FUN-MAZA-MASTI
सीता --एक गाँव की लड़की--3
क्यों रण्डी, फोन क्यों काट दी?"
फोन उठाते ही नागेश्वर अंकल की तेज आवाज मेरी कानों में गूँज पड़ी।
नागेश्वर अंकल जो कि हमारे ससुर जी के चचेरे भाई हैं। उनकी उम्र करीब 45 है। वे 3 पंचवर्षीय से इस गाँव के मुखिया हैं। अब सुन रही हूँ कि वे विधायक का चुनाव लड़ेँगे। उनको मैं सिर्फ एक बार ही देखी हूँ। ऊँचा कद, गठीला बदन,लम्बी मूँछेँ,गले में सोने की मोटी चैन,हाथ की सारी उँगली में अँगूठी। जब मैं पहली बार देखी तो डर ही गई थी।
उनके साथ 12वीं की पूजा। ओफ्फ! मैं तो हैरान थी कि भला पूजा कैसे सह पाती होगी इनको।तभी मेरे कानों में पुनः जोर की "हैलो" गूँजी।
"हाँ अंकल सुन रही हूँ" हड़बड़ाती हुई बोली।
"चुप क्यों हो गई?"
"वो मम्मी आ गई थी ना इसलिए" अब मैं पूरी तरह पूजा बन के बात करने लगी।
"वो शाली बहुत डिस्टर्ब करती है हमें। एक बार तुम हाँ कहो तो उसको भी चोद चोद के शामिल कर लें। फिर तो मजे ही मजे।"
ओह गॉड ! मुझ पर तो लगातार प्रहार होती जा रही थी।मम्मी के बारे में इतनी गंदी.....।मैं संभलती हुई बोली," प्लीज मम्मी के बारे में कुछ मत कहिए।"
"अच्छा ठीक है नहीं कहूँगा।"
फिर उन्होंने पूछा,"अच्छा वो तेरी नई भाभी की क्या नाम है ?"
मैं अपने बारे में सुन के तो सन्न रह गई।मेरे हाथ पाँव कांप गई। फिर किसी तरह अपना नाम बताई।
"हाँ याद आया सीता। शाली क्या माल लगती है।गोरी चमड़ी,रस से भरी होंठ, गोल व सख्त चुची,चूतड़ निकली हुई,काले और लम्बे बाल, ओफ्फ शाली को देख के मेरा लण्ड पानी छोड़ने लगता है।"
मैं अपने बारे में ऐसी बातें सुन के पसीने छूट रहे थे।मुँह से आवाजें निकलनी बंद ही हो गई थी। बस सुनती रही।
"पूजा, प्लीज एक बार तुम सीता को मेरे लण्ड के नीचे ला दो। मैं तुम्हें रुपयों से तौल दूँगा।श्याम तो उसकी सिर्फ सील तोड़ा होगा, असली चुदाई के मजे तो उसे मेरे लण्ड से ही आएगी। जब उसकी कसी चूत में तड़ातड़ लण्ड पेलूँगा तो वो भूल जाएगी श्याम को। जन्नत की सैर करवा दूँगा। बोलो पूजा मेरे लण्ड के इतना नहीं करोगी?"
मैं तो अब तक पसीने से भीँग गई थी।क्या बोलूँ कुछ समझ नहीं आ रही थी। कुछ देर तो मूक बनी रही, फिर जल्दी से बोली," ठीक है, मैं कोशिश करूँगी। मम्मी आ रही है शायद मैं रखती हूँ, बाद में बात करूँगी।"
सिर्फ इतनी बातें ही बोल पाई और जल्दी से फोन काट दी। मेरी साँसे काफी तेज हो गई थी मानो दौड़ के आ रही हूँ।मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रही थी। अचानक मुझे चूत के पास कुछ गीली सी महसूस हुई। मैंने हाथ लगा कर देखी तो उफ्फ ! मेरी चूत तो पूरी तरह भीँगी हुई थी।
हे भगवान! ये क्या हो गया?
अंकल की बातें सुन के मैं गीली हो गई। मैं भी कितनी पागल थी जो आराम से सुन रही थी। एक बात तो थी कि अंकल की बातें अच्छी लग रही थी तभी तो सुन रही थी। पूजा की बातें तक तो नॉर्मल थी पर जब अपनी बातें सुनी तो पता नहीं क्या हो गया हमें। एक अलग सी नशा आ गई मुझमें। मैं मदहोश हो कर सुन रही थी और नीचे मेरी चूत फव्वारे छोड़ रही थी। इतनी मदहोश तो रात में चुदाई के वक्त भी नहीं हुई थी।
पूजा तो जानती होगी कि अंकल मुझे चोदना चाहते हैं। जानती होगी तभी तो वो हमसे दोस्ती की वर्ना आज के जमाने में ननद-भाभी में कहीं दोस्ती होती है।अगर होती भी होगी तो इतनी जल्दी नहीं होती।
अगर पूजा इस बारे में कभी बात की तो क्या कहूँगी? ना.. ना.. मैं ये सब नहीं करूँगी। मेरी शादी हो चुकी है, अब तो श्याम को छोड़ किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती।
मैं यही सब सोच रही थी कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट हुई। सामने पूजा आ रही थी।मैं तो एकटक देखती ही रह गई। कितनी मासूम लग रही है दिखने में, मगर काम तो ऐसा करती है जिसमें बड़ी बड़ी को मात दे दे। ऊपर से नीचे गौर से देखने लगी पूजा को। मैं तो कल्पना भी नहीं कर पाती थी कि इतनी प्यारी और छोटी लड़की भला एक 45 साल के मर्द को चढ़ा सकती है अपने ऊपर।
"क्या हुआ सीता डॉर्लिँग, किस सोच में डूबी हुई हैं।डरिए मत, मैं अपनी मेहनताना लिए बिना छोड़ूँगी नहीं।" कहते हुए खिलखिलाकर हँस पड़ी। मैं भी हल्की मुस्कान के साथ उसका साथ दी।
"आती हूँ नाश्ता बना कर फिर लूँगी।" पूजा अपना उठा के जाने के लिए मुड़ी।
"पूजा, तुम्हारी फोन!"
