन क्या सोचता हैं और क्या बोलता हैं”
“तुम्हे फरक नही पड़ता करण क्यूकी तुम एक लड़के हो. अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ सोता हैं तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं. उसे मर्द कहते हैं. लेकिन अगर यही काम कोई लड़की करे तो उसे छिनाल और रंडी कहते हैं. उसे लूज कॅरक्टर कहते हैं”
“ऋतु तुम्हारी बातों से मुझे सर दर्द हो रहा हैं. प्लीज़ स्टॉप इट.” करण ने उची आवाज़ में कहा
“करण तुम हमारे प्यार का ऐसा अपमान होते कैसे देख सकते हो.. क्यू तुम्हे कोई फरक नही पड़ता. क्यू …..”
करण उठा और उसने अपनी जीन्स पहन ली और अपनी शर्ट पहनने लगा..
“कहाँ जा रहे हो करण”
“ऐसी जगह जहाँ मुझे थोड़ा सुकून मिले.”
“इस टाइम… ऐसा मत करो करण.. प्लीज़ ”
करण उसकी बात उनसुनी करते हुए फ्लॅट से निकल गया और दरवाज़ा ज़ोर से ढक दिया. दरवाज़े की धडाम की आवाज़ के साथ ही ऋतु रोने लगी और तकिये में मूह दबा लिया.
करण पुर हफ्ते फ्लॅट पे नही आया… वो कॉर्पोरेट ऑफीस गया पुर हफ्ते… सेल्स ऑफीस नही आया जहाँ ऋतु काम करती थी. ऋतु का मूड पूरे हफ्ते खराब रहा. बिना सेक्स के वो चिड़चिड़ी हो गयी थी. वो हर शाम फ्लॅट में दारू की बॉटल लेकर बैठ जाती और इंतेज़ार करती की करण आएगा. उसने करण को फोन भी लगाया लेकिन उसने फोन नही उठाया. ऋतु ने उसको कई एसएमएस भी भेजे. उसको सॉरी कहा लेकिन कारण नही आया. ऋतु और कारण का 6 महीने का प्यार लगता था अंत होने वाला हैं. ऋतु को अब भी उमीद थी. करण की इस बेरूख़ी से वो बहुत परेशान थी.
शनिवार शाम को फ्लॅट के दरवाजे पे खटखताहत हुई और ऋतु दौड़कर उसे खोलने के लिए गयी. दरवाज़ा खोला तो ऋतु की आँखें चौंक उठी. सामने थी उसकी कोलीग पायल.
“हाय ऋतु”
“हाय पायल” और ऋतु की निगाहें पायल के पास खड़े लड़के पे गयी…
“ऋतु यह हैं कमल.. मेरा बाय्फ्रेंड.”
“ओह हेलो कमल. प्लीज़ कम इन.”
दोनो अंदर आ गये. ऋतु का शानदार फ्लॅट देखके पायल और कमल दंग रह गये.
“ऋतु तुम्हारा फ्लॅट तो अमेज़िंग हैं”
“थॅंक्स पायल.. कहो आज यहाँ का रास्ता कैसे भूल गयी”
“अर्रे बस यार कमल आया हुआ था और हम लोग पास ही माल में शॉपिंग कर रहे थे तो सोचा तुझसे मिलती चलूं… तू तो जानती हैं मैं थर्स्डे और फ्राइडे को छुट्टी पे थी….. कमल आया हुआ था इसीलिए”
“कमल आया हुआ था मतलब?? कमल यहाँ नही रहता क्या”
तभी कमल बोल उठा “ऋतु मैं बताता हूँ.. दरअसल मैं आर्मी में हूँ.. मेजर कमाल नौटियाल और मेरी पोस्टिंग कश्मीर में हैं.. मेरा घर हैं देहरादून में. दीदी दिल्ली में रहती हैं जिनसे मैं मिलने आया था छुट्टी”लेकर
पायल “अच्छा जी सिर्फ़ दीदी से मिलने आए थे तो पिछले 3 दीनो से मेरे साथ क्यू घूम रहे हो.. जाओ अपनी दीदी से मिल लो” पायल ने झूठ मूठ नाटक किया गुस्सा होने का, और तीनो खिलखिला के हस पड़े.
कमल “अर्रे पायल अगर दीदी से मिलने ना आया होता तो 2 साल पहले तुम्हे कैसे मिलता.”
पायल “ऋतु आक्च्युयली कमल की दीदी हमारी पड़ोस मैं रहती है.. एक दिन उनकी छत से कोई कपड़ा उड़ के हमारे आँगन में आ गिरा और कमल साहिब दीवार कूद के हमारे घर में आ घुसे वो कपड़ा लेने… घर पे कोई नही था और मैने शोर मचा दिया की चोर चोर बचाओ बचाओ.”
ऋतु “हाहहाहा वाकई.. यह तो बहुत इंट्रेस्टिंग स्टोरी हैं,… आगे क्या हुआ?”
पायल “आगे क्या.. मोहल्ले वालों ने इनको पकड़ लिया… थोड़ी देर बाद कमल की दीदी ने आके इसको बचाया वरना यह तो उस दिन गया था काम से.”
कमल “बस उसके बाद मुलाक़ातें बढ़ती गयी और तबसे जब भी छुट्टी मिलती हैं तो मैं देहरादून जाने से पहले 1-2 दिन दीदी से मिल लेता हूँ.”
पायल “ठीक हैं सिर्फ़ दीदी से ही मिलना अपनी”
कमल “अर्रे पागल दीदी तो एक बहाना हैं.. मैं तो तुम्ही से मिलने आता हूँ… वैसे ऋतु यू नो इस बार मैं घर जाके मम्मी डॅडी से बात करने वाला हूँ अपने और पायल के बारे में. हम दोनो जल्दी ही शादी करने का सोच रहे हैं”
ऋतु “वाउ!! दट’स गुड न्यूज़… आइ विश यू ऑल दा बेस्ट. दिस कॉल्स फॉर ए सेलेब्रेशन”.
ऋतु उठी और जाके सामने बार में ड्रिंक्स बनाने लगी. उसको तो दारू पीने का बहाना चाहिए था.. चलो कम से कम वो अकेली तो नही हैं आज. पायल और कमल के बारे में सुनके उससे पायल की किस्मत पे रश्क हो रहा था. एक तो इतना हॅंडसम, तगड़ा और गबरू लड़का उसे प्यार करता था और दूसरे उसे अपनी पत्नी भी बनाना चाहता था. उसे अपने और करण के रिश्ते में जो कमी ख़ाल रही थी वो इन दोनो के रिश्ते में पूरी थी.
