Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--1

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--1

 ये कहानी है मुम्बई में रहने वाली माँ-बेटी की

माँ का नाम है रश्मि , उम्र 38 साल , भरा हुआ शरीर, गोरी-चिट्टी


 और उसकी बेटी काव्या, 12th में पड़ने वाली , उम्र **, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए हैं , पर इसके लम्बे निप्पल दूर से ही दिख जाते हैं
 काव्या जैसी ही स्कूल से घर आयी, उसकी माँ रश्मि ने उसे अपने पास बिठा लिया.

वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना माँ-बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योकि अपनी माँ रश्मि को काव्या ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था.

अपने पिता को पांच साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी माँ को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम-सुम सी रहती थी, पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस कोर्डिनेटर कि जॉब मिल गयी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे - तैसे चल रहा था , वो घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती .. बस यही दिनचर्या थी उसकी माँ कि.

पर पिछले कुछ दिनों से उनमे काफी बदलाव आये थे , वो थोडा सज धज कर ऑफिस जाने लगी थी, गाने भी गुनगुनाती रहती थी, हंसने भी लगी थी और ये सारे बदलाव काव्या को काफी अच्छे लग रहे थे.

काव्या के स्कूल से आने के बाद दोनों माँ बेटी घंटो एक दूसरे से गप्पे मारती...

पर आज फिर से अपनी माँ को परेशान देखकर काव्या के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.

वैसे प्रॉब्लम दूर करने कि उसकी खुद कि कोई उम्र नहीं है , सिर्फ 12th में पड़ने वाली काव्या भला अपनी माँ कि परेशानियों को कैसे दूर करेगी.

काव्या : "क्या हुआ मॉम ?? आप इतनी परेशान क्यों हो !! ''

रश्मि : "काव्या , वो .... मुझे तुझसे एक जरुरी बात करनी थी ''

काव्या : "हां मॉम बोलो न "

रश्मि थोड़ी देर तक चुप रही और फिर एकदम से बोली : "मैं शादी कर रही हु ''

रश्मि कि बात सुनकर थोड़ी देर तक तो काव्या को समझ नहीं आया कि वो क्या करे

उसकी माँ शादी कर रही है , इस उम्र में..
38 कि उम्र वैसे तो ज्यादा नहीं होती पर उनकी एक जवान बेटी है , ऐसा कैसे कर सकती है वो..

पर फिर उसने अपनी माँ के नजरिये से सोचा, अभी तो उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है , वो खुद एक दिन पराये घर चली जायेगी, फिर पीछे से उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा ,इस बात कि चिंता तो हमेशा उसे रहती थी और जब आज उसका समाधान सामने आया है तो वो ऐसे क्यों बिहेव कर रही है..

उसने सारी नेगेटिव बातों को अपने सर से झटक दिया और चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाते हुए बोली : "वाव, ये तो बहुत अच्छी बात है माँ , कौन है वो , मेरा मतलब , मेरे होने वाले पापा , किससे शादी कर रही हो, कब कर रही हो , कैसे डिसाईड किया आपने ये सब , बताओ न ??''

काव्या के चेहरे पर आयी ख़ुशी और इतने सारे सवाल और उसकी उत्सुक्तता देखकर रश्मि ने चैन कि सांस ली, वो डर रही थी कि उसकी बेटी क्या सोचेगी अपनी माँ के बारे में, पर उसने समझदारी से उसकी बात समझकर रश्मि के सर से एक बोझ उतार दिया था.. 

रश्मि ने बताना शुरू किया

"देख काव्या , तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद से हमारे घर कि हालत कैसी थी, अगर मुझे उसी कम्पनी में ये नौकरी न मिली होती तो शायद हमारी हालत इससे भी बुरी होती, तेरा स्कूल, घर का खर्च, कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता, और ये सब हुआ है कंपनी के मालिक समीर सर कि वजह से, उन्होंने अगर सही समय पर सहारा नहीं दिया होता तो आज ये सब नहीं होता, और पिछले हफ्ते ही उन्होंने मुझसे शादी करने कि बात कही है , उनका तलाक हो चूका है, और वो अपने घर पर अकेले रहते है, पर मैंने उन्हें साफ़ कह दिया था कि जब तक मेरी बेटी इस शादी के लिए राजी नहीं होगी, मैं ये शादी नहीं करुँगी, पर आज तूने अपनी सहमति जताकर मेरे सर से इतना बड़ा बोझ उतार दिया है , थेंक्स बेटा …''

और फिर माँ काव्या से लिपट कर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए सुबकने लगी..

