Saturday, May 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--6

FUN-MAZA-MASTI

 कामुक संध्या--6

 राज ने ऋतु को अपनी गोदी मे बैठा लिया और उसके दोनो चुःसियों को अपनी मुट्ठी मे कुचलते हुए
बोला

राज- आजा साली अब मैं तेरी छूट का भरपूर मज़ा लूँगा आ कुटिया तुझे मस्त छोड़ता हूँ तेरी पनियाई हुई छूट का पूरा मज़ा लूँगा इस बार मेरा वीर्या तेरी बच्चेड़नी मे गिरा के तुझे मस्त कोंगा

ऋतु- आआआअहह मेरी जान तूने बोल दिया बस मैं चुड गयी मेरे राजा पूरा पेलना बाकछेड़नी तक हाए रे इतना मस्त मोटा लूडा मेरी छूट मे जाएगा तो मस्त पानी छ्होएडगी मेरी कमसिन छूट

इतना कहके ऋतु खुद उचक के राज के मस्त लॉड पर चाड गयी और खुद ही उपर नीचे होने लगी राज को ज़्यादा ज़ोर नही लगान पड़ा उसका लंड ऋतु की छूट की गहराई मे घुस चुका था उसने ऋतु के उरोज मरोड़ने शुरू किए इससे ऋतु चुड भी रही थी और कामुक सिसकारी भी मार रही थी

ऋतु- आआहह आआआआआआआआअ हह साले और छोड़ मेरी घोड़ी को अपने मस्त घोड़े के लंड का मज़ा दे मेरी घुड़सवारी कर मेरे घोड़े आओ अजय बाबू मेरी गंद मार लो

अजय- तू ना भी बोलती तो इस पोज़ मे मैं तेरी पिच्छली घोड़ी को छोड़ने वाला ही था तुझे पता ही है तेरे मालकिन की गंद भी मैं बहुत बजता हूँ

ऋतु- हाँ मुझ एपटा हिया मालकिन अक्सर ज़िकरा करती है आपसे गंद मरवाई का मैं उनकी गोरी गोरी गंद पर कई बार तेल मालिश भी करती हूँ मालकिन तो राज बाबू का भी ज़िक्र करती है बिल्ती है राज बाबू मस्त मर्द है जिस रंडी को चाहे छोड़ डालते है रंडियों के बीच राज साहेब के लॉड के चर्चे बहुत है

अजय- अक्चा साली तेरा मालकिन से इतना याराना है तेरे से बर लंड की बातें करती है ले तेरे गंद मे उसके मर्द का लॉडा

ऋतु- आआआआआहह प्यार से छोड़ो मलिक उँचुड़ी और उनतुकी लौंडिया हूँ

राज- साली अब तो तू चुड चुकी है फॉर क्यों ऐसा बोल रही है

ऋतु- हाए मेरे मर्दो पहली पहली बार दो दो लौड़ों को ले रही हूँ आदि होने मे समय तो लगेगा ही

अजय& राज- ठीक है हरमज़ड़ी तेरा मान है जैसे मर्ज़ी चुड साली

ऋतु- आआआअहह हाँ और छोड़ो मेरे कामुक छूट को मरने वालो छोड़ो अपनी ऋतु को

मैं झरने वाली हूँ आआआहह

राज- रुक जा साली मैं साथ मे भी अपना माल उदेलूँगा तेरी छूट मे

(राज ने ऋतु की चुचियों को बहुत ज़ोर से उमेटा और उसकी छूट मे अपना वीर्या गिरने लगा इधर ऋतु की छूट भी पानी फेक गयी ऋतु को राज ने फिर सामने पड़ी काँच की मेज पर ऋतु को बैठा दिया ऋतु की लाल पद गयी छूट से पानी की धार और राज की गढ़ी मलाई मिक्स होकर मेज पर फैलने लगी इधर अजय ने भी मूठ मार मार कर अपना वीर्या भी मेज पर गिरा दिया उसके बाद दोनो के ऋतु को इशारा किया ऋतु मुस्कुरा के झुकी और अपनी छूट से पानी के साथ साथ दोनो मर्दों की मलाई चाटने लगी. इतनी देर की चुदाई के बाद तीनो बुरी तरह तक गये थे ऋतु सारी मलाई छत के उठी और बाहर जाने लगी

