Friday, May 23, 2014

बदनाम रिश्ते-- हमारा छोटा सा परिवार--31

बदनाम रिश्ते--
 हमारा छोटा सा परिवार--31

 अक्कू और मैं थोड़ा घबराते हुए और धड़कते दिल से नीचे भोजन-कक्ष की दिशा में चल दिए। लेकिन कुछ ही क्षणों में हमारा घबराना

बिलकुल गायब हो गया। मम्मी और डैडी ने अत्यंत साधारण और व्यवहारिक रूप में रोज़ की तरह हमारे आगमन स्वीकार किया। डैडी

ने जिस कहानी से मम्मी हंस रहीं थी उसको हमें शुरू से सुनाना कर दिया। मम्मी ने खुद ही खाना पपरोसा। दोनों नौकर आदर से कुछ

दूर खड़े रहे।

हम दोनों और मम्मी एक बार फिर से, पापा की मज़ेदार कहानी पर फिर से हंस दिए। अक्कू और मैंने खूब जम कर खाना खाया।

"अरे अक्कू बेटा थोड़ा और लो ना। मुझे क्या पता था की तुम इतनी महनत करते हो ?" मम्मी ने अक्कू को चिढ़ाया और स्वयं सबसे

पहले हंस दीं।

"अरे निर्मू देवी, हम भी तो उतनी ही मेहनत करते हैं। आपने हमें तो कभी भी ऐसे दुलार नहीं दिया ?" डैडी ने बुरा सा मुंह बना कर

कहा।

"आप को तो कई सालों का अभ्यास है मेरे बेटा तो अभी शुरूआत कर रहा है न।" मम्मी ने प्यार से अक्कू के बालों को सहलाया। अक्कू

का सुंदर मुखड़ा शर्म से लाल हो गया था।

"मम्मी ," अक्कू ने शर्म से वज़न दे कर फुसफुसाया।

'मम्मी मैं भी तो मेहनत करती हूँ अक्कू के साथ, आपने मुझ पर तो कोई ध्यान नहीं दिया ?" मैंने हिम्मत दिखा कर मज़ाक में शामिल

होने का प्रयास किया।

मम्मी ने मुझे कस कर चूमा ,"मेरी नन्ही बिटिया, तुम पर तो मेरी जान न्यौछावर पर तुम्हारा ख्याल रखने की तो तुम्हारे पापा की

ज़िम्मेदारी है। "

मैं बिना सब समझे बच्चों की तरह खिल उठी।

अक्कू और मैं डैडी को कभी डैडी और कभी पापा कह कर सम्बोधित करते थे। पर मम्मी हमेशा उन्हें 'तुम्हारे पापा' कह कर सम्बोधित

करती थीं। कुछ देर बाद में हमें पता चला कि मम्मी को 'पापा' का सम्बोधन अधिक पसंद था।

मम्मी ने हम सबको भोजन-उपरांत के मिष्ठान परोसते हुए मुस्करा कर दोनों नौकरों को छुट्टी दे दी। दोनों ने नमस्ते कर जल्दी छुट्टी

मिलने की खुश में अपने निवास-स्थान की ओर चले गये। घर में काम करने वालों के निवास स्थान हमारे फ़ैली हुई जागीर पे हमारे

मुख्य आवास से कुछ ही दूर थे।

मम्मी ने अक्कू की कटोरी कई बार भरी, "अक्कू बेटा थोड़ा और खालो सिरफ मेहनय कराती है पर तुम्हारे खाने का ख्याल तो सिर्फ

मम्मी ही रखती है। "

मम्मी ने मेरी ओर मुस्करा कर मुझे किया कि वो सिर्फ अक्कू को चिड़ा रहीं है।

मुझे भी न जाने कहाँ से स्वतः साहस और आत्मविश्वास आ गया और मैं भी मम्मी की तरह बोलने लगी , " मम्मी अगर अक्कू ने मेहनत

भी की तो उसे मज़ा भी तो आया। नहीं अक्कू?' बेचारा अक्कू को समझ नहीं आये कि वो कहाँ देखे , "ठीख है मम्मी आप अपने लाडले

का ध्यान रखिये और मैं अपने पापा का ध्यान रखूँगी। मुझे पता है की आप उनसे कितना परिश्रम करवातीं हैं "

मम्मी का शर्म से लाल सुंदर मुखड़ा देख एके लीरा आत्मविश्वास और भी बढ़ गया।

मैंने मिष्ठान की कटोरी ले कर डैडी की गोद में बैठ गयी और उन्हें चमच्च से खिलने लगी।

डैडी ने मुझे अपनी बाँहों में भींच आकर हँसते हुए कहा , "सस्सहि. बिलकुल ठीक कह रही है निर्मू। कब आपने ने मुझे मेरी गॉड में बैठ

कर आखिरी बार खिलाया था ?'

