Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--8

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--8

 उसने उसके बालों को पकड़ा और बोला : "अगर तुम मुझे मना करोगी तो मुझे तुम्हारे साथ जबर्दस्ती करनी पड़ेगी ''..

रश्मि : "करके दिखाओ ''

उसने जैसे चेलेंज किया समीर को ..

रश्मि के इतना कहते ही समीर ने उसे बालों से पकड़ते हुए ऊपर उठाया और उसके एक हाथ को पीछे कि तरफ मोड़ते हुए उसे एक तरफ चलने को कहा..

वो एक हाथ से उसके बाल और दूसरे से उसकी बाजू को पकड़कर उसे जानवरों कि तरह चलाता हुआ एक पेड़ के पास तक ले आया और उसे पेड़ के तने से चिपका कर खड़ा कर दिया, उसके नाजुक -२ मुम्मे और खड़े हुए निप्पल, पेड़ के कठोर तने से पीसकर रगड़ खा गए और रश्मि के मुंह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी.

समीर उसके नंगे बदन से लिपटकर खड़ा हो गया और उसकी उभरी हुई गांड पर अपने लंड को रगड़कर अपनी जीभ से उसकी कमर को चाटने लगा.

और फिर वो थोडा सा झुका और उसकी टांगों को खोलकर अपने लंड के लिए जगह बनायीं और अपनी उँगलियों में ढेर सारी थूक लेकर अपने लंड पर लगायी और उसे रश्मि कि चूत पर रखकर नीचे से ऊपर कि तरफ एक जोरदार धक्का दिया.

रश्मि को ऐसा लगा कि उसके पीछे से कोई मिसाइल अंदर घुस गयी है, उसने अपनी टाँगे और भी फेला दी, और थोडा और झुककर समीर के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर ले लिया.

दोनों के मुंह से सिस्कारियां निकल रही थी.

''चोदो मुझे समीर …ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही …येस्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म अंदर तक डालो, फाड़ डालो मेरी चूत को …… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह समीईईर अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

अपनी बीबी को किसी रंडी कि तरह बर्ताव करता हुआ देखकर समीर पर जैसे कोई भूत चढ़ गया, वो अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर से अंदर डालने लगा और हर बार पूरा लंड अंदर बाहर महसूस करके रश्मि को भी बहुत मजा आ रहा था.

अचानक उसने अपने पुरे लंड को बाहर ही निकाल लिया , रश्मि पर भी अब तक दूसरे ओर्गास्म का नशा चढ़ने लगा था , वो अपनी गांड पीछे करती हुई उसके लंड के लिए तड़प उठी और बोली : "डालो न, जल्दी से अपना मोटा लंड, मेरी चूत में उम्म्म्म्म्म्मा ''

पर समीर के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था.

उसने अपने लिसलिसाते हुए लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और अंदर धकेलने लगा..

रश्मि के पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए, वो कसमसाई और धीरे से बोली : "नहीईईईइ …… वहाँ नहीं ....''


ये शायद पहली बार था जब उसने समीर को किसी काम के लिए मना किया था, और बॉस को ये बात पसंद नहीं आयी, उसने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसकी बोलती बंद कि और एक जोरदार झटके से अपने लंड को और अंदर धकेल दिया

रश्मि के मुम्मे पेड़ के तने से रगड़ खाते हुए ऊपर कि तरफ उछल गए.

रश्मि को बहुत दर्द हो रहा था, पर उसे पता था कि अब समीर मानने वाला नहीं है, उसने अपने होंठों को दांतों के बीच दबा कर अपने दर्द पर काबू पाने कि कोशिश कि, और इसी बीच समीर के एक और झटके ने उसे ऊपर कि तरफ उछाल दिया, उसके दोनों पैर एक पल के लिए हवा में लटक गए, और जब वो नीचे आये तो उसके भार के साथ-२ उसकी गांड के छेद ने अपने अंदर समीर के लंड को पिरो लिया.

अब समीर का लोड़ा उसकी गांड के पूरा अंदर तक था.

समीर थोड़ी देर तक रुका रहा और उसके कानों और गर्दन को चूमता रहा.

और फिर धीर-२ उसने पीछे से धक्के मारने शुरू कर दिए..