राज- कहाँ जा रही है मदारचोड़ हम दोनो को छ्चोड़ के

ऋतु- कहीं नही राजा पूरी रत मस्ती लेनी है बस मूतने जा रही थी

राज- तो तू उसके लिए वहाँ कहाँ जा रही है इधर आ मेरे मूह को इस कम मे ला

ऋतु- हाए रे आब तुम मेरा मूत पियोगे

राज- मूत कहाँ रानी 18 साल की कामुक काली का मूत शराब होता है आ इधर आ साली

(ऋतु कमर मतकती हुई आई और राज के मूह पर छूट रख के बैठ गयी उसकी मस्त छूट से च्छुल च्छुल करके राज के मूह मे मूतने लगी और राज उसकी इस नशीली शराब को मस्त होके पीने लगा)

राज- आआअहह आजा अजय इस कुटिया की छूट की शराब पीके देखना साली विस्की से भी ज्यदा नशीली है

अजय- हाँ राज इसकी अगली शराब मेरे गले मे होगी और इसे क्यों ना देसी का मज़ा दिया जाए

ऋतु- देसी??

राज- हाँ साली हमारे मूत का

ऋतु- कैसे अब मेरे मूह मे लॉडा पेल के या ग्लास मे दल के

राज- नही ऐसा किया तो राज का रंडियों के पास जाना बेकार है तुझे नये तैरके से मूत पिलायुंगा

ऋतु- कैसे

राज- तेरी ही छूट से

ऋतु- क्य्ाआआआअ

राज- हाँ इधर आ साली

ऋतु राज के पास आई और राज ने उसे पीठ के बाल लिटा दिया और परों को मोड़ के उसके घुटने उसीके कंधे के पास इतना नज़दीक ले गया की उसकी छूट लगभग उसके मूह के पास आ गयी ऋतु राज के द्वारा दिए गये इस आसान से मुकुराई और उसके अपने मूह को अमृतपान के लुए खोल दिया राज ने अपने लंड को रातू की छूट मे इस तरह फिराया जैसे आत्म मे कार्ड फिरते है और उसने अपने लॉड से मुतना शुरू किया तो धार सीधी ऋतु के मूह मे गिरी उसने भी चुड़ैल रंडी की तरह राज का मूत का कटरा बेकार नही होने दिया और सारा मूत पी गयी और राज के बाद अजय आयेज बड़ा और अपना लॉडा ऋतु की छूट मे दल दिया और मूतने लगा जब ऋतु की छूट मूत से भर गयी तो उसने लॉडा बाहर खींचा और अपना बचा हुआ मूत ऋतु के मूह ने डाला ऋतु ने पहले तो अजय का मूत लंड की धार से पिया और फिर अपनी छूट को मूह से सता के अजय का बाकी मूत पी गयी.

ऋतु-आ मज़ा आ गया वाकई तुम दोनो मर्दों ने मेरी जवानी की पायस भुझा दी

किशोर- तो यह थी तेरी पहली चुदाई देखा किरण कैसे इस हरमज़ड़ी की चुदाई की हमारे दाद ने

किरण- हाँ जी मस्त चुदाई की उन्होने

किशोर- ई कुटिया ऋतु अब तू तय्यार है मेरा मस्त लॉडा अपनी छूट मे लेने को

ऋतु- हाँ मलिक आओ मेरी छूट मे लॉडा दल के उसे धान्या कर दो मैं आप का वीर्या अपनी बाकछेड़नी मे दल के उसे आपके गरम वीर्या से नहलौंगी

किशोर- साली कुटिया तुझे छोड़ के तेरी मालकिन किरण को धीखना है की इस हवेली की नौकरानिया कितनी मस्त होके मालिकों का लंड चुस्ती है और उनके साथ जवानी के हर खेल को खेल सकती है