इतनी बातें सुनते ही पूजा के चेहरे की रंग मानो उड़ सी गई हो। वो जल्दी से आई और फोन मेरे हाथ से ले ली। फिर मेरी तरफ ऐसे देखने लगी मानो पूछ रही हो कि किसका फोन आया था।
मैं मुस्कुराती हुई बोली," तुम्हारी किसी सहेली का फोन था शायद। मैं बात करना नहीं चाहती थी,तुम्हें आवाज भी दी पर तब तक तुम बाहर निकल चुकी थी। कई बार रिंग हुई तो मैं बात कर ली।"
पूजा मेरी बात को सुनते हुए कॉल लॉग चेक करने लगी। नम्बर देखते ही वो पसीने से लथपथ सी हो गई। फिर मेरी तरफ देखने लगी।
उसकी आँखे गुस्से से लाल पीली हो रही थी, मगर बोली कुछ नहीं।
"कल शाम को तुम्हें और पिँकी से मिलना चाहते हैं।" मैं सीधी टॉपिक पर आ गई। इतना सुनते ही वो पैर पटकती हुई निकल गई। मुझे तो उसकी हालत देख कर हँसी भी आ रही थी। तुरंत में मेरे सर पे बैठने वाली लड़की पल भर में बिल्ली बन गई।वैसे मेरा इरादा उसके दिल पे ठोस पहुँचाने वाली नहीं थी। मैं तो उसे एक दोस्त की तरह सारी बातें जानना चाहती थी, फिर समझाना चाहती थी।
मैं पीछे से आवाज दी," पूजा, मेरी बात तो सुनो।"
मगर वो तो चलती चली गई अपने रूम की तरफ और अंदर जा कर लॉक कर ली।
अब मैं क्या करूँ? बेचारी नाराज हो गई हमसे।
बेकार ही फोन रिसीव की थी।
कम से कम नाश्ता तो करवा देती।
खैर; मैं बात को ज्यादा बढ़ाना ठीक नहीं समझी।
फिर रात का खाना श्याम के साथ खाकर सोने चली गई। पूजा सरदर्द का बहाना बना कर खाने से मना कर दी।
रात में श्याम ने दो बार जम के चोदा, फिर सो गए। दर्द तो ज्यादा नहीं हुई पर थक ज्यादा गई तो सुबह नींद देर से खुली। जल्दी से फ्रेश हुई और किचन की तरफ चल दी। सोची शायद पूजा होगी तो मनाने की कोशिश करूँगी।
मगर वहाँ मम्मी जी और पूजा दोनों साथ खाना बना रही थी। मैं भी खाना बनाने में हाथ बँटाने लगी। इस दौरान पूजा मेरी तरफ एक बार भी पलट के देखी भी नहीं।
मैंने भी ज्यादा कोशिश नहीं की वहाँ बात करने की। किचन का काम खत्म कर मैं अपने रूम में आ गई। तब तक श्याम भी फ्रेश हो गए थे। वे खाना खा कर निकल गए।
11 बजे तक सब खाना खा चुके थे।मम्मी जी आराम करने अपने रूम में चले गए। मैं अब पूजा से बात करने की सोच रही थी। मैं उठी और पूजा की रूम की तरफ चल दी।
मम्मी,पापा,श्याम और मैं नीचे रहते थे जबकि पूजा ऊपर बने कमरे में रहती थी। सीढ़ी चढती हुई मैं रूम तक पहुँची और दरवाजा खटखटाया।
" कौन? " अंदर से पूजा की आवाज आई।
" पूजा मैं। दरवाजा खोलो।"
कुछ देर बाद लॉक खुली तो मैं गेट को हल्की धक्के देती हुई अंदर आई और गेट पुनः बंद कर दी।
अंदर की नजारा देखी तो मुझे एक झटका सा लगा। रूम की सजावट और हर एक चीज एकदम नई और लेटेस्ट थी। मैं क्या कोई भी सोच नहीं सकता था कि गाँव में ऐसी बेडरूम हो सकती है।पूरे कमरे में टाइल्स लगी थी जिसपे एक कालीन बिछी थी। नई L.E.D. दीवार पर टंगी थी। रूम में फ्रिज, water-purifier,A.C.,Fan,etc. सब एक दम नई लगी थी। काँच की टेबल पर एकदम लेटेस्ट Nightlamp रखी थी। बेड देख के तो दंग रह गई। आज तक ऐसी बेड तो मैं छुई भी नहीं थी।
मैं तो मानो स्वर्ग में आ गई थी रूम में फैलाइ गई स्प्रे से। मैं अब तक तो भूल गई थी कि यहाँ क्यों आई हूँ।
अचानक L.E.D. से आवाज आने लगी जिससे मेरी होश टूटी। देखी तो पूजा बेड पर बैठी कोई धारावाहिक चालू कर दी। मेरी तरफ तो देख भी नहीं रही थी। मैं चुपचाप उसके पास जा कर बेड पर बैठ गई।
कुछ देर तक देखी कि पूजा कुछ पूछेगी कि क्या बात है या क्यों आई हो यहाँ? मगर वो कुछ नहीं बोल रही थी।अंत में मैं ही बोली।
" पूजा । हमसे बात नहीं करोगी? "
मैं पूजा के जवाब की इंतजार करने लगी मगर पूजा तो मानो कुछ सुनी ही ना हो।
" मैं तो एक दोस्त की तरह तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ, जो ना केवल अच्छी बातें ही बताए बल्कि हर एक चीज सुने और सुनाए।
मैं तो वैसी दोस्त चाहती हूँ जो अगर मेरे बारे में कुछ सुने या जाने तो पहले हमसे पूछे, ना कि बिना कुछ जाने समझे नाराज हो जाएँ।
पता है आज तक मुझे वैसी दोस्त कभी मिली ही नहीं, जिस कारण मैं अभी तक बिना दोस्त की हूँ।
कल जब मैं तुमसे पहली बार मिली तो ऐसा लगा, मुझे जिसकी तलाश थी वो अब पूरी हो गई। "
मैं लगातार बोले जा रही थी । मगर पूजा ज्यों की त्यो सिर्फ सुन रही थी।
" कल जो कुछ भी हुआ उसकी जिम्मेदार मैं ही हूँ। मुझे बिना पूछे फोन रिसीव नहीं करनी थी। मैं तो ये सोच के रिसीव की थी कि दोस्त की ही तो फोन है, रिसीव कर भी ली तो कुछ करेगी थोड़े ही।आएगी तो कह दूंगी। मगर मैं गलत थी। अगर पता होता कि मेरी वजह से किसी को ठेस पहुँचती है तो कतई मैं ऐसा नहीं करती।
पूजा , कल की गलती के लिए मैं काफी शर्मिँदा हूँ सो प्लीज मुझे माफ कर देना। मैं वादा करती हूँ कि ऐसी गलती कभी नहीं करूँगी। बस एक मौका दे दो क्योंकि मैं एक अच्छी दोस्त खोना नहीं चाहती। और कल वाली बात भी मैं सदा के लिए भूला दी हूँ। सो प्लीज......"
