Friday, March 26, 2010

उत्तेजक कहानिया दिल अपना और प्रीत पराई--पार्ट--१

राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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दिल अपना और प्रीत पराई--पार्ट--१

हेल्लो दोस्तों मैं राज शर्मा आपके लिए एक और नई कहानी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ अब आप ही बताएँगे ये कहानी आपको कैसी लगी बाहर मैदान साफ़ था! मैं उसके निकलने के पहले ही बाहर आ गया! अब बाहर सूनसान था! अंदर हॉल से आवाज़ें आ रहीं थी! मैने मैरिज़ हॉल के रिसेप्शन की तरफ़ देखा, वहाँ एक टी.वी. ऑन था और २-३ लोग बैठे थे… उसमें आसिफ़ भी था! जब मैं उस तरफ़ बढा और टाँगें आगे पीछे हुई तो गाँड से सोनू का वीर्य रिसने लगा और मेरी चड्‍डी पीछे से गीली होने लगी! मगर मुझे पता था, वो जल्दी ही अब्सॉर्ब हो जायेगा, जैसा अक्सर होता था! चलने में मुझे गाँड में सोनू के लँड की गर्मी भी महसूस हुई! आसिफ़ ने मुझे देखा… उसकी नज़रों में कशिश थी! वो अपने मोबाइल पर बात कर रहा था! बात करते करते मुस्कुराता तो सुंदर लगता! बैठने से उसकी जाँघें टाइट हो गयी थीं और अब उसके टाँगों के बीच उभार दिख रहा था! मैं उसकी जवानी पर एक नज़र डालते हुये उससे थोडी दूर पर बैठ गया! बाकी दोनो मैरिज़ हॉल में काम करने वाले बुढ्‍ढे थे, जो टी.वी. देख रहे थे! ना मुझे उनमें, ना उनको आसिफ़ में कोई इंट्रेस्ट था!