ऋतु ड्रिंक्स बना के टेबल पे ले आई और दोनो को ऑफर की… कमल ने तो एक ही झटके में ड्रिंक गले से नीचे उतार दी.. आख़िर आर्मी का नौजवान था. ड्रिंक करना तो उसके रोज़ की आदत थी.
ऋतु “कमल.. प्लीज़ जाके अपने लिए दूसरी ड्रिंक बना लो. मुझे और पायल को तो टाइम लगेगा अपनी ड्रिंक्स फिनिश करने में”
कमाल “ओके… वो बढ़ा और सामने बार में अपने लिए एक और ड्रिंक बनाने लगा.. पटियाला पेग.”
जब कमल बार पे गया हुआ था तो पायल ऋतु के पास आई और धीरे से कहने लगी “ऋतु कमल कल सुबह देहरादून जा रहा हैं और वहाँ से सीधा कश्मीर चला जाएगा. पिछले 2 दिन कैसे बीत गये पता ही नही चला. हूमें बिल्कुल टाइम नही मिला की हम दोनो कहीं आराम से बैठकर 2 बातें भी कर सकें. वैसे तो मेरे घर पे कोई नही होता दिन तो हम वहाँ मिल लेते हैं लेकिन क्यूकी आजकल मम्मी घर पर ही रहती हैं हम लोग मिल नही पाए प्राइवेट में. मैं सोच रही थी की हम लोग कुछ सुकून के पल एक साथ अगर यहाँ गुज़ार पाते तो अच्छा रहता.”
ऋतु समझ गयी की पायल और कमल को जगह चाहिए थी… वो समझ…गयी वो नही चाहती थी की उनके मिलन में बाधा बने.
“ठीक हैं पायल. यहाँ 2 बेडरूम. यू कॅन यूज़ दा गेस्ट बेडरूम. माफ़ करना मुझे सर दर्द हो रहा हैं वरना मैं बाहर कहीं चली जाती”
“ओह थॅंक योउ ऋतु” और पायल ने ऋतु को गले लगा लिया. कमल भी बार से बैठे यह सब देख रहा था और समझ गया था की पायल ने ऋतु को मना लिया हैं. पॅंट के अंदर उसका लंड करकट करने लगा. उसने एक और पटियाला पेग बनाया और गटक गया. आने वाले कुछ पॅलो में मिलने वाले आनंद का पूर्वानुमान लगा के उसके रोम रोम में सनसनी पैदा हो रही थी. ऋतु उठ के अंदर अपने बेडरूम में चली गयी और सोने की कोशिश करने लगी.
इधर पायल और कमल दोनो गेस्ट बेडरूम में चले गये. वो रूम भी बाकी फ्लॅट की तरह आछे तरह से डेकरेटेड था. दोनो डबल बेड पे जा गिरे और चा,लू हो गये. कमल को 6 महीने के बाद यह मौका मिला था. बीते 6 महीनो में उसके आर्मी स्टेशन पे लड़की ना लड़की की जात. 6 महीने बस इसी पल के इंतेज़ार में मूठ मार मार कर कमल ने बिताए थे. उधर पायल भी काब्से इस पल का इंतेज़ार कर रही थी. पायल और कमल 2 साल से एक दूसरे से प्रेम करते थे लेकिन अभी 6 महीने पहले ही दोनो ने पहली बार सेक्स किया था जब एक रोज़ पायल के घर कोई नही था और कमल मिलने चला गया. दोनो अपने जज़्बात पे काबू नही रख पाए और सेक्स हो गया.
पायल भी तबसे बिना सेक्स के तड़प रही थी और इंतेज़ार कर रही थी की कब कमल आए और वो फिर से उसके साथ एक हो सके. दोनो के चुम्मा चॅटी शुरू कर दी.. कमल पायल के होंटो को बहुत ही तीव्रता के साथ चूम रहा था. उसके हाथ पायल के बूब्स पे थे और उसका लंड पॅंट के अंदर खड़ा होता जा रहा था. पायल भी कमल के होंटो से होंठ जोड़ के चूम रही थी.. उसके हाथ कमल के गर्दन और पीठ पे थे. उसके मम्मो को कमल के सख़्त और मजबूत हाथ ज़ोर से दबा रहे थे. उसे थोड़ा बहुत दर्द भी हो रहा था…. उसके मूह के लगातार आनंद की आवाज़ आ रही थी.
“आ… ऊ आआअह… येस येस्स..”
ऋतु दूसरे कमरे में बैठी थी और उसके कानो में यह आवाज़े आने लगी… उसका मन विचलित होने लगे. वो उठ कर ड्रॉयिंग रूम में चली गयी ताकि टीवी देख के अपना मन बहला ले.
कमल ने पायल का टॉप उतार के साइड में गिरा दिया..पायल के छोटे लेकिन सख़्त टिट्स को ब्रा के उपर से सहलाने लगा और उन्हे अपने हाथों से मसल्ने लगा,… पायल के हाथ भी नीचे उसकी पॅंट तक पहुच चुके थे और पॅंट के उपर से ही ही कमल के लंड को दबाने लगे… कमल ने झटपट ब्रा भी उतार दी. अब वो भूखे कुत्ते की तरह पायल के मॅमो पे कूद पड़ा… उसने पहले एक को मूह में लिया और ज़ोर से चूसा… फिर दूसरे को…. कभी एक निपल को मरोड़ता तो कभी दूसरे निपल को.. पायल लगातार अपने हाथ से उसका लंड दबा रही थी.. उसने आराम से ज़िप खोल के लंड को पॅंट और अंडरवेर से बाहर निकाल लिया था… कमल पागलो की तरह पायल की चूचियों को चूस रहा था काट रहा. पायल के मूह से आवाज़ें निकली ही जा रही थी.