कहते कहते पता नहीं मुझे क्या हो गया। मैं रूआंसी सी हो गई थी, मेरी आवाजें अब कांप रही थी।ऐसा लग रहा था मानो अंदर ही अंदर रो रही हूँ। अब मुझे लग रहा था कि मैं यूँ ही पूजा के पास नहीं आई हूँ। वो 1 दिन में ही मेरे दिल तक पहुँच गई थी। भले ही वो कितनी ही गंदी काम क्यों ना करती हो। गंदी क्या करती है? वो तो शायद अपने दिल की सुनती है,दिल से कहती है। अब दिल ऐसा कर दिया करने को तो कर दी। वैसे दिल से कोई भी किया काम कभी गंदा नहीं होता।
मैंने पूजा की तरफ देखी कि शायद कुछ बोलेगी मगर वो तो गालोँ पर हाथ रखी टी.वी. देखने मैं मग्न थी। कुछ देर इंतजार करने के बाद मैं उठी और बोली, "पूजा, मैं नीचे जा रही हूँ। अगर माफ नहीं करोगी तो कोई बात नहीं।पर दोस्त से नहीं तो कम से कम भाभी से बात कर लेना। मेरे नसीब में दोस्त नहीं लिखी होगी तो कहाँ से मिलेगी?" इतना कह मैं वहाँ से चल दी।
गेट खोल कर ज्यों ही बाहर निकलने की कोशिश की तभी पूजा पीछे से दौड़ के आई और जोर से लिपट के रोने लगी। मैं तो चौंक गई कि क्या हो गया इसे।
मैं उसके हाथ को थोड़ी ही ढीली करते हुए मुड़ी और उसे गले से लगा ली। वो लगातार रोये जा रही थी। उसके बालों को सहलाते हुए पूछी, " ऐ पूजा, क्या हुआ? रो क्यों रही हो?"
मगर वो तो रोये ही जा रही थी।
कुछ देर तक यूँ ही उसकी बालों को सहलाती रही।
" पहले चुप हो जाओ प्लीज, वर्ना मैं भी रो दूंगी।" अब पूजा कुछ शांत हुई मगर अभी भी सुबक रही थी।
" बात क्या है ? तुम रो क्यों रही हो!मेरी बातों से रो रही हो या फिर कोई और बात है?" मैंने प्यार से पूछने की कोशिश की।
" सॉरी भाभी, मैं आपको गलत समझ रही थी। मुझे लगा कहीं आप किसी को कह देंगे तो मैं तो मर ही जाती।" इतना कह फिर से वो सुबकने लगी।
" इतनी पागल लगती हूँ क्या? मैं तो वही जानने चाहती थी कि तुम क्या कहती हो इस बारे में। दोस्त का काम संभालना होता है, ना कि परेशानी में डालना। चलो पहले रोना बंद करो फिर बात करते हैं। "
पूजा को लेकर मैं वापस बेड की तरफ आई और साथ लेकर बैठ गई। कुछ देर में वो चुप हो गई। फिर उठी और बाथरूम में जाकर हाथ मुँह धो फ्रेश होकर आई और मेरे पास आकर बैठ गई।
मुझे पता क्या सूझी। उससे सट के एक हाथ उसकी बगलेँ में ले जाकर जोर से गुदगुदा दी। पूजा ना चाहते हुए भी हँस के उछल पड़ी। मैं भी हँसते हुए बोली, " देखो हँसते हुए कितनी प्यारी लगती हो। कल शाम से ऐसे मुँह फुलाए थी कि जैसे किसी ने किडनी निकाल लिया हो।"
अब मैं पूजा से थोड़ा खुलना चाहती थी और पूजा को भी बेहिचक बुलवाना चाहती थी। मैंने पूजा को बाँहों में भरते हुए बेड पर पसर गई और पूछी," क्यों पूजा रानी? जरा हमें भी तो बताओ कि नागेश्वर अंकल में ऐसी क्या बात है जो दीवानी हो गई।"
पूजा मेरे नीचे दबी मुस्कुरा रही थी। उसकी चुची मेरी चुची से दब रही थी, और मेरी होंठ लगभग सट रही थी। हम दोनों की साँसें आपस में टकरा रही थी।
पूजा जब कुछ देर तक नहीं बोली तो मैंने अपनी नाक उसके होंठ पर रगड़ते हुए बोली,"पूजा, अंकल से मिलने कब और कहाँ जाएगी ये तो बता दो।"
"मैं नहीं जाने वाली भाभी।"पूजा मुस्कुराती हुई बोली।
"क्यों ?" मुझे थोड़ी अजीब लगी सुनकर।
"मैं थोड़े ही हाँ बोली हूँ जो जाउँगी। तुम बोली हो तो जाओ तुम" बोलते हुए पूजा जोर से हँस दी।
हमें भी हँसी आ गई। मैंने पूजा की गोरी गालोँ को दाँतो से दबाते हुए बोली,"साली, शर्म नहीं आती भाभी को ऐसे बोलते। खुद तो फँसेगी ही हमें भी फँसाओगी। और वैसे भी जब घर में मिल जाए तो बाहर जाने की क्या जरूरत?"