और काव्या अपनी माँ कि बाते सुनने के बाद अपनी आँखे चौड़ी करके आपने वाले दिनों के सपने बुनने लगी,

उसने भी देखा था समीर सर को , करीब 45 कि उम्र थी उनकी, उन्हें हँसते हुए कभी नहीं देखा था काव्या ने, हमेशा सीरियस रहते थे, एक बार उनके घर में हुई पार्टी में काव्या अपनी माँ के साथ उनके बंगले पर गयी थी, इतना आलिशान घर उसने सिर्फ फिल्मो में ही देखा था, घर के पीछे कि तरफ स्विमिंग पूल भी था, और लगभग दस कमरे थे पुरे बंगले में , और रहने वाला सिर्फ एक .

काव्या से मिलते हुए भी समीर सर के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, इसलिए पहली नजर में ही काव्या को अपनी माँ का बॉस एक खडूस इंसान लगा था.

पर आज वही खडूस इंसान उसका पिता बनने जा रहा है, और वो अपनी माँ के साथ उसी घर में रहेगी जिसे देखकर उसकी आँखे चुंधिया गयी थी , वो भी नए -२ फेशन करेगी , शौपिंग पर जाया करेगी, अपनी अमीर सहेलियों कि तरह..

और अमीर सहेलियों का ख्याल आते ही उसके दिमाग में सबसे पहले अपनी ख़ास सहेली श्वेता का ध्यान आया, वो सबसे पहले ये बाते उसे बताना चाहती थी

उसने अपनी माँ से कहा : "माँ, मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप दूसरी शादी कर रही है, आप उन्हें अभी फ़ोन करके हाँ बोल दो, और तब तक मैं ये बात श्वेता को बताकर आती हु ''

इतना कहकर वो बिना अपने कपडे बदले घर से बाहर कि तरफ भाग गयी

श्वेता के पापा पुलिस में एक ऊँची पोस्ट पर थे और वो पास कि ही एक सोसाईटी में काफी बड़े फ्लैट में रहते थे.

जैसे ही वो सड़क तक पहुंची, सामने से उसे विक्की आता हुआ दिखायी दिया, वो उसकी गली में ही रहता था और आते-जाते हमेशा काव्या को गन्दी नजरों से देखकर भद्दी-२ बातें कहकर उसे छेड़ता था

विक्की : "हाय मेरी फुलझड़ी, कहा चली अपनी तोपें लेकर ''

उसका इशारा काव्या के नुकीले निप्पलस कि तरफ था

काव्या वैसे तो उससे कभी बोलती नहीं थी, पर आज उसने उसे मजा चखाने का मन बना लिया : "जहाँ जा रही हु वहाँ पर ना तो ऐसी गंदगी होगी और और ना ही तेरे जैसे कुत्ते ''

हमेशा चुप रहने वाली काव्या के मुंह से ऐसी बाते सुनकर विक्की भी हैरान रह गया , वो कुछ बोल पता इससे पहले ही काव्या वहाँ से निकल गयी

श्वेता के घर पहुंचकर वो उससे लिपट गयी और एक ही सांस में उसे पूरी बात बता डाली  

श्वेता अपनी उम्र के हिसाब से काफी पहले जवान हो चुकी थी, उसकी उम्र 18 साल थी, और अपने नशीले और जवान शरीर का इस्तेमाल कब और कहा करना है, उसे अच्छी तरह से पता था , पर वो थी अब तक कुंवारी