उसका एक हाथ आगे आकर उसकी चूत को भी सहला रहा था

समीर से मिल रहे हर झटके से वो ऊपर तक उचक जाती और फिर नीचे आती, अब उसे भी मजा मिलने लगा था , वो भी ऊपर नीचे उचक कर समीर का साथ देने लगी थी



समीर ने अपना पूरा लंड बाहर खींचा और फिर से उसकी चूत में डाल दिया , और फिर धीरे से निकालकर वापिस रश्मि कि गांड मारने लगा, समीर अपने सिंगल मोबाइल से रश्मि को डबल सिम का मजा दे रहा था और उसके दोनों नेटवर्क कवर कर रहा था .


और ऐसे ही झटके मारते हुए एक जोरदार उछाल के साथ समीर ने अपनी दो दिन कि जमापूंजी रश्मि कि गांड कि गुल्लक में डाल दी..

और फिर उसने धीरे-२ अपना गन्ना बाहर खींच लिया, पीछे-२ उसके गन्ने का रस भी फिसलकर बाहर आने लगा और रश्मि कि जांघो और टांग से होता हुआ नीचे तक पहुँच गया

और किसी पालतू दासी कि तरह रश्मि उसके सामने बैठ गयी और अपने मालिक के लंड को साफ़ करके चमका दिया

पर अभी रश्मि कि शरारते ख़त्म नहीं हुई थी , उसने समीर के लंड को पकड़ा और उसे पकड़कर झील कि तरफ ले जाने लगी


 झील में थोड़ी ही दूर एक पत्थर था, वहां पहुंचकर रश्मि ने समीर को उसपर बैठने को कहा, समीर अपनी गांड टिकाकर उस ठंडी चट्टान पर बैठ गया , ठंडी हवा और नीचे से मिल रही चट्टान की ठंडक ने उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ा दी.

रश्मि के चेहरे पर शरारत के भाव थे...

वो नीचे झुकी और समीर के मुरझाये हुए लंड को पकड़कर अपने मुंह में ले लिया , उसको चूसते हुए बाहर निकाला और फिर अपनी जीभ से उसको चाटने लगी.



''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रश्मि sssssssssssssssssssssss ''

यानी उसको मजा आ रहा था.

समीर ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा : "अगर अब मैं मना करू तो ....''

रश्मि के चेहरे के भाव बदल गए और वो अपनी आँखे नचाते हुए बोली : "मना कर के तो देखो आज, खा जाउंगी इसको ....''

उसने समीर के खड़े होते हुए लंड को खीरे की तरह लहराते हुए कहा..

बस यही भाव देखकर एक झटके में समीर का लंड पूरी तरह से खड़ा होकर फिर से लहराने लगा.

पर समीर अभी भी जॉली मूड में था..

समीर : "देखो, मैंने अभी - २ अपना माल निकाला है, इतनी जल्दी दोबारा नहीं कर सकता ''.

इतना सुनते ही रश्मि ने एक खूंखार आवाज के साथ उसके लंड और बॉल्स को एक साथ अपने मुंह में ले लिया..

समीर अपना मुंह खोलकर खड़ा हो गया पानी के अंदर.

पर रश्मि ने उसके लंड और टट्टो को नहीं छोड़ा, वो उन्हें चूसती रही, और उनका रस पीती रही..


और जब उसे लगा की अब वो अंदर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है तो वो फिर से समीर को किनारे की तरफ ले गयी, जहाँ गीली मिटटी और हल्का फुल्का पानी था, वहां लेजाकर उसने समीर को नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर सवार होकर अपने मोटे मुम्मे उसके आगे लटका दिए..



 समीर ने लपककर उसके दोनों मुम्मे पकडे और उन्हें जोर-२ से दबाने लगा, उसका लंड अपने आप उसकी चूत के ऊपर ठोकरें मारने लगा, रश्मि ने भी अपनी गांड ऊपर नीचे की और बिना हाथ लगाये उसके लंड के टोपे को सही जगह पर लगा दिया, और फिर उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा उत्तर आया और उन्हें देखते हुए समीर ने नीचे से अपना लंड वाला हिस्सा ऊपर उचका दिया और एक ही शॉट में उसे गीली चूत के अंदर पहुंचा दिया ...

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर स्स्स्स्स्स्स्स्स ……"

वो इतनी तेज चीखी थी की उनकी आवाज वापिस आ रहे काव्या और लोकेश को भी सुनाई दे गयी, दोनों ने एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा और रहस्यमयी हंसी हँसते हुए जल्दी से किनारा आने की प्रतीक्षा करने लगे..