"भाभी, अंकल वैसे आदमी नहीं हैं जो बदनाम कर दे। वो पूरी तरह सुरक्षित हैं।"
"रहने दे। मैं यहीं काफी खुश हूँ। और हाँ अंकल को बोल देना कि वो मुझ पर से अपना ध्यान हटा लें क्योंकि मैं कभी नहीं ये सब करने वाली।"
पूजा मेरी बात सुनकर खिलखिलाकर हँस पड़ी।
"मेरी सीता डॉर्लिंग है ही इतनी खूबसूरत कि अंकल क्या कोई भी मचल जाए एक दीदार को।"
मैं पूजा की ऐसी रोमांचित बातें सुन आपा खो दी और अपने होंठ पूजा की होंठ से सटा दी। पूजा भी बिना किसी हिचक के साथ देने लगी।
कुछ ही देर में पूजा पूरी तरह से गर्म हो कर जोर से चूसने लगी।मेरी साँसे भी तेजी से चलने लगी थी पर पीछे नहीं हटना चाहती थी।
अगले ही पल पूजा अपनी बाहोँ में मुझे कसते हुए पलटी। अब मैं पूजा के नीचे दबी थी। हाथ को उसने मेरी गर्दन के नीचे रखी थी जिससे मैं चाह कर भी होंठ नहीं हटा सकती थी। अचानक एक हाथ खींच कर मेरी चुची पर रख दी।मैं चौंक गई और तेजी से अपने हाथ से उसकी हाथ पकड़ी। पर हटा नहीं पाई क्योंकि मुझे भी अच्छा लग रहा था।
पूजा अब चूसने को साथ साथ मेरी चुची भी दबाने लगी। मैं तो आनंद को सागर मैं गोते लगा रही थी। 2 दिन में तो मेरी जिंदगी बदल गई थी।
अचानक पूजा होंठ को छोड़ दी और नीचे आ कर एक चुची को मुँह में कैद कर ली।मेरी तो आह निकल गई। ब्लॉउज के ऊपर से ही मेरी चुची की चुसाई और घिसाई जारी थी। मैं तो स्वर्ग मैं उड़ रही थी।कुछ देर बाद पूजा अपना मुँह मेरी चुची से हटाते हुए बोली,"भाभी आपको यकीन नहीं होगी कि आज मैं कितनी खुश हूँ। सच भाभी आप काफी अच्छी हो।"
मैंने पूजा को ऊपर खिंची और उसकी होंठों को चूमते हुए बोली," खुश तो मैं भी हूँ कि मुझे इतनी अच्छी दोस्त और प्यारी ननद मिली है।चल अब तो बता कि सारे लड़के मर गए थे क्या जो तूने अंकल से दोस्ती कर ली।"
"नहीं भाभी, कॉलेज में एक बॉय फ्रेंड भी है पर उसके साथ सिर्फ बात करती हूँ। पता है, जब सिर्फ बात करती हूँ तो सारा कॉलेज जान गया। अगर उसके साथ सेक्स की तो पता नहीं कौन-कौन जान जाएगा।"
"ऐसी बात है तो उसे छोड़ क्यों नहीं देती?"
"नहीं भाभी,अगर ब्रेकअप कर लूँगी तो रोज 10 लड़के मेरे पीछे पड़े रहेंगे। अभी तो कम से कम आराम से कॉलेज आ जा तो रही हूँ ना।जब तक कॉलेज है बात करूँगी, बाद में अलग हो जाऊंगी।"
"हम्म। दिमाग तो बहुत चलती है,पर ऐसा करना तो धोखा देना है।" कुछ हद तक तो सही ही कह रही थी।
"नहीं नहीं! मैं पहले ही बोल चुकी हूँ कि नो शादी, नो सेक्स।"
पूजा हंसती हुई कहने लगी," वो भी मेरे टाइप का ही है। उसे जब भी मन होती है तो सेक्स करने वाली को ले के चला जाता है।"
"चल ठीक है।कुछ भी करना पर बदनामी वाली कोई हरकत मत करना।"
"नहीं भाभी, मैं ऐसी वैसी कोई काम नहीं करती।"
"अच्छा,सच बता तो अंकल को चांस कैसे दे दी अपनी इस आम को चुसवाने के लिए?"मैं नीचे दबी ही पूजा की चुची को मसलते हुए बोली।
"वो सब जाने दो । बस इतना जान लो कि नागेश्वर अंकल काफी अच्छे हैं।मैं उन्हें बचपन से ही काफी पसंद करती थी। जब कॉलेज जाने लगी तो देखी अंकल की नजरें भी कॉलेज के लड़कों जैसी ही मुझे निहारती थी। तो मैं भी हिम्मत कर के आगे बढ़ने लगी और एक दिन ऐसा हुआ कि मैं उनकी पूरी तरह दीवानी हो गई। "
पूजा अब मेरे सीने से लग के बोली जा रही थी और मैं उसकी पीठ सहला रही थी।
"पूजा। एक बात और बता, अंकल जब चढ़ते होंगे तो कैसे संभाल पाती होगी तुम।" कहते हुए मैं हँस दी।
पूजा भी हंसती हुई बोली,"एक बार तुम भी चढवा लो अंकल को फिर देखना कैसी संभालती हूँ।"
"ना ना मुझे नहीं देखनी। मुफ्त में मारी जाउँगी।"
"भाभी, अंकल आपके कितने से दीवाने हैं ये तो सुन ही चुकी हो अंकल से। बस तुम हाँ कह दोगी तो फिर तुम भी दीवानी हो जाओगी।और उनसे बातें करना तो आपको पसंद भी है "