श्वेता भी उसकी बात सुनकर काफी खुश हुई और फिर वो दोनों सहेलियां मिलकर बातें करने लगी कि क्या - २ होगा आने वाले दिनों में ।


काव्या के जाने के बाद रश्मि आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी, उसने अपने पुरे शरीर को निहारा, और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी साडी उतारनी शुरू कर दी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके मोटे मुम्मे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उसने उनकी बात मानते हुए अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, अपने ही पसीने कि गंध उसके नथुनो में समा गयी , जो उसे हमेशा से बहुत अच्छी लगती थी, इन्फेक्ट उसका पति भी उसकी गंध का दीवाना था, रश्मि को अभी भी याद है कि उसे चोदते हुए वो उसके दोनों हाथों को ऊपर करके जब झटके मारता था तो अपना मुंह उसकी बगल में डालकर वो जोर से साँसे लेता था, और वो गंध सूंघकर वो और भी ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चुदाई करता

वो सब बाते याद करते-२ उसकी चूत गीली होने लगी

उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया , और फिर कच्छी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से 

पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी और फिर खुद से ही बाते करने लगी : "ओहो …कितनी मोटी हो गयी हु मैं, पेट भी निकल आया है, ब्रैस्ट भी मोटे हो गए है, लटक भी गए है, और पीछे से तो , ओहो इन्हे अब जल्द ही कम करना होगा ''

वो एक ऐसी लड़की कि तरह बिहेव कर रही थी जो शादी से पहले अपना वजन कम करने कि चिंता में डूबी हुई हो , वैसे ये चिंता होना स्वाभाविक ही था रश्मि के लिए, वो पहले ऐसी नहीं थी, शादी से पहले भी और बाद तक भी, जब तक उसका पति जिन्दा था वो हमेशा फिट रहती थी, जिम भी जाती थी, उसने लगभग दस सालों तक जिम में जाकर एरोबिक और कार्डिओ करके अपने पुरे शरीर को फ़िल्मी हेरोइनो कि तरह लचीला और परफेक्ट बना लिया था, पर पिछले पांच सालो ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया , काव्या कि देखभाल और ऑफिस के काम कि वजह से उसे अपने लिए वक़्त ही नहीं मिलता था , पर अब जबकि उसकी दोबारा शादी होने वाली है, उसने निश्चय कर लिया कि वो जल्द ही इस थुलथुलेपन से छुटकारा पायेगी, जिम जायेगी, डाइटिंग करेगी , पर अपने शरीर को पहले जैसा बनाकर रहेगी .

आखिर समीर सर भी तो देखे कि वो चीज क्या है

समीर सर का ध्यान आते ही उसके दिल कि धड़कने एक दम से बढ़ने लगी, उसे उनकी गहरी नजरों कि याद आ गयी जो उसने कई बार महसूस कि थी , और जिसे महसूस करके उसका रोम रोम खड़ा हो जाता था

उनके बारे में याद करके अनायास ही उसके हाथ अपनी चूत कि तरफ सरक गए , वो बेड पर लेट गयी और अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत को सहलाने लगी 

आज पांच सालो बाद उसने अपनी चूत कि खोज खबर ली थी , इसलिए उसकी चूत भी अपना गिला मुंह खोले अपनी मालकिन का खुले दिल से स्वागत कर रही थी 
रश्मि ने अपनी चूत के तितली जैसे परों को फैलाया और अपनी एक ऊँगली अंदर खिसका दी

और सिसक पड़ी

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर उम्म्म्म्म्म्म्म ''


लाल चूत के अंदर से रसीला पानी बुरी तरह से बहता हुआ बाहर कि तरफ आ रहा था , जिसे रश्मि अपनी उँगलियों से इकठ्ठा करके अपनी चूत के चेहरे पर मल रही थी