ऋतु- मैं तय्यार हूँ मेरे मलिक आप मेरी छूट जैसे चाहे वैसे मार सकते है

किशोर ने ऋतु को अपने ही बिस्तेर पर ननगी लिटाया और उसकी छूट मे लंड घुसेड़ने लगा यह देख के किरण की आँखें फट गयी उसे विस्वास ही नही हुआ की उसका पति उसी के सामने हवेली की नौकरानी की छूट छोड़ सकता है इधर सरवन ने किरण को पूरी तरह ननगा कर दिया था वो उसकी जांघों पर हाथ फिरा रहा था जिससे उत्तेजित होके किरण की छूट पनिया गयी थी सरवन की इतनी हिम्मत नही थी की वो मलिक के सामने मालकिन की छूट मे उंगली भी दल सके और यहाँ किरण मस्ता भी गयी थी वो आगे बड़ी और किशोर के मूह के सामने छूट रख दी

किरण- छाती मेरी जवानी के मलिक अपनी रानी की छूट चतो देखो तेरे नौकर ने इसे कितना चिकना और द्राविभूत कर दिया है साली यह कुटिया जैसी फूल गयी है इसे चूस के आयार इसे छोड़ के अपना मर्दो वाला धर्मा निभाओ मेरे सरताज

किशोर ने अपना मूह आयेज बदाया और किरना की छूट चाटने लगा और कमर हिला के ऋतु की छूट छोड़ने लगा

किशोर- सरवन इधर आ साले तेरा लॉडा खड़ा हो गया है तो आ ऋतु की गंद मे पेल

सरवन- हाँ मलिक अभी छोड़ता हूँ साली की गंद

किशोर- आ मेरे साथ अपनी जोरू का मस्त गांग बंग करे

सरवन- यह क्या होता है मलिक

किशोर- इसमे कई लोग मिलके एक ही छूट मरते है

सरवन- पर यहाँ तो सिर्फ़ हम दो है

किशोर- तू चिंता मत कर इसकी छूट मरने को मैं अकेला ही काफ़ी हूँ हाँ बाकी मस्ती लेने को तुम सब नौकर हो ना सभी को कोमों रूम मे बुलाओ तो ज़रा

किरण- क्या करोगे अब क्या इस मस्त चिड़िया को कोमों रूम मे छोड़ोगे

किशोर- तू देखती जा

किशोर के कहने पर सरवन ने अपने पास का मोबाइल निकाला और हवेली के पाँच नौकरो को कोमों रूम मे आने को बोला और यह भी बोला की सब आ जाए तो उसे फोन करें

सरवन- बोल दिया मलिक सारे 15 मीं मे कोमों रूम मे होंगे

किशोर किरण की छूट छत रहा था किरण ने मस्ती मे आके चूतड़ हिलने शुरू किए और किशोर ने ऋतु की छूट मे ज़ोर ज़ोर से झटके मरने शुरू किए ऐसा लग रहा था किशोर को ऋतु की घोड़ी पर सवारी करने की बहुत जल्दी हो वो रेस को तुरंत जितना चाहता था और उधर ऋतु भी अपनी कक़ची और कसी हुई घोड़ी को किशोर के घोड़े के लंड के आयेज नाचा नाचा के मस्ती लूट रही थी

ऋतु- आआअहह मलिक मेरी छूट पानी फेकने वाली है आओ मलिक अपना गरम वीर्या मेरी छूट मे डालो मेरे मलिक आआआआआआआआहह

किशोर- रुक साली इतनी जल्दी क्या है अभी घोड़े की सवारी मे और टाइम दे

ऋतु- मलिक आआआआआआआआआअ हह आआआआआआआआअ आप बहुत ज़बरदस्त छोड़ेटे हो आपके आयेज तो कोई रंडी भी 10 – 15 मीं से ज़्यादा नही रुक पाएगी मेरी तो औकात ही क्या है आआआआआआआअ मलिक छोड़ो और ज़ोर से छोड़ो आआआआआअ मैं झाड़ रही हूँ मलिक आआआआआआआआ हह

इतना कह के ऋतु की छूट ने अपना पानी छ्चोड़ दिया ऋतु की छूट मे पानी की धार को बहता महसूस करके किशोर ने भी उस कुटिया की छूट मे अपना वीर्या उदेलना शुरू किया

किशोर- ले मदारचोड़ तू नही मनती तो ले मेरे वीर्या से अपनी बाकछेड़ली को नहला दे साली हरमादी कुटिया की औलाद ले अपनी छूट मे मेरा सला माल