मैं तो सोच में पड़ गई कि क्या पूजा अंकल को बता दी कि उस समय मैं बात कर रही थी। मेरे तो पसीने निकलने लगी थी।मुझे सोच मे देख पूजा कान में धीरे से बोली,"ओह भाभी, टेँशन क्यों लेती हो। मेरी फोन में ऑटो रिकॉर्डिंग होती है। उसी में सुनी हूँ। अंकल से अभी तक बात नहीं की हूँ।अगर आप कहोगी तो कर लूँगी वर्ना जाने दो। अब आप हो तो अंकल की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।"
पूजा की बातें सुन ढेर सारा प्यार जग गई मेरे अंदर। खुद को संभालती हुई बोली,"बात कर लेना अंकल से।और प्लीज मेरा नाम मत लेना। अब मम्मी जी आएगी तो मैं नीचे जा रही हूँ"
"भाभी, एक बार अंकल से बात तो कर लो फिर चली जाना।"पूजा हंसती हुई मेरे शरीर से उठती हुई बोली।
मैं भी हँस के बोल पड़ी,"पहले तुम कर लो फिर बाद में मैं कर लूँगी।"
मैं उठी और कपड़े ठीक कर के जाने लगी।
तभी नीचे से मम्मी जी की आवाज सुनाई दी।पीछे से पूजा बोली,"और कुछ करने की इच्छा हुई तो बेहिचक दोस्त की तरह बताना।"
मैं बिना कुछ बोले मुस्कुराती हुई नीचे आ गई।
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मैं अपने बारे में सुन के तो सन्न रह गई।मेरे हाथ पाँव कांप गई। फिर किसी तरह अपना नाम बताई।
"हाँ याद आया सीता। शाली क्या माल लगती है।गोरी चमड़ी,रस से भरी होंठ, गोल व सख्त चुची,चूतड़ निकली हुई,काले और लम्बे बाल, ओफ्फ शाली को देख के मेरा लण्ड पानी छोड़ने लगता है।"
मैं अपने बारे में ऐसी बातें सुन के पसीने छूट रहे थे।मुँह से आवाजें निकलनी बंद ही हो गई थी। बस सुनती रही।
"पूजा, प्लीज एक बार तुम सीता को मेरे लण्ड के नीचे ला दो। मैं तुम्हें रुपयों से तौल दूँगा।श्याम तो उसकी सिर्फ सील तोड़ा होगा, असली चुदाई के मजे तो उसे मेरे लण्ड से ही आएगी। जब उसकी कसी चूत में तड़ातड़ लण्ड पेलूँगा तो वो भूल जाएगी श्याम को। जन्नत की सैर करवा दूँगा। बोलो पूजा मेरे लण्ड के इतना नहीं करोगी?"
मैं तो अब तक पसीने से भीँग गई थी।क्या बोलूँ कुछ समझ नहीं आ रही थी। कुछ देर तो मूक बनी रही, फिर जल्दी से बोली," ठीक है, मैं कोशिश करूँगी। मम्मी आ रही है शायद मैं रखती हूँ, बाद में बात करूँगी।"
सिर्फ इतनी बातें ही बोल पाई और जल्दी से फोन काट दी। मेरी साँसे काफी तेज हो गई थी मानो दौड़ के आ रही हूँ।मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रही थी। अचानक मुझे चूत के पास कुछ गीली सी महसूस हुई। मैंने हाथ लगा कर देखी तो उफ्फ ! मेरी चूत तो पूरी तरह भीँगी हुई थी।
हे भगवान! ये क्या हो गया?
अंकल की बातें सुन के मैं गीली हो गई। मैं भी कितनी पागल थी जो आराम से सुन रही थी। एक बात तो थी कि अंकल की बातें अच्छी लग रही थी तभी तो सुन रही थी। पूजा की बातें तक तो नॉर्मल थी पर जब अपनी बातें सुनी तो पता नहीं क्या हो गया हमें। एक अलग सी नशा आ गई मुझमें। मैं मदहोश हो कर सुन रही थी और नीचे मेरी चूत फव्वारे छोड़ रही थी। इतनी मदहोश तो रात में चुदाई के वक्त भी नहीं हुई थी।
पूजा तो जानती होगी कि अंकल मुझे चोदना चाहते हैं। जानती होगी तभी तो वो हमसे दोस्ती की वर्ना आज के जमाने में ननद-भाभी में कहीं दोस्ती होती है।अगर होती भी होगी तो इतनी जल्दी नहीं होती।
अगर पूजा इस बारे में कभी बात की तो क्या कहूँगी? ना.. ना.. मैं ये सब नहीं करूँगी। मेरी शादी हो चुकी है, अब तो श्याम को छोड़ किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती।
मैं यही सब सोच रही थी कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट हुई। सामने पूजा आ रही थी।मैं तो एकटक देखती ही रह गई। कितनी मासूम लग रही है दिखने में, मगर काम तो ऐसा करती है जिसमें बड़ी बड़ी को मात दे दे। ऊपर से नीचे गौर से देखने लगी पूजा को। मैं तो कल्पना भी नहीं कर पाती थी कि इतनी प्यारी और छोटी लड़की भला एक 45 साल के मर्द को चढ़ा सकती है अपने ऊपर।
"क्या हुआ सीता डॉर्लिँग, किस सोच में डूबी हुई हैं।डरिए मत, मैं अपनी मेहनताना लिए बिना छोड़ूँगी नहीं।" कहते हुए खिलखिलाकर हँस पड़ी। मैं भी हल्की मुस्कान के साथ उसका साथ दी।
"आती हूँ नाश्ता बना कर फिर लूँगी।" पूजा अपना उठा के जाने के लिए मुड़ी।
"पूजा, तुम्हारी फोन!"