कमल ने अपनी शर्ट उतार दी और एक ही झटके में पॅंट और अंडरवेर दोनो भी नीचे सरका दिए. पायल ने देखा की कमल का फ़ौजी लंड एकदम अटेन्षन में खड़ा था और उसको सल्यूट कर रहा था. उसने भी झटपट अपनी जीन्स उतार दी . कमल ने पॅंटी को पकड़ा और पायल ने अपनी गान्ड उची कर दी ताकि पॅंटी निकल जाए. अब वो दोनो एकदम नंगे होके एक दूसरे से लिपटे पड़े थे. ने उंगली डाल के चेक किया तो पता चला की पायल की चूत आग की भट्टी के जैसे तप रही थी और बहुत गीली थी.
उसने बिल्कुल देर ना की और अटेन्षन में खड़े अपने जवान को हमले के लिए चूत के दरवाज़े पे तैनात कर दिया. एक ही झटके में जवान चूतके अंदर था. पायल जिसने के 6 महीने पहले ही एक बार सेक्स किया था वो लंड के घुसते ही चीख पड़ी… उसकी चूत की प्रॅक्टीस छ्छूट गयी थी. उसको दर्द होने लगा. कमल दारू चढ़ा चुक्का था और उसको अब बस पायल को अच्छे से चोदना था.
उसने पायल की चीख पे ध्यान नही दिया और लगा रहा. वो अपने हाथों से पायल की छाती भी मसल रहा था.. पायल के बूब्स थे तो छोटे लेकिन बहुत ही सुंदर और सुडौल. सिर्फ़ 32 “ होने की वजह से पायल को अक्सर पॅडिंग वाली ब्रा पेहननि पड़ती थी.
पायल का दर्द थोड़ा कम हुआ और उसने भी अच्छी तरह से चुद्वने के लिए पैर उपर उठा लिए. उसके घुटने अब उसकी छाती पे लगे हुए थे और वो अपने हाथों को कमल के पिछवाड़े पे रखकर दबा रही थी ताकि कमल का लंड और अंदर तक जा सके.
कमल अपनी 6 महीने की आग को आज शांत कर देना चाहता था. पिछले दो दीनो में उसको कोई मौका नही मिल पा रहा था. लेकिन आज वो हाथ आए इस सुनेहरी मौके का पूरा फ़ायदा उठना चाहता था.
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद कमल ने अपने झटको की स्पीड तेज़ कर दी. कमल ने आँखें बंद कर ली ज़ोर से और झटके देता रहा. करीब 10 सेकेंड के लंबे क्लाइमॅक्स के बाद कमल जब पायल के उपर से हटा तो उसने देखा की उसने इतना ज़्यादा झाड़ा था की वो बहके बेड पर गिरा पड़ा था. पायल भी पानी छोड़ चुकी थी और बेहद थक चुकी थी. वो वैसे ही बेड पे आँखें बंद किए हुए लेटी पड़ि थी. उसमे हिलने तक की ताक़त नही थी.
कमल का गला सूख रहा था तो वो अंडरवेर पहन कर पानी लेने चला गया. उसने बिना आवाज़ किए बेडरूम का दरवाज़ा खोला और कॉरिडर से होते हुए किचन की तरफ जाने लगा फ्रिड्ज से पानी लेने के लिए तो ड्राइंग रूम में नज़ारा देख के उसके आँखें फटी की फटी रह गयी.
ड्रॉयिंग रूम में ऋतु सोफे पे लेटी हुई थी. उसकी सेक्सी नाइटी उसके जिस्म को कवर करने की बजाए उसके पेट तक थी… उपर से नाइटी में से उसके बूब्स बाहर निकले हुए थे. उसकी पॅंटी वहीं साइड पे पड़ी हुई थी सोफे पे… ऋतु की आँखें बंद थी .. उसका एक हाथ अपने बूब्स पे था और दूसरा हाथ उसकी चूत पे. वो उंगली चूत में डालकर अंदर बाहर कर रही थी. कमल और पायल की चुदाई की आवाज़ें सुनके उसके मन में भी थरक जाग उठी थी और उसने वहीं ड्रॉयिंग रूम में यह सब चालू कर दिया. एक हफ्ते से करण ने उसे चोदा नही था. उपर से शराब का नशा. उसपे पायल और कमल की चुदाई की लाइव ऑडियो… यह सब काफ़ी था ऋतु के लिए और वो ड्रॉयिंग रूम में बिना किसी शरम के मूठ मारने लगी..
ऋतु की आँखें अभी भी बंद थी. लेकिन कमल की आँखें तो फटी की फटी रह गयी थी. उसके कदम जैसे ड्रॉयिंग रूम के एक कोने में जम से गये हो. उससे ना आगे बढ़ते बन रहा था ना ही पीछे हटते. क्या करे क्या ना करे वो कुछ सोच नही पा रहा था. उसकी नज़र तो मानो ऋतु के गोरे जिस्म पे जैसे चिपक गयी थी. उसे गेस्ट बेडरूम में बेसूध पड़ी पायल का भी ख़याल नही आ रहा था. ऋतु चालू थी फुल स्पीड में.
तभी फ्लॅट का दरवाज़ा खुलता हैं और अंदर आता हैं करण. इस आवाज़ से चौकान्नी होके ऋतु आँखें खोल लेती हैं. वहीं ड्रॉयिंग रूम के एक कोने में कमल अंडरवेर में खड़ा था. करण ने अंदर घुसते ही ऋतु और कमल पे नज़र डाली. ऋतु ने भी कमल पे नज़र डाली और उसके मूह से एक चीख निकल गयी. करण ने नफ़रत भरी निगाह से ऋतु की तरफ देखा और वापस मूड के फ्लॅट से बाहर चला गया. ऋतु उठी और अपने कपड़े ठीक करती हुई दरवाज़े तक दौड़ी. करण अब बाहर जा चुक्का था. ऋतु उसके पीछे बाहर चली गयी और कहने लगी
“करण रुक जाओ… मेरी बात तो सुनो प्लीज़.”
“अब क्या सुनना बाकी रह गया हैं.”
“नही सुनो मेरी बात… जैसा तुम सोच रहे हो वैसा नही हैं”
करण लिफ्ट तक पहुच के बटन दबा चुका था.