इधर किरण की छूट छाते छाते वो इतनी गरम हो चुकी थी उसने भी अपनी धार किशोर के मूह पर मार दी

किरण- हाए राजा मैं भी च्छुत गयी कमाल की छूट चत्ते हो हाए रीईईईईईई झाड़ गयी मैं तो

किशोर- हाँ रानी आजा आब इसके बाद तेरी इस छूट और गंद को मारूँगा आज तेरी गंद की नाथ उतरई करूँगा

किरण- जो मर्ज़ी हो वो करो मेरे सरताज सब कबूल है तुम्हारी इस दासी को

किशोर- सरवन वो सब कुत्ते आए या नही

सरवन- मलिक सब आ गये है और कोमों रूम मे आपके आदेश का इंतज़ार कर रहे है

किशोर- ठीक है ई ऋतु

ऋतु- हाँ मलिक

किशोर- चल जा उठ के न्नगी जा कोमों रूम मे तुझे प्यार से सहलाने के लिए 5 लंड इंतज़ार कर रहे ही आज इस हवेली मे तेरे छूट का जस्न होना चाहिए और साली अगर इस रत की बात की भनक किसी को भी लगी तो मेरे से बुरा कोई नही होगा

ऋतु- नही मलिक कैसे लगेगी बड़े मलिक और मालकिन तो बाहर गये है छ्होटे मलिक शहर मे रहते है और रागिनी मेंसब् तो उपर फर्स्ट फ्लोर पर कब की सो चुकी होंगी अपनी नींद की डॉवा लेके

(रागिनी ने अपना नाम सुना तो वो सिहर गयी उसे दर लगा की कहीं किसी नौकर या ऋतु या उसके भाई भाभी ने उसे देख लिया तो उसकी बुरी दूरगत ना हो एक पल को उसका हवेली का खून काहूला की नौकर और नौकरानियों की तो वो खुद भी मा छोड़ डालेगी रही भाई और भाभी की बात जो होगा देखा जाएगा उसे यह मस्त ससेकने देखते रहना चाहिए इधर किशोर ने ऋतु को नंगी ही कोमों रूम की तरफ भेज दिया और सरवन को बोला की वो उसके लिए दारू का ग्लास बनाए और खुद खिड़की के पास जाके देखने लगा की बाकी के नौकर कैसे ऋतु की छूट बजाते है किरण भी उसके साथ न्नगी की खिड़की के पास खड़ी हो गयी सरवन ने जब उसकी दारू का इंतज़ाम कर दिया तो किशोर ने उसे भी निर्देश दिया की वो भी जाके ऋतु के गंद बंग या मस्त सामूहिक छोड़न प्रक्रिया मे बाकी नौकरो का साथ दे सकता है सरवन खुखूसी वहाँ से चला गया क्योंकि अगर वो रूम मे रहता तो उसे ऋतु की छूट मे हिस्सा नही मिल पता और बाकी नौकर उसकी बीवी की छूट को मस्त होके छोड़ते क्योंकि उसे पता था की ऋतु की जवानी पर सारे नौकरों की निगाह थी और सब ऋतु को छोड़ने लो लालआयाइत रहते थे)

धर ऋतु नंगी ही कोमों रूम की तरफ आई ऋतु को मस्त आलमास्त नंगी देख के नौकरों के लॉड खड़े हो गये एक नौकर ने पुचछा

पिंकू- हाए ऋतु यह क्या हो गया हवेली मे पूरी नंगी होके घूम रही है बहुत चुदसी हो गयी है क्या. सरवन के लॉड से प्यास नही भुजती क्या

ऋतु- (कामुकता के साथ) हाए राजा जो मज़ा तेरे लॉड मे है वो सरवन मे कहाँ आजा मेरी जवानी का मज़ा लेना है तो तुम सब सालो नंगे होके आ जाओ मैदान मे मैं देखती हूँ कितना भूखार है तुम लोगो के लॉड मे

बाबू- साली तेरी छूट का भुर्ता ना बांडूं तो मेरा नाम बाबू नही दिन भर रसोई मे साथ कम करती है जी होता है वहीं पटक के छोड़ दूं तेरी छूट छत छत के छोड़ूँगा तुझे मेरी किचन की चिकनी छूट