इतनी बातें सुनते ही पूजा के चेहरे की रंग मानो उड़ सी गई हो। वो जल्दी से आई और फोन मेरे हाथ से ले ली। फिर मेरी तरफ ऐसे देखने लगी मानो पूछ रही हो कि किसका फोन आया था।
मैं मुस्कुराती हुई बोली," तुम्हारी किसी सहेली का फोन था शायद। मैं बात करना नहीं चाहती थी,तुम्हें आवाज भी दी पर तब तक तुम बाहर निकल चुकी थी। कई बार रिंग हुई तो मैं बात कर ली।"
पूजा मेरी बात को सुनते हुए कॉल लॉग चेक करने लगी। नम्बर देखते ही वो पसीने से लथपथ सी हो गई। फिर मेरी तरफ देखने लगी।
उसकी आँखे गुस्से से लाल पीली हो रही थी, मगर बोली कुछ नहीं।
"कल शाम को तुम्हें और पिँकी से मिलना चाहते हैं।" मैं सीधी टॉपिक पर आ गई। इतना सुनते ही वो पैर पटकती हुई निकल गई। मुझे तो उसकी हालत देख कर हँसी भी आ रही थी। तुरंत में मेरे सर पे बैठने वाली लड़की पल भर में बिल्ली बन गई।वैसे मेरा इरादा उसके दिल पे ठोस पहुँचाने वाली नहीं थी। मैं तो उसे एक दोस्त की तरह सारी बातें जानना चाहती थी, फिर समझाना चाहती थी।
मैं पीछे से आवाज दी," पूजा, मेरी बात तो सुनो।"
मगर वो तो चलती चली गई अपने रूम की तरफ और अंदर जा कर लॉक कर ली।
अब मैं क्या करूँ? बेचारी नाराज हो गई हमसे।
बेकार ही फोन रिसीव की थी।
कम से कम नाश्ता तो करवा देती।
खैर; मैं बात को ज्यादा बढ़ाना ठीक नहीं समझी।
फिर रात का खाना श्याम के साथ खाकर सोने चली गई। पूजा सरदर्द का बहाना बना कर खाने से मना कर दी।
रात में श्याम ने दो बार जम के चोदा, फिर सो गए। दर्द तो ज्यादा नहीं हुई पर थक ज्यादा गई तो सुबह नींद देर से खुली। जल्दी से फ्रेश हुई और किचन की तरफ चल दी। सोची शायद पूजा होगी तो मनाने की कोशिश करूँगी।
मगर वहाँ मम्मी जी और पूजा दोनों साथ खाना बना रही थी। मैं भी खाना बनाने में हाथ बँटाने लगी। इस दौरान पूजा मेरी तरफ एक बार भी पलट के देखी भी नहीं।
मैंने भी ज्यादा कोशिश नहीं की वहाँ बात करने की। किचन का काम खत्म कर मैं अपने रूम में आ गई। तब तक श्याम भी फ्रेश हो गए थे। वे खाना खा कर निकल गए।
11 बजे तक सब खाना खा चुके थे।मम्मी जी आराम करने अपने रूम में चले गए। मैं अब पूजा से बात करने की सोच रही थी। मैं उठी और पूजा की रूम की तरफ चल दी।
मम्मी,पापा,श्याम और मैं नीचे रहते थे जबकि पूजा ऊपर बने कमरे में रहती थी। सीढ़ी चढती हुई मैं रूम तक पहुँची और दरवाजा खटखटाया।
" कौन? " अंदर से पूजा की आवाज आई।
" पूजा मैं। दरवाजा खोलो।"
कुछ देर बाद लॉक खुली तो मैं गेट को हल्की धक्के देती हुई अंदर आई और गेट पुनः बंद कर दी।
अंदर की नजारा देखी तो मुझे एक झटका सा लगा। रूम की सजावट और हर एक चीज एकदम नई और लेटेस्ट थी। मैं क्या कोई भी सोच नहीं सकता था कि गाँव में ऐसी बेडरूम हो सकती है।पूरे कमरे में टाइल्स लगी थी जिसपे एक कालीन बिछी थी। नई L.E.D. दीवार पर टंगी थी। रूम में फ्रिज, water-purifier,A.C.,Fan,etc. सब एक दम नई लगी थी। काँच की टेबल पर एकदम लेटेस्ट Nightlamp रखी थी। बेड देख के तो दंग रह गई। आज तक ऐसी बेड तो मैं छुई भी नहीं थी।
मैं तो मानो स्वर्ग में आ गई थी रूम में फैलाइ गई स्प्रे से। मैं अब तक तो भूल गई थी कि यहाँ क्यों आई हूँ।
अचानक L.E.D. से आवाज आने लगी जिससे मेरी होश टूटी। देखी तो पूजा बेड पर बैठी कोई धारावाहिक चालू कर दी। मेरी तरफ तो देख भी नहीं रही थी। मैं चुपचाप उसके पास जा कर बेड पर बैठ गई।
कुछ देर तक देखी कि पूजा कुछ पूछेगी कि क्या बात है या क्यों आई हो यहाँ? मगर वो कुछ नहीं बोल रही थी।अंत में मैं ही बोली।
" पूजा । हमसे बात नहीं करोगी? "
मैं पूजा के जवाब की इंतजार करने लगी मगर पूजा तो मानो कुछ सुनी ही ना हो।
" मैं तो एक दोस्त की तरह तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ, जो ना केवल अच्छी बातें ही बताए बल्कि हर एक चीज सुने और सुनाए।
मैं तो वैसी दोस्त चाहती हूँ जो अगर मेरे बारे में कुछ सुने या जाने तो पहले हमसे पूछे, ना कि बिना कुछ जाने समझे नाराज हो जाएँ।
पता है आज तक मुझे वैसी दोस्त कभी मिली ही नहीं, जिस कारण मैं अभी तक बिना दोस्त की हूँ।
कल जब मैं तुमसे पहली बार मिली तो ऐसा लगा, मुझे जिसकी तलाश थी वो अब पूरी हो गई। "
मैं लगातार बोले जा रही थी । मगर पूजा ज्यों की त्यो सिर्फ सुन रही थी।
" कल जो कुछ भी हुआ उसकी जिम्मेदार मैं ही हूँ। मुझे बिना पूछे फोन रिसीव नहीं करनी थी। मैं तो ये सोच के रिसीव की थी कि दोस्त की ही तो फोन है, रिसीव कर भी ली तो कुछ करेगी थोड़े ही।आएगी तो कह दूंगी। मगर मैं गलत थी। अगर पता होता कि मेरी वजह से किसी को ठेस पहुँचती है तो कतई मैं ऐसा नहीं करती।
पूजा , कल की गलती के लिए मैं काफी शर्मिँदा हूँ सो प्लीज मुझे माफ कर देना। मैं वादा करती हूँ कि ऐसी गलती कभी नहीं करूँगी। बस एक मौका दे दो क्योंकि मैं एक अच्छी दोस्त खोना नहीं चाहती। और कल वाली बात भी मैं सदा के लिए भूला दी हूँ। सो प्लीज......"
