Saturday, May 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--3

FUN-MAZA-MASTI

 कामुक संध्या--3

 संध्या-क्या हुआ था किरण मुझे बताओ
किरण- राजू मुझे अभी भी ऐसा लगता जैसे वो रात मेरे साथ अभी कुच्छ दिन पहले ही गुज़री हो मैं अभी भी उस रात के बारे मे सोच के डर जाती हूँ. वो हादसा नही होता तो मेरी लाइफ ही अलग होती.
संध्या- बोल ना मेरी जान किरण क्या हुआ था उस डाके मे ऐसा जो तेरी लाइफ बदल गयी और क्या चेंज आए
किरण- उस रात हमारी हवेली को 20 डाकुओं ने घेर लिया और दनादन फाइरिंग करने लगे. हवेली मे मैं, मेरे हब्बी, मेरे ससुर , मेरी सास और मेरी ननद के अलावा 5-6 नौकर 4 नौकरानिया ही थी.
डाकुयों ने सभी मेल्स को एक रूम मे और सभी लॅडीस को एक रूम मे बंद कर दिया. सारे नौकर भी इसी तरह अलग अलग रूम मे बंद कर दिए गये. फिर मेरे ससुर से तिजोरी की चाबी माँगी गयी जो उन्होने देने से इनकार कर दिया. अब डाकुयों ने सभी मर्दो की पिटाई शुरू कर दी. बुरी तरह तीनो मर्दों को मारा पीटा गया. ससुर के हाथ पाँव तोड़ दिए देवर की कूल्हे की हड्डी और मेरे हब्बी के कमर के नीचे बहुत मारा. जब मेरे ससुर ने इतने पर भी चाबी नही दी तो उन्होने हम लोगो को रूम से निकाला और कामन रूम की तरफ ले गये और हमारे उपर पाश्विक अत्याचार की चेतावनी दी.
संध्या- हाए रे तो तेरे ससुर नही माने या टूट गये. आ रानी पहले मेरे को एक चुम्मा तो दे तेरी कहानी मे मस्त मज़ा है और तेरी जवानी मे उससे ज़्यादा नशा है.
किरण- आजा राजू मेरी चुचि चूस ले और मेरी पनियाई हुई चूत मे अपनी उंगलियाँ डाल
संध्या- उंगली क्यों मेरी जान जब इतना मोटा लौडा है मेरे पास तो क्यों ना उससे चोद दूं तेरी गीली चूत.
किरण- हाँ राजू आजा किरण की मस्त चूत मार यह कहानी तो तेरे झड़ने के बाद भी सुना दूँगी आजा मेरी चूत मार
संध्या- आओ किरण अपने राजू का मस्त लौडा सहलाओ इसका सूपड़ा हटा के इसको मस्त सहलाओ. मेरी जान तू बहुत मस्त है तेरा हब्बी तो तुझे उच्छल उच्छल के चोद्ता होगा है ना
किरण- राजू आजा तेरी किरण अब चुदासी हो चुकी है मेरे को चोद तुझे मैं वादा करती हूँ जल्दी ही संध्या की भी चूत दिलवा दूँगी. वो कुँवारी कच्ची कली है उसकी नथ उतारने मे तुझे मज़ा आ जाएगा.
संध्या- हाए किरण मत याद दिला संध्या की चूत की उसे चोद्ने का मन तो मेरे दिमाग़ मे 6 महीने से चल रहा है साली मेरे लौडे के नीचे आती नही सिर्फ़ चुचि को कपड़ों मे छुपाए रहती है मस्त ठोस चुचि है उसे तो कुतिया बनाके चोद्ना है साली की गान्ड भी मारूँगा चूत चुसूंगा और अपना गरम वीर्य पिलऊँगा संध्या नाम की कच्ची कली को
किरण- राजूऊऊऊ तूने इन सबसे मेरी चूत को बहुत गर्म कर दिया आजा मेरी भट्टी जैसी चूत मार आजा साले मुझे संध्या समझ के चोद दे देख तेरे सामने तेरी संध्या नंगी पड़ी है बिल्कुल मदरजात नंगी और गीली चूत के साथ चोद दे राजू अपनी जवान और चिकनी संध्या को चोद दे.
संध्या- हाँ रंडी बना दूँगा संध्या को साली गली के हर लौन्डे का लौडा लेगी तभी उसकी चूत मे शांति पड़ा करेगी देखना एक दिन वो अपने बाप से भी चुद जाएगी.
किरण- राजू मेरी गरम चूत मार इसमे उंगली डाल के ज़ोर से हिला देख तेरी संध्या और किरण दोनो लौडे की डेमांड कर रही है बता तू पहले किसे चोदेगा
संध्या – किरण को मेरी जान क्योंकि वो ही संध्या की गद्देदार चूत दिलवाएगी और मस्त मज़ा देगी अपनी गान्ड का
किरण- आजा राजू अपनी किरण पे चढ़ जा और उसे चोद के आआआआआआआआआआआआआआआआआआ आआअहहाआआआआआअहहाआआआआआ और डाल राजू अपने लौडे को और डाल