राजा- बता तो साली इतनी रत गये नंगी घूमती फिर रही है किसने आग लगाई तेरे छूट मे रोज़ घूमती है या आज कोई स्पेशल त्योहार है तेरी छूट का

ऋतु- (चटखारे लेके) यह तो तुम लोग सोचो सालो दिन मे मेरी छूट मरने की सोचते हो रत मे अपनी अपनी बीवियों को मेरा नाम ले लेके छोड़ते हो हरमियों मुझे सब पता है मेरी छूट के कितने दीवाने हो

तीनो नौकर- हाए रे कसिए पता

ऋतु- सालो कुत्टो तुनहरी वो कुटियाएँ मुझे सब बताती है कैसे उनके मूह मे मेरा नाम लेके अपना वीर्यपत करते हो

नरेश- मैं तो अभी कुँवारा हूँ मेरी शादी कहाँ हुई मैं तो तेरी छूट मरने के सपने लेके मूठ मरता रहता हूँ मेरी तमन्ना आअज पूरी होगी

ऋतु- (नरेश के कन मे) हाँ राजा पर तू जो इनकी बीवियों को च्छूप च्छूप के छोड़ता है वो राज बतौ क्या राजा और बाबू को दोनो तेरी गंद मार लेंगे

नरेश- - (ऋतु की च्चती को सहलाते हुए) नही मेरी जान मुझे माफ़ कर साले बड़े मोटे लॉड वेल है मैं मार जवँगा तू जैसे बोलेगी तेरा साथ दूँगा

राजेश- क्या फुसफुसा रहे हो तुम दोनो इधर आ ऋतु जान तेरी जवान च्चती का मज़ा मैं भी लूँगा साली तू तो हमारी मंडली की प्रिया भाभिजी हो जिसकी छूट के दीवाने सारे नौकर है आओ आज तुझे छोड़ के अपनी अपनी पुरानी साध पूरी कर लें

ऋतु- (कामुकता से) हाँ आओ मर्दों मेरे असली वेल मर्द के आने से पहले मेरे हर एक च्छेद को अपने लॉड से भर दो छोड़ डालो मुझे जी भर के ऋतु की जवानी पर राज करो मेरे राजाओ आओ छोड़ो मेरी नशीली और कामुक छूट को मेरी मस्त टाइट गंद को एक मेरे मूह मे लौद अदलो और दो मर्द मेरी जवान तनी हुई च्चती से खेलो मैं तुम सबके लॉड को मसलूंगी खेलूँगी कहूँगी और मस्त चुड़ूँगी सब लोग मिलके जहड़ना मेरे मूह मे सबकी मलाई कहूँगी आज

ऋतु की इतनी कामुक बाते सुनते ही सभी नौकरों ने अपने कपड़े उतार दिए 5 मोटे मूसल लंड ऋतु की जवानी की ऊवार बड़े और उसके नंगे जिस्म से लिपट गये ऋतु ने भी तीन लुंडो को अपने च्छेदों मे डाला और दो लुंडो लो मूठ मरने के लिए हाथों मे जाकड़ लिया

ऋतु – आओ राजा छोड़ो अपनी जवान और न्नगी ऋतु को मुझे प्यासा मत छ्चोड़ना कसम है जो कोई भी लॉडा आज मेरी गरम छूट से बच के गया तो तू क्या सोच रहा है रे नरेश

नरेश- हाए मेरी जान आज सचसी मे तेरी छूट मरने को मिलेगी भगवान से आज और भी मननगा होता तो शायद मिल जाता

ऋतु- क्या माँगा था तूने

नरेश- आज रत को मूठ मार के सोते समय यही सोचा था की काश तू छोड़ने को मिल जाए तो रत मस्त गुजर जाए अगर पता होता तो..........

