FUN-MAZA-MASTI
देखो मज़ाक मत समझना--1
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देखो मज़ाक मत समझना--1
मैं
आज आपको अपनी सच्ची बात बताने जा रही हूँ। मेरा नाम श्रद्धा है, मेरी उमर
35 साल है फिगर 35-24-36 है, रंग गोरा है, कद तकरीबन 5 फीट है। मैं
शादीशुदा हूँ, मेरे 3 बच्चे हैं, मेरे पति अक्सर टूर पर रहते हैं हमारी
सेक्स लाइफ बड़ी अच्छी है, वो बड़े खुले दिमाग़ के इंसान हैं और चुदाई में
तो उनका जवाब नहीं, अगर एक घंटे से कम में डिस्चार्ज हो जाते हैं तो मुझको
लगता है कि उनकी तबीयत सही नहीं है क्योंकि 2-3 घंटे तक करना उन के लिए
बड़ी बात नहीं है।
अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ। इस बात को पाँच साल हो रहे हैं।
मेरे पति के दोस्त का नाम आनन्द है, उनकी शादी हुए तकरीबन 8 साल हो गए थे। उनके 2 बच्चे हैं, बीवी भी खूबसूरत है, वो मुंबई में हमारे सामने वाली बिल्डिंग में रहते थे, इनके इतने अच्छे दोस्त हैं कि कोई भी इन दोनों की दोस्ती पर जले, काफ़ी रात तक दोनों बातें करते, शॉपिंग साथ करते। आनन्द की कपड़े की चोयस अच्छी होने की वजह से अक्सर अपनी पत्नी के लिए नाईटी और ब्रा वगैरा खरीदते तो मेरे लिए भी वैसी ही लेते। उससे आनन्द को मेरी फिगर का सही सही अंदाज़ा था।
आनन्द एक जीप कंपनी में हैं और काफ़ी मेहनत का काम करने की वजह से हैल्दी और काफ़ी मज़बूत हैं, ऊँचाई इतनी है कि मैं उनके बराबर खड़ी होती हूँ तो उनके सीने तक होती हूँ। जब भी मेरे पति टूर पर जाते तो वो ही मेरा ख्याल रखते हैं। आनन्द के घर वाले भी मेरा बहुत ख्याल रखते थे, कुल मिला कर सब लोग हमें एक ही खानदान के समझते थे।
मैं घर पर बहुत बोर हो जाया करती थी इसलिए जब मेरे पति टूर पर से आए तो मैंने कहा- मैं आपकी गैर मौजूदगी में बोर हो जाती हूँ तो उन्होंने आनन्द से कहा- श्रद्धा को ड्राइविंग सीखा दो ताकि जब भी बोर हो, घूमने चली जाया करे।
आनन्द ने कहा- ठीक है, कल से चलते हैं।
उनके पास ज़ायलो थी, अगले दिन हम लोग आर टी ओ जाकर लर्निंग लाइसेन्स ले आये और शाम को वरली सी फेस पर जाकर ड्राइविंग सीखना शुरू किया।
पहली पहली बार गाड़ी चलाने जा रही थी इसलिए मेरे पति बच्चों के साथ समंदर के किनारे ही बैठ गये और कहा- तुम लोग जाओ। पहले दिन कार चलाना बड़ा अच्छा लगा, आनन्द भी दिल से सिखा रहे थे। हमारे बीच ऐसी कभी कोई बात नहीं हुई थी जिसका ग़लत मतलब निकले। वो मुझे भाभी कहते थे जबकि उमर में वो मेरे पति से दो साल बड़े थे।
अब रोज़ हम लोग रात 10 बजे खाना खाने के बाद कार चलाने क लिए वरली चले जाते, कार चलाते हुए कभी मैं ग़लत करती तो वो मेरे हाथ को स्टियरिंग पर पकड़ के सही सही बताते कि ऐसा घुमाओ, ऐसा करो, मुझे सीट बेल्ट बाँधने नहीं आती थी तो आनन्द ने कहा- मैं लगा देता हूँ !
