Saturday, March 20, 2010

हिंदी सेक्सी कहानिया रूम सर्विस --3

राज शर्मा की कामुक कहानिया
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चुदाई की कहानियाँ

रूम सर्विस --3
दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा रूम सर्विस का पार्ट -३ लेकर आपके सामने हाजिर हूँ
कब आँख लगी और कब सुबह हुई पता ही नही चला… सुबह ऋतु ठंड के मारे सिमट चुकी थी. उसके घुटने उसकी छाती पे थे और अभी भी उसने वोही टवल लप्पेट रखा था जो वो बाथरूम से ओढ़ कर आई थी. उसकी आँख खुली तो करण आस पास कहीं नही था. वो उठी और चादर लप्पेट के बाहर आई ड्रॉयिंग रूम में. वहाँ करण सोफे पे बैठा किसी से बात कर रहा था. उसने अब अपने बॉक्सर्स पहन लिए थे. उसके एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में फोन था.

“शर्मा जी आप लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवा दीजिए..”

………………….(फोन पे शर्मा जी को सुनता हुआ करण)

“यस.. नाम लिखिए ऋतु कुमार, आगे 22 हांजी …. इसे जल्दी से बनवा के एक घंटे के अंदर फ्लॅट पे भिजवाए. ”

………………..

“यह काम आप प्राइयारिटी पे कीजिए. थॅंक्स बाइ.”

तभी करण ने ड्रॉयिंग रूम के किनारे पे खड़ी ऋतु को देखा और मुस्कुराया.

“गुड मॉर्निंग ब्यूटिफुल ….कम हियर”

“गुड मॉर्निंग” और ऋतु करण की तरह बढ़ी

करण ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी गोद में बिठा दिया…

“करण कल मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार रात थी”

“ऐसी कई और रातें हैं अभी हमारे बीच ऋतु” और कारण ने ऋतु के होंठो को चूम लिया

ऋतु मुस्कुराइ“किससे बातें कर रहे थे??”

“ऑफीस में लीगल सेल में रूपक शर्मा हैं ना… उनसे. कुछ काग़ज़ात बनवाने थे”

“किस तरह के काग़ज़ात”

“लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट… अब तुम उस हॉस्टिल में नही रहोगी… दिस ईज़ युवर न्यू हाउस.”

“लेकिन मैं यहाँ कैसे रह सकती हूँ …. यह तो बहुत ही आलीशान घर हैं.. मैं तो वहीं ठीक हूँ.. हॉस्टिल में”

“ऋतु तुम करण पाल सिंग की गर्लफ्रेंड हो… तुम उस हॉस्टिल में नही रह सकती… यह जगह तुम्हारे लिए सही हैं”

यह बात सुनकर ऋतु मन ही मन उच्छल पड़ी… करण ने उसे अपनी गर्लफ्रेंड कहा था.

“लेकिन करण मैं यहाँ इतने बड़े घर में अकेले .. मतलब .. कैसे रहूंगी”

“अकेले कहाँ मैं हूँ ना… मैं आता रहूँगा.” करण ने उसको अपने बाहो में भर लिया… ऋतु का तो खुशी का ठिकाना ना रहा

दोनो के कपड़े वहीं ड्रॉयिंग रूम में बिखरे पड़े थे. कारण की पॅंट शर्ट और ऋतु की सलवार कमीज़ ब्रा और पॅंटी…

“मैं कपड़े उठा लेती हूँ… यहाँ काब्से बिखरे पड़े हैं और मिस्टर शर्मा भी तो आ रहे हैं”

“रहने दो अभी… वो तो एक घंटे बाद आएँगे.”

“लेकिन उठाने तो हैं ही ना”

“एक घंटा हैं ना …अभी पहन के क्या करोगी… आओ ना…” कहते हुए करण ने ऋतु की शरीर पे लिपटी चादर की गाँठ खोल दी… ऋतु शरमाई और करण के गोड से उठकर बेडरूम की तरफ भागने की कोशिश करने लगी…

“बेडरूम में क्या रखा हैं ऋतु… यहीं कर लेते हैं ना”

“यहाँ??? ड्रॉयिंग रूम में”

“कहाँ लिखा हैं की ड्रॉयिंग रूम में सेक्स नही कर सकते”

“हहहे लिखा तो कहीं नही हैं”

“तो फिर आओ”

करण ने ऋतु के लिप्स को चूमा और उसकी चूत पे वापस हाथ फेरने लगा और उपर से सहलाने लगा. ऋतु ने उसके बॉक्सर्स में हाथ डाल दिया और उसके सोए हुए लंड को जगाने लगी… करण का एक हाथ ऋतु के बूब्स पेट और दूसरा चूत पे.. और वो बेहताशा ऋतु को चूमे जा रहा था… रात भर आराम के बाद सुबह एनर्जी लेवेल्ज़ हाइ थे और करण के लंड को अपना पूरा आकार लेते हुए ज़्यादा समय नही लगा.

ऋतु की चूचियाँ भी करण के मूह में सख़्त हो चुकी थी.. तने हुए उसके चूचे रात के एपिसोड के बाद और पाने के लिए बेचैन थे… उसकी चूत भी करण के लंड की प्यासी हो रही थी… करण चालू था फुल फ्लो में और रुकने का नाम नही ले रहा था… उसने ऋतु की चूत में दो उंगलियाँ डाल दी… ऋतु को अत्यंत दर्द का एक्सास हुआ… रात को ही तो उसकी सील टूटी थी.. अभी ठीक से घाव भरे भी नही थे की करण ने वापस प्रहार शुरू कर दिया था… चूत गीली हो चुकी थी…

करण उठा सोफे पे से और उसने ऋतु को कहा.

“ऋतु मूड जाओ और अपने हाथ पैर सोफे पे रखो”

ऋतु हैरान हो गयी…यह करण ना जाने क्या बोल रहा था… उसे समझ नही आया.. फिर भी उसने करण की बात मान ली और वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था. करण का मान तो कुछ नये ही स्टाइल में करने का था… रात को मिशनरी करके वो ऊब चक्का था… उसे कुछ अलग तरह से करना था अब. ऋतु के हाथ और पैर अब सोफे पे थे और करण उसके पीछे आके खड़ा हो गया.. उसकी आँखों के सामने का नज़ारा ऐसा था की किसी बड़ी उम्र का आदमी देख लेता तो शाटड़ हार्ट अटॅक से मर जाता लेकिन दोस्तो ये राज शर्मा तो बेशरम आदमी है जो उन्हे अपनी आँखो से देख भी रहा था ओर सुन भी रहा था अब आप सोच रहे होंगे ये राज शर्मा यहाँ कैसे आ गया अरे भाई लेखक ही तो सब देखता है

ऋतु की कोमल गांद अपने पूरे शबाब में करण के सामने थी… गांद का छेद हल्के भूरे रंग का और एकद्ूम टाइट दिख रहा था… उसको देख के करण मन ही मन हसा और सोचा “तेरा नंबर भी आएगा.” गांद की दरार के नीचे एक पतली सी लाइन ऋतु की चूत की थी… चूत की दोनो फाँकें आपस से सिमटी हुई थी और उनके बीच कोई जगह नही दिख रही थी… जगह तो तब बनती जब करण अपना 7” लंड उस दरार में छूसा के उसे बड़ा करेगा..