“कैसा हैं और कैसा नही हैं यह मैने अपनी आँखों से देख लिया हैं”
“प्लीज़ करण मुझे एक मौका दो समझने का”
“क्या समझाओगी तुम ऋतु…. क्या सम्झओगि… यह सम्झओगि की वो लड़का क्या कर रहा हैं इस फ्लॅट में… या यह सम्झओगि की तुमने पी रखी हैं या कुछ और और ”
इतने में लिफ्ट आ गयी… करण लिफ्ट में घुस गया… ऋतु भी उसके पीछे पीछे लिफ्ट में घुस गयी और उसकी बाँह पकड़ के उसे वापस चलने के लिए मिन्नते करने लगी. करण ने उसकी एक ना सुनी और उसकी बाँह पकड़ के ज़ोर से धक्का देके लिफ्ट से बाहर निकाल दिया.
“ऋतु … तुम मेरे साथ ऐसा करोगी यह मैने सोचा भी नही था”
और लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हो गया.
ऋतु रोती हुई वापस फ्लॅट में दाखिल हुई तो कमल और पायल दोनो कपड़े पहने हुए ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए थे. तीनो के मूह पे तालेपड़े हुए थे.
मंडे को ऋतु जब ऑफीस पहुचि तो उसके मेलबॉक्स में एचआर डिपयर्टमेंट से एक मैल थी. मैल था उसके टर्मिनेशन का. सब्जेक्ट पढ़ते ही ऋतु के होश उड़ गये. उसको नौकरी से निकाला जा रहा था. ऋतु ने काँपते हाथों से माउस चलाया और मैल ओपन किया.
डियर मिस. ऋतु,
दिस ईज़ टू इनफॉर्म यू दट एफेक्टिव फ्रॉम टुडे युवर सर्वीसज़ आर नो लॉंगर रिक्वाइयर्ड बाइ ग्ल्फ बिल्डर्स. युवर एमौल्मेंट्स टुवर्ड्स वन मोन्थ ऑफ नोटीस पीरियड विल बी इंक्लूडेड इन युवर फाइनल सेटल्मेंट. प्लीज़ कॉंटॅक्ट दा एचआर डिपार्टमेंट फॉर युवर एग्ज़िट प्रोसेस.
युवर्ज़ ट्रूली.
एचआर मॅनेजर
ग्ल्फ बिल्डर्स.
ऋतु को यकीन नही हो रहा था की यह उसके साथ हो रहा हैं. उसकी सेल्स बाकी सभी सेल्स ऑफिसर्स से ज़्यादा थी. पिछले कई महीनो से उसने सबसे ज़्यादा इन्सेंटीव्स और बोनसस लिए थे. उसने एचआर से जाके बात की लेकिन उन लोगों से मदद की उमीद करना भी बेकार था. एचआरवाले कभी किसी के सगे हुए हैं क्या!!
ऋतु ने करण को फोन मिलाया. ज़रूर यह सब करण के कहने पे ही हो रहा हैं. उसका फोन अनरिचेबल आ रहा था. ऋतु ने कई दफ़ा ट्राइ किया लेकिन हर बार सेम रेस्पॉन्स. उधर एचआर डिपार्टमेंट ने ऋतु की फाइल रेडी कर दी थी. कुछ ही मिनिट्स में ऋतु ग्ल्फ की एक्स एंप्लायी होने वाली थी.
उसने आख़िरकार जाके रूपक शाह से करण के बारे में पूछना चाचा.
ऋतु “हेलो मिस्टर रूपक. मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.”
“ऋतु जी…. आइए आइए. कहिए क्या सेवा करूँ आपकी” और उसका हाथ अपनी पॅंट में
टाँगो के बीच खुजली करने लगा.
“मैं बहुत समय से मिस्टर करण से बात करने की कोशिश कर रही हूँ लेकिन उनका फोन लग नही रहा. क्या आप प्लीज़ बता सकते हैं की उनसे कैसे कॉंटॅक्ट कर सकती हूँ”
“करण साहब तो फॉरिन चले गये… आज सुबह ही की फ्लाइट से. सिंगपुर गये हैं. हमारा नया प्रॉजेक्ट हैं ना जो सिंगपुर में .. उसी के सिलसिले में गये हैं.”
“ओह.. कब तक आएँगे वापस कुछ आइडिया हैं आपको?”
“अब बड़े लोगों का मैं क्या बताउ… आज आ सकते हैं.. अगले हफ्ते आ सकते हैं.. अगले महीने भी आ सकते हैं. कुछ कह नही सकते. क्यू आपको कोई काम था उनसे.”
“नही .. थॅंक्स”
“अर्रे आप बेहिचक मुझे बताइए… मुझे उनकी जगह समझिए और आपका जोभी काम हो वो मैं कर देता हूँ.”
“बाइ”
ऋतु जब कमरे से बाहर निकली तो उसको रूपक के हस्ने की आवाज़ आई. रूपक उस मजबूर लड़की की बेबसी पे ठहाके लगा रहा था.
उमीद की सभी किर्ने धुन्द्ली होती जा रही थी. ऋतु को समझ नही आ रहा था की क्या करे. जाए तो कहाँ जाए. ऋतु ने शाम को अपने पेपर्स कलेक्ट किए ऑफीस से और घर आ गयी. उसका दिमाग़ जैसे काम करना बंद कर चुक्का था. बिना लाइट्स जलाए बैठी रही घर में. सुबह के करीब उसकी आँख लगी तो सपने में उसे करण दिखा. और करण का टिमटिमाता हुआ चेहरा जैसे उसपर हस रहा था. हस रहा था ऋतु के इस हाल पे और मानो उससे कह रहा हो “तेरी यही सज़ा हैं कमिनि”.
ऋतु की तो दुनिया ही उजड़ गयी थी… एक हफ्ते पहले वो कितनी खुश थी. अच्छी नौकरी, करण का प्यार, रहने के लिए बढ़िया फ्लॅट, गाड़ी, अच्छे कपड़े, ज्यूयलरी.. सब कुछ था उसके पास… और बस एक झटके में करण उससे दूर हो गया, उसकी नौकरी चली गयी और बाकी चीज़ों का मोह ख़तम हो गया. वो एक हफ्ते से अपने कमरे में पड़ी हुई थी. ना कहीं बाहर गयी ना किसी से मिली ना ही फोन उठा रही थी. गम के सागर में उसकी जीवन की नैया डावाँ डोल हो रही थी.