ऋतु- (नरेश को अपनी च्चती की ऊवार खींच के उसके कन मे ) तो किसकी बर छोड़ने की माँगता बता ना साले तेरी प्यारी चुदसी भाभी हूँ

नरेश- (ऋतु के कन मे) तो रागिनी मेंसब् की बर माँगता री कम से कम आज रत तो कई रोज उस कामिनी की कामुक जवानी के बारे मे सोच के मूठ मारी है जैसे तू आज मिली काश किसी दिन वो भी न्नगी होके मेरे लॉड के नीचे आ जाए तो जिंदगी बन जाए

इधर रागिनी खिड़की के पास खड़ी ती उसे सुनाई दे गया और उधर किरण की खिड़की तक यह संवाद नही पहुँचे रागिनी का मूह लाल पद गया उसे जब उसकी ही हवेली का कुँवारा नौकर छोड़ना चाहता है तो इसका मतलब है की सारे नौकर उसकी जवानी को चूसना चाहते होंगे उसकी बर ने लसलसा के और पानी छ्चोड़ दिया वो समझ गयी जो मूली वो किचन से चुरा के लाई थी उसे कम मे लाना होगा काहिर वो चुदाई का अगला नज़ारा देखने लगी


इधर ऋतु अपनी छूट गंद और मूह के साथ साथ दोनो हाथों मे लंड पकड़े हुई थी और मस्त चुदाई का मज़ा ले रही थी उसकी कामुक जवानी को पाँच जवान लॉड मस्ल रहे थे और उसकी सिसकारी कमरे मे गूँज रही थी

नरेश- धीरे धीरे मचल साली कोई सुन लेगा

ऋतु- (झूठ बोलते हुए)कोई नही है साले आज इस हवेली मे नौकरों को छ्चोड़ के सब साहेब और मेमसाहेब लोगो को मैं खुद शादी के लिए छ्चोड़ के आई हूँ सालो अपनी अपनी मर्दानगी का ज़ोर लगाओ और छोड़ डालो ऋतु को

बाबू- साली तू चूड़ना च्चती है तो और ज़ोर से चिल्ला और बता किस तरह से हम पाँचो तेरी कामुक जवानी को उधेड़ डाले साली इसीलिए आज न्नगी घूम रही है हवेली मे ताकि पाच पाँच लॉड तेरी छूट का बाज़ा बाज़ा सके

ऋतु- सालो तुम पाँच छोड़ुव को बताना पड़ेगा मेरे हर च्छेद मे अपनी मलाई दल दो मुझे इस मेज पर अपनी अपनी मलाई गिरा के चटवओ मेरी गंद का छेड़ चतो उसे उंगली से चौड़ा करो इतना चौड़ा की मेरे पति कल छोड़े तो जान जाए की तुम लोगो मे मेरी गंद और बर दोनो मारी है

सभी- ले कुटिया तेरे उपर मलाई तो अभी गिरते है फिर करते है तेरी चुदाई का नया रौंद शुरू

इतना बोलके सबने अपने अपने लॉड से वीर्या गिरना शुरू किया

नरेश- आआआअहह रागिनी तेरी छूट बड़ी मस्त है साली कुटिया की तरह चुड एक बार ना तेरे को मस्त घोड़े की तरह छोड़ा तो मेरा नाम नरेश नही तेरे साथ 5 काइलामीटर तक गुड्दौड़ करूँगा

ऋतु- साले मैं ऋतु हूँ और यह 5 काइलामीटर की घुड़दौड़ का मतलब क्या है

नरेश- पता है जान अब रागिनी नही तो तुझे ही रागिनी समझ के तेरी छूट मे झाड़ रहा हूँ ऐसा लगा रहा है वो कुटिया खुद उचक उचक के छुड़वा रही है

ऋतु- (नरेश के कन मे) साले जब उसका भाई तेरी गंद मरेगा तो

नरेश- कसम से ऋतु रानी अगर रागिनी की छोड़ने को मिले तो किशोर से गंद भी मरवा लूँगा

ऋतु- देखूँगी साले जब गंद मे बेलन जाएगा तो मा चुड जाएगी तेरी यह 5 काइलामीटर की घुड़दौड़ का मतलब तो बता

नरेश- साली जब मैं किसी की छूट मरता हूँ तो उस छूट को घोड़ी समझ के और अपने लॉड को घोड़ा मान लेता हूँ और फिर उस घोड़ी मे घोड़ा तब तक फसाता हूँ जब तक एक नॉर्मल घोड़ा 5-7 काइलामीटर की दुआदा लगा ले और मेरा दावा है हर चुदसी घोड़ी इतनी देर मे पानी फेक देती है तो रागिनी की क्या बिसात वो मासून काली तो देखना 2-3 काइलामीटर की दौड़ मे पानी छ्चोड़ देगी या हो सकता है मेरा घोड़ा देख ले पानी फेक दे.