उसके दिमाग में अपने आप एक काल्पनिक मूवी चलने लगी

रश्मि अपनी ऑफिस कि कुर्सी पर बैठी थी, पूरी नंगी , ऑफिस में कोई भी नहीं था

उसके टेबल का फ़ोन बजा और समीर सर ने उसे अंदर बुलाया

वो नंगी उठी, अपना नोट पेड उठाया और उनके केबिन में चली गयी

वो अपनी सीट पर बैठा था

वो भी पूरा नंगा

रश्मि सामने जाकर खड़ी हो गयी

समीर अपनी सीट से उठा और उसके पीछे आकर खड़ा हो गया, और उसे कुछ डेटा नोट करने के लिए कहा

वो टेबल पर झुकी और नोट करने लगी

तभी पीछे से समीर ने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया

उसने अपनी आँखे बंद किये हुए अपनी तीन उँगलियाँ अपनी चूत के अंदर पेल दी

समीर बोलता जा रहा था

रश्मि लिखती जा रही थी

और झटके लगते जा रहे थे

रश्मि के मुंह से बस यही निकल रहा था

''येस्स सर , अह्ह्हह्ह सर , उम्म्म्म सर , ओके सर। .......''

उसे बंद आँखों के साथ अपनी उँगलियाँ समीर के लंड कि तरह फील हो रही थी

फिर समीर से उसे टेबल पर पीठ के बल लिटा दिया औरअपना लंड उसकी चूत में पेल कर उसे बुरी तरह से झटके देने लगा


और वो चीख रही थी, येस्स येस्स बोल रही थी

और ऐसे ही येस्स सर करते -२ उसकी चूत से कब पानी निकल गया, उसे भी पता नहीं चला

झड़ने के बाद आयी खुमारी ने उसके भरे हुए जिस्म को निढाल सा कर दिया

और वो एक पतली सी चादर अपने शरीर पर डालकर वहीँ लेट गयी और याद करने लगी अपने और समीर के बारे में जब से उसने ऑफिस ज्वाइन किया था

शुरू के तीन सालो तक तो उसे पता ही नहीं था कि ऑफिस में काम के अलावा भी कोई जिंदगी है , उसका काम सिर्फ लैटर टाइप करना, कोटेशन बनाकर क्लाइंटस को मेल करना, महीने के आखिर में रिपोर्ट्स बनाना , बस यही था

समीर सर से उसका सामना कभी कभार ही होता था, वो भी बस उसके विश का जवाब देकर निकल जाते थे

और लगभग 1 साल पहले समीर सर कि पर्सनल सेक्रेटरी जॉब छोड़कर चली गयी, और इतनी जल्दी कोई नयी सेक्रेटरी ना मिल पाने कि वजह से रश्मि को ही टेम्परेरी तौर पर समीर सर कि सेक्रेटरी बना दिया गया तब उसने नोट किया कि काम के मामले में वो कितने संजीदा किस्म के इंसान है, उन्हें अगर कोई याद न कराये तो वो लंच करना भी भूल जाते थे और ये बात रश्मि को सही नहीं लगी, उसने सबसे पहले सही समय पर उन्हें लंच करने कि आदत डाली, समीर भी रश्मि के अपनेपन को नरअंदाज नहीं कर पाता था और सही समय पर लंच और अपनी दवाइयां लेने लग गया

और ऐसे ही काम करते हुए कम्पनी में एक ऐसा दिन आया जब समीर ने सभी को ये बताया कि उनकी कंपनी ने पिछले साल के मुकाबले सत्तर प्रतिशत ज्यादा बिज़नेस किया है और साथ ही उन्हें कनाडा के लिए एक बड़ा एक्सपोर्ट आर्डर भी मिला है, जिसकी वजह से उनका बिज़नेस अगले साल तक डेड सौ प्रतिशत ज्यादा बढ़ेगा 

और तब रश्मि ने ये सुझाव दिया कि ऐसे मौके को सेलेब्रेट करना तो बनता है और तब समीर ने अपने आलिशान बंगले में एक पार्टी रखी जहाँ काव्या ने पहली बार समीर को देखा था

तब तक रश्मि के लिए समीर के मन में एक सॉफ्ट कार्नर तो बन ही चूका था और वो मन ही मन उसे अपना जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा, क्योंकि अब वो भी अपनी बोर सी लाइफ से तंग आ चूका था, और पिछले कुछ दिनों से रश्मि कि तरफ से मिल रही केअर कि वजह से समीर को पूरा विश्वास हो गया था कि वो उसकी जिंदगी और घर को अच्छी तरह से सम्भाल सकती है