कहते कहते पता नहीं मुझे क्या हो गया। मैं रूआंसी सी हो गई थी, मेरी आवाजें अब कांप रही थी।ऐसा लग रहा था मानो अंदर ही अंदर रो रही हूँ। अब मुझे लग रहा था कि मैं यूँ ही पूजा के पास नहीं आई हूँ। वो 1 दिन में ही मेरे दिल तक पहुँच गई थी। भले ही वो कितनी ही गंदी काम क्यों ना करती हो। गंदी क्या करती है? वो तो शायद अपने दिल की सुनती है,दिल से कहती है। अब दिल ऐसा कर दिया करने को तो कर दी। वैसे दिल से कोई भी किया काम कभी गंदा नहीं होता।
मैंने पूजा की तरफ देखी कि शायद कुछ बोलेगी मगर वो तो गालोँ पर हाथ रखी टी.वी. देखने मैं मग्न थी। कुछ देर इंतजार करने के बाद मैं उठी और बोली, "पूजा, मैं नीचे जा रही हूँ। अगर माफ नहीं करोगी तो कोई बात नहीं।पर दोस्त से नहीं तो कम से कम भाभी से बात कर लेना। मेरे नसीब में दोस्त नहीं लिखी होगी तो कहाँ से मिलेगी?" इतना कह मैं वहाँ से चल दी।
गेट खोल कर ज्यों ही बाहर निकलने की कोशिश की तभी पूजा पीछे से दौड़ के आई और जोर से लिपट के रोने लगी। मैं तो चौंक गई कि क्या हो गया इसे।
मैं उसके हाथ को थोड़ी ही ढीली करते हुए मुड़ी और उसे गले से लगा ली। वो लगातार रोये जा रही थी। उसके बालों को सहलाते हुए पूछी, " ऐ पूजा, क्या हुआ? रो क्यों रही हो?"
मगर वो तो रोये ही जा रही थी।
कुछ देर तक यूँ ही उसकी बालों को सहलाती रही।
" पहले चुप हो जाओ प्लीज, वर्ना मैं भी रो दूंगी।" अब पूजा कुछ शांत हुई मगर अभी भी सुबक रही थी।
" बात क्या है ? तुम रो क्यों रही हो!मेरी बातों से रो रही हो या फिर कोई और बात है?" मैंने प्यार से पूछने की कोशिश की।
" सॉरी भाभी, मैं आपको गलत समझ रही थी। मुझे लगा कहीं आप किसी को कह देंगे तो मैं तो मर ही जाती।" इतना कह फिर से वो सुबकने लगी।
" इतनी पागल लगती हूँ क्या? मैं तो वही जानने चाहती थी कि तुम क्या कहती हो इस बारे में। दोस्त का काम संभालना होता है, ना कि परेशानी में डालना। चलो पहले रोना बंद करो फिर बात करते हैं। "
पूजा को लेकर मैं वापस बेड की तरफ आई और साथ लेकर बैठ गई। कुछ देर में वो चुप हो गई। फिर उठी और बाथरूम में जाकर हाथ मुँह धो फ्रेश होकर आई और मेरे पास आकर बैठ गई।
मुझे पता क्या सूझी। उससे सट के एक हाथ उसकी बगलेँ में ले जाकर जोर से गुदगुदा दी। पूजा ना चाहते हुए भी हँस के उछल पड़ी। मैं भी हँसते हुए बोली, " देखो हँसते हुए कितनी प्यारी लगती हो। कल शाम से ऐसे मुँह फुलाए थी कि जैसे किसी ने किडनी निकाल लिया हो।"
अब मैं पूजा से थोड़ा खुलना चाहती थी और पूजा को भी बेहिचक बुलवाना चाहती थी। मैंने पूजा को बाँहों में भरते हुए बेड पर पसर गई और पूछी," क्यों पूजा रानी? जरा हमें भी तो बताओ कि नागेश्वर अंकल में ऐसी क्या बात है जो दीवानी हो गई।"
पूजा मेरे नीचे दबी मुस्कुरा रही थी। उसकी चुची मेरी चुची से दब रही थी, और मेरी होंठ लगभग सट रही थी। हम दोनों की साँसें आपस में टकरा रही थी।
पूजा जब कुछ देर तक नहीं बोली तो मैंने अपनी नाक उसके होंठ पर रगड़ते हुए बोली,"पूजा, अंकल से मिलने कब और कहाँ जाएगी ये तो बता दो।"
"मैं नहीं जाने वाली भाभी।"पूजा मुस्कुराती हुई बोली।
"क्यों ?" मुझे थोड़ी अजीब लगी सुनकर।
"मैं थोड़े ही हाँ बोली हूँ जो जाउँगी। तुम बोली हो तो जाओ तुम" बोलते हुए पूजा जोर से हँस दी।
हमें भी हँसी आ गई। मैंने पूजा की गोरी गालोँ को दाँतो से दबाते हुए बोली,"साली, शर्म नहीं आती भाभी को ऐसे बोलते। खुद तो फँसेगी ही हमें भी फँसाओगी। और वैसे भी जब घर में मिल जाए तो बाहर जाने की क्या जरूरत?"