रश्मि ने समीर के लंड के ऊपर नाचते हुए पीछे मुड़कर देखा , अपनी चूत के अंदर बाहर होता हुआ समीर का लंड इतना प्यारा लग रहा था उसे की उसका मन हुआ की अभी नीचे उतरे और उसे कचर कचर करते हुए पूरा खा जाए .....



ऐसा सोचते ही उसकी चूत के अंदर अजीब सी बेचैनी होने लगी, उसे पता चल गया की उसकी चूत का ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है , वो और तेजी से उसके ऊपर कूदने लगी, अपने मुम्मे अपने ही हाथों से मसलते हुए, उन्हें समीर के मुंह के आगे परोसते हुए, अपनी चूत मरवाते हुए, पागलो की तरह चिल्लाते हुए, वो अपनी चूत बुरी तरह से मरवा रही थी...

अचानक वो पलट कर उसके पैरों की तरफ मुंह करके बैठ गयी, क्योंकि इस एंगल में समीर का लंड पूरा अंदर तक जा रहा था..



उसके लंड को अपनी चूत की दीवारों पर रगड़ खाता पाकर, अपने मुम्मों को अपने हाथों से मसलकर वो जोर-२ से चिल्लाने लगी..

और एक जोरदार झटके के उसके अंदर का ज्वालामुखी फट गया और वो नीचे गिर पड़ी..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं तो गयी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह समीर उम्म्म्म्म्म्म.........मैं तो गयी ''

समीर अभी थोड़ी देर पहले ही झड़ा था, इसलिए उसे अभी बहुत टाइम लगने वाला था..

और वो इस टाइम का फायदा उठा कर रश्मि को हर एंगल में चोदना चाहता था..

उसने रश्मि को नीचे उतारा और उसे वहीँ गीली मिटटी पर घोड़ी बना दिया और उसके पीछे खड़ा होकर उसने उसकी उभरी हुई गांड के अंदर अपना लंड पेल दिया..



रश्मि को वो सब सिर्फ महसूस ही हो रहा था, कोई मजा नहीं मिल रहा था, वो तो बस अपनी गांड ऊँची किये, किसी गली की कुतिया की तरह अपनी गांड मरवा रही थी..


 अगले पांच मिनट तक उसकी गांड के सारे पेंच ढीले कर दिए समीर ने, अब तो वो अपने पूरे लंड को बाहर खींचता और फिर से अंदर डालता, और वो भी बिना हाथ लगाये, उसे ख़ुशी हो रही थी की एक ही दिन में रश्मि की गांड ने उसे पहचानना शुरू कर दिया है, इसलिए बिना रोक टोक उसे अंदर ले रही है.

उसने फिर से एंगल बदला और खुद को नीचे बिठा कर उसे अपनी गॉड में बिठा लिया और उसकी गांड मारने लगा.

ऐसा करते हुए वो उसके होंठों को भी चूस पा रहा था और उसके हिलते हुए मोटे मुम्मों को भी देख पा रहा था...



समीर ने उसकी गर्दन को चूसते हुए पूछा : "अह्ह्हह्ह रश्मि , कैसा लग रहा है ''

अब रश्मि का तो काम पहले ही हो चूका था, इसलिए उसे सिर्फ समीर का लंड अंदर बाहर आता हुआ महसूस हो रहा था, फिर भी समीर को बुरा न लगे, और उसका साथ देने के लिए वो कंपकंपाती हुई आवाज में बोली : "उम्म्म्म्म्म इतना लम्बा लंड है तुम्हारा, इसे अंदर लेकर तो सिर्फ मस्ती ही आती है, बहुत मजा आ रहा है डार्लिंग, यू आर फकिंग में रियली वेल्ल ''

अपनी और अपने शागिर्द की तारीफ सुनकर समीर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और किसी ड्रेकुला की तरह अपने दांतों को उसकी गर्दन में गाड़कर उसकी नरम खाल पर अपने दांतों के निशान छोड़ने लगा...



और ऐसा करते हुए उत्तेजना के मारे समीर के मुंह से गलियों की बौछार सी होने लगी

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह साली कुतिया, भेन चोद ,ले मेरा लंड अपनी गांड में, साली रंडी , तेरे अंदर कितनी आग है, भेन की लोड़ी, हमेशा तैयार रहती है मेरा लंड लेने के लिए, तुझे तो गली के कुत्तों से चुदवाऊँगा एक दिन , तेरी चूत की सारी खुजली मिटवा दूंगा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

और उसे पता चल गया की वो वक़्त आ गया है जब आज के दिन का आखिरी शरबत उसके लंड से निकलने वाला है...

पर अब वो सारा रस रश्मि के मुंह में निकालना चाहता था, उसने जल्दी से अपना खीरा उसकी गांड से बाहर निकाला और उसे नीचे बिठा कर उसके सामने खड़ा हो गया, और रश्मि ने भी झट से अपने मालिक के लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसे चूसने लगी..

और तभी एक तड़तड़ाहट के साथ समीर के लंड से सफ़ेद रस की लहरें निकालकर उसके मुंह के अंदर जाने लगी, उसने भी बिना किसी झिझक के वो सारी मलाई अंदर निगल ली और उसे चाट चाटकर पीने लगी


 और यही वो वक़्त था जब समीर की नजरें पीछे खड़ी हुई नाव पर पड़ी, जिसमे बैठे हुए काव्या और लोकेश अपना मुंह फाड़े न जाने कब से उनकी चुदाई का वो खेल देख रहे थे..

एक पल के लिए तो समीर को समझ में नहीं आया की वो क्या करे, वैसे तो लोकेश के साथ मिलकर उसने ना जाने कितनी लड़कियों को एक दूसरे के सामने ही चोदा था, पर आज जिसे वो चोद रहा था वो उसकी पत्नी थी, और फिर ना जाने कैसे उसके मन में आया की पत्नी है तो क्या हुआ, है तो वो एक औरत ही न, लोकेश ने पहले भी उसे कितनी औरतों को चोदते हुए देखा है, अगर उसकी पत्नी को भी देख लिया तो क्या हुआ..

और फिर उसका ध्यान काव्या की तरफ गया, जो बिना पलकें झपकाये अपनी माँ को समीर का लंड चूसते हुए देख रही थी ..

काव्या को देखकर एक पल के लिए तो समीर घबरा गया और अंदर भागने की सोचने लगा पर फिर न जाने क्या सोचकर वो वहीँ खड़ा रहा और अपनी नयी बेटी को अपना खड़ा हुआ लंड उसकी माँ के हाथों चूसता हुआ दिखने लगा..

एक कच्ची कली को देखकर जो हाल एक 45 साल के इंसान का होता है, वही हाल समीर का हो रहा था, उसने नोट किया की काव्या की नजरें उसके भरे हुए लंड से हट ही नहीं रही है , यानी उसका भी चांस है काव्या को चोदने का ......ये सोचकर वो अपनी मर्दानगी पर मंद ही मंद मुस्कुराने लगा ..


समीर को मंद -२ मुस्कुराता हुआ देखकर, उसकी नजरों का पीछा करते हुए रश्मि एक झटके से पलटी और लोकेश और अपनी बेटी को वहां पाकर उसके तो होशो -हवास ही उड़ गए, उसने झटके से पास पड़े हुए टावल को उठाया और समीर को दिया और खुद को पास ही पड़ी एक चादर से ढक लिया ..

रश्मि : "आप बोल नहीं सकते थे की ये लोग वापिस आ गए हैं, आपको शर्म नहीं आई ये सब इन्हे दिखाते हुए, ''

समीर अपना टावल लपेटता हुआ बोला : "मैंने भी अभी देखा इन्हे, अब इतना भी इशू मत बनाओ इस छोटी सी बात का, काव्या भी अब इन बातों को समझती है ''

उसने मुस्कुराते हुए काव्या की तरफ देखा, जिसने एक तिरछी नजर अपनी माँ पर डाली और दूसरी समीर पर, और फिर बिना कुछ बोले वहां से भागकर ऊपर अपने कमरे में चली गयी..

लोकेश : "यार, तूने ही तो कहा था एक घंटे के बाद आने के लिए, देख ले, पुरे एक घंटे के बाद ही आये हैं, वरना मेरा इरादा तुम लोगो को ऐसा देखने का बिलकुल भी नहीं था, सॉरी भाभी .....''

और इतना बोलकर वो भी अपने रूम में चला गया..

समीर जानता था की अभी एक घंटा नही हुआ है, उसके हरामीपन पर वो फिर से मुस्कुरा दिया..

समीर को बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ देखकर रश्मि गुस्से में अपना पैर पटकते हुए ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी.

और उसके पीछे -२ समीर भी.

वो मन ही मन सोच रहा था की ये वाक़या ना जाने क्या रंग बिखेरेगा उसकी जिंदगी में...



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