पर काव्या से मिलने के बाद उसे ये एहसास हुआ कि रश्मि कि टीनेजर लड़की है जो ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि उसकी माँ इस उम्र में शादी करे और इसलिए उस वक़्त काव्या से सीधे मुंह बात भी नहीं कि थी समीर ने

धीरे-२ वक़्त गुजरने लगा, समीर कि आँखों में छुपे प्यार को रश्मि ने भी कई बार महसूस किया था, पर अपनी औकात और समाज में उसकी जगह उसे भी पता थी,

समीर का एक वकील दोस्त था, लोकेश दत्त , जिसके साथ वो अपनी सारी बाते शेयर करता था

और ऐसे ही एक दिन जब दोनों दोस्त बैठे हुए जाम छलका रहे थे तो समीर ने अपने दिल कि बात उसे बता दी

लोकेश : "यार समीर, ये तो तूने बहुत अच्छी बात सोची है, तू जल्द से जल्द इस मामले को निपटा डाल''

समीर : "पर यार .... एक प्रॉब्लम है , उसकी एक टीनेजर लड़की है, और मुझे डर है कि कहीं उसके डर से रश्मि मुझसे शादी करने के लिए मना न कर दे , या फिर वो लड़की अपनी माँ को शादी करने कि परमिशन ना दे ''

लोकेश : "यार, तू भी कैसी दकियानुसी बातों को लेकर बैठा है, तू एक बार रश्मि से बात तो करके देख, अपनी बेटी को मनाना उसका काम है, और मुझे विश्वास है कि अपनी बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए वो मान जायेगी और अपनी बेटी को भी मना लेगी ''

और इस तरह से अपने दोस्त कि बात सुनकर समीर ने हिम्मत करके अपने दिल कि बात रश्मि को कह दी

रश्मि के लिए ये बात एक शॉक जैसी ही थी, उसने समीर कि आँखों में अपने लिए लगाव तो देखा था, पर वो लगाव इतना होगा कि वो उसे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए कहेगा, उसने सोचा भी नहीं था

पर साथ ही समीर ने ये भी कहा कि काव्या कि रजामंदी के बिना कोई निर्णय मत लेना, और वैसे भी रश्मि ऐसा करना नहीं चाहती थी

वो एक सही मौके कि तलाश करने लगी , जब वो अपनी बेटी को वो सच्चाई बताये जिसके बाद दोनों कि जिंदगी पूरी तरह से बदल जाने वाली थी

और आज अपनी बेटी का साथ पाकर उसने चैन कि सांस ली थी

उसने अपना मोबाइल निकला और वैसे ही नंगी लेटे हुए समीर को फ़ोन मिलाया

समीर : "हेल्लो रश्मि, इस वक़्त कैसे फ़ोन किया , सब ठीक तो है न ''

रश्मि कि समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे बताये

वो मंद मंद मुस्कुराती हुई हूँ हाँ करती रही बस

और फिर आखिर में उसने बोल ही दिया : "मैंने काव्या से बात कि थी आज ''

समीर : "अच्छा, क्या ,,,क्या बोली वो ??"

उसकी धड़कने बड़ गयी

रश्मि : "वो, वो मान गयी और काफी खुश भी थी वो ''

रश्मि कि बात सुनकर समीर ने भी चैन कि सांस ली

उसे अपनी बंद आँखों के पीछे रश्मि अपने घर में दुल्हन के लिबास में नजर आने लगी

उसने जल्द ही शादी कि फॉर्मेलिटी पूरी करने कि बात करते हुए फ़ोन रख दिया, वैसे भी शादी कोर्ट में होनी थी, इसलिए ज्यादा ताम झाम कि जरुरत ही नहीं थी

उसने लोकेश को फ़ोन करके सारे बंदोबस्त करने के लिए कहा
 
 
 
 
 
 
 





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