इधर संध्या ने किरण मे मोटी उंगली पेल के हिलना शुरू किया किरण को ऐसा लगा की कोई लौडा उसकी सेवा कर रहा है. वो गरमा के ससकरी मारने लगी और कमर हिलाने लगी.
किरण- हाँ राजू और डाल तेरा लौडा मेरे हब्बी से मोटा है मार साले किरण की गरम चट और मार
संध्या ने अपनी उंगली चोदने की स्पीड और बड़ा दी और उधर किरण ने अपनी कमर नचा नचा ने झड़ना शुरू कर दिया
संध्या ने झुक के किरण की चूत से मूह लगा दिया और किरण की चूत का मीठा मूत पीने लगी. किरण ने भी संध्या के मूह से अपनी चूत सताए रखी और सारा सरबत संध्या के मूह मे उडेल दिया. जब किरण की अपनी वासना का भूत कुच्छ कम हुआ तो उसने आगे बढ़ के संध्या के नरम उरोज मुट्ठी मे भीच लिए.
संध्या- हाए साली धीरे मसल पहले भी बोला था
किरण- तो मैने भी कहा था ना की कोई भी मर्द तुझे नंगी करेगा तो प्यार से नही मस्त ज़ोर लगा के इतने करारे माल को चोदेगा तू इसकी आदत डाल और बता डाकुओं की बात सुननी है या तेरी चूत का बुखार उतार दूं.
संध्या- पहले डाके वाली बात बताओ मेरी चूत का पानी तो फिर भी बह जाएगा
किरण- तो सुन उस डाके मे मुझे और तेरी बुआ रागिनी को कामन रूम की तरफ लाया गया. वहाँ तेरे डैड, दादा और चाचा पहले से ही पीट कर कुर्सी से बाँधे गये थे. डाकुओं के सरदार ने दादा जी से फिर पूछा की तिजोरी की चाबी दे दे नही तो आगे की उनकी कोई ज़िम्मेदारी नही. पर उन्होने बात नही मानी और कहा की जो मर्ज़ी वो किया जाए पर चाबी नही दी जाएगी क्योंकि उसमे गाव के किसानो की ज़मीन के कर्ज़े के कागज भी थे अगर वो लूट लिए जाते तो हम लोग एक रात मे ही आसमान से सड़क पर आ जाते. उपर से दादा जी ने सोचा की वो लोग झूठी धमकी दे रहे है शायद ज़्यादा कुच्छ ना करे और हम लोगो को ही लूटपाट के लौट जाएँगे. इधर डाकुओं के सरदार ने मुझे और तेरी बुआ रागिनी को कामन रूम से ले जा के मेरे बेड रूम मे भिजवा दिया और खुद भी वहाँ आ गया. अब हम दोनो समझ गयी की हमारी शामत आ गयी पर किस हद तक हम दोनो समझ नही पा रही थी. तेरी बुआ अभी कुँवारी और अनच्छुई थी 18 साल की ही तो थी और मैं नयी नवेली दुल्हन मेरी उमर भी 18 साल 6 माह ही थी. कहने का मतलब है एक नज़र मे हम दोनो जुड़वा लगती थी एज और लुक्स मे.
कई बार तेरे डैड इस बात को बोल चुके है की मेरा लुक तेरी बुआ सा है और उनको ऐसा लगता है वो अपनी सग़ी बहन की चूत मार रहे है. इस फॅंटेसी से उनके लंड मे मस्त तनाव आ जाता है और वो मुझे बहुत मस्ती के साथ चोद्ते है.
संध्या- तो डैड आपको रागिनी बनाके चोद्ते है.
किरण- हाँ और रागिनी यह जानती है वो इस बात से खुद भी एक्साइटेड है की उसका सगा भाई उसकी चूत का दीवाना बनके अपनी बीवी चोद्ता है.
संध्या- यह बात मानी कि हर कोई मर्द फॅंटेसी मे दूसरे माल पर हाथ साफ करता है पर क्या कोई औरत खुद दूसरी औरत या लड़की बनके अपने पति से चुद सकती है
किरण- नही ऐसा नही होता क्योंकि किसी भी औरत को अपना मर्द शेयर करना पड़े तो वो करेगी पर खुद दूसरी औरत या लड़की बनके अपने ही पति से नही चुदेगि.
संध्या- पर ऐसी एक औरत है मेरी निगाह मे
किरण- कौन है मुझे बताओ तुम किसकी जानती हो
संध्या ने नंगी किरण की चुची दबोच ली और बोली-
संध्या- वो तुम हो मोम
किरण- तुझे कैसे मालूम
संध्या- मैने कल दिन मे अपने कानो से सुना और फिर देखा भी है कि तुम डैड को स्वाती बनके मज़ा दे रही थी उनका लौडा चूस रही थी उनके लौडे से चुद भी रही थी और बार बार स्वाती की कच्ची चूत को डैड को परोस रही थी
किरण- इस बात को तूने किसी को बताया तो नही ना
संध्या- नही मोम पर इस बात का राज़ तो बताओ