ऋतु की पुरानी सहेली पूजा को कहीं से पता चला की ऋतु की नौकरी छूट गयी हैं और वो बहुत डिप्रेस्ड हैं. वो एक दिन ऋतु को मिलने आई. दरवाज़ा खटखटाया. ऋतु ने जब दरवाज़ा खोला तो पूजा को देखते ही फूट फूट के रोने लगी और उसके गले लग गयी. दोनो अंदर गये और ऋतु ने पूजा के सामने अपना दिल खोल दिया और सब कुछ बता दिया.. पूजा ने ऋतु को होसला दिलाया और उससे समझदारी से काम लेने का मशवरा दिया.
पूजा के जाने के बाद ऋतु ने खूब सोचा और उसे यह एहसास हुआ की वो अपनी ज़िंदगी एक सेट्बॅक की वजह से बर्बाद नही कर सकती. उसने अगले दिन ही पेपर्स में जॉब के लिए खोज चालू कर दी. रिसेशन की वजह से वैसे ही नौकरियाँ कम थी और जो मिल भी रही थी वो सॅलरी बहुत कम दे रही थी. ऋतु को अब इस ऐशो आराम की ज़िंदगी की आदत पड़ गयी थी. उसकी कार का एमी 10000 रुपये था हर महीने. ऋतु को जल्दी ही कोई जॉब लेनी थी. फ्लॅट का किराया कार का एमी और भी कई खर्चे थे जो.
अंत में ऋतु को एक जॉब मिल गयी. प्रेस्टीज होटेल में हाउस्कीपर की. सॅलरी उसकी उमीद से बहुत कम थी लेकिन ऋतु को कुछ ना कुछ तो चाहिए था. उसके पास थोड़ी बहुत सेविंग थी लेकिन वो काफ़ी नही थी. नौकरी होने से उसका मन भी लगा रहता. ऋतु किसी भी काम को छोटा बड़ा नही समझती थी इसलिए हाउस्कीपर की जॉब लेने में उसे कोई झिझक नही थी.
हाउस्कीपर की जॉब बहुत ही डिमॅंडिंग थी. रोज़ करीब 16 रूम्स की देख रेख का ज़िम्मा ऋतु पे थे. ऋतु पूरे मन से अपना काम करती थी. उसकी मेहनत सबकी नज़र में आ रही थी. उसकी सूपरवाइज़र कुमुद नाम की एक 35 साल की औरत थी. डाइवोर्स और कोई बच्चा नही. कुमुद देखने में बहुत ही खूबसूरत थी और 35 साल की होने के बावजूद उसने अपने आप को इस कदर मेनटेन किया था की कोई उसे देख के 30-32 की ही समझता. बोल चाल के लिहाज से भी कुमुद बहुत सोफिस्टीकेटेड औरत थी. ऋतु का काम कुमुद को बहुत पसंद आया.
ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.
कुमुद -“कम इन”.
ऋतु – “गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया.”
कुमुद -“हेलो ऋतु.. प्लीज़ हॅव ए सीट”.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम”
कुमुद -“ऋतु आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीज बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”.
ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी.. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में.”
कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया.-“ऋतु… यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. ”.
प्रेस्टीज होटेल वाज़ वन ऑफ दा बेस्ट फाइव स्टार होटेल्स इन टाउन. इट वाज़ सिचुयेटेड अट ए प्राइम लोकेशन नियर दा इंटरनॅशनल एरपोर्ट आंड ऐज ए रिज़ल्ट ए लॉट ऑफ डिप्लोमॅट्स, पॉलिटिशियन्स, फॉरिनर्स आंड बिज़्नेस्मेन स्टेड देअर. ए जॉब अट प्रेस्टीज वुड मीन ए स्टेडी सोर्स ऑफ इनकम. ऋतु वाज़ हॅपी. फाइनली शी हॅड बिन एबल टू इंप्रेस हर सूपरवाइज़र आंड वाज़ नाउ बीयिंग अपायंटेड बाइ दा होटेल इन ए पर्मनेंट पोज़िशन.
कुमुद -“ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मी ऑफ युवरसेल्फ. आइ आम स्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन”. शी विंक्ड.
ऋतु थोड़ी हैरान हुई की कुमुद मेडम ने आँख क्यू मारी लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा.
कुमुद -“क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी”.
ऋतु – “नही मेम ऐसी बात नही हैं… सॅलरी देख के थोड़ा सा मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ आंड मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए.”
कुमुद -“ऋतु .. प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु”.
ऋतु – “मेम … आपसे क्या छुपाना. इसी पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ऑन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड माइ टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. ई वाज़ ऑल्सो गिवन थे स्तर परफॉर्मर अवॉर्ड आंड मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. ”
ऋतु जानती थी उसके सीनियर हमेशा उसको चोदने की फिराक मैं रहते थे
“इतनी इनकम थी वहाँ की मैने पीजी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिड्ज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इंस्टल्लमेंट पे. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे."
“रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बाइयर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी”
ऋतु असली बात छुपा गयी लेकिन कुमुद को इस बात का एहसास हो गया की ऋतु की माली हालत ठीक नही हैं और वो एक फाइनान्षियल क्राइसिस से गुज़र रही हैं. उसको ऋतु में एक महत्वाकांक्षी लड़की की झलक मिली जो यह जानती थी की उसको क्या चाहिए. बस तरीका क्या हैं यह पाने का वो बताने की ज़रूरत थी. कुमुद के दिमाग़ में एक प्लान दौड़ा. और वो मन ही मन मुस्कुराने लगी.
ऋतु जैसे तैसे अपनी सॅलरी में महीने का खर्च चला रही थी… गाड़ी की ईएमआइ फ्लॅट का किराया और उसका रख रखाव सब मिलकर इतना हो जाता था की उसके पास बहुत ही कम पैसे बचते थे. हाथ तंग होने की वजह से अब वो पहले की तरफ शॉपिंग और रेस्टोरेंट्स में खाना नही खा पाती थी. मेकप, ब्यूटीशियन के पास जाना, महनगे कॉफी शॉप्स एट्सेटरा में जाना अब सब बंद हो चुक्का था.
हालात इतने खराब हो गये की वो अपनी गाड़ी की इनस्टालमेंट्स टाइम पे नही दे पाई तो रिकवरी एजेंट्स उसके दरवाज़े पे खड़े हो गये. आख़िरकार उन्होने गाड़ी जब्त कर ली और ऋतु बेबस सी कुछ ना कर सकी. बिना गाड़ी के होटेल पहुचने में उसे देर हो गयी. जब वो होटेल पहुचि तो कुमुद ने उसे आते हुए देखा. उसने आज तक ऋतु को कभी 5 मिनट भी लेट आते हुए नही देखा था. आज ऋतु के 1 घंटा लेट होने पर कुमुद को असचर्या हुआ. उसने ऋतु को रोक के पूछा
“क्या हुआ ऋतु आज तुम लेट कैसे हो गयी.”