पापा ने मेरे लाल गालों को चुम कर उन्हें और भी लाल कर दिया।

मम्मी ने अक्कू की ओर देख कर गर्व से कहा, "अक्कू बेटा चलो, हम दोनों जोड़ी बना लेते हैं। वो दोनों पापा-बेटी को जो वो चाहें करें

!"

अक्कू का सीना फूल कर चौड़ा हो गया, जैसे ही मम्मी उसकी गोद में बैठ गयीं। उसने पुअर से अपनी मम्मी के कमर के चारों ओर दाल

दीं।

मैं और मम्मी पापा और अक्कू मिष्ठान खिलाने लगे।

"अक्की बेटा देखो तो मुझे मैं कितनी बुद्धू मम्मी हूँ ? मेरे प्यारे बेटे को खाने की सारी मेहनत करनी पड़ रही है ," मम्मे ने नाटकीय

अंदाज़ में माथे पर हाथ मार कर कहा।

मम्मी ने भरी चम्मच को अपने मुंह में डाल कर मिष्ठान को प्यार से चबाया और फिर अपना मुंह अक्कू के मुंह के ऊपर लगा दिया।

अक्कू की बाहें मम्मी की गुदाज़ गोल भरी-भरी गदराई कमर पर और भी कस गयीं। अक्कू का मुंह स्वतः ही खुल गया और मम्मी के

मुंह से चबाया हुआ मिष्ठान अक्कू के मुंह में फिसल गया।

मुझे न जाने क्यों एक अचेतन, ज्ञानरहित ईर्ष्या होने लगी।

मैंने भी पापा की आँखों में देखा और उन्होंने मुस्करा कर मुझे बढ़ावा दिया।

"पापा आप फ़िक्र नहीं कीजिये। मम्मी मेहनत आपसे करातीं हैं और ख्याल छोटू भैया अक्कू का रखतीं हैं। आज से मैं आपकी सेहत का

ख्याल रखूंगीं ," मैं ज़ोर से बोल कर मम्मी की तरह पपा को अपने मुंह में से चबाये मिष्ठान को डैडी के मुंह में भरने लगी।

डैडी ने मेरे सर को सहला कर मम्मी और अक्कू को चिढ़ाया , "भई निर्मू, सुशी के मुंह से तुम्हारे मिष्ठान और भी मीठे हो गयी। मेरा

ख्याल है कि चीनी की बजाय मैं तो सुशी के मुंह की मिठास मेरी पसंद की है। "

अक्कू ने मम्मी की तरफदारी की , 'मम्मी आप उन दोनों की तरफ ध्यान नहीं दीजिये। आपके मुंह से तो नमक भी शहद से मीठा लगेगा। "

अक्कू की इतनी प्यार भरी बात से मम्मी की सुबकाई निकल गयी और उन्होंने अक्कू को अपने बाँहों में भर कर पागलों की तरह चूमने लगीं।

मेरी और डैडी की आँखे भी भीग उठीं।

डैडी ने ऊंची आवाज़ में कहा , "निर्मू, तुम बच्चों को बताओगी या मैं बताऊँ ?"

मम्मी ने गीली आखों को झुका कर उन्हें ही बोलने का संकेत दिया।

"मम्मी और मैंने यह निर्णय लिया है कि तुम दोनों की अम …… काम-शिक्षा की ज़िम्मेदारी हमारी है। यदि तुम दोनों को स्वीकार हो तो तुम

दोनों हमारे शयन-कक्ष में आ जायो। "

अक्कू और मैं किलकारी मार कर मम्मी और डैडी को चूमने लगे।

"पापा, सारी रात के लिये ?" मैंने अपनी उत्साह और लगाव से पूरी फ़ैली बड़ी-बड़ी आँखों से डैडी को देख कर पूछा।

"न केवल सारी रात के लिए पर जब तक तुम दोनों का मन न भर जाए तब तक ," डैडी ने मुझे अपने से भींच कर चूमा।

"चलो, पापा और मैं तुम दोनों का शयन कक्ष में इंतज़ार कर रहे हैं," मम्मी ने अक्कू को गीली आँखों से चूमा , "कपड़े इच्छानुसार। पहनों

या नहीं तुम दोनों की इच्छा पर निर्भर है। "

हम दोनों भाग लिए अपने कमरे की तरफ।

उस दिन मम्मी हमें धीमे जाने के नहीं चिल्लायीं।



 अक्कू और मैं जल्दी से अपने कमरे में जाकर अपने कपड़े उतरने लगे। मैंने रोज़ की तरह अक्कू की टीशर्ट पहन ली जो मेरी जांघों तक