किरण- यह बात उस डाके से ताल्लुक रखती है, उस डाके मे डाकुयों का सरदार मुझे और रागिनी को मेरे बेडरूम की ओर ले गया और वहाँ क्या हुआ तू इसे सरदार और मेरे बीच के वार्तालाप के रूप मे सुन
सरदार- ये लड़कियों तुम लोग कौन हो बताओ पहले
किरण- हम मे एक यहाँ की बहू है और दूसरी इस हवेली की बेटी
सरदार- वाह तब तो मज़ा आ गया आज तिजोरी की चाबी नही मिलेगी तो इस हवेली की बेटी की निजी तिजोरी खोल दूँगा हा हा हा
किरण- क्या बकवास कर रहे हो जानते हो क्या कह रहे हो
सरदार- मुझे सब पता है तू कौन है
किरण- मैं रागिनी हूँ इस हवेली की बेटी ऊवार यह किरण है हवेली की बहू
सरदार- ओहो तभी चिड़िया इतना उड़ रही है लगता है तेरे पर काटें पड़ेंगे (पास आके रागिनी बनी किरण की एक चुचि ज़ोर से हथेली मे दबोच लेता है) तेरे दोनो कबूतर बड़े मस्त है बता किसी शिकारी ने इनको मुठ्ठी मे क़ैद किया है इनको या मैं तेरा पहला शिकारी हूँ
किरण-(तिलमिलाके) छ्चोड़ मुझे हरामी मेरे डैड को पता लगेगा तो तेरी बोटी बोटी काट देंगे
सरदार- अभी बताता हूँ तुझे मुझसे बदजुबानी का क्या परिणाम होता है. तेरा बाप मुझे क्या बोलेगा साले की हड्डी पसली तोड़ दी है अभी एक गोली मारूँगा साला उपर पहुँच जाएगा हरामी बुढ्ढा
किरण ने रागिनी की ओर देखा जो हैरत मे भी थी की किरण ने उसका रूप क्यों बदला और सरदार की धमकी सुनके उसने किरण से याचना सी भी कि की वो सरदार को गुस्सा नही दिलाए. किरण ने तुरंत डिसीजन लिया की उसे क्या करना है.
किरण- अरे बाबा नही नही आप ऐसा नही करो आप जो बोलॉगे वो मैं करूँगी आप मेरे डैड को कुच्छ मत करिएगा प्लज़्ज़्ज़
सरदार- अब आई ना कुतिया लाइन पे चल जो मैं बोलता हूँ वो कर
किरण- ठीक है
सरदार- तू अपने कपड़े उतार के अपनी नंगी मस्त जवानी के दर्शन करा अपने चंदर को
किरण- चंदर
सरदार- हाँ मेरा नाम चंदर है और मैं अब तेरी नंगी कामुक जवानी को देखूँगा पहले यह बता कितने मर्द तुझे दबोच चुके है
किरण- कोई नही
सरदार- (आगे बढ़े उसकी चची पर झपट्टा मरता है और ज़ोर से मसल देता है) हाए रे मस्त उन्छुइ चुची है हाए मर गया आज तो इन नीम्बुओं को पूरा निचोड़ दूँगा. ऐसे नही छ्चोड़ूँगा तू तो चुद गई आज मेरी रागिनी. तेरी चूत अपने मूसल लंड से चोदुन्गा और तेरी भाभी तुझे खुद आगे बढ़ बढ़ के चुद्वायेगि. है ना