ऋतु के गुटने आपस में टच कर रहे थे.. कारण ने उन्हे दूर किया और ऊट पे वापस हाथ फेरा… काफ़ी गीली थी.. टाइम आ चुक्का था की ऋतु को इस नयी पोज़िशन से वाकिफ़ करवाया जाए. वो नीचे झुका और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगा… ऋतु के मूह से आहें निकलने लगी…. उसने जीभ ऋतु की चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. उसने एक हाथ से उसके क्लिट को भी सहलाया जो की अब तक सूज के बड़ी हो चुकी थी…

“ओह करण… प्लीज़ डू इट. प्लीज़”

कारण ने लंड को पकड़ा और ऋतु की चूत में घुसेड दिया…. ऋतु की चूत अभी तक पूरी तरह से लंड लेने की आदि नही हुई थी… लंड घुसते ही ऋतु आगे की और लपकी ताकि लंड से बच सके और अपनी चूत को भी बचा सके.. लेकिन करण ने भी कोई कची गोलियाँ नही खेली थी… उसने एक हाथ ऋतु के नीचे, उसके पेट पे रखा था.. उसने उसी हाथ से ऋतु को वापिस खीचा और उसका पूरा लंड ऋतु की नाज़ुक चूत में समा गया.

अब वो धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा…. ऋतु को शुरू में तो दर्द हुआ लेकिन वो दर्द जल्दी ही एक मीठे एहसास में बदल गया जिसमे उसे बहुत मज़ा आ रहा था… करण जानता था की यह डॉगी स्टाइल पोज़िशन ऐसी हैं जिसमे मॅग्ज़िमम पेनेट्रेशन मिलती हैं…. … इसीलिए वो धीरे धीरे कर रहा था ताकि एक बार ऋतु थोड़ी ढीली हो जाए तो वो पूरा जलवा दिखाएगा…

करण के हाथ ऋतु के चुतताड पे थे… वो उन गोल मांसल चुतताड़ो को सहलाता था.. उन्हे मसलता था…. और हल्के हल्के से उन्हे मार भी रहा था… ऋतु के गोरे गोरे चुतताड करण के ठप्पड़ो की वजह से लाल हो गये थे… अब वो खुद भी आगे पीछे हिल रही थी ताकि आछे से आनंद ले सके… करण ने अब ज़ोर से धक्के लगाने चालू किए और पूरा का पूरा लंड अंदर देने लगा. ऋतु भी मज़े में ऊह आह करने लगी

“ओह करण आइ लव यू… आ अया …. येस्स्स्स” करण ऐसे ही करते रहो आह बड़ा मज़ा आ रहा है

करण ने अपने मूह से थोडा सा थूक निकाल कर टपका दिया ऋतु के गांद के छेद पे … निशाना एकद्ूम सटीक था… उसने अब अपनी उंगली से छेद पे थोड़ा सा दबाव बनाया और उसे हल्के हल्के दबाने लगा… वो अंदर नही डालने वाला था उंगली.,.. बस ऋतु को मज़े देने के लिए कर रहा था…

यह सब करने पर ऋतु को असहनीया आनंद हुआ और वो पानी छोड़ने लगी और साथ ही आवाज़ें निकालने लगी..

“यह क्या कर रहे हो करण… ओह इट फील्स सो गुड..डोंट स्टॉप.”

ऋतु के बदन पे पसीने की एक हल्की सी परत बन गयी थी… इस बार वो भी पूरी मेहनत कर रही थी… करण को तो पसीना आ ही रहा था…. दोस्तो ऐसी चुदाई चल रही थी जिसे देख कर अच्छे अच्छे चोदुओ को पसीना आ जाए
इसी लिए तो कहता हूँ मुलाहीजाफरमाएँ .......
चूत मारे चूतिया ओर गान्ड मारे पाजी
दोनों हाथों से प्रेक्टिस कर लो इसी ते राम राज़ी
जब रात के बारह बजता है हम हॅंड प्रेक्टिस करता है
अहसान किसी का सहता नहीं हाथो से गुज़ारा करता है
दोस्तो पेंट से हाथ बाहर निकालो ये काम बाद मैं कर लेना अभी तो कहानी का मज़ा लो यार आपका राज शर्मा
करण ने उसके बदन के नीचे हाथ डालकर उसके बूब्स को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा… यह करते ही ऋतु और भी ज़्यादा पागल हो रही थी… वो एक बार तो पानी छोड़ ही चुकी थी …. दूसरी बार भी दूर नही था… अब करण ने अपने एक हाथ से चुचियो को मसलाना शुरू किया ऋतु भी पूरे जलाल पर थी हाय मेरे राजा चोदो और ज़ोर से चोदो
मेरी चूत की प्यास भुजा दो आह्ह्ह्ह ओरर्र

करीब 20 मिनिट तक यह धाक्का मुक्की चलती रही…. करण ने फाइनल धक्के देने शुरू किए… उसका ऑर्गॅज़म बिल्ड हो रहा था… ऋतु का भी ऐसा ही हाल था… करण ने ऋतु के हिप्स को और भी ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी… ऋतु ने भी सोफे को और ज़ोर से पकड़ लिया… एक ज़ोरदार आआआह के साथ करण ने अपना वीर्य ऋतु की चूत में छोड़ दिया…. ऋतु ने बी लगभग उसी समय पानी छोड़ दिया.. तकरीबन 8-10 सेकेंड्स तक करण ऋतु की चूत में वीर्यपात करता रहा… ऋतु को उसके वीर्य की गर्मी महसूस हो रही थी… वो भी पानी छोड़ रही थी…
दोनो पसीने में लथपथ वही सोफे पे लेट गये… ऋतु की चूत से बहकर वीर्य उसकी जाँघो पे आ गया था… वो करण की छाती पे सर रखकर लेटी हुई थी… दोनो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक लेटे रहे…

तभी दरवाज़े पे एक दस्तक हुई…. ऋतु चौंक के उठ पड़ी और अपने कपड़े समेत के अंदर बेडरूम में चली गयी. करण ने अपने बॉक्सर्स पहने और दरवाज़ा खोला…

“गुड मॉर्निंग मिस्टर करण”

“गुड मॉर्निंग… कम इन प्लीज़… बैठिए”

रूपक शर्मा ने देखा की कमरे में करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं फर्श पे.. पास ही टेबल पे आँधा कटा केक था और सामने फूल ही फूल… वो ग्ल्फ कंपनी में बहुत सालों से था और पेशे से वकील था… ग्ल्फ के लीगल सेल में उची पोज़िशन में था… करण ने उसे सुबह 1 घंटे पहले ही एक लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनानी के लिए कहा था… लीव आंड लाइसेन्स ऋतु कुमार के नाम पे था.

रूपक जानता था की ऋतु सेल्स डेपारमेंट में नयी आई हैं… और यहाँ पर करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं… सामने केक फूल हैं, बेडरूम का दरवाज़ा बंद हैं. उसको दो और दो चार करने में वक़्त नही लगा और वो समझ गया की करण की पिछली रात बहुत ही रंगीन रही हैं.. तभी उसकी नज़ार एक ऐसी चीज़ पे गयी जिससे उसका शक़ यकीन में बदल गया.