जाती थी।

अक्कू ने अपने रोज़ की तरह नाड़े वाला शॉर्ट्स पहन लिए। अक्कू को मुझसे अपने निककर का नाड़ा खुलवाना बहुत अच्छा लगता था। उसी

तरह मुझे अक्कू का मेरी टीशर्ट के नीचे हाथ डाल कर मेरी चूचियों को रगड़ना मेरी सिसकारी निकल देता था।

हम दोनों भागते हुए मम्मी और पापा के शयनकक्ष पहुँच गए ।

मम्मी और पापा बिस्तर पर पूर्णतया नग्न हो कर बिस्तर के सिरहाने से कमर लगा कर इंतज़ार कर रहे थे।

मम्मी ने अपनी बहन फैला कर बिना कुछ बोले अक्कू को न्यौता दिया। अक्कू भाग कर मम्मी के बाँहों में समा गया। मैं भी पापा की

मुस्कुराहट से प्रोत्साहित हो कर उनकी गोद में उछल कर चढ़ गयी।

तब मेरा ध्यान पापा के विकराल लंड पर गया और मेरी तो जान ही निकल गयी। पापा का लंड अक्कू से दुगुना लम्बा और उतने से भी

ज़्यादा मोटा था। मुझे क्या पता था की अक्कू जब पूरा विकसित हो जाएगा तो वो पापा से भी एक-दो इंच आगे बढ़ जाएगा।

पापा ने मुझे अपनी जांघों के ऊपर बिठा लिया। मेरी टीशर्ट मेरे चूतड़ों के ऊपर तक उठ गयी। मेरी चूत के कोमल भगोष्ठ पापा के

घुंघराले झांटों से चुभ रहे थे। पर मुझे वो चुभन अत्यंत आनंदायी लगी।

मम्मी ने अक्कू के खुशी से मुस्कराते मुंह के ऊपर अपना मीठा मुंह रख दिया और उनकी गुदाज़ बाहें अक्कू के गले का हार बन गयीं।

दोनों की जीभ एक दुसरे के मुंह की मिठास को तलाशने और चखने लगीं।

पापा के हाथ हलके से मेरी टीशर्ट के नीचे सरक गए। पापा ने मेरे गोल पेट को सहलाते हुए मेरी नाभी को अपने तर्जनी से कुरेदा। इस बार

मुझे गुलगुली होने की बजाय एक सिहरन मेरे शरीर में दौड़ गयी। मैंने बिना जाने अपना शरीर पापा की चौड़ी बालों से भरे सीने पर दबा

दिया।

मम्मी ने प्यार से अक्कू को बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने उसके पूरे मुंह को होल-होल चूम कर अपने मादक होंठों से उसकी गर्दन की त्वचा

को सहलाया। अक्कू की तेज़-तेज़ चलने लगी।

मम्मी ने अपने कोमल मखमली हाथों की उँगलियों से अक्कू के सीने को गुलाब की पंखुड़ियों जैसे हलके स्पर्श से सहलाते हुए अपने होंठों से

और भी महीन चुम्बनों से भर दिया। मम्मी ने अक्कू के छोटे छोटे चूचुकों को अपने होंठों में भर कर पहले धीरे धीरे और फिर कस कर चूसा।

अक्कू की ज़ोर से सिसकारी गयी।

मैं अब समझ रही थी की मैंने कितना कुछ और कर सकती थी अपने अक्कू को और भी आनंद देने के लिए।

मम्मी ने अक्कू के पेट को भी उसी तरह प्यार सहलाया और चूमा। मम्मी ने अपने जीभ की नोक से अक्कू की नाभी को तक कुरेदा और

चाटा। अक्कू भी मेरी तरह हसने की बजाय सिसक उठा।

मम्मी ने बहुत ही धीरे धीरे अक्कू का नाड़ा खोल दिया। मम्मी ने उस से भी धीरे धीरे अक्कू के निक्कर को नीचे लगीं।

अक्कू ने अपने कूल्हे ऊपर उठा कर मम्मी के सहायता की।

मम्मी ने अक्कू का निक्कर इतने ध्यान और प्यार से उतारा मानो वो बहुत ही नाज़ुक और महत्वपूर्ण कार्य हो।

फिर मम्मी ने अक्कू के एक पैर अपने हाथों में लेकर उसे चूमा और उंसकी हर उंगली और अंगूठे को अपने मुंह में भर कर चूसा। अक्कू