रागिनी- (हड़बड़ा के) हाँ हाँ हाँ
चंदर- तो रुकी क्यों है वहाँ पे साली इधर आ और इस हरमजादि रागिनी के कपड़े उतार
(रागिनी और किरण दोनो सलवार सूट मे थी और किरण ने कोई सुहाग निशानी नही पहनी थी इसलिए सरदार को धोका हो गया साथ ही साथ किरण को भी उससे झूठ बोलने का मौका मिला. पर रागिनी ज़रूर सोच रही थी की किरण ऐसा क्यों कर रही है उससे पूछेगी फिलहाल तो यह डाकू उन दोनो का पिछा छ्चोड़े. साथ ही साथ वो डर भी रही थी सरदार डाकू उसे हवेली की भाभी समझ के ज़्यादा यातना ना दे. खैर उसने सोचा जो होगा देखा जाएगा आख़िर वो इस नये हालत मे कुच्छ कर भी तो नही सकती थी.उसने आगे बढ़के किरण के जिस्म से उसका कुर्ता उतारना शुरू किया)
चंदर- ई हरामज़ादी ऐसे नही इस कुतिया के कपड़े फाड़ के उतार नही तो तेरे कपड़े फाड़ के नंगी कर दूँगा
(रागिनी से सहम के किरण के कुर्ते को फाड़ के उतारना शुरू किया. किरण का जवान जिस्म चंदर के आगे नुमाया होने लगा चंदर की आँखे किरण की जवानी फैल गयी)
चंदर- वववववववओूऊऊऊऊऊव्ववववववववववव यह कुतिया बड़ी करारी है इसे मेरे पास भेज साली के कबूतरो का नज़ारा पास से करूँगा
रागिनी- नही इसे छोड़ दो तुम चाहो तो मैं
चंदर- चुप साली रंडी खुद तो दिन रत चुद्ती है अपने ख़सम से और आज तेरी ननद का नंबर आया तो आज भी अपनी ही चूत सामने फैला रही रही है. भेज इस कॅली को मेरे पास
रागिनी- जाओ सरदार के पास जाओ रागिनी
किरण धीमे धीमे कदमो से आगे बढ़ी और सरदार के पास जाके खड़ी हो गयी.चंदर ने आगे हाथ बढ़ा के किरण की दोनो चुची अपने खुरदुरे हाथों मे दबोच ली. चुचियों पर हाथों का दबाव पड़ते ही किरण की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसके मूह से सिसकी निकल पड़ी
चंदर - वाआआअह रे इस मस्त कली के मुह से तो मेरे हाथो से ही कामुक सिसकारी निकल पड़ी लगता है कि साली मस्त है. जब गर्मागर्म लौडा इसकी गीली पानी से भरी चूत में उतारूंगा तो साली कुतिया की तरह चुद पड़ेगी आओ मेरी जान और पास आओ तेरे दोनों कबूतरों को आसमान की सैर करवा दूँ.

इतना बोल के चंदर ने किरण के दोनों पहाड़ की नोक जैसे उठे हुए कबूतरों को अपनी खुरदुरी मुठ्ठी में दबोच के लिया और कबूतर उड़ने के अंदाज़ में बेदर्दी से हवा की ऒर उड़ा दिया और रागिनी की तरफ देख के बोला

चंदर- देख मेरी जान तेरी ननद लौडे को लेने को कितनी उतावली हो रही है। एक तू हैं कुतिया की औलाद

रागिनी - क्याआआआआआअ

चंदर- हरामजादी बकरी की तरह मत मिमिया, नहीं तो अभी तेरे को पहले नंगी करके तेरी चूत में अपना मुसल लंड पेलूँगा फिर तेरी ननद को चोदुंगा. साली तेरी ननद मस्त नंगी होकर देखेगी कि उसकी जवान और चुदासी भाभी कैसे लौडा लेती है अपनी पनियाई हुई चूत में. बोले तो तुझे चोद के मस्त नज़ारा दिखाऊँ तेरी कामुक अनचुदी ननद को.

रागिनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है वो समझ नहीं पाती है की वो सरदार के आगे आके चुदे या किरण को चुदाई का आनंद लेने दे. उसका खुद का शरीर जवान और चुदासा हो चुका था और रात दिन मर्द की मांग करता था. वो खुद यह चाहती थी की कोई उसे चोदे और उसकी चूत की प्यास बुझा दे पर वो गाँव में बदनाम नहीं होना चाहती थी. उसे लगा की यह अच्छा मौका है. सरदार उसे बहु मान कर चोदेगा और वो खुद भी अब अनचुदी नहीं रहना चाहती थी।

रागिनी- नहीं सरदार मैं यह कहना चाहती थी तुम भले ही मुझे चोद लो पर इसे छोड़ दो यह इस हवेली की बेटी है मैं इसके बदले में खुद उछल उछला के अपनी चूत मरवाने को तैयार हूँ।

सरदार- चुप मादरचोद तू खुद भी उछल उछल के चूत मरवाएगी और यह कुतिया भी. एक बात बता तू मुझे की जब रसगुल्ला पास हो तो कोई जलेबी ही खता है क्या

रागिनी – क्या मतलब

चंदर- साली तू चुदी चुदाई और यह नयी निकोर अनकट चूत तू जो मर्ज़ी कह ले इसे आज मेरा मस्त लोडा अपनी चिकनी संकरी चूत मे डालना ही होगा और हाँ तू फिकर मत कर जाते जाते तेरी भी रसीली चूत का स्वाद ले के जाऊंगा और अपने साथियों को भी तेरे उपर से उतारूँगा. वो भी तो देखे कि तेरी चूत मे मज़ा है या तेरी ननद की चूत मे ज़्यादा मज़ा है.

(रागिनी के मन मे लड्डू फूटने लगे और उधर किरण ने सोचा की जब दोनो ही चुदनी थी तो उसने बेकार ही रागिनी का रूप धारण किया पर अब जो होना था हो चुका था अब इसी में भलाई थी कि वो चुपचाप रागिनी का रोल प्ले करती रहे और रागिनी उसका रूप धारण करे रहे)

रागिनी- चंदर क्या ऐसा हो सकता है की तू इसे छोड़ दे और अपना सारा गुस्सा मुझ पे उतार ले

(किरण की आँखें फट गयी जब उसने सुना की रागिनी डाकुयों के सरदार से चुदना चाहती है और उसे पता था की उसकी अनचुदी ननद सरदार और उसके साथियों से चुद तो सकती है परंतु पहली पहली बार ही किसी कमसिन लौंडिया पर अगर 20 मर्द चढ़ जाएँगे तो वो मर भी सकती है शायद रागिनी को यह लग रहा था की सिर्फ़ सरदार उसे चोदेगा और बाकी डाकू नही)

चंदर- ऐसा तो नही होने दूँगा तू हवेली की बहू है अगर इस हवेली की बेटी होती तो शायद अपने सभी साथियों का वीर्य पात तेरे उपर करवाता. तू फिकर मत कर मेरे साथी तेरी हवेली की नौकरानियों को चोद रहे होंगे. तुम दोनो मेरे लंड का स्वाद लेने को तय्यार हो जाओ. ज़्यादा अकड़ दिखाई तो तुम दोनो के उपर अपने बीसियो साथी नंगे करके छोड़ दूँगा सुबह तक चुद चुद के मर जाओगी

रागिनी सिहर गयी और किरण ने चंदर के आगे आकर उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया

किरण- क्या राजा मर्द होके सिर्फ़ बाते. आओ मेरी जवानी को नंगा करो और मज़े लो

चंदर- हाँ कुटिया भूल गया तू इस हवेली की अनचुदी चूत है आ मेरे लंड को बाहर निकल के सहला
किरण- हाँ मेरे राजा आओ मैं अपने नरम होंठो से तुम्हारे लंड को चूम लेती हूँ

चंदर- चूमना ही नही साली चूसना भी है. तेरा भाई जब तेरी भाभी को चोदता तो तू क्या उसके बेडरूम के बाहर छुप छुप के उनकी मादक और कामुक कामलीला नही सुनती है क्या यह तो हवेलियों मे अक्सर होता है की रूम मे चुदाई हो रही होती है और बहरा नौकर, नौकराई या बेटियाँ चुदाई का लाइव शो सुनती है मौका मिले तो देखती भी है

किरण- देखा और सुना दोनो है राजा तभी तो इतनी गरम हूँ की तुझसे बिना चूं चपड किए चुदने को तय्यार हूँ आओ राजा रागिनी की गीली पानी से भारी चूत मरो मेरे पहले मर्द.

चंदर – बता तेरा मन करता है अपने भाई का लंड लेने का जो वो तेरी भाभी की गीली चूत मे डालता है और कैसा चोदता है इस रंडी को तेरा भाई

किरण- हाए रे तूने मेरी चूत पूरी पानी से लबालब भर दी. मत पूछ क्या करता है वो सच बोलू तो तू अभी खड़े खड़े वीर्य निकाल डालेगा

(किरण के लिए चुदाई की बाते खेल था क्योंकि वो ही तो चुदती थी यहाँ. वो सिर्फ़ रागिनी का रोल प्ले कर रही थी इसलिए उसने वल्गर शब्दो का प्रयोग करना शुरू किया. क्योंकि उसने सरदार के लंड की उत्तेजना देख ली थी उसने सोचा की जितना जल्दी झाड़ेगा उतनी जल्दी वो यहाँ से चला जाएगा)

चंदर- खुल के बता साली. देख तेरी भाभी की चूत मे पानी भर आया है चलो पहले दोनो रंडी लोग पूरी नंगी हो जाओ फिर तू बताना तेरा भाई तेरी इस भाभी की चूत कैसे मरता है. आओ पहले मुझे पूरा नंगा करो और मेरे लंड से खेलते हुए अपनी मादक चुदाई का किस्सा सुनाओ.

किरण अब तक पूरी नंगी हो चुकी थी उसने आगे बड़ के सरदार की जांघों पर अपनी चूत रगड़नी शुरू
कर दी और अपनी मस्त गोल और ठोस छतियाँ सरदार के सीने से रगड़ने लगी

किरण- चंदर बहुत मस्त लंड है तू आआआआआअहह प्लीज मेरी चूत की गर्मी शांत कर दे फिर बताती हूँ की मेरा भाई कैसे मेरी भाभी की चूत की गर्मी उतरता है.








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