सोफे पे करण के वीर्या की दो तीन बूँदें थी जो लेटे लेटे ऋतु की चूत से सरक के टपक गयी थी. रूपक समझदार आदमी था … अपना मूह बंद रखा. करण के ऐसे कई कामो से वो वाकिफ़ था जिनमें उसे रूपक की वकालत और कनेक्षन्स की ज़रूरत पड़ी थी.. .. मसलन जब कारण ने एक रात शराब के नशे में रिंग रोड पे अपनी गाड़ी से एक मोटरसाइकल वाले को उड़ा दिया था और गाड़ी भगा के ले गया था… रूपक ने तुरंत पोलीस में अपनी जान पहचान लगा के मामले को रफ़ा दफ़ा करवाया था. गुणडो से उस मोटरसाइकल वाले को डरा धमका के और कुछ पैसे देके उसका मूह भी बंद करवा दिया था. वो करण के काले कारनामो का पूरा चिट्ठा जानता था.

“सर यह रही वो लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट जो आपने बनाने को कही थी मिस ऋतु कुमार के नाम”

“गुड.. दिखाइए.”

“यह लीजिए सर”

“(पढ़ते हुए) गुड… थॅंक योउ वेरी मच.. मुझे पता हैं आप भरोसे के आदमी हैं और आपसे कहा हुआ काम हमेशा तसलीबक्ष होता हैं”

“थॅंक योउ सर… अब मैं चलूं?”

“ओक.. थॅंक योउ वेरी मच… सॉरी आपको सॅटर्डे को भी सुबह सुबह उठा दिया”

“नो प्राब्लम सर… आइ एम ऑल्वेज़ एट यूअर् सर्विस”

रूपक चला गया … उसका सॅटर्डे तो बर्बाद हो ही चुका था… फ्राइडे रात को यह सोच के की कल आराम से उठुगा, उसने मस्त दारू चढ़ाई और उसके बाद अपनी बीवी की 2 घंटे चूत मार के करीब 2 बजे सोया था… सुबह सुबह 7 बजे करण के फोन ने उसे उठा दिया था.

उधर फ्राइडे रात से ही ऋतु की सहेली पूजा का बुरा हाल था… ऋतु ने उसे कुछ बताया नही था की वो कहाँ है.. उसने अनगिनत बार ऋतु का फोन ट्राइ किया था लेकिन घंटी बजती रही और कोई रेस्पॉन्स नही था… ऋतु ने अपना फोन साइलेंट पे कर दिया था… उसे ख़याल ही नही रहा की पूजा को खबर कर दे.

जब भी ऋतु लेट होती थी वो पूजा को बता देती थी की ताकि वो चिंता ना करे. पूजा का हाल बुरा था… वो फ़िकरमंद थी… कहीं ऋतु पठानकोट तो नही चली गयी.,. कहीं उसके साथ कुछ बुरा तो नही हुआ.. वो जानती थी की यह शहर एक अकेली लड़की पे बहुत बेरहम हो सकता हैं. वो सोच रही थी की पठानकोट फोन करके ऋतु के पेरेंट्स को बताए की क्या हो रहा हैं.. उसने एक बार और फोन मिलने का सोचा की उमीद में की इस बार ऋतु उसका फोन उठा ले.

फोन का स्क्रीन फ्लश करने लगा.. आवाज़ तो आ नही रही थी क्यूकी फोन साइलेंट मोड़ पर था.. करण की नज़र उसपे पड़ गयी..उसने फोन उठाया और बेडरूम में चला गया. बेडरूम में ऋतु अब तक कपड़े पहन चुकी थी. करण ने फोन ऋतु के पास बेड पे फेंका और बोला

“तुम्हारा फोन आ रहा हैं” और बातरूम में चला गया

ऋतु ने देखा नंबर पूजा का हैं… तुरंत ही उसको एहसास हुआ की पूजा चिंतित होगी क्यूकी उसने खबर नही की थी थी की वो रात हॉस्टिल नही आएगी. आज तक वो कभी रात जो हॉस्टिल से बाहर नही रही थी. उसने डरते हुए फोन पिक किया.

“हेलो”

“हेलो ऋतु??? कहाँ हैं तू?? ”

“वो पूजा मैं एक फ्रेंड के घर पे रुक गयी थी.”

“अर्रे यह भी कोई तरीका हैं.. बताना तो था … तू जानती हैं मैं कितनी चिंतित थी.”

“सॉरी पूजा … वो एक दम दिमाग़ से निकल गया. ”

“ऐसे कैसे दिमाग़ से निकल गया .. तुझे पता हैं मैं कितना परेशान थी. कहाँ हैं तू अभी?? होस्टल कब आ रही हैं??”

“मैं अभी फ्रेंड के घर पे ही हूँ. जल्दी आ जाउन्गी तू चिंता ना कर. अच्छा अभी मैं फोन रखती हूँ. आकर बात करती हूँ”

“ओक बाइ”

“बाइ”

तभी बाथरूम से करण फ्रेश होकर बाहर आ गया.

“किसका फोन था”

“पूजा का मेरी रूम मेट हैं हॉस्टिल में”

“हैं नही थी…. जाकर अपना सामान लेकर आ जाओ”

“लेकिन करण मुझे अभी भी थोडा अजीब सा लग रहा हैं… इस फ्लॅट का किराया तो बहुत ज़्यादा होगा.”

“तुम फिकर मत करो.. आइ विल मेक शुवर की तुम्हे सबसे अच्छे क्लाइंट्स मिले और तुम्हारी सेल्स बाकी सबसे अच्छी हो.. ताकि तुम्हे हर महीने इतनी सॅलरी मिले की यह तो क्या तुम इसी अछा फ्लॅट अफोर्ड कर सको.”

करण ने फोन पे नाश्ता ऑर्डर किया. ऋतु इतनी देर में बाथरूम जाकर नहाने लगी… नहाते नहाते ऋतु बस यही सोचे जा रही थी की जो उसने किया क्या वो सही था,, बिना शादी के उसने करण से शारीरिक संबंध बनाए थे … यह बात उसके मा बाप को पता चल जाती तो वो तो बेचारे शरम के मारे डूब मरते … वो किसी को मूह दिखाने लायक ना रहती….

नहा के ऋतु ने वही कपड़े पहन लिए जो उसने कल रात को पहने हुए थे. इतनी देर में नाश्ता आ गया और ऋतु और करण ने मिलके नाश्ता किया. नाश्ते में सभी कुछ बहुत बढ़िया और स्वादिष्ट था… रात भर मेहनत करने के बाद भूख भी अच्छी लगी थी.. दोनो ने सारा नाश्ता ख़तम कर दिया..

नाश्ता ख़तम करने के बाद कारन ने ऋतु से कहा – “तुम्हे एक और चीज़ खानी हैं”

“अब मेरे पेट में बिकुल जगह नही हैं करण. मैं और कुछ नही खा सकती.”

“बस एक छोटी सी गोली” और उसने ई-पिल की गोली ऋतु की तरफ सरका दी.