वो मेरे आगे से झुक के बेल्ट लगाने लगे तो उनका कन्धा मेरे वक्ष से टकरा गया, पहली मर्तबा किसी गैर का जिस्म मेरे बदन से टकराया था, सारे बदन में अजीब सी हलचल हो गई थी।
खैर उस दिन कोई और बात नहीं हुई, आनन्द सामान्य ही लगे। उस दिन के बाद कार चलाते हुए गियर बदलने के लिए वो मेरे हाथ पर हाथ रख कर बताते रहते कि ऐसे गियर चेंज करते हैं, मुझे भी उनका यह स्पर्श अच्छा लगने लगा था।
मेरे पति हफ़्ता भर रहने के बाद फिर एक महीने के लिए टूअर पर चले गए तो मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली आंटी से कहा- मैं ब्यूटीशियन का कोर्स करने जा रही हूँ, इसलिए आप मेरे बच्चों का ख्याल रखिएगा।
यह सुझाव मेरे पति ने ही दिया था कि किसी को बताना मत कि तुम ड्राइविंग सीख रही हो, वरना लोग कुछ भी बातें करेंगे, हमारे पड़ोसी भी बच्चों को बहुत चाहते थे इसलिए कोई परेशानी नहीं हुई, बच्चे भी वहाँ खुश रहते थे।
रात को आनन्द कार लेकर आ गए और हम लोग फिर वरली सी फेस चले गये। उस दिन वहाँ पर कुछ ज्यादा भीड़ थी इसलिए बार बार कार में ब्रेक लगाना पड़ रहा था, मैं इतनी एक्सपर्ट तो थी नहीं इसलिए आनन्द ने मेरे पैर पे पैर रख दिया और जब ज़रूर पड़ती, ब्रेक लगा देते। उनका एक हाथ मेरी जांघ पर रखा हुआ था।
मैंने उनकी तरफ देखा तो बोले- कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं !
क्योंकि मुझ को उनका स्पर्श अच्छा लगता था।
एक दो दिन उसी तरह रहा, तीसरे दिन मेरी जांघ पर हाथ रखे रखे आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगे तो मेरे तन बदन में एक आग सी लग गई। उनका हाथ मेरी चूत के करीब आता और वापस चला जाता, मेरी चूत गीली हो रही थी। कार एसी होने पर भी मुझको गर्मी लगने लगी, दिल और दिमाग़ में हलचल होने लगी।
आनन्द ने मेरी तरफ देख कर पूछा- कैसा लग रहा है?
मैंने उनकी तरफ देखा लेकिन कुछ बोल नहीं पाई सिर्फ़ मुस्करा दी।
बस फिर क्या था उन्होंने कार एक तरफ़ रोकी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया और मेरे चेहरे पर, गर्दन पर हर जगह पागलों की तरह चूमने लगे। मैंने भी उनको कस के पकड़ लिया।
जब आनन्द ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे तो मैं भी आनन्द को चूमने लगी। आनन्द ने अपनी जिव्हा मेरे मुँह में डाल दी जिसको मैं चूसने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता उनका एक हाथ मेरे उरोजों पर फिरने लगा और मैं सब कुछ भूल कर उनका साथ दे रही थी, मैं भूल गई थी कि वो मेरे पति का दोस्त हैं।
आनन्द ने मेरे जंपर में अपना एक हाथ डाल दिया और मेरी ब्रा पर अपना हाथ फिराने लगे। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था पहली बार किसी गैर से ऐसा करवाने में !
इतने में हमारी कार के सामने दूसरी कार आ कर रुकी तो हम लोग जल्दी से हट गए।
ना आनन्द ने कुछ कहा और ना मैंने ! मैंने अपने आप को सही किया और घर वापस आ गये।
मैं रात भर सो नहीं पाई, जब भी आँख लगती, आनन्द का चेहरा और कार वाली बात याद आ जाती। बर्दाश्त नहीं हो रहा था, पति भी घर पर नहीं थे, मैं अपने पूरे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई और शावर लेने लगी।
इतने में आनन्द का कॉल आया, मैंने मोबाइल उठाया तो उन्होने पूछा- तुमको बुरा तो नहीं लगा?