बेचारे की सिसकियाँ अब रुक ही नहीं पा रहीं थीं।

मम्मी ने अक्कू के दोनों पैरों का मानों अभिनन्दन किया था। मम्मी के हलके चुम्बन और हल्का स्पर्श अब अक्कू की जांघों पर पहुँच

गया। अक्कू का गोरा झांट-विहीन लंड अक्कड कर खम्बे की तरह छत को छूने का प्रयास कर रहा था।

पापा के हाथ अब मेरी दोनों चूचियों के ऊपर थे। पर पापा ने अपनी विशाल हथेलियों से उन्हें धक कर होले होले सहलाने के सियाय कुछ

और नहीं किया। मेरा दिल कर रहा था कि पापा मेरी फड़कती चूचियों को कस कर मसल डालें।

मम्मी ने अपने सुंदर सुहावने शुष्ठु करकमलों से अक्कू के मनोहर लंड के प्रचंड तने हो हलके से सहलाया मानों मम्मी अक्कू के लंड की

आराधना कर रहीं हों।

अक्कू के चूतड़ उतावलेपन से बिस्तर से ऊपर उछल पड़े।

मम्मी अब अक्कू के लंड को श्रद्धालु भाव से सहलाते हुए अपने मीठे गुलाबी होंठो से उसके चिकने गोरे अंडकोष को चूमने लगीं। अक्कू

की ऊंची सिसकारी कमरे में गूँज उठी ," अआह मम्मी। "

अक्कू के मुंह से निकले वो पहले शब्द थे जब से हम मम्मी और पापा के कमरे में आये थे।

मम्मी ने उतने ही अनुराग से अक्कू के लम्बे मोटे खम्बे को चूमा जब तक उनके होंठ अक्कू के सुपाड़े पर पहुँच गए। मम्मी ने बड़ी निष्ठा से

अक्कू के सुपाड़े को ढकने वाली की गोरी त्वचा को नीचे खींच कर उसके मोटे गुलाबी सुपाड़े को अनेकों बार चुम लिया।

अक्कू का मुंह आनंद से लाल हो गया था।

मम्मी के होंठ एक बार फिर से अक्कू के लंड की जड़ पर पहुँच गए। इस बार मम्मी ने अपने जीभ से अक्कू के तन्नाये हुए लंड की रेशमी

गोरी त्वचा को उसके लंड की पूरी लम्बाई तक चाटा। अक्कू की सिस्कारियां किसी अनजान को उसके दर्द का गलत आभास दे देतीं।

मम्मी ने अपने जीभ की नोक से अक्कू के सुपाड़े के नीचे के गहरे खांचे को पूरे तरह से माप लिया।

फिर मम्मी ने अपने जीभ और भी बाहर निकाल के अक्कू के खून से अतिपुरित लगभग जामनी रंग के सुपाड़े को प्यार चाटा। मम्मी ने

कई बार अक्कू के सुपाड़े के ऊपर जीभ फैराई। अक्कू का सुपाड़ा अब मम्मी के मीठे थूक से नहा कर गिला गया था।

फिर मम्मी ने अक्कू की अनरोध करती आँखों में प्यार से झांक कर अपने सुंदर मुंह खोला और उसे अक्कू के सुपाड़े के ऊपर रख कर

अपने जीभ से उसके पेशाब के छेद को कुरेदने लगीं।

अक्कू ने आनंद और रोमांच के अतिरेक से भरी गुहार लगायी ,"ऊऊं आन्न्ह मम्मी। "

मम्मी ने प्यार भरे पर कामोत्तेजक नेत्रों से अपने जान से भी प्यारे बेटे के तरसने को निहारा। फिर माँ का दिल पिघल गया। और मम्मी ने

अक्कू के निवेदन और आग्रह को स्वीकार कर धीरे से उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में ले लिया।

अक्कू का सुंदर चेहरा कामना के आनंद से दमक उठा। अक्कू की सिसकारी ने मुझे भी रोमांचित कर दिया।

अब पापा के विशाल हाथ मेरी छोटे कटोरों जैसी चूचियों से भरे। थे पापा ने मेरी चूचियों को हौले हौले मसलना प्रारम्भ कर दिया। मैं स्वतः ही

अपनी चिकनी झांट-रहित छूट को पापा के विकराल स्पात के खम्बे जैसे सख्त पर रेशम से भी चिकने लंड के ऊपर रगड़ने लगी। पापा ने

मेरे दोनों चूचुकों को अपनी तर्जनी और अंगूठे के बीच में भींच कर मड़ोड़ते हुए कस कर मसल दिया। मैं हलके से चीख उठी पर और भी

बेसब्री से अपनी चूचियों को पापा के हाथों की और दबा दिया।





हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator