Friday, May 23, 2014

FUN-MAZA-MASTI होली का असली मजा--14

FUN-MAZA-MASTI

 होली का असली मजा--14

 तब तक रीतू भाभी आ गयी।

और उन्हें मैंने सब बाते साफ साफ बता दी।

एक पल के लिए परेशान तो वो भी हुयीं। लेकिन फिर मुस्करा के मेरा गाल सहला के बोलीं ,


" हो जायेगा कुछ , मैं जरा चलती हूँ छुटकी के कमरे की ओर , वही कुछ रास्ता निकाल सकती है। पाहुन का गुस्सा तो दूर करना पड़ेगा। "


वो छुटकी के कमरे में चली गयीं और मैं मम्मी के पास किचेन में , उन का हाथ बटाने क लिए।

२० -२५ मिनट बाद रीतू भाभी मेरे कमरे में आयीं और बोलीं , नंदोई जी शायद अभी अभी कमरे में आ गए हैं , और हम दोनों चले। "

आगे आगे वो पीछे पीछे मैं
और जो देखा हमने ,




छुटकी उनके गोद में , ठसके से बैठी और उन्होंने उसके टॉप के सारे बटन खोले हुए , एक टिकोरा बाहर था और उनके हाथ में। उस खटमिट्ठे , उभरते उरोज का उनकी उंगलियां जम के रस ले रही थीं।

लग ही नहीं रहा था कि थोड़ी देर पहले उनका चेहरा इतना उतरा था।





और छुटकी ने बात बतायी।

" जीजू मान गए हैं। उसके क्लास की दो सहेलियां , रीमा और लीला कल जीजू के साथ होली खेलने आना चाहती है "

" जीजू असली वाली पिचकारी से खेलंगे " ये बताया तूने उन दोनों को , "


हँसते हुए बात काट के रीतू भाभी ने पुछा और शार्ट के ऊपर से ही उनके खूंटे को जोर से रगड़ दिया।

"
" लेकिन मेरी भी एक शर्त है साली जी , " कचकचा के उसके कच्चे टिकोरे को दांत से काटते , वो बोले ,

" तीन सालियों के साथ ये मेरी सलहज भी होगी "


" नेकी और पूछ पूछ " रीतू भाभी और छुटकी साथ साथ बोलीं , और साथ ही रीतू भाभी ने अपने ननदोई का मोटा चर्म दंड निकाल के बाहर कर दिया , शार्ट से।

बिना हिचक के अब छुटकी ने ना सिर्फ उसे पकड़ लिया बल्कि , एक झटके में सुपाड़ा भी खोल दिया।

" अरे मैं नहीं आउंगी तो सालियों को असली पिचकारी का स्वाद कौन चखायेगा। लेकिन एक बात है कि उन दोनों को तो मुझे मालूम है आप छोड़ोगे नहीं , लेकिन इस साली का भरतपुर बाद में , मेरे सामने आराम से लुटना चाहिए। क्योंकिं साली को लेना है तो सलहज को भी तो हिस्सा देना होगा। "

" एकदम मंजूर " हंस के वो बोले , "आप के सामने ही लूटूँगा , लेकिन आप का हिस्सा आप को एडवांस में आज ही देता हूँ ".

" मेरी पांच दिन कि छुट्टी चल रही है , वरना मैं साली की तरह डरपोक थोड़े ही हूँ , खुद ही चढ़ के ले लेती। हाँ बस छुट्टी का आखिरी दिन है आज , कल से रेडी फार ऐक्शन , तो कल सालियों की दिलवाउंगी भी और दूँगी भी। " हंस के रीतू भाभी बोलीं।

और उन्होंने आँख से इशारा किया तो झट से झुक के छुटकी ने उनका सुपाड़ा अपने मुंह में ले लिया औ चुभलाने लगी।


मैं साली और सलहज को उनके पास से छोड़ के निकल आयी।

किस तरह रीतू भाभी ने एकदम मामला सुलझा लिया।

सच में भाभी है चाभी।


 बाद में पता चला की , असल में जो वो गायब थे , वो छत पे कमरे में मंझली के साथ थे और उन्होंने' दूसरी राउंड होली ' खेल ली थी। उनके मूड सुधारने में उस का भी बहुत हिस्सा था।

मम्मी ने बोला रीतू को बोलना , खाना खा के जायेगी।




और खाते समय भी वो चालु रहीं , और अबकी मम्मी के पीछे पड़ गयीं।

लेकिन उसके साथ ही उन्होंने जम के खाते समय अपने ननदोई और मेरे 'उनको ' गालियां सुनायी और मेरी छोटी बहनों से भी साथ में दिलवायीं।


' अरे नंदोई जी कोने में न बैठों ,

कोने में लगे ततैया ,

तोहरे अम्मा कि बुर में बहिनों की बुर में ,

बैल को सींग , भैंस को चूतर , बैलगाड़ी को पहिया। '


,…

नंदोई जी तुम्हरी अम्मा के भोंसड़े में , तोहरी बहिनी कि बुरिया में

का का जाए , अरे का का समाये ,

हमारे ननंदोई जाए , उनके सारे जाएँ , सारे के भी सारे जायं ,

घोडा जाय , गदहा जाय , ऊंट बिचारा गोता खाय।

,…

मैं बैठी मुस्करा रही थी और बीच बीच में अपनी ननदों और सास का नाम भी रीतू भाभी को बता दे रही थी।


और मम्मी के पीछे तो , … मम्मी 'इनके' बाएं बैठ गयीं , बस रीतू भाभी चालू हो गयीं।

" नंदोई जी , देखिये आपके बाएं कौन बैठा है , बस छोड़ियेगा मत आज , पुराने चावल का मजा ले के रहिएगा। "

और वो भी न , बोले ' अरे सलहज जी मेरी हिम्मत की जो सलहज का हुकुम टालूँ। '

फिर मम्मी ने परोसते हुए एक बार बोल दिया , ले लो न ,

बस फिर रीतू भाभी , मम्मी के पीछे ,

' अरे आप दे रही हैं , तो लेने से कौन मना कर सकता है , और वैसे मैं राज की बात बताऊँ , ये होली में सास से होली खेलने आये हैं , साली , सलहज तो बहाना है "

और वो कुछ मम्मी की थाली में डालने लगे तो फिर रीतू भाभी ,

" अरे नंदोई जी पूरा डालिये , हमारी और आपकी सास को आधे तिहे में मजा नहीं आता "

और मम्मी भी एकदम खुल गयी थी वो भी बोली , " हमारे दामाद को समझती क्या हो , वो पूरा ही डालता है , वो भी एक बार में। लेकिन तूने डलवाया की नहीं। " रीतू भाभी को उन्होंने भी छेड़ा।


" क्या करूँ , वो पांच दिन वाली 'आंटी ' एकदम गलत मौके पे आ गयीं हैं लेकिन आज उनकी टाटा बाई बाई , फिर कल देखियेगा , एकदम निचोड़ के रख दूंगी , एक बूँद नहीं छोड़ूंगी। " लेकिन फिर वो मम्मी को छेड़ने पे आ गयीं ," इसलिए कह रही हूँ , आज जो मलायी वलाई गड़पनी हो , आज रात छोड़ियेगा मत , मुश्किल से होली की रात ऐसा गबरू दामाद मिलता है। "



मझली को रीतू भाभी के साथ जाना ही था।

रीतू भाभी की एक नन्द थी वो उसे , मैथ्स में हेल्प करती थी। दो ही दिन बाद तो पेपर था। तो तय ये हुआ था कि आज रात और कल दिन वो उन्ही के साथ रह के पढ़ेगी , जिससे जो होली में डिस्टर्ब हुआ था वो बराबर हो जाय। कल दिन में भी होली का हंगामा होना ही था।

वो हम लोगों के जाने के पहले आ जायेगी।

छुटकी बोली की वो भी भाभी के साथ चली जायेगी , और कलसुबह ही वो और भाभी आ जाएंगी। उसकी सहेलियां तो दस बजे आनी थीं जीजू से होली खेलने।

मम्मी ने हामी भर दी।

और उन लोगो के जाने के बाद घर में सिर्फ हम तीन लोग बचे थे , मैं , ये और मम्मी। 


जाने से पहले रीतू भाभी इनसे जम के गले मिलीं , चूम्मा चाटी हुयी , एकदम खुल के और इन्होने अपनी सलहज की चूंचिया और चूतड़ दबाये तो मेरी भाभी ने भी , उनका हथियार दबा के बोला , कल बताउंगी सलहज का मजा। फिर मम्मी को सुनाती बोलीं ,

" अरे ननदोई जी आज रात मौका है , अपनी पत्नी के मातृभूमि का दर्शन जरूर कर लीजियेगा। "

" हँसते हुए , अपनी सलहज को दबाते हुये वो बोले , ' एकदम '.

" उस खाई को देख लीजियेगा जहाँ से ये मेरी मेरी प्यारी ननद और आपकी सेक्सी सालियाँ निकली हैं " वो बोली
" एकदम सलहज जी , सिर्फ देख ही नहीं लूंगा , बल्कि गहराई की नाप जोख भी कर लूंगा " वो कहाँ चूकने वाले थे।

....

मम्मी बगल में खड़ी मुस्करा रही थी।

मझली को रीतू भाभी के साथ जाना था। आज दिन में तो उसकी किताब खुली तकनहीं थी और दो दिन बाद , उसके हाईस्कूल के बोर्ड के इक्जाम का पहला पेपर था वो भी मैथ का। रीतू भाभी की एक छोटी ननद थी , टीचर। तय ये हुआ था की वो आज रात उसे पूरी तरह रिवाइज करवाएंगी और अगले दिन भी वो उन्ही के साथ पढ़ेगी यहाँ घर पे तो होली का हंगामा रहेगा। हाँ , हम लोगों के जाने के पहले वो कल शाम को आ जायेगी।

छुटकी बोली , " मम्मी मैं भी जाऊं , भाभी के साथ , कल सुबह आ आउंगी , भाभी के साथ "

एकदम , मम्मी बोलीं।
वो तीनो लोग चली गयी।
बचे हम तीन।
मम्मी , मैं और ये।





.शाम से ही मम्मी उन्हें जबरदस्त लाइन मार रही थीं , ललचा लुभा रही थी. और उनके मुंह से पानी टपक रहा था।

वो मम्मी के उभारों के जबरदस्त दीवाने थे आगे के भी , पीछे के भी।
ये बात मुझे पता थी और मम्मी को भी।

मैंने उन्हें और नंदोई जी को बात करते सुना था। नंदोई जी बोले" यार तेरी सास के चूतड़ गजब के हैं। "

" सिर्फ चूतड़ ही नहीं , चूंचियां भी , एकदम भरी भरी और मस्त कड़ी। मन करता है दोनों चूची पकड़ के निहुरा के चोद दूँ " वो बोले। फिर कुछ रुक के जोड़ा ,


" और चूंचियां ऐसे ब्लाउज से बाहर टपकती रहती हैं , बस मन करता है चूस लूं , दबा दबा के सब रस पी लूँ। "


पहले तो मुझे कुछ बुरा लगा फिर मैंने सोचा की यार अगर दो जवान मर्द मम्मी के जोबन फिदा हैं इस तरह तो ये तो खुश होने की बात है। "

और आज शाम से मम्मी का जोबन सच में ब्लाउज से टपका पड रहा था।

उन्होंने सफेद रंग का ब्लाउज पहन रखा था , स्लीवलेस और वो भी साइड से बहुत गहरा कटा हुआ।




न सिर्फ उनकी मांसल काँखे साफ दिख रही थी , बल्कि उसमें छोटे छोटे काले बाल भी। चोली स्टाइलका , लो कट आलमोस्ट बैकलेस और बहुत ही टाइट। मम्मी के 38 डी डी वाले उभारो का न सिर्फ कटाव और उभार दिख रहा था , बाली वो सफेद पारभासी ब्लाउज में खुल के झलक भी रहे थे।

खाने की मेज पे जब वो झुक के उन्हें कुछ परोसतीं , तो उनके ग़द्दर दूधिया जोबन तो दिखते ही , अठ्ठनी के साइज के जामुनी रंग के बड़े बड़े खड़े निपल भी झाँक रहे थे।


और यही नहीं , साडी भी उन्होंने शिफॉन की पहन रखी थी , आलमोस्ट ट्रांसपरेंट।

कूल्हे के भी नीचे से बांधी , और वो भी बहुत टाइट। और तरबूज क दो फांक ऐसे उनके बड़े चूतड़ , जब वो चलती तो कसर मसर , कसर मसर करते दीखते ही , बीच की दरार भी साफ साफ झलक रही थी।


और अब आज रात घर में सिर्फ वो मैं और मम्मी थे।


छुटकी , मंझली और रीतू भाभी के जाने के बाद मम्मी ने बाहर का दरवाजा बंद किया , और अपने बेड रूम की ओर चल दी. उनके पीछे , ' वो ' और , सबसे पीछे मैं।

मम्मी ने बेड रूम में पहुँच के दरवाजा बंद कर लिया , और मुड़ के मुझसे कहा " हे , सुन हमीं तो हैं , आज तू मेरे पास ही सो जा। "

शादी के पहले भी मैं अक्सर मम्मी के पास ही सोती थी।

" और मम्मी , मैं? " वो भी बोले।
मम्मी ने प्यार से उन्हें बाहों में भरा , और उनके बालो पे हाथ फिराते बोलीं ,

" एकदम , क्यों नहीं एक और मेरी बेटी और एक ओर बेटा। "

मम्मी के हाथ उठाने से साइड से उनके उभारो का 'स्वेल ' एकदम साफ दिख रहा था बल्कि उनके गालों से रगड़ खा रहा था और उनकी कांख और उसके छोटे छोटे बाल भी , सीधे उनकी नाक के पास। वो महक किसी को भी पागल बना देती , वो तो पहले से ही पागल थे मम्मी के जोबन के।

उसी तरह उनसे से सटी चिपकी मम्मी ने उन्हें और छेड़ा , " लेकिन तुम क्या इतने ढेर सारे कपडे पहन के सोते हो। "

वो एक टाइट टी शर्ट और बॉक्सर शार्ट पहने थे।

" एकदम नहीं , मम्मी " मैं बोली बोली।

अब मैं भी मैदान में आ गयी और जब तक वो कुछ समझे , मैंने और मम्मी ने उनकी शर्ट खींच के निकाल दी।

अब वो सिर्फ बहुत छोटे से बॉक्सर शार्ट में थे , और अब उनकी सारी मसल्स साफ दिख रही थीं।

मम्मी उनकी शर्ट खूंटी पे टांग रही थी तो मैंने पाला बदला और अब 'उनकी ' और आ गयी।

" मम्मी क्या आप इत्ते ढेर सारे कपडे पहन के सोएंगी "


और मैंने मम्मी का आँचल पकड़ के खींचा। थोड़ी देर में उनकी साडी मेरे हाथ में थी और वो भी सिर्फ , साया ब्लाउज में। मम्मी की साडी उनके शर्ट के ऊपर मैंने टांग दी।

लेकिन मैं कैसे बचती। मम्मी ने मेरी साडी खींच दी। हम दोनों मा बेटी के साथ साथ पक्की सहेली भी थे।

कुछ ही देर में हम सब बिस्तर पे थे। मम्मी बीच में और मैं और वो दोनो साइड में।

मैंने लाइट बंद कर दी , लेकिन नाइट लाइट में अभी भी सब कुछ दिख रहा था।





वो लललचायी नजरो से मम्मी के सफेद ब्लाउज से झांकते मम्मों को देख रहे थे , लेकिन बेचारे , झिझक भी रहे थे।

पहल मैंने ही की। मैं अपने 'इनके ' लिए कुछ भी कर सकती थी। 








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