“गुड मॉर्निंग मेम. कुछ प्राब्लम हो गयी थी जिसकी वजह से मैं लेट हो गयी”
“क्या हुआ?”
“कुछ नही मेम… अब प्राब्लम नही रही”
“अर्रे बताओ भी क्या हुआ… शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ.”
“मेम…मैं वो…आक्च्युयली..” ऋतु नीचे देखते हुए बोली
कुमुद ऋतु के पास आई और उसके कंधे पे हाथ रखा. ऋतु ने कुमुद की और देखा. ऋतु की आँखें बद्दबाई हुई थी. किस तरह वो अपनी सूपरवाइज़र को बताए की उसकी गाड़ी जब्त कर ली थी रिकवरी एजेंट्स ने क्यूकी उसने ईएमआइ नही दी थी.
ऋतु की आँखों में उफनते आँसुओं को देख के कुमुद उसे एक साइड में ले गयी. उसने ऋतु के हाथ को अपने हाथ में लिया और दूसरे हाथ को ऋतु के सर पे फेरा.. ऋतु टूट गयी और सब कुछ कुमुद को बता दिया. कुमुद ने बड़े ही धैर्या से ऋतु की सारी बातें सुनी. और उसको कहा.
“ऋतु होसला रखो… मैं हूँ ना. कुछ नही होगा तुम्हे. तुम पहले जैसे ही खुश रहना सीखोगी… वो भी बिना करण के… डॉन’ट वरी. ऐसा करो अभी जाके अपनी शिफ्ट पूरी करो… और शिफ्ट ख़तम होने के बाद मुझे मेरे ऑफीस में आके मिलना. तब तक मैं कुछ सोचती हूँ तुम्हारे बारे में.. डॉन’ट वरी आइ आम हियर फॉर यू. मैं हूँ ना… चलो अब अपनी शिफ्ट पे जाओ और काम देखो.”
ऋतु सर हिला के चल दी. यह सब बातें कुमुद को बताके वो बहुत हल्का महसूस कर रही थी. ना जाने क्यू कुमुद के आश्वशण पे यकीन करने का मन कर रहा था उसका. उसको कुमुद की बातों पे यकीन था. वो मान बैठी थी की कुमुद कुछ ना कुछ ज़रूर करेगी .
शिफ्ट ख़तम हुई तो ऋतु जाके कुमुद से मिलती हैं. कुमुद फोन पे किसी से बात कर रही थी. ऋतु ने दरवाज़ा खटखटाया.
“कम इन”
“गुड ईव्निंग मेम”
“आओ आओ ऋतु .. 2 मिनट मैं ज़रा फोन पे हूँ”
“जी मेम”
फोन पे बात करते करते ही कुमुद ने ऋतु की तरफ एक एन्वेलप बढ़ा दिया.
“यह मेरे लिए हैं”
कुमुद ने हां में सर हिला दिया. ऋतु ने धीरे से एन्वेलप खोला और अंदर देखा. अंदर 500 के नोट्स की एक गॅडी थी. अचंभे में ऋतु की आँखें फैल गयी. उसने जैसे ही मूह खोलना चाहा कुमुद से कुछ कहने के लिए कुमुद ने अपने होंटो पे उंगली रख के उसे चुप रकने का इशारा किया. ऋतु चुप हो गयी.
थोड़ी ही देर में फोन पे बात ख़तम हुई और कुमुद ऋतु की तरफ मूडी.
“मेम यह क्या हैं… और यह मेरे लिए हैं?”
“हां ऋतु… देखो यह पैसे लो और अपनी गाड़ी छुड़ाओ”
“लेकिन मेम यह पैसे मैं कैसे ले सकती हूँ”
“रख लो ऋतु… यह मैं तुमपे कोई एहसान नही कर रही हूँ… इसे लोन समझ के रख लो… थोड़ा थोड़ा करके लौटा देना.”
“लेकिन में मेरी सॅलरी कितनी हैं आपसे छुपा नही हैं… यह पैसे मैं कैसे लौउटौँगी…”
“डॉन’ट वरी … यह पैसे लो आंड जाके अपनी गाड़ी छुड़ाओ”
“मेम मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ”
“डॉन’टी वरी.. गो होम.”
ऋतु वो पैसे लेके वपास आ गयी. उसके मन में कुमुद मेम के लिए इज़्ज़त और भी बढ़ गयी थी.
ऋतु अपने हालत से खुश नही थी. होटेल की मामूली सी सॅलरी से उसका गुज़ारा मुश्किल से हो रहा था. वो महत्वाकांक्षी लड़की थी. पैसा कमाना चाहती थी. वो चाहती थी की आछे से पैसे कमाए और उसी शान ओ शौकत से रहे जैसे वो पहले रहती थी. ताकि अगर किसी दिन किसी मोड़ पे करण से मुलाकात हो तो करण को ऋतु के हालात पे व्यंग करने का मौका ना मिले. वो चाहती थी की वो अपनी मेहनत से फिर उसी बुलंदी पे पहुचे जैसे पहले थी.. और कोई यह ना कहे की करण के बिना वो कुछ नही हैं.
कुमुद होटेल के सीनियर स्टाफ में थी. होटेल में करीब 10 साल से काम कर रही थी. उसने भी हाउस कीपिंग स्टाफ जाय्न किया था और आज हाउस कीपिंग आंड कस्टमर लियासों डिपार्टमेंट की मॅनेजर थी. होटेल की हाउस कीपिंग और कस्टमर सॅटिस्फॅक्षन का ध्यान रखना उसका काम था. कस्टमर “सॅटिस्फॅक्षन”.