मैं क्या कहूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी मेरे मुँह से निकल गया- नहीं !
आनन्द ने कहा- सन्नी को मत बताना !
मैंने सिर्फ़ 'ठीक है' कहा।
आनन्द ने पूछा- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- नहा रही हूँ !
तो वो बोले- सन्नी ने बताया था कि तुम्हारी काया बहुत गोरी है ! मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ, मैं तुम्हारे साथ अन्तरंग पल बिताना चाहता हूँ।
उनके मुँह से यह सुन कर मुझको क्या लगा, मैं बतला नहीं सकती, एक नया मर्द मेरी जिन्दगी में आनेकी चेष्टा कर रहा था, खुले नग्न शब्दों में कहूँ तो एक गैर लण्ड मेरी चूत में घुसने के लिए बेताब है और वो भी ऐसे आदमी का जो मेरे पति का बचपन का साथी है या यों कह लो कि उनका भाई है।
तो क्या मैं उनके सामने नंगी हो जाऊँगी?
वो मुझे नंगी देखेंगे तो मुझे कैसा लगेगा?
अब तक मैं सिर्फ़ अपने पति के सामने नंगी हुई थी लेकिन ये तो गैर हैं ! क्या मैं ऐसा कर सकती हूँ?
उनका लंड कैसा होगा?
मेरे दिमाग़ में ये बातें आ रही थी। इतने में उन्होंने कहा- जवाब क्यूँ नहीं देती?
मैं फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि क्या जवाब दूँ।
अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ। इस बात को पाँच साल हो रहे हैं।
मेरे पति के दोस्त का नाम आनन्द है, उनकी शादी हुए तकरीबन 8 साल हो गए थे। उनके 2 बच्चे हैं, बीवी भी खूबसूरत है, वो मुंबई में हमारे सामने वाली बिल्डिंग में रहते थे, इनके इतने अच्छे दोस्त हैं कि कोई भी इन दोनों की दोस्ती पर जले, काफ़ी रात तक दोनों बातें करते, शॉपिंग साथ करते। आनन्द की कपड़े की चोयस अच्छी होने की वजह से अक्सर अपनी पत्नी के लिए नाईटी और ब्रा वगैरा खरीदते तो मेरे लिए भी वैसी ही लेते। उससे आनन्द को मेरी फिगर का सही सही अंदाज़ा था।
आनन्द एक जीप कंपनी में हैं और काफ़ी मेहनत का काम करने की वजह से हैल्दी और काफ़ी मज़बूत हैं, ऊँचाई इतनी है कि मैं उनके बराबर खड़ी होती हूँ तो उनके सीने तक होती हूँ। जब भी मेरे पति टूर पर जाते तो वो ही मेरा ख्याल रखते हैं। आनन्द के घर वाले भी मेरा बहुत ख्याल रखते थे, कुल मिला कर सब लोग हमें एक ही खानदान के समझते थे।
मैं घर पर बहुत बोर हो जाया करती थी इसलिए जब मेरे पति टूर पर से आए तो मैंने कहा- मैं आपकी गैर मौजूदगी में बोर हो जाती हूँ तो उन्होंने आनन्द से कहा- श्रद्धा को ड्राइविंग सीखा दो ताकि जब भी बोर हो, घूमने चली जाया करे।
आनन्द ने कहा- ठीक है, कल से चलते हैं।
उनके पास ज़ायलो थी, अगले दिन हम लोग आर टी ओ जाकर लर्निंग लाइसेन्स ले आये और शाम को वरली सी फेस पर जाकर ड्राइविंग सीखना शुरू किया।
पहली पहली बार गाड़ी चलाने जा रही थी इसलिए मेरे पति बच्चों के साथ समंदर के किनारे ही बैठ गये और कहा- तुम लोग जाओ। पहले दिन कार चलाना बड़ा अच्छा लगा, आनन्द भी दिल से सिखा रहे थे। हमारे बीच ऐसी कभी कोई बात नहीं हुई थी जिसका ग़लत मतलब निकले। वो मुझे भाभी कहते थे जबकि उमर में वो मेरे पति से दो साल बड़े थे।
अब रोज़ हम लोग रात 10 बजे खाना खाने के बाद कार चलाने क लिए वरली चले जाते, कार चलाते हुए कभी मैं ग़लत करती तो वो मेरे हाथ को स्टियरिंग पर पकड़ के सही सही बताते कि ऐसा घुमाओ, ऐसा करो, मुझे सीट बेल्ट बाँधने नहीं आती थी तो आनन्द ने कहा- मैं लगा देता हूँ !
