Sunday, May 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI देखो मज़ाक मत समझना--3

FUN-MAZA-MASTI

 देखो मज़ाक मत समझना--3


आख़िर हम जब बगिया पहुँचे तो मेरे ऊपर चुदाई का नशा छाया हुआ था। कमरे में जाते ही मैंने आनन्द से चिपकते हुए कहा- आनन्द मुझे चोद दो, चूत बहुत प्यासी हो गई है।

आनन्द ने मेरे बदन को ढकती साड़ी खींच कर निकाल दी, उसके साड़ी निकालने के अंदाज़ से मैं डर गई और मुझे लगने लगा कि आज मेरा बदन चूत और गान्ड का बैण्ड बजने वाला है।

मुझे नंगी करके आनन्द ने मुझे हुक्म दिया- अब तुम नंगी ही रहोगी जब तक हम यहाँ हैं।

मैंने फिर से आनन्द से कहा- मुझे चोदो तो !
उन्होंने कहा- मुझे खुश कर अपने अंदाज़ से... तुम जितना मुझ को खुश करोगी मैं उतना तुम्हारी चूत को खुश करूँगा।

मैंने उनके काले लंड को निकाला और नीचे दोनों बॉल को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।

आनन्द काफ़ी जोश में आ गये, वो मुझ को गंदी गंदी गाली दे रहे थे- रंडी, छिनाल, वेश्या, कुतिया ! और ना जाने क्या क्या कह रहे थे जिससे मेरा जोश और बढ़ रहा था, मेरा बस चलता तो मैं उनका लंड पकड़ कर अपनी चूत में घुसा लेती।

मैं उनके तने लंड के नीचे दोनों गेंदों को काफ़ी देर तक चूसते हुए उनकी टाँगों के नीचे से उनके पीछे की तरफ आ गई और उनको नीचे की तरफ झुका कर उनकी गाण्ड के छेद पर अपनी ज़ुबान लगा दी।

वो आआहह के साथ बोले- बहुत अच्छी रंडी है तू ! चाट, ज़ोर ज़ोर से चाट !

मैं पागलों की तरह उनको चाट रही थी और अपने दाँतों से आहिस्ता आहिस्ता काट रही थी, मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था, मैं एक अंजान आदमी के साथ वो कर रही थी जिसको करने के लिए लोग शादी करते हैं, रंडिया ऐसा करने के लिए रूपए लेती हैं और मैं ये सब फ्री में कर रही थी।

आनन्द ने मेरे बालों को पकड़ कर खींचते हुए अपने आगे किया और काला नाग जैसा लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया। एक बार फिर मेरी आँखें निकल आई उसी हालत मैं उन्होंने मुझ को ज़मीन पर लिटा दिया और 69 की पोज़िशन में आ गये, उनका लंड मेरे हलक से अंदर तक घुस रहा था, वो मेरे मुँह पर बैठ कर मेरे मुँह को चोद रहे थे औरआहिस्ता आहिस्ता चाटते हुए वो मेरी चूत की तरफ बढ़े और अपने दोनों हाथों से मेरी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैला दिया जिससे मेरी चूत का छेद साफ नज़र आने लगा।आनन्द ने अपनी ज़ुबान की नोक मेरे छेद पर जैसे ही रखी, मेरा बदन एकदम से अकड़ गया, मेरी चूत ने एकदम से पानी छोड़ दिया। आनन्द ने पूरा पानी चाट गये, यह पहली बार आनन्द ने मेरी चूत पर मेहरबानी की। मैं पूरे जोश में उनके लंड को चूसने लगी, उनके लंड से भी वीर्य की गाढ़ी बाढ़ मेरे मुँह में गिरने लगी, इस बार मैं एक दासी की तरह उनका पानी पी गई।

वो मेरी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर करते हुए बोले- रंडी तुझ को चोदने में बड़ा मज़ा आएगा ! अगर पहले तेरी चूत देख लेता तो तेरी शादी में तेरे पति की जगह मैं तेरे साथ सुहागरात मनाता। मैंने उनका काला लंड जो थोड़ा थोड़ा सख्त था, मुँह से निकाल कर बोली- अगर इतनी अच्छी चूत है तो चोदते क्यो नहीं?
तो आनन्द ने कहा- मादरचोद, अगर जल्दी चोद दूँगा तो मेरे लंड की अहमियत तेरे को क्या मालूम होगी और तेरे जैसी गोरे और चिकना बदन वाली को तो अब हमेशा चोदता ही रहूंगा, जल्दी क्या है अभी तो शुरुआत है!