एक दिन अचानक ऋतु को घर से फोन आया. फोन ऋतु की मा का था. उसके पापा का आक्सिडेंट हुआ था और वो हॉस्पिटल में भरती थे. ऋतु के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. उसने कुमुद से बात की और फॉरन छुट्टी लेकर पठानकोट के लिए रवाना हो गयी. ऋतु के पापा को एक कार ने टक्कर मारी थी. टक्कर किसी सुनसान इलाक़े में हुई थी और टक्कर मारने वाला गाड़ी भगा ले गया. राह चलते कुछ लोगों ने उसके घर पे सूचित किया. अगले दिन जब ऋतु पठानकोट पहुचि तो सीधा हॉस्पिटल गयी. उसकी मया का रो रो के बुरा हाल था. ऋतु भी रोती हुई मा के गले लग कर रोने लगी. डॉक्टर्स से बात की तो पता चला की उसके पापा अब ख़तरे से बाहर हैं लेकिन आक्सिडेंट की वजह से उनके टॅंगो में सेन्सेशन ख़तम हो गयी हैं. इलाज के लिए ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिकल ससईएनए (आयिम्स) ले जाना पड़ेगा. एक हफ्ते के बाद ऋतु अपने माता पिता को लेके दिल्ली आ गयी.
उसने अपने पापा को आयिम्स में दिखाया तो डॉक्टर ने काई तरह के टेस्ट्स वगेरह किए. उन टेस्ट्स के आधार पे डॉक्टर की राई थी की उनका इलाज लंबा होगा लेकिन वो दोबारा पहले जैसे चल फिर सकेंगे. ऋतु को इस बात से बहुत खुशी हुई. लेकिन मान ही मान यह दर सताने लगा की इलाज के लिए पैसो का इंतेज़ां कैसे होगा. उसकी छोटी सी तनख़्वा से वैसे ही हाथ तंग था.
एक दिन ऋतु मायूस होकर अपने काम पे लगी हुई थी की तभी कुमुद ने आकर उससे पूछा
“ऋतु .. अब तुम्हारे पापा की तबीयत कैसी हैं”
“हेलो मेम… जी इलाज चल रहा हैं आयिम्स में”
“ओक.. वहाँ के डॉक्टर्स बहुत काबिल हैं.. डॉन’ट वरी सब ठीक होगा.”
“ऋतु अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो हिचकिचाना नही. आइ आम हियर फॉर यू.”
“मेम मैं यह सोच रही थी की अगर कुछ लोन मिल जाता तो बहुत अच्छा रहता. आइ नो मैने आपके पहले के भी पैसे चुकाने हैं लेकिन यह लोन मेरे परिवार के लिए बहुत ज़रूरी हैं”
“देखो ऋतु.. होटेल की कोई पॉलिसी नही हैं एंप्लायी लोन्स की सो मैं तुम्हे झूठी उमीदें नही दे सकती. मेरे पास जो थोड़ा बहुत था वो मैं पहले ही तुम्हे दे चुकी हूँ”
“आइ नो मेम… आप ना होती तो ना जाने मेरा क्या होता.”
“ऋतु एक तरीका हैं जिससे की तुम्हारी परेशानी सॉल्व हो सकती हैं”
“वो कैसे मेम”
“इस होटेल में बहुत बड़े बड़े लोग आते हैं. बिज़्नेस्मेन, डिप्लोमॅट्स, आक्टर्स, पॉलिटिशियन्स वगेरह… एज दा कस्टमर लियासों मॅनेजर यह मेरी ड्यूटी हैं की मैं कस्टमर सॅटिस्फॅक्षंका ध्यान रखूं. हुमारे क्लाइंट्स दिन भर अपना काम करके शाम को जब वापस होटेल में आते हैं तो दे नीड टू रिलॅक्स.. उन्हे कोई चाहिए जो उनसे दो बातें कर सके आंड उनके साथ वक़्त स्पेंड करे. उनका दिल बहला सके. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ.”
“जी मेम” ऋतु अच्छिी तरह समझ रही थी की कुमुद क्या कह रही हैं.
“तुम स्मार्ट हो इंटेलिजेंट हो ब्यूटिफुल हो. तुम इस काम को बखूबी कर सकती हो.”
“जी मैं?”
“और नही तो क्या. तुम इस बारे में सोचना ज़रूर. इस काम के आछे ख़ासे पैसे भी मिलेंगे. तुम्हारी ज़िंदगी के सारे गीले शिखवे दूर हो जाएँगे. तुम्हारे पापा का आछे से अछा इलाज हो सकेगा. तुम्हे कभी पैसो की तंगी का सामना नही करना पड़ेगा. कोई जल्दी नही हैं आराम से सोच लो और फिर जवाब दो.”
यह कहकर कुमुद चली गयी. ऋतु समझ गयी थी की “कस्टमर सॅटिस्फॅक्षन” किस चिड़िया का नाम हैं. कुमुद का लिहाज करके वो उस वक़्त कुछ नही बोली. लेकिन उसके दिमाग़ में एक अजीब सा असमंजस चल रहा था. क्या पैसो के लिए वो एक वैश्या बन सकती थी? क्या वो अपने पापा के लिए यह कर सकती हैं? उसके सामने यह बहुत ही बड़ा धरमसंकट था. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. उसे कोई और सूरत नज़र नही आ रही थी जिससे वो अपने परिवार की ज़रूरतो को पूरा कर सके. उस रात ऋतु सो नही पाई. पूरी रात वो इसी बारे में सोचती रही और सुबह की पहली किरण के साथ ही उसने निश्चय कर लिया था. अगले दिन उसने होटेल जाके कुमुद मेम को अपना निश्चय बताया.
“गुड मॉर्निंग मेम”
“गुड मॉर्निंग ऋतु.. प्लीज़ सीट. आइ होप ऋतु तुमने मेरी बात पर अच्छी तरह से सोच लिया होगा.”
“जी मेम. मैने सोचा हैं लेकिन मैं एक कशमकश में हूँ. समझ नही आ रहा की जो मैने फ़ैसला लिया हैं सही हैं या नही.”
कुमुद ऋतु की बात को ताड़ गयी.
“देखो ऋतु… इतना मत सोचो… अगर फ़ैसला ले लिया हैं तो उसपर अमल करो… जितना सोचोगी उतना ही उलझन बढ़ेगी.”
“जी मेम”
“डॉन’ट वरी.. मैं हूँ ना. तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही.”
“मेम लेकिन यह सब जब बाकी लोगों को पता चलेगा तो मेरी नौकरी… और मेरी रेप्युटेशन की ऐसी तैसी हो जाएगी.”