आसिफ़ ने सोफ़े पर बैठे हुए, बात करते करते अपनी दोनो टाँगें सामने फ़ैला लीं, तो मुझे उसका जिस्म ठीक से नापने को मिला! उस पोजिशन में उसकी ज़िप उभर के ऊपर हो गयी थी! मौसम में हल्की सी सर्दी थी इसलिये उसने एक स्लीवलेस स्वीट टी-शर्ट भी ऊपर से पहन ली थी! फ़ोन डिस्कनेक्ट करने के बाद भी वो वैसे ही बैठा रहा! उसने मुझे देखते हुये देखा, दोनो बुढ्‍ढे चले गये थे और हम अकेले ही रह गये थे!
“आप सोये नहीं?”
“अभी कहाँ सोऊँगा…”
“अरे, आराम से सो जाईये…” अभी बात आगे बढी भी नहीं थी कि कहीं से उसका एक कजिन आ गया, जो खुद भी उसी की तरह खूबसूरत था! मैने उससे भी हाथ मिलाया! उसका नाम वसीम था!
“तो तुम अलीगढ में पढते हो?”
“हाँ, दोनो एक ही क्लास में हैं…”
“अलीगढ आऊँगा कभी…”
“हाँ आईये, हमारे ही साथ हॉस्टल में रुकियेगा…”
“अच्छा? वहाँ प्रॉब्लम नहीं होगी?”
“नहीं, हम दोनो अकेले एक रूम में रहते हैं! कोई प्रॉब्लम नहीं होगी!” वसीम बोला!
“वरना, ये कहीं और सो जायेगा…” आसिफ़ बोला!
“ज़रूर प्लान करिये!”
फ़िर दोनो में कुछ खुसर फ़ुसर हुई! कभी दोनो मुझे देखते, कभी मुस्कुराते! मुझे तो दूसरा शक़ हो गया! मगर बात कुछ और थी… मैने पूछ ही लिया!
“क्या हुआ?”
“कुछ नहीं…”
“अरे पूछ ले ना भैया से…”
“जी वो… आपके आपके पास सिगरेट है?”
“हाँ है ना… लो…”
“यहाँ???”
“हाँ… यहाँ कौन देखेगा इतने कोने में… या चलो, ऊपर मेरे रूम में चलो…”
“चलिये, आपको दूसरे रूम में ले चलते हैं…”
जब रूम में सिगरेट जली तो लडके और ज़्यादा फ़्रैंक हो गये! हमने वहाँ भी टी.वी. ऑन कर दिया… वसीम बार बार चैनल चेंज कर रहा था!
“अबे, क्या ढूँढ रहा है?”
“देख रहा हूँ, कुछ ‘नीला नीला’ आ रहा है या नहीं…”
“अबे, यहाँ थोडी देगा?”
“अबे, पाण्डे यहाँ भी देता है केबल कनेक्शन… साला अक्सर रात में लगा देता है…”
लडके ब्लू फ़िल्म ढूँढ रहे थे अगर उनको मिल जाती तो मेरे तो मज़े आ जाते!
“साले ठरकी है क्या… रहने दे, भैया भी हैं!”
“अब क्या, अब तो अम्बर भैया अपने फ़्रैंड हो गये हैं… हा हा हा हा…” वसीम बोला और हँसा!
“हाँ, फ़्रैंड का मतलब अब उनके सामने ही सब देखने लगेगा साले?” आसिफ़ ने हल्के से शरमाते हुये कहा!
“तो क्या हुआ यार, देख ही तो रहे हैं… कुछ कर तो नहीं रहे हैं ना…”
और खटक… अगला चैनल बदलते ही एक लौंडिया की खुली हुई चूत और उसमें दो लडकों के लँड सामने आ गये!
“वाह, देखा ना… मैने कहा था ना, लगाया होगा साले ने… देख देख, माल बढिया है…”
ब्लू चैनल आते ही आसिफ़ हल्का सा झेंपा भी, मगर फ़िर सिगरेट का कश लगाया और टाँगें फ़ैला दीं! वो सामने कुर्सी पर बैठा, मैं और वसीम बेड पर थे! मेरा लँड तो सोनू वाले केस के बाद से खडा ही था, उन दोनो का, चुदायी देख के खडा होने लगा! मगर आसिफ़ ने अपनी टाँगें फ़ैलायी रखी, मेरी नज़र उसकी ज़िप पर थी जो हल्के हल्के उठ रही थी!
“देख, इसकी शक्ल तेरी वाली की तरह नहीं है???” वसीम उस लडकी को देख के बोला तो आसिफ़ बोला “बहनचोद, तमीज़ से बोल… वो तेरी भाभी है…”
“हा हा हा हा… भाभी… मेरा लँड…” लडके अब और फ़्रैंक हो रहे थे!
“ये किसकी बात हो रही है?”
“अरे, भाई ने एक आइटम फ़ँसाया हुआ है… उसकी बात…” वसीम ने बताया!
“मगर, साली सुरँग में अजगर नहीं जाने दे रही है… इसलिये भाई कुछ परेशान है… हा हा हा…”
“ओए, तमीज़ में रह यार…”
“सच नहीं कह रहा हूँ??? या तूने ले ली? हा हा हा…”
“अबे, ली वी नहीं है…”
“अबे, तो वही कह रहा हूँ ना…” वसीम ने उँगलियों से चूत बनायी और “सुरँग में… अजगर… नहीं जाने दे रही…” दूसरे हाथ की एक उँगली उस चूत में अंदर बाहर करते हुये कहा!
साले, हरामी टाइप के स्ट्रेट लौंडे थे… और कहाँ मैं उनके बीच गे गाँडू… मुझे लगा कि टाइम वेस्ट होगा मगर फ़िर भी उनके जिस्म देखने और उनकी बातें सुनने के लिये मैं बैठा रहा!