वो मेरे आगे से झुक के बेल्ट लगाने लगे तो उनका कन्धा मेरे वक्ष से टकरा गया, पहली मर्तबा किसी गैर का जिस्म मेरे बदन से टकराया था, सारे बदन में अजीब सी हलचल हो गई थी।
खैर उस दिन कोई और बात नहीं हुई, आनन्द सामान्य ही लगे। उस दिन के बाद कार चलाते हुए गियर बदलने के लिए वो मेरे हाथ पर हाथ रख कर बताते रहते कि ऐसे गियर चेंज करते हैं, मुझे भी उनका यह स्पर्श अच्छा लगने लगा था।
मेरे पति हफ़्ता भर रहने के बाद फिर एक महीने के लिए टूअर पर चले गए तो मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली आंटी से कहा- मैं ब्यूटीशियन का कोर्स करने जा रही हूँ, इसलिए आप मेरे बच्चों का ख्याल रखिएगा।
यह सुझाव मेरे पति ने ही दिया था कि किसी को बताना मत कि तुम ड्राइविंग सीख रही हो, वरना लोग कुछ भी बातें करेंगे, हमारे पड़ोसी भी बच्चों को बहुत चाहते थे इसलिए कोई परेशानी नहीं हुई, बच्चे भी वहाँ खुश रहते थे।
रात को आनन्द कार लेकर आ गए और हम लोग फिर वरली सी फेस चले गये। उस दिन वहाँ पर कुछ ज्यादा भीड़ थी इसलिए बार बार कार में ब्रेक लगाना पड़ रहा था, मैं इतनी एक्सपर्ट तो थी नहीं इसलिए आनन्द ने मेरे पैर पे पैर रख दिया और जब ज़रूर पड़ती, ब्रेक लगा देते। उनका एक हाथ मेरी जांघ पर रखा हुआ था।
मैंने उनकी तरफ देखा तो बोले- कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं !
क्योंकि मुझ को उनका स्पर्श अच्छा लगता था।
एक दो दिन उसी तरह रहा, तीसरे दिन मेरी जांघ पर हाथ रखे रखे आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगे तो मेरे तन बदन में एक आग सी लग गई। उनका हाथ मेरी चूत के करीब आता और वापस चला जाता, मेरी चूत गीली हो रही थी। कार एसी होने पर भी मुझको गर्मी लगने लगी, दिल और दिमाग़ में हलचल होने लगी।
आनन्द ने मेरी तरफ देख कर पूछा- कैसा लग रहा है?
मैंने उनकी तरफ देखा लेकिन कुछ बोल नहीं पाई सिर्फ़ मुस्करा दी।
बस फिर क्या था उन्होंने कार एक तरफ़ रोकी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया और मेरे चेहरे पर, गर्दन पर हर जगह पागलों की तरह चूमने लगे। मैंने भी उनको कस के पकड़ लिया।
जब आनन्द ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे तो मैं भी आनन्द को चूमने लगी। आनन्द ने अपनी जिव्हा मेरे मुँह में डाल दी जिसको मैं चूसने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता उनका एक हाथ मेरे उरोजों पर फिरने लगा और मैं सब कुछ भूल कर उनका साथ दे रही थी, मैं भूल गई थी कि वो मेरे पति का दोस्त हैं।
आनन्द ने मेरे जंपर में अपना एक हाथ डाल दिया और मेरी ब्रा पर अपना हाथ फिराने लगे। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था पहली बार किसी गैर से ऐसा करवाने में !