ऋतु दो पल तो उस गोली को की घूरती रही. यह गोली उसको एहसास दिला रही थी की उसने जो किया रात को वो सही नही हैं… उसने अपनी वासना की आग में अपना कुँवारा पन जला दिया था… उसने वो गोली चुप चाप खा ली.

यह गोली मानो ऋतु को एहसास दिला रही हो की उसकी हरकतें किसी शरीफ खानदान की लड़की के लिए उचित नही. वो उठ कर बाथरूम में चली गयी और वहाँ जाकर रोने लगी. करण उसके पीछे पीछे बाथरूम में आया और उसकी आँखों से आँसू पोंछे. बिना कुछ कहे उसने ऋतु को अपनी बाहों में भर लिया जैसे की आश्वासन दे रहा हो की कुछ नही होगा .. मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूँगा. ऋतु ने अपना मूह उसके सीने में छुपा लिया और आस्वस्त हो गयी. उसने कोई पाप नही किया था. वो करण से प्यार करती थी, और करण उससे. कम से कम वो तो ऐसा ही समझती थी.

ऋतु करण की गाड़ी में हॉस्टिल आई… वो रूम में घुसी तो पूजा उसे देखकर फॉरन चालू हो गयी.

“क्या करती हैं ऋतु.. मेरी तो जान ही सूख गयी थी..”

“ओह माइ डियर पूजा आराम से बैठो… तुम बेकार ही इतना नाराज़ थी”

ऋतु ने देखा कमरे के किनारे पड़ा हुआ एक छोटा सा केक, 2 कोल्ड्रींक्स, एक गुलाब का फूल और एक गिफ्ट. यह देखकर उसे पूजा की नाराज़गी समझ आई और उसके पास गयी…. पूजा ने दूसरी और मूह फेर लिया.

“सॉरी पूजा मुझे नही पता था तुम मेरा इंतेज़ार कर रही थी… और तुमने इतनी तैयारियाँ भी की थी.”

“कोई बात नही. कम से कम फोन तो उठा लेती.. सुबह जल्दबाज़ी में तुझे ठीक से विश भी नही कर पाई थी.”

“फोन साइलेंट पे था तो पता ही नही चला यार”

पूजा का प्यार देख के ऋतु की आँखें दबदबा गयी और उसने पूजा को गले लगा लिया.

“सॉरी पूजा मुझे माफ़ कर दो. मैने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया हैं”

“कोई बात नही पगली… चल अपना केक तो काट ले”

तभी पूजा की नज़रें पड़ी ऋतु की गर्दन पे जिसपे कल रात करण ने जी भर के चूमा था. ऋतु के गले पे हिक्केयस बन गये थे.. एक नही 3-4 और एक दो जगह दाँतों के निशान भी थे.

“यह तुम्हारी गर्दन पर निशान कैसे ऋतु”

“निशान कैसे निशान .. कुछ भी तो नही हैं” यह कहते हुए ऋतु ने दुपट्टा गले पे लप्पेट लिया. पूजा ने दुपट्टा हटाया और बारीकी से मुआीना किया निशानो का और समझ गयी.

“ऋतु… सच सच बता तू कल कहाँ थी” उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी

“बताया तो एक फ्रेंड के घर पे थी”

“और यह निशान भी तुम्हारे फ्रेंड की बदौलत होंगे”

ऋतु चुप रही

“बोल ऋतु बोलती क्यू नही”

“पूजा तुम कुछ ज़्यादा ही सोचती हो. प्लीज़ माइंड युवर ओन बिज़्नेस.” ऋतु को यह बोलते हुए ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ लेकिन तीर कमान से चूत चुक्का था और पूजा को घायल कर चुक्का था.

“ठीक कह रही हो ऋतु… मुझे क्या मतलब तुम रात को कहाँ जाती होई क्या करती हो… अंकल आंटी ने जब मुझे फोन पे कहा था की हमारी ऋतु का ख़याल रखना तो मुझे उन्हे तभी मना कर देना चाहिए थे. तुम बालिग हो, समझदार हो, अपने फ़ैसले खुद लेने की अकल हैं तुम में. ”

“सॉरी पूजा मेरा वो मतलब नही था”

“तो क्या मतलब था ऋतु. देख मुझे सब सच सच बता दे… क्या हुआ तेरे साथ.. कहाँ थी तू कल… क्सिके साथ थी??”

ऋतु ने सब कुछ सच सच पूजा को बता दिया. पूजा की आँखे फटी की फटी रह गयी.

“यह तूने क्या किया ऋतु. यह तूने क्या किया. क्या तू नही जानती की यह रईसजादे किसी से सच्चा प्यार नही करते. इनके लिए लड़कियाँ बस वासना की आग बुझाने का ज़रिया हैं. यह वादे तो बड़े बड़े करते हैं… प्यार के झूठे सपने दिखाते हैं…. भविष्या के सब्ज़ बाघ दिखाते हैं और कुछ ही दीनो में जब इनका मन भर जाता हैं एक लड़की से तो उसे इस्तेमाल की हुई चीज़ की तरह फेंक के दूसरी की और चले जाते हैं.”

“नही पूजा करण ऐसा नही हैं… वो मुझसे प्यार करता हैं”

“प्यार… अर्रे ऋतु प्यार नही… वो तेरे साथ बस सोना चाहता हैं”

“ऐसा नही हैं.. तुम बेवजह ही शक़ करती हो.”

“ऐसा नही हैं तो बोलो उसको की वो तुम्हे अपने पेरेंट्स से मिलवाए और तुम्हारे पेरेंट्स से जाकर तुम्हारा हाथ माँगे”

“ज़रूर करेगा वो मेरे लिए यह”

“मुझे समझ नही आ रहा की तेरी नादानी पे हसु या रोऊँ ऋतु… तू इतनी भोली हैं की उसकी चिकनी चुपड़ी बातों को सच समझ के उनपे यकीन कर बैठी और उस कामीने के चंगुल में फस गयी”

“पूजा. ज़ुबान संझल के बात करो करण के बारे में….. गाली गलोच करना ठीक नही”

“अच्छा गाली गलोच करना ठीक नही.. और जो तू करके आई हैं वो ठीक हैं… शादी से पहले पराए मर्द के साथ सोते हुए तुझे बिल्कुल शरम नही आई.”

“बस बहुत हुआ पूजा.. मैं बच्ची नही हूँ… मुझे अच्छे बुरे की तमीज़ हैं”

“ऋतु तुझे मेरी बातें उस दिन ध्यान आएँगेंगी जब वो तुझे अपना असली रंग दिखाएगा”

“बस पूजा दिस ईज़ दा लिमिट. मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती. गाड़ी बाहर वेट कर रही हैं मैं बस अपना समान लेने आई हूँ. मैं गुरगाओं में एक फ्लॅट में मूव कर रही हूँ. तुमने मेरे किए जोभी ही किया हैं आजतक उसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी शुक्रगुज़ार रहूंगी”

“यह क्या कह रही हो ऋतु… तुम शादी से पहले कैसे रह सकती हो उसके साथ”
“मैं वहाँ अकेले रहूंगी”

ऋतु ने समान बँधा और वहाँ से चल पड़ी. हॉस्टिल से बाहर आती ऋतु के हाथ से ड्राइवर ने सूटकेस लेकर गाड़ी की डिकी में डाल दिया. गाड़ी चल पड़ी स्वाती वर्किंग विमन’स हॉस्टिल से गुड़गाँव की उस हाइराइज़ बिल्डिंग कार्लटन एस्टेट की तरफ जहाँ 25थ फ्लोर पे ऋतु का नया फ्लॅट था.