यह कह कर आनन्द ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी चूत में डाल दी। शादी शुदा होने के और आनन्द से अब दो बार चुद जाने के बावजूद मैं तड़प कर रह गई आनन्द से बोली- तकलीफ़ हो रही है..

आनन्द ने मुझे कुतिया की तरह झुकने को कहा। मैं आज पहली बार इतनी ज़िल्लत उठाने के बावजूद अपने आपको दुनिया की सबसे खुशनसीब औरत समझ रही थी, मैं एक गैर लंड से चुदने के लिए बेचैन थी, वो मेरे आका और मैं उनकी रखैल थी, वो मुझ को अपने इशारों पर नचा रहे थे और मैं नाच रही थी।

आनन्द ने अपने दोनों मजबूत हाथो से मेरे दोनों कूल्हों पर इतनी ज़ोर से मारा कि मैं चिल्ला उठी, मैं तड़प के बैठ गई और आनन्द के आगे हाथ जोड़ कर बोली- प्लीज़ तुम मुझ पर रहम करो, बहुत तकलीफ़ हो रही है।

तो आनन्द ने कहा- दर्द में ही मज़ा है मादरचोद रंडी !आनन्द ने मुझे नीचे लिटाया, मेरी टाँगों के बीच में बैठ गये तो मैंने अपनी टांगें उनकी कमर के दोनों तरफ कर दी, मेरी चूत ने मेहमान का स्वागत करने के लिए अपने मुँह का दरवाज़ा खोल दिया, आनन्द अपने लंड का आगे का हिस्सा मेरी चूत पर फिराने लगे मेरी ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी, मेरी चूत एक काले मोटे लंड को अपने अंदर लेने को बेचैन होने लगी थी।

उनके लंड की लोहे की तरह गर्म टोपी मेरी चूत के छेद से टकराया और फिर आनन्द ने हल्के से एक झटका मारा और उनकी टोपी मेरी चूत को फाड़ती हुई अंदर घुस गई।

मेरा पूरा बदन काँपने लगा मेरे मुँह से चीख निकल गई ऐसा लगा किसी साण्ड ने अपना सींग मेरी चूत में घुसा दिया हो।

आनन्द ने मेरे उठे हुए बोबे को दबाते हुए कहा- क्यों रंडी, चुदवाने का बहुत शौक था? अब जब घुसा रहा हूँ तो चिल्ला क्यों रही हो।

मैं अपनी साँसों पर काबू पाते हुए बोली- चूत बनी है लंड के लिए लेकिन तुम्हारा तो मेरी कलाई के जितना मोटा है, लगता है लंड नहीं हाथ घुस गया हो !

तो आनन्द ने कहा- अभी तो सिर्फ़ टोपी ही अंदर गई है, अभी तो पूरा खंभा बाकी है

मैं अपने आप को आगे की तकलीफ़ के लिए तैयार करने लगी, तभी आनन्द ने कहा- मैं अपना पूरा लंड तभी चूत में घुसेड़ूँगा जब तू मेरी शर्तें मानेगी।

मैं जल्दी से बोली- मुझ को तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।

आनन्द ने कहा- ऐसे नहीं, मैं जो कहूँ उसको सुन और अपने मुँह से बोलना तब ही मैं मानूँगा।

मैं बोली- कहो, तुम्हारी क्या शर्तें हैं?

आनन्द बोले- तेरे पति के बाद तेरी चूत पर सिर्फ़ मेरा हक़ होगा और मैं जब चाहूँ और जहाँ चाहूँ, तुम अपनी चूत को मेरे लिए पेश करोगी।

मैंने कहा- मैं तुम्हारा लंड देख कर ही तुम्हारी हो गई हूँ, तुम मेरी चूत को मसल दो, मुझको बेदर्दी से चोदो, छिनाल रंडी बना दो, तुम दिन में बोलोगे तो दिन में, रात में बोलोगे तो रात में मैं हर जगह तुम्हारे लिए अपना जिस्म पेश कर दूँगी।

मैंने आनन्द से कहा- मुझको तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।

आनन्द बोले- अब मज़ा आएगा तेरे जैसी औरत को रंडी बनाने में !

यह कह कर आनन्द ने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उन्होंने अपना काला मोटा लंड मेरी चूत में एक ज़बरदस्त झटके के साथ पेल दिया। मेरी चूत जो लंड लेने के लिए बेचैन थी, इस अचानक हमले को झेल नहीं पाई, ऐसा लगा कि मेरी पहली चुदाई हो रही है, मैं अब तक कुँवारी थी, मेरी चूत मैं उनका लंड घुसते ही पचाक की आवाज़ आई मेरी चूत का पानी उनके लंड के घुसते ही मेरी चूत से बाहर आने लगा, मेरे मुँह से चीख नकल गई, मैं तड़पने लगी लेकिन आनन्द पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

मैं जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी, आनन्द पर इसका मानो कोई असर ही ना हुआ हो, वो जंगली सांड की तरह मेरे ऊपर चढ़े हुए थे, मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया था, आनन्द का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था, मेरे बदन का रोयाँ रोयाँ काँप रहा था। मेरे दिल में आया कि आनन्द से कह दूँ कि अपना लंड मेरी चूत से निकाल ले मुझ को नहीं चुदवाना है लेकिन इसी लंड के लिए तो मैंने अपना नाज़ुक बदन अपनी चूत और अपनी इज़्ज़त को दाँव पर लगाया था, इसी लंड को हासिल करने के लिए मैंने आनन्द की हर शर्त मंज़ूर की थी, फिर ऐसी खुशनसीब कम ही होती होंगी जिसको एक से ज़्यादा का लंड नसीब हुआ हो ! मैंने अपना सब कुछ आनन्द के लंड पर न्यौछावर कर दिया यह सोच कर कि अब मैं एक पति वाली औरत नहीं बल्कि एक रंडी रखैल बन गई हूँ, मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, आनन्द ने अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया। मेरा रोम रोम खुशी से झूम रहा था।

आनन्द ने आहिस्ता आहिस्ता फ़िर अपने लंड को मेरी चूत में घुसाया और अंदर बाहर करने लगे, अब लण्ड आसानी से आ जा रहा था। थोड़ी देर में सुनामी की लहर की तरह पानी मेरी चूत में बरसने लगा, मेरी चूत उनके माल से पूरी तरह भर गईतो पानी बाहर की तरफ टपकने लगा, मैंने आनन्द को कस के लिपटा लिया और बेतहाशा उनको चूमने लगी, उनका पानी और मेरा पानी एक दूसरे में मिल गया। आनन्द ने अपना पूरा बोझ मेरे बदन पर डाल दिया उनकी छाती मेरे मुँह पर थी मैं उनको चूमे जा रही थी।

आनन्द ने कहा- आज से तेरा नाम रंडियों की लिस्ट में आ गया, अब तू छिनाल बन गई है, तेरा गोरा बदन तेरी गुलाबी चूत अब मेरी गुलाम है।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारी रखैल बन कर बहुत खुश हूँ, अब तो तुम मेरे स्वामी हो और मैं तुम्हारी दासी हूँ, जैसा कहोगे वैसा करूँगी। वो मेरे बदन को सहलाते रहे, चूमते रहे, प्यार से मसलते रहे और ऐसे ही आनन्द के ऊपर लेटी हुई मैं सो गई और वो भी मुझे अपनी बाहों में लेकर सो गये।








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