इतने में हमारी कार के सामने दूसरी कार आ कर रुकी तो हम लोग जल्दी से हट गए।
ना आनन्द ने कुछ कहा और ना मैंने ! मैंने अपने आप को सही किया और घर वापस आ गये।
मैं रात भर सो नहीं पाई, जब भी आँख लगती, आनन्द का चेहरा और कार वाली बात याद आ जाती। बर्दाश्त नहीं हो रहा था, पति भी घर पर नहीं थे, मैं अपने पूरे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई और शावर लेने लगी।
इतने में आनन्द का कॉल आया, मैंने मोबाइल उठाया तो उन्होने पूछा- तुमको बुरा तो नहीं लगा?
मैं क्या कहूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी मेरे मुँह से निकल गया- नहीं !
आनन्द ने कहा- सन्नी को मत बताना !
मैंने सिर्फ़ 'ठीक है' कहा।
आनन्द ने पूछा- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- नहा रही हूँ !
तो वो बोले- सन्नी ने बताया था कि तुम्हारी काया बहुत गोरी है ! मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ, मैं तुम्हारे साथ अन्तरंग पल बिताना चाहता हूँ।
उनके मुँह से यह सुन कर मुझको क्या लगा, मैं बतला नहीं सकती, एक नया मर्द मेरी जिन्दगी में आनेकी चेष्टा कर रहा था, खुले नग्न शब्दों में कहूँ तो एक गैर लण्ड मेरी चूत में घुसने के लिए बेताब है और वो भी ऐसे आदमी का जो मेरे पति का बचपन का साथी है या यों कह लो कि उनका भाई है।
तो क्या मैं उनके सामने नंगी हो जाऊँगी?
वो मुझे नंगी देखेंगे तो मुझे कैसा लगेगा?
अब तक मैं सिर्फ़ अपने पति के सामने नंगी हुई थी लेकिन ये तो गैर हैं ! क्या मैं ऐसा कर सकती हूँ?
उनका लंड कैसा होगा?
मेरे दिमाग़ में ये बातें आ रही थी। इतने में उन्होंने कहा- जवाब क्यूँ नहीं देती?
मैं फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि क्या जवाब दूँ।
इस पर उन्होंने फोन पर कहा- अगर तुम कॉल करोगी तो मैं समझ जाऊँगा कि तुम्हारा जवाब हाँ है।
यह कह कर उन्होंने फोन काट दिया।
मैं नहा कर निकली और आईने के सामने खड़े होकर अपने नंगे बदन को निहारने लगी। मेरे उठे हुए स्तन बतला रहे थे कि इन पर किसी गैर का हाथ लगने वाला है, मेरी योनि भी दूसरे लिंग की ख़ुशी में नीर बहा रही थी।
लेकिन मैं इसी तरह लेट गई और सोचते हुए कब सो गई पता नहीं चला।
दूसरे दिन मेरे पति की कॉल आई तो मैंने पूछा- कब आ रहे हो?
उन्होंने कहा- अभी तो 15 दिन लगेंगे।
मैंने ऐसा सवाल पहली बार किया था इसलिए उन्होंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
तो मैं बोली- कल ब्लू फिल्म देखते हुए काफ़ी जोश आ गया है, इसलिए तुम्हारी याद आ रही है, अगर तुम नहीं आओगे तो मैं किसी और से चुदवा लूँगी !
उन्होंने हंसते हुए कहा- चूत तुम्हारी है, तुम्हारी मर्ज़ी !
मैंने कहा- आनन्द से चुदवा लूँ तो?
इस पर उन्होंने कहा- बेचारा इतना सीधा है ! वो चोदने की बात दूर, तुमको हाथ लगाने से भी डरेगा।
मैंने कहा- देखो मज़ाक मत समझना, मैं सीरियस हूँ !
इस पर उन्होंने कहा- देखो जान, जब मैं टूर पर होता हूँ तो मैं भी चोदने का कोई मौका नहीं खोता, जब मैं अपने लंड की प्यास बाहर बुझा सकता हूँ तो तुमको मैं कैसे मना कर सकता हूँ
इनका यह जवाब सुन कर मैंने कहा- मैं तो मज़ाक कर रही थी।
वो बोले- अगर तुम सीरियस भी होती तो भी मैं क्या कर लेता, अगर कोई चुप कर चुदाने पर आ जाए तो दुनिया की कोई ताक़त उस को रोक नहीं सकती, कम से कम तुम इतना बोल तो रही थी, यही क्या कम है?