“देख… बहन के लौडे का कितना मोटा है?”
“हाँ, साला है तो बडा…”
“ये इनके इतने बडे कैसे हो जाते हैं?”
“बुर पेल पेल के हो जाते होंगे…”
“नहीं यार, सालों के होते ही बडे होंगे!” दोनो चाव से लँड डिस्कस कर रहे थे!
तभी बगल वाले कमरे से कुछ आवाज़ आई तो दोनो चुप हो गये!
“आई… नाह…” वो आवाज़ काशिफ़ की बीवी की थी, जो चूत में पूरा लँड नहीं ले पा रही थी! काशिफ़ का लँड बडा हो गया था और उसकी कुँवारी चूत टाइट थी! काशिफ़ बहुत कोशिश करता, मगर अंदर नहीं घुसा पाता, साथ में उसकी बीवी हिल जाती या पलट जाती!
“अरे, डालने दो ना… अब डालना तो है ही, चुपचाप डलवा लो…” उसने खिसिया के कहा!
“आज नहीं… आज नींद आ रही है…” फ़िर जब काशिफ़ ने ज़बरदस्ती डालने की कोशिश की तो उसकी बीवी की चीख निकल गयी!
आसिफ़ और वसीम ने मुझे सकपका के देखा और फ़िर दोनो मुस्कुरा दिये!
“साला, ये कमरा ग़लत है… हा हा हा…”
“बहनचोद, सुहागरात वाले कमरे के बगल में आया ही क्यों? वहाँ से तो ये सब आवाज़ें आयेंगी ही…”
“अबे चुप कर… भैया के सामने…”
“अब क्या छुपाना भैया से… हा हा हा हा…” वसीम हँसा!
“क्या सोचेंगे?”
“सोचेंगे कुछ नहीं… क्यों भैया… आप कुछ सोच रहे हो क्या?” वसीम ने कहा!
“नहीं यार कुछ नहीं…”
“वही तो…” वसीम बोला!
“ये तो सबकी सुहागरात में होता है… अब अपनी बहन की बात है तो शरम आ रही है…”
“हाँ यार वो तो है…” आसिफ़ बोला, जिसका लँड अब पूरा खडा था!
मैं उनकी बातों से कुछ अन्दाज़ नहीं लगा पा रहा था! मुझे तो गेज़ पटाने का एक्स्पीरिएंस था! अगर ये दोनो गे होते तो ब्लू फ़िल्म के बाद मैने दबाना सहलाना शुरु कर दिया होता! ये तो दोनो हार्डकोर स्ट्रेट निकले!
“यार, सुबह के लिये शीरमाल लाने भी जाना है…”
“अच्छा? कहाँ मिलेगा?”
“चौक के आगे ऑर्डर किया है अब्बा ने, गाडी लेकर जाना पडेगा!”
“कब?”
“जितनी रात हो, उतना अच्छा… गर्म रहेंगे…”
“जब जाना हो, बता देना…”
“यार, मूड नहीं है साला, तू जा…”
“चल ना…”
“नहीं यार, बहुत थक गया हूँ…”