"भाभी, अंकल वैसे आदमी नहीं हैं जो बदनाम कर दे। वो पूरी तरह सुरक्षित हैं।"
"रहने दे। मैं यहीं काफी खुश हूँ। और हाँ अंकल को बोल देना कि वो मुझ पर से अपना ध्यान हटा लें क्योंकि मैं कभी नहीं ये सब करने वाली।"
पूजा मेरी बात सुनकर खिलखिलाकर हँस पड़ी।
"मेरी सीता डॉर्लिंग है ही इतनी खूबसूरत कि अंकल क्या कोई भी मचल जाए एक दीदार को।"
मैं पूजा की ऐसी रोमांचित बातें सुन आपा खो दी और अपने होंठ पूजा की होंठ से सटा दी। पूजा भी बिना किसी हिचक के साथ देने लगी।
कुछ ही देर में पूजा पूरी तरह से गर्म हो कर जोर से चूसने लगी।मेरी साँसे भी तेजी से चलने लगी थी पर पीछे नहीं हटना चाहती थी।
अगले ही पल पूजा अपनी बाहोँ में मुझे कसते हुए पलटी। अब मैं पूजा के नीचे दबी थी। हाथ को उसने मेरी गर्दन के नीचे रखी थी जिससे मैं चाह कर भी होंठ नहीं हटा सकती थी। अचानक एक हाथ खींच कर मेरी चुची पर रख दी।मैं चौंक गई और तेजी से अपने हाथ से उसकी हाथ पकड़ी। पर हटा नहीं पाई क्योंकि मुझे भी अच्छा लग रहा था।
पूजा अब चूसने को साथ साथ मेरी चुची भी दबाने लगी। मैं तो आनंद को सागर मैं गोते लगा रही थी। 2 दिन में तो मेरी जिंदगी बदल गई थी।
अचानक पूजा होंठ को छोड़ दी और नीचे आ कर एक चुची को मुँह में कैद कर ली।मेरी तो आह निकल गई। ब्लॉउज के ऊपर से ही मेरी चुची की चुसाई और घिसाई जारी थी। मैं तो स्वर्ग मैं उड़ रही थी।कुछ देर बाद पूजा अपना मुँह मेरी चुची से हटाते हुए बोली,"भाभी आपको यकीन नहीं होगी कि आज मैं कितनी खुश हूँ। सच भाभी आप काफी अच्छी हो।"
मैंने पूजा को ऊपर खिंची और उसकी होंठों को चूमते हुए बोली," खुश तो मैं भी हूँ कि मुझे इतनी अच्छी दोस्त और प्यारी ननद मिली है।चल अब तो बता कि सारे लड़के मर गए थे क्या जो तूने अंकल से दोस्ती कर ली।"
"नहीं भाभी, कॉलेज में एक बॉय फ्रेंड भी है पर उसके साथ सिर्फ बात करती हूँ। पता है, जब सिर्फ बात करती हूँ तो सारा कॉलेज जान गया। अगर उसके साथ सेक्स की तो पता नहीं कौन-कौन जान जाएगा।"
"ऐसी बात है तो उसे छोड़ क्यों नहीं देती?"
"नहीं भाभी,अगर ब्रेकअप कर लूँगी तो रोज 10 लड़के मेरे पीछे पड़े रहेंगे। अभी तो कम से कम आराम से कॉलेज आ जा तो रही हूँ ना।जब तक कॉलेज है बात करूँगी, बाद में अलग हो जाऊंगी।"
"हम्म। दिमाग तो बहुत चलती है,पर ऐसा करना तो धोखा देना है।" कुछ हद तक तो सही ही कह रही थी।
"नहीं नहीं! मैं पहले ही बोल चुकी हूँ कि नो शादी, नो सेक्स।"
पूजा हंसती हुई कहने लगी," वो भी मेरे टाइप का ही है। उसे जब भी मन होती है तो सेक्स करने वाली को ले के चला जाता है।"
"चल ठीक है।कुछ भी करना पर बदनामी वाली कोई हरकत मत करना।"
"नहीं भाभी, मैं ऐसी वैसी कोई काम नहीं करती।"
"अच्छा,सच बता तो अंकल को चांस कैसे दे दी अपनी इस आम को चुसवाने के लिए?"मैं नीचे दबी ही पूजा की चुची को मसलते हुए बोली।
"वो सब जाने दो । बस इतना जान लो कि नागेश्वर अंकल काफी अच्छे हैं।मैं उन्हें बचपन से ही काफी पसंद करती थी। जब कॉलेज जाने लगी तो देखी अंकल की नजरें भी कॉलेज के लड़कों जैसी ही मुझे निहारती थी। तो मैं भी हिम्मत कर के आगे बढ़ने लगी और एक दिन ऐसा हुआ कि मैं उनकी पूरी तरह दीवानी हो गई। "
पूजा अब मेरे सीने से लग के बोली जा रही थी और मैं उसकी पीठ सहला रही थी।
"पूजा। एक बात और बता, अंकल जब चढ़ते होंगे तो कैसे संभाल पाती होगी तुम।" कहते हुए मैं हँस दी।
पूजा भी हंसती हुई बोली,"एक बार तुम भी चढवा लो अंकल को फिर देखना कैसी संभालती हूँ।"
"ना ना मुझे नहीं देखनी। मुफ्त में मारी जाउँगी।"
"भाभी, अंकल आपके कितने से दीवाने हैं ये तो सुन ही चुकी हो अंकल से। बस तुम हाँ कह दोगी तो फिर तुम भी दीवानी हो जाओगी।और उनसे बातें करना तो आपको पसंद भी है "
मैं तो सोच में पड़ गई कि क्या पूजा अंकल को बता दी कि उस समय मैं बात कर रही थी। मेरे तो पसीने निकलने लगी थी।मुझे सोच मे देख पूजा कान में धीरे से बोली,"ओह भाभी, टेँशन क्यों लेती हो। मेरी फोन में ऑटो रिकॉर्डिंग होती है। उसी में सुनी हूँ। अंकल से अभी तक बात नहीं की हूँ।अगर आप कहोगी तो कर लूँगी वर्ना जाने दो। अब आप हो तो अंकल की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।"
पूजा की बातें सुन ढेर सारा प्यार जग गई मेरे अंदर। खुद को संभालती हुई बोली,"बात कर लेना अंकल से।और प्लीज मेरा नाम मत लेना। अब मम्मी जी आएगी तो मैं नीचे जा रही हूँ"
"भाभी, एक बार अंकल से बात तो कर लो फिर चली जाना।"पूजा हंसती हुई मेरे शरीर से उठती हुई बोली।
मैं भी हँस के बोल पड़ी,"पहले तुम कर लो फिर बाद में मैं कर लूँगी।"
मैं उठी और कपड़े ठीक कर के जाने लगी।
तभी नीचे से मम्मी जी की आवाज सुनाई दी।पीछे से पूजा बोली,"और कुछ करने की इच्छा हुई तो बेहिचक दोस्त की तरह बताना।"
मैं बिना कुछ बोले मुस्कुराती हुई नीचे आ गई।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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