उसके बाद उन्होंने बच्चों के बारे में पूछा और फोन काट दिया। अब मैं फिर आनन्द के बारे मैं सोचने लगी कि रात में जाऊँ या नहीं ! पति भी मेरी बात को मज़ाक समझ रहे होंगे लेकिन उनको क्या मालूम कि जिस दोस्त को वो सीधा कह रहे हैं, वो मुझको नंगी देखना चाहता है, वो मुझको अपनी जान बनाना चाहता है।
इतना होने के बावजूद मैं दूसरे दिन आनन्द को कॉल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और उन्होंने भी मुझे कॉल नहीं किया और ना घर पर आए।
इसी बीच मेरे गाँव से मुझे कॉल आई कि रिश्तेदारी में शादी है, तुम आ जाओ।
मैंने अपने पति से पूछा तो बोले- मैं नहीं आ सकूँगा, मैं आनन्द से कहता हूँ कि तुमको गाँव छोड़ आए !
आनन्द को मेरे गाँव में सब लोग जानते थे क्योंकि वो मेरे पति के साथ कई मर्तबा आ चुके थे। दूसरे दिन उन्होंने टिकट निकाली और हम गाँव के लिए रवाना हो गये। पूरे सफ़र में उन्होंने कार वाली बात का कोई ज़िक्र नहीं किया और ना ही मैंने कुछ कहा।
हम लोग गाँव पहुँचे, वहाँ पर हम लोगों के घर बहुत बड़े बड़े हैं, आनन्द को पुराने वाले घर में ठहरा दिया गया जो हमारे नये घर के सामने था, वो मुझे गाँव मैं छोड़ने के बाद वापस जाना चाहते थे लेकिन घर वालों ने कहा- हफ़्ता पंद्रह दिन रुक जाओ तो आनन्द इंकार ना कर सके।गाँव में शादी की दावत 10-12 दिन पहले से ही दे दी जाती है इस लिए घर के सब लोग वहीं चले गये थे, मैं दिन में वहाँ जाती और क्योंकि घर में कोई नहीं था तो रात मैं वापस आ जाती। आनन्द भी सामने वाले घर मैं रहते थे, मैं चाहती थी कि वो मुझे खुद कहें क्योंकि मैं कैसे कह सकती थी कि मुझे तुमसे चुदवाना है।
2-3 दिन होने क बाद मैं रात को केबल पर फिल्म देख रही थी, चैनेल अदल बदल करते देखा कि एक चैनेल पर ब्लू फिल्म लगी हुई थी, उसमें दो आदमी एक लड़की को जंगल में चोद रहे थे। मैं फिल्म देखते देखते एकदम गर्म हो गई, मैंने अपनी ड्रेस बदली, गुलाबी रंग की नाईटी जो कि काफ़ी पारभासक थी, पहन ली। अंदर काले रंग की ब्रा और पेंटी पहनी जिससे मेरा बदन का हर एक भाग साफ नज़र आ रहा था, मेरी भरी भरी जांघों के बीच काली पेंटी ग़ज़ब ढा रही थी। मैं सामने वाले घर, जिसमें आनन्द ठहरे हुए थे, गई, उनके कमरे पर जाकर दरवाजा खटखटाया, वैसे दरवाज़ा खुला हुआ था। वो अंदर सिर्फ़ अंडरवीयर में लेटे थे, मुझे अचानक देख कर जल्दी से अपनी कमर पर चादर लपेट ली और पूछा- कैसे आना हुआ?
मैंने कहा- तुम को किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीँ?
वो सिर से पाँव तक मुझे देख रहे थे, मेरे बदन में चींटियाँ रेंगती महसूस हुई। उन्होंने कहा- जिस चीज़ की ज़रूरत है वो मैंने तुमको बता दिया है।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, चुपचाप सोफे पर जाकर बैठ गई। आनन्द अपनी चादर छोड़ सिर्फ़ अंडरवीयर में मेरी बगल में आकर बैठ गये। उनके अंडरवीयर में खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा था।
आनन्द ने मेरे गले में अपना हाथ डाल दिया और पूछा- अगर तुम्हारा जवाब हाँ में है तो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दो।
मैंने शरमाते हुए अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया।
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आनन्द ने कहा- सन्नी को तो नहीं बोलोगी?