उधर जब काशिफ़ ने फ़िर लँड गहरायी में घुसाने की कोशिश की तो उसका सुपाडा चूत की सील पर टकराया और उसकी बीवी ने चूत भींच ली तो वो फ़ौरन बाहर सरक गया!
“अरे, घुसाने दो ना… सील तोडने दो ना…”
“नहीं, बहुर दर्द हो रहा है… बाद में करियेगा, अभी ऐसे ही करिये…”
“अबे, ये ऊपर ऊपर रगडने के लिये थोडी शादी की है… अंदर घुसा के बच्चा देने के लिये की है…” कहकर काशिफ़ ने फ़िर देने की कोशिश की तो वो फ़िर चीख दी!
“उईईईई… नहीं…” वो आवाज़ हमें फ़िर सुनायी दी!
“ये शोर शराबा कुछ ज़्यादा नहीं है?” आसिफ़ ने कहा!
“बेटा, सुहागरात में शोर तो होता ही है… मर्द… साथ में दर्द… हा हा हा…” आसिफ़ का लँड अब पूरा खडा था! उसके लँड के साथ साथ अब उसके आँडूए भी जीन्स के ऊपर से उसके पैरों के बीच दिख रहे थे! उसकी जीन्स में अच्छा बल्ज़ हो गया था!
“रहने दे ना यार… ये देख, कैसे गाँड में लँड डाल रहा है साला…” आसिफ़ ने फ़ाइनली ब्लू फ़िल्म की तरफ़ देखते हुये कहा!
“साले ने, गाँड फ़ैला के भोसडा बना दिया है…”
“हाँ… ये तो साली नॉर्मल लँड ले ही नहीं पायेगी कभी…”
“बेटा रहने दे, जब हम अपना नॉर्मल लँड, अबनॉर्मल तरीके से देंगे ना, तो ये साली भी उछल जायेगी…” आसिफ़ अपने लँड पर अपनी हथेली रगडता हुआ बोला! तभी उसका फ़ोन बजा, उसने देखा!
“अरे, अब्बा भी ना… गाँड में उँगली करते रहते हैं…” कहकर उसने फ़ोन उठाया!
“जी अब्बा… अरे, ले आऊँगा ना…”
“उन्ह…”
“कहाँ से?”
“कितना?”
“उससे कह दिया है ना?” फ़िर उसने फ़ोन काट दिया!
“यार, मेरा बाप भी ना… सिर्फ़ मेरी गाँड मारने के चक्‍कर में रहता है…”
“क्यों, क्या हुआ?” मैने पूछा!
“पहले शीरमाल के लिये बोला, अब कह रहा है दस चीज़ और लानी हैं…” उसने जवाब दिया!
“बेटा, अब तो तुझे ही चलना पडेगा…” वसीम बोला!
“भाई मेरे, तू चला जा ना… मैं सच में, बहुत थक गया हूँ…”
“अबे, अकेले कैसे?”
“अकेले कहाँ… पप्पू ड्राइवर रहेगा ना…”
“उससे हो पायेगा?”
“हाँ हाँ… साला बडे काम का है… तू चला जायेगा तो मैं थोडी देर आराम कर लूँगा…”
“चल, तू इतना कहता है तो मैं अपनी रात खराब कर लेता हूँ… अब भाई भाई के काम नहीं आयेगा तो कौन आयेगा?”
“इसकी माँ की चूत… ये क्या?” जैसे ही वसीम की नज़र आसिफ़ से बात करते हुये टी.वी. स्क्रीन पर पडी हम तीनो ही उछल गये क्योंकि फ़िल्म का सीन ही चेंज हो गया था! अब उस सीन में तीन लडके और एक लडकी थी! एक तो वही लडका था जो पहले से चूत चोद रहा था, मगर नये लडकों में से एक ने पीछे से उस लडके की ही गाँड में लँड डाल दिया था और तीसरा कभी उसको और कभी उस लडकी को अपना लँड चुसवा रहा था! ये देख के वसीम खडा खडा फ़िर बैठ गया!
“बहनचोद, क्या टर्न आ गया है…”
“हाँ साली, अब तो गे फ़िल्म हो गयी…”
“अबे, गे नहीं… बाइ-सैक्सुअल बोल, बाइ-सैक्सुअल…”
“हाँ वही…”
“चलो, लडको को कम से कम इसके बारे में मालूम तो है…” मैने सोचा!
“ये देख, कैसे लौंडे की गाँड में लँड जा रहा है…”
“अबे, तू जल्दी चला जा… वरना मेरा बाप मेरी गाँड में भी ऐसे ही लँड डाल देगा… हा हा हा हा…”
“तो साले, तेरी भी ऐसे ही फ़ट जायेगी… हा हा हा हा…” वसीम ने कहा!
“अबे, तू फ़िर बैठ गया???” वसीम को बैठा देख आसिफ़ ने कहा!
“अरे, इतना मज़ेदार सीन है… देखने तो दे…”
“साले, गाँड मर्‍रौवल… देख के तेरा खडा हो गया?”
“हाँ यार, सीन बढिया है…”
“हाँ… छोटी लाइन का मज़ेदार सीन है… साले ने आज बढिया फ़िल्म लगायी…”
मैं उन लडको के गे सैक्स में इंट्रेस्ट से एक्साइट हो रहा था!
“वाह यार” मैने कहा!
“तुम लोगों को ये भी पसंद आया?”
“अरे भैया, आप हमारी जगह होंगे ना… तो आपको भी सभी कुछ बढिया लगेगा…”
“तुम्हारी जगह मतलब?”
“जब साला लौडा हुँकार मारता है और तकिये के अलावा कुछ मिलता नहीं है…” आसिफ़ ने हँसते हुये कहा!
“साला, कभी कभी तो बिस्तर में छेद कर देने का मूड होता है भैया…” वसीम ने उसका साथ दिया!
“हाँ, मेरा भी ऐसे ही होता था…”
“लाओ भैया, इसी बात पर एक सिगरेट जलाओ ना…”
“वैसे, लौंडे की गाँड में आराम से जा रहा है…” मैने उनको थोडा भडकाया!
“हाँ… देख नहीं रहे हो, देने वाला भी तो सटीक फ़िट कर के दे रहा है… साला कोई गुन्जाइश ही नहीं छोड रहा है ना, इसलिये जा रहा है…” आसिफ़ ने कहा!
“और साला, कौन सा पहली बार चुदवा रहा होगा… ब्लू फ़िल्म का है, डेली किसी ना किसी का लँड अंदर पिलवाता होगा…” वसीम ने उसी में जोडा!
“हाँ, तभी साले की गाँड फ़टी हुई है…” मैने कहा!
“अभी तो, हमारा आजकल… ये हाल है भैया… कि साला, ये मिले ना… तो इसी की गाँड मार लें…” आसिफ़ ने फ़्रैंकली कहा!
“हाँ यार, जब मिलती नहीं है ना… तो ऐसा ही हो जाता है… तभी तो इसके जैसों का भी धन्धा चलता है… वरना इसकी गाँड कौन मारेगा…” मैने कहा!
“अबे, जा ना यार… ले आ सामान…” इतने में आसिफ़ को फ़िर काम याद आ गया!
“जाता हूँ यार… साला, ये सब देख के मुठ मारने का दिल करने लगा… हा हा हा…”
“पहले सामान ले आ… फ़िर साथ बैठ के मुठ मार लेंगे… वरना मुठ की जगह गाँड मर जायेगी… जा ना भाई…”
“अबे, बस पाँच मिनिट… बाथरूम में घुस के मार लेता हूँ यार…” वसीम माना ही नहीं!
“नहीं यार, जा ना… जल्दी जा…”
“यार, जब कह रहा है तो चले जाओ ना… आकर मार लेना ना…”
“अरे, आप इस बहन के लँड को जानते नहीं हैं…. साला तब तक खुद पाँच बार मार लेगा…”
“नहीं मारेगा यार, तुम आओ तो…” मैने कहा!
“अच्छा, आप साले को मारने मत देना… पकड लेना साले का… हा हा हा…”
“हाँ, पकड लूँगा…” मुझे वो कहते हुये भी मज़ा आ रहा था!