ऋतु ने फ्लॅट में अपना सामान सेट कर दिया…. वो बहुत एग्ज़ाइटेड थी इस फ्लॅट में रहने में… एक तो फ्लॅट बहुत आलीशान था और दूसरे वो पहली बार इस तरहग अकेले रह रही थी… ऋतु किचन में गयी और देखा की किचन में खाने पीने की बहुत चीज़ें थी.. फ्रिड्ज में फल सब्ज़ियों से भरा हुआ था.. ऋतु ने अपने लिए लंच में थोड़ी सी खिचड़ी बनाई और सो गयी.. शाम को उसकी नींद खुली जब बेल बाजी. दरवाज़ा खोला तो बाहर करण था. वो अंदर आया और ऋतु से बोला

“फटाफट रेडी हो जाओ हुमको बाहर जाना हैं मार्केट तक”

“कुछ लेना हैं क्या?”

“हां कुछ चीज़ें लेनी हैं”

“मैं अभी तैयार होके आई”

ऋतु और करण निकल पड़े गुड़गाँवा में उद्योग विहार फेज़ 4 की तरफ जहाँ था सफ़दरजंग ह्युंडई का शोरुम. ऋतु को लगा की शायद करण को यहाँ काम होगा. कारण अंदर गया ही था की वहाँ का मॅनेजर आ गया.

“अर्रे करण साहिब आइए आइए वेलकम तो सफ़दरजंग ह्युंडई. कॅन आइ हेल्प यू सर?”

“मिस्टर बक्शी एक कार लेनी हैं ह्युंडई आइ10”

“ओक सर दिस वे प्लीज़ … कलर चूज़ कर लीजिए.. मॉडेल तो हमेशा की तरफ सबसे बेस्ट ही होगा. ”

“जी हां टॉप मॉडेल”

करण ऋतु की तरफ मुड़ा और प्यार से बोला. चलो अपना फेवोवरिट कलर चूज़ कर लो इन कार्स में से.

“मुझे गाड़ी नही चाहिए करण.”

“देखो ऋतु.. मैं तो चाहता हूँ कि तुम हमेशा मेरे साथ मेरी गाड़ी में ही घूमो लेकिन तुम्हे पता हैं की ऑफीस में लोग बातें करेंगे”

“हां लेकिन मैं गाड़ी का क्या करूँगी.”

“तुम घर से ऑफीस जाना और ऑफीस से घर और थोड़ा वक़्त हो तो हूमें भी घुमा देना अपनी गाड़ी में”

“लेकिन करण इस सब की क्या ज़रूरत हैं”

“अब बातें बंद करो और जल्दी से कलर चूज़ करो.”

ऋतु ने कलर चूज़ किया ‘ब्लशिंग रेड’. करण ने 1 लाख रुपये डाउन पेमेंट करवा दी और बाकी का पैसा एमी से देना तय हुआ. दोनो वहाँ से निकले और सीधा गये आंबियेन्स माल में. यहाँ उन्होने अनेक चीज़ों की शॉपिंग की, ऋतु के लिए. कपड़े, ज्यूयलरी, वॉचस, शू एक्सट्रा एक्सट्रा .

शॉपिंग करते करते रात हो गयी और दोनो ने एक शानदार रेस्टोरेंट में डिन्नर किया और फिर वापस आ गये फ्लॅट पे. वापस आके करण ने ऋतु को खीच कर अपने पास बिठा लिया सोफे पे और चालू हो गया. पहले उसके हाथ ऋतु के पूरे शरीर पे दौड़ने लगे और वो उसे चूमने लगा… कुछ देर तो ऋतु ने उसका साथ दिया… लेकिन

ऋतु के दिमाग़ में पूजा द्वारा कही गयी बात घर कर गयी थी – की करण उसे इस्तेमाल करके छोड़ देगा.

वो अपने सेल्फ़ डाउट में इतनी इन्वॉल्व्ड हो गयी की करण को लगा जैसे वो एक प्लास्टिक की गुड़िया के साथ हैं… उसने ऋतु से पूछा

“क्या हुआ डार्लिंग.. तुम्हारा ध्यान कहाँ हैं… क्या बात हैं”

“करण मैं एक बात को लेके परेशान हूँ”

“क्या बात हैं बेबी”

“यही की हम जो यह सब कर रहे हैं क्या यह सही हैं”

“आ हैं मतलब”

“देखो करण तुम मेरे जीवन में पहले लड़के हो और मैं चाहती हूँ की मैं तुम्हारी ज़िंदगी में आखरी लड़की हू”

“ओह.. यह बात.. क्या तुम्हे लगता हैं की मैं तुम्हे धोखा दे रहा हूँ???”

“ऐसी बात नही हैं करण.. वो बस मैं इस बात को लेके चिंतित हूँ की हम दोनो एक दूसरे को चाहते तो हैं लेकिन इस बंधन में रिश्ते की मोहर नही हैं”

“रिश्ते की मोहर??? किस ज़माने की बात कर रही हो ऋतु. हम लोग 21स्ट्रीट सेंचुरी में हैं. कल के बारे में तो मैं नही कह सकता लेकिन मेरा आज तुम हो. आइ लव यू आंड यही मेरी आज की हक़ीकत हैं. क्या तुम मेरी इस बात पे यकीन कर सकती हो”

“ओफ़कौर्स करण”

“तो आओ… शो मी हाउ मच यू लव मी!!”

ऋतु उठी और एक शॉपिंग बॅग लेके अंदर बेडरूम में चली गयी.

“वेट फॉर मी. मैं अभी आई”

“ओके ऋतु”

करण उठा और सामने बार से एक बॉटल स्म्र्नॉफ की निकाली और दो ड्रिंक बनाने लगा. उसने वोड्का में लाइम कॉर्डियल डाला और किचन से बर्फ और स्प्राइट की बॉटल ले आया. उसने जाम बनाए ही थे की ऋतु बेडरूम से निकल के छुपते छुपाते आई और आके उसने ड्रॉयिंग रूम की सभी लाइट्स बंद कर दी… अब ड्रॉयिंग रूम में सिर्फ़ किचन से आती हुई रोशनी आ रही थी.

करण अपना ग्लास लेके सोफे पे बैठ गया. तभी ऋतु ने रिमोट का एक बटन दबाया और म्यूज़िक प्लेयर पे एक सेक्सी सा रोमॅंटिक इन्स्ट्रुमेंटल म्यूज़िक बजने लगा. ऋतु ने दीवार के पीछे से एक टाँग बाहर निकली… टाँग पे कोई कपड़ा ना था… उसने ब्लॅक हाइ हील सॅंडल्ज़ पहने हुए थे विद रोमन स्ट्रॅप्स.

टाँग के बाद ऋतु ने अपना हाथ निकाला और उस हाथ पे भी कोई कपड़ा ना था बस एक घड़ी थी केनेत कोले की. धीरे धीरे उसका बाकी शरीर बाहर आया… कम रोशनी की वजह से ऋतु पूरी तरह से सॉफ सॉफ दिख तो नही रही थी लेकिन इसके बदन पर कुछ ख़ास कपड़े नही थे.

शाम को ही ऋतु और करण ने जो लाइनाये शॉपिंग की थी उसमें से एक सेक्सी सी ब्लॅक बोलोर की थॉंग पॅंटी और लेसी पुश अप ब्रा पहन कर ऋतु आई थी. ऋतु ने आँखें बंद की और उस म्यूज़िक की धुन पर हल्के हल्के हिलने लगी. करण का ड्रिंक उसके हाथ में ज़्यु का त्यु पड़ा था .. उसने उसमे से एक सीप भी नही लिया था. वो तो जैसे इस दृश्या को देख के असचर्यचकित रह गया था… उसका मूह खुला था… एक हाथ में वोड्का का ग्लास और दूसरे हाथ से वो अपना लंड सहला रहा था

ऋतु अपनी ही धुन में थी… करण को कम रोशनी में कुछ दिखाई नही दे रहा था.. वो उठा और जाकर लाइट ओन कर दी. लाइट ओन होते ही ऋतु जो की किसी और ही दुनिया में पहुच चुकी थी एक्दुम से सकते में आ गयी… और वापस बेडरूम की और भागी… लेकिन करण ने उसे पकड़ लिया… उसे वापस ड्रॉयिंग रूम में लेके आया और उसके साथ धीरे से म्यूज़िक पे इंटिमेट डॅन्स करने लगा.

ऋतु का राइट हाथ करण के लेफ्ट हॅंड में था और उसका लेफ्ट हॅंड करण के कंधे पे. करण का राइट हॅंड ऋतु की कमर में था और दोनो स्लो डॅन्स करने लगे. करण का हाथ ऋतु की कमर से सरक कर उसके अस्स पर गया. ऋतु ने जो थिंग पहनी थी उसकी पीछे का स्ट्रॅप इतना पतला था की उसकी अस्स क्रॅक में घुस चुक्का था. देखने वालो को शायद कहीं से देखके मिलता भी नही की वो स्ट्रॅप हैं कहाँ. करण उसके अस्स पर हाथ लगातार फिराए जा रहा था और गान्ड की दीवार को भी उंगली से नाप रहा था.

उधर ऋतु का हाथ करण के कंधे से सरक के उसकी छाती पर आ गया था और वो शर्ट के उपर से ही करण के निपल्स से खेलने लगी. करण के निपल्स ऋतु की तुलना में थे तो बहुत छोटे लेकिन सेन्सिटिव तो थे. ऋतु का हाथ थोड़ी देर निपल्स से खेलने के बाद नीचे करण के लंड पे चला गया.

करण का लंड पहले ही सेमी एरेक्ट था लेकिन अब पुर ज़ोर पे था. वो खुद अब तक ऋतु की गान्ड से ही खेल रहा था… उसने उसके अस्स के क्रॅक में से स्ट्रॅप निकाल के साइड में खींच दिया था और उस दरार में अपना हाथ उपर नीचे करे जा रहा था. उसने गान्ड के छेद के उपर ले जाकर अपनी उंगली टिकाई और उससे खेलने लगा… उंगली टिकाते की ऋतु थरथरा सी गयी..

आज करण के हाथ ऋतु की चूत से दूर बस उसकी गान्ड पे ही टीके हुए थे… 2 बार तो ऋतु की चूत में वो अपना लंड पेल चुक्का था… अब उसका ध्यान कहीं और था… जी हां आज वो ऋतु की गान्ड मारने के मूड में था.


करण ने एक हाथ से ऋतु के ब्रा का स्ट्रॅप उसके कंधे से उतार दिया.. दूसरे कंधे से भी उसने स्टरपनीचे कर दिया…. वैसे भी वो ब्लॅक लेसी ब्रा ऋतु के बूब्स को संभाल नही पा रही थी… उसके मम्मे जैसे ब्रा के कप्स से छलकने को तैयार थे…. धीरे से करण ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए पीछे से.

ब्रा सरक के नीचे फर्श पर गिर गयी. ऋतु ने उसे पैर से सरका के साइड कर दिया … दोनो अभी भी डॅन्स की मुद्रा में थे … अब करण ने उसकी थॉंग्ज़ को कमर की दोनो तरफ से पकड़ा और नीचे कर दिया… और नीचे जाते जाते उसकी नाभि को चूमने लगा… ऋतु ने उसका मूह अपने पेट में दबा लिया… उसके बूब्स करण के सर उपर जाके टिक गये. और वो उनसे हल्का हल्का दबाव उसके सर पर बनाने लगी… इतनी अच्छी हेड मसाज शायद ही आज तक किसी को मिली हो

करण उपर आया तो ऋतु ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए… शर्ट उतारने के बाद ऋतु के हाथ अब उसकी जीन्स के बटन पे थे… जीन्स के साथ ही उसने करण का बॉक्सर्स भी नीचे कर दिया…

अंडरवेर से फ्री होते ही उसका लंड टान्न्न करके करके सामने था… तभी करण ने नीचे पड़ी जीन्स की जेब से एक छोटी सी ट्यूब निकाली. जेल्ली की. ऋतु समझ ही नही पाई की यह हैं क्या.

“यह क्या हैं करण”

“बेबी दिस ईज़ जेल्ली या ल्यूब्रिकेशन”

“लेकिन इसकी क्या ज़रूरत हैं.. तुम्हारा हाथ लगते ही मैं तो वैसे ही लूब्रिकेटेड हो जाती हूँ”

“आज ज़रूरत पड़ेगी जान… देखते जाओ.”

करण ने ऋतु को डाइनिंग टेबल के पास ले गया… उसने एक हाथ से डाइनिंग टेबल पर पड़ी फ्रूट ट्रे को सरका के गिरा दिया… नीचे फर्श पर सेब बिखर गये. करण ने ऋतु को उठा के डाइनिंग टेबल पे इस तरह लिटा दिया की ऋतु का बाकी शरीर डाइनिंग टेबल पे था और उसकी गान्ड टेबल से बाहर लटक रही थी… उसकी टाँगो को करण ने अपने कंधे पे उठा रखा था.

करण की एकटक नज़र ऋतु की गान्ड पे थी.. वो आज उसकी चूत की तरफ देख भी नही रहा था. उसने सोच रखा था की आज वो ऋतु के इस छेद को भी नही छोड़ेगा. उसने जेल्ली की ट्यूब का ढक्कन खोला और उसे दबाया. जेल्ली को अपने हाथ में लेके उसने अच्छे से अपने लंड पे लगाया. उसे जेल्ली में आछे से कोट कर दिया. उसने ट्यूब फिर से दबा के और जेल्ली निकाली और ऋतु के गान्ड के छेद पे लगा दी… उसकी उंगलियाँ तो पहले से ही जेल्ली से सनी हुई थी. उसने धीरे से एक उंगली छेद के सिरे पे टीका दी और अंदर घुसाने के लिए हल्का सा ज़ोर लगाया. उंगली फटाक से अंदर घुस गयी,..

“ऊई मा… यह क्या कर रहे हो करण”

“जेल वाली उंगली डाल रहा हूँ… क्या हुआ”

“लेकिन यह कहाँ डाल रहे हो बाबा…ठीक से डालो आगे”

“आगे नही … यह तो यहीं जाएगी…”

इतनी देर में करण अपनी उंगली से जेल की अछी ख़ासी मात्रा ऋतु की गान्ड में डाल चुक्का था. उसने अपने कड़क लंड को पकड़ा और छेद पे टीका दिया अपना सूपड़ा. एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड गान्ड के अंदर…

“करण यह क्या हैं… प्लीज़ निकालो इसे… यह मत करो… दर्द हो रहा हैं”

“ओह कमऑन ऋतु… ट्राइ टू रिलॅक्स”

“नही नही यह सब क्या कर रहे हो”

“क्या कर रहा हूँ… कुछ भी तो नही… यह तो आजकल कामन चीज़ हैं” करण अब लंड आगे पीछे करने लगा था

“आआअहह ……नही नही यह ठीक नही… प्लीज़ निकालो… दर्द हो रहा हैं…यह तो अन्नॅचुरल हैं” ऋतु को दर्द हो रहा था…. वो रिलॅक्स नही कर रही थी और इसी की वजह से दर्द और बढ़ रहा था

“अन नॅचुरल क्या होता हैं… ” करण लगातार चालू था

“आआआहह ओओओओईईईई माआआआ करण प्लीज़.”

“ऋतु प्लीज़ … ट्राइ टू रिलॅक्स…2 मिनट रूको… अभी सब ठीक हो जाएगा और तुम्हे इसमे चूत से ज़्यादा मज़ा आएगा.”


करण ने ऋतु की चूत पर भी हाथ फेरना शुरू किया ताकि उसका ध्यान बट जाए.
“ऋतु ट्राइ टू रिलॅक्स… प्लीज़ गान्ड को ढीला छोड़ो… जितना टाइट करोगी उतना दर्द होगा”

ऋतु ने रिलॅक्स किया और दर्द में कमी महसूस की… उसने सोचा थोडा और रिलॅक्स करती हूँ गान्ड को…

करण चालू था फुल फ्लो में लगा हुआ था. उसे तो गान्ड मारने में ही मज़ा आता था… गान्ड में जो टाइटनेस मिलती थी वो उसे ऋतु की टाइट चूत में भी नही मिलती थी….

ऋतु अब तक पूरी तरह रिलॅक्स कर चुकी थी… हल्का हल्का दर्द हो रहा था और उसे मज़ा आने लगा था… उसकी टांगे करण के कंधे पर थी… करण का लंड ऋतु की गान्ड में… राइट हॅंड का अंगूठा चूत के अंदर और इंडेक्स फिंगर क्लिट पे था….उसका दूसरा हाथ ऋतु के बूब्स को मसल रहा था… वो ऋतु की टाँगें चूमने लगा जो की उसके कंधे पे थी… ऋतु इन अनेक पायंट्स से आ रहे प्लेषर को महसूस कर रही थी. उसकी चूत के मुसल्सल पानी छोढ़ रहे थे… उसे पता चल रहा था की गान्ड मरवाने में तो चूत मरवाने से भी ज़्यादा मज़ा हैं

कारण पिछले 15 मिनिट से ऋतु की गान्ड मार रहा था… अब उसका ऑर्गॅज़म भी होने को था… करण ने झड़ने से पहले लंड बाहर निकाल लिया. उसने अपने लेफ्ट हाथ से ऋतु की बाँह पकड़ी और उसे डाइनिंग टेबल से उतार दिया… ऋतु अपने पैरों पे खड़ी हो गयी…. करण दूसरे हाथ से लंड को हिला रहा था. उसने ऋतु के कंधे पे ज़ोर लगाया और उसे नीचे धकेल दिया… ऋतु अब अपने घुटनो पे आ गयी थी…

“यह क्या कर रहे हो करण??”

“नीचे बैठो… मूह खोलो अपना…”

“क्या.. मु खोलूं.. लेकिन क्यू??”

“सवाल मत करो… जैसा ..मैं बोलता हू ….वैसा ही करो.” करण रुक रुक कर बोल रहा था.,. जैसे की उसकी साँस अटक रही हो.

ऋतु नीचे बैठी और अपना मूह खोल लिया… जैसे ही उसने मूह खोला करण ने अपना लंड उसके मूह में दे दिया… ऋतु को लगा की करण उससे लंड चुसवाना चाहता हैं… ऋतु ने लंड मूह में लिया लेकिन लंड का टेस्ट बहुत बुरा लगा.. आख़िर उसकी गान्ड में था अब तक वो लंड… उसके लंड मूह से बाहर निकालने की कोशिश की… लेकिन

करण ने उसे ऐसा ना करने दिया… उसने ऋतु के सर के पीछे हाथ रखकर दबा दिया ताकि वो लंड को मूह से बाहर ना निकाल पाए. वो लंड को और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा…. उसकी आँखें बंद हो रही थी… ऋतु के सर के पीछे उसका दबाव अभी भी था…

ऋतु लाख कोशिश करने के बाद भी लंड को मूह से निकाल नही पा रही थी… लंड उसके गले तक पहुच चुक्का था और ऋतु को चोक कर रहा था… ऋतु को यह बहुत ही गंदा लग रहा था… वो लंड उसकी गान्ड में था अब तक और ऋतु को इस ख़याल से घिंन आ रही थी. ऋतु की आँखो से आँसू निकल रहे थे.. वो खांस रही थी और लगातार कुछ बोल रही थी लेकिन वो क्या बोल रही थी वो सॉफ नही था क्यूकी उसके मूह में तो लंड था करण का.

आख़िर करण की सीमा का बाँध टूटा और उसने ज़ोर से वीर्य की एक फुहार ऋतु के मूह में उतार दी,, ऋतु को इस बात का एहसास हुआ और उसने वापस कोशिश की लंड को बाहर निकालने की लेकिन बेचारी सर के पीछे हाथ होने की वजह से ऐसा नही कर पाई… करण ने एक और फुहार ऋतु के मूह में डाल दी.. ऋतु के मूह में अब कारण का बिर्य था…. लंड क्यूंकी गले तक पहुच चुक्का था इसलिए ऋतु को चोकिंग हो रही थी… वो ना चाहते हुए भी उस वीर्य को घूट गयी…. करण ने आखरी वीर्य की धार ऋतु के मूह में छोड़ी और उसका भी वही हाल हुआ… वो भी ऋतु के गले से नीचे उतर गयी.

अब करण ने ऋतु के सर के पीछे से हाथ हटा लिया… ऋतु झट से लंड मूह से निकाल कर खड़ी हो गयी… उसकी आँखों में आँसू थे… उसने वो आँसू पोंछे और भाग कर बाथरूम में चली गयी… बाथरूम में जाकर उसने जल्दी से पानी से कुल्ला किया… उसने कुछ पानी मूह पे भी मारा. उसने वापस कुल्ला किया लेकिन उसके मूह में से करण के लंड, वीर्य और उसकी गान्ड का स्वाद जा ही नही रहा था.

ऋतु ने टूतपेस्ट खोली और ब्रश करने लगी… इसी उसे कुछ सुकून मिला… कुछ वीर्य छलक कर उसके बूब्स पर भी टपक गया था… उसने वो भी सॉफ किया. जब ऋतु बाथरूम से बाहर आई तो करण सोफे पे बैठ के अपना ड्रिंक पी रहा था. उसने दूसरा ड्रिंक ऋतु को ऑफर किया. ऋतु ने दूसरी और मूह फेर लिया. करण ड्रिंक लेके उसके पास आया और बोला

“आइ आम सॉरी ऋतु… ईलो यह ड्रिंक बनाया हैं तुम्हारे लिए”

“रहने दो .. आइ डॉन’ट नीड इट”

“आइ नो जो भी हुआ वाज़ ए बीट ऑक्वर्ड फॉर यू लेकिन इट्स ऑल नॉर्मल यार”

“करण तुमने अपना सीमेन मेरे मूह में डाला और मुझे मजबूरन वो पीला दिया.”

“ऋतु इट्स कंप्लीट्ली हार्मलेस.. उससे कुछ नही होता… देखो तुम इन सब बातों के बारे में ज़्यादा मत सोचो.. मैने सॉरी कहा ना… चलो अब मान भी जाओ… प्लीज़”

ऋतु अंत में मान ही गयी… दोनो ने अपने ड्रिंक वहीं ड्रॉयिंग रूम मे ख़तम किए और बेडरूम मे जाकर सो गये… सोते हुए ऋतु का सर करण की छाती पे था और करण का हाथ ऋतु की पीठ पे… दोनो एक दूसरे से चिपके ही नींद की आगोश में चले गये.

मंडे को जब ऋतु ऑफीस पहुचि और अपनी गाड़ी पार्क की. गेट पे वॉचमन से लेके लीगल सेक्षन में बैठे रूपक शाह तक सभी उसको देख रहे थे. ओवर दा वीकेंड ऋतु में जो परिवर्तन हुए थे वो देख के सब अचंभित थे…. कहाँ वो कल की सलवार सूट पहनने वाली ऋतु जो हमेशा बॉल चोटी में बाँध के रखती थी और कहाँ आज ही यह नयी ऋतु.

खुले हुए काले चमचमाते बाल. एक वाइट कलर का टाइट टॉप.. नी लेंग्थ की फिगर हगिंग ब्लॅक स्कर्ट… ब्लॅक कलर की स्टॉकिंग्स आंड ब्लॅक हाइ हील्स. गले में एक सिंपल सी चैन जो की बहुत ही कंटेंपोररी डिज़ाइन की थी और कानो में बड़े बड़े हूप्स. जिसकी नज़र एक बार इस हुस्न की देवी पर पड़ पड़ती वोही इसके हुस्न का दीवाना हो जाता. ऋतु को सब कुछ थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन वो कॉन्फिडेंट थी की वो इस सब को संभाल लेगी…. वेकेंड पे हुई चुदाई ने उसमे जैसे एक नया आत्मविश्वास जगा दिया था. वो अपने हुस्न के प्रति जागरूक हो गयी थी. उसे पता था की वो आकर्षक हैं… तभी तो करण जैसा हॅंडसम लड़का उससे प्यार करता था.

ऋतु जाके अपने कॅबिन में बैठी और उसने अपना कंप्यूटर ऑन किया. तभी वहाँ रूपक शाह आ गया. रूपक जो की लीगल आड्वाइज़र था ग्ल्फ कंपनी में.

“हेलो ऋतु… नया फ्लॅट मुबारक हो… कोई तकलीफ़ तो नही हैं ना वहाँ”
ऋतु थोड़ी चौंक गयी की इसे कैसे पता.“जी शुक्रिया.. आप यह कैसे जानते हैं की मैं नये फ्लॅट में मूव कर गयी हूँ?”

“लो कर लो बात… मैने ही तो सुबह सुबह उठ के वो लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवाया था आपके लिए और करण साहब को दिया था आके वहाँ फ्लॅट पे. आप दिखी नही वहाँ… शायद अंदर किसी बेडरूम में थी”. रूपक ऋतु से जानबूझकर ऐसी बातें कर रहा था की वो अनकंफर्टबल हो जाए. उसको इसमे बहुत मज़ा आ रहा था… लड़कियों की बेबसी में उसे जो ठंडक मिलती थी वो पूरे ऑफीस को पता था. किसी भी लड़की के चेहरे की और देखकर वो बात नही करता था. हमेशा चेहरे से कुछ नीचे लड़कियों के बूब्स को घूरता था… अगर कोई लड़की सामने से गुज़र जाए तो मूड मूड के उसकी गान्ड को देखता था. और एक घिनोनी आदत थी उसमे. घड़ी घड़ी उसके लंड में खुजली होती थी. पेनाइल इचिंग की इस प्राब्लम के कारण ऑफीस में उसका नाम खुजली पड़ गया था.

ऋतु रूपक की बातें सुनकर एंबॅरास्ड हो गयी.

“रूपक जी मुझे बहुत काम हैं…”

“अजी अब आपको काम करने की क्या ज़रूरत हैं… आपका काम तो अब दूसरे करेंगे.”

और रूपक ने अपने हाथ को लंड पे ले जाके खुज़ाया, “आप कहें तो मैं आपका काम कर दूं.”

ऋतु उसकी डबल मीनिंग वाली बातों से गुस्सा हो गयी और उसने मूह फेर लिया… रूपक ने ऋतु को एक घिनोनी सी मुस्कुराहट दी और चला गया अपने कॅबिन में. रूपक वहाँ से निकला और अपने कॅबिन में बने अटॅच्ड टाय्लेट में जाकर मूठ मारने लगा. ऑफीस में मूठ मारना उसका रोज़ का काम था..

आज ऋतु के नाम पे मार रहा था तो कभी ऑफीस की रिसेप्षनिस्ट तो कभी क्लाइंट्स. 40 साल का रूपक यूँ तो शादी शुदा था लेकिन उसकी शादी हुई थी 35 साल की उमर में… उसके गाओं की एक ग़रीब लड़की से. वो लड़की शादी की समय 18 साल की थी और रूपक 35 का … लगभग उससे दुगनी एज. शादी के दिन से आज तक एक भी दिन ऐसा नही गया था जब रूपक ने अपनी बीवी की ना ली हो. वो बेचारी सुहाग्रात पे ना जाने कितने सपने सॅंजो के बैठी थी बेड पे और रूपक दारू के नशे में चूर अंदर आया .. कुछ बोले बिना सीधे उसके कपड़े उतारे और चढ़ गया. बेचारी 18 साल की कुँवारी लड़की की चीखें निकल गयी ऐसे चोदा रूपक ने.

रूपक मूठ मारकर बाहर अपने कॅबिन में बैठ गया और ऋतु के बारे में सोचने लगा. उसके सर पर तो अब सिर्फ़ ऋतु सवार थी. लेकिन वो यह चाहता था की उसके लंड पे भी ऋतु सवार हो. दोस्तो क्या अपने रूपक की ये तमन्ना पूरी हुई और क्या करण सच मैं ऋतु से प्यार करता था या ये सब वो ऋतु के शरीर से सिफ खेलने लिए कर रहा था ये सब जानने के लिए पढ़िए रूम सर्विस पार्ट -4
आपका दोस्त
राज शर्मा

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