मैंने अपनी गरदन ना में हिला दी, कुछ बोल नहीं पा रही थी मैं ! अजीब बात थी कि मैं एक पराए आदमी को अपना सब कुछ सौंपना
आनन्द ने मुझ से कहा- अगर तुम खामोश रहोगी और यूँ ही शरमाओगी तो मज़ा नहीं आएगा, तुम अपने मुँह से बोलो कि तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो। अगर तुम नहीं बोलोगी तो मैं तुमको हाथ नहीं लगाऊँगा।
मैंने उनकी तरफ देखा, उनकी आँखें एक शराबी की तरह जोश में लाल हो गई थी।
मैंने सिर झुका कर आहिस्ता से कहा- आनन्द, मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ।
यह कह कर उन्होंने फोन काट दिया।
मैं नहा कर निकली और आईने के सामने खड़े होकर अपने नंगे बदन को निहारने लगी। मेरे उठे हुए स्तन बतला रहे थे कि इन पर किसी गैर का हाथ लगने वाला है, मेरी योनि भी दूसरे लिंग की ख़ुशी में नीर बहा रही थी।
लेकिन मैं इसी तरह लेट गई और सोचते हुए कब सो गई पता नहीं चला।
दूसरे दिन मेरे पति की कॉल आई तो मैंने पूछा- कब आ रहे हो?
उन्होंने कहा- अभी तो 15 दिन लगेंगे।
मैंने ऐसा सवाल पहली बार किया था इसलिए उन्होंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
तो मैं बोली- कल ब्लू फिल्म देखते हुए काफ़ी जोश आ गया है, इसलिए तुम्हारी याद आ रही है, अगर तुम नहीं आओगे तो मैं किसी और से चुदवा लूँगी !
उन्होंने हंसते हुए कहा- चूत तुम्हारी है, तुम्हारी मर्ज़ी !
मैंने कहा- आनन्द से चुदवा लूँ तो?
इस पर उन्होंने कहा- बेचारा इतना सीधा है ! वो चोदने की बात दूर, तुमको हाथ लगाने से भी डरेगा।
मैंने कहा- देखो मज़ाक मत समझना, मैं सीरियस हूँ !
इस पर उन्होंने कहा- देखो जान, जब मैं टूर पर होता हूँ तो मैं भी चोदने का कोई मौका नहीं खोता, जब मैं अपने लंड की प्यास बाहर बुझा सकता हूँ तो तुमको मैं कैसे मना कर सकता हूँ
इनका यह जवाब सुन कर मैंने कहा- मैं तो मज़ाक कर रही थी।
वो बोले- अगर तुम सीरियस भी होती तो भी मैं क्या कर लेता, अगर कोई चुप कर चुदाने पर आ जाए तो दुनिया की कोई ताक़त उस को रोक नहीं सकती, कम से कम तुम इतना बोल तो रही थी, यही क्या कम है?
उसके बाद उन्होंने बच्चों के बारे में पूछा और फोन काट दिया। अब मैं फिर आनन्द के बारे मैं सोचने लगी कि रात में जाऊँ या नहीं ! पति भी मेरी बात को मज़ाक समझ रहे होंगे लेकिन उनको क्या मालूम कि जिस दोस्त को वो सीधा कह रहे हैं, वो मुझको नंगी देखना चाहता है, वो मुझको अपनी जान बनाना चाहता है।
इतना होने के बावजूद मैं दूसरे दिन आनन्द को कॉल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और उन्होंने भी मुझे कॉल नहीं किया और ना घर पर आए।
इसी बीच मेरे गाँव से मुझे कॉल आई कि रिश्तेदारी में शादी है, तुम आ जाओ।
मैंने अपने पति से पूछा तो बोले- मैं नहीं आ सकूँगा, मैं आनन्द से कहता हूँ कि तुमको गाँव छोड़ आए !
आनन्द को मेरे गाँव में सब लोग जानते थे क्योंकि वो मेरे पति के साथ कई मर्तबा आ चुके थे। दूसरे दिन उन्होंने टिकट निकाली और हम गाँव के लिए रवाना हो गये। पूरे सफ़र में उन्होंने कार वाली बात का कोई ज़िक्र नहीं किया और ना ही मैंने कुछ कहा।
हम लोग गाँव पहुँचे, वहाँ पर हम लोगों के घर बहुत बड़े बड़े हैं, आनन्द को पुराने वाले घर में ठहरा दिया गया जो हमारे नये घर के सामने था, वो मुझे गाँव मैं छोड़ने के बाद वापस जाना चाहते थे लेकिन घर वालों ने कहा- हफ़्ता पंद्रह दिन रुक जाओ तो आनन्द इंकार ना कर सके।गाँव में शादी की दावत 10-12 दिन पहले से ही दे दी जाती है इस लिए घर के सब लोग वहीं चले गये थे, मैं दिन में वहाँ जाती और क्योंकि घर में कोई नहीं था तो रात मैं वापस आ जाती। आनन्द भी सामने वाले घर मैं रहते थे, मैं चाहती थी कि वो मुझे खुद कहें क्योंकि मैं कैसे कह सकती थी कि मुझे तुमसे चुदवाना है।
2-3 दिन होने क बाद मैं रात को केबल पर फिल्म देख रही थी, चैनेल अदल बदल करते देखा कि एक चैनेल पर ब्लू फिल्म लगी हुई थी, उसमें दो आदमी एक लड़की को जंगल में चोद रहे थे। मैं फिल्म देखते देखते एकदम गर्म हो गई, मैंने अपनी ड्रेस बदली, गुलाबी रंग की नाईटी जो कि काफ़ी पारभासक थी, पहन ली। अंदर काले रंग की ब्रा और पेंटी पहनी जिससे मेरा बदन का हर एक भाग साफ नज़र आ रहा था, मेरी भरी भरी जांघों के बीच काली पेंटी ग़ज़ब ढा रही थी। मैं सामने वाले घर, जिसमें आनन्द ठहरे हुए थे, गई, उनके कमरे पर जाकर दरवाजा खटखटाया, वैसे दरवाज़ा खुला हुआ था। वो अंदर सिर्फ़ अंडरवीयर में लेटे थे, मुझे अचानक देख कर जल्दी से अपनी कमर पर चादर लपेट ली और पूछा- कैसे आना हुआ?
मैंने कहा- तुम को किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीँ?
वो सिर से पाँव तक मुझे देख रहे थे, मेरे बदन में चींटियाँ रेंगती महसूस हुई। उन्होंने कहा- जिस चीज़ की ज़रूरत है वो मैंने तुमको बता दिया है।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, चुपचाप सोफे पर जाकर बैठ गई। आनन्द अपनी चादर छोड़ सिर्फ़ अंडरवीयर में मेरी बगल में आकर बैठ गये। उनके अंडरवीयर में खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा था।
आनन्द ने मेरे गले में अपना हाथ डाल दिया और पूछा- अगर तुम्हारा जवाब हाँ में है तो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दो।
मैंने शरमाते हुए अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया।
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आनन्द ने कहा- सन्नी को तो नहीं बोलोगी?
मैंने अपनी गरदन ना में हिला दी, कुछ बोल नहीं पा रही थी मैं ! अजीब बात थी कि मैं एक पराए आदमी को अपना सब कुछ सौंपना
आनन्द ने मुझ से कहा- अगर तुम खामोश रहोगी और यूँ ही शरमाओगी तो मज़ा नहीं आएगा, तुम अपने मुँह से बोलो कि तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो। अगर तुम नहीं बोलोगी तो मैं तुमको हाथ नहीं लगाऊँगा।
मैंने उनकी तरफ देखा, उनकी आँखें एक शराबी की तरह जोश में लाल हो गई थी।
मैंने सिर झुका कर आहिस्ता से कहा- आनन्द, मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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