फ़ाइनली वसीम चला गया तो मैं और आसिफ़ कमरे में अकेले हो गये! फ़िल्म में गे चुदायी धकाधक चल रही थी! क्लोज अप से गाँड में लँड आता जाता दिख रहा था!
“आपने कभी ऐसा किया है?” तभी अचानक आसिफ़ ने पूछा!
“ऐसा मतलब क्या? चुदायी?”
“हाँ… मतलब… लौंडा चुदायी… छोटी लाइन… मतलब समझे आप?”
“क्यों यार?”
“बस ऐसे ही… क्योंकि आपने इतनी देर से चैनल चेंज करने को नहीं कहा ना…”
“चैनल तो तुमने भी नहीं चेंज किया…” मैने कहा!
“शायद मुझे मज़ा आ रहा हो….”
“शायद मुझे भी…”
आसिफ़ की भरी भरी जाँघें फ़ैली हुई थीं और उसकी हथेली बार बार कभी जाँघ कभी ज़िप को रगड रही थी!
“इसमें भी मज़ा आता है…”
“हाँ, उसमें क्या है… तुमने ही तो कहा कि बस चुदायी होनी चाहिये…”
“वो तो ऐसे ही कहा था…”
“अब क्या मालूम” उसने कहा फ़िर एक ठँडी सी आह भरी!
“हाय… आज कोई लडका ही मिल जाता तो उसी से काम चला लेता… आज मूड बहुत भिन्‍नौट है…”
“अच्छा कहाँ मिलेगा?”
“आप ही बुला दो किसी को… वो.. वो शाम में जिसके साथ थे…”
“कौन… वो ज़ाइन??”
“कोई भी हो… ज़ाइन फ़ाइन… उससे क्या… अभी तो साला कोई भी चलेगा…”
“बडे डेस्परेट हो?”
“हाँ बहुत ज़्यादा… आप इस वक़्त चड्‍डी के अंदर की हालत नहीं जानते… बस ज्वालामुखी होता है ना, वो हाल है…”
“मगर इस ज्वालामुखी का लावा सफ़ेद है… हा हा हा…” मैने कहा!
“हाँ, अभी तो साला चड्‍डी ही गीली कर रहा है… ज़रा सा मौका मिला ना, तो बुलेट की तरह निकलेगा…”
“अच्छा?”
“तो बुलायो ना… उस लडके को… उसी को ही बुला लो…”
“अबे पागल है क्या… रहने दे…”
“पागल तो हूँ… बहुत बडा… आप मुझे जानते नहीं हो…”

“खोल दू क्या? फ़िर वो अचानक अपना लँड सहलाते हुये बोला!
“क्या?
“लौडा…
“पागल हो?
“हाँ… अच्छा चलो, नीचे वाले बाथरूम के कैबिन में ही चलो…” उसने कहा तो मैं सब कुछ समझ गया!
“अरे भैया… आप हमें जानते नहीं हो… इलाहबाद के नामी लोगो में हमारा नाम है…” उसने अपनी ज़िप खोलते हुये कहा तो मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी!
“ये क्या कर रहे हो आसिफ़?” मैने कहा!
“मुठ मारने जा रहा हूँ… आप सोच लो फ़िल्म है…”
“नहीं करो ना आसिफ़…”
“क्यों नहीं? क्यों.. उस भँगी की याद आ जायेगी?” उसने कहा और अपनी ज़िप के अंदर से अपना मुसलाधार गोरा, लम्बा मोटा खडा हुआ लौडा बाहर निकाला तो उसका जादू तुरन्त मेरे ऊपर छा गया!
“किस भँगी की यार?”
“जिसके साथ आप कैबिन में बन्द थे…” उसने अपने लौडे को अपनी मुठ्‍ठी में दबाते हुये कहा! उसके ऐसा करने से लँड हुल्लाड मार रहा था और वीर्य की कई बून्दें बाहर आ कर सुपाडे से बहती हुई उसके हाथ पर आ गयी! मैं तो अब तक ठरक चुका था! मैने अपनी कोहनी बेड पर टिका दी और अधलेटी अवस्था में एक सिसकारी भरी… मगर आसिफ़ उतने पर ही नहीं रुका! उसने अपनी जीन्स का बटन खोल दिया! जीन्स बहुत चुस्त थी, इसलिये वो उसको बडी मुश्किल से अपनी जाँघ तक खींच पाया और फ़िर अपने लँड को मेरी नज़रों के सामने झूलने दिया! उसका लँड सीधा हवा में था, जाँघ गोरी और चिकनी थी! भूरी भूरी झाँटें थी! लडके का हुस्न बढिया था, गदरायी नमकीन जवानी थी! वो हल्के हल्के अपने लँड की मुठ मारने लगा!
“मुठ क्यों मार रहे हो?” मैने तेज़ साँसों के बीच सूखते गले से पूछा!
“आप तो कुछ कर ही नहीं रहे हो… इसलिये मुठ ही मारनी पड रही है…”
“क्या करूँ?”
“अब क्या पूछते हो… जो दिल करे, कर लो… अब जब लौडा निकाल ही दिया है तो समझो लाइसेंस दे दिया है… अब क्या पूछना…”
मैं बेड से उतर के कुर्सी के पास उसके पैरों के पास बैठ गया और अपने होंठों से उसकी जाँघ सहलाते हुये उसके लँड को अपने हाथ में ले लिया!
“बहन के लौडे, तुम्हें देखते ही ताड लिया था!”
“कैसे?”
“बताया ना… हम उडती चिडिया पहचानते हैं… वो तो बिज़ी था थोडा, वरना शाम में ही तुम्हारा काम कर लिया होता…”
“उफ़्फ़… आसिफ़्फ़्फ़्फ़…” मैने कहा और थोडा ऊपर उठ के अपनी छाती को उसके घुटने पर रगडते हुये उसके लँड को अपने मुह में लिया और चूसना शुरु कर दिया! उसने अपना सर पीछे की तरफ़ कर लिया, टाँगें फ़ैला ली और आराम से मज़ा लेने लगा! मैने उसकी जीन्स पूरी उतार दी! उसकी व्हाइट अँडरवीअर मैली थी और आँडूओं के पास से तो काली हो गई थी! मैने उतारते हुये उसको सूंघा और फ़िर उसके खूबसूरत आँडूओं को चूमा तो वो भी उछले!
“लो ना, मुह में ले लो…” उसने कहा!
मैने पहले ज़बान से उसके आँडूओं को चाटा, वो उसकी जवानी की तरह नमकीन थे! फ़िर आँडूओं के साइड में उसकी जाँघ को सूंघा और चाटा और उसके बाद अपना मुह बडा सा खोल कर उसके आँडूओं को अपने मुह में गुलाब जामुन की तरह भर कर अपनी ज़बान से उनको चाटते हुये ही चूसने लगा! साथ में हाथ से उसके अजगर जैसे लौडे को सहलाने लगा! वो कुर्सी पर ही जैसे लेट सा गया! अब उसकी गाँड कुर्सी के बाहर थी! मैने उसको दोनो हाथों से पकड के सहलाना शुरु कर दिया!

“चलो ना, बेड पर चलो…” मैने उसके लँड से उसको पकडते हुये कहा!
“चलो…” उसने खडे होते हुये कहा! हम जैसे ही खडे हुये, मैं उससे लिपट गया और हल्का सा उचक के उसके लँड को अपनी जाँघों के बीच फ़ँसा लिया और अपनी जाँघों को कसमसा कसमसा के उसके लँड की मालिश करने लगा! मैने अपना एक हाथ अपनी गाँड की तरफ़ से घुमा के उसके लँड को हाथ से भी सहलाना शुरु कर दिया तो आसिफ़ ने मस्त होकर मुझे कस कर पकड लिया! हम अब पूरे नँगे थे! मैं अपनी टाँगे फ़ैला के उचक उचक के उसका सुपाडा अपने छेद पर भी लगा रहा था!
“चलो बेड पर…”
“अभी रुको, ऐसे मज़ा आ रहा है…” आसिफ़ ने कहा! उसका जिस्म गठीला और चिकना था! मैं कभी उसके बाज़ू को, कभी उसकी छाती को, कभी उसके कंधे को चाट और चूस रहा था! वो भी खूब मेरी गाँड और जाँघें वगैरह दबा दबा के सहला रहा था!
“चलो ना… बेड पर चलो…” उसने कामातुर होकर कहा!
मैं बेड पर लेटा तो वो ऊपर चढ गया! तब तक मेरी गाँड पूरी खुल चुकी थी! उसने थूक लगाया और देखते देखते उसका लँड मेरी गाँड के अंदर समाता चला गया!
“सिउउउहहहहह…” मैने सिसकारी भरी!
“अआह… अब मज़ा आया… साला… गाँड मारूँगा तेरी अब…” कहकर उसने लँड बाहर खींचा फ़िर अंदर दे दिया और फ़िर वैसे ही अंदर बाहर करने लगा! कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटाया!
“लाओ, पैर कंधे पर रखो…” उसने मुझे फ़ैला के मेरे पैर अपने कंधों पर रखवा लिये तो मेरी गाँड बडे प्रेम से उसके सामने खुल गयी और वो धकाधक धक्‍के दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!
“कैसा लगा, इलाहाबादी लौडा कैसा लगा?”
“बहुत बढिया है… आसिफ़… बहुत बढिया है…”
“हाँ बेटा, लो…” वो खूब अच्छे से धक्‍के लगा रहा था! मेरी टाँगें उसके कंधे पर झूल रही थी! उसने उनको पकडा और हवा में उठा दिया! मेरे दोनो तलवे पकड के फ़ैला दिये! टाँगें, जितनी मैक्सिमम फ़ैल सकती थीं, फ़ैला दीं और अपनी गाँड खूब कस कस के मेरी गाँड में अपना लँड अंदर बाहर देने लगा!

उसके बाद उसने मेरे घुटने मेरे सीने पर मुडवा दिये! अब तो मेरी गाँड भोसडे की तरह खुल के उसके सामने आ गई थी और वो उसको चोदे जा रहा था! अचानक उसने लँड बाहर निकाल लिया!
“एक मिनिट रुक…” उसने कहा और अपना फ़ोन उठा के कुछ करने लगा!
“क्या कर रह्य हो?”
“कुछ नहीं…” उसने कहा और इस बार वो मेरी गाँड में लँड घुसा के मारने लगा और साथ में उसका एम.एम.एस. क्लिप बनाने लगा!
“ये क्यों?”
“बस, ऐसे ही रिकॉर्ड रहेगा ना… कि तेरी मारी थी…” वो कभी फ़ोन अपने हाथ में ले लेता, कभी मेरे हाथ में दे देता… हमने करीब २० मिनिट की फ़िल्म बनायी! फ़िर उसका झडने लगा तो फ़ोन साइड में रख दिया और हिचक-हिचक के भयँकर धक्‍के देने लगा! उसने मुझे पलट के लिटा दिया और कूद कूद के मेरी गाँड में लँड डालने लगा और उसके बाद उसने मेरी गाँड के अंदर अपनी वीर्य का बारूद भर दिया! हम वैसे ही लिपट के लेटे रहे!

“तुमने अच्छा चोदा आसिफ़…” मैने उसको बाहों में भरते हुये कहा!
“हाँ बेटा, हम जो काम करते है… अच्छा ही करते हैं… अलीगढ आ जाना, वहाँ आराम से होगा… जब दिल करे, आ जाना…”
“अआह… हाँ, आऊँगा… अब तो आना ही पडेगा…”
“और लौंडे चाहिये तो मिलवा भी दूँगा…”
“हाँ, मिलवा देना… कौन हैं?”
“बस हैं ना… तू आम खा, गुठली से मतलब मत रख… वसीम को देगा?”
“हाँ, दे दूँगा…”

बाकी कहानी अगले भाग मैं पढ़ना मत भूलियेगा

आपका दोस्त

राज शर्मा































































































































































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