“ऋतु यह सब की चिंता मत करो.. मुझ पे छोड़ दो. यहाँ होटेल में बंद दरवाज़े के पीछे क्या होता हैं किसी को खबर नही. और तुम अकेली नही हो इस होटेल में जो यह सब करोगी. मेरा यकीन करो.”
“जी मेम”
“आज शाम को अपनी शिफ्ट के बाद मुझे यहीं ऑफीस में मिलना.. और हां अपने घर फोन कर दो की तुम आज डबल शिफ्ट कर रही हो इसलिए रात को घर नही आओगी.”
“ओके मेम”
ऋतु अपनी शिफ्ट में लग गयी. दिन भर उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी. दिल और दिमाग़ दोनो उसको अलग तरफ खीच रहे थे. शिफ्ट ख़तम होते होते उसके सर में दर्द होने लगा और थकान महसूस होने लगी. वो फिर भी कुमुद के ऑफीस में गयी.
“मे आइ कम इन मेम”
“आओ ऋतु. मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रही थी. तुम सीधा जाओ हमारे नेचर स्पा में और वहाँ स्नेहा से मिलो. स्नेहा स्पा की इंचारगे हैं. मैने उससे बात कर ली हैं. वो तूमे स्पा में रिलॅक्स करवाएँगे. उसके बाद वेट फॉर मी इन्स्ट्रक्षन्स.”
“जी मेम.”
और ऋतु स्पा की और बढ़ी. स्पा पहुच के वो स्नेहा से मिली. स्नेहा 27 साल की एक लड़की थी जो देखने में बहुत खूबसूरत थी. वो ऋतु को चेंजिंग रूम में ले गयी और उसे एक रोब दिया पहनने को. उसके बाद ऋतु को ले जाया गया सॉना रूम में. सॉना के भाप ने जैसे ऋतु के दिमाग़ से रोज़मर्रा की तकलीफो को धुनबदला कर दिया. ऋतु को वहाँ बहुत रिलॅक्सेशन मिली.
सॉना के बाद स्नेहा ऋतु को लेके मसाज रूम में चली गयी. उसने ऋतु को एक टवल दिया और बोला की सिर्फ़ इसको लप्पेट के टेबल पे औंधे मूह लेट जाओ. स्नेहा रूम से बाहर चली गयी. इतने में ऋतु ने चेंज किया और लेट गयी टेबल पे. स्नेहा रूम में आई कुछ आयिल्स और क्रीम्स लेके. उसने ऋतु की अची तरह मसाज की. मसाज के बाद ऋतु का फेशियल किया गया. उसके बाद ऋतु की फुल बॉडी वॅक्सिंग की गयी. एक एक बॉल को बहुत बारीकी से सॉफ किया गया.
इतना सब होने के बाद ऋतु बहुत ही अच्छा और फ्रेश महसूस करने लगी थी. उसका सर दर्द और थकान गायब हो गये. अब ऋतु का मॅनिक्यूवर और पेदिकुरे करवाया गया. उसके बाद हेर आंड मेकप. अंत में स्नेहा ने ऋतु को एक ड्रेस दी और कहा की इसको पहन लो. ऋतु ने केवल एक रोब पहना हुआ था. उसने स्नेहा से पूछा.
“यह ड्रेस पेहन्नि हैं क्या?”
“हां ऋतु”
“ओके… लेकिन मेरी ब्रा और पॅंटी कहाँ हैं,,, वो दे दो.”
“डॉन’ट वरी.. उनकी ज़रूरत नही. सिर्फ़ यह ड्रेस पहन लो.”
ऋतु उस ड्रेस में स्टन्निंग लग रही थी. वो एक ब्लॅक कलर की कॉकटेल ड्रेस थी. उसके साथ ही ऋतु के लिए हाइ हील शूज भी थे. ऋतु को थोडा उंकोमफोर्टब्ल ज़रूर लग रहा था क्यूकी स्कर्ट के नीचे ना उसने पॅंटी पहनी थी और ना ही टॉप के नीचे ब्रा. एसी की ठंड के कारण ऋतु के निपल्स एकद्ूम एरेक्ट हो रखे थे. उस ड्रेस में ऋतु के शरीर की एक एक लचक बहुत शष्ट रूप से दिख रही थी. स्नेहा भी एक बार उसे देख के हैरान ही गयी.
कुमुद स्पा में आई और ऋतु से मिली. वो ऋतु में आए चेंज को देखकर खुश थी. ऋतु किसी फिल्म की हेरोयिन से कम नही लग रही थी. उसकी स्किन एकद्ूम सॉफ्ट और सुपल आंड उसके बाल अच्छी तरह से बँधे हुए थे. ऋतु की ड्रेस उसके फिगर को इस कदर निखार रही थी की देखने वालो के लंड खड़े हो जायें.
कुमुद ने स्नेहा को उसके काम के लिए सराहा और उसे रूम से जाने के लिए कहा. कुमुद अब ऋतु की तरफ मूडी और उसे कहा
“ऋतु तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो… आइ आम स्योर मिस्टर स्टीवन तुम्हे देख के बहुत खुश होंगे”
“मिस्टर स्टीवन… कौन हैं यह?”
“स्टीवन उस का एक बहुत बड़ा बिज़्नेसमॅन हैं जो की हर महीने दो महीने में इंडिया आता हैं. वो हमेशा हामरे ही होटेल में रुकता हैं.. वो भी प्रेसिडेन्षियल सूयीट में. वो हमेशा हमारे होटेल में रुकता हैं क्यूकी यहाँ उसकी ज़रूरतो का पूरा ख़याल रखा जाता हैं.”
“ओके”
“स्टीवन हमारे होटेल का बहुत ही इंपॉर्टेंट कस्टमर हैं. बहुत रईस और दिलदार. उसकी नज़र-ए-इनायत हुई तो तुम्हारे व्यारे न्यारे हो जाएँगे. ऋतु आज तुम्हारा इस काम में पहला दिन हैं. आइ होप तुम मेरी और स्टीवन की उमीदो पे खरी उतरॉगी.”
“आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट मेम”
“रूम नो 137 में वो तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हैं. गुड लक”
“थॅंक यू मेम”
दोस्तो इस पार्ट का एंड अब यही करता हूँ बाकी जानने के लिए रूम सर्विस का लास्ट पार्ट पढ़न ना भूलें
आपका दोस्त
राज शर्मा
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