ऋतु- (ऐथते हुए) हाँ साले मैं तोझड़ी अब तुम लोगो का क्या हाल है मेरे घोड़ो

सब- हम तो झड़ने की कगार पर है तो बता कहाँ झाडे मलाई को छूट मे डलवाएगी या मेज पर डाले

ऋतु- सब अपना अपना वीर्या मेज पर गिरयो मैं मिक्स मलाई खयुंगी

सभी नौकरो ने अपने अपने लॉड को सहलाते हुए इरया को मेज पर गिरा दिया जिसे इस कामिनी ऋतु ने रंडी की तरह झुक के चाटना शुरू किया और सेसएंड़ो मे सारी मलाई छत गयी

नरेश- वा भाभी तुम तो ऐसे मलाई खा गयी जैसे किचन मे दूध के उपर की मलाई छत लेती हो

ऋतु- नही साले वो मलाई तो पूछ बाबू से कुच्छ खाती हूँ और कुछ इसकी नज़ारे बचा के अपनी छूट पर माल लेती हूँ ताकि यह छूट मस्त बनी रहे सालो आओ मेरी छूट गंद और मूह को छोड़ो और अपनी पोज़िशन बदल लो जो हस्त मैथुन का स्वाद ले रहे थे वो मेरे गंद और मूह पे आ जाओ और इस नरेश को कुत्ते की तरह मेरी छूट मरने को छ्चोड़ दो.

बाबू – क्यों

ऋतु- सला कुँवारा है ना रोज़ रोज़ छूट नही मिलती है ना और मस्त जवान घोड़ी मिली है तो छोड़ने दे ना साले घोड़े को

नरेश- (ऋतु के कन मे) इस बार टुजेह रागिनी बनके छोड़ूँगा मेरी भाभी

ऋतु- जो मर्ज़ो कर चाहे किरण समझ के छोड़ या रागिनी मैं दुबारा तेरे घोड़े की घुड़सवारी को तय्यार हूँ मेरे नये मर्द

नारश- नही किरण नही सिर्फ़ नंगी और कामुक चुदसी रागिनी साली की नाथ उतरने को मिले तो कसम से जान डेडुन

ऋतु- हाए इतना उसकी छूट का प्यासा है

नरेश- हाँ मेरी भाभी अगर कुच्छ बात बनने की उम्मेड हो तो बता

ऋतु- साले मैं कोई दलाल हूँ लंड मे दूं है तो उपर फर्स्ट फ्लोर पे सो रही है जाके छोड़ दे साली को और उसकी कक़ची छूट को मर्द का स्वाद दे दे

नरेश- रहने दे भाबी तेरी छूट से ही कम चला लेता हूँ अभी तो पर अगर मौका लगा तो साली को घोड़ी ज़रूर बनौँगा

इधर रागिनी ने सारी नरेश और ऋतु की बाते सुनी उसकी छूट मे पानी भर आया वो अपने रूम मे पहुँच के मूली से ठंडी हयी किरण ने किशोर के लॉड से प्यास भुझाई और ऋतु ने पंक्च मर्दो का फिर से वीर्या चखा और मुस्कुराते हुए अपने रूम की ऊवार चली गयी क्योंकि उसे विस्वास था की उसकी डबल गांग बंग के बाद किशोर ने किरण को जी भर के छोड़ा होगा.

चंदर- (बाहों मे फाँसी किरण की चुही मसलता हुआ) बड़ी मस्त चुड्ती है तेरे भाबी घर की नौकरणीयाँ की इतनी गरम है या तूने सिर्फ़ मेरे मान रखने को मस्त कहानी नमक मिर्च दल के सुनाई है

किरण- क्या मतलब है तेरा मैं झूठ बोली क्या

चंदर – यह तो अभी पता चल जाएगा

किरण- कैसे

चंदर- तू देखती जा मैं कैसा मेला लगवाता हूँ यहाँ पे

किरण- (गले मे कुच्छ फास्टे हुए) क्य्ाआआआ ( वो दर गयइ की उसका रागिनी बनने का भेद अब खुल